मेरा नाम पीहू है
और मैं वाराणसी का रहने वाला हूँ. मेरी उम्र 20+ है. मैं 5 फुट 9 इंच वाला सिक्स
पैक वाला एक स्मार्ट बंदा हूँ. ऐसा लोग कहते हैं कि मेरी आँखों में एक अजीब सी
कशिश है जो लड़कियों को अपनी तरफ बरबस ही आकर्षित कर लेती है. शायद इसीलिए मैं
लड़कियों और भाभियों को खुश कर पाता हूँ.
उन सब भाइयों और
भाभियों को धन्यवाद, जिन्होंने मेरी
पिछली कहानी पढ़ी और मुझे मेल किए. इस बार मुझे चुदाई किए हुए काफी टाइम हो गया था.
इस बीच मैंने अपने दोस्त की विधर्मी गर्लफ्रेंड को कैसे पटा कर चोदा था, वो कहानी भी बताने का मन है लेकिन वो बाद में
लिखूंगा.
आज मैं फिर आपको
अपनी सच्ची दास्तान लिखने जा रहा हूँ, जो शतप्रतिशत सही है. मुझे बड़ी और खूबसूरत लड़कियों के साथ सेक्स करने में बहुत
मज़ा आता है. अपनी ये सेक्स स्टोरी भी ऐसी ही है.
ये सेक्स स्टोरी
मेरी और मेरी मौसी के लड़के की बीवी की है, जिन्हें मैं भाभी कह कर बुलाता हूँ. वो दिखने में काफी सुन्दर हैं. जब वो
वाराणसी आती हैं, तो मेरे सारे
दोस्त भाभी की जवानी के नाम पर मुठ मारते हैं. वे साले सब मुझसे रोज़ उनकी गांड का
उसके फिगर का फोटो मांगते थे पर मैं नहीं देता था क्योंकि किसी लड़की की इज़्ज़त ही
उसका सब कुछ होता है. फिर भी मेरे दोस्त किसी ना किसी बहाने से भाभी को देखते थे
और उनकी उठी हुई गांड का फिगर देख मुठ मारते थे.
बातों बातों में
मैंने आपको भाभी कि फिगर तो बताया ही नहीं. उनका फिगर 36-34-40 था, वो देखने में किसी गदरायी हुई हीरोइन से कम
नहीं थीं. साथ ही एटीटियूड तो भाभी का बड़ा गजब का था, वे किसी को भी भाव नहीं देती थीं. भाभी पर जवानी का पूरा
नशा छाया हुआ था.
बात आज से कुछ
दिन पहले की है. जब मुझे दिल्ली में अपनी मौसी के लड़के यानि अपने बड़े भैया के घर
जाना था. उस वक्त भैया को किसी काम से बंगलोर जाना था और भैया ने कहा था कि पीहू
तुम दिल्ली आ जाओ. दिल्ली घूम भी लेना और भाभी के साथ रह भी जाना.
ऐसा उन्होंने
मुझसे कहते हुए बताया था कि भाभी रात में बहुत डरती थीं.
मैंने अपने मम्मी
पापा से बात करके वाराणसी से दिल्ली के लिए ट्रेन पकड़ी और अगली सुबह दिल्ली पहुंच
गया. स्टेशन पर मुझे लेने ड्राइवर आया हुआ था. मैंने रास्ते में कार रोक कर भाभी
के लिए केक ले लिया.. क्योंकि लड़कियों को चॉकलेट और केक बहुत पसंद आते हैं.
घर पहुंच कर
मैंने भैया को नमस्ते किया, तब तक भाभी भी आ
गयी थीं. भाभी काले रंग के सूट में जबरदस्त माल लग रही थीं. मैंने भाभी को नमस्ते
कहा और गिफ्ट दे दिया. गिफ्ट देख कर भाभी बहुत खुश हो गईं.. और उन्होंने एक
कातिलाना मुस्कुराहट के साथ घर में वेलकम किया.
