यह सच्ची कहानी
उस समय की है जब मैं कानपुर में रहता था, मैं थोड़ा बहुत तंत्र मंत्र के बारे में भी यकीन रखता हूँ। मैं कानपुर में एक
कम्पनी में इन्जीनियर था। मैं 29 वर्ष का एक गोरा
छः फ़ीट का हृष्ट पुष्ट जवान हूँ। शहर में ही एक कमरा किराए पर लेकर रहता था। मेरे
पड़ोस में एक परिवार रहता था, उसमें सिर्फ तीन
लोग थे मिस्टर चौधरी, उनकी पत्नी
रेणुका और रेणुका की एक बहन !
चौधरी जी हमारी
कम्पनी के बगल वाली एक चूड़ी की कम्पनी में सेल्समैन थे। अक्सर कम्पनी के काम से
उन्हें बाहर जाना पड़ता था, चूंकि बगल में
रहने के नाते हमारे संबंध अच्छे थे, कभी-कभी उनकी साली को मैथस् भी पढ़ाने के लिए मुझे उनके घर जाना पड़ता था।
उनको कोई बच्चा नहीं था जबकि शादी को 4 साल हो गए थे। उस समय चौधरी 29 साल, रेणुका 23 साल, उनकी साली पूजा 18 की थी, चौधरी जी थोड़ा सा साँवले थे किन्तु रेणुका एवं उनकी बहन
बहुत सुन्दर थीं, मानों सफेद बर्फ।
एक बार काम के
सिलसिले में चौधरी जी बाहर जा रहे थे तो मुझसे बोले- मैं 15 दिन के लिए कम्पनी के काम से बाहर जा रहा हूँ, वैसे तो सारा इन्तजाम कर दिया है फिर भी आप
थोड़ा देख लीजिएगा।
मैंने कहा- आप
बिल्कुल चिन्ता मत कीजिए, मैं अपने काम से
लौट कर भाभी जी का हाल पूछ लिया करूँगा।
मैं प्रायः आफिस
से आकर रेणुका से हाल खबर लेने लगा और पूजा को पढ़ाने भी लगा।
एक दिन बात ही
बात में मैं पूछने लगा- भाभी, अभी तक आप लोग
बच्चे के बारे में क्यों नहीं सोच रहे हैं?
उन्होंने कहा-
पहले तो आप मेरा नाम लेकर सम्बोधन करें क्योंकि मैं आपसे छोटी हूँ।
"ठीक है, तो रेणुका बताओ, अभी चौधरी जी कमाते भी हैं फैमिली स्टैंडिंग भी ठीक ही है,
तो मेरे ख्याल से आपको अब सही समय है बच्चा
करने की।
उन्होंने बताया-
ऐसा नहीं है कि हम कोई सावधानी ले रहे हैं, बस भगवान की मर्जी, अभी नहीं हो पा रही है।
मैं- क्यों
डाक्टर को नहीं दिखाया?
रेणुका- दिखाया,
हर तरह का चेकअप भी करवा लिया। मुझमें कोई कमी
नहीं है।
मैं- इसका मतलब
चौधरी जी में कमी है?
रेणुका- हाँ,
छोड़िए बाद में बात करेंगे।
मैं- नहीं बताइए,
मेडिकल सांइस के बारे में मैं काफी जानकारी
रखता हूँ ! हो सकता है आपकी मदद कर सकूँ। बिना शर्माए बताइए, समझिए कि आप डाक्टर के पास हैं।
रेणुका- एक्चुअली
इनको उत्थान संबन्धी बीमारी है, इनका सहवास शुरू
करते ही पतन हो जाता है और डाक्टर के मुताबिक शुक्राणु की कमी है।
मैं- खुल कर एक
एक बात बताइए, शायद मैं कोई मदद
कर सकूँ।
रेणुका- एक्चुअली
इनका........ ल....आप समझ रहे हैं न?
मैं- अरे बताओ आप
! शर्माओ मत ! चलो आपकी समस्या मैं ही खत्म कर देता हूँ, क्या चौधरी जी को शीघ्रपतन की बिमारी है या उनका लण्ड उचित
उत्थान के लिए तैयार नहीं रहता या उनका लण्ड आपकी बुर को संतुष्ट नहीं कर पाता
क्या बात है अब खुल कर बताइए। मैं जानबूझ कर ऐसे शब्दों का प्रयोग किया जिससे वो
अपनी बात खुल कर कह सके।
रेणुका- हां,
इनका वो बहुत छोटा है मेरे हिसाब से 4 इंच जैसा लम्बा और आधा इंच मोटा होगा और जैसे
ही मेरे उसके मुख द्वार रखकर अन्दर किया कि बस इनका काम तमाम।
"अभी भी आप शरमा
रही हैं, खुल कर नाम लीजिए,
शर्म मिट जाएगी, रही बात लण्ड छोटा या बड़ा होने से चुदाई या उसके मजे पर
कोई फर्क नहीं पड़ता और बच्चा न होने का यह कोई कारण नहीं है। हां, वीर्य का पतला होना या शुक्राणु की कमी ही कारण
हो सकता है। तो क्या अभी तक कभी आप भरपूर चुदाई का आनन्द नहीं उठा पाई?
रेणुका- नहीं ऐसा
नहीं है, पहले दो साल तक जम के
चो....चो...
"हाँ कहिए,
अगर शर्माना ही है तो चर्चा ही बंद करें?"
रेणुका-...चो...चोदा
करते थे। फिर मेरी मां का अन्तकाल हो गया, मैंने अपनी बहन को यहाँ रख लिया। चार छः महीने तक उसकी वजह से कुछ नहीं हुआ
फिर एक दिन मौका मिला तो ये जल्द ही हार गए, ठीक से कर नहीं पाए। तब से एक न एक बहाना कर टालने लगे।
कहते हैं अब तुम्हारी ढीली हो गई इसलिए मेरा मन उचट गया है।
"मुझे लगता है कि
वो हस्त मैथुन के शिकार हो गए हैं। तो क्या आपने यह सब किसी को बताया?"
रेणुका- एक दिन
मूड बनाया, फिर क्या हुआ कि कहने लगे
कि हाथ से करो। मैं हाथ से करने लगी इनका पूरा खड़ा हो गया और ये तरह तरह की आवाज
निकालने लगे, जीरो वाट का बल्ब
भी जल रहा था अब एक ही कमरा होने के नाते मैं बचा रही थी कि कहीं मेरी बहन न जग
जाए।
किन्तु वो जग गई
और एकाएक पूछा- क्या हुआ?
उसने जैसे ही
इनका लण्ड देखा चुप हो गई तभी इनका एक या दो बूंद वीर्य टपक कर हमारी बहन के गाल
पर गिर गया। ये उठ कर बाथरूम चले गये मैं उसके गाल से साफ करने लगी। तब उसने कहा-
दीदी, ये जीजू क्या करवा रहे थे
आपसे?
मैंने कहा- तुम
नहीं समझोगी इसलिए ध्यान मत दो।
उसने कहा- मैं सब
समझती हूं। बस यही नहीं समझ में आ रहा है कि वो आपके रहते हाथ से क्यों कर रहे थे?
मैं समझ गई कि यह
काफी समझदार हो गई है। फिर मुझे लगा चलो कोई तो है जिससे मैं खुद को शेयर कर लूंगी
और उसको सब कुछ बताया।
"फिर?"
रेणुका- अब तो
धीरे धीरे ये पूजा से भी खुल गए, मैंने भी ज्यादा
विरोध नहीं किया, सोचा यह सब देखने
के बाद वो कहीं बाहर कुछ न करे, नहीं तो इज्जत
खराब होगी, चलो घर में ही उसे सारी
चीजें मिल जाने दो, कम से कम सेक्स
से संतुष्ट रहेगी तो पढ़ाई में मन लगा रहेगा। और शायद 18 साल की लड़की की बुर देख कर इनके लण्ड का तनाव वापस आ जाए
और ये मुझे भी चोद सकें। "क्या ऐसा हुआ?"
रेणुका- नहीं !
पहले तो धीरे धीरे उससे और मुझसे हाथ से रगड़वाते, एक बार प्रयास किया उसको नंगा किया, मुझसे अपने लण्ड पर वैसलीन लगवाया फिर उसकी बुर पर लण्ड
रखकर ठेलने का प्रयास किया वो थोड़ा सा चीखी।
मैंने देखा हल्का
सा लाल सुपाड़े का भाग उसकी बुर में घुस रहा था, मैंने कहा- सही जगह है, ठेलो !
पर तभी इनका
फव्वारा छूट गया उसके बाद बहुत प्रयास किया, दुबारा इनका खड़ा ही नहीं हुआ।
"फिर कभी प्रयास
नहीं किया?"
