मेरा नाम रमन है
और मेरी उम्र 25 वर्ष है। मैं एक छोटे से शहर का रहने वाला हूं। मैं पहले एक दुकान
में काम किया करता था। वहां काम करते हुए मुझे बहुत समय हो चुका था लेकिन एक दिन
दुकान के मालिक ने मुझे निकाल दिया। क्योंकि किसी लड़के ने दुकान में कुछ चोरी कर
ली थी। तो उसने मुझे भी वहां दुकान से निकाल दिया। मैंने उससे बहुत कहा कि मैंने
चोरी नहीं की है लेकिन उसके बावजूद भी वह कहने लगा कि तुमने भी चोरी की है और
तुम्हारा दोस्त अभी तक गायब है। मैंने उसे समझाया कि मैंने चोरी नहीं की है लेकिन
उसे कुछ समझ नहीं आया और उसने मुझे कहा कि तुम कल से काम पर मत आना। मैं घर पर
खाली बैठा हुआ था।
मेरे पास कुछ भी
काम नहीं था और मुझे कहीं कोई काम मिल भी नहीं रहा था। मैं बहुत परेशान होने लगा
कि मुझे कहां काम मिलेगा लेकिन कहीं पर भी मुझे काम नहीं मिल रहा था और अब मुझे
लगने लगा कि कहीं मैं ऐसे ही ना बैठा रहूं। क्योंकि मेरे पास कुछ भी पैसे नहीं थे जिससे
मैं कोई नया काम शुरू करता।
कुछ दिनों बाद
मुझे मेरा एक बहुत पुराना दोस्त मिला। वह मुझे करीबन 5 वर्ष बाद मिल रहा था। उसने
मुझे देखते ही पहचान लिया और मुझसे मेरा हालचाल पूछने लगा। कहने लगा तुम क्या कर
रहे हो। मैंने उसे बताया कि आजकल तो कुछ भी नहीं कर रहा हूं। मैंने उससे अपनी सारी
कहानी बताई, कि हमारी दुकान
में चोरी हो गई थी। उसके बाद मुझे वहां के मालिक ने निकाल दिया है और मैं अभी
फिलहाल कुछ भी नहीं कर रहा हूं। वह कहने लगा तुम एक काम करना मेरे साथ ही चलना।
मैं तुम्हें अपने शोरूम में काम पर लगवा दूंगा। मैंने उसे कहा ठीक है।
यह तो मेरे लिए
बहुत अच्छी बात है लेकिन मुझे पहले अपने घर में यह सब बताना पड़ेगा। उसने मुझे कहा
कि मैं अभी 15 दिनों के लिए घर पर ही हूं। 15 दिन तक तुम सोच लेना उसके बाद हम चल
पड़ेंगे। फिर वह मुझे दो-तीन दिनों बाद मिला। मैंने उसे कहा कि ठीक है मैं
तुम्हारे साथ चलने को तैयार हूं लेकिन मैंने उससे अभी भी यह बात नहीं पूछी कि वह
कौन से शहर में रहता है। जब मैंने उससे पूछा तो उसने मुझे बताया कि वह जलंधर में
रहता है और वहीं पर वह काम करता है।
मेरे दोस्त का
नाम राकेश है। राकेश ने ही मेरी टिकट करवा दी और वह मुझे अपने साथ ही ले गया। जब
हम जालंधर पहुंच गए तो उसने मुझे कहा कि तुम कल तैयार रहना। कल मैं तुम्हें अपने
साथ ही शोरूम ले चलूंगा। अगले दिन मैं तैयार होकर उसके साथ चला गया। मैं जब शो रूम
में पहुंचा तो मैंने देखा वह बहुत ज्यादा बढ़ा है। मैंने उसे कहा कि तुम्हारा
शोरूम तो बहुत ज्यादा बढ़ा है। वह एक कपड़े का शोरूम था। राकेश ने मुझे अपने मालिक
