ये बात लगभग १
साल पहले की है. हमारे रिश्तेदारी में किसी की डेथ हो गई थी. मेरे पति अपने काम
धंधों में व्यस्त थे इसलिए मुझे ही वहां जाना पड़ा. ट्रेन का सफर था और मुझे अकेले
ही जाना था इसलिए मेरे पति ने प्रथम श्रेणी एसी में मेरे लिए रिज़र्वेशन करवा दिया
था.
रात को दस बजे की
ट्रेन थी. मुझे मेरे पति स्टेशन तक छोड़ने के लिए आए और मुझेमेरे कूपे में बिठा कर
टिकेट चेकर से मिलने चले गए. मेरा कूपा केवल दो सीटों वालाथा. अभी तक दूसरी सीट पर
कोई भी पेसेंजेर नहीं आया था. मैंने अपने सामान सेट कियाऔर अपने पति की इंतज़ार
करने लगी.
थोडी ही देर में
मेरे पति वापस आ गए. उनके साथ ब्लैक कोट में एक आदमी भी आया था. वो टिकेट चेकर था.
उसके उम्र करीब छब्बीस साल की थी, रंग गोरा और करीब
पौने छहफीट लंबा हेंडसम नवयुवक लग रहा था. मेरे पति ने उससे मेरा परिचय करवाया. वो
आदमीकेवल देखने में ही हेंडसम नहीं था बल्कि बातचीत करने में भी शरीफ लग रहा था.
उसने मुझसे कहा ”
चिंता मत कीजिये मैडम मैं इसी कोच में हूँ कोई
भी परेशानी होतो मुझे बता दीजियेगा मैं हाज़िर हो जाऊंगा. आपके साथ वाली बर्थ खाली
है अगर कोईपेसेंजर आया भी तो कोई महिला ही आएगी इसलिए आप निश्चिंत हो कर सो सकती
हैं.”
उसकी बातों से
मुझे और मेरे साथ साथ मेरे पति को भी तसल्ली हो गई. ट्रेन चलने वाली थे इसलिए मेरे
पति ट्रेन से नीचे उतर गए. उसी समय ट्रेन चल दी. मैंने अपने पतिको खिड़की में से
बाय किया और फिर अपने सीट पर आराम से बैठ गई.
दोस्तों मुझे आज
अपने पति से दूर जाने में बिल्कुल अच्छा नहीं लग रहा था. इसकाकारण ये था कि मेरी
माहवारी ख़तम हुए अभी एक ही दिन बीता था और जैसा कि आप सब लोगजानते हैं ऐसे दिनों
में चूत की प्यास कितनी बढ़ जाती है. मैं अपने पति से जी भर करचुदवाना चाहती थी
लेकिन अचानक मुझे बाहर जाना पड़ रहा था. इसी कारण से मैं मन ही मनदुखी थी.
तभी कूपे में वो
हेंडसम टीटी आ गया. उसने कहा “मैडम आप गेट बंद
कर लीजिये मैंकुछ देर में आता हूँ तब आपका टिकेट चेक कर लूँगा.”
उसके जाने के बाद
मैंने सोचा की चलो कपड़े बदल लेती हूँ. क्योंकि रात भर का सफरथा और मुझे साड़ी में
नींद नहीं आती. ये सोच कर मैंने गाउन निकालने के लिए अपना सूटकेस खोला तो सर पकड़
लिया. क्योंकि मैं जल्दबाजी में गाउन के ऊपर वाला नेट का पीसतो ले आई थी लेकिन
अन्दर पहनने वाला हिस्सा घर पर ही रह गया था. जो हिस्सा मैं लाईथी वो पूरा जालीदार
था जिसमें से सब कुछ दीखता था.
करीब दो मिनट
बैठने के बाद मेरी अन्तर्वासना ने मुझे एक नया निर्णय लेने के लिएविवश कर दिया.
मैंने सोचा कि क्यों आज इस हेंडसम नौजवान से चुदाई का मज़ा लिया जाए.ये बात दिमाग
में आते ही मैंने वो जालीदार कवर निकाल लिया और ज़ल्दी से अपनी साड़ी, ब्लाउज और पेटीकोट निकाल दिए.
अब मेरे बदन पर
रेड कलर की पेंटी और ब्रा थी. उसके ऊपर मैंने सफ़ेद रंग काजालीदार गाउन पहन लिया.
वैसे उसको पहनने का कोई फायदा नहीं था क्योंकि उसमे से सबकुछ साफ़ नज़र आ रहा था
और उससे ज्यादा मज़ेदार बात ये थी कि अन्दर पहनी हुई ब्रा औरपेंटी भी जालीदार थी.
इसलिए बाहर से ही मेरे चूचुक तक नज़र आ रहे थे. ख़ुद को आईनेमें देखकर मैं ख़ुद ही
गरम हो गई.
