आज की कहानी एक
प्यासी औरत की चुदाई की है। सामने की छत पर एक औरत रोज कपड़े सुखाने आती है। मुझे
नहीं पता था कि वो रोज मुझे छुप कर देखती थी। एक दिन मैंने उसे ऐसा करते देखा लिया,
तब से मैं उसे रोज छुप कर देखने लगा, मुझे वो अच्छी लगने लगी। मैंने उसके बारे में
पता किया तो पता चला कि उसका नाम मीनाक्षी है और वो पेशे से अध्यापिका है और उसका
पति एक बड़ा व्यापारी है लगभग 44-45 साल का। बहुत
अमीर लोग थे वो।
मीनाक्षी लगभग 34-35 साल की होगी पर भगवान ने उसे क्या बनाया था,
एक-एक अंग को जैसे सांचे में बनाया हो। उसके
बदन का आकार 36-32-36 होगा, उसके मोमे इतने मोटे थे कि जैसे किसी गंजे आदमी
का सर, उसकी ग़ाण्ड ऐसी उठी थी कि
जैसे हिमालय के दो विशाल पर्वत !
जब मैंने उसे पहली
बार देखा तो देखता ही रह गया। जब वो साड़ी पहनती थी तो क्या कयामत लगती थी ! मैं तो
बस भाभी को चोदने के सपने देखने लगा। अचानक भगवान ने मेरी सुन ली। एक दिन उनके घर
में बिजली से शॉट सर्किट हुआ और घर का कम्प्यूटर जल गया।
मेरी गली में एक
बिजली का काम करने वाला लड़का रहता है, वो मेरा अच्छा दोस्त है। वो वहाँ गया, उसने बिजली तो ठीक कर दी पर कुछ समान लेने वो बाजार चला गया बिजली आने के बाद
जब कम्प्यूटर चालू नहीं हुआ तो उन लोगों ने अपने कम्प्यूटर वाले को फोन किया।
इंजीनियर आया, देख कर बोला-
कम्प्यूटर तो पूरा जल गया है, इसका कुछ भी नहीं
हो सकता।
इतना सुनते ही
मीनाक्षी रोने लगी तो उसके पति ने कहा- मैं दो-तीन कम्प्यूटर वालों को जानता हूँ
!आप ये कहानी हिंदी सेक्स की कहानी डॉट कॉम पर पड़ रहे है। उसने एक-एक करके सभी को
बुलाया पर सबने जवाब दे दिया। मीनाक्षी रोना सा मुँह लेकर बैठ गई। शाम को मेरा एक
दोस्त उनके कम्प्यूटर को देखने आया,
उसने यह सब देखा और कहा- मेरा एक दोस्त
कम्प्यूटर ठीक करता है, आप कहें तो मैं
उसे बुलाऊँ? उसने मुझे फोन
किया, मैं उसके घर गया तो वो
मुझे देखा हैरान हो गई। पर वो रोए जा रही थी। मैंने कम्प्यूटर देखा, पावर सप्लाई, मदरबोर्ड़ की दो आई-सी और हार्डडिस्क का लॉजिक कार्ड जल
चुके थे।
मैं बोला- सब जल
गया है, ज्यादा खर्च होगा,
आप नया क्यों नहीं ले लेते? इतना सुनते ही मीनाक्षी रोने लगी। मैंने पूछा-
ऐसा क्या है इस कम्प्यूटर में जो आप इतना परेशान हैं? मीनाक्षी बोली- मैं एक स्कूल टीचर हूँ और इसमें स्कूल के
बच्चों के पेपर हैं और दो दिन बाद मुझे ये प्रैस में छपने के लिये देने थे। अगर
समय से नहीं छपे तो बच्चे पेपर कैसे देंगे? और मैं अकेली दो दिन में इतने सारे पेपर तैयार नहीं कर
सकती। मुझे तो स्कूल वाले नौकरी से निकाल देंगे। मैंने कहा- कोई बात नहीं ! मैं
देखता हूँ ! आप परेशान मत हों !
