दोस्तो, मेरा नाम राहुल गुप्ता हैं, उम्र 24 साल, अभी मेरी शादी नहीं हुई हैं। मेरे परिवार में 7 लोग हैंं।
मैंं, मेरा भाई, मेरे माँ-बाप, भाभी और भाभी के दो बच्चे।
मेरी भाभी का
फिगर 36-30-38 एकदम कामुक लगती हैंं। उनका रंग गोरा हैं, उम्र 28 के करीब होगी।
यह कहानी नहीं,
सच्ची घटना हैं जो आप के साथ भी कई बार घटी
होगी।
बात एक साल पहले
की हैं,
गर्मियों का मौसम
था, हम सब छत पर सोते थे।
मैंं छत पर खाट
बिछा कर सोता था और सभी लोग छत पर बिस्तर बिछा कर सोते थे। मेरी भाभी मेरे पलंग के
बाएं ओर नजदीक ही सोती हैंं। वो बहुत गहरी नींद में सोती हैंं।
एक दिन जब हम सभी
छत पर सो रहे थे।
लगभग रात को एक
बजे मेरी नींद खुली, मुझे प्यास लगी
थी, मैंंने सोचा कि पानी पीकर
फिर से सो जाता हूँ।
मैंंने अपनी बाएं
तरफ जैसे ही उतरने को हुआ तो देखा मेरी भाभी का ब्लाउज खुला हैं और पेटीकोट ऊपर को
खिसक गया हैं। भाभी अन्दर ब्रा और नीचे पैन्टी नहीं पहने थीं इसलिए दोनों मम्मे
बाहर लटक रहे थे।
भाभी करवट लेकर
सो रही थीं इसलिए उनकी पूरी पिछाड़ी दिख रही थी। चाँद की रोशनी बहुत तेज़ होने से सब
साफ नजर आ रहा था। ये देख के मेरे होश उड़ गए।
मैंंने सोचा
क्यों न मैंं भाभी का ब्लाउज ठीक कर दूँ ,
और पेटीकोट नीचे
कर दूँ। मैंंने इधर-उधर देखा कहीं कोई देख न ले वर्ना क्या सोचेगा_!
इसलिए मैंंने
अपनी खाट को आहिस्ता से खड़ा किया और भाभी के बाईं ओर लगा दिया जिससे मैंं और भाभी
किसी और को न दिखें। अब मैंं भाभी के नजदीक गया तो मेरे मन में वासना सवार होने
लगी। मेरा लंड भी खड़ा हो चुका था।
मैंंने सोचा
क्यों न थोड़ा भाभी के अंग को छूकर देखूँ।
मैंंने उनके
मम्मे को हल्के से दबाना शुरू कर दिया। मुझे मजा आने लगा तो मैंंने उनके चुचुकों
को चुसना चालू कर दिया।
भाभी अभी तक सोई
हुई थीं। उनके मम्मे में से थोड़ा दूध निकल रहा था।
धीरे-धीरे मैंंने
उनकी नाभि को चुम्बन किया।
फिर धीमे-धीमे
नीचे चुत पर आ गया।
लेकिन भाभी करवट
लेकर सो रही थीं, इस वजह से चुत
साफ नजर नहीं आ रही थी।
मैंंने भाभी को
पीछे जाकर हल्का सा ताकत लगा अपनी ओर खींचा। भाभी अभी तक कुम्भकरण की तरह सो रही
थीं।
मैंंने उनकी
दोनों टाँगों को थोड़ा फैलाया और बीच में खुद बैठ गया।
हाय… उनकी चुत
एकदम गोरी और
बिना झांटों के थी_ शायद उसी दिन
झांटे साफ़ की थीं_!