रेणुका- अभी कल
ही वही कोशिश कर रहे थे लेकिन बेकार और इनके घर वाले इतने पुराने विचार के हैं कि
मुझे ही बांझ क्या क्या बोलते रहते हैं।
"क्या कभी आपको
उनसे नफरत हुई या शादी के पहले या बाद किसी के साथ सेक्स करने का मन किया?"
"नहीं ये हर तरफ
से मेरा सपोर्ट करते हैं सेक्स नहीं कर पाते तो क्या ! जब से घर वाले उल्टा बोले
हैं, आज तक घर न गए, न मुझे जाने दिया, कहते हैं बच्चा लेकर ही जाऊँगा, चाहे जैसे और मेरा सेक्स संबन्ध शादी के पहले मेरे एक
रिश्तेदार से हो गया था, उस समय मैं 18 साल की थी, पढ़ाई की अच्छी व्यवस्था गाँव में न होने के कारण वहाँ
पढ़ने गई थी, उनकी उम्र उस समय
तरकीबन 40 या 42 साल की थी, उनके अन्दर सेक्स की भूख तगड़ी थी, एक दिन मैं दूसरे कमरे में सो रही थी, कुछ अजीब सी आवाज सुनकर जाग गई, दूसरा कमरा खुला ही था, मैंने झांक कर देखा तो वो बेसब्री से अपनी पत्नी को चोद रहे
थे। थोड़ी देर में उनकी पत्नी चिल्लाने लगी- निकालो, मेरा हो गया !
वो बोले- मैं कभी
संतुष्ट नहीं हो पाता, अब मैं रोज की
तरह तड़पता हुआ ही सो जाऊं?
उनकी पत्नी ने
कहा- जो मन में आए, करो ! मुझमें
इतना देर तक झेलने की ताकत नहीं है, इतनी ही गर्मी है तो कहीं और शांत कर लो।
उसके बाद मैं सो
गयी किन्तु कुछ भी ठीक से देख नहीं पाई, देखने की बड़ी इच्छा थी पर उसके बाद बहुत देर तक जगती कभी कभी डर का बहाना
करके उन्हीं के बेड पर साथ में सोती पर पता नहीं क्यों उनका यह खेल बन्द हो गया।
बाद में पता चला कि उसी चुदाई के बाद उनके पेट में बच्चा आ गया था, उसी बच्चे की वजह से वो गाँव चली गई, अब मैं और मेरे वो रिश्तेदार न जा सके क्योंकि
मेरी पढ़ाई चल रही थी। फिर गाँव से मेरी मम्मी हमारी देखभाल के लिए आ गई, वो मेरी मम्मी से काफी मजाक करते, मुझे अच्छा नहीं लगता, तब मैं मम्मी से कहती तो वो बोलती हमारा रिलेशन ही उनके साथ
मजाक का है, इसलिए तुम ध्यान
मत दिया करो।
एक दिन रात में
कुछ हलचल सा लगा, मैं जग गई,
देखा तो मेरी मम्मी मेरे पास नहीं थीं, मैंने बगल के कमरे में धीरे से देखा तो देखा
मम्मी उनका लण्ड अपने हाथ से सहला रही थी।
मैं स्तब्ध रह
गयी, फिर भी सेक्स देखने की
इच्छा से चुपचाप देखने लगी। कमरे में जीरो वाट बल्ब जल रहा था, पता नहीं कैसे उन्होंने मुझे देख लिया और
जानबूझ कर ऐसी पोजिशन ले ली कि मैं सब कुछ ठीक से देख सकूं।
मैंने देखा कि
उनका लण्ड बड़ा लम्बा लगभग 6 इंच और 2 इंच मोटा था, मम्मी उनके लण्ड को अपने मुख में लेकर आगे पीछे कर रही थीं
और वो मम्मी की चूची मुख में लेकर चूस रहे थे और चूतड़ उचका कर लण्ड मम्मी के मुख
में ठेल रहे थे। काफी देर बाद वो मम्मी को पूरा नंगा करने लगे और अपने भी सारे
कपड़े उतार दिए। अब मैं उनका लण्ड, उसके गोले,
उनके घने बाल और मम्मी की बुर, उनके घने बाल साफ देख रही थी।
अब मम्मी उनके
लण्ड के नीचे बैठ कर उनके गोले पर जीभ चलाते हुए उनके लण्ड के आगे की चमड़ी हटाकर
लाल सुपाड़े को बखूबी चाट रही थीं और वो मम्मी की बुर के बालों में अंगुली फिराते
हुए बुर की रानों को सहलाते एक अंगुली मम्मी की बुर में ठेल देते और मम्मी उं की
आवाज के साथ थोड़ा सा उछल जाती।
काफी देर यूं ही
चलता रहा फिर उन्होन्ने अवस्था बदल ली, अब मम्मी कुत्ते की तरह उनके सामने खड़ी थीं और वो लण्ड मम्मी की बुर में पीछे
से सटा रहे थे, मम्मी हल्का सा
सीत्कार ले रही थीं, एकाएक उन्होंने
तेजी से ठेल दिया मम्मी हल्का सा चीखीं, मैंने देखा पूरा जड़ तक लण्ड मम्मी की बुर में घुस चुका था और उनका हाथ मम्मी
की चूचियाँ मसल रहा था, फिर वे चूची को
पकड़े रखकर ही लण्ड को वापस खींच कर दुबारा ऐसा झटका दिया कि मम्मी की चीख तेज
होने के साथ साथ वो आगे की तरफ लुढ़क गयीं और कहने लगी- जरा धीरे से, आप महान चुदक्कड़ हैं, मैं कल ही जान चुकी हूँ जब कल आपने मुझे 14 बार चोदा। जरा धीरे !
अब मम्मी सीधा
लेटी थीं और वो मम्मी के दोनों पैर अपने कंधे पर रख कर लण्ड को बुर में ठेल रहे थे
और बोल रहे थे- कल से जो तुम्हारी चुदाई कर रहा हूं, ऐसा लग रहा है कि कल ही हमारी शादी हुई है, अब तक मैं चुदाई के मजे से दूर सा हो गया था
तुमसे वो मजा मिला कि क्या बताऊँ !
मम्मी भी कह रही
थीं- सही मेरा भी वही है, रेणुका के पापा
से वो मजा कभी नहीं मिल पाता था और आपके कल सेक्स के विस्तार को जानने के बाद तो
सोचती हूँ कि काश ऐसा ही पति रेणुका को भी मिले।
वो बोले- घबराओ
मत, रेणुका को भी मैं चुदाई
आनन्द दे दूंगा।
फिर मम्मी की बुर
में लण्ड को दे मारा और उसके बाद ताबड़ तोड़ चुदाई शुरू हो गई, थोड़ी देर बाद मम्मी उनके कमर से चिपकती हुई
बोली- आह रे मर्द ! गजब चोदा बुर को ! अन्दर तक हिला दिया ! वाह मजा आ गया।
और वो तेज गति से
लण्ड को बुर में पेलने लगे, फिर एकाएक लण्ड
को बुर से बाहर खींच कर मम्मी के मुख के पास लगा कर पिचकारी मम्मी के मुख में छोड़
दी, मम्मी उसे पी गई और उनके
लण्ड पर लगे वीर्य को शहद की तरह चट कर गई।
अब मेरा ध्यान
अपने ऊपर गया, पता नहीं कब मेरी
अंगुली बुर में घुस कर आगे पीछे हो रही थी और मेरी बुर से भी हल्का चिपचिपा पदार्थ
निकाल कर मुझे थोड़ा शांत कर दिया। मैं वो सीन सोचते सोचते सो गई। थोड़ी देर बाद
मम्मी उनके कमर से चिपकती हुई बोली- आह रे मर्द ! गजब चोदा बुर को ! अन्दर तक हिला
दिया ! वाह मजा आ गया।
और वो तेज गति से
लण्ड को बुर में पेलने लगे, फिर एकाएक लण्ड
को बुर से बाहर खींच कर मम्मी के मुख के पास लगा कर पिचकारी मम्मी के मुख में छोड़
दी, मम्मी उसे पी गई और उनके
लण्ड पर लगे वीर्य को शहद की तरह चट कर गई।
अब मेरा ध्यान
अपने ऊपर गया, पता नहीं कब मेरी
अंगुली बुर में घुस कर आगे पीछे हो रही थी और मेरी बुर से भी हल्का चिपचिपा पदार्थ
निकाल कर मुझे थोड़ा शांत कर दिया। मैं वो सीन सोचते सोचते सो गई।
दूसरे दिन वे
मुझे बुला कर बोले- रेणुका, आज मेरे पास सो
जाना।
मैंने कहा- नहीं,
मैं मम्मी के पास सोती हूं।
तभी मम्मी ने
कहा- नहीं रेणुका, कल तुम्हारे पैर
से मेरे पेट में लग गया था, मेरा आज पेट दर्द
है।
मैं समझ गई कि आज
मैं चुदी ही चुदी और मम्मी को कहते हुए सुना कि आराम से, पहली बार है।
मैं उनके पास सो
गई, किन्तु नींद कहाँ थी,
थोड़ी देर बाद मैंने दबी आँखों से देखा कि वो
अपने लण्ड पर काफ़ी मात्रा में वैसलीन लगा रहे हैं।
वैसलीन लगा कर
मुझसे बोले- सो गई?
