दोस्तों मैं आशीष
सिंह हु आज मै आप लोगो से अपने जीवन से जुडी एक सच्चाई बताने जा रहा हु आप लोगो से
मेरी हाथ जोड़ के विनती है आप लोग बुरा ना मानियेगा बस मजा लीजियेगा प्लीज .. तो
दोस्तों एक दिन हमारी मौसी (मदर’स सिस्टर) पटना
से आई मुझे और अंजलि को अपने साथ गाव अपनी लड़की अनीता की मँगनी में ले जाने के
लिए. हम दोनो भाई-बहन का टिकट अपने साथ बनाकर लेने आई.
मम्मी हमसे कही
जब तुम्हारे मौसी इतनी दूर से खुद लेने आई तो जाना तो पड़ेगा ही. लेकिन अंजलि की
स्कूल भी खूलि है इसलिए जाओ और मँगनी के बाद दूसरे दिन वापस आ जाना. वापसी का टिकट
अभी ही जाकर लेलो. मैं देल्ही रेलवे स्टेशन गया वहाँ किसी भी ट्रेन की दो दिन की
वापसी टिकट नहीं मिली. अंत मे मैं झारखंड एक्सप्रेस का 98, 99 वेटिंग का ही टिकट लेकर आ गया कि नहीं कन्फर्म होने पर
टीटी को पैसे देकर ट्रेन पर ही सीट ले लेंगे. २७थ ऑक्टोबर. 2000 को मैं और अंजलि
अपनी मौसी (मदर’ससिसटेर) के बेटी
(अनीता) के मँगनी से वापस लौट रहे थे.
पटना के पास एक
गाव मे हमारी मौसी रहती थी. मौसी ने अनीता की मँगनी में अंजलि को लाल रंग के लंगा-
चोली खरीद कर दी थी जिसे पहनकर अंजलि मेरे साथ देल्ही वापस लौट रही थी. गाव के चौक
पर हम लोग गया रेलवे स्टेशन आने के लिए ट्रेकर (जीप) का एंतजार कर रहें थे. इतने में
वहाँ एक कुतिया (बिच) और उसके पिछे-पिछे एक कुत्ता (डॉग) दौड़ता हुआ आया. कुतिया
हम लोगो से करीब 20 फ्ट. की दूरी पर रुक गयी.
कुत्ता उसके पिछे
आकर कुतिया की बुर (कंट/चूत) चाटने लगा और फिर दोनो पैर कुतिया के कमर पर रखकर
अपनी कमर दना दान चलाने लगा. जिसे मैं और अंजलि दोनो देखें. कुत्ता बहूत रफ़्तार
से 8-10 धक्का घपा- घाप लगाकर केरबेट ले लिया. दोनो एक दूसरे में फँस गये. ये सीन
हम दोनो भाई-बहन देखें. इतने में गाव के कुच्छ लड़के वहाँ दौड़ते हुए आए और
कुत्ता-कुतिया पर पत्थर मारने लगे. कुत्ता अपने तरफ खींच रहा था और कुतिया अपनी
तरफ. लेकिन जोट छ्छूटने का नाम ही नहीं ले रही थी. आप यह कहानी मस्तराम डॉट नेट पर
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मैने अंजलि के
तरफ देखा वो शर्मा रही थी लेकिन ये सीन उसे भी अच्छा लग रहा था मुझसे नीचे नज़र
करके ये सीन बड़े गौर से देख रही थी. मेरा तो मूड खराब हो गया अब मुझे अंजलि अपनी
बहन नहीं बल्कि एक सेक्सी लड़की की तरह लग रही थी. अब मुझे अंजलि ही कुतिया नज़र
आने लगी. मेरा लंड पैंट में खड़ा हो गया. लेकिन इतने में एक ट्रीकर (जीप) आई .हम
दोनो जीप में बैठ गये. जीप में एक ही सीट पर 5 लोग बैठे थे जिस से अंजलि मुझसे चिपकी
हुई थी. मेरा ध्यान अब अंजलि की बुर (कंट/चूत) पर ही जाने लगा. हमलॉग स्टेशन
पहुँचे.
मैं अपना टिकट
कन्फर्मेशन के लिए टी.सी. ऑफीस जाकर पता किया. लेकिन मेरा टिकट कन्फर्म नहीं हुआ
था. फिर मैं सोचा किसी भी तरह एक भी सीट लेना तो पड़ेगा ही.टी.सी. ने बताया आप ट्रेन
पर ही टी.टी. से मिल लीजिएगा शायद एक सीट मिल ही जाएगा. ट्रेन टाइम पर आ गई. अंजलि
और मैं ट्रेन पर चढ़ गये. टी.टी. से बहूत रिक्वेस्ट करने पर .200 में एक बर्त देने
के लिए अग्री हुआ.टी.टी. एक सिंगल सीट पर बैठा था वो कहा आप लोग इस सीट पर बैठ जाओ
जब तक हम आते है कोई सीट देखकर.
