मेरा नाम सुधा है
और मैं बीए मे पढ़ती हूँ. दिखने में सुंदर हूँ लेकिन नेचर शर्मीली है. मेरा फिगर
36-26-36 है और रंग गोरा है. पिच्छले हफ्ते तक मैं कुँवारी थी. मैने राज शर्मा की
सेक्सी स्टोरीस पढ़ी थी और ब्लू फिल्म्स भी देखी थी जिस कारण मुझे सेक्स कि समझ तो
थी लेकिन किसी ने मुझे कभी चोदा नहीं था. मैं चुदाई की इच्छा के कारण हमेशा अपनी
चूत को शेव कर के रखती थी कि ना जाने कब कोई चुदाई करने वाला मिल जाए.
लेकिन जैसे कि
मैने कहा, मैं डरती थी और किसी को
चुदाई के लिए न्योता देने की हिम्मत नहीं पड़ती थी. घर में मेरे सिवा पापा और एक
छोटी बेहन नामिता थी. पापा श्री हंस राज एक दुकान मालिक थे और छ्होटी बेहन 12
क्लास में पढ़ती थी. नामिता भी दिखने में बहुत सेक्सी थी. वो अक्सर स्कर्ट्स और
टीशर्ट पहनती थी. उसस्की स्कर्ट्स बहुत छ्होटी होती और उसस्के उरोज़ उसस्की
टी-शर्ट से बाहर निकलने को तैयार रहते.
एक दिन नामिता की
नज़र मेरी पॉर्न बुक्स पर पड़ी और वो बोली,” दीदी, ये क्या बच्चो
वाली किताबें पढ़ती हो, मैं तुझे ब्लू
फिल्म दिखाती हूँ जिस में हबशी लड़के एक गोरी औरत को आगे पीच्छे से चोद्ते हैं.
दीदी आज कल कहानी तो बच्चे पढ़ते हैं. एक बात बतायो, तेरा कोई बाय्फ्रेंड है या नहीं, कभी क़िस्सी ने तेरी चूत का उद्घाटन किया है या नहीं?”
मैं अपनी छ्होटी बेहन की बात सुन कर दंग रह
गयी. “नामिता क्या बकती हो?
तुम अभी बच्ची हो. तुझे अपना मन पढ़ाई में
लगाना चाहिए.
अगर पापा को तेरी
ऐसी बातों का पता चल गया तो मार पड़ेगी. फिर मुझे मत कहना” नामिता हंस पड़ी,”दीदी, जब चूत में जलन होती है
तो लंड ही बुझाता है वो आग. तुझे अगर मज़े लेने हैं तो बता देना. मैं स्कीम बना
लूँगी. अपने यार से तेरी भी चूत ठंडी करवा दूँगी. और रही पापा की बात, तुम फिकर मत करो. हमारे पापा भी ऐश करते हैं.
तू नहीं जानती कि पापा के संबंध उषा मौसी के साथ हैं. पापा मौसी के साथ जो कुच्छ
करते हैं, शायद हमारी मा के साथ भी
ना किया हो उन्हों ने. दीदी ये दुनिया इतनी सीधी नहीं है जितनी दिखती है”
मेरी मा की मौत
के बाद उषा मौसी हमारा ख्याल रखती थी और हमारी गली में ही रहती थी. उषा मौसी के
साथ पापा का चक्कर? सोचते ही मेरी
चूत गीली हो गयी. मेरी मा की मौत आज से 3 साल पहले हुई थी. नामिता मेरे पास आई और
मुझे अपनी बाहों में भरते हुए मेरे गालों पर हाथ फेर कर बोली,” दीदी, ज़िंदगी मज़े लेने के लिए है.
जब पापा मौसी के
साथ चुदाई करते हैं तो हम को किस बात की रोक है. हम तो अभी जवान हैं. इस चूत में
जो आग लगती है उसस्के लिए भगवान ने लंड नाम की मज़ेदार चीज़ बनाई है. और रही पापा
की बात आज रात को तुझे पापा की और मौसी की चुदाई दिखा दूँगी और तू कहे तो कल अपने
यार से तुझे भी जवानी के मज़े दिलवा दूँगी. वैसे भी साला तुझे भूखी नज़रों से
देखता है वो.” मेरे मन ज़लज़ला
उठा खड़ा हुआ और मेरी चूत से पानी आने लगा.
रात को उषा मौसी
आई और खाना बनाने लगी. मौसा जी नाइट शिफ्ट में काम करते थे और मौसी हमारे घर ही सो
जाती थी. मैने नामिता की बात सुन कर उषा मौसी को गौर से देखा. मौसी की उमर कोई 32
साल की होगी और वो भरे जिस्म की मालिका थी. चूतड़ काफ़ी भारी और चुचि भी बड़ी थी.