सारी तैयारी करने
के बाद मैं अपनी सीट पर लेट गई और मैगज़ीन पढ़ते हुए टीटी काइंतजार करने लगी. मुझे
इंतज़ार करते करते पाँच मिनट बीत गए तो मैंने सोचा कि क्यूँ नपहले खाना खाकर फ्री
हो लूँ ये सोच कर मैंने अपना खाना निकाल लिया जो मैं घर से साथलाई थी.
खाना शुरू करते
हुए मैंने सोचा कि खाने के बीच मैं टीटी टिकेट चेक करने आ गया तो बीच में उठ कर
टिकेट निकालना पड़ेगा ये सोच कर मैंने अपने पर्स में रखा टिकेट निकाल लिया.
टिकेट हाथ में
आते ही मेरी आँखों के सामने उस टीटी का जवान बदन घूम गया और मेरे अन्दर की सेक्सी
औरत ने अपना काम करना शुरू कर दिया. मैंने पहले ही जालीदार कपड़े पहने थे जिसमे से
मेरा पूरा बदन दिखाई पड़ रहा था और फिर मैंने अपना टिकेट भी अपने बड़े बड़े बूब्स
के अन्दर ब्रा के बीच मैं डाल लिया. अब वोह टिकेट दूर से ही मेरे लेफ्ट ब्रेस्ट के
निप्पल के पास दिखाई दे रहा था.
पूरी तैयारी के
बाद मैं खाना खाने लगी. तभी मेरे कूपे का गेट खुला और टीटी अन्दर आ गया. अन्दर आते
ही मुझे पारदर्शी कपडों में देखकर बेचारे को पसीना आ गया. वह बिल्कुल सकपका गया और
इधर उधर देखने लगा. मैंने उसका होंसला बढ़ाने के लिए उसकी तरफ़ मुस्कुरा कर देखा
और कहा “आईये टीटी साहब बैठिये,
खाना लेंगे आप ?” मेरी बात सुनते ही वह बोला “न.न. नहीं मैडम आप लीजिये मैं तो बस आपका टिकेट टिक करने
आया था. कोई बात नहीं मैं कुछ देर बाद आ जाऊंगा आप आराम से खा लीजिये.
मैंने उसे सामने
वाली सीट पर बैठने का इशारा करते हुए कहा “नहीं नहीं!! आप बैठो ना, मैं अभी आप को
टिकेट दिखाती हूँ.”
यह कह कर मैंने
अपना खाने का डिब्बा नीचे रख दिया और टिकेट ढूँढने का नाटक करने लगी. ये सब करते
हुए मैं बार बार नीचे झुक रही थी ताकि वो मेरी छातियाँ जी भर के देख ले. दोस्तों
अब ये बताने की ज़रूरत तो शायद नहीं है की मेरे बड़े बड़े बूब्स किसी को भी अपना
दीवाना बना सकते हैं. मेरे फिगर से तो आप लोग परिचित हैं ही.
ये सारी हरकतें
करते हुए मैं ये इंतज़ार कर रही थी की वो ख़ुद मेरे लेफ्ट बोब्बे मैं रखे हुए
टिकेट को देख ले और हुआ भी ऐसा ही उसने मेरे बूब्स की और इशारा करते हुए कहा ”
मैडम लगता है आपने टिकेट अपने ब्लाउज में रख
लिया है.”
मैंने अनजान बनते
हुए अपने गले की तरफ़ देखा और हँसते हुए कहा ” कहाँ यार…मैंने ब्लाउज
पहना ही कहाँ है ये तो ब्रा में रखा हुआ है.” बोलते बोलते मैंने अपने खाना लगे हुए हाथों से उसको निकालने
की नाकाम कोशिश की और इधर उधर से ऊँगली डाल कर टिकेट पकड़ने की कोशिश करते हुए उसे
अपने बूब्स के दर्शन करवाती रही.
जब मेरी ऊँगली से
टकरा कर टिकेट और अन्दर घुस गया तो मैंने मुस्कुराते हुए उससे कहा “सॉरी..यार अब तो आप को ही मेहनत करनी होगी.”
मेरी बात सुनते ही वो उठकर मेरे पास आ गया और
मेरे गाउन में हाथ डालता हुआ बोला “क्यों नहीं मैडम
मैं ख़ुद निकाल लूँगा!!” ये बात कहते हुए
वो बड़ी अदा से मुस्कुरा उठा था. उसने डरते डरते मेरे गाउन के अन्दर हाथ डाला और टिकेट
पकड़ कर बाहर खीचने की कोशिश करने लगा. लेकिन टिकेट भी मेरा पूरा साथ दे रहा था.
वो टिकेट उसकी ऊँगली से टकरा कर बिल्कुल मेरे निप्पल के ऊपर आ गया जिसे अब ब्रा
में हाथ डाल कर ही निकाला जा सकता था.