मैं और अंजलि गेट
की सीट पर बैठ गये रात के करीब 10 बज रहे थे खिड़की से काफ़ी ठंडी हवाएँ चल रही
थी. हमलॉग शाल से बदन ढक कर बैठ गये. इतने में टीटी आकर हम लोगो को दूसरे बोगी में
एक अप्पर बर्त दिया. मैने 200 रुपीज़ टी.टी. को देकर एक टिकट कन्फर्म करवा कर अपने
बर्त पर पहेले अंजलि को उप्पेर चढ़ाया चढ़ते समय मैं अंजलि के चूतड़ (बूट्तुक)
कस्के दबा दिया था सिला मुस्कुराती हुई चढ़ि फिर मैं भी उपेर चढ़ा.
सारे स्लीपर पर
लोग सो रहें थे. हमारे स्लीपर के सामने स्लीपर पर एक 7 एअर की गर्ल सो रही थी
जिसकी मम्मी दादी मिड्ल और नीचे के बर्त पर थे. सारी लाइट पंखे बंद थे सिर्फ़ नाइट
बल्ब जल रही थी. ट्रेन अपनी गति में चल रही थी. अंजलि ऊपर बर्थ में जाकर लेट रही
थी. मैं भी ऊपर बर्थ पर चढ़कर बैठ गया. अंजलि मुझसे कहने लगी लेटोगे नहीं. मैने
कहा कहाँ लेटू जगह तो है नहीं इस पर वो कारबट लेकर लेट गयी और मुझे बगल में लेटने
कहा. मैं भी उसीके बगल में लेट गया.और शाल ओढ़ लिया. जगह छोटी होने के कारण हम
दोनो एकदूसरे से चिपके हुए थे.
अंजलि का चून्ची
मेरे चेस्ट से दबी हुई थी. मुझे तो अंजलि की चूत (बुर) पर पहले से ही ध्यान था.
मैने और भी अपने से चिपका लिया. अंजलि से कहा. और इधर आ जा नही तो नीचे गिरने का
डर है. वो और मुझसे चिपक गयी. अंजलि अपनी जाँघ मेरे जाँघ (थाइ) के उपर रख दी. उसका
गाल मेरे गाल से सटा था. मैं उसके गाल से उपना गाल रगड़ने लगा. मेरा लंड धीरे-
धीरे खड़ा हो गया. मैं अपना एक हाथ अंजलि की कमर पर ले गया और और धीरे -धीरे उसका
लहगा उपर कमर तक खींच-खींच कर चढ़ाने लगा. आप यह कहानी मस्तराम डॉट नेट पर पढ़ रहे
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अंजलि की साँसे
भी तेज चलने लगी थी. मैने उसका लहगा कमर के उपर कर दिया और उसकी चूतड़ सहलाने लगा.
मैं उसकी पॅंटी पर से हाथ घुमा कर देखने लगा बुर (चूत) के पास उसकी पॅंटी गीली थी
उसकी बुर से चिप-चिपा लार निकला था जो मेरे उंगलियों को चट-चटा कर दिया. मैं पॅंटी
के अंदर से हाथ डालकर बुर के पास ले गया उसकी बुर लार से भींगी हुई थी. मैं बुर को
सहलाने लगा अंजलि ने अपने होठ मेरे होंठो पर रख दिए और मेरे होठ को उपने मुँह में
लेकर चूसने लगी.
मुझे एक बरगी
पूरा बदन में जोशआ गया मैं एक हाथ अंजलि के ब्रेस्ट में डालकर उसके संतरे जैसे
चूची को सहलाने लगा. उसकी चूची की निपल काफ़ी छ्होटी थी उसे मैं उपने मुँह मे लेकर
चूसने लगा. और पहले एक उंगली अंजलि की बुर मे घुसा दी. बुर गीली होने के कारण
आसानी से उंगल बुर में चला गया. फिर दो उंगली एक बार मे घुसने लगें इस पर अंजलि
कस-मसाने लगी मैं एक हाथ से उसकी निपल की घुंडी मसल रहा था और एक हाथ उसकी बुर से
खिलवाड़ करने लगा . मैं किसी तरह धीरे-धीरे दोनो उंगली उसकी बुर में पूरा घुसेड
दिया. और दोनो उंगली को चौड़ा करके उसकी बुर में चलाने लगा.