मौसी ने ग्रीन रंग की सलवार कमीज़ पहनी हुई थी लेकिन उसस्की चुचि जिस तरह उठक बैठक
कर रही थी लगता था उससने ब्रा नहीं पहनी थी.
पापा रसोई में
चले गये और मैने देखा की पापा का हाथ मौसी के चूतड़ को टटोल रहा था और मौसी शर्मा
कर नीचे की तरफ देख रही थी. मैं और नामिता डाइनिंग रूम से ये नज़ारा देख रहे थे.
नामिता ने धीरे से कहा,”देखो दीदी,
पापा कैसे हाथ फेर रहे हैं मौसी की गांद पर. आज
ज़रूर चोदेन्गे मौसी को.” इसके साथ ही
नामिता ने मेरे चूतड़ को ज़ोर से मसल दिया,” नामिता, ये क्या करती हो,
कितना दर्द होता है मुझे” नामिता मुस्कुरा पड़ी,”दीदी, ये दर्द नहीं है,
यही तो मज़ा है. आज दिखाती हूँ तुझे लंड और चूत
का मधुर मिलन.”
टेबल पर पापा
अपने सामने शराब का ग्लास रखे हुए थे और चुस्की ले रहे थे. आज वो पानी जैसी दिखने
वाली शराब पी रहे थे. फिर अचानक पापा ने ग्लास मौसी की तरफ बढ़ा दिया और मौसी ने
चुप चाप पी लिया. मैने देखा के पापा ने टेबल के नीचे से अपना हाथ मौसी की जाँघ पर
फेरना शुरू कर दिया. पापा और मौसी की आँखों में लाल रंग के डोरे तैरने लगे थे.
उनकी साँसों में तेज़ी बता रही थी की दोनो चुदाई करने के लिए बेताब हैं.
नामिता और मैने
खाना जल्दी से ख़तम किया और अपने अपने कमरे में चली गयी. नामिता ने मुझे आँख मारी
और कहा,” दीदी आज तुम मेरे साथ ही
सो जाओ, मुझे तुमसे कोई बात करनी
है.” मैं उसस्के पीछे चल पड़ी.
नामिता के कमरे की दीवार में एक बड़ा सा छेद था जिस में से हम दोनो पापा की चुदाई
का खेल देखने वाले थे. नामिता और मैं दोनो ने अपने सारे कपड़े उतार फेंके और
बिस्तर पर चली गयी.
नामिता का जिस्म
भी बहुत सेक्सी था. उसस्के चुचक काफ़ी बड़े थे और उससने अपनी चूत को अच्छी तरह से
शेव कर रखा था. मुझे अपनी बाहों में भर कर मेरी बेहन ने मेरी चुचि को मसल डाला और
मेरे होंठों पर किस करने लगी, मेरे चूतड़ को
सहलाने लगी, मेरी चूत पर हाथ
फेरने लगी,” ओह नामिता….ये क्या कर रही
हो….मुझे कुच्छ होता है….मेरे बदन में झूर झूरी सी हो रही है…नामिता…..मेरी चूत में खुजली हो रही है…तुम मुझे किस कैसे कर रही हो….
हाई मेरी बेहन
मुझे क्या हो रहा है..तेरा आलिंगन मुझे उतेज़ित कर रहा है….तेरे बदन का सपर्श मुझे जला रहा है….मुझे छ्चोड़ दो प्लीज़” मेरे मूह से निकला तो नामिता शरारती तरीके से मुस्कुरा पड़ी
और फिर से मेरी गर्दन और कंधों को किस करती रही. नामिता की जीभ से मेरी गर्दन और
कंधे गीले हो गये लेकिन मुझे बहुत कामुक आनंद आ रहा था. नामिता का हाथ मेरी चूत को
रगड़ने लगा तो चूत रस से उसस्की उंगलियाँ भीग गयी,” सुधा, साली देख तेरी
चूत का रस कैसे बह रहा है.
तेरी चूत अब
चुदाई के लिए तड़प रही है. आज की रात तो मैं तुझे लेज़्बीयन प्यार से खुश करूँगी
लेकिन कल तेरी चुदाई का वो बंदोबस्त करूँगी की याद रखोगी सारी उमर भर. नामिता ने
अगर आज भी तेरी चूत का पानी ना निकाला तो मेरा नाम बदल देना.”
