हैल्लो दोस्तों,
आज में आपको अपनी रियल कहानी बता रहा हूँ. ऐसा
शायद ही किसी के साथ हुआ होगा, मेरी उम्र 45 साल
है, मेरी पत्नी के 2 साल काफी
बीमार रहने के बाद उसका देहान्त आज से 1 साल पहले हो गया था. उस समय मेरा लड़का 23
साल का था. अब में सोच रहा था कि मेरे लड़के की शादी कर दूँ, तो घर में बहू घर सम्भालने वाली आ जाये,
लेकिन मेरा लड़का राजनाथ (राजू) शादी के लिए
तैयार ही नहीं हो रहा था.
फिर भी किसी तरह
उसे राज़ी करके 3 महीने पहले उसकी शादी एक सुन्दर लड़की (सुनीता) से हो गई. मेरा
ऑफिस घर के पास था और में घर पर 8 बजे तक आ जाता था और राजू करीब 7 बजे घर आता था.
आज से करीब 3
महीने पहले एक दिन ऑफिस से मेरी 3 बजे छुट्टी हो गई थी. फिर में घर आया और मेरे
पास चाबी थी, तो में उससे मैन
दरवाजा खोलकर घर में अंदर गया. तो मैंने अन्दर देखा कि सुनीता पलंग पर पड़ी हुई थी
और वो नंगी सो रही थी, उसकी साड़ी और
पेटीकोट पलंग पर उसके पास में पड़े हुए थे, उसकी चूत एकदम नंगी दिखाई दे रही थी, उसकी चूत पर इतने बाल थे जैसे उसने कई महिनों से बाल काटे
ही नहीं है, उसकी चूत के नीचे
एक मोटी लम्बी ककड़ी पलंग पर पड़ी थी, ऐसा लग रहा था कि सुनीता सोने से पहले ककड़ी को अपनी चूत में डालकर चोद रही
होगी.
यह सब देखकर मुझे
थोड़ा अजीब सा लगा, सुनीता ऐसा क्यों
कर रही थी? अब सुनीता की चूत को
देखकर मेरा कई साल से सोया हुआ लंड खड़ा हो गया था, आखिर में भी आदमी हूँ कोई हिज़ड़ा तो नहीं हूँ, लेकिन मेरी सुनीता को छूने की हिम्मत नहीं हुई
थी.
अब में अपने
कपड़े बदलकर हॉल में बैठकर अपने खड़े लंड को सहलाने लगा था. फिर थोड़े समय के बाद
सुनीता जागी, उसे उम्मीद नहीं
थी कि घर में कोई है. फिर वो वैसे ही नंगी हॉल में आई और मुझे हॉल में देखकर चौंकी
और घबरा गई, लेकिन उसकी नजर
मेरे लंड पर पड़ गई थी, तो वो भागकर अपने
कमरे में गई और कपड़े पहनकर वापस आई. फिर वो बोली कि पापा आज इतनी जल्दी कैसे?
आपकी ताबियत तो ठीक है ना? तो मैंने उसे जल्दी आने का कारण बताया. तो तब
वो बोली कि चाय बना दूँ. तो में बोला कि नहीं रहने दो, मेरे पास बैठो, तुमसे कुछ बात करनी है.
वो बोली कि क्या
बात है? बोलिए. फिर मैंने उससे
पूछा कि सुनीता तुम शादी के बाद खुश तो होना. तो इतना सुनते ही वो उदास हो गई और
ऐसा लगा जैसे अभी रो पड़ेगी. तब मुझे लगा कि कुछ ना कुछ तो गड़बड़ है. फिर मैंने
पूछा कि क्या राजू से कोई परेशानी है? तो तभी सुनीता बोली कि आज शायद आपने मुझे जिस हाल में देखा इसलिए यह बातें पूछ
रहे है. तो तब सुनीता बोली कि आज आपने पूछ ही लिया है तो आपको सारी बात बता देती
हूँ, आपको सुनकर विश्वास नहीं
होगा, आपके लड़के को लड़की में
कोई रुची ही नहीं है.
तो में कुछ समझा
नहीं और बोला कि जरा खुलकर बताओ. फिर वो बोली कि उसको सिर्फ लड़को में ही रुची है,
हमारे हनीमून पर हम दोनों अकेले नहीं गए थे,
बल्कि अलग से इनके 2 दोस्त भी गए थे, जिसका पता मुझे वहां पहुंचकर लगा था. इनके
दोनों दोस्त का कमरा हमारे कमरे के पास ही था. राजू सारे दिन उनके साथ उनके कमरे
में ही रहता था. फिर तब मैंने पूछा कि में कुछ समझा नहीं, राजू ने ऐसा क्यों किया? जरा खुलकर पूरी बात बताओ.
