घर में बस हम दो
भाई थे। दिनेश मुझसे दस साल बड़ा था। वो एक फ़ेक्टरी में काम करता था। भाभी रीता भी
मुझसे सात साल बड़ी थी। मम्मी पापा नौकरी करते थे। घर का सारा काम भाभी पर आ गया
था। मुझे यह देख कर बहुत बुरा लगता था कि वो सुबह से काम पर लग जाती थी और दोपहर
को ही फ़्री हो पाती थी। धीरे-धीरे मैंने भाभी के काम में हाथ बंटाना शुरू कर दिया
था। अब भाभी मुझसे बहुत खुश रहती थी। मैं उनके साथ प्याज, सब्जी आदि काट
देता था। वाशिंग मशीन में कपड़े धो देता था, झाड़ू भी लगा देता था।
भाभी का काम करके
मैं कॉलेज चला जाता था। मैं जवान हो चला था, कुछ सेक्स की बातों को
मैं समझने भी लगा था। घर में मात्र भाभी ही थी जिसके शरीर के उभारों को देख कर मैं
खुश रहता था। वो घर में अधिकतर पेटीकोट और एक तंग सा ब्लाऊज पहने रहती थी, जिसमें भाभी के
सीने के उभार मुझे बहुत उत्तेजक लगते थे। भाभी भी काम करते करते थक जाती थी, फिर वो आराम करती
थी। आज तो वो मेरे कमरे में आ गई थी और मुझसे कहने लगी- निर्मल, मेरी पीठ दबा दे, बहुत दर्द कर रही
है। बहुत काम पड़ा है !
जल्दी क्या है
भाभी? खाना तो दो बजे खाते हैं, थोड़ा आराम भी कर लिया करो
!
अरे ये काम निपटे
तो चैन आये ना ... चल दबा दे !
वो बिस्तर पर
उल्टी लेट गई और अपनी आंखें बन्द कर ली। मैं धीरे धीरे कमर दबाने लगा। उसे बहुत
आराम मिल रहा था। मैं भाभी के पैर भी दबाने लगा था। उसे जाने कब नींद लग गई और वो
सो गई। मुझे उसके खर्राटे की आवाज आने लगी। तभी मेरे मन का शैतान जाग उठा। मुझे
लगा कि मैं उसकी नींद का फ़ायदा उठा सकता हूँ। बड़ी सतर्कता से मैंने भाभी का
पेटीकोट उठाया और अन्दर झांक कर देखा। भाभी के दोनों मस्त चूतड़ बड़े ही उत्तेजक लग
रहे थे। भाभी के चूतड़ थोड़े भारी भी थे। मैंने एक बार भाभी को देखा और पेटीकोट के
अन्दर हाथ घुसा दिया। बहुत ही धीरे से मैंने भाभी के पृष्ट उभारों को हाथ से छू कर
जायजा लिया। मेरा मन हुआ कि उसे काट खाऊं। फिर सावधानी से मैंने पेटीकोट को नीचे
कर दिया। मेरा लण्ड खड़ा हो गया था।
तभी भाभी ने करवट
ली और सीधी हो गई। मैं जल्दी से दूर हो गया, पर वो अभी भी सो ही रही
थी। मुझे फिर एक मौका और मिला और मैंने एक बार से भाभी का पेटीकोट ऊपर करके उसकी
चूत के दर्शन कर लिये। छोटे छोटे बाल थे और दोनों लब उभरे हुये थे। मैंने सावधानी
से भाभी की ओर देखा और झुक कर उसकी चूत को चूम लिया। चूत सूखी थी ... एक नारी शरीर
की खुशबू सी आई। अभी तक तो सभी कुछ सही चल रहा था। मैंने भाभी के ब्लाऊज के बटन भी
खोल दिये ... उनके दोनों स्तन पर्वत से उठे हुये मेरे सामने आ गये थे। भाभी के जाग
जाने का खतरा था सो मैंने अब बस करना ही उचित समझा। पर अब ब्लाऊज के बटन कैसे
लगाऊं, ब्लाऊज तो तंग था। ब्लाऊज के बटन बंद करने से तो वो जाग
जाती। मैंने कमरे से निकल जाना ही बेहतर समझा।
मैं नहाने के
लिये स्नानघर में घुस गया। मेरे खड़े लण्ड को मैंने मुठ मारा और अपना वीर्य निकाल
दिया। नहा धो कर मैं बाहर आ गया। तब तब भाभी जाग गई थी और आश्चर्य से अपना खुला
हुआ ब्लाऊज देख रही थी। उसने मुझे देखा तो झेंप गई और हुक बंद करने लगी। समय देखा
तो दस बज चुके थे। मैं फिर कॉलेज चला गया था।
दूसरे दिन भी
भाभी ने मुझे फिर से पीठ दबाने को कहा और उल्टी लेट गई। आज मैं भाभी की पीठ दबा कम
रहा था बल्कि उसे सहला रहा था। बीच बीच में उसके चूतड़ों को भी छू लेता था। मैंने
देखा कि भाभी आज भी सो गई थी। मेरा लण्ड फिर से खड़ा होने लगा था। मैंने हौले से
भाभी के चूतड़ों को ऊपर से ही सहलाया। फिर उसके स्तनों को सहलाने लगा। अचानक भाभी
ने मेरा हाथ पकड़ लिया।
यह क्या कर हो
तुम... क्या कल भी तुमने मेरे साथ ऐसे किया था? भाभी ने मुझे एक थप्पड़
मार दिया।
मेरी सारी आशिकी
धरी रह गई। मैं बुरी तरह से घबरा उठा था।
भाभी, सॉरी... माफ़ कर
देना ... मैं बहक गया था...