फिर हम लोगों ने
साथ मिलकर केक खाया. कुछ देर ऐसे ही बातें करते करते हंसी मजाक चलता रहा. फिर भाभी
रसोई में चली गईं. मैं भी हाथ धोने रसोई में चला गया. जैसे ही मैं हाथ धोकर वहां
से जाने लगा, तो मेरी जांघ से
भाभी की गांड रगड़ खा गयी. पर भाभी बिना कुछ प्रतिक्रिया किए सामान्य भाव से ही खड़ी
रहीं. वहां पर उनकी गांड की रगड़ से मैं पूरा का पूरा गर्म हो चुका था.
शाम में भैया आये
और एक घंटे में वो और मौसी सभी लोग बंगलौर चले गए.
घर में बस मैं और
भाभी रह गए थे. वहां एयरपोर्ट सी ऑफ करने के बाद मैं और भाभी दिल्ली के एक मॉल में
कुछ शॉपिंग करने लगे. जहाँ मैंने बीच बीच में भाभी के गांड के उभार दबा दिया करता
था, पर भाभी कुछ नहीं बोल रही
थीं, ना ही दूर हट जाने के लिए
हिलती थीं. जिससे मेरा हौंसला और भी बढ़ जाता था. इस तरह एक बार तो मैंने हद ही कर
दी. भाभी कुछ सामान लेने के लिए झुकीं और मैंने अपना हाथ ले जाकर उनकी सलवार पर
रखा कर हल्का सा दबाते हुए चूतड़ मसल दिया. इस बार भाभी ने मेरी तरफ देखा, तो मैं नीचे सर किए आगे चल दिया.
कुछ देर बाद भाभी
ने ड्राइवर को कार लाने के लिए बोला और मेरे साथ कॉफ़ी पीने पास के रेस्टोरेंट में
चल दीं. इधर वो मेरे पास सट कर बैठी थीं, जिससे उनकी जांघ मेरी जांघ से सटी हुई थी. इस बार ये हरकत खुद भाभी की तरफ से
हुई थी और उनके ऐसे करने से मेरा लंड मेरे पैन्ट में तम्बू बना रहा था. जिसे शायद
भाभी ने भी देख लिया था. मैं भी कहां रुकने वाला था, मैं भी बात करते करते भाभी कि चूचियों को अपनी कोहनी से दबा
दिया करता था.
फिर कॉफ़ी पीने के
बाद हम दोनों कार से घर आ गए. अब तक अंधेरा हो गया था, पर दिल्ली की सड़कें इस वक्त मुझे बहुत प्यारी लगा रही थीं.
घर आकर मैंने ड्राईवर के साथ मिलकर सारा सामान ले जाकर भाभी के कमरे में रख दिया
और भाभी भी कपड़े बदलने चली गईं. मैं भी अपने कपड़े चेंज कर हॉल में जाकर टीवी देखने
लगा.
कुछ देर बाद भाभी
एक परपल कलर की नाइटी पहन कर बाहर आईं, जिसमें उनके चूचे और गांड के पहाड़ बहुत ही बड़े बड़े लग रहे थे. वो भी बहुत
सुन्दर लग रही थीं.
मैंने तुरंत भाभी
को बोल दिया- वाऊ.. भाभी आप बहुत प्यारी लग रही हैं इस ड्रेस में..
भाभी हंस कर चली
गईं.
भाभी की लचकती
गांड को देखकर मुझसे रहा नहीं गया. अगले ही पल मैंने वहां से बाथरूम में जाकर भाभी
के नाम पर मुठ मार दी, जिससे मेरे
अंडरवियर पर लंड का पानी लग गया. मैंने अपना अंडरवियर उतार दिया और सिर्फ अपना
पैन्ट पहन कर वैसे ही बाहर आ गया. उस वक्त भाभी भी हॉल में खड़ी मुझे देख रही थीं.
मेरा लंड अब भी वैसे ही मेरे पैन्ट में तम्बू बनाए था. भाभी ने जब लंड की तरफ देखा,
तो वे अपना मुँह उधर करके हंसने लगीं.