से मिलवाया। उसने मुझसे पूछा तुमने पहले कहीं काम किया है मैंने उसे बताया कि मैंने अपने शहर में ही एक
दुकान में काम किया था। वह कहने लगा ठीक है। अभी तुम्हें कुछ दिन यहां काम सीखने
में लगेंगे, तो उसने मुझे
वहीं पर रख लिया। अब राकेश मुझे काम सिखाने लगा।
कुछ दिनों बाद
मुझे सारे शोरूम का काम पता चल गया और अब मुझे यहां काम करते करते 3 महीने हो चुके
थे। हमारे यहां पर काफी सारे लोग काम करते थे। अब मैं कुछ पैसे अपने घर भी भेज
दिया करता था और थोड़े बहुत पैसे मैं जमा भी करने लगा। एक दिन हमारे शोरूम में एक
नई लड़की काम करने के लिए आई। वह बहुत ज्यादा सुंदर थी। उसका नाम रोशनी था। पहले
कुछ दिनों तक तो मैंने उससे बात नहीं की लेकिन अब काम के सिलसिले में हम लोगों की
बात होने लगी। वह मुझसे कुछ भी सामान का उसका रेट पूछती तो मैं उसे बता दिया करता।
अब हमारी बातें
होने लगी। वह मुझे बहुत ही अच्छी लगने लगी लेकिन मैं उससे बात नहीं कर पा रहा था।
1 दिन मैंने सोचा आज मैं उससे अच्छे से बातें कर ही लेता हूं। उस दिन शोरूम में
ज्यादा काम नहीं था तो मैं उसके पास में जाकर ही बैठ गया और उससे बातें करने लगा।
मैंने उससे उसके बारे में जानकारी ली वह कहने लगी कि मैं अभी कॉलेज कर रही थी
लेकिन हमारे घर की कुछ परिस्थितियां खराब हो गई। इस वजह से मुझे यहां शोरूम पर काम
करना पड़ा।
मैंने उससे पूछा
कि क्या परेशानी हो गई थी। वह कहने लगी कि मेरे पिताजी का देहांत हो गया और हमारे
घर पर सिर्फ वही कमाने वाले थे। इसलिए मुझे अब यहां काम करना पड़ रहा है। मुझे
उसकी बात से थोड़ा सा बुरा भी लगा। मैंने उससे पूछा तुम्हारे पिताजी का देहांत कब
हुआ। वह कहने लगी, अभी कुछ दिन पहले
ही उनका देहांत हुआ है। रोशनी ने भी मेरे बारे में पूछा तो मैंने उसे अपने बारे
में बताया कि हमारे घर पर भी परिस्थितियां ठीक नहीं थी। इसलिए मुझे शहर आकर काम
करना पड़ा। मैंने उसे बताया कि मुझे यहां राकेश ने काम पर लगवाया था। क्योंकि वह
भी हमारे यहां का रहने वाला है। मेरी रोशनी से बहुत ज्यादा बातें होने लगी वह कभी
कबार मेरे लिए टिफिन ले आती थी।
एक दिन हम लोग
लंच करने बैठे हुए थे। मैंने उससे बातों-बातों में उसके हाथ को पकड़ लिया वह मेरे
इशारे समझ चुकी थी। मैंने उसे कहा कि तुम क्या मेरे साथ सेक्स करना चाहती हो। वह मेरी
बातों को मान गई क्योंकि उसकी भी चूत मे खुजली थी। जब हमारे दुकान के मालिक नहीं
थे तो मैं काम के बहाना बना कर वहां से बाहर अपने स्टोर में चला गया। थोड़ी देर
बाद रोशनी भी वहां आ गई। जैसे ही वह वहां पहुंची तो मैंने तुरंत ही उससे अपनी
बाहों में भर लिया और कस कर पकड़ लिया। मैंने उसे इतना कस कर पकड़ा की वह हिल भी