भूल गये कि मैं
तुम्हारी भाभी हूँ ...
मेरी निगाहें शरम
से झुक गई। मैं धीरे से उठा और कमरे से निकल गया। मेरा मन ग्लानि से भर गया था।
मैं उस घड़ी को कोस रहा था जब मैंने यह हरकत की थी। दो तीन दिन तक तो मेरी हिम्मत
ही नहीं हुई रीता भाभी से आंख मिलाने की। फिर एक दिन मैंने धीरे से किचन में बर्तन
धोते हुये भाभी से माफ़ी मांग ली।
भाभी ने मुझे
मुस्करा कर कहा- किस बात की माफ़ी ... तुम उस दिन से नाराज हो गये थे, तो मुझे ही अच्छा
नहीं लग रहा था, सच बताऊँ तो माफ़ी मुझे मांगनी चाहिये थी !
मेरा मन हल्का हो
गया, और भाभी ने भी मुझे गालों पर चूम लिया था। काम समाप्त होते
होते साढ़े नौ बज गये थे। भाभी मेरे कमरे में आई और धम्म से बिस्तर पर उल्टी लेट
गई।
चल दबा दे मेरी
पीठ ... शरमा मत ...
मैंने चुपचाप
उसकी पीठ मसल दी। उसे थोड़ा अजीब सा लगा। वो उठ कर बैठ गई- अच्छा चल तू लेट जा, मैं तेरे पैर दबा
देती हूँ...
अरे नहीं भाभी, बस ठीक है...
अरे चल ना ...
लेट जा ...
भाभी के फिर से
वही अपनापन देख कर मैं खुश हो गया। मैं बिस्तर पर सीधा लेट गया। भाभी मेरे पजामे
के ऊपर से ही मेरे दोनों पांव दबाने लगी। धीरे-धीरे वो मेरी जांघो तक आ गई। मेरे
शरीर में विचित्र सी गुदगुदी होने लगी।
मेरा लण्ड जाने
कब खड़ा हो गया और पजामे में से उभर कर बाहर अपनी छवि दिखाने लगा। भाभी बड़े चाव से
मेरे खड़े लण्ड को निहार रही थी। उसकी आंखों में गुलाबी डोरे तैरने लगे थे। उसके
चेहरे पर वासना का भूत नजर आने लगा था। मेरी जांघे सहलाने और दबाने से मेरे शरीर
में सिरहन सी होने लगी थी। लण्ड कड़क होने लगा था। बिना चड्डी के लण्ड पजामे के
भीतर लहराने लगा था।
भाभी के हाथ की
मुठ्ठियाँ बार बार लण्ड के पास भिंचने लगी थी, मानो वो लण्ड को पकड़ कर
मसल देना चाहती हों।
भाभी के हाथ मेरी
जांघों के ऊपर तक और लण्ड पास तक जोर जोर से दबा रहे थे।
नशे में मेरी
आँखें बंद सी होने लगी थी। लण्ड में बहुत मिठास सी भरती जा रही थी। तभी शायद भाभी
का मन बहक उठा और अपनी सारी मर्यादायें तोड़ कर उन्होंने मेरा लण्ड पकड़ लिया और जोर
जोर से दबाने लगी।
मैं तड़प उठा...