वो बेचारा मेरी
ब्रा में हाथ डालने में डर रहा था इसलिए मैंने उसको इशारा किया और बोली “हाँ.हाँ..आप ब्रा के अन्दर हाथ डाल कर निकाल लो
न प्लीज़ !!” मेरी बात सुनते
ही उसके होंसले बुलंद हो गए और उसने अपना पूरा हाथ मेरी ब्रा के अन्दर घुसा दिया.
हाथ अन्दर डालते ही उसको टिकेट तो मिल गया लेकिन साथ में वो भी मिल गया जिसके लिए
नौजवान पागल हो जाया करते हैं. मेरी एक चूची उसके हाथ में आते ही वो बदमाश हो गया
और उसने मेरी चूची को अपने हाथ से सहलाना और मसलना शुरू कर किया.
मैं तो यही चाहती
थी इसलिए मैं उसकी तरफ़ देख कर मुस्कुराने लगी. मुझे मुस्कुराता देख कर वो खुश हो
गया और ज़ोर ज़ोर से मेरी चूची दबा डाली. उसके बाद उसने टिकेट निकाल कर चेक किया
और मेरी तरफ़ आँख मारते हुए बोला “आप खाना खा
लीजिये..मैं बाकी सवारियों को चेक कर के अभी आता हूँ.” मैंने भी उसको खुला निमंत्रण देते हुए कहा “ज़ल्दी आना..!!” वो मुस्कुराता हुआ ज़ल्दी से बाहर निकल गया.
मैंने भी ज़ल्दी
ज़ल्दी अपना खाना खाया और बड़ी बेसब्री से उसका इंतज़ार करने लगी. जितनी ज़ल्दी
मुझे थी उतनी ही उसे भी थी इसीलिए वो भी पाँच-सात मिनट में ही वापस आ गया. अन्दर
आते ही उसने कूप अन्दर से लाक कर लिया और मेरे करीब आ कर मुझे अपनी सुडौल बाँहों
में भरता हुआ बोला “आओ..मैडम..आज
आपको फर्स्ट एसी का पूरा मज़ा दिलवाऊंगा”. मैंने भी उसकी गर्दन में हाथ डालते हुए उसके होठों पर अपने होठ रख दिए.
अगले ही पल वो
मेरे नीचे वाला होंठ चूस रहा था और मैं उसके ऊपर वाले होंठ को चूसने लगी. इस चूमा
चाटी से वासना की आग भड़क उठी थी और ना जाने कब मेरी जीभ उसके मुंह में चली गई और
वो मेरी जीभ को बड़े प्यार से चूसने लगा.
उसके हाथ भी अब
हरकत करने लगे थे और उसका दायाँ हाथ मेरी बायीं चूची को दबा रहा था. मुझे मज़ा आने
लगा था और वो टी टी भी मस्त हो गया था. करीब दो-तीन मिनट की किस्सिंग के बाद वो
अलग हुआ और लगभग गिड़गिड़ाते हुए बोला “मैडम, एक प्रॉब्लम है !”
मैंने पूछा “क्यूँ क्या हुआ ?”
“मैडम मेरे साथ
मेरा एक साथी और है इसी कोच में, अगर मैं उसको
ज्यादा देर दिखाई नहीं दूँगा तो वो मुझे ढूँढता हुआ यहाँ आ जाएगा.” वो बोला। “अगर आप इजाज़त दें तो क्या उसको भी बुला….”. उसके बात सुनते ही मेरी खुशी ये सोचकर दोगुनी
हो गई चलो आज बहुत दिनों बाद एक साथ दो लंड मिलने वाले हैं. इसलिए मैंने तुंरत
जवाब दिया ” हाँ. हाँ.. बुला
लो उसको भी लेकिन ध्यान रखना किसी और को पता नहीं चलना चाहिए. जाओ जल्दी से बुला
लाओ.”
मेरी बात सुनते
ही वो दरवाजा खोल कर बाहर चला गया और तीन-चार मिनट बाद ही वापस आ गया. उसके साथ एक
आदमी और था. ये नया बन्दा करीब पैंतीस साल की उम्र का था. रंग काला लेकिन शकल सूरत
से ठीक ठाक था बस थोड़ा मोटा ज़्यादा था. मैंने मन ही मन सोचा चलो दो लंड से तो
मेरी प्यास बुझ ही जायेगी भले ही दोनों में ताकत कम ही क्यों ना हो.
उन दोनों ने
अन्दर आते ही कूपे को अन्दर से लाक कर लिया और दोनों मेरे पास आ कर खड़े हो गए.
पुराने वाले टीटी जिसका नाम मुझे अभी तक पता नहीं था उसने अपने साथी से मुझे
मिलवाया “मैडम ये है मेरा दोस्त वी
राजू.”
मैंने खड़े होते
हुए उससे हाथ मिलाया और पुराने वाले से बोली “ये तो ठीक है पर तुमने अभी तक अपना नाम तो बताया ही नहीं.”