मैं कुछ नहीं
बोली, दो तीन बार पूछने के बाद
वे समझे कि मैं सो गई और उठ कर धीरे से मेरे सारे कपड़े उतार दिए। मैंने सब जानते
हुए भी उनका विरोध नहीं किया। उस समय मेरी बुर पर हल्के बाल उगे थे और चूची टमाटर
जैसी थी। मैं भी चुदाई का आनन्द लेना चाहती थी।
वो मेरी चूची को
अपने मुख में लेकर चुभलाने लगे, मुझे गजब का मजा
आ रहा था। धीरे धीरे वे अपने मुख से मेरे सीने को चूमते हुए मेरी बुर की तरफ बढ़ने
लगे, मेरी हल्की रोंएदार बुर
को वे चूमते हुए बुर के बीचोंबीच अपनी ठुड्डी रगड़ते हुए बुर के ऊपरी भाग को खूब
ध्यान से चूस रहे थे।
मैं खुद को रोक न
पाई और मुख से आह सी.. ओह की आवाज निकल गई।
वे बोले- रेणू !
मैंने कहा- हाँ, यह क्या कर रहे
हैं? बस, यह सब मुझे नहीं करना है।
उन्होंने मुझे
समझाया- देखो, मैं तुम्हें
सेक्स का आनन्द देना चाहता हूँ, आज नहीं तो कल
किसी न किसी से चुदोगी, तो मुझसे क्यों
नहीं?
मैंने कहा- नहीं,
मुझे बच्चा हो गया तो?
वे बोले- पागल,
वही तो कह रहा हूँ, बाहर किसी से चुदवाओगी तो वो अपने हिसाब से तुम्हें चोद कर
तुम्हारी बुर भी बर्बाद कर देगा और बच्चा भी दे देगा तथा ब्लैकमेल भी करेगा,
मैं आराम से चोदते हुए तुम्हारी बुर का भी
ध्यान रखूंगा और बच्चा भी नहीं होने दूंगा।
"मैं बाहर भी किसी
के साथ नहीं करूंगी।"
वे बोले- अब
सेक्स का थोड़ा मजा लेकर छोड़ दोगी तो हिस्टीरिया की बिमारी से पीड़ित हो जाओगी,
फिर जैसे मैं अपनी पत्नी से सेक्स सुख नहीं पा
रहा हूं, वैसे तुम भी अपने पति को
सुख नहीं दे पाओगी, यही चाहती हो तो ठीक
है, नहीं करूंगा।
मैं काफी समझदार
थी, मैं समझ गई कि वो ठीक कह
रहे हैं, अगर बाहर कोई सम्बन्ध
बनाऊँगी तो ज्यादा दिन छुपा नहीं सकती और बदनाम हो जाऊँगी और ये तो घर की मूली हैं,
यहीं मजा लेती रहूँ, कोई जानेगा भी नहीं ! बाहर स्ट्रिक्ट रहूंगी और मम्मी की भी
इच्छा है।
मैंने कहा- दर्द
होगा ! इतना मोटा लम्बा लण्ड मेरी छोटी सी बुर में कैसे घुसेगा?
वे बोले- तुम
चिन्ता मत करो, थोड़ी हिम्मत से
काम लेना, शुरू में थोड़ा दर्द होगा
और हल्का खून भी आएगा, किन्तु चिन्ता मत
करना, उसके बाद धीरे धीरे वो
मजा मिलेगा जिसे जीवन भर याद रखोगी।
मैं बोली- इतनी
छोटी बुर में कैसे इतना मोटा लण्ड घुसेगा?
वे बोले- देखो,
कितनी छोटी बुर से कितना मोटा बच्चा पैदा होता
है? एक्चुअली बुर रबड़ की तरह
होती है, एक बार लण्ड घुसते समय जब
लण्ड अपनी जगह बनाते हुए अन्दर जाता है तो दर्द होता है किन्तु जब बार बार रगड़ने
से वो दर्द मजे में बदल जाता है
"एक और बात
!"
वे बोले- कहो?
मैंने कहा- अभी
मैं 18 साल की हूँ, इससे कोई दिक्कत?
वे बोले- अगर
लड़की स्वंय सेक्स के लिए तैयार हो तो वो माहवारी शुरू होने के बाद पूरा सेक्स कर
सकती है, इससे शरीर की बढ़त भी
अच्छी होती है।
अब मैं तैयार थी।
फिर वो धीरे धीरे
अपने हाथ को मेरी चूची के ऊपर से शरीर पर नचाते हुए बुर के हल्के रोंए से बुर तक
ले जाते और एक अंगुली धीरे से बुर के छोटे से छेद में सरका देते। मुझे इतना मजा आ
रहा था कि मैं चुपचाप आँखें बंद करके अनुभव कर रही थी।
कुछ देर यूं ही
करने के बाद बहुत सारा वैसलीन उन्होंने मेरी बुर में लगाई और फिर मेरी कमर को पकड़
कर मुझे उल्टा कर दिया।
मैं घबरा गई,
सोचा गांड़ में तो लण्ड नहीं डालेंगे? पर बोली नहीं, सोचा देखती हूँ।
मुझे उलट कर वो
धीरे से मेरे ऊपर सवार हुए और मेरी छाटी सी बुर के छेद पर मोटा सा सुपाड़ा लगा कर
जोरदार धक्का दिया। मैं चीख पड़ी और उनको वापस धक्का देते हुए कहने लगी- निकालो,
बहुत दर्द हो रहा है।
वे बोले- चिन्ता
मत करो, सुपाड़ा अन्दर जा चुका है,
अभी थोड़ी हिम्मत रखो, असीम आनन्द मिलेगा।
और वैसे ही रूक
कर मेरी चूची हल्के हाथ से दबाने लगे। थोड़ी देर में मेरी बुर में थोड़ी गुदगुदाहट
हुई, वो समझ गए और फिर एक जोर
का झटका दे मारा, अब की बार मैं रो
पड़ी और चीखने लगी, शायद मेरी बुर से
खून निकलने लगा था।
वे बोले- देखो,
अब चिन्ता बिल्कुल मत करो, आधा घुस चुका है, एक बार थोड़ा सा और झेलो, फिर मजा ही मजा !
मैंने भी सोचा कि
एक न एक दिन इस दौर से गुजरना ही था तो आज ही सही ! इसके बाद मैं भी चुदाई का
आनन्द औरों की तरह मम्मी की तरह ले सकूंगी।
तभी उन्होंने एक
और जोर का झटका दे मारा, लगा कि अब मैं
मरी।
और जैसे उल्टी
होने लगी पर वे अब रूके, नहीं तीन चार बार
लण्ड वापस खींचकर दनादन दे मारे हर झटके में मेरी जान हलक पर आ जाती पर आठ दस
झटकों के बाद मेरी बुर में हल्की गुदगुदाहट होने लगी।
वे बोले- अब कैसा
लग रहा है?
मैंने कहा- हल्की
गुदगुदी बुर के अन्दर हो रही है।
वे समझ गये और
पोजिशन बदलने लगे। अब अपना पूरा लण्ड बाहर निकाल कर कपड़े से पहले अपने लण्ड पर
लगे खून को साफ किया फिर मेरी बुर को अच्छी तरह से साफ किया।
मैंने कहा- जलन
हो रही है, रहने दीजिए, कल कर लेंगे।
वे बोले- पागल,
अब तो तुम्हें चुदाई का असली मजा मिलने जा रहा
है, चलो सीधा लेट जाओ।
मैं सीधा लेट गई,
वे मेरी दोनों टांगें उठाकर अपने कंधे पर रखकर
लण्ड के लाल सुपाड़े को मेरी बुर के छेद पर रख कर एक जोर का झटका दिया उनका लण्ड
सीधा मेरी बुर में समाता चला गया।
मैं चीख पड़ी- आई
मां... आह रे बाबा...
किन्तु अबकी दर्द
बड़ा मीठा था, एक दो धक्के के
बाद ही मेरी बुर पक पक की आवाज करने लगी पर मुझे अजीब सा मजा आने लगा, लग रहा था कि बुर के अन्दर खूब गर्म लाहे का
डण्डा अन्दर-बाहर हो रहा हो।अनायास ही मेरे मुख से आवाज निकलने लगी- आह ! आप सही
कह रहे थे, इतना मजा आता है चुदवाने
में ! मैं नहीं जानती थी, तभी लोग चुदाई के
लिए पागल से रहते हैं ! चोदो, खूब चोदो !