पर उसका हाथ मजबूती से लण्ड पर जमा था। मैंने उत्तेजना से भर कर करवट लेनी चाही पर
उसने मेरा लण्ड नही छोड़ा। भाभी के मुख से सिसकारियाँ निकल रही थी। उसका दूसरा हाथ
अपनी चूत को मल रहा था। भाभी मुठ भर कर ऊपर नीचे हाथ चला कर मेरे लण्ड को मसलने
लगी।
भाभी, हाय रे ... बस
करो ... आह्ह्ह्ह ! तभी लण्ड से मेरा वीर्य निकल पड़ा। मेरा पजामा ऊपर तक भीग गया
और ढेर सारे माल ने मेरा लण्ड और नीचे की गोलियां तक गीली कर दी। मैंने उठ कर भाभी
के स्तन दबा दिये, पर भाभी अपने आप को छुड़ा कर भाग गई। मुझे कुछ
समझ में नहीं आया ... । मैं जल्दी से स्नानघर में जाकर नहा कर आ गया।
मैं भाभी के कमरे
में गया तो उसने अपने आपको बाथरूम में बंद कर लिया।
तुम जाओ यहां से
...
पर बात तो सुनो
... !
नहीं... बस जाओ, मुझे बहुत लाज आ
रही है !
मैं कॉलेज चला
गया। मेरा मन भटक गया था। क्लास में भी मन नही लगा।
लंच पर डेढ़-दो
बजे :
मम्मी स्कूल से आ
चुकी थी, पापा भी आ गये थे। भाभी की बड़ी-बड़ी आंखे नीची झुकी हुई, सभी को भोजन परोस
रही थी। भोजन के बाद भाभी के कमरे में गया तो मुझे देख कर उसने अपना चेहरा छुपा
लिया।
कोई देख लेगा, तुम जाओ ना ...
मुझे इस शर्म का
मतलब समझ में नहीं आया। दूसरे दिन मैं भाभी के साथ काम करता रहा पर वो अपना मुख
मुझसे छिपाती रही। मैं बेचैन हो उठा। काम समाप्त होने पर मैंने भाभी को उसके कमरे
में घेर ही लिया।
भाभी, प्लीज मुझसे बात
करो ना !!
भैया, सॉरी ... गलती हो
गई कल ...
कैसी बाते करती
हो ... भाभी सच बताऊँ तो आप बहुत अच्छी हैं !
नीरू, पर मैंने तुम्हे
तो मारा भी था ना ? !!
चलो बात बराबर हो
गई, पहले मैंने गलती की थी, कल आपने फ़ाऊल किया था, बस ?हम दोनों ने अब
शर्म छोड़ सी दी थी। वो मुझसे रोज अपनी पीठ दबवाती, शायद मजे लेने के लिये !
मैं भी उसे सहला सहला कर मस्त कर देता था। फिर वो भी मेरी पीठ दबा देती थी, मेरी टांगें, जांघें मस्त हो
कर दबाती थी, फिर मेरे लण्ड के कड़कपन को जी कड़ा करके जी भर कर निहारती
थी।भाभी धीरे से आकर मेरे गले लग गई।यह सिलसिला बहुत दिनों तक चलता रहा। हम दोनों
इस कार्य में वासना में लोटपोट हो जाते थे। हाँ, एक दो बार मैंने भाभी के
मम्मे भी दबा दिये थे, उसे बहुत ही मजा आया था। वो भी जोश में आकर
मेरा लण्ड दो तीन बार दबा चुकी थी। एक बार यह दूरी भी मिट गई।
एक दिन मालिश के
दौरान भाभी ने कहा- नीरू, एक बात कहूँ?
मैंने प्रश्नवाचक
निगाहों से उसे देखा। उसकी नजरें झुक गई।
आज अपना पजामा
उतार दो ... मुझे देखना है ! कहते कहते भाभी हिचकिचा सी गई।
तो मैं अपनी आंखे
बंद कर लेता हूँ, मेरा पजामा नीचे खींच लो !
नहीं, आंखे बंद नहीं
करो... पर मुझे मत देखना !
भाभी ने धीरे से
मेरा पजामा खींच कर नीचे खिसका दिया। मैं उसके सुन्दर से चेहरे को एकटक देखता रहा।
उसके चेहरे पर आते जाते भाव देखने लगा। उसकी आंखें नशीली हो उठी थी। लाल डोरे उभर
आये थे।
मत देखो ना, शरम आती है !
