मेरा नाम साहिल
है । मेरी शादी भी हो चुकी है और मेरी शादी को भी बहुत वर्ष हो चुके हैं। मेरे
बच्चे भी अब बड़े हो गए हैं और मेरे माता-पिता मेरे साथ ही रहते हैं। हम लोगों का
एक छोटा सा परिवार है क्योंकि मैं घर में एकलौता हूं इसलिए मेरे पिताजी ने मुझे
कभी भी किसी प्रकार की कोई कमी नहीं होने दी और वह बचपन से ही मेरा बहुत ध्यान रखा
करते थे।
वह एक अच्छे पद
पर कार्यरत थे। परंतु जब से रिटायर हुए हैं उसके बाद से वह घर पर ही रहते हैं। वह
ज्यादा इधर-उधर नहीं जाते और उन्होंने ही मेरी शादी करवाई थी। उनके करीब के एक
दोस्त थे। उनकी ही बेटी से मेरी शादी हुई है जो कि अब मेरी पत्नी है। मेरी पत्नी
भी मेरे घर पर बहुत ही अच्छे से रहती है और मेरे घर वालों का बहुत ही ध्यान देती
है।
मेरी पत्नी अक्सर
मुझसे कहती है कि तुम घर में एक लौते हो। इसलिए तुम्हें पिताजी और मां का ध्यान
रखना चाहिए और जितना समय हो सकता है तुम उन्हें दिया करो। मेरे पास इतना भी समय
नही होता है की मैं उनके साथ घर में बैठा रहू। पर थोड़ा बहुत समय मैं उन्हें दे ही
देता हूं। ऐसे ही मेरी जिंदगी का चक्कर चल रहा था। किंतु एक दिन मुझे मेरी एक
पुरानी कॉलेज की दोस्त मिल गई। उसका नाम गीता था। मैंने उसे जब कई वर्षों बाद देखा
तो मैं उसे पहचान भी नहीं पाया। क्योंकि वह थोड़ा मोटी हो चुकी है और वह थोड़ा बदल
भी चुकी है।
कॉलेज में हम लोग
बहुत ही अच्छे से रहा करते थे। मैं जब उससे मिला तो मैं बहुत ही खुश हुआ। उसने
मुझे पहचान लिया और कहने लगी तुम क्या कर रहे हो और कहां पर रहते हो। आज अचानक से
इतने वर्षों बाद कैसे मिल गए। मैंने उसे बताया कि मैं तो मेरठ में ही रहता हूं।
मैंने उससे पूछा तुम्हारी शादी तो कहीं और हो गई थी।
वह कहने लगी हां
मेरी शादी हुई थी किंतु अब मेरे पति का देहांत हो चुका है। उसके बाद मैं अब मेरठ
में ही आ गई हूं। यह बात सुनकर मुझे थोड़ा बुरा लगा। मैंने उससे पूछा कि यह
दुर्घटना कैसे हो गई। वह कहने लगी कि बस कुछ समय पहले उनका एक कार एक्सीडेंट हो
गया और उसमें उनकी मृत्यु हो गई। जिसकी वजह से मुझे मेरठ आना पड़ा। अब वह अपने आप
में बहुत ही गुमसुम रहती थी और ज्यादा बात नहीं करती थी। सिर्फ काम को लेकर ही वह
बात करती थी। उससे जब कोई बात पूछी जाती तो वह बड़ी ही मासूमियत से मुझसे बात कर
रही थी।
किंतु वह कॉलेज
के समय में ऐसी नहीं थी। गीता अपने कॉलेज के समय में बहुत ज्यादा एक्टिव और सक्रिय
रहती थी। मुझे उसका घर मालूम था तो मैंने उससे कहा कि मैं कभी तुमसे मिलने
तुम्हारे घर पर ही आ जाऊंगा। वह कहने लगी ठीक है जब तुम्हें समय मिले तो तुम मुझसे
मिलने घर पर ही आ जाना। यह कहते हुए मैं भी वहां से चला गया और जब अपने घर पहुंचा
तो मैं यह सोच रहा था कि उसके साथ बहुत ही गलत हुआ। फिर कुछ दिनों बाद गीता मुझे
मिली और मुझसे पूछने लगी की तुम्हारे घर पर सब लोग कैसे हैं।
मैंने उसे बताया
कि मेरे घर पर सब लोग अच्छे हैं। उसने मुझसे पूछा कि तुम्हारी तो शादी काफी पहले
हो चुकी थी। मैंने उसे बताया हां मेरी शादी तो पहले ही हो चुकी थी। हम लोग ऐसे ही
बातें करने लगे। बातों बातों में उसके मुंह से भी निकल गया कि यदि तुम्हारी शादी
जल्दी नहीं होती तो शायद मैं ही तुम्हारे साथ शादी कर लेती। परंतु तुम्हारी शादी
बहुत जल्दी हो गई। मैं इस बात को समझ नहीं पाया और मैं उससे पूछ लिया कि तुम यह
बात क्यों कर रही हो। पहले उसने मुझे कुछ नहीं बताया परंतु बाद में उसने मुझे बताया
कि कॉलेज के समय में ही मैं तुम्हारी तरफ अट्रैक्ट थी लेकिन मैंने कभी भी तुम्हें
इस बारे में बताया नहीं।
जिसकी वजह से
तुम्हारी शादी कहीं और हो गई और कुछ समय बाद मैंने भी कहीं और शादी कर ली। मैं यह
बात सुनकर थोड़ा सा अचंभित रह गया और मैंने उससे पूछा कि तुमने मुझे यह सब बात
पहले क्यों नहीं बताई। तो वह कहने लगी कि मेरी हिम्मत वाकई में तुमसे इस बारे में