मेरी बुर के तरल
पदार्थ की वजह से उनका लण्ड फच्च फच्च की आवाज के साथ अन्दर-बाहर हो रहा था,
वे बोल रहे थे- देखा लण्ड का छोटी बुर का मिलन
! देखो कितना मजेदार है।
और इसी के साथ
उन्होंने गति बढ़ा दी। अब धकाधक धक्के पे धक्के के साथ फुल स्पीड में चुदाई चालू
हो गई मेरी। लण्ड को पूरा बाहर खींचकर फिर अन्दर दे मारते, फच की आवाज के साथ पूरा लण्ड भीतर घुस जाता। अब मुझे पूरा
मजा आने लगा। थोड़ी ही देर में मुझे लगा कि मेरी बुर से कुछ निकलने वाला है और तभी
मैं उनकी कमर जोर से पकड़ कर आं ..स आ उ..स....स....फ करते हुए झड़ गई।
उन्होंने अपना
बदन खूब जोर से मेरी बुर पर चिपका दिया, तभी अपना लण्ड निकाल कर मेरी नाभि के ऊपर रख कर अपना लावा उगल दिया जो कि काफी
गरम था और निकलने वाला सफेद पदार्थ काफ़ी सारा था।
मैंने हाथ से
थोड़ा लेकर चखा, अजीब सा नमकीन
स्वाद था, अच्छा नहीं लगा किन्तु
उसकी सुगन्ध बड़ी अच्छी थी।
उसके बाद कई बार
उनसे चुदी, कई बार उनके लण्ड का
रसपान भी किया लेकिन वे हमेशा यह ध्यान रखते कि मेरी बुर ज्यादा खराब न हो और मैं
मां न बनूँ।
और यह भी अनुभव
हुआ कि उम्रदराज व्यक्ति के साथ चुदाई का मजा ही कुछ और होता है, वो मजा नये लड़के कभी नहीं दे सकते। उसके बाद
कई बार उनसे चुदी, कई बार उनके लण्ड
का रसपान भी किया लेकिन वे हमेशा यह ध्यान रखते कि मेरी बुर ज्यादा खराब न हो और
मैं मां न बनूँ।
और यह भी अनुभव
हुआ कि उम्रदराज व्यक्ति के साथ चुदाई का मजा ही कुछ और होता है, वो मजा नये लड़के कभी नहीं दे सकते। "आपको
अपनी मम्मी पर कभी गुस्सा नहीं आया?"
"नहीं, क्योंकि उस समय हमारे पापा का देहान्त हुए दो
साल हो गए थे, मम्मी भी तो
प्यासी होंगी। बल्कि खुशी हुई कि मम्मी ने कहीं बाहर किसी से न चुदवाकर अपने ही
रिश्तेदार को चुना और इससे भी खुश थी कि समय रहते मुझे भी कहीं भटकने न देकर एक
सफल व्यक्ति से मुझे चुदाई का मजा दिलवाया। उस चुदाई के पहले मैं हमेशा उखड़ी सी
रहती थी, पढ़ाई में मन नहीं लगता
था पर चुदाई के बाद मैं शांत हो गई स्वास्थ्य ठीक हो गया और पढ़ाई में मन भी लगने
लगा।"
"तो अब क्यों नहीं
उनसे चुदवाकर बच्चा प्राप्त कर लेतीं?"
"आप ने ध्यान नहीं
दिया शायद, तब से अब तक 8 साल गुजर चुके हैं और अब वे 55 के हो चुके हैं और किसी काम के नहीं हैं।
मैंने यह सब उन्हें बताया था पर उन्होंने बताया कि अब उनकी सेक्स ताकत खत्म हो
चुकी है।"
"ओह ! ठीक है
रेणुका, तुम चिन्ता मत करो,
चौधरी जी को आने दो, मैं कुछ दवाएँ जानता हूँ, उन्हें ठीक करने का प्रयास जरूर करूँगा।"
"हाँ, जरूर ! लेकिन वो तो यह तक कह रहे थे कि अगर
जरूरत पड़ी तो आपका ही वीर्य लेकर मुझमें इन्जेक्ट करवा कर बच्चा पैदा करवाएँगे,
अगर आप तैयार हुए तो ! इसलिए मैंने बिना कुछ
छुपाए आपको अपनी सारी कहानी बताई।"
"जरूर ! यदि मेरा
वीर्य तुम्हारी खुशी और चौधरी जी की इज्जत बचा दे तो मैं किसी भी तरह की मदद करने
को तैयार हूँ। ठीक है अब चलता हूँ, खाना भी बनाना
है।"
कह कर मैं ज्यूं
ही खड़ा हुआ मेरा लण्ड इतना उतावला हो गया कि लग रहा था पैंट ही फाड़ कर बाहर आ
जाएगा। यह बात रेणुका से छुपी न रह सकी, फिर भी मैं चल दिया।
आते आते रेणुका
ने कहा- इन्जिनियर साहब, खाना मत बनाना !
मैं बना कर आपके कमरे में लाती हूँ।
मैं 'ठीक है।' कहते हुए चला गया।
मैं कमरे में
पहुँच कर फ्रेश होकर लेटा ही था कि रेणुका भोजन लेकर आ गई और जब तक मैं खाता रहा
तब तक वहीं बैठी रही। मेरे खा लेने के बाद वही बात करना शुरू की, कहने लगी- मेरी कहानी ने आपको पकाया तो नहीं?
"नहीं नहीं !
बल्कि मैं यह सोच रहा था…!"
तो उन्होंने मुझे
टोकते हुए कहा- आपके आते वक्त मैंने आपकी पैंट देखी थी, हालत खराब लग रही थी।"
मैं हंसने लगा और
कहा- मैं तो खुद को बीच में नहीं लाना चाह रहा था, सोच रहा था चौधरी जी के साथ गद्दारी होगी पर आपने जब से
बताया कि वे चाहते हैं बच्चा हो चाहे जैसे तब से आपकी सुन्दरता आँखों के सामने ही
घूम रही है। सच कहूँ तो चौधरी जी को धन्य मनाना चाहिए अपने नसीब का कि इतनी
खूबसूरत बीवी मिली है उन्हें !
वो शरमा गई और
बोली- आप गजब के धैर्यवान मर्द हैं, मानना पड़ेगा, दूसरा कोई होता
तो अब तक क्या क्या कर चुका होता।
"नहीं, ऐसी बात नहीं है, मैं आपकी इच्छा का सम्मान करता हूँ इसलिए आपकी तरफ से कोई
इशारा नहीं पाया और चौधरी जी के साथ कहीं धोखा न हो जाए, यह भी चिन्ता थी, किन्तु यदि आपको लगता है कि आप मुझसे बच्चा चाहती हैं तो मैं तैयार हूँ कम से
कम आपको 20 से 25 दिनों तक रोज मेरे साथ… !"