दूसरे कमरे में
भी हुलचूल शुरू हो चुकी थी. नामिता मुझे छेद के पास ले गयी और हम दोनो पापा के
कमरे में झाँकने लगे. पापा और मौसी दोनो शराब पी रहे थे और पापा ने मौसी के कपड़े
उतारने शुरू कर दिए. मौसी चिहुक कर बोली,” जिज़्जु, अपने पाजामे को
भी तो उतारो, अपनी साली को भी
तो अपने लोड्े के दर्शन करवायो. मेरी बेहन को चोद कर तो दो लड़कियाँ पैदा कर ली
हैं तुमने, अब मुझे भी तो एक बच्चे
की मा बना दो मेरे जिज़्जु राजा,” मौसी बिस्तर पर
टाँगें फैला कर बोल रही थी. मौसी की चूत पर काले काले बाल थे. तभी पापा ने अपना
पाजामा खोल दिया
और अपना काला लंड
मौसी के मूह पर रख दिया और खुद मौसी की चुचि को सहलाने लगे,” उषा, मेरी रानी तेरा पति तुझे बच्चा नहीं देता क्या? अगर तू चाहे तो मैं तुझे मा बना सकता हूँ. मैने तुझे कभी
ममता(हमारी मा) से कभी अलग नहीं समझा,” मौसी गुस्से में बोली,” जीजू मेरा पति
कुच्छ नहीं कर पाता. साला चूत पर लंड रखते ही झाड़ जाता है और मैं तरसती रह जाती
हूँ. इसी लिए तो अपने जिज़्जु के सामने टाँगें खोल देती हूँ, जिज़्जु राजा. लेकिन हर रोज़ चोरी से चुदवाते
हुए डर लगता है, कहीं सुधा और
नामिता को शक हो गया तो क्या होगा?”
पापा ने अपना लंड
अब मौसी के मूह में धकेलते हुए कहा” मेरी दोनो बेटियाँ भी जवान हो चुकी हैं. उनको भी लंड की तलाश होगी. वो अपने
पापा की स्थिति को समझ लेंगी. वो समझ लेंगी कि अगर उनका पापा उनकी मौसी को चोद
लेता है तो कोई बुरा नहीं करता. ये तो डिमॅंड और सप्लाइ का सिधान्त है. अगर मेरी
साली को उसका पति नहीं चोदेगा तो क्या मैं भी छ्चोड़ दूँगा उसको पड़ोसी के लिए?
शाबाश मेरी रानी चूस मेरा लंड, चाट ले मेरे अंडकोष. आज की रात मैं तुझे अपने
बच्चे की मा बना कर यादगार बना देना चाहता हूँ, ज़ोर से चूस लंड को रानी, काट खायो मेरे लंड को उषा रानी.”
पापा अपनी गांद
आगे पीच्छे कर रहे थे और मौसी मज़े से लंड को चूस रही थी. देखते ही देखते पापा भी
पलंग पर लेट गये और उन्हों ने अपना मूह मौसी की जांघों के बीच डाल कर मौसी की चूत
को चाटना शुरू कर दिया. तभी नामिता ने मेरे निपल को किस कर के चूसना शुरू कर दिया
और बोली,” सुधा, पापा की पोज़िशन को 69 कहते है. बहुत मज़ेदार
पोज़िशन होती है जब मर्द औरत की चूत चाटता है और औरत मर्द का लंड चुस्ती है तो
उस्स्को 69 कहते हैं. मैं आज तेरी चूत को चाट कर खलास कर दूँगी तो देखना कितना
मज़ा आए गा, दीदी. पापा और
मौसी तो अपनी मस्ती में खो चुके हैं. तुम मुझे अपने जिस्म के साथ खेलने दो. मुझे
तेरी चूत का पानी निकालना है किओं की कल तो तेरी ज़िंदगी का हसीन दिन होगा,”
मैं मंतर मुग्ध
हो कर पापा और मौसी का खेल देख रही थी. मुझे महसूस हो रहा था जैसे मेरी चूत के
होंठ उतेज्ना से फूल गये हों. मेरा पूरा बदन गान गॅना चुका था. मेरी बेहन के हाथ
जब मेरे जिस्म पर चलते तो मैं झुन झुना जाती. मुझे भी इच्छा होती कि मौसी की तरह
मुझे भी लंड मिलता जिस्सको मैं चुस्ती और अपनी चूत को चुस्वाति. मौसी के मुख रस से
पापा का लंड भीग कर चमक रहा था और दोनो की भारी साँसें चलने की आवाज़ सुन रही थी.
उधर नामिता ने मेरे निपल्स को चूसना जारी रखा हुआ था और वो मेरी चूत को सहलाए जा
रही थी.” ओह्ह्ह्ह नामिता…मुझ से नहीं रहा जा रहा…मुझे भी पापा जैसा लंड ला दो कहीं से…अपनी बेहन की चूत को मस्त लंड से भर दो…मेरी चूत में आग लगी हुई है मेरी बेहन…मेरी आग बुझा दो नामिता”
दूसरे कमरे में
पापा ने मौसी को घोड़ी बना दिया. मौसी अपने घुटने और हाथों के बल झुक चुकी थी और
पापा उसस्के चूतड़ को थाम कर अपना लंड उसस्की चूत पर पीच्छे से धकेलने लगे.”