मैं फिर इस बार
भाभी के गांड को रगड़ते हुए चला गया. इस बार भाभी को भी पता चल गया और वो एकाएक पलट
कर मुझे देखने लगीं.
मैंने पूछा- क्या
हुआ?
तो वो कुछ नहीं
बोल कर रसोई में खाना बनाने चली गईं. मैं भी वहीं सामने बैठकर टीवी देखने लगा. बीच
बीच में मैं भाभी को भी देखने लगता और कभी कभी भाभी से मेरी आँख भी टकरा जाती थी,
पर मैं झट से उनकी तरफ से नजरें फेर देता था.
कुछ देर में खाना
बनकर तैयार हो गया था. फिर हम दोनों ने साथ बैठ कर खाना खाया. बीच बीच में भाभी जब
कुछ लेने के लिए आगे झुकतीं, तो उनकी गोरी
गोरी चूचियों का दीदार हो जाता था. खाना खाने के बाद हम दोनों सोफे पर बैठ कर टीवी
देखने लगे. उस टाइम मैंने टीवी पर भूत वाली हॉरर फ़िल्म लगा रखा थी क्योंकि मैं
जानता था कि भाभी भूत से और अँधेरे से डरती थीं.
कुछ देर बाद भाभी
खुद ब खुद मेरे और करीब होकर बैठ गईं, जिससे उनकी जाँघें मेरी जांघों से एकदम सट गईं और मेरा लंड फिर से तम्बू का
बम्बू बन गया. इस बार भी भाभी ने मेरे लंड को खड़ा होते हुए देख लिया और टीवी देखने
लगीं.
फ़िल्म ख़त्म होने
पर भाभी ने कहा- पीहू, आज तुम मेरे साथ
ही सोना.. क्योंकि मुझे रात में अकेले सोने में डर लगता है.
मैंने मन ही मन
में कहा- बस आज रात क्यों भाभी.. मैं तो हर रात आपके साथ सोना चाहूंगा और आपको
चोदूँगा भी भाभी.
भाभी गांड मटकाते
हुए उठ कर कमरे में चली गईं. कुछ देर बाद मैं भी टीवी बन्द करके भाभी के साथ उनके
कमरे में जाकर सोने चला गया.
लगभग 30 मिनट बाद
भाभी करवट बदल कर सो गईं. मैंने देखा कि भाभी की गांड बहुत ही सुन्दर थी और मेरे
लंड ने भी सलामी देनी शुरू कर दी थी. मैंने कमरे की बेड लाइट ऑफ कर दी और भाभी की
तरफ मुँह करके सो गया. लेकिन मुझे नींद नहीं आ रही थी. मेरा लंड भाभी की गर्म गांड
को देख कर बड़ा हुआ जा रहा था.
कुछ देर बाद
मैंने अपना पैर भाभी में गांड के ऊपर रख कर धीरे धीरे नीचे सरका दिया. आह क्या
बताऊं दोस्तो … जब उनकी गांड पर
मेरा पैर रखा हुआ था तो मुझे कितना मज़ा आया था.
कुछ देर जब भाभी
की तरफ से कोई प्रतिक्रिया नहीं हुई, तो मैंने यूं ही सोते हुए अपना एक हाथ उनके पेट पर रखा और उनसे चिपक गया. पर
उन्होंने अब भी कोई हरकत नहीं की तो मेरी हिम्मत और भी बढ़ गई. अब मैंने धीरे धीरे
करके उनकी नाइटी को पीछे से ऊपर करना चालू किया और कुछ ही देर में उनकी नाईटी को
उनके कमर तक कर दिया. फिर मैंने उनकी पेंटी को धीरे धीरे नीचे सरका दिया और भाभी
की मखमली गांड पर हाथ रख कर हल्का हल्का दबाना चालू कर दिया. फिर कुछ देर ऐसे करते
करते अपनी पैन्ट से अपना लंड निकाल कर और उस पर थूक लगा कर भाभी की गांड की दरार
पर रखा और हल्का हल्का हिलना शुरू किया.