मैंने कम्प्यूटर
उठाया और नेहरू प्लेस से उसका पावर सप्लाई और मदरबोर्ड ठीक करवा दिये और कम्प्यूटर
को अपने घर ले आया। मेरे पास उसी कंपनी की वैसी ही एक हार्ड-डिस्क और थी मैंने
उसका कार्ड उस खराब हार्ड-डिस्क में लगा दिया और किस्मत की बात है जो वो कार्ड चल
गया और कम्प्यूटर चालू हो गया। यह सब करने
में मुझे रात के दो बज गए थे। मैंने उसी समय मीनाक्षी को फोन किया- आपकी मशीन ठीक
हो गई है। मीनाक्षी बोली- मुझे यकीन नहीं होता ! इसे तो सबने माना कर दिया था ! मुझे
अभी देखना है।
आप कम्प्यूटर चालू करो मैं छत पर आती हूँ, छत से तुम्हारे कमरे का कम्प्यूटर स्क्रीन साफ दिखता है। वो छत पर आई और अपना कम्प्यूटर चलता देखा बहुत खुश हुई। मैंने कहा- सुबह मैं आपका कम्प्यूटर दे दूँगा। रात को मैंने उसकी हार्ड डिस्क का डाटा देखा, मैं तो देख कर हैरान रह गया, इसमें तो बहुत सारी ब्लू फिल्में थी। सुबह मैंने उसका कम्प्यूटर दे दिया। उसने उसी समय सारे पेपर प्रैस वाले को मेल किये और फिर खुश होकर बोली- हाँ तो अभय जी, क्या लेंगे चाय या कॉफी?
मैंने मन ही मन कहा- मन तो तेरी चूत लेने को कर रहा है, पर भगवान ने मेरी ऐसी किस्मत नहीं बनाई। मैंने कहा- जी, कुछ नहीं ! मीनाक्षी ने कहा- आपने इसमें कुछ देखा तो नहीं? मैंने हँसते हुए कहा- अब मरीज़ डॉक्टर के पास आया है तो डॉक्टर उसे पूरी तरह देखेगा, तभी तो इलाज होगा न ! उसका चेहरा शर्म से लाल हो गया, वह बोली- तो आपने वो सारी ब्लू फिल्में देख ली? मैं- हां ! कुछ देर कमरे में शांति रही और फिर मैंने डरते हुए पूछा- एक सवाल पूछूं? आप बुरा तो नहीं मानेंगी?
मीनाक्षी बोली-
नहीं ! मैं- क्या आप मुझे अपनी छत से रोज़ देखती है जैसे रात देखा था?आप ये कहानी हिंदी सेक्स की कहानी डॉट कॉम पर
पड़ रहे है। मीनाक्षी- हां, और आप रोज़
कम्प्यूटर पर ब्लू फिल्में देखते हैं। मैं कुछ डर सा गया।मीनाक्षी- डरो मत,
ब्लू फिल्में तो मुझे भी अच्छी लगती हैं और हर
इंसान की अपनी-अपनी पंसद होती है।
कुछ देर बाद
मीनाक्षी बोली- आज आपने मेरी नौकरी को बचाया है, बोलिए मैं आपके लिये क्या कर सकती हूँ? अगर मैं आपके कुछ काम आ सकती हूँ तो मुझे बहुत
खुशी होगी। मुझे लगा कि किस्मत एक बार फिर वही खेल खेल रही है जो 6 साल पहले खेला था, मैं अपने आपको फिर दुख नहीं पहुँचाना चाहता था इसलिए मैं
गुस्से में उठा और बाहर चला आया। उसने मुझे रोकना चाहा पर मैं नहीं रुका। मैंने
कहा- मुझे काम है।शाम को उसका फोन आया, मैंने नहीं उठाया। फिर अगले दिन उसका फिर फोन आया, मैंने फोन उठाया।
मीनाक्षी- क्या
हुआ? आप ऐसे क्यों चले आए?