अंजलि सिसियाने
लगी और अपनी हाथ मेरी पॅंट के जिप के पास लाकर जिप खोलने लगी. मैने भी जिप खोलने
में उसकी मदद की और अपना लंड अंजलि के हाथ में दे दिया. अंजलि मेरे लंड के सुपाडे
को सहलाने लगी. उसको मेरा लंड सहलाने से बहूत मज़ा मिला मैं उसकी बुर में इसबार
तीन उंगली एकसाथ डालने लगा. बुर से काफ़ी लार गिरने लगा जिस से मेरा हाथ और अंजलि
की पैंटी पूरी भींग गयी. लेकिन इस बार तीनो उंगली बुर में नहीं जा रही थी मैने एक
हाथ से बुर को चीर कर रखा और फिर तीनो उंगली एक साथ डाली अंजलि मेरे हाथ पकड़ कर
बुर के पास से हटाने लगी शायद इस बार तीनो उंगली से बुर दर्द करने लगी होगी लेकिन
मैं उसके होठ अपने मुँह मे लेकर चूसने लगा और किसी तरह तीनो उंगली आधा जाकर ही अटक
गयी.
मैं जोश में आ
गया और अंजलि की पैंटी एक साइड करके अपना लंड उसके बुर के च्छेद में धूकने लगा.
लंड का सूपड़ा ही बुर में घुसा कि अंजलि मेरे कन में कहने लगी धीरे- धीरे धुकाओ
बुर दर्द कर रही है. मैने थोड़ा सा पोज़िशन लेकर उसके चूतड़ को ही उपने लंड पर
दबाया तो एक 1/4 हिस्सा उसकी बुर में गया. मैं उसे ज़्यादा परेशान नहीं करना चाहता
था.
मैने सोचा पूरा
लंड बुर में में धूकाने पर उसके मुँह से चीख निकलेगी और लोग जाग भी सकते हैं
इसीलिए मैं 1/4 हिस्सा उसकी बर में घुसाकर अंदर बाहर करने लगा. पैंटी के किनरो ने
साइड से मेरे लंड को कस्स रखा था इसलिए मुझे चोदने में काफ़ी मज़ा मिल रहा था
अंजलि भी चुदाई की रफ़्तार बढ़ाने में मेरा साथ देने लगी.धीरे- धीरे पैंटी भी लंड
को कसकर बुर पर चांपे हुए थी.पैंटी के घर्सन से लंड भी बुर में पानी छ्चोड़ने के
लिए तैयार हो गया. आप यह कहानी मस्तराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है |
मैने अंजलि की
कमर को कसकर अपनी कमर में चिपकाए मेरे लंड पानी छ्चोड़ दिया .अंजलि की पैंटी पूरा
भींग गयी.शायद सर्दी के रात के कारण उसे ठंढ लगने लगी फिर उसने अपनी पैंटी धीरे से
उतारकर उसी से अपनी बुर पोंच्छ कर पैंटी अपनी हॅंड बॅग में रख ली. आप यह कहानी
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फिर मैं और अंजलि
एक दूसरे से चिपक कर सोने लगें. लेकिन हम दोनो के आँखों में नींद कहाँ. मैं अंजलि
के कान में कहा कुतिया बनकर कब चुदवाओगी. तब अंजलि कहने लगी घर चल कर चाहे कटीया
बनाना या गाय (काउ) बनाकर चोदना यहाँ तो बस धीरे-धीरे मज़ा लो. हमलॉग शाल से पूरा
बदन धक रखे थे. अंजलि फिर मेरे लंड को लेकर मसल्ने लगी मैं भी उसकी बुर के टिट को
कुरेद कर मज़ा लेने लगा. आब अंजलि मुझसे काफ़ी खूल चुकी थी.
मेरे होठ को
चूस्ते हुए मेरे लंड मसले जा रही थी उसके हाथो की मसलन से फिर मेरा लंड खड़ा होने
लगा और देखते ही देखते मेरा लंड अंजलि की मुट्ठी से बाहर आने लगा. अंजलि बहूत गौर
से मेरे लंड की लंबाई- चौड़ाई नापी 9 इंचस का लंड देख कर हैरान हो मेरे कान में
कही इतना मोटा-लंबा लंड तूने मेरी बुर में कैसे धुका दिया. मैने कहा अभी पूरा लंड
कहाँ धूकाया हूँ मेरी रानी अभी तो सिर्फ़ 1/4 हिस्सा से काम चलाया हूँ पूरा लंड तो
तुम जब घर में कुतिया बनोगी तो हम कुत्ता बनकर डॉगी स्टाइल में पूरे लंड का मज़ा
चखाएँगे.