रानी, मुझे घोड़ी बना कर चुदाई करने में बहुत मज़ा आता है. तुझे कैसा लगता है उषा
मेरी रानी. तेरे चूतड़ बहुत सेक्सी लगते हैं मुझे. एक दिन तेरी गांद ज़रूर चोदुन्गा.
वह कितनी सेक्सी हो तुम मेरी साली.” उषा मौसी नी चे से बोल रही थी,” जिज़्जु तुम चोदना शुरू करो. मुझे बहुत अच्छा लगता है जब मुझे मेरे जिज़्जु
चोद्ते हैं. तुम मुझे घोड़ी बनाओ या कुतिया, मुझे बस अपने जिज़्जु का लंड अपनी चूत में चाहिए….चोदो मुझे जिज़्जु राजा….थोक्दो अपना लोड्ा मेरी चूत में….चोद लेना मेरी गांद भी जिज़्जु….पेल मुझे”
मेरे बिस्तर पर
नामिता ने अब मुझे पीठ के बल लिटा दिया और मेरी टाँगों को खोल दिया. मेरी बेहन
मेरे उप्पेर चढ़ि हुई थी. उसस्की चुचि मेरे वक्ष स्थल पर रगड़ रही थी. मुझे किस
करते हुए उसस्के होंठ मेरे निपल्स से होते हुए पेट पर और आख़िर मेरी चूत की
त्रिकोण की तरफ बढ़ने लगे. उसस्के होंठ आख़िर मेरी चूत की फांकों को खोलते हुए
अपने निशाने पर जा पहुँचे. उसस्की जीभ मेरे क्लाइटॉरिस को चाटने लगी और फिर उससने
मेरी चूत में अपनी ज़ुबान घुसा दी.
मुझे उसस्की
ज़ुबान क़िस्सी लंड जैसी लग रही थी. नामिता नेमेरी जांघों को कस कर पकड़ रखा था.
उसस्की ज़ुबान मेरी चूत को चोद रही थी. पापा के कमरे में अब मैं देख नहीं सकती थी
लेकिन उनकी आवाज़ें सुनाई पड़ रही थी. मुझे नहीं मालूम था की औरत भी दूसरी औरत की
जब चूत चाटती है तो इतना मज़ा आता होगा. “हे भगवान, मुझे अपनी बेहन
के चूमने चाटने से इतना मज़ा मिल रहा था तो असली लंड से मेरी हालत क्या होगी?
मेरी चूत से
लगातार रस टपक रहा था और मेरी बेहन मज़े से उस्स्को चाट रही थी. मुझे लगा कि मेरी
चूत झड़ने लगी है. मैने अपने चूतड़ उप्पेर उठाने शुरू कर दिए ता कि मैं नामिता की
पूरी ज़ुबान को अपनी चूत में घुस्सा कर और मज़ा ले सकूँ,’ आआआअ……ऊऊऊऊ…..आअगग्घह ……हाईईईई….उससिईईईई,,,नामिताआअ….चूस मेरी चूत….मैं गइई,….मेरी चूत से पानी
जा रहा है….या मुझे क्या हो गया मेरी
बहना…डाल दे अपनी जीभ मेरी
फुदी में मैं झदीए”
मैं ना जाने
कितनी देर तक बिस्तर पर शरीर एन्थ कर तड़पती रही, मेरी चूत रो रो कर रस छ्चोड़ती रही और मेरी बेहन मेरी चूत
का रस चाटती रही. जब नामिता ने चेहरा उठाया तो उसस्के होंठों से चूतरस टपक रहा था.
नामिता मेरी बेहन बहुत खूबसूरत लग रही थी. जब उससने मुझे होंठों पर किस किया तो
उसस्के मूह से मुझे अपनी चूत के रस का स्वाद मिला. नामिता की आँखें लाल हो चुकी थी
और फिर उससने मेरे कानो को चूमा. मैने भी अपनी बेहन को मज़ा देने की सोच ली.
मैने भी उस्स्को
वैसे ही किस करना शुरू कर दिया जैसे उससने मुझे किया था.. मुझे हैरानी थी कि जो
मैं कर रही थी वो लेज़्बीयन सेक्स था लेकिन मुझे बहुत मज़ा आ रहा था. नामिता का
जिस्म बहुत नमकीन लग रहा था मुझे. मैने उसस्की मस्त चुचि को जब अपने मूह में लिया
तो मुझे जन्नत मिल रही थी. नामिता के चुचक बहुत कड़े हो चुके थे. मैने नामिता को
पेट के बल उल्टा दिया और फिर उस्स्को गर्दन से चूमना शुरू कर दिया. मेरी बेहन की
गांद का उभार बहुत कामुक लग रहा था.