मुझे पता है कि आपको काम नहीं था, मेरी कोई बात बुरी लग गई आपको? मैं- कोई बात नहीं ! मैं कल कुछ उदास था और
आपने कहा कि मैं आप के लिये क्या कर सकती हूँ तो मुझे किसी की याद आ गई। मीनाक्षी-
बहुत प्यार करते थे? मैं- हां !
मीनाक्षी- अब कहाँ है वो?
मैं- यहीं,
इसी शहर में !
मीनाक्षी- क्या
वो तुमसे मिलती है?
मैं- नहीं ! वो
मुझे मिलना नहीं चाहती।
मीनाक्षी- कोई
बात नहीं ! तो तुम किसी और लड़की से दोस्ती कर लो।
मैं- मुझसे कौन
दोस्ती करेगा?
मीनाक्षी- तुम
उदास मत हो, मैं हूँ ना ! आज
से मैं तुम्हारी दोस्त हूँ।
मैं- आपके अपनेपन
के लिये शुक्रिया ! पर देवी जी, मुझे एक दोस्त से
भी ज्यादा चाहिए।
मीनाक्षी- इसका
जवाब मैं कल दूंगी।
उस रात मैं सो
नहीं पाया, भगवान का शुक्रिया करता
रहा कि चलो लड़की नहीं तो औरत तो मिली इतने सालों के बाद।
उसी रात को उसका
एस एम एस आया कि तुम्हें एक औरत चलेगी?
मैंने जवाब में
इतना लिखा कि दोस्ती और प्यार में उम्र नहीं देखी जाती।
रात को ही उसका
फोन आया।
मीनाक्षी- कैसे
हो?
मैं- ठीक हूँ,
आप कुछ जवाब देने वाली थी? और आपके पति कहाँ हैं?
मीनाक्षी- वो सो
रहे हैं। तुम्हें एक बात बताती हूँ, मैं एक गरीब परिवार से हूँ और पैसे के लिये मैंने इनसे शादी तो कर ली पर ये
बूढ़े हो गए हैं और मैं प्यासी रह जाती हूँ, और आज भी प्यासी हूँ। जब तुमने मुझे कहा कि तुम्हारी भी एक
दोस्त थी जो अब नहीं है तो मुझे लगा कि तुम भी मेरे तरह प्यासे हो।
मैं- मीनाक्षी,
मुझे नहीं पता था कि तुम इतनी दुखी हो, तुम्हारे आगे तो मेरा दुख कुछ भी नहीं ! मैं तो
नदी से दूर हूँ पर तुम तो नदी में रहकर भी प्यासी हो ! अगर मैं तुम्हारे लिये कुछ
कर सकता हूँ तो बताओ?
मीनाक्षी- ठीक है
! परसों रात को मेरे पति कुछ काम से बाहर जा रहे हैं और अगले दिन रात को आएँगे,
तुम रात में आ जाना, मैं दरवाज़ा खोल दूंगी।आप ये कहानी हिंदी सेक्स की कहानी डॉट
कॉम पर पड़ रहे है।
मैं- मीनाक्षी,
अब तू दुखी मत हो ! मैं तुम्हें और प्यासा नहीं
रहने दूँगा। अब से तुम्हारे सारे दुखों का अंत हो गया समझो।
मीनाक्षी- मुझे
नहीं लगता था कि यह दिन भी आएगा।
तभी अचानक
मीनाक्षी का पति उठ कर पानी पीने उठा और मीनाक्षी ने फोन काट दिया।
अगले दिन उसका
फोन आया शाम को।
मीनाक्षी- हैलो,
क्या हाल है?
मैं- ठीक हूँ,
बस आप के ही ख्यालों में जी रहे हैं।
मीनाक्षी- अच्छा,
एक खुशखबरी सुनो ! मेरे पति आज ही जा रहे हैं।
मैं- मुबारक हो।
मीनाक्षी- अच्छा,
तुम आज ही आ सकते हो?