इसपर वो
ज़ोर-ज़ोर से मेरे गॉल में दाँत से काटने लगी फिर मैने उसके कान में धीरे से कहा
अंजलि तुम ज़रा कारबट बदलकर सो जाओ. तुम अपनी गंद (आस होल) मेरे लंड की तरफ करके
सो जाओ. उसपर वो मेरे कान में कहने लगी. नहीं बाबा गंद मारना हो तो घर में मारना
यहाँ मैं गंद मारने नहीं दूँगी. फिर मैने उस से कहा नहीं रानी मैं तुम्हारी गंद
नहीं मारूँगा मैं तुम्हे लंड-बुर का ही मज़ा दूँगा. फिर वो कारबट बदल दी. मैने अंजलि
के दोनो पैर मोड़ कर अंजलि के पेट (बेल्ली) में सटा दिया जिस से उसकी बुर पिछे से
रास्ता दे दी.मैं उसकी गंद अपने लंड की तरफ खींच कर उसकी पैर उसके पेट से चिपका
दिया और बुर में पहले दो उंगली डालकर बुर के छेद को थोडा फैलाया फिर दोनो उंगली
बुर में डालकर उंगली बुर में घुमा दिया अंजलि उस पर थोड़ा चिहुकी. आप यह कहानी
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फिर मैं उसके गाल
पर एक चुम्मा लेकर अपने लंड को अंजलि की बुर में धीरे-धीरे घुसाने लगा. बहुत कोशिश
के बाद आधा लंड बुर में घुसा मैं अंजलि से ज़्यादा से ज़्यादा मज़ा लेना और देना
चाहता था. इसलिए बहुत धीरे- धीरे घुसाया और एक हाथ से उसकी निपल की घुंडी मसल्ने
लगा. मैने देखा अब अंजलि भी अपनी गंद मेरे लंड की तरफ चांप रही है.
फिर अंजलि की बुर
ने हल्का सा पानी छ्चोड़ा जिस से मेरा लंड गीला हो गया और लंड बुर में अंदर- बाहर
करने पर थोड़ा और अंदर गया अब सिर्फ़ 1/4 हिस्सा ही बाहर रहा. और मैं धीरे-धीरे
अपनी कमर चलाकर अंजलि को दुबारा चोदने लगा. अंजलि भी अपनी गंद हिला-हिला कर मज़े
से चुदवाने लगी. इस बार करीब एक घंटे तक दोनो चोदा-चोदि करते रहें. ट्रेन ने एक
बार कहीं सिग्नल नहीं मिलने के कारण ऐसा ब्रेक मारा कि अंजलि के चुतताड ने पिछे के
तरफ हाचाक से दवाब डाला जिस से मेरा पूरा लंड खचाक से अंजलि की बुर में पूरा चला
गया अंजलि के मुँह से भयानक चीख निकलने ही वाली थी कि मैने अपने एक हाथ से अंजलि
का मुँह बंदकर दिया और एक हाथ से उसकी दोनो चूची बारी- बारी से मसल्ने लगा.
मैं तो ट्रेन पर
उसके साथ ऐसा नहीं करना चाहता था लेकिन ट्रेन की मोशन में ब्रेक लगने के कारण ऐसा
हुआ. अंजलि धीरे-धीरे सिसक रही थी. मैं अपने लंड को स्थिर रख कर पहले अंजलि की
दोनो चूची को कासके मसल रहा था. फिर थोड़ी देर बाद उसे राहत मिली और अंजलि अब खुद
अपनी कमर आगे- पिछे करने लगी. शायद अब उसे दर्द के जगह पर ज़्यादा मज़ा आने लगा.
आप यह कहानी मस्तराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है | मेरा हाथ अंजलि की बुर पर गया मैने देखा उसकी बुर से
गरम-गरम तरल पदार्थ गिर रहा है मैं समझ गया कि ये बुर का पानी नहीं बल्कि बुर की
झिल्ली फटने से बुर से खून (ब्लड) गिर रहा है.
मैने अंजलि से ये बात नहीं कही क्योंकि वो घबडा जाती मैने अपने पैंट से रूमाल निकाल कर उसकी बुर से गिरे सारे खून को आछि तरह से पोंच्छ दिया और अंजलि को अपनी गंद आगे- पीछे करते देख कर मैं भी घपा-घपप धक्का दे-देकर चोदने लगा. अंजलि अब मज़े से चुदवाये जा रही थी. जब मैने 10-15 धक्का आगे पिछे होकर लगाए तो अंजलि की बुर ने पानी छ्चोड़ दिया.
मैं अंजलि की दोनो संतरे जैसी चूची मसल-मसल कर चोदने लगा. करीब 10 मिनिट तक बुर में लंड अंदर- बाहर करके चोद्ते हुए मैने भी पानी छ्चोड़ दिया. और मैं 5 मिनिट तक अपना लंड बुर में डाले पड़े रहा. जब मेरा लंड सिकुड गया तब फिर बुर से बाहर निकालकर फिर अपने रुमाल से बुर और लंड पोंच्छ कर साफ करके रुमाल ट्रेन की विंडो से बाहर फेंक दिया. इस समय सुबह के 4:35. बज रहे थे. अब हम दोनो भाई- बहन एक दूसरे से खुल कर प्यार करने लगे.
Mast
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