कब तक शरमाओगी
भाभी ... जी खोल कर करो जो करना है।
वो बिस्तर के
नीचे मेरे पास आ गई और मेरी आंखों पर अपना हाथ रख दिया। मेरे लण्ड की लाल टोपी को
उसने उघाड़ लिया और उस पर झुक गई। मेरा लण्ड उसने मुख में भर लिया। मेरे मुख से एक
सिसकी निकल पड़ी। भाभी ने मुझे मुड़ कर देखा- भैया, कैसा लगा ... और करूँ
क्या ?
भाभी पूरा अन्दर
तक घुसेड़ ले, बहुत मजा आ रहा है ! मैने भाभी के चूतड़ों को पकड़ कर अपनी ओर
खींचा। उसका जिस्म मेरे और करीब आ गया। वो मेरे ऊपर चढ़ गई ... उसने अपना पेटीकोट
ऊपर खींच लिया और अपनी नंगी चूत मेरे मुख पर जमा दी। उसकी गीली चूत से मेरा मुख भी
गीला हो गया था। एक तेज वीर्य युक्त सुगंध मुझे आई। यह जवानी से लदी स्त्री के
यौनस्त्राव की सुगन्ध थी।
मेरी जीभ लपलपा
उठी। उसकी प्यारी सी खुली हुई चूत को मैं चाटने लगा, भाभी सिसकने लगी। भाभी
अपने हाथ से अपने पेटीकोट को मेरे चेहरे पर डाल कर अपना नंगापन छुपाने लगी। तभी
उसका कड़ा दाना मेरी जीभ से टकरा गया और उसके मुख से जोर से आह निकल गई। वो अपने
पांव समेट कर ऊंची हो गई। उसकी प्यारी सी रसीली चूत मुझे अब साफ़ दिख रही थी। उसका
बड़ा सा दाना साफ़ चूत के ऊपर नजर आ रहा था। उसकी गाण्ड के बीच उसका मुस्कराता हुया
छोटा सा भूरा सा छेद अन्दर बाहर सिकुड़ता हुआ नजर आ रहा था।
मैंने अपनी
अंगुली थूक से गीली करके उसके छेद में दबा दी और उसमें गुदगुदी करता हुआ उसके आस
पास अंगुली घुमाने लगा। उसने अपनी गाण्ड का छेद ढीला कर दिया और मैंने हौले से
अपनी एक अंगुली छेद में घुसा दी। साथ ही में मैंने उसकी चूत फिर से अपने मुख से
चिपका ली।
उसने भी यही किया, लण्ड चूसते चूसते
मेरी गाण्ड में अंगुली घुसा कर घुमाने लगी। हम दोनों उत्तेजना के सागर मे गोते लगा
रहे थे। काफ़ी देर तक यह खेल खेलने के पश्चात भाभी उठ गई। उसकी आंखें वासना से
गुलाबी हो गई थी। मेरी नाक में, मुख मण्डल पर उसकी चूत की चिकनाई फ़ैली हुई थी।
वो घूम कर मेरी ओर हो गई और मेरे लण्ड पर बैठ गई।
भाभी, कैसा मजा आ रहा
है...?
भाभी ने मेरे
होठों पर अपनी अंगुली रख दी। फिर एक हाथ से मेरा लण्ड पकड़ा और उसे हिलाया। तन्नाया
हुआ लण्ड एक मस्त डाली की तरह झूल गया। फिर उसने लण्ड का लाल टोपा अपनी चूत की
दरार पर रख दिया। और अपनी चूचियों को मेरी नजरों के आगे झुला दिया। वो मुझ पर झुकी
जा रही थी। मैंने अनायास ही उसके दोनों स्तन हाथों में थाम लिये और उसके कड़े चुचूक
मसल डाले। मेरा लण्ड उसकी चूत मे फ़िसलता हुआ अन्दर समाने लगा। एक तेज मीठी सी
गुदगुदी लण्ड में उठने लगी। मेरे शरीर का रोम रोम पिघलने लगा।
मेरी मांऽऽऽऽ !
आह री ... मर गई मैं तो... !!!
भाभीऽऽऽऽ ...