मेरी बात पर
मुस्कुराते हुए वो बोला “मैडम मुझे दीपक
कहते हैं. वैसे आप मुझे दीपू भी बुला सकती हो.” मैंने उन दोनों से कहा “दीपू!! तुम्हारा नाम तो अच्छा है लेकिन यार तुम लोगों ने ये
मैडम मैडम क्या लगा रखा है. मेरा नाम प्रतिभा है. वैसे तुम लोग मुझे किसी भी
सेक्सी नाम से बुला सकते हो.”
आपस में परिचय
पूरा होने के बाद हम लोग थोड़ा खुल गए थे. लेकिन वो दोनोंकुछ शरमा रहे थे इसलिए
पहल मुझे ही करनी पड़ी और मैंने दीपू के गले में हाथडाल कर
उसके होंठ चूसना
चालू कर दिए. दीपू भी मेरी कमर को अपने हाथों से पकड़ते हुए मुझे चिपका कर चूमने
लगा. उसका साथी राजू अभी तक खड़ा हुआ था. उस बेचारे की हिम्मत नहीं हो रही थी कि
कुछ कर सके.
मैंने ही उसको
अपने करीब बुलाते हुए उसकी पैन्ट के ऊपर से उसके लंड पर हाथ फेरना चालू कर दिया.
कुछ देर तक हम लोग खड़े खड़े ही चूमा चाटी करने लगे. कभी दीपू मुझे चूमता तो कभी
राजू मेरी गर्दन पर अपने दांत गड़ा देता. उन दोनों को उकसाने के लिए मैंने उन
दोनों के लंडों की नाप तौल शुरू कर दी थी.
जैसे ही वो दोनों
अपने रंग में आए तो उन्होंने मुझे उठा कर सीट पर लेटा दिया और फिर अपना अपना काम
बाँट लिया. दीपू मेरे होठों को चूसते हुए मेरी छातियों से खेलने लगा और उधर राजू
ने मेरी पेंटी निकाल कर चूत का रास्ता ढूँढ लिया.
दीपू मेरी एक एक
चूची को बारी बारी से दबा और मसल रहा था साथ में मेरे मुंह में अपनी स्वादिष्ट जीभ
भी डाल चुका था. नीचे राजू चूत के आस पास और नीचे वाले होठों को चूसने में मगन था.
मुझे ज़न्नत का
मिलना चालू हो गया था लेकिन अभी तक उन दोनों ने अपने कपड़े नहीं उतारे थे इसलिए
मैं अभी तक अपने असली हीरो के दर्शन नहीं कर पायी थी.
मैंने उन दोनों
को रोकते हुए कहा “रुको..मेरे
यारों..केवल मेरे ही कपड़े उतारोगे तो कैसे काम चलेगा तुम लोग भी तो अपने अपने
हथियार निकालो.”
मेरी बात सुनकर
राजू ने अपने कपड़े खोलना चालू कर दिया लेकिन दीपू मेरी चूत का दीवाना हो गया था
और चूत छोड़ने के लिए राजी नहीं था. मुझे ज़बरदस्ती उसका मुंह हटाना पड़ा तो वो
बोला “मेरी जान पहले तुम भी
अपने सारे कपड़े निकालो!”
“क्यूँ नहीं जानू
मैं भी निकालती हूँ तभी तो असली मज़ा आएगा..!” मैंने जवाब दिया और अपने बदन से गाउन और ब्रा, पेंटी निकाल कर एक तरफ़ रख दी.
इसी बीच राजू
अपने कपड़े खोल चुका था. वोह अपना लण्ड हाथ में लेकर मेरे मुंह की तरफ़ बड़ा. उसके
लंड की शेप बड़ी अजीब थी. उसके लंड का रंग बिल्कुल स्याह काला था और लम्बाई करीब
छः इंच थी लेकिन मोटाई काफी ज्यादा थी करीब तीन इंच मोटा था.
मैं उसके लंड की
बनावट देखते ही सोचने लगी कि ये तो मेरी गांड के लिए बिल्कुल फिट रहेगा. ये सोचते
हुए मैंने उसका मोटा लंड अपने मुंह में लेने की कोशिश की लेकिन मोटाई इतनी ज्यादा
थी कि मेरे मुंह में लंड घुस नहीं पा रहा था. मैंने जीभ बाहर निकाल कर लंड चाटना
शुरू कर दिया. उसके लंड का सुपाड़ा बहुत सुंदर था और लंड से निकलने वाला पानी भी
बिल्कुल नारियल पानी के जैसा स्वादिष्ट था. मैं स्वाद ले लेकर चुसाई कर रही थी और
मेरे मुंह से बहुत सेक्सी आवाजें निकल रहीं थीं. “सुड़प….सूद…सूद..चाट…स..उ..ससू..”