तब वो बोली कि
हाँ आज खुलकर सारी बातें बताती हूँ, राजू अपने दोस्तों के साथ सेक्स करता है, राजू उनका चूसता है और उनके दोस्त राजू का चूसते है. फिर
मैंने राजू से कहा भी कि चलो अपने कमरे में जैसा तुम चाहते हो, वो में करूँगी. तो तब राजू बोला कि सुनीता
बेकार है, तुम अपने कमरे में जाकर
आराम करो और हमारा मज़ा खराब मत करो, मुझे और मेरे दोस्तो को लड़की में कोई रुचि नहीं है और तो और तुम अगर नंगी भी
हो जाओगी, तो भी ये मेरे दोस्त भी
तुम्हें टच तक नहीं करेंगे.
फिर में उनके
सामने नंगी भी हुई, लेकिन उन तीनों
को कोई फर्क ही नहीं पड़ा था, वो अपने आप में
खेलते रहे, एक दूसरे का चूसना और
सेक्स करते रहे. फिर मैंने पूछा कि राजू तो मुझसे शादी क्यों की? और अब में अपनी जवानी की आग का क्या करूँ?
तो तब वो बोला कि पापा ने परेशान कर रखा था
इसलिए शादी की और तुम चाहे जिसके साथ जो चाहो करो मुझे कोई मतलब नहीं है, होटल में ही कोई मिले और नहीं तो चाहे होटल के
वेटर के साथ कर लो. फिर उनके एक दोस्त ने मुझे केला दिखाकर कहा कि भाभी इस केले से
अपने आप ही कर लो.
अब में बिल्कुल
नंगी थी, लेकिन उन तीनों के लिए तो
जैसे में वहां थी ही नहीं, अब मेरी इससे
ज्यादा बेइज़्जती और क्या हो सकती थी? फिर उस दिन में अपने कमरे में जाकर खूब रोई. अब मेरे दिमाग में कई दिन से अपनी
आगे की जिंदगी के लिए कई विचार घूम रहे है, राजू से तलाक लेकर दूसरी शादी कर लूँ, लेकिन डरती हूँ कि दूसरा लड़का भी अगर ऐसा ही
हुआ तो? बाहर किसी लड़के को पटा
लूँ, लेकिन उसमें बदनामी और
ब्लेकमैल का डर है, मेरी खुदकुशी कि
हिम्मत नहीं होती और खुदकुशी करना कायरपन है. फिर मज़बूरी में अपने आप नकली चीज़ो
के सहारे अपने आपको बहला रही हूँ, लेकिन उससे कब तब
अपने आपको बहलाउंगी? क्या शादी का
मतलब यही है? अब आप ही बोलो
में क्या करूँ?
अब सुनीता की
बातें सुनकर मुझे राजू पर बड़ा गुस्सा आ रहा था. फिर मैंने सोचा कि सुनीता को मुझे
ही चोदना चाहिए, नहीं तो घर की
इज़्जत बाहर लुटेगी इसलिए मैंने सुनीता से खुली बातें करना शुरु किया, ताकि अगर उसका मन मेरे साथ चुदवाने का हो तो
मुझे भी 3 साल के बाद चूत का सुख मिल जाएगा और सुनीता भी बाहर किसी और से चुदवाने
की नहीं सोचेगी. फिर तब में बोला कि नहीं सुनीता घर की इज़्जत को बाहर मत लुटाओ,
सुनीता अगर तुम्हें सही लगे तो क्या हम एक
दूसरे के काम आ सकते है? तो तब सुनीता
बोली कि में कुछ समझी नहीं.
तब में बोला कि
सुनीता देखो जिस चीज के लिए तुम परेशान हो, वही कमी कई बार मुझे भी खलती है, राजू की मम्मी के जाने के बाद 3 साल से में भी अकेला रोज
रात को अपने हाथ से ही काम चला रहा हूँ, अगर तुम चाहती हो कि घर की इज़्जत बाहर ना लुटे और तुम्हारी जरूरत घर में ही
पूरी हो तो हम दोनों एक दूसरे की भूख को मिटा सकते है, अगर तुम्हें एतराज ना हो तो.फिर सुनीता थोड़ी हिचकिचाई,
लेकिन उसने मेरा लंड देख लिया था, तो वो थोड़ी रुककर बोली कि सच्ची अगर आप ऐसा कर
सकेंगे तो मुझे बड़ी खुशी होगी कि मुझे जीने का रास्ता मिल गया.
फिर मैंने उसे
अपने आलिंगन में भर लिया, तो जैसे ही वो
मेरे आलिंगन में आई तो मेरा लंड फिर से तनकर खड़ा हो गया, जो सुनीता के बदन को छू रहा था. फिर सुनीता ने भी सोचा कि
बाहर से तो अच्छा है कि में घर में ही चुदवाऊँ, एक बार की शर्म है फिर तो हमेशा का आराम है और अब सुनीता भी
मेरे बदन से लिपटकर रोने लगी थी. फिर मैंने उसके होंठो पर किस किया और अब वो भी
मेरे होंठो पर किस करने लगी थी.