मैंंने चुत की
दोनों पंखुरियों को अपने उंगली से खोला तो देखा चुत अन्दर से गुलाबी थी, छोटा सा छेद था, ऊपर एक मूँगफली के दाने की तरह एक दाना था।
मैंं अपनी जीभ से
उसे चाटने लगा। दस मिनट बाद चुत चाट-चाट कर बिल्कुल गीली हो चुकी थी और मैंं भी
बहुत गरम हो चुका था। मैंंने अपनी चड्डी उतारी और अपना 6.7 इंच का लंड हल्के से
भाभी की चुत में घुसेड़ने लगा।
आधा लंड अन्दर
जाते ही भाभी करवट लेने लगीं, मैंं तुरंत उठकर
एक तरफ बैठ गया।
मेरी तो डर के
मारे गांड फट के हाथ में आ गई।
मैंंने थोड़ी देर
इंतज़ार किया फिर भाभी के पीछे जाकर उनकी चुत में अपना लंड डालने लगा। चुत टाँगों
के बीच दब गई थी, सो लंड बहुत
फंस-फंस कर अन्दर जा रहा था। दो बार लंड फिसल कर इधर-उधर गया, लेकिन तीसरी बार में अन्दर चला गया।
अब मैंंने झटके
से अपना पूरा लंड भाभी की चुत में डाला, तो मैंंने देखा कि भाभी की तरफ से कुछ प्रतिक्रिया हुई उन्होंने अपनी मुट्ठी
कसके बंद कीं।मुझे लगा शायद भाभी जाग गई हैंं।
मैंंने यह देखने
के लिए के भाभी जागी हैंं या नहीं, उनके पपीतों पर
हाथ रखा और जोर से लंड की चोट मारी।
उनकी धड़कनें तेज़
चलने लगी थीं, मैंं समझ गया कि
भाभी जानबूझ कर कुम्भकरण जैसी नींद का ड्रामा कर रही हैंं, उन्हें भी मजा आ रहा था।
यह देख मेरा डर
और झिझक दोनों खत्म हो गए।
अब तो मैंंने
भाभी को कस के पकड़ा और चुत में ज़ोर-ज़ोर से चोट मारने लगा।
कहीं मुँह से
आवाजें नहीं निकल जाएँ, भाभी ने अपने
दोनों होठों को अन्दर की ओर कस के दबा लिया।
थोड़ी देर में
भाभी झड़ गईं लेकिन मैंं अभी भी धकापेल करने में लगा हुआ था।
करीबन दस मिनट
चोट देने के बाद मैंं झड़ने लगा तो मैंंने आहिस्ता से भाभी के गालों को पकड़ा और
बाएं तरफ से अंगूठे और दायें तरफ से उंगली से गालों को दबाया तो भाभी का मुँह खुल
गया।
मैंं खड़ा हुआ और
अपना माल उनके मुँह में उड़ेल दिया, सारा माल मुँह
में चला गया। थोड़ा बहुत गालों से बह भी रहा था।
मैंंने भाभी के
कपड़े सही किए,
ब्लाउज के बटन
लगाए और तुरंत खड़ा हुआ, चड्डी पहनी और
पानी पी कर अपनी चारपाई बिछा कर लेट गया।
भाभी अभी भी
कुम्भकरण की एक्टिंग कर रही थीं। थोड़ी देर बाद अपने हाथों से अपने गालों से बहता
मेरा वीर्य चुपके से उंगली से चाटने लगीं और तृप्त होकर सोने लगीं।
सुबह हुई तो मेरी
फट तो रही थी। मैंं भाभी के सामने नहीं आ रहा था।
यह देख कर भाभी
ने मुझे आवाज लगाई, “राहुल खाना लगा
दिया हैं, खा लो_!”
और वो मुझे खाना
परोसने लगीं और सामान्य तरीके से बात करने लगीं, जैसे उन्हें कुछ पता ही नहीं कि उनके साथ क्या हुआ हैं_!
मैंंने डरते हुये
उन पर एक कमेंट किया।
मैंंने कहा- भाभी
आप की नींद बहुत गहरी हैं_! मैंंने आप से रात
में पानी मांगा तो आप उठी ही नहीं_!
तब भाभी मुझे
चुतिया बनाती हुई बोलीं- क्या करें देवर जी, हम तो कुम्भकरण हैंं_ कोई सोते में हमें मार के भी चला जाएगा तो हमें पता भी नहीं
चलेगा_ फिर आपको पानी देना तो
दूर की बात रही_ हमें नहीं पता कब
आपने पानी मांगा हम तो गहरी नींद में सो रहे थे।
मैंं समझ गया कि
भाभी मुझे बेवकूफ बना रही हैंं ताकि मैंं ये सब फिर करूँ।
इस तरह भाभी का
जब-जब चुदवाने का मन होता वो अपना पेटीकोट ऊपर करके और ब्लाउज खोल कर सो जाती थीं
और मैंं उसे अलग-अलग तरीके से चोदता था।
मैंं एक साल में
अभी तक भाभी को 45 से ज्यादा बार चोद चुका हूँ। कई बार तो सीधे उसके ऊपर चढ़ कर
चोदा हैं पर वो साली अभी तक कुम्भकरण बनने का नाटक करती हैं।
दोस्तो, मेरी ये सच्चे तजुर्बे की कहानी कैसी लगी, मुझे जरूर बताइएगा।
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