मुझे लंड चूसने
में मज़ा आ रहा था इसी बीच में दीपू ने भी अपने कपड़े खोल दिए और मेरे पास आ कर
मुझे चूसते हुए देखने लगा. मैंने राजू का लंड मुंह से निकाल कर दीपू का लंड अपने
हाथ में ले लिया. उसका लंड मेरी उम्मीद से ज्यादा लंबा था. करीब सात इंच लंबा और
दो इंच मोटा बिल्कुल गोरा बहुत खूबसूरत लौड़ा था दीपू का. मैंने ज़ल्दी से ट्रेन
की सीट पर अधलेटते हुए दीपू का लंड अपने मुंह में भर लिया. उधर राजू मेरी टांगों
के बीच में बैठकर मेरी चूत चाटने लगा.
उसने मेरी चूत
में अपने पूरी जीभ डाल दी. अचानक जीभ अन्दर डालने से मेरी सिसकारी निकल गई. “आह..औ..आ..ह.ह..मेरे..पहलवान…मज़ा आ गया…ऐसे ही चोदो
आ.ह..आ.अ..हह..मुझे..जीभ सी…से.मेरी दाना….रगड़ो..उधर…हाँ…ऐसे..ही…करते..रहो…शाबाश…राजू..वाह….” मैं मस्त होने
लगी थी.
मैंने फ़िर एक
बार दीपू का पूरा लंड अपने मुंह में भर लिया और अन्दर बाहर करते हुए अपने मुंह की
चुदाई करने लगी. राजू अपनी खुरदरी जीभ से मेरी चिकनी चूत चाट रहा था और मैंने अपने
मुंह में दीपू का लंड ले रखा था. ट्रेन अपनी फुल स्पीड पर चल रही थी. मिली जुली
आवाजें आ रहीं थीं “धडक..धडक..खटाक..ख़त..चड़प..चाप..औयो..औ..थाधक…….” दीपू के मुंह से
भी आवाजें आने लगीं थीं.
“आह…ये…या.एस…वाह…मेरी…जान…चूस…चूसले..ले…और अन्दर…और आदर ले…भोसड़ी…की..और
जोर..से..ले..और ले..ले…वाह…” अब उसने मेरे मुंह में
धक्के मारना चालू कर दिया था. मुझे लगा कि उसे मज़ा आ रहा है तो कुछ देर और चूस
लेती हूँ क्यूँकि उधर मुझे भी चूत चटवाने में मज़ा आ रहा था.
लेकिन अचानक दीपू
ने मेरे मुंह में धक्कों की स्पीड बढ़ा दी और मेरा सर पकड़ कर अपना पूरा लंड मेरे
मुंह में अन्दर बाहर करते हुए ज़ोर से चिल्लाने लगा “आ…..ह…. .ह….आ…ले…कॉम…ओं…नं….मेरी…जान…ले..पीले…पूरा..पी..ले..माँ…..चोद.चूस.. चूस…पी…ले..पी..” अचानक मेरे मुंह
में पिचकारी चल गई. मैं समझ गई एक तो बिना चूत का स्वाद चखे ही चल बसा. दीपू मेरे
मुंह में अपना पानी डाल चुका था मैंने उसका पूरा रस पी लिया. उसके रस का स्वाद
अच्छा था. मैंने उसका लंड चाट चाट कर साफ़ कर दिया. झड़ने के बाद उसने अपने लंड
बाहर निकाल लिया और हंसने लगा.
उधर शायद राजू भी
चूत चूस चूस कर थक गया था इसलिए वो भी उठ कर खड़ा हो गया और मेरे मुंह के पास लंड
ला कर बोला “प्लीज़ जान मेरा भी तो चूसो..” मैंने हँसते हुए
उससे कहा “तुम दोनों अगर मेरे मुंह में ही उलटी करके चले जाओगे तो मैं
क्या करूंगी..” “नहीं मेरी जान, मैं तो तुम्हारी चूत में ही पानी डालूँगा चिंता
मत करो.” राजू ने जवाब दिया.
मैंने राजू का
लंड मुंह में लेकर चूसना शुरू कर दिया. थोडी देर तक उसका लंड चूसने के बाद उसने
अपना लंड मेरे मुंह में से निकाल लिया और मुझसे बोला. “चल..मेरी
रानी..अब..कुतिया..बन जा…आज तेरी चूत का बाजा बजाऊंगा.” मैंने फ़ौरन उसका
आदेश माना और उलटी हो कर चूत को उसकी तरफ़ कर दिया. उसने भी आसन लगा कर मेरी चूत
की छेद पर लंड लगाया और एक करारा धक्का दिया.” आ.इ.ई.गई….आ..आ गया…आ. गया..मेरे
राजा..पूरा..अन्दर..आ..गया..” मैं चिल्लाने लगी.
हमारी चुदाई चालू
हो गई थी और उधर दीपू ने ज़ल्दी ज़ल्दी अपने कपड़े पहन लिए थे. जब मैंने दीपू को
कपड़े पहने हुए देखा तो चुदवाते हुए ही बोली “क्या..आ.अ.हुआ..दीपू…तुम..नहीं..
आ.आ..हह..डालोगे…क्या..आ..हह…एक…ही..बार…में…ठंडा..पड़.आ.ह..