तब में बोला कि
सुनीता अब तो एक ही रास्ता है कि हम दोनों ही एक दूसरे कि मदद करें, लेकिन अगर राजू को पता चला तो? तो तब सुनीता बोली कि राजू को कुछ फर्क नहीं
पड़ेगा, चाहे उसके सामने ही हम
कुछ भी करें. अब बस मैंने सुनीता का मन भी टटोल लिया था कि वो भी लंड की भूखी थी.
फिर मैंने उसकी टॉप निकाल दी. अब उसके बड़े-बड़े बूब्स उसकी ब्रा फाड़कर आज़ाद
होने के लिए फड़फड़ा रहे थे. फिर मैंने उसकी चूची को उसकी ब्रा के ऊपर से ही जोर
से दबाई, तो उसकी सिसकारी निकल गई,
जैसे पहली बार उसकी चूची को किसी आदमी ने दबाया
हो.
फिर मैंने उसकी
ब्रा भी निकाल दी. अब में उसकी चूचीयां देखकर हैरान रह गया था कि मेरे लड़के को
इतनी मस्त लड़की मिली, फिर भी चूतिया
साला लंडबाज है. अब सुनीता भी अपने आपे से बाहर हो गई थी और मेरे लंड को मेरी
लुंगी के ऊपर से ही पकड़कर दबाने लगी थी. तब मैंने कहा कि सुनीता मेरी लुंगी
निकालकर पकड़ लो, अब क्या शरमाना?
चुदाई करनी ही है तो खुलकर करे. तो सुनीता ने
तुरंत मेरी लुंगी निकाल दी और मेरा लंड पकड़कर मसलने लगी थी. फिर वो बोली कि आपका
तो बड़ा कड़क मोटा है, किसी जवान मर्द
से कम नहीं है. तो तब में बोला कि सुनीता 3 साल से इस लंड ने चूत के दर्शन नहीं
किए है और इसलिए में अपना लंड पकड़कर हिला रहा था, आज तेरी चूत देखकर यह अपने पूरे रंग में आया है. तब सुनीता
बोली कि हाँ पापा में भी अपनी चूत में ककड़ी, केला डालकर चोदा करती थी कि इस चूत की आग कुछ तो शांत हो,
लेकिन फिर सारी रात तड़पती रहती हूँ, आप मेरी आग को शांत कर दो वरना में पागल हो
जाऊँगी.
फिर में बोला कि
सुनीता आज के बाद ना तुम और ना में सेक्स के भूखे रहेंगे और फिर मैंने सुनीता की
साड़ी निकाल दी और फिर उसका पेटीकोट भी निकाल दिया. अब मैंने उसको पूरा नंगा कर
दिया था और खुद भी नंगा हो गया था, उसकी चूत के बाल
काफी बढ़े हुए थे. अब में उसकी चूत के बाल से अपनी उंगली से खेलने लगा था. फिर
मैंने सुनीता की चूत के दाने को धीरे-धीरे मसला. अब सुनीता एकदम गर्म हो गई थी,
उसके मुँह से सिसकारी निकल रही थी. फिर मैंने
नीचे झुककर उसकी चूत पर जोर की पप्पी ली और फिर सुनीता की चूत पर धीरे-धीरे अपनी
जीभ फैरने लगा था.
अब सुनीता की
सिसकारी आह, आहहहहहहह निकल
रही थी. अब सुनीता की सारी शर्म भी ख़त्म हो गई थी. अब वो मेरा लंड अपने मुँह में
लेकर चूसने लगी थी. अब में उसकी चूचीयों को कस-कसकर मसल रहा था और वो मेरा लंड
चूसती रही. फिर में उसे गोदी में उठाकर कमरे में ले गया और अब सुनीता मेरे मुँह
में अपनी जीभ डालकर मेरे होंठो को चूसने लगी थी और मुझे किस करती रही. फिर में उसे
पलंग पर लेटाकर उसके ऊपर चढ़ गया और उसके होंठ, गाल, गर्दन पर लगातार
किस करने लगा था.
अब सुनीता कि
सिसकारी निकल रही थी. अब वो भी मुझे हर एक जगह प्यार कर रही थी. उसने मेरे लंड को
अपने एक हाथ में पकड़ रखा था, जैसे कोई बच्चा
डर रहा हो कि उसका खिलोना कोई छीन ना ले. फिर मैंने धीरे-धीरे नीचे आकर उसकी
चूचीयाँ अपने मुँह में लेकर चूसनी चालू कर दी. अब सुनीता के मुँह से लगातार आह,
उऊह की आवाजे निकल रही थी. फिर मैंने उसके पेट
पर अपनी जीभ रखी, तो तब वो बोली कि
ओह, आप तो बड़े सेक्सी है,
आपको वाकई में लड़की को प्यार करना खूब आता है,
करो और करो.