"मैं तैयार हूँ और
आपको बताना चाहती हूँ कि सच मैं इतनी बेशर्म न थी पर बच्चे की चाहत कुछ भी करवा
दे।"
तुरन्त मैंने
उनके मुख पर हाथ रख दिया, मेरा शरीर सनसनाने
लगा, पहली बार मैंने रेणुका को
छुआ था। हाफ पैंट पहने हुए था, अन्डरवियर नहीं
पहना था, लण्ड गनगना कर खड़ा हो
गया। रेणुका नाइटी में थी, उससे उनके उभार
जो कि 36 या 38 के होंगे, नुकीले नुकीले महसूस हो रहे थे और रेणुका को अपनी तरफ खींच
कर खुद के गले लगाकर उसके गुलाबी होठों को अपने मुँह में भर लिया और धीरे धीरे
चुभलाने लगा।
वो भी मस्ती में
आ रही थी, शायद इसके लिए वो पहले से
ही तैयार थीं, वो भी अपने हाथों
को मेरी पीठ पर फिराने लगीं और मेरे हाथ उनकी चूचियों का सही नाप लेने लगे कुछ देर
यूं ही चलता रहा और फिर मैं उनकी चूचियों को हल्के हाथों से मसलने लगा, उनकी सिसकारियाँ शुरू हो गईं, रेणुका का हाथ मेरी हाफ पैंट के अन्दर जाकर
मेरे लण्ड पर सरकने लगा और वो अनायास ही बोल पड़ीं- अरे वाह आपका तो पूरा बड़ा
लण्ड है, मेरे उस रिश्तेदार से भी
तगड़ा ! खैर छोटे बड़े से कोई फर्क नहीं पड़ता असली परीक्षा तो अभी बाकी है।"
मैंने कहा-
चिन्ता मत करो ! आज हर बाजी मेरी होगी।
और उनकी नाइटी
उतार फेंकी और अब ब्रा पर जुट गया ब्रा से मुक्त होते ही चुचियाँ यूं बाहर निकलीं
जैसे कोई चिड़िया एकाएक पिंजड़े से आजाद हो गई हो, सफेद बर्फ जैसी चूचियों पर भूरे निप्पल, सामने को तने हुए, अपनी तरफ आकर्षित कर रहे थे। मैं झट से निप्पलों को मुख में
भर कर बारी बारी चूसने लगा और हल्के से दाँत भी गड़ा देता, वो आह सी आवाज निकाल देतीं और हाथ अपनी जिम्मेदारी समझते
हुए उनकी पैंटी उतार रहे थे। मेरी निगाह जब उनके नीचे गई तो मन और चंचल हो गया।
गजब का तराशा बदन था, सुनहरी रेशमी
झांटे बुर पर चार चांद लगा रही थीं, यूं लग रहा था जैसे यह बुर सिर्फ देखने के लिए ही बनी है।
तभी वो मेरी भी
पैंट नीचे गिरा चुकी थीं, मेरा भी 8 इन्च का लण्ड छलकता हुआ तूफान मचा रहा था,
बौखलाए काले सांड की तरह ऊपर नीचे हो रहा था।
तभी रेणुका मेरे बौखलाए सांड को अपने मुँह में लेकर उस पर काबू करने का प्रयास
करने लगी और आधा लण्ड मुख में रख कर चूसना प्रारम्भ कर दिया। मैं अपने हाथों से
उनकी रेशमी झांटों में अँगुली से खेलने सा लगा, उसी में धीरे से बीच बीच में अपने हाथ के पन्जे से उनकी
पूरी बुर को मसल देता और वे चौंक सी जाती। ऐसा लग रहा था जैसे वो आज पहली बार
चुदने जा रही हों और मैंने भी ऐसी कमाल की बुर अभी तक नहीं देखी थी। हाथ अपने काबू
में न थे, कभी बुर पर, कभी चूची पर, कभी झांटों में उलझ रहे थे, जोश होश में न था, लण्ड रेणुका के मुख में ही अपना प्रथम नमकीन पानी गिरा कर अपने बौखलाहट और
गरमी का एहसास रेणुका को करा रहा था और रेणुका मौका पाते ही उसे गटक जाती थी मानो
कोई शहद चटा रहा हो। और सुपाड़ा काफी गुस्से में नजर आ रहा था, पूरा लाल टमाटर जैसा, फूल कर डब्बा हुआ जा रहा था, उसकी मोटाई लण्ड से भी आधा इन्च ज्यादा थी और एक अँगुली
मेरी अपना करामात दिखाते हुए रेणुका की बुर में जा चुभी।
वो थोड़ा सा
कुलबुला उठी।
अब बारी चुदाई की
नजदीक आ रही थी क्योंकि लण्ड में भयंकर रक्त प्रवाह बढ़ गया था, लग रहा था कि सुपाड़ा अभी फट ही जएगा। मैंने
तुरन्त लण्ड को रेणुका के मुख से बाहर खींचा और उनको बेड पर सीधा लिटा कर कमर के
नीचे एक तकिया डाला और उनके पैरों को अपने कन्धे पर चढ़ा कर लण्ड का फूलकर मोटा
हुआ सुपाड़ा बुर के लबों पर भिड़ा दिया। उनकी बुर के छेद के सामने लग रहा था कि
कोई विकराल मुँह बन्द रख दिया गया हो। चूँकि लण्ड गीला था ही और बुर भी गीली हो
चुकी थी, हल्के धक्के के साथ ही
लण्ड बुर में रगड़ता हुआ आधा समा गया पर इतने में ही रेणुका छ्टपटा उठी और मुख से
हल्की सी चीख निकल गई।
मैं पूरे जोश में
था, चूचियों को मसलते हुए
अपने लण्ड का अगला प्रहार जोरदार तरीके से कर डाला। रेणुका एकदम से चीख पड़ी और
बुर से थोड़ा लाल पानी भी आ गया पर मैंने चूचियों पर हाथ चलाना जारी रखा, जब मुझे लगा कि अब उसे कुछ अच्छा लग रहा है तब
लण्ड को पूरा बाहर खींच कर ताबड़ तोड़ तीन-चार धक्के दे ही मारे। हर धक्के पर वो
सिकुड़ सी जाती, कुछ-एक धक्कों के
बाद वो भी चूतड़ हिला कर इशारा करने लगी कि अब बेधड़क चोदो !
तब मैंने उनसे
पूछा- मजा आ रहा है रेणुका?
"हाँ, चोदिए ! खुल कर ! एक बार तो आपका लण्ड बुर पर
लगा नाराज ही हो गया है और फाड़ कर रख दिया पर मेरी बुर भी कम नहीं, आखिर आपके लण्ड को पटा ही लिया।"
मैंने कहा- अरे
इतनी प्यारी और सुन्दर बुर से कौन पागल लण्ड दोस्ती नहीं करना चाहेगा? सच रेणुका, इतनी गुलाबी जवान बुर मैंने आज तक नहीं देखी थी। मेरे कालू
को इस सुन्दर बुर ने दीवाना बना लिया है।
लण्ड बुर में
काफी रगड़ते हुए जा रहा था जिससे मेरा मजा ही कुछ और था और रेणुका भी झूम झूम कर
चूतड़ हिला रही थी और बुर लण्ड की नई दोस्ती नई धुन पैदा कर रही थी। लण्ड गच गच गच
गच की धुन बुर को सुना रहा था और बुर चुभ चुभ फ़ुच फ़ुच कर लण्ड के गीत का स्वागत
कर रही थी।
अब तो ऐसा लग रहा
था कि लण्ड बुर से खेल रहा हो। रेणुका भी पूरे ताव में थी और मेरा मुख रेणुका की
चूची पर जीभ निप्पल पर घूम रही थी, हाथ चारों तरफ
रेंगने का काम करके काम क्रीड़ा को और हवा दे रहे थे और रेणुका के हाथ मेरे लण्ड
के नीचे की गोलाइयों पर फिर रहे थे जिससे लण्ड और झूम रहा था।
अब रेणुका की गति
बढ़ रही थी, मैंने अपने लण्ड
की भी रफ्तार बढ़ा ली, लग रहा था रेशमी
झांटों वाली बुर उछ्ल उछ्ल कर लण्ड का स्वागत कर रही हो और लण्ड चभक चभक कर स्वागत
करवा रहा हो। पूरी गति से लण्ड का प्रहार बुर पर जारी था और तभी रेणुका आखिरी चरण
पर पहुँचने लगी और ऐसी चिपकी जैसे लण्ड को निगल जाएगी और झड़ गई।
अब लण्ड भी
रेणुका के प्यारी बुर का पानी पीकर अपना आपा खो बैठा और अपना भी गरम लावा फेंक कर
बुर को पूरा भर दिया।
आज की चुदाई खत्म
हो चुकी थी, मैंने रेणुका से
कहा- रेणुका, वाकई तुम कमाल की
बाला हो और तुम्हारी बुर तो हाय तौबा ही है।
वो बोलीं- आपका
लण्ड भी कम नहीं है, भले ही काला है
पर बड़ा ही मतवाला है। आज की चुदाई मरते दम तक नहीं भूलेगी जीवन का वो आनन्द
प्राप्त हुआ है कि मैं व्यक्त नहीं कर पाऊँगी।
थोड़ी देर बाद
रेणुका चली गई और फिर रोज उसकी चुदाई का अनोखा खेल शुरू हो गया पर 3-4 दिन बाद चौधरी जी का आगमन हो गया तो मैं समझा
कि शायद अब रेणुका को चोदने का मौका नहीं मिलेगा पर रेणुका का आना और चुदाना जारी
रहा और उसने बताया भी कि वे सब जान चुके हैं, पर उन्हें एतराज नहीं है, किन्तु मैं माना नहीं, मैंने सोचा कि ऐसा कैसे हो सकता है, क्या चौधरी इतने एडवाँस हैं? और मेरी भी आत्मा गवाही नहीं दे रही थी कि जो आदमी इतना
विश्वास मुझ पर करता हो, उसे मैं धोखा दूँ,
यही सोच कर एक दिन चौधरी जी को शाम चाय पर अपने
कमरे पर बुलाया और बातों का सिलसिला शुरू कर दिया। बच्चे से बात शुरू की और फिर
रेणुका की खुद से चुदाई की बात हिचकते हुए बताया और यह भी कहा कि मैं आपके साथ
गद्दारी नहीं करना चाह रहा था पर रेणुका ने बताया कि आपकी ऐसी चाह भी है तभी ऐसा
करने की हिम्मत हुई, नहीं तो अपने और
रेणुका जी के सम्ब्न्धों पर आपसे बात भी नहीं कर पाता।
कि मैंने ही
रेणुका से अपनी बिमारी के बारे में आपसे चर्चा करने को कहा था क्योंकि मैं अपने
सूत्रों से जान गया था कि आप सेक्सोलाजी में महारत हासिल किए हुए हैं और उस समय
रेणुका ने आशंका जताई थि कि कैसे वो आपसे बात करेगी, मैंने ही उसे ढांढस बंधाया था और यह भी कहा था कि इतना
स्मार्ट आदमी यदि तुमसे सेक्स कर ले और उसका जीन्स तुम में पहुँच जाय तो हमारा
बच्चा कितना सुन्दर और तीव्र बुद्धि का होगा। आप तो जानते ही हैं कि मैं थोड़ा
छोटे कद का हूँ और साँवला भी तथा सेक्स में बीमार ! सब मिला कर जो आपका साथ रेणुका
को मिला उसके लिए धन्यवाद और अपेक्षा यही करता हूँ कि आगे भी आपका सहयोग हम पाते
रहेगें।
मैं खुश हो गया,
आज यकीन हो गया कि चौधरी जी तो अच्छे इन्सान
हैं ही पर रेणुका एक सबसे सच्ची और अच्छी पत्नी !