मैं- ठीक है,
कब?
मीनाक्षी- रात
में 10 बजे।
मैं- ठीक है।
रात लगभग 9.30 बजे उसका फोन आया और मैं उसके घर के पीछे के
दरवाजे से अंदर गया।
अंदर जाकर मैं
उसे देख कर हैरान हो गया, उसने काले रंग की
साड़ी पहनी थी और उसका पल्लू आधी छाती को ही छुपा रहा था और उसके दोनों मम्मे लगभग
आधे बाहर थे, मम्मों के ऊपर का
हिस्सा क्या कमाल का लगा रहा था, एक दम गोरे-गोरे
!
मैं उसके पास गया
और उसके होटों पर एक अपने होटों को रख कर एक जोरदार चुम्बन लिया। वो मेरी बाहों
में झूल गई। मैं उसे उठा कर कमरे में ले गया, उसने टी वी पर ब्लू फिल्म लगा दी।
फिर उसने मुझे
अपने हाथों से खाना खिलाया। फिर हम दोनों एक दूसरे से चिपक गए। मैंने उसके होटों
पर चूमा, फिर गर्दन पर फिर मैंने
ब्लाउज़ उतार दी। उसने अंदर ब्रा पहनी थी। फिर मैंने उसकी ब्रा के ऊपर से ही उसके
चूचों को दबाया। ऐसी कसी छाती तो मैंने तब तक न ही दबाई और न ही देखी थी।
उसके मुँह से
आह-आह की आवाज निकलने लगी, वो बोली- मेरे
राजा, आराम से दबाओ। साल बहनचोद
मेरा पति कभी इन्हें छूता भी नहीं है ! फिर मैंने उसकी ब्रा भी उतार दी, क्या मस्त मम्मे थे उसके !
मुझसे रहा नहीं
गया, मैंने एक को मुँह में
लिया और दूसरे को हाथ से दबाया। फिर मैंने उसका पेटेकोट का नाड़ा भी खोल दिया और
अपना एक हाथ धीरे-धीरे उसके पेट से फिराते हुए उसके पेटीकोट के अंदर डाल दिया और
उसकी जांघों को सहलाने लगा, फिर उसके पेट पर
चूमा और उसका पेटीकोट उतार दिया।आप ये कहानी हिंदी सेक्स की कहानी डॉट कॉम पर पड़
रहे है। अंदर उसने कच्छी पहन रखी थी। मैंने उसकी जांघों पर चूमा और उसकी कच्छी भी
उतार दी। अंदर तो मामला एक दम साफ था, लगता था कि आज ही सफाई की हो !
फिर मैंने उसकी
चूत में उंगली डाली और उसके ऊपर लेट कर उसकी चूत के दाने को हिलाता रहा। जैसे-जैसे
उसकी चूत में उंगली हिलाता, वैसे-वैसे उसके
मुँह से आह-आह की आवाज आ रही थी। थोड़ी देर
मैं मुझे उसकी चूत कुछ गीली-गीली लगी और वो झड़ गई। अचानक वो बोली- बहन के लौड़े !
क्या तुझे उंगली से चोदने के लिए बुलाया है? मैं बोला- इंतज़ार करो मेरी रानी ! मैं तुम्हारे पति की तरह
नहीं हूँ जो सिर्फ सपने बारे में ही सोचूँ ! सिर्फ खुद मजे लूँ और तुम्हें प्यासा
रखूँ। असली मज़ा तो आना बाकी है
फिर मैंने अपने
कपड़े उतारे और कच्छे में ही उसके ऊपर चढ़ गया, उसकी जांघों को सहलाया और उसकी चूत को चूम कर उसकी चूत में
अपनी जीभ घुसा दी। उसके कूल्हों को पकड़ कर अपनी जीभ को अंदर-बाहर करने लगा। चूत का
पानी कुछ नमकीन सा लगा पर मैं उसे पीता चला गया। जैसे-जैसे मैं जीभ को अंदर-बाहर
करता, उसके मुँह से आह-आह की
आवाज निकल रही थी। उसने मेरे सर के बाल इतनी ज़ोर से पकड़ लिए कि शायद कुछ बाल उसके
हाथ में भी आ गए, मैंने मन ही मन
सोचा कि शायद शादी के बाद कुछ लोग इसी तरह से गंजे हो जाते हैं।
थोड़ी देर में ही
वो दूसरी बार झड़ गई। उसने थोड़ी देर आराम किया, फिर बोली- तुमने तो मुझे बिना चोदे ही शांत कर दिया ! मैंने
कहा- अभी तो तुम्हें चोदना है ! यह तो तुम्हें गर्म करने के लिए था !