फिर मैंने उसकी
नाभि पर किस किया और अपनी जीभ से उसकी नाभि को चूसने लगा था. फिर वो बोली कि पापा
गुदगुदी हो रही है और मेरी चूत काफी गीली हो गई है. फिर तब में बोला कि सुनीता
चुदाई भी एक कला है, अच्छी तरह से
पहले खेलना चाहिए ताकि दोनों लोग खूब गर्म हो जाए. फिर सुनीता ने करवट लेकर मुझे
नीचे लेटाकर खुद मेरे ऊपर चढ़ गई और अब वो मेरे सारे बदन को चाटने लगी थी और फिर
धीरे-धीरे नीचे आते हुए मेरे बदन को चूसती हुई मेरे लंड के पास आई और मेरे लंड को
बाहर से चाटने लगी थी.
फिर उसके बाद वो
मेरी गोलियों को चाटने लगी. फिर उससे रहा नहीं गया तो उसने मेरे लंड को अपने मुँह
में ले लिया. अब वो मेरे लंड को चूसने लगी थी और बोली कि पापा एक बार मेरे मुँह
में ही अपना रस छोड़ दो और फिर थोड़ी देर के बाद मेरी चूत को चोदना. तब में बोला कि
सुनीता मेरा रस इतनी जल्दी नहीं निकलने वाला है. फिर तब सुनीता बोली कि वाह पापा
आपमें तो बड़ा दम है. फिर सुनीता ने मेरा लंड अपनी चूत में डालना चालू किया,
लेकिन उसकी बिना चुदी चूत में मेरा मोटा लंड
आसानी से घुस ही नहीं रहा था. फिर मैंने सुनीता को नीचे लेटाया और अब में उसके ऊपर
था.
फिर में सुनीता
से बोला कि मेरा लंड अपने मुँह में लेकर गीला कर दे और थोड़ा थूक लगा, ताकि मेरा लंड चिकना हो जाएगा और तेरी चूत में
जाने में आसानी रहेगी. फिर सुनीता ने मेरा लंड अपने मुँह में लेकर काफी गीला कर
दिया और थोड़ा थूक भी लगा दिया. फिर मैंने उसकी दोनों टांगे काफी फैला दी और सुनीता
ने अपने दोनों हाथ से अपनी चूत को जितना खुल सकती थी खोल दी.
फिर मैंने अपना
लंड उसकी चूत के मुँह पर रखकर एक झटके से उसकी चूत में घुसेड़ा. तो मेरे लंड का
सुपाड़ा जैसे ही सुनीता की चूत में घुसा तो वो चिल्ला पड़ी आह पापा निकाल लो,
मुझे बहुत दर्द हो रहा है, लेकिन मैंने फिर दूसरी बार जोर से झटका मारकर
अपने लंड को उसकी चूत में पूरा घुसेड़ दिया. अब सुनीता दर्द से चिल्ला रही थी. फिर
मैंने अपने लंड को उसकी चूत में पड़ा रहने दिया और सुनीता को किस करने लगा था और
उससे बोला कि अब सुनीता तुम भी प्यार करो, 5 मिनट में दर्द कम हो जाएगा तो तब धक्के मारूंगा. अब सुनीता भी मुझे कसकर
प्यार करने लगी थी.
फिर थोड़ी देर के
बाद मैंने सुनीता की चूत में धीरे-धीरे धक्के मारने चालू किए. अब सुनीता को दर्द
नहीं हो रहा था तो तब वो बोली कि पापा जोर से धक्के मारो, आज मेरी चूत को फाड़ दो, ये कई महीनों की प्यासी है. फिर 15 मिनट तक चोदने के बाद
मेरे लंड का रस निकलने लगा तो तब सुनीता बोली कि पापा बड़ा मज़ा आ रहा है, अपना सारा रस मेरी चूत में ही डाल दो, गर्म-गर्म रस, आह पापा आपने तो आज मेरी चूत की प्यास बुझा दी, आज से में आपकी बीवी हूँ, अब आप ही रोज मेरी चूत चोदना. मेरी सुहागरात
असल में आज मनी है. फिर तब में बोला कि सुनीता सच में मुझे भी यही लग रहा है कि आज
में तुम्हारे साथ सुहागरात मना रहा हूँ. फिर सुनीता बोली कि पापा मुझे लग रहा है
कि हालात में किसी भी रिश्तों कि चुदाई संभव है, जैसे मज़बूरी ने हम दोनों को चोदने का मौका दिया. अब आप मुझे
रोज चोदना, अब में आपका लंड लिए बिना
नहीं रह सकती हूँ.