मैने धीरे से
नामिता की पीठ को किस करना शुरू कर दिया और उसस्के चूतड़ को सहलाया. मेरी बेहन के
चूतड़ की दरार मुझे बहुत सेक्सी लग रही थी. अपना हाथ नीचे ले जा कर मेने उसस्की
चूत को सहलाया और पीठ को चूमते हुए अपने होंठ मैने उसस्की गांद की घाटी तक पहुँचा
दिए. नामिता अपनी चूत मेरे हाथ पर ज़ोर ज़ोर से रगड़ रही थी और उस पर धक्के मार
रही थी. आख़िर मैने अपनी ज़ुबान को नामिता के चूतड़ की दरार में डाल कर चाटना शुरू
कर दिया. मुझ पर चुदाई का एक नशा च्छा रहा था. नामिता के चूतड़ का बहुत मज़ेदार
स्वाद था और मैने अपनी ज़ुबान उसस्की गांद के छेद में घुसा दी,” ऊऊऊऊ…..आआआअ……दीदी…..चॅटो…बहुत मज़ा आ रहा है…..शाबाश दीदी चाटती
जाओ….हाईईईईईई”
नामिता की गांद
से नमकीन स्वाद मुझे बहुत सेक्सी लगा और मैने उसस्की गांद को चटाना जारी रखा और
उंगली से उसस्की चूत को चोदना जारी रखा. पहले मेरी एक उंगली उसस्की चूत में थी फिर
मैने उसकी चूत दो और फिर तीन उंगली डाल कर चुदाई शुरू कर दी. मेरी ज़ुबान उसस्की
गांद चोद रही थी और उंगलियाँ उसस्की चूत को चुदाई सुख दे रही थी.
मेरा हाथ उसस्की
चूत के रस से भीग गया था और वो मेरे हाथ पर अपनी चूत ऐसे चोद रही थी जैसे की
क़िस्सी लंड पर पेल रही हो. उससने थोड़ी देर में पानी छ्चोड़ दिया. जब वो झाड़ गयी
तो मैने उसस्की चूत को खूब चूसा और चूत का रास्पान कर लिया.” सुधा तू तो बहुत मस्त चुस्ती है. मैं तो तुझे
अनारी ही समझ रही थी, तू तो साली मस्त
लेज़्बीयन निकली” मैने उसस्के
चूतड़ पर काट खाया और बोली,” नामिता जैसी
जिसकी बेहन हो वो अनारी कैसे हो सकती है. अब कल की चुदाई को मत भूल जाना”
मैं सुधा,
एक बार फिर से अपनी चुदाई की कहानी जारी रखती
हूँ. मेरा रात को पापा के साथ मौसी की चुदाई देख कर उतेज्ना से बुरा हाल हो गया था
और फिर मेरी बेहन नामिता ने मुझे जो मज़ा दिया, मैने कभी सपने में भी नहीं सोचा था. मेरी बेहन बेशक मुझ से
छ्होटी है, पर चुदाई में मेरी गुरु
है. उसस्के भीगे हुए चुंबन ऐसे थे कि मेरी चूत से रस की नदिया बहने लगी थी और जो
मज़ा मुझे अपनी बेहन के मुख से और हाथों से मिला, कभी नहीं महसूस हुआ था. उसस्के बाद मैने अपनी बेहन को भी
प्यार किया जो एक यादगार लम्हा बन गया मेरी ज़िंदगी का. जब सुबह मेरी आँख खुली तो
मेरा जिस्म एक दम हल्का महसूस हो रहा था. नामिता के होंठों के स्पर्श की भावना
मुझे आनंदित कर रही थी.
मैं नामिता से
लिपट कर नंगी ही लेटी हुई थी. जब मेरी आँख खुली तो नामिता को अपनी बाहों में पाया.
हम दोनो बहने एक दूसरे से लिपटी हुई थी. तभी मौसी चाइ ले कर आई.” क्या बात है बेटी, आज उठना नहीं है क्या? अर्रे तुम ने तो कपड़े भी नहीं पहने आज! क्या बात है?
बच्चो अब तुम जवान हो चुकी हो, कपड़े पहन कर रखा करो. वाह सुधा, तेरा जिस्म तो भर चुका है. मैं बात करती हूँ
जिज़्जु से की तेरी शादी करवा दें जल्दी से. सुधा, ये जवानी चली गयी तो ज़िंदगी में कुच्छ नहीं रहे गा. मज़े
ले लो जवानी के जवानी में.”