मैंने चौधरी जी
से कहा- आप चिन्ता मत करें, मैं गारन्टी के
साथ बोलता हूँ कि आपको ठीक कर दूँगा, बस जो कहूँ, करियेगा, शर्माइएगा मत।
वे बोले- जैसा आप
कहें, मैं करने को तैयार हूँ।
मैंने कहा- सबसे
पहले आपको मेरे सामने नंगा होकर अपना लण्ड और अण्डकोश दिखाना पड़ेगा और यह ईलाज
मैं आपका कल से शुरू कर दूँगा।
और मैंने चौधरी
जी का कुछ औषधियाँ लिख कर दीं जो कि वीर्य की मात्रा बढ़ाती है और वीर्य को गाढ़ा
करती हैं।
और मैंने चौधरी
जी को हस्तमैथुन करने से एकदम मना कर दिया था।
धीरे धीरे चौधरी
जी का वीर्य बढ़ रहा था और गाढ़ा भी हो रहा था, यह सब देखकर चौधरी जी ने मुझसे कहा था- आप चाहें तो पार्ट
टाइम डाक्टरी भी करके आमदनी बढ़ा सकते हैं, आपको सेक्सोलाजी का अच्छा ज्ञान भी है।
पर मैंने साफ मना
कर दिया और कहा- नहीं चौधरी जी, भगवान की दुआ से
इतनी बड़ी पोस्ट पर हूँ और इतना कमाता भी हूँ कि अपने घर के साथ 10-20 घर भी चला सकता हूँ, यह ज्ञान समाज सेवा के लिए ही ठीक है।
अब उनका लण्ड
बड़ा करना था और चुदाई की परीक्षा भी।
मैं यहाँ शीघ्र
पतन की बात करना चाहूँगा असल में शीघ्र पतन कोई खास बिमारी होती ही नहीं है बस मन
का भ्रम होता है। एक व्यक्ति पूरा जोश में आने के बाद ज्यादा से ज्यादा 10 मिनट ही सेक्स कर सकता है, यदि बीच में अवस्था न बदले तो, अन्यथा 5 या 10 मिनट और बढ़
जएगा। आप मन में मान लीजिए कि हमें इस तरह की कोई बिमारी है ही नहीं, देखिए शीघ्र पतन की बिमारी खत्म, और फिर भी आपको लगता है कि ऐसा कुछ है तो उसका
एक ही कारण हो सकता है गलत तरीके से किया गया हस्तमैथुन।
एक छोटा सा उपाय
है, कर लें सही हो जाएगा,
सुबह सुबह एक ग्लास पानी 1/2 नींबू निचोड़ कर हल्का नमक मिला कर पी जाएं
बिमारी खत्म।
और हस्तमैथून
करने का सबसे अच्छा तरिका पुरुष दोस्तों के लिए-
कभी भी ध्यान
दीजिए कि जब लण्ड बुर में जाता है तो कितनी नम्रता से बुर उसका स्वागत करती है,
क्या आप हाथ से भी लण्ड को वही मजा दे पाते हैं?
नहीं, नहीं दे सकते हैं, तो कम से कम वैसा
प्रयास तो कर सकते हैं। पहले तो कोशिश यह हो कि हस्तमैथुन से बचें, यदि नहीं बच सकते तो लण्ड के नीचे ध्यान दें एक
चमड़े का धागा जैसा सुपाड़े से जुड़ा होता है उसी पर घर्षण से पतन होता है।
आप हस्तमैथुन
करते समय ध्यान दें कि जितना साफ्टली हो सके उतना ज्यादा हल्के हाथ से ही लण्ड को
रगड़ें और आराम से माल को गिरने दें, ज्यादा जोश में लण्ड पर दबाव न डालें, फिर आपको मजा भी मस्त मिलेगा और शीघ्रपतन की बिमारी से भी निजात।
लड़कियों के लिए-
सबसे पहले तो
ध्यान दें कि आप हस्तमैथुन किस यन्त्र के उपयोग से करेंगी- बैंगन, मूली या कृत्रिम लण्ड से, या अपनी अँगुली से? तो सबसे पहले उसे अच्छी तरह साफ कर लें और बैंगन या मूली
में कीड़े इत्यादि की जाँच कर लें, यदि अँगुली से,
तो नाखून एकदम छोटे होने चाहिए और उपरोक्त
वस्तुओं में सरसों का तेल या चिकनाई, वैसलीन लगा कर बहुत आराम से बुर के अन्दर लें और आराम से लण्ड की तरह खुद को
चोदें और ज्यादा हस्तमैथुन न करें, इससे अच्छा तो
कोई लण्ड ही लें, क्योंकि लड़कों
को बुर मिलना जितना मुश्किल है लड़कियों को लण्ड पाना उतना ही आसान।
चौधरी जी का लण्ड
बड़ा करना था और चुदाई की परीक्षा भी, यह सब कैसे हुआ? कैसे हुआ रेणुका
को बच्चा? यह कहानी मैं आगे नहीं
बढ़ाऊँगा,
इस कहानी का अगला
भाग रेणुका की छोटी बहन पूजा पर केन्द्रित होगा।
अपने कहे अनुसार
अब पूजा की कहानी पर आता हूँ।
हुआ यूँ कि मैं
तो यह बात जान ही गया था कि पूजा चुदाई का मजा तो पूरा नहीं ले पाई है किन्तु लण्ड
की हल्की तपिश तो पा ही चुकी थी और रेणुका आदतानुसार पूजा को मेरे साथ चुदाई की
बात शायद बता ही चुकी हो।
एक दिन रेणुका
चुदा कर जैसे ही गई पूजा इंगलिश के एक निबन्ध पर मुझसे विचार करने आ गई, पूजा जो कि एकदम से दुबली लड़की जैसे शरीर में
उसके मांस हो ही नहीं, सिर्फ हड्डियों
पर चमड़ा चढ़ गया हो, और चूची का तो
कपड़े के ऊपर से पता ही नहीं चल रहा था कि हैं भी, चूतड़ न के बराबर दिख रहे थे, कोई फ़िगर का पता ही नहीं चल पा रहा था।
बस एकाएक मैंने
उससे पूछ ही लिया- पूजा, तुम इतनी दुबली
हो, क्या कारण है?
उसने कहा- पता
नहीं।
तब मैंने कहा-
बताऊँ यदि बुरा न मानो तो और जो पूछूँ सच बताना?
वो बोली- पूछिए?
मैंने कहा- अच्छा
तुम यह जानती हो कि रेणुका मेरे पास इतनी रात रात तक क्या करती है?
उसने शरमा कर
मुस्कुराते हुए हाँ में सिर हिला दिया।
मैंने पूछा- क्या
तुम्हें रेणुका ने बताया?
वो बोली- नहीं,
पर मैंने अन्दाजा लगा लिया है।
"अच्छा सच बताना
पूजा, क्या तुम अपना स्वास्थ्य
सुधारना चाहती हो? जो पढ़ाई में मन
नहीं लगता, मन शांत नहीं रहता,
हमेशा गुस्सा आता है, चिड़चिड़ापन यह सब दूर करना चाहती हो?"
उसने कहा- हाँ।
"सबसे पहले तुम यह
जान लो कि रेणुका से मैं सब जान चुका हूँ तुम्हारे बारे में और मेरे समझ में एक ही
कारण आया है कि तुम किसी न किसी प्रकार से असन्तुष्ट हो, चूंकि सेक्स के बारे में भी तुम काफी कुछ जान चुकी हो,
हो सकता है वही कमी तुम्हारे हार्मोंन्स को कम
कर रही हो। अच्छा सच बताना, क्या सेक्स करने
का मन करता है? और यदि हाँ तो
तुम क्या करती हो जब मन करता है, खुल कर बताना,
मैं पराया नहीं हूँ।"
पूजा ने कहा- हाँ,
मेरा मन करता है पर मैं दबा जाती हूँ और मन में
बहुत सारी बातें सोच कर समाज के डर से कभी किसी से कुछ करने की सोचती भी नहीं हूँ।
"क्या तुम जानती
हो कि इस तरह मन को सेक्स से परे हटाने से जबकि तुम्हें 50 फिसदी से ज्यादा भी सेक्स के बारे में पता हो तो हटाना कई
बिमारियाँ पैदा करता है? हाँ, यदि सेक्स के बारे में जानती पर लण्ड की गर्मी
खुद की बुर पर महसूस नहीं करती तो शायद तुम्हें कोई दिक्कत नहीं होती पर अब मेरे
हिसाब से एक ही इलाज है चुदवाना। क्या तुम मुझसे चुदवाना चाहोगी?"