नहीं पा रही थी और मुझे कहने लगी कि तुमने तो मुझे कुछ ज्यादा ही कसकर पकड़ लिया
है। मैं उसके स्तनों को भी अपने हाथों से बड़े जोर से दबा रहा था। मैंने जल्दी से
उसके कपड़े भी खोल दिए और उसके स्तनों को अपने मुंह में लेकर चूसने लगा।
जैसे ही मैंने
उसके स्तन देखे तो वह बहुत ज्यादा गोरे थे मैंने उस पर लव बाइट भी थी थी। जिससे कि
वह और उत्तेजित हो गई। अब मैं उसके होठों को भी ऐसे ही बड़े प्यार से किस कर रहा
था। थोड़ी देर बाद मैंने उसकी सलवार को भी नीचे उतार दिया। मैंने देखा कि उसने एक
नेट वाली पैंटी पहनी हुई है और मैंने उसकी पैंटी को उतारते हुए उसकी चूत को चाटना
शुरु किया है। ऐसे ही मैं बहुत देर तक उसकी चूत को चाटता रहा। जब उसकी चूत गीली हो
गई तो मैंने उसे वहीं जमीन पर लेटा कर उसके दोनों पैरों को खोलते हुए अपने लंड को
अंदर डाल दिया।
उसकी चूत बहुत
ज्यादा टाइट थी जिससे कि मुझे बहुत दिक्कत हो रही थी लेकिन मैंने ऐसे ही बड़ी तेजी
से उसकी चूत मे लंड को डालते हुए प्रहार करना शुरू किया। वह बड़ी तेजी से चिल्ला
रही थी और मैं उसे ऐसे ही झटके दिए जा रहा था। वह बहुत ही ज्यादा उत्तेजित हो जाती
और मेरे हाथों को दबा देती। मैंने भी उसके दोनों पैरों को और चौड़ा करते हुए उसे
चोदना जारी रखा। थोड़ी देर बाद मैंने उसे घोड़ी बना दिया और दोबारा से उसकी चूत मे
जैसी ही अपना लंड डाल रहा था तो मैने देखा कि उसकी चूत से खून निकल रहा है। लेकिन मैंने
एक ही झटके में उसकी चूत मे दोबारा से अपने लंड को डाल दिया और अब इतनी तेज तेज
प्रहार करने लगा कि उसकी चूतडे मेरे लंड से टकरा रही थी।
अब वह कुछ ज्यादा
ही तेज चिल्ला रही थी लेकिन मुझे बहुत अच्छा लगता जब वह इस प्रकार से चिल्लाती
जाती। मैंने उसके चूतड़ों को बहुत कसकर पकड़ रखा था जिससे कि वह हिल भी नहीं पा
रही थी। मैं जब उसके चूतड़ों को देखता तो मुझे बहुत ही अच्छा लग रहा था क्योंकि वह
एकदम गोल और टाइट थी। मै उसे ऐसे ही बड़ी तेजी से झटके मारना जाता और मुझे मजा आ
रहा था। मेरा माल भी चरमसीमा पर पहुंचने वाला था तो मैंने उसे बड़ी तीव्र गति से
झटके मारा।
जिससे कि उसकी चूतड मेरे लंड से टकरा जाती और उनसे बड़ी तेज आवाज निकलती। वह भी बहुत तेज से चिख रही थी। मैंने तुरंत ही अपने लंड को बाहर निकालते हुए अपने माल को उसके चूतडो पर गिरा दिया। जैसे ही मैंने अपने वीर्य को उसके चूतड़ों पर गिराया तो वह मुझे कहने लगी मुझे बहुत मजा आ गया। हम दोनों ने जल्दी से अपने कपड़े पहने और दुकान में वापस आ गए। उसके बाद से तो ना जाने मैंने कितनी दफा उसे स्टोर रूम में चोदा होगा।
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