कुछ देर ऐसे करने
से मैंने महसूस किया कि भाभी भी उधर से अपनी कमर हिला रही थीं. फिर मैं अपना एक
हाथ आगे करके भाभी की चुत पर ले गया और उनकी चुत को अपनी उंगली से चोदने लगा. पर
भाभी अभी भी अपनी आंख बन्द किए सोई पड़ी थीं.
चूत में उंगली की
तो चूत ने रस छोड़ दिया था, मतलब भाभी भी मजा
ले रही थीं. ये जानते ही मैंने उनको अपनी तरफ घुमा लिया और उनके पैर को ऊपर करके
अपनी कमर पर रख लिया. फिर उनको अपने और जोर से पकड़ कर उनकी चूची को मुँह में लेकर
अपना लम्बा लंड भाभी की चुत में डाल दिया.
मेरा लंड चुत में
जाते ही भाभी के मुँह से आहह निकल गई. मैं उनकी ऊपर चढ़ कर उनकी चुत में ताबड़तोड़
लंड पेलने लगा, जिससे पूरा बेड
हिलने लगा. पर भाभी की आंखें अभी भी बन्द थीं, जबकि वे लंड का मजा ले रही थीं.
फिर मैंने लंड
निकाला और भाभी को चित लेटा कर उनके पैर फैला दिए. मैं उनके ऊपर पूरी तरह से चढ़
गया और लंड चूत में डाल कर, फिर से ताबड़तोड़
चुदाई करने लगा. जिससे भाभी अपने होंठों को दबा कर मजा लेने लगी थीं. मैं भी रुका
नहीं, मैं उनकी चुत में से बार
बार अपना लंड निकालता और फिर तुरंत उनकी चुत में पेल देता था.
भाभी भी आहिस्ता
आहिस्ता सीत्कार करते जा रही थीं, पर उस टाइम भी
भाभीजी अपनी आंखें बन्द किए हुए थीं.
फिर मैंने उनकी
नाईटी ऊपर कर दी और उनकी एक चूची को मुँह में लेकर चूसते हुए लंड उनकी चूत में
गपागप ठेल देता था.
भाभीजी की मादक
सिसकारियां पूरे कमरे में गूंज रही थीं. कुछ देर में भाभी ने अपना पैर से मेरी कमर
दबा कर मुझे थाम लिया और आहें भरने लगीं. मैं समझ गया कि भाभी झड़ गयी हैं. पर मैं
अब भी उनकी चुदाई गपागप चालू ही किए हुए था.
पूरे 20 मिनट
चुदाई के बाद भाभी की चुत में अपना पानी निकाल कर उनको किस करने लगा और एक फुक्क
की आवाज के साथ अपना लंड उनकी चुत से बाहर निकाला और भाभी के बगल में सो गया. भाभी
भी अपने कपड़े ठीक करके दूसरी तरफ मुँह करके सो गयी. कुछ देर बाद मैं भी कपड़े ठीक
करके सो गया.
इसके बाद सुबह
हुई तो भाभी मुझसे चिपकी हुई थीं. मैंने उसको प्यार से सहलाया तो वे सरगोशी से
मेरे कान में बोलीं- वंस मोर. (एक बार और!)
बस फिर क्या था.
मैंने भाभी को नंगी किया और उनकी चूत में अपना लंड पेल कर जबरदस्त चुदाई चालू कर
दी. इस बार भाभी भी खुल कर चुदाई का मजा ले रही थीं.
इसके बाद जब तक
भैया नहीं आए, तब तक रोज उनकी
शरीके हयात और अपनी जान की चूत में अपना मूसल चलाता रहा.
आज जितने मजा को
मैंने कहानी में लिखा है, उसे बहुत ज्यादा
मजा मुझे अपनी भाभी को चोदने में आया था.
लव यू भाभी जान.
आपको मेरी भाभी की जवानी की कहानी कैसी लगी.. ईमेल में जरूर बताइयेगा.
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