उसने कहा- कुछ हो
गया तो?
मैंने कहा- कुछ
नहीं होगा, थोड़ी दिक्कत हो सकती है,
थोड़ा सा दर्द होगा थोड़ा सा खून भी गिरेगा पर
बाद में मजे लेकर खुद चूतड़ उछाल उछाल कर तुम्हारी बुर लण्ड गटक जाएगी, बस तुम्हें एक बार हिम्मत दिखानी है, बोलो तैयार हो?
बहुत देर सोचने
के बाद पूजा ने शर्माते हुए हाँ में सिर हिलाया और तब मैं आगे बढ़ने लगा।
सबसे पहले मैंने
पूजा से पूछा- चुदाई को लेकर उसके मन में क्या है, कैसे वो चुदवाना चाहती है।
और कहा- लण्ड और
बुर का नाम बिना शर्माए ले, और अपने मन की
भावनाएँ खुल कर बिना हिचके चुदाई के दौरान या चुदाई के पहले और बाद बताए।
वो तैयार थी।
अब मैं एक एक कर
उसको पूरा नंगा कर प्रकाश में उसके अंग देखने लगा। वो काफी शरमा रही थी।
मैंने कहा- पहले
अपनी शर्म एकदम खत्म कर दो, तभी अच्छी चुदाई
का मजा पाओगी, नहीं तो चुदवाओगी
भी और मजा भी न पा सकोगी।
वो वाकई में
समझदार थी। शर्म छोड़ कर अब पूरी तरह तैयार थी। मैं समझ गया कि सच यह अपना सारा
दुख मिटाना चाहती है।
उसकी चूची छोटे
अमरूद जैसी थी जो कि काफी सख्त थी और निप्पल तो आम की ढेपनी जैसे छोटे से थे,
पूरा शरीर दुबला पतला, सफेद सी सुन्दर बुर पर काले किन्तु हल्के से बाल थे,
बुर सुखी हुई सी एकदम चिपटी 1/2 इन्च छोटी, और उसके बुर में छेद जैसे था ही नहीं, पर बुर के ऊपर का लहसुन लाल, बुर के होंठ हल्के साँवले।
मैंने जैसे ही
उसकी चूची मसलनी चाही, उसने मुझे मना कर
दिया कहा- चोद भले लीजिए पर मैं अपनी चूची मसलवा कर बड़ी नहीं करना चाहती।
मैं तुरन्त उसकी
बात मान गया और फिर उसकी चूची को मुँह में भर लिया और उसे समझा भी दिया कि इससे
तुम्हें मजा भी मिलेगा और चूची भी नहीं बढ़ेगी।
बहुत देर तक
चुभलाने के बाद मैंने उसे कहा- एक काम कर पूजा, जा बाथरूम में और अपनी बुर को डिटाल साबुन से धो ले। हाँ,
बुर के छेद में जहाँ तक तुम्हारी अँगुली घुस
जाए साबुन लगा कर खूब बढ़िया से साफ कर ले।
उसने वैसा ही
किया, फिर मैं भी जाकर अपना
लण्ड अच्छे से साफ कर आया।
अब मैंने अपना
लण्ड पूजा के हाथ में देकर कहा- लो इसे अपने मुख में डाल लो और इसका स्वाद चखो !
वो पहली बार लण्ड
को मुख में ले रही थी इस लिए उसे खराब लग रहा था, पहले सिर्फ जीभ से थोड़ा चाटा और उकलाने लगी, मैंने कहा- मन पक्का कर ले पूजा और समझ ले कि
कोई टाफी या आइस क्रीम चूस रही हूँ।
वो बोली- यह
जरूरी है क्या?
मैंने कहा- हाँ,
यदि निखार लाना है तो इसमें से निकलने वाला
नमकीन पानी पी लेना चाहिए तुम्हें।
अब सच वो एक
समझदार की तरह काम कर रही थी, मुझे बहुत खुशी
हो रही थी, वो पहले तो मेरा लण्ड
देखकर घबरा गई थी किन्तु समझाने के बाद उसका डर दूर हो गया था थोड़ी देर उकलाती,
उबटाती, हल्का स्वाद लेती अब वो मजे से मेरा लाल सुपाड़ा मुख में
रखकर चुभला चुभला कर पीने लगी थी और उसमें से निकलने वाला गरम पानी गटक जाती थी।
अब नम्बर मेरा था
कि उसकी सुखी बुर को रस युक्त बनाऊँ, मैं भी अपना लण्ड उसके मुख में पीता छोड़ उसकी चूची पीते हुए उसकी बुर के ऊपर
उसकी झाँटों को दाँतों से किटकिटाते हुए अपनी जीभ से उसके बुर के लाल लहसुन को
चाटने लगा और बीच बीच में बुर के दोनों होंठों को भी मुख में भर कर पी लेता था।
धीरे धीरे पूजा की बुर जवान हो रही थी और कुछ फूल रही थी। मेरा भी 8 इन्ची लण्ड और उसका लाल सुपाड़ा पूजा के मुख
में हल्का हल्का अन्दर बाहर होकर अपना नमकीन लस्सेदार थोड़ा अलग स्वाद का पानी
पूजा को मस्त कर रहा था, वो पानी जो कि
लसलसा था, पूजा पूरा गटक जा रही थी।
अब मैं पूजा के
बुर की छेद को अपने होठों से दबाकर चुभक चुभक कर पीने लगा और अब पूजा की सुखी बुर
सूखी न रही, उसमें से भी
हल्का नमकीन और हल्का सा खट्टा पानी का स्वाद मैं भी पा रहा था। कुछ देर ऐसे ही
पीने के बाद मैं अपनी जीभ पूजा के बुर के छेद में डाल कर अन्दर का स्वाद चखने लगा
और पूजा अनायास ही अपना कमर हिला कर अपनी बुर मुझे मस्ती में पिलाने लगी। मेरी जीभ
पूजा के बुर में अन्दर बाहर हो रही थी और मैं अपनी जीभ पूजा की बुर में घुमा घुमा
कर चाट रहा था और हाथ पूजा के मुलायम झाँटों से खेल रहे थे। बहुत देर तक यूं ही
चलता रहा और फिर हम अलग हुए मैंने देखा पूजा की बुर नशे के कारण फूल कर कुप्पा हो
रही थी, मेरा लण्ड भी फुंफकार मार
रहा था और अब मैं पूजा के पूरे शरीर पर चुम्बन ले रहा था कभी कमर चूम रहा था,
कभी चूची पी लेता, कभी उसकी झांटें चूम लेता और कभी उसका लाल लहसुन जीभ से मसल
देता। ऐसा करने से पूजा सिसकारियाँ भर रही थी और वो भी मेरा लण्ड अपने मुख से
निकाल कर कभी लाल सुपाड़े को अपनी जीभ से चाट लेती, कभी अपनी जीभ से पूरे लण्ड को जड़ तक चाटती कभी कभी मेरी भी
झाँटों को अपने दाँतों से किटकिटा देती और कभी कभी मेरे दोनों अण्डों को चाटने
लगती, और फिर सुपाड़े के छेद से
वो निकलने वाला लसलसा पानी चाट कर निगल जाती।
पहली बार किसी
लड़की ने मुझे इतना मजा दिया था, मैंने कहा- पूजा
मजा मिल रहा है।
वो बोली- बता
नहीं सकती, इतना मजा आ रहा है।
मैंने कहा- पूजा
एक बात कहूं, बड़ी नसीब वाली
हो, मैं सबकी बुर नहीं पीता,
अब सोच लो तुम कैसी हो।
वो हंसी और बोली-
तब तो मैं आज धन्य हुई और आपने पहली ही बार मेरी बुर ऐसा चूसा कि अब आपके बगैर मैं
रह ही नहीं सकती। और फिर मेरे एक अण्डे पर जीभ चलाने लगी। मैं फिर से पूजा की बुर
पीने लगा। वाकई गजब का स्वाद था पूजा की अनचुदी बुर का। बुर और लण्ड दोनों एकदम
गीले हो चुके थे, अब मैं पूजा की
बुर में अपनी एक अँगुली भी थोड़ा थोड़ा करके डालने लगा था, फिर मैं ढेर सारा वैसलीन पूजा की बुर के आसपास और उसकी बुर
के छेद के अन्दर भर दिया और अपने लण्ड और सुपाड़े पर खूब सारा लगा डाला और पूजा को
सीधा लिटा कर अपना सुपाड़ा उसके छेद पर लगा कर देखने लगा पर मेरे सुपाड़े के सामने
1/2 इन्च का छेद समझ में
नहीं आ रहा था कैसे घुसाऊँ, पर पूजा ने मेरी
मुश्किल खत्म कर दी, कहा- चिन्ता मत
करिए, आप सोच रहे हैं मुझे दर्द
होगा और चिल्लाऊंगी, मैं वादा करती
हूँ जब तक जान है, चूं भी न करूँगी।
मुझे हिम्मत मिली
और मैं अन्दाज बस उसके छेद पर रख कर हल्के से दबाव देने लगा। पूजा अकड़ने
लगी और सुपाड़ा
धीरे धीरे पूजा के बुर में आगे बढ़ चला, किसी तरह से सुपाड़ा बुर के अन्दर चला गया, पूजा पसीने से लथपथ हो गई पर वादे के मुताबिक आवाज नहीं
निकाली, आँख से आँसू छ्लक गये।
मैं पूजा की
तकलीफ भी नहीं देख पा रहा था, बोला- पूजा,
निकाल लूँ?