ह..गया…क्या ?”
दीपू ने मेरी बात
का कोई जवाब नहीं दिया और मुझे चोद रहे राजू के कान में आ कर कुछ बोला और कूपे से
बाहर निकल गया. मुझे चुदाई में बहुत मज़ा आ रहा था इसलिए मैंने उनकी बातों पर दयां
नहीं दिया और ट्रेन के हिलने की गति के साथ ही हिल हिल कर लंड लेने लगी. अब राजू
की धक्को की स्पीड बढ़ने लगी थी और ट्रेन के हिलने की वजह से मुझे भी दोगुना मज़ा
आ रहा था.
राजू अब
बड़बड़ाने लगा “या..ले…मेरी….जान..ले… पूरा…ले…कुतिया..ले… मेरा..लंड..तेरी…चूत फाड़ डालूँगा…बहन…चोद…ले..” मुझे भी उसकी
बातें सुन सुन आकर जोश आने लगा था इसलिए मैं भी बोलने लगी,”चल..और…ज़ोर..से..दे… हाँ..कर…मेरे..रजा..
कर..ले…
च.चल..अगर..तेरे..लंड..में..दम..है
..तो.. मेरी..गांड…में..डाल.. डाल..न..गांडू…गांड..में…डाल…” मेरी बात सुन कर
उसने चूत में से अपना लंड निकाल लिया और मेरे गाण्ड के छेद पर लगाने लगा. मैंने भी
अपनी पोज़िशन ठीक की और गांड का छेद ऊपर की तरफ़ निकाल कर झुक गई और बोली “चल.. आ.जा.ज़ल्दी….. डाल..दे… गांड…में… धीरे….धीरे.डालना…”
राजू ने गांड के
छेद पर निशाना लगाया और एक ज़ोरदार धक्का लगा दिया लेकिन उसका लंड मेरी चूत के
पानी से चिकना हो रहा था इसलिए फिसल गया और नीचे चला गया. उसने दुबारा कोशिश की और
इस बार पहले से भी ज़ोर से धक्का लगाया. इस बार लंड ने गांड की पटरी पकड़ ली और
मेरी गांड को चीरता हुआ अन्दर चला गया.
मेरी चीख निकल गई
“आ….अ.अ.. आ..ईई. ई.ई.इ.ई. मार डाला मादरचोद… ऐसे…डालते..हैं..क्या..
फाड़ डाली..मेरी..गांड.. गांडू… मुझे एक बार थोड़ा मरवानी है… आ..ई.ई.ई…” लेकिन उसने मुझे
पीछे से पकड़ रखा था इसलिए मैं उसका लंड निकाल नहीं पायी और उसने धक्के लगाने चालू
कर दिए.
वाकई उसका लंड
गज़ब का मोटा था मुझे बहुत दर्द हो रहा था लेकिन उसने मेरी एक भी नहीं सुनी और
धक्का लगाना चालू रखा. आठ दस धक्कों के बाद मुझे भी दर्द कम हुआ और मज़ा आने लगा.
अब मैंने नीचे से हाथ डाल कर अपनी चूत को मसलना चालू कर दिया था. मेरी इच्छा हो
रही थी की मेरी चूत में भी कोई चीज डाल लूँ लेकिन वो दीपू का बच्चा तो खेल बीच में
ही छोड़ कर चला गया था.
तभी अचानक कूपे
का दरवाजा खुला और तीन आदमी एक साथ अन्दर आ गए. ट्रेन किसी बड़े स्टेशन पर रुकी
हुई थी. अचानक उन लोगों के अन्दर आने से मैं चौंक गई और जल्दी से अलग होकर अपने
कपड़े उठा कर अपना बदन छुपाने की कोशिश करने लगी.
उन तीन लोगों के
अन्दर आते ही राजू ज़ोर से चहक कर बोला “आओ बॉस !! मैंआप लोगों का
ही इंतज़ार कर रहा था. उसने ज़ल्दी से कूपे का दरवाजा अन्दर सेलॉक कर लिया और मेरी
तरफ़ मुड कर बोला ” चिंता मत करो मैडम ये लोग भी अपनेदोस्त हैं,
अभी तुम्हारी
इच्छा चूत में कुछ डलवाने की हो रही थी ना इसलिए इन लोगों को बुलवाया है. चलो शुरू
करते हैं.”
मुझे इस तरह से
उन लोगों का अन्दर आना अच्छा नहीं लगा. मैंने नाराज होते हुए कहा “चुप रहो तुम !!
मुझे क्या तुम लोगों ने रंडी समझ रखा है. जो भी आएगा मैं उससे चुदवा लूंगी. तुम
लोग अभी मेरे कूपे से बाहर चले जाओ नहीं तो मैं शोर मचा दूंगी.”