मैं अब मुस्कुरा
पड़ी,” मौसी, हम लोगों को भी सीखा देना कि कैसे मज़ा लिया
जाता है जवानी का. लगता है तुम को काफ़ी तज़ुर्बा है मज़े लेने का. कहीं तू भी तो
हमारे घर में मज़ा लेने ही तो नहीं आती? पापा का ख्याल रखना ज़रा, मम्मी के बाद
अकेले हो गये हैं कुच्छ. और वैसे भी जीजा साली का रिश्ता तो होता ही प्यार वाला.
है”
मौसी मुस्कुरा
पड़ी,” तेरे पापा तो मेरे प्यारे
जिज़्जु हैं, मैं उनका ख्याल
नहीं रखूँगी तो कौन रखे गा? मैं तो ऐसे ही कह
रही थी कि अगर क़िस्सी चीज़ की ज़रूरत हो तो पुच्छ लेना, मेरी बच्चियो. अब मैं निकलती हूँ, तेरे मौसा जी भी लौट आए होंगे. शाम को मिलेंगे” पापा भी तैयार हो कर चले गये. नामिता ने फोन
घुमाया और अपने दोस्तों से बातें करने लगी.
मैं नहाने चली
गयी और जब लौटी तो मेरी बेहन बोली,” सुधा, पहले दौर में मैं तुझे
अपने यार करण से चुदवाती हूँ. मैने उसको कहा है कि मैं घर में अकेली हूँ, और वो जल्दी से आ कर मुझे चोद डाले. जब मैं
उसके साथ हूँगी तो तुम हम को रंगे हाथ पकड़ लेना और हम को ब्लॅकमेल करके उस से
चुदवा लेना, मैं भला ना किओं
कहूँगी. एक बार कारण से चुदाई करवा लेना फिर दोपहर को मेरे यारों की मंडली आ जाए
गी जो हम दोनो को लंड से हर तरफ से चोद चोद कर कुतिया बना देंगे,”
मैं आने वाले
वक्त के बारे सोच कर मुस्कुराने लगी. मेरी चूत चुदाई सुहाने ख्वाब देख कर पानी
छ्चोड़ने लगी. नामिता ने एक पाजामा पहन लिया जिसके नीचे उसने कोई पॅंटी नहीं पहनी
थी और उप्पेर एक पारदर्शी कुर्ता पहन लिया. मैं एक सेक्सी मागज़िने ले कर अपने
कमरे में चली गयी. मैने एक नाइटी पहन रखी थी और कुच्छ भी नहीं. थोड़ी देर में बेल
बजी और नामिता डोर खोलने गयी. कुच्छ देर में वो अपने दोस्त कारण को ले कर ड्रॉयिंग
रूम में गयी. वो बोल रही थी”
करण यार, अब देर मत करो, मैं तेरे लंड को भूखी हूँ, तुम मेरी चूत को ठंडा कर दो इस से पहले कि कोई कबाब में
हड्डी आ जाए. ज़रा मेरी चूत पर हाथ रख कर देखो, कैसे जल रही है चुदाई की आग में,” कहते ही नामिता ने अपने कपड़े उतारने शुरू कर दिए. करण ने
भी अपनी पॅंट उतारनी शुरू कर दी,” नामिता, साली तेरी चूत है ही इतनी गरम की लंड बिना तो
रह नहीं सकती. पहले मैं तेरी चूत को चाट कर ठंडा करूँगा और फिर लोड्े से चोद कर,
”
नामिता नंगी हो
कर सोफे पर लेट गयी और करण उसस्की जांघों को खोल कर अपना मूह उसस्की चूत पर झुका
कर चूमने चाटने लगा. करण काफ़ी बलिश्त जिस्म का मालिक था. उसका लंड कम से कम 7 इंच
का होगा और बहुत मोटा भी था,” करण साले मेरी
चूत को चॅटो, कब से तरस रही
हूँ इस्सको चटवाने के लिए. जल्दी से घुसा दो अपनी ज़ुबान को इससके अंदर, नामिता टाँगें खोले पड़ी है तेरे सामने.”
करण बिन बोले चूत
में जीभ घुसा कर चाटने लगा,” अहह……आअरररगगगगग…..हह…..म्म्म्मममम”
नामिता के होंठों से सिसकारियाँ निकलने लगी.
मैने भी नाइटी के उप्पेर से अपनी चूत को रगड़ना शुरू कर दिया, मुझे उतेज्ना हो रही थी. मेरी चूत को आज तक किस
मर्द ने टच भी नहीं किया था, चूमना तो दूर की
बात थी. मेरी नाइटी का वो हिस्सा जो मेरी चूत के सामने था, मेरी चूत के रस से भीग गया था. प्लान के मुताबिक, मुझे नामिता और करण को चुदाई के खेल में रंगे
हाथों पकड़ कर ब्लॅकमेल करना था.