मैंने उसके होठों
पर चूमा, उसने अपना हाथ मेरे कच्छे
में डाल दिया और मेरे लण्ड पकड़ लिया। मैंने अपना कच्छा उतार दिया। उसने लौड़े को पकड़
कर कहा- साला मेरा पति तो कभी इसे पकड़ने ही नहीं देता है ! उसे क्या पता कि इसे
पकड़ने में औरत को वही मज़ा आता है जो मम्मों को पकड़ने में आदमी को आता है।
फिर उसने मेरा
लौड़ा अपने मुँह में ले लिया और ऐसे चूसने लगी जैसे एक छोटा बच्चा लॉलीपोप को चूसता
है। क्या मजा आ रहा था, मैं बता नहीं
सकता। फिर मैंने उसे लेटने को कहा, वो लेट गई,
मैं उसके ऊपर चढ़ गया और उसके होटों पर चूमते
हुए अपने लण्ड को प्यासी औरत की चूत में डाल कर हल्का सा झटका दिया। लण्ड का टोपा
ही अंदर गया तो उसे हल्का सा दर्द हुआ, बोली- उनका लण्ड जल्दी ही झड़ जाता है तो वो ज्यादा अंदर नहीं देते ! इसलिए यह
इतनी कसी है।
मैंने और ज़ोर
लगाया तो कुछ अंदर गया, उसे दर्द हो रहा
था। मैंने एक जोरदार मर्दों वाला झटका दिया तो लण्ड पूरा का पूरा चूत में जा चुका
था। उसे दर्द हो रहा था, वो दर्द से तड़प
रही थी।आप ये कहानी हिंदी सेक्स की कहानी डॉट कॉम पर पड़ रहे है। मैंने फिर लण्ड
निकाल कर पूरा का पूरा डाल दिया तो इस बार आराम से चला गया। फिर मैंने अपनी गति
बढ़ाई और ज़ोर-ज़ोर से उसे चोदने लगा।
अब उसे भी मज़ा
आने लगा, वह भी गाण्ड उठा उठा कर
साथ देने लगी, बोली- मेरे राजा,
आज तक मुझे इतना मज़ा कभी नहीं आया था।तभी मुझे
लगा कि मेरा होने वाला है तो मैंने अपने झटके कम कर दिये और मन को कहीं और ले गया।
इससे मुझे कुछ समय और मिल गया, इतनी देर में वो
तीसरी बार झड़ गई। फिर मैंने अपनी गति बढ़ाई।
कुछ बाद मैं झड़ने लगा तो वह बोली- मेरी चूत में झड़ना ! मुझे तुम जैसा समझदार बच्चा चाहिए ! मैं उसकी चूत में ही झड़ गया। कुछ देर हम ऐसे ही रहे। उस रात हमने चार बार सेक्स किया। सुबह उसने मुझसे कहा- तुम ही मेरे पति हो ! तुमने मुझे सच्चा सुख दिया है। सच में तुम ही औरत की यौन-भावना को समझ सकते हो।कैसी लगी प्यासी औरत की चुदाई स्टोरी अच्छा लगी तो शेयर करना अगर कोई प्यासी औरत की चूत की चुदाई करना चाहते हैं तो उसे अब जोड़ना
0 Comments:
एक टिप्पणी भेजें