मेरे इस तरह
नाराज होने से वो लोग डर गए और मुझे मनाते हुए राजू ने कहा ” नहीं मैडम ऐसा
नहीं है अगर आप नहीं चाहोगी तो कुछ भी नहीं करेंगे.” जो लोग अभी अभी अन्दर आए
थे उनमें से एक ने कहा “नहीं मैडम हमें तो दीपक ने भेजा था अगर आप को
बुरा लगता है तो हम लोग बाहर चले जाते हैं. प्लीज़ आप शोर मत मचाना हमारी नौकरी
चली जायेगी.”
इस तरह वो चारों
ही मुझे मनाने में लग गए. मैंने मन ही मन सोचा कि अब इन लोगों ने मुझे नंगा तो देख
ही लिया है और अभी तक अपना काम भी नहीं हुआ है. सुबह तो ट्रेन से उतर कर चले ही
जाना है फ़िर ये लोग कौन सा कभी दुबारा मिलने वाले हैं. चलो आज आज तो चुदाई का मजा
ले ही लिया जाए. फ़िर पता नहीं कब इतने लंडों की बरात मिले.
ये सोच कर मैंने
उनको डराते हुए कहा “ठीक है मैं तुम लोगों को केवल आधा घंटे का समय
देती हूँ तुम लोग जल्दी जल्दी अपना काम करो और यहाँ से निकल जाओ और अब कोई और इस
कूपे में नहीं आना चाहिए.”
वो चारों खुश हो
गए और “जी मैडम ! जी मैडम” करने लगे. राजू ने उन
लोगों से कहा कि चलो अब मैडम का मूड दुबारा से बनाना पड़ेगा तुम लोग आगे आ जाओ”.
वो चारों मेरे
करीब आ गए और दो लोगों ने मेरे एक एक बोबे को हाथ से दबाना शुरू कर दिया और एक जना
नीचे बैठ कर मेरी चूत में जीभ डालने लगा. राजू ने अपना लंड जो अब कुछ ढीला हो गया
था उसे मेरे मुंह में डाल दिया. अभी उसका लंड पूरा टाइट नहीं हुआ था इसलिए मेरे
मुंह आराम से आ गया और मैं फिर से उसका लंड चूसने लगी.
थोड़ी ही देर में
मेरी आग फिर भड़क गई और मैं फ़िर से उसी मूड में आ गई. मैंने राजू का लंड तैयार
करते हुए उससे कहा,”चलो राजू तुम अपना अधूरा काम पूरा करो !”
मेरी बात सुनते
ही राजू हँसते हुए मेरे पीछे आ गया और बोला “क्यों नहीं मैडम अभी लो
!!”
अब सब लोगों ने
अपनी अपनी पोज़िशन ले ली. मै डौगी स्टाईल में झुक गई एक जन मेरे नीचे था मैंने
अपनी गांड नीचे झुकाते हुए उसका लंड अपनी चूत में डाल लिया और पीछे से राजू ने
अपना लंड मेरी गांड में डाल दिया. मेरे मुंह के पास दो लोग अपने लंड निकाल कर खड़े
हो गए. इस पोज़िशन में आने के बाद घमासान चुदाई चालू हो गई.
अपने सभी छेदों
में लंड डलवाने के बाद मैं जल्दी ही अपने चरम पर पहुँच गई और मेरे मुंह से फिर ना
जाने क्या क्या निकलने लगा. “आ..आ.ई.. आबी..अबे..हरामी… राजू…ज़ोर…से. स.ऐ.ऐ.ऐ कर
फाड़ दे दे.दे. आ..ऐ.ऐ.एई.. मेरी…गा..गा..न्ड. चलो चोदो…मुझे. हराम…के..पिल्लों ..
चोदो मुझे…फाड़…दो.. मेरी..चूत भी…बहुत
आग..है..इसमे……” मैं ना जाने क्या क्या बोल रही थी और मेरी बातों से वो लोग
और भड़क रहे थे.
अचानक राजू ने
मेरी गांड में से अपना लंड बाहर निकाल लिया और मेरे मुंह में लंड डाल कर खड़े आदमी
से बोला “चल अब तू आ जा बे तू डाल अब गांड में मैं तो झड़ने वाला
हूँ.” ये बोलता हुए राजू मेरे मुंह के पास लंड लाता हुए बोला “ले मेरी जान मेरा
रस पी ले मजा आ जाएगा.” मैं भी यही चाहती थी इसलिए फ़ौरन उसका लंड अपने
मुंह में ले लिया. राजू ने दो चार धक्कों में ही अपना रस मेरे मुंह में उलट दिया.
उधर जिसने मेरी
चूत में अपना लंड डाल रखा था उसने भी नीचे से धक्के बढ़ा दिए और जल्दी ही मेरी चूत
में उसके वीर्य की बाढ़ आ गई. अब दो लोग बचे थे और मेरी चूत की आग अभी भी नहीं
बुझी थी लेकिन मैं डोगी स्टाइल में खड़े खड़े थक गई थी इसलिए मैं सीट पर पीठ के बल
लेट गई और उन बचे हुए दो लोगों से कहा”
चलो अब तुम दोनों
मेरी चूत में बारी बारी से अपना पानी डाल कर चलते बनो.”