फिर में और
सुनीता नंगे ही पड़े रहे, अब सुनीता को
चोदकर मुझे ऐसा लगा था जैसे यह मेरी नई सुहागरात है. फिर थोड़ी देर के बाद मेरा लंड
फिर से खड़ा हो गया, लेकिन सुनीता
थोड़ी-थोड़ी सो रही थी. अब में उसकी गोरी-गोरी चूचीयों को अपने हाथ से सहलाने लगा था
और फिर उसकी चूचीयों के ऊपर धीरे-धीरे अपनी जीभ फैरने लगा था. उसकी जवान कड़क चूची
आह कसम से कोई हिज़ड़ा ही होगा जिसका लंड खड़ा ना हो जाए.
फिर मुझसे रुका
नहीं गया तो मैंने उसकी चूचीयों क़ो चूसना चालू किया. फिर सुनीता भी जाग गई और बोली
कि पापा क्या हुआ? आपका लंड तो फिर
से मूसल जैसा कड़क हो गया है. फिर तब में बोला कि हाँ सुनीता आज तुम्हारी और मेरी
सुहागरात जो है, तेरी माँ क़ो
सुहागरात में 3 बार चोदा था, आज तेरे साथ
सुहागरात है तो तुझे भी 2-3 बार चोदूंगा. फिर तब वो बोली कि सच पापा, फिर तो में आपकी गुलाम हो जाऊँगी. तो में बोला
कि अब दूसरी स्टाइल से चोदते है. तो सुनीता बोली अब में आपके ऊपर चढ़कर चोदूंगी,
अब मेरी चूत में आपका लंड आराम से घुसेगा और अब
सुनीता मेरे ऊपर चढ़ गई थी.
फिर उसने मेरे
लंड क़ो चूसकर गीला किया और मेरे लंड के ऊपर अपनी चूत क़ो सेट किया तो तब मैंने नीचे
से एक जोर का धक्का दिया तो मेरा पूरा लंड सुनीता की चूत में चला गया. फिर मैंने
उसकी दोनों चूचीयां अपने दोनों हाथों में पकड़ी और अब सुनीता धक्के देने लगी थी. अब
सुनीता की सिसकी से ऐसा लग रहा था कि उसे स्वर्ग का आनंद मिल रहा है.
हमारे कमरे का
दरवाजा खुला ही पड़ा था, तो तभी ऐसा लगा
जैसे कोई दरवाजा खोल रहा था और मेरा लंड डर के कारण सिकुड़ गया था. फिर देखा तो
सामने मेरा लड़का खड़ा था. अब मुझे बड़ी शर्म आ रही थी, लेकिन सुनीता तो बिंदास मेरे ऊपर लेटी ही रही. फिर वो राजू
से बोली कि देख मुझे चोदने वाला मिल गया, तू जाकर अपने दोस्तों से गांड मरा. अब सुनीता क़ो शर्म तो छोड़ो राजू क़ो चिढ़ाने
में बहुत मज़ा आ रहा था, क्योंकि उसकी भी
राजू के दोस्तों के सामने बेइज़्ज़ती हुई थी. अब मानो वो उसका बदला ले रही थी.
फिर वो राजू से
बोली कि अब में पापा के साथ उनके रूम में ही सोया करुँगी, तूने तो मेरी कदर नहीं की और मेरा लंड राजू क़ो दिखाने लगी
और बोली कि देख भोसड़ी के तेरे बाप का लंड तेरे लंड से लम्बा और मोटा है, आज पापा मुझे 3-4 बार चोदने वाले है, तू बाहर जाएगा या तेरे सामने ही चुदाई करें,
अगर तुझे हमारी चुदाई देखनी हो तो आराम से
बैठकर देख जैसे मेरे सामने तू अपने दोस्तों के लंड चूस रहा था, गांड मरवा रहा था, वैसे ही आज में पापा का लंड चूसूंगी और पापा क़ो हर तरह से
चोदने दूंगी और सुन मेरा हनीमून अब पापा के साथ होगा.
अब हम दोनों 4
दिन के लिए हनीमून मनाने जा रहे है, तुझे चलना हो तो अपने गांडू दोस्तों से पूछ लेना. अब वो पूरी बेशर्म होकर हर
तरह से राजू की बेइज़्ज़ती कर रही थी और उसे बदला लेने में बड़ा मज़ा आ रहा था.
फिर सुनीता ने
मेरे सोए हुए लंड को अपने मुँह में लेकर चूसना चालू किया और मेरे पूरे बदन पर
प्यार से अपना एक हाथ फैरती रही. फिर सुनीता ने मेरे लंड के बाद मेरी गोलियाँ चूसी,
तो मेरा लंड घोड़े के जैसा खड़ा हो गया. अब
सुनीता ने मेरे लंड को अपनी भोसड़ी में डाला तो यह देखकर राजू शर्म के मारे कमरे से
बाहर चला गया. अब सुनीता धक्के दे रही थी. अब में भी नीचे से अपनी गांड उठा- उठाकर
धक्के देने लगा था. अब सुनीता बड़ी खुश थी, क्योंकि उसे भी लंड मिल गया था और राजू की बेइज़्ज़ती करने का मौका भी. अब ऐसा
लग रहा था सुनीता मेरी बहू नहीं मेरी बीवी है.