नामिता की जंघें
अब करण की गर्दन के इर्द गिर्द कसी हुई थी. करण के चुटटर दरवाज़े की तरफ थे और
उसस्के चुटटर उप्पेर नीचे हो रहे थे जब वो मेरी बेहन की चूत चाट रहा था. मैने
कुच्छ इंतज़ार किया और फिर अपनी आवाज़ में में गुस्सा लाती हुई कमरे में दाखिल हुई,”
नामिता की बच्ची, ये सब क्या हो रहा है, कुछ शरम नाम की चीज़ तेरे पास है या नहीं? ये लड़का कौन है? मैं पापा को बताती हूँ कि तुम कौन से गुल खिला रही हो”
नामिता ने घबराने
का नाटक किया और बोली,” दीदी आप यहाँ?
आप तो बाहर गयी हुई थी…दीदी मुझे माफ़ कर देना…करण को तो आप जानती हैं…मेरा दोस्त है….मुझ से बहुत प्यार करता है…दीदी प्लीज़ पापा
को मत कहना..हम तेरी हर बात मानेगे..प्लीएज” करण बहुत घबरा गया और हड़बड़ा कर नामिता की चूत से अपना मूह
अलग करते हुए बोला,”दीदी, हम से ग़लती हो गयी…माफ़ कर दो ना….हम आपकी हर बात मानेगे….ऐसी ग़लती अब फिर
नहीं होगी…” मैने देखा कि करण
अब डर गया है और नामिता दूसरी तरफ देख कर मुस्कुरा रही थी. करण मेरे पैरों पर गिर
पड़ा और गिड़गिदने लगा.
“ठीक है…मैं तुमको माफ़ कर सकती हूँ….करण तुम इस्सको ग़लती कहते हो, लेकिन तेरा लंड तो इस्सको ग़लती नहीं मान रहा…देखो कैसे खड़ा है अभी, जैसे कि अभी चुदाई कर देता मेरी बेहन की अगर मैं 5 मिनिट
लेट हो जाती…नामिता, सच बतायो कितनी बार चोद चुका है करण तुझे?
मुझ से झूठ मत बोलना” नामिता भी घबराहट की आक्टिंग करती हुई बोली,” दीदी ये मुझे कई बार चोद चुका है और बहुत मज़ा
देता है मेरी चूत को इसका लंड. करण मेरा पहला यार है जिससने मेरी सील तोड़ी थी”
मैने मुस्कुराते
हुए करण के लंड पर हाथ फेरते हुए कहा”तो फिर माफी तभी मिल सकती है अगर करण मुझे भी चोद कर वोही मज़ा दे जो इससने
तुझे दिया था, बोलो मंज़ूर है?”
नामिता और करण एक दूसरे को देखने लगे और फिर
कमरे की दूसरी तरफ जा कर बातें करने लगे. जब वो वापिस आए तो करण मेरे पास आ कर
बोला,” दीदी हम को मंज़ूर है.
मैं आपको चोद लेता हूँ पर आप क़िस्सी को मत बताना हमारी चुदाई की बात.”
मेरी बात बन चुकी
थी. मैने हंस कर कहा” करण साले एक तरफ
मुझे “दीदी” बोल रहा है और दूसरी तरफ चोदने की बात करता है,
क्या बात है राजा?” करण मेरी नाइटी को सिर के उप्पेर उठता हुआ बोला”बहुत लड़कियो को चोदा है, लेकिन क़िस्सी को बेहन बना कर नहीं चोदा है.
सोचता हूं के अब अपनी दीदी को भी चोद कर मज़ा ले लूँ. वाह सुधा दीदी, आपकी फिगर तो कमाल की है और आपकी चुचि का तो
जवाब ही नहीं है. नामिता, तुमने मुझे बताया
ही नहीं कि तेरी बेहन इतनी सेक्सी माल है और वो भी चुदाई की प्यासी है. सुधा दीदी
अब तुम घूम जयो और मुझे अपनी गांद के दर्शन करवा दो. मैं गांद का दीवाना हूँ.