पहले एक ने मेरी
चूत में लंड डाल कर हिलाना शुरू किया. मुझे पूरा मजा जा आ रहा था. यूँ तो मैं अब
तक चार पाँच बार झड़ चुकी थी लेकिन चूत में लंड डलवाने से होने वाली तृप्ति अभी तक
नहीं हुई थी इसलिए मैं जल्दी ही अपने चरम पर पहुँच गई और नीचे लेटे लेटे ही अपने
चूतड़ उछाल उछाल कर लंड अन्दर लेने लगी. “आ..हा. हा.अ.अ.अ. आ.जा..
आ.जा.और अन्दर… आ.जा.चोद.. हरामी…ज़ोर..से.. चोद…आ.ह, आ,आ,,जा,” मैं झड़ने ही
वाली थी कि उससे पहले वो हरामी अपना पानी छोड़ बैठा.मेरी चूत उसके गरम गरम पानी से
भीग गई और मेरा आनंद दो गुना हो गया था और मैं सोच रही थी की ये पाँच दस धक्के और
मार दे तो मैं भी झड़ जाऊं. लेकिन वो ढीला लंड था और उसने झड़ते ही अपना लंड बाहर
निकाल लिया. मुझे उसकी इस हरकत पर बहुत गुस्सा आया और मैं बोली “क्या..हुआ…मादरचोद…चोदा..नहीं..जाता..तो
लंड..खड़ा..करके क्यूँ आ जाते हो..चल अब तू आ जा जल्दी से चोद.”
जो आखरी बचा हुआ
था वो मेरी गाली सुनकर भड़क गया और जल्दी से अपना खड़ा लंड ले कर मेरी चूत के पास
आया और मेरी चूत पर लंड टिकाते हुए बोला ” ले..बहन..की..लौड़ी..अभी..तेर.चूत
का भोसड़ा बनाता हूँ. अगर आज तेरी चूत नहीं फाड़ी तो मेरा नाम भी पंवार नहीं.” उसने जैसे ही
अपना लंड मेरी चूत में डाला वैसे ही मैं समझ गई कि ये वास्तव में खिलाड़ी है. उसका
लंड काफी मोटा और कड़क था. और फ़िर उसने बहुत तेज तेज पेलना शुरू कर दिया. मैं तो
पहले ही झड़ने के करीब थी इसलिए उसका लंड आराम से झेल गई और चिल्लाते हुए झड़ने
लगी,” हाँ..ये..बात… शाबाश…तू..ही…मर्द
र्द..है..रे..फाड़..डाल…तेरे…बाप..का माल.है..और
जोर..से..मैं..आ.. रही..हूँ.. मेरे..राजा… ले..मैं..आ.अ.अ. अ.अ.एई ….आ.ई.इ.इ. अ.ऐ.इ.” और मैं झड़ गई.
लेकिन उसने मेरी चूत की चुदाई बंद नहीं की और उल्टा उसके धक्के बढ़ते चले जा रहे
थे.
अब मेरी नस नस
में दर्द महसूस हो रहा था लेकिन वो ज़ोर ज़ोर से मुझे चोदे जा रहा था. करीब आधे
घंटे बाद वो अपने चरम पर आ गया और बड़बड़ाने लगा “ले…मेरी जान..अब
तैयार हो जा तेरी चूत की प्यास ऐसी बुझेगी ..कि तू भी याद करेगी..”
उसके बात सुनते
ही मैंने सोचा कि ऐसे लंड का पानी तो चूत की जगह मुंह में लेना चाहिए. ये सोच कर
मैंने उससे कहा,” आ मेरे राजा तेरा पानी तो मेरे मुंह में डाल
मुझे पिला दे तेरा पानी..मेरे राजकुमार..”
शायद उसकी भी
इच्छा ये ही थी इसलिए उसने भी मेरी बात सुनते ही चूत में से लंड निकाल लिया और चूत
के पानी से सना हुए लंड मेरे मुंह में ठूस दिया. उसने अपने पूरा लंड मेरे मुंह में
डाल दिया जो मुझे अपने गले तक महसूस होने लगा. मेरा दम घुट रहा था लेकिन मैंने
उसके ताकतवर लंड का आदर करते हुए उसे मुंह से नहीं निकाला और थोडी ही देर में उसने
अपने लंड से दही जैसा गाढ़ा वीर्य निकाला जिसका स्वाद गज़ब का था. मैं उसके रस का
एक एक कतरा चाट चाट कर पी गई और मुझे लगा कि जैसे किसी डिनर पार्टी के बाद मैंने
कोई मिठाई खाई हो.
तो दोस्तों ये थी मेरी ट्रेन स्टाफ से चुदाई की दास्तान. अगली बार इस से भी खतरनाक चुदाई के लिए तैयार रहें और अपने अपने चूत और लंड की मालिश करते रहें.
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