फिर मैंने सुनीता
को बताया कि शुक्रवार से सोमवार तक ऑफिस की छुट्टी थी. मेरी 4 दिन की छुट्टी है
हनीमून चलेगी. तो वो तो एकदम से मेरे चिपक गई और जोर-जोर से किस करने लगी और बोली
कि पापा में तो कब से इंतज़ार कर रही हूँ? हम दोनों वहां दिन रात चुदाई करेंगे, में अपने लिए सेक्सी कपड़े ले आउंगी, हाँ आपके लिए कुछ लाना हो तो बता दो. फिर तब मैंने कहा कि मेरे लिए कुछ नहीं
लाना, तुम अपने लिए सेक्सी
नाइटी, ब्रा, चड्डी जरूर ले आना.
फिर हम दोनों
मुनार की बढ़िया होटल में गए और एक कमरा लिया. अब इसे में अपना दुर्भाग्य कहूँ या
सौभाग्य. अब जैसे ही में कमरे का दरवाज़ा खोल रहा था तो सामने से मेरा जीजू (रमेश)
दिखाई दिया, उनका कमरा हमारे
कमरे के सामने ही था. तभी वो बोला कि बेटे बहू के साथ घूमने आए हो. तो तब मेरी तो
बोलती ही बंद हो गई. फिर वो बोला कि आपका बेटा नहीं दिख रहा है. अब में कैसे चुप
रहता?
मैंने बोल दिया
कि उसे जरुरी काम से कंपनी ने लंदन भेजा हुआ है. अब वो बड़ी शक की नज़र से मुझे
देखने लगा था. फिर जब वेटर हमारा सामान रखकर चला गया, तो रमेश ने पूछा कि तुम बहू के साथ अकेले एक ही कमरे में
सोओगे? क्या चक्कर है? तो तब में बोला कि नहीं कोई ऐसी वैसी बात नहीं
है, बहू बोली कि छुट्टी है तो
घूमकर आते है बस और फिर हम अपने कमरे में आ गए. फिर हमने चाय नाश्ता का आर्डर
दिया. तभी सुनीता बोली कि पापा नाश्ता आने में टाईम लगेगा, इतने आप मेरी चूत के बाल काट दो. तब में बोला कि सुनीता वो तो
ठीक है, लेकिन अब तुम मुझे पापा
नहीं जानू बोला करो ना.
अब हम दोनों
बाथरूम में नंगे थे और फिर मैंने सुनीता की चूत के बाल की शेविंग चालू की. अब
सुनीता मेरे लंड से खेलकर उसे खड़ा कर रही थी. फिर तभी इतने में घंटी बजी, तो तब सुनीता बोली कि आप टॉवल लपेटकर वेटर से
ट्रे ले लो.
जैसे ही मैंने
कमरे का दरवाजा खोला, तो सामने रमेश
खड़ा था और वो कमरे में घुस आया. फिर तभी सुनीता ने आवाज़ दी जानू वेटर गया हो तो
जल्दी से आओ. तो तभी रमेश बोला कि अब बोलो ससुर बहू जानू? और फिर रमेश ने अपने मोबाईल में मेरी फोटो खींच ली और झट से
बाथरूम का दरवाजा खोलकर नंगी सुनीता की भी फोटो खींच ली और फिर आराम से पलंग पर
बैठ गया.
उसने आवाज लगाई
ससुर की जानू बाहर आ जा, अब में सब समझ
गया हूँ, साले साहब यार आपकी बहू
तो बड़ी मस्त माल है, इसकी चूत तो मुझे
भी चाहिए. फिर तभी में बोला कि यह क्या बोल रहे हो? तो रमेश बोला कि अगर ना करोगे तो में सबको फोटो दिखा दूंगा,
तेरे बॉस को भी और फिर समझो तेरी तो नौकरी गई
और समाज में इज़्ज़त भी. अब सुनीता सब सुन रह थी. अब हम दोनों फंस चुके थे.
फिर रमेश नंगा
हुआ और बाथरूम में घुस गया और बोला कि हाए सेक्सी बेबी और फिर उसने सुनीता को अपनी
बाँहों में जकड लिया. अब सुनीता भी नंगी थी. फिर सुनीता बोली कि यह आप क्या कर रहे
हो फूफा जी? अब रमेश का लंड
सुनीता की चूत से सटा हुआ था और वो सुनीता को कसकस किस कर रहा था. अब सुनीता किसी
तरह से अपने आपको छुड़ाने के लिए तड़प रही थी.