उफ़्फ़्फ़ ! जोर से घुसेड़ो ... ! मेरे मुख से बरबस निकल पड़ा।
पूरा लण्ड
घुसेड़ने के बाद वो मुझ पर अपना भार डाल कर लेट गई और धीरे-धीरे चूत घिसने लगी। मैं
असीम आनन्द में खो चला !!! भाभी भी मदमस्त हो कर आंखें बन्द किये अपनी चूत ऊपर
नीचे घिसने लगी थी। मेरी कमर भी अपने आप ही ताल मिलाने लग गई थी। वो कभी ऊपर उठ कर
अपने स्तन को देखती और मुझे उसे और जोर से दबाने को कहती और फिर मस्ती में चीख सी
उठती थी।
अब उसकी रफ़्तार
बढ़ने लगी थी। उसके केश मेरे चेहरे पर गिरे जा रहे थे। उसके पतले अधर पत्तियों जैसे
कांप रहे थे। उसका यह वासनामय रूप किसी काम की देवी की तरह लग रहा था। तभी उसके
मुख से एक चीख सी निकली और वो झड़ने लगी- हाय मेरे नीरू, मैं तो गई...
मेरा तो निकला...
उसकी चूत में
लहरें चलने लगी। तभी मुझे भी लगा कि मेरा माल निकलने को है, मैंने उसे नीचे
की ओर खींच कर दबा लिया। वो कराह उठी और मेरा रस उसकी चूत में भरने लगा। हम दोनों
कुछ देर तक झड़ने के बाद भी यूँ ही पड़े रहे, फिर भाभी मेरे ऊपर से हट
गई। उसका पेटीकोट कमर से नीचे परदे की भांति नीचे गिर कर उसे ढक लिया। उसने जल्दी
से बटन लगा लिये।
चलो पजामा ऊपर
खींच लो...
भाभी बहुत मजा
आया ... एक बार और करें ...?
ओय होये ... अब
लगा ना चस्का, आज तेरे भैया की नाईट ड्यूटी भी है, रात को देखेंगे !
भाभी ने दूसरे दौर की सहमति दे दी, पर रात को।
मैं तैयार हो कर
कॉलेज चला गया। सारे दिन गुमसुम सा रहा, चुदाई की मीठी-मीठी यादें
पीछा नहीं छोड़ रही थी। बड़ी मुश्किल से शाम आई तो रात आने का नाम ही नहीं ले रही
थी।
घर के सभी लोग सो
चुके थे। भाभी ने अपना कमरा अन्दर से बन्द करके अपनी चौक की खिड़की खोली और बाहर
कूद आई ताकि लगे कि कमरा तो अन्दर से बंद है।
और मेरे कमरे में
आते ही दरवाजा ठीक से बंद कर दिया। लाईट बन्द करके वो मेरे बिस्तर में मेरे साथ
लेट गई। भाभी धीरे से फ़ुसफ़ुसाई- नीरू, आज तबला बजा दे...
मेरा लण्ड तो
पहले ही बेताब हो रहा था, लग रहा था कि नई नई शादी हुई हो जैसे !!!
तबला क्या ... ? बोलो ना... !
वो हिचकचाते हुये
बोली- श्... श्... वो, मेरा मतलब है गाण्ड बजानी है !
वो कैसे ...
म बोलते बहुत हो
... गाण्ड नहीं मारी है क्या ? वो झुंझला कर बोली।
मैंने चुप्पी साध
ली और पेटीकोट ऊपर कर दिया। मैंने भी अपना पजामा उतार लिया और अपना लण्ड उसकी
प्यारी सी दरार में घुसा दिया। उसने अपनी गाण्ड में चिकनाई लगा रखी थी। सो देखते
ही देखते लण्ड उसके टाईट छेद में घुस पड़ा।
आनन्द भरी
सिसकियाँ एक बार फिर से गूंज उठी। उसकी गाण्ड चुदने लगी। मेरे लिये यह सब एक
आनन्ददायक घटना थी... अब हम रोज ही अपनी वासना शांत कर लेते थे। भाभी का स्नेह मुझ
पर दिनों दिन बढ़ता ही जा रहा था। सच पूछो तो मैं भी रीता भाभी के बिना नहीं रह
पाता था।
मेरे देवर ने
मुझे अपनी कहानी लिखने को कहा तो मैंने उसी को अपनी कलम दे दी।
बीते दिन एक सपने
की तरह लगते हैं ! हैं ना ... ? कोई ऐसा प्यारा सा इन्सान मिल जाये जो किसी की
सभी बाते गुप्त रखते हुये जिन्दगी को रंगीन बना दे और काश ऐसे दिन कभी खत्म ना हो
...
मैं आसमान में
सितारों के साथ विचरण करती रहूँ, देवर जैसा कोई है क्या ...
भाभी की सोते समय चुदाई
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