बात करने की नहीं हुई। फिर उसने कहा कि चलो बहुत समय बीत चुका है परंतु अब हम एक
अच्छे दोस्त तो रह सकते हैं। तुम भी अपनी शादी से खुश हो और मैं भी अपनी जिंदगी अब
काट ही रही हूं। वह मुझे अक्सर मिल जाया करती है और मैं भी उससे बात करता रहता हू
और उसके हालचाल पूछता रहता हूं। एक दिन मैं उसके घर पर चला गया।
जब मैं उसके घर
गया तो उसकी मां घर पर थी। अब उसकी मां की उम्र भी बहुत हो चुकी है और उन्हें
अच्छे से कुछ सुनाई नहीं दे रहा था और ना ही उन्हें कुछ दिखाई देता है। इसलिए
उन्होंने मुझे पहचाना भी नहीं। मैंने उनसे पूछा कि तुम्हारे बच्चे नहीं है। वह
कहने लगी कि मेरे बच्चे हैं लेकिन वह एक बड़े स्कूल में पढ़ते हैं और वह लोग वहीं
पर रहते हैं। जब उनकी छुट्टियां होती हैं तो तभी वह लोग घर आया करते हैं। हमारी
बात काफी देर तक हुई। उसके बाद मैंने उसे कहा की मैं अभी घर के लिए निकल रहा हूं।
फिर कभी तुम्हारे घर पर आऊंगा। तब आराम से हम लोग बैठेंगे और तब फुरसत में बात
करेंगे। मैं अब अपने घर के लिए निकल गया।
मैं काफी समय तक
तो बिजी था लेकिन एक दिन मुझे समय मिल ही गया क्योंकि मेरा काम भी गीता के घर की
तरफ ही था इसलिए मैंने सोचा आज उससे मिल भी लूंगा और अपना काम भी निपटा लूंगा। मैं
पहले अपना काम निपटाकर आ चुका था और उसके बाद मैं गीता के घर चला गया। वह बहुत ही
दुखी हो रही थी लेकिन मैंने उसे कहा कि तुम्हारी तो जवानी पूरी खराब हो गई। वह
कहने लगी हां मैंने तो कई वर्षों से अपनी चूत भी नहीं मरवाई है।
मैंने उसे तुरंत
ही पकड़ लिया और नीचे लेटा दिया जब मैंने उसे नीचे लेटाया तो उसके कपड़ों को मैंने
उतार दिया। जब उसके बदन को मैंने देखा तो उसमें अब भी बहुत सारा रस बचा हुआ था और
मैं उसे चाटने लगा। मैंने बहुत ही अच्छे उसे चाटा और उसकी जवानी को दोबारा से जगा
दिया। मैंने उसके चूत के अंदर उंगली डालते हुए अंदर बाहर करना शुरू कर दिया। जब
मैं उसकी योनि के अंदर उंगली डाल रहा था तो वह बहुत ही तेज आवाज निकालती जा रही थी।
मैंने उसके होंठों को चूमते हुए उसके दोनों पैरों के बीच में से अपने लंड को डाल
दिया। मैं उसे झटके मार रहा था और वह तेज आवाज निकाल रही थी।
मुझे काफी आनंद आ
रहा था जब मैं उसकी चूत मार रहा था मुझे बिल्कुल भी ऐसा नहीं लग रहा था कि उसकी
चूत ढीली है वह बहुत ज्यादा टाइट थी और मुझे बहुत ही मजा आ रहा था। मुझे इतना मजा
तो अपनी पत्नी को चोदने में भी नहीं आता। उसने मुझे अब कसकर पकड़ लिया और मैंने भी
उसे कस कर पकड़ा हुआ था थोड़ी देर बाद मेरा वीर्य पतन हो गया और मैंने उसकी चूत मे
अपने लंड को डाल दिया। अब मैंने उसे घोड़ी बना दिया और ऐसे ही मैं उसे चोदते जा
रहा था वह बहुत ही मजे ले रही थी और मैं उसे बड़ी तीव्र गति से चोदने पर लगा हुआ
था। मैंने उसे इतनी तेज तेज झटके दिए कि उसकी चूतड़ हिलने लगी और कुछ देर बाद वह
भी मजे में आ गई। वह अपने चूतडो को भी बड़े जोर जोर से हिलाने लगी उसकी चूतडो का
साइज 40 था। मैं उसे देख कर बहुत ही मजे में आ रहा था। मैंने अब उसे और तेज
रगडना शुरू किया।
वह बड़ी तेज आवाज में चिल्लाने लगी और कहने लगी कि साहिल तुम तो बहुत ही अच्छे से मेरी चूत मार रहे हो तुमने मेरी इच्छा पूरी कर दी। मैं उसे ऐसे ही चोदने पर लगा हुआ था और वह बड़ी तेज आवाज में चिल्लाने पर लगी हुई थी। मुझे बहुत ही आनंद आता जब उसकी चूतडे मुझसे टकराती। मुझे इतना मजा आ रहा था कि मैं उसे बड़ी तेज गति से धक्के मार रहा था। उसी झटकों के बीच में ना जाने कब मेरा वीर्य उसकी योनि के अंदर जा गिरा मुझे पता भी नहीं चला। अब वह मेरे लंड को अपने मुंह में लेकर चूस रही थी। उसे बहुत ही मजा आ रहा था जब वह मेरे लंड को चूस रही थी। चूसते चूसते मेरा वीर्य उसके गले में जा गिरा।
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