तभी में चिल्लाया
जीजू सुनीता को छोड़ दो, वरना में अभी
रीना (मेरी छोटी बहन और रमेश की बीवी) को बुलाकर तेरी हरकत दिखता हूँ. तो तभी रमेश
हँसने लगा और बोला कि जाओ जाकर बुला लाओ. मुझे लगा कि वो खाली मुझे चूतिया बनाने
के लिए बोल रहा है, इसकी बीवी आएगी
तो इसकी गांड फट जाएगी. फिर में अपनी टी-शर्ट और लुंगी पहनकर सामने वाले रमेश के
कमरे में गया. अब रीना सिर्फ पारदर्शी नाईटी में थी, उसमें से उसकी चूचीयाँ साफ दिखाई दे रही थी, मोटे-मोटे बूब्स के ऊपर काले निप्पल और नीचे
चूत भी काफी कुछ दिखाई दे रही थी.
फिर भी उसने
छुपने की कोशिश ही नहीं की, रीना 40 साल की
है, लेकिन बहन की लोड़ी 29-30
साल जैसी ही दिखती है. फिर में रीना से बोला कि जरा मेरे कमरे में आकर देखो,
जीजू क्या कर रहे है? तो वो बोली कि क्या बात है भैया? तो में बोला कि तुम चलकर खुद ही देख लो.
फिर में उसको
अपने कमरे में लेकर आया, तो तब उसने पूछा
कि कहाँ है रमेश? तो में बोला कि
बाथरूम में है. फिर रीना ने बाथरूम का दरवाजा खोला तो देखा कि रमेश सुनीता को अपनी
बाँहों में पकड़कर किस किए जा रहा था और अपने लंड को सुनीता की चूत पर रगड़ रहा था.
अब सुनीता उसकी पकड़ से निकलने की पूरी कोशिश कर रही थी, तो तभी वो थोड़ी चौंकी.
रीना ने मुझसे
पूछा कि भैया यह सब क्या है? आप दोनों अकेले
यहाँ आए हो, राजू नहीं आया
क्या? तो मज़बूरी में मैंने सारी
बात रीना को बताई. फिर रीना बोली कि ओह माई गॉड यानि ससुर बहू चुदाई करते है,
फिर अगर फूफा भी चोद लेगा तो क्या फर्क पड़ेगा?
तो में चकरा गया, ये कैसी बीवी है? जिसका पति दूसरी लड़की को चोद रहा है और उसे कोई फर्क ही नहीं पड़ रहा है. फिर
वो बोली कि भैया इतनी सुन्दर कड़क जवान लड़की को देखकर कौन छोड़ देगा? और हाँ आप इसका बदला ले लो सिम्पल. तो में कुछ
समझा नहीं बदला कैसे लूँ?
फिर तब रीना बोली
कि आप भी ना बड़े सीधे बन रहे हो, मुझे ही सब कहना
पड़ेगा क्या? वो आपकी लड़की को
चोद रहा है तो आप उसका बदला मुझसे ले लो और फिर वो रमेश से बोली कि बाहर आकर आराम
से पलंग पर इस लड़की को चोदो और भैया आप इसका बदला मुझसे लेंगे. फिर तभी रमेश बोला
कि लेने दो ना बदला, तू भी तो इससे
चुदाने को मरी जा रही है, चुद ले बहन की
लोड़ी.
रमेश सुनीता को
खींचकर रूम में ले आया तो तभी रीना बोली कि रमेश तू इसकी चूत मार और भैया आप बदले
में मेरी चूत मारेंगे. अब रीना अपना पारदर्शी गाउन उतारकर पूरी नंगी हो गई थी,
उसने ब्रा चड्डी कुछ नहीं पहन रखा था. फिर तभी
में बोला कि रीना यह क्या कर रही है? तो तब उसने पुरानी बात बतानी शुरू की. फिर रीना ने पुरानी बातें बतानी शुरू
की. भैया हमारे घर में सिर्फ एक ही कमरा था, आपकी शादी के बाद में आपके कमरे में ही सोती थी और रोज रात
को सोने का बहाना करके आप दोनों की चुदाई देखा करती थी.
एक बार जब भाभी
पीरियड से थी तो तब भाभी साईड में सोई थी और में बीच में. फिर जब आप कमरे में आए
तो तब लाईट नहीं आ रही थी और आप अँधेरे में मेरे पास लेट गए थे. आपने समझा आपके
पास भाभी सो रही है और फिर आपने मेरी चूचीयां दबानी शुरू कर थी. आपको पता था कि
भाभी पीरियड से है, तो आप चूत तक
अपना हाथ नहीं लेकर गए और धोखे में मेरे पूरे बदन को मसलते रहे. फिर आपने मेरा हाथ
पकड़कर अपना लंड मेरे हाथ में दे दिया था. मुझे बड़ा मज़ा आ रहा था, क्योंकि रोज में आपके लम्बे लंड को सिर्फ देखती
ही थी और उस दिन आपका लंड मेरे हाथ में था.