उसने कहा- नहीं,
यह दर्द एक न एक दिन तो झेलना ही है, तो आज ही सही।
मैंने सोचा- वाह
री लड़की ! सिर्फ मेरे लिए, मेरी खुशी के लिए
इतना बलिदान !
मैं उसी पोजीशन
में सिर्फ सुपाड़े को ही आगे पीछे करीब 5 मिनट तक करता रहा। अब पूजा कि बुर थोड़ी ढीली हो चुकी थी और मैंने थोड़ा सा
और दबाव लण्ड पर बनाया और लण्ड 1/2 इन्च और आगे बुर
में खिसक गया।
पूजा छ्टपटा उठी,
पर इस बार भी मुख से आवाज न आने दी। मैं फिर
उसी तरह कुछ देर रुक कर उतना ही घुसा लण्ड आगे पीछे कर जगह बनाने लगा। जब फिर बुर
थोड़ी ढीली हुई तो और थोड़ा सा धक्का दिया और अबकी बार एकाएक लण्ड से बुर के अन्दर
चुभ्भ से कुछ फूटा और पूजा के मुख से हल्की सी चीख निकल ही गई और बुर से लाल गन्दा
पानी आ गया.
मैं समझ गया कि
पूजा की झिल्ली थी जो फट गई और लन्ड भी 4 इन्च अन्दर हो चुका था, मैं उसी पर
आगे-पीछे करने लगा और कपड़ा लेकर पूजा की बुर भी साफ करने लगा।
कुछ देर बाद पूजा
ने कहा- मेरी बुर में चुनचुनाहट सी हो रही है।
मैं जान गया कि
पूजाअब मजा पायेगी, और मैंने लण्ड पर
फिर दबाव बढ़ा दिया, अब लण्ड 2 इन्च और अन्दर गया। ऐसा लग रहा था जैसे साँप
बिल्ली निगल रहा हो, पूजा काफी
बहादुरी के साथ पीड़ा सह रही थी। थोड़ी देर बाद पूजा ने हल्के से चूतड़ उठाए,
मैंने उसी समय लण्ड पर और दबाव बना दिया और बचा
हुआ लण्ड घच्च से उसकी बुर में समा गया। अब उसकी दबी दबी चीख निकल ही पड़ी,
और कहने लगी- निकाल लीजिए ऐसे लग रहा है जैसे
चाकू से किसी ने अन्दर छील दिया हो, बहुत जलन सी हो रही है।
मैंने कहा- अब
चिन्ता मत करो पूजा, अब तो पूरा लण्ड
तुम्हारी बुर में जा चुका है।
वो चौंक सी गई और
बोली- सच? मुझे तो यकीन ही नहीं
होता कि इतना मोटा और लम्बा लण्ड मैं निगल गई, मुझे देखना है।
मैंने भी उसे
अपने हाथों से उठा कर अपने लण्ड पर बैठा लिया और उसने नीचे झाँक कर देखा तो काफी
खुश हुई और बोली- आखिर मैं अपनी खुशी पा ही गई।
फिर मैंने कहा-
पूजा, अब दो तीन दिन तक जब मैं
तुम्हें चोदूँगा तो तुम्हें जलन सी होगी पर फिर गजब का मजा आएगा।
वो बोली- अरे,
अब चाहे जो हो चोदिए !
वो काफी खुश थी
और मैंने धीरे से लण्ड ऊपर खींचा और फिर धीरे धीरे ही अन्दर ले गय। ऐसा कई बार
किया कुछ देर बाद ही पूजा की बुर ढीली होने लगी और जैसे जैसे पूजा की बुर ढीली हो
रही थी, मेरे झटके भी तेज हो रहे
थे पर जब भी लण्ड अपनी स्पीड में अन्दर जाता, पूजा सिकुड़ जाती। कुछ देर बाद ही पूजा चूतड़ हिला हिला कर
लण्ड निगलने लगी और बड़बड़ाने लगी- आह जान ! चोदो ! कितना मजा है चुदाई में आज पता
चला। मेरी छोटी सी बुर कितना मोटा लौड़ा निगल गई, चोदो आह...स...स...स...स...मजा आ र...अ...आ...ह मजा
आ...र...हा है।
और मैंने अब झटके
तेज कर दिए और बुर फक फक पुक सक सक फक फक की आवाज के साथ चुद रही थी और मैं भी
काफी उत्तेजित होकर कह रहा था- आह पूजा ऊं...ऊं...आज चोदने का जो तुमने मुझे मजा
दिया है कभी नहीं पाया था। स... सी... सी... आह्ह... आह... पूजा गजब !
और लण्ड बुर की
चारों तरफ की दीवारों पर रगड़ करते हुए सुक सुक गच गच सुक सुक हच ह्च करते हुए
मस्ती में नई बुर का आनन्द ले रहा था। और पूजा की बुर भी इतने अच्छे लन्ड का स्वाद
ले रही थी, पूजा अपने पूरे जोश में
थी और खुद ही अपना चुतड़ झकझोड़ रही थी। अब मैं जल्दी से पूजा की बुर में लण्ड
डाले ही डाले उलट कर नीचे हो गया और पूजा ऊपर और अब पूजा मुझे चोद रही थी और इतनी
तेजी से लन्ड पर कूद रही थी मानो लन्ड के साथ साथ मेरे गोलों को भी बुर में घुसा
लेगी और काफी हलचल मुख से मचा रही थी।
आह...स...स...स...स...मअम...अ...म...म...म्म्म्म...म्म... की आवाज भी निकाल रही थी,
और मैं उसकी चूची चुभला चुभला कर पी रहा था,
पूजा अब इतनी ज्यादा स्पीड बढ़ा चुकी थी मानों
मेरा लण्ड ही तोड़ कर रख देगी और फिर बोली- अरे… ऽआह यह क्या हो रहा है......मैं स्स्स्स......जब तक वो समझ
पाती तब तक झड़ गई और मैं भी रूक नहीं पा रहा था। तुरन्त ही लन्ड बुर से बाहर
खींचा और बारी बारी पूजा की दोनों चूचियों पर अपना सफेद पानी उलट दिया।
उसके बाद रेणुका
और पूजा को रोज चोदता रहा, लेकिन सच मेरा
जीवन धन्य हो गया जो पूजा को चोदने का अवसर मिला।
और पूजा कहती है-
मैं भी धन्य हुई जो आपने मुझे जीवन का असली सुख दिया। उसके बाद पूजा की खूबसूरती
में और निखार आ गया और वो तन्दरूस्त भी हो गई।
और एक दिन चिन्ता
युक्त होकर पूजा ने कहा- मेरी बुर की झिल्ली फट जाने से कहीं शादी के बाद पति से
नजरतो नहीं चुरानी पड़ेगी? मैंने उसे
समझाया- पूजा, मैं सेक्सोलाजी
का ज्ञाता हूँ, आज कल झिल्ली
साइकिल चलाने से, खेलने से,
दौड़ने से, कई तरह से फट ही जाती है और हाँ ऐसा कभी मत करना कि मान लो
मैं न रहूँ या तुम कहीं और चली जाओ तो किसी से भी चुदवा लो, मैं बहुत सम्भाल कर चोदता हूँ तुम्हारी बुर, सब ऐसा नहीं करते। मजा लिया एक तरफ़ हुए। कितना
भी मन करे, हाथ से काम भले ही चला
लेना पर और किसी से रिश्ता मत बनाना। इससे दो फ़ायदे होंगे, तुम्हें कभी कोई तुम्हें गलत नहीं समझेगा और बदनाम भी नहीं
होगी। और रही बात पति कि तो शादी के पहले करीब 3-4 महीने पहले से ही सेक्स मत करना, फिर बुर टाइट हो जाएगी।
पूजा मेरी बात से सन्तुष्ट थी क्योंकि वो भी यही सब किसी पत्रिका में पढ़ चुकी थी।
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