फिर में आपके लंड
को मसलती रही, लेकिन उस दिन
आपका लंड अपनी चूत में नहीं डाल सकती थी, क्योंकि फिर आपको पता चल जाता कि में आपकी बीवी नहीं रीना हूँ, लेकिन आपका हथोड़े जैसा लंड मैंने अपने मुँह में
लेकर खूब चूसा था, लेकिन मेरी चूत
छटपटा रही थी और फिर आप मेरे मुँह में अपना वीर्य रस निकालकर सो गए थे, लेकिन में सारी रात अपनी चूत मसलती रही और सोच
रही थी कि किसी दिन मौका मिले और आप मुझे चोदो. उस दिन मैंने सोच लिया था कि अगर
मैंने अपनी चूत आपके लंड से नहीं चुदाई तो मेरा नाम भी रीना नहीं. अब सच पूछो तो
में भी अपनी बहन रीना की शादी से पहले उसे चोदने के सपने देखा करता था, लेकिन मेरी कभी हिम्मत नहीं हुई, अगर मुझे पता होता कि वो भी मेरे लंड से चुदना
चाहती है तो मैंने उसे तो कई बार चोद दिया होता.
फिर रीना ने मेरे
भी कपड़े निकालकर मुझे नंगा कर दिया. अब रीना मेरे लंड को अपने मुँह में लेकर चूसने
लगी थी और मेरी गोलियों को अपने हाथ से मसल रही थी, ताकि मेरा लंड खड़ा हो जाए. फिर रीना बोली कि भैया तुम भी ना
चूतिया नंदन हो, मेरी चूत तेरी
बहू चाटेगी क्या? बस फिर क्या था?
फिर में रीना के ऊपर 69 पोजीशन में चढ़ा और उसकी
चूत पर अपनी जीभ फैरने लगा था.
रीना ने मेरा लंड
अपने मुँह में लेकर चूसना चालू किया. फिर उधर सुनीता ने सोचा कि जब भाई बहन चुदाई
कर रहे है, तो फूफाजी से चुदाने में
काहे कि शर्म? कहाँ तो एक लंड
के लिए तड़प रही थी और यहाँ दो लंड मिल रहे है. तभी वो बोली कि फूफा जी जब भाई बहन
चोद रहे है, तो फिर में क्यों
शर्म करूँ? ले लो मेरी चूत, चोद दो मुझे, राजू ने तो आज तक मेरी चूत को देखा तक नहीं, साला लंडबाज. तभी रमेश बोला कि वाह ससुर जानू
और में? बहन कि लोड़ी तू मुझे जीजू
ही बोल. तो तभी सुनीता बोली कि मेरे जानू का जीजू तो मेरा भी जीजू, ओके मेरे प्यारे जीजू, आज ये सलहज आपकी ही है, अब तो सुनीता रमेश का चुदाई में पूरा साथ देने लगी थी.
फिर वो रमेश के
ऊपर चढ़कर उसके पूरे बदन को प्यार करने लगी. अब में अपनी बहन कि चूत चाट रहा था और
बोला कि रीना तेरी चूत तो काफी गीली हो गई है. फिर तभी रीना बोली कि हाँ भैया,
अब मेरी चूत में अपना लंड डालो ना. तब मैंने
रीना को घोड़ी बनाकर पीछे से उसकी चूत में अपना लंड घुसेड़ा. अब रीना को बड़ा मज़ा आ
रहा था, तो तभी वो बोली कि भैया
जोर-जोर से धक्के मारो, आपका लंड तो बड़ा
लम्बा मोटा है, फिर मैंने अपने
धक्को की स्पीड बढ़ा दी.
फिर हम चारो जने
कस-कसकर चुदाई में व्यस्त हो गए. तो तभी रीना बोली कि भैया अपने लंड का रस मेरी
चूत में मत छोड़ना, जब आपका निकलने
वाला हो तो अपना लंड मेरे मुँह में दे देना, मेरी चूत में छोड़ा तो मेरे पेट में आपका बच्चा ठहर जायेगा.
अब मुझे सुनीता की भी सेक्सी-सेक्सी सिसकी सुनाई दे रही थी. अब वो धीरे-धीरे बोल
रही थी कि जीजू जोर से चोदो और अपने लंड का रस मेरी चूत में ही छोड़ना, बच्चा हुआ तो भी क्या डर है? में शादीशुदा हूँ, चाहे मेरे जानू का हो या मेरे नए-नए जीजू का. अब जीजू जब भी
मौका मिले तो घर आ जाना, आपकी सेवा में यह
चूत हमेशा हाज़िर है.
फिर इस चुदाई के बाद तो जैसे हमारी जिन्दगी ही बदल गई. अब ना तो सुनीता के पास लंड की कमी है और ना ही मेरे पास चूत की. आज भी हम सब ग्रुप बनाकर चुदाई करते है, जिसमे सभी को बड़ा मजा आता है.
0 Comments:
एक टिप्पणी भेजें