मुझे बहुत देर
इच्छा है की क़िस्सी मस्त गांद को चोदु और आपकी गांद के तो क्या कहने?” उससने मुझे अपनी बाहों में भरते हुए मेरे चूतड़
पर कस के हाथ फेरना शुरू कर दिया. मेरा रोम रोम रोमांचित हो उठा जब करण के लंड का
मोटा सूपड़ा मेरी चूत पर रगड़ने लगा. मैने प्यार से अपने होंठ करण की होंठों पर रख
दिए. तभी नामिता बोली,” अच्छा भाई,
अब मेरा यहाँ क्या काम? तुम दोनो भाई बेहन मज़े लो मैं चलती हूँ.” मैने कहा,”तुम भी यहीं रूको, तुम कहाँ चली?” नामिता ने कहा”
दीदी जिस तरह आपने हम दोनो पर छापा मार दिया था,
वैसे कोई आप पर छापा ना मार दे, इस लिए छ्होटी बेहन रखवाली के लिए बाहर बैठ जाए
गी”
नामिता के जाते
ही करण मुझ पर टूट पड़ा और मुझे बे’तहाशा चूमने
चाटने लगा. नंगी तो उसने मुझे कर ही दिया था, अब मेरी चुचि को चाटने लगा, पेट को किस करने लगा, अपने हाथों से मेरे चुटटर मसल्ने लगा.” एम्म्म…..हूंम्म्मम…अहह……
उफफफफफफफ्फ़….आआआ……ओफफफफ्फ़ करण ये क्या कर रहे हो भाई…मेरी चूत जल रही है….मैं मर रही हूँ”
करण ने मेरा हाथ अपने तपते हुए लंड पर रखते हुए
कहा”दीदी, इस्सको पकडो…इससके साथ खेलो….ये करण भाई का लंड आपको चोदने वाला है..मुझे बहुत उतेज्ना हो रही है जब में
आपको दीदी कहता हूँ और आप मुझे भाई कहती हैं…इस पवित्र रिश्ते में चुदाई की मनाही होती है….लेकिन मना होने वाले काम में बहुत मज़ा आता है….आअज मैं अपनी दीदी को चोदने वाला हूँ…..सुधा दीदी, तुम मेरा लंड अपनी चूत पर रगाडो फिर देखना कितना मज़ा आता
है…आअज मेरे लंड और आपकी चूत
का मिलन होने वाला है”
मुझ पर जैसे कोई
नशा चढ़ गया हो. मुझे सब कुच्छ दुन्ध्ला दिखाई दे रहा था. मैने करण के मस्त लंड को
हाथों में थाम कर आगे पीच्छे करना शुरू कर दिया. उसस्का लंड और भी मोटा हो गया.
उसस्के लंड से एक बूँद रस की टॅपॅक पड़ी. अब मेरे मन में एक नयी बात आई और मैने
झुक कर अपना मूह करण के लंड पर रख दिया,” अर्रे सुधा, तू तो अपनी बेहन
की तरह रंडी निकली….सच दीदी, नामिता भी लंड चूसने की शौकीन है, तू भी मेरे लंड को मज़े से चूसो, दीदी. मैं भी तेरी चूत को चूसने वाला हूँ….
किओं ना हम 69
पोज़िशन पर चले जाएँ मेरी बहना, मैं तेरी चूत
चाटूँगा और तुम मेरा केला खा लेना. चलो बिस्तर पर चलते है. वहीं मज़े से चोदुन्गा
तुझे मेरी प्यारी दीदी. ” उसने मुझे
सिरहाने पर सिर टीका कर लिटा दिया और उल्टा हो कर मेरे मूह में अपना लंड डाल दिया
और खुद झुक कर मेरी चूत को चाटने लगा. अब में समझ गयी की 69 पोज़िशन क्या होती है.
मैं मज़े से करण
के लंड को चूसने लगी, उसस्के अंडकोष से
खेलने लगी. कभी कभी मैं उसस्की गांद को छेड़ देती, उंगली उसस्की गांद में धकेल देती तो वो बेकाबू हो जाता. करण
भी पूरा हरामी था. वो मेरे क्लाइटॉरिस को चूस लेता, मेरे चुटटर पर थपकी मारता और यहाँ तक के मेरी गांद के छेद
को भी चाट लेता. मेरी चूत लगातार पानी छ्चोड़ रही थी. तभी करण ने मेरी चूत को
छ्चोड़ दिया और मुझे बोला,” रानी, फ्रिड्ज में वोड्का की बॉटल पड़ी है,
एक एक ग्लास भर
लो, मैं भी पीता हूँ तुम भी
पी लो. इस से लंड जल्दी नहीं छ्छूतता और मज़े का दौर लंबा हो जाता है और शरम भी
ख़तम हो जाती है” मैने बात मान ली
और नंगी ही बॉटल उठा लाई. वोड्का पीते ही मेरे बदन में ऐसी आग लगी कि मैं अपने आप
करण के लंड को चूमने लगी और करण मेरा जोश देख कर मुस्कुरा उठा.
” सुधा, इस्सको पी कर तो तू बिल्कुल रंडी बन गयी हो और
मुझे रंडी औरत बहुत पसंद है.तुझे पता है कि मैं रंडी के साथ कैसा सलूक करता हूँ?
मैं उस्स्को बेरेहमी से चोद्ता हून.” उसने मेरे बाल खींचते हुए कहा. मुझे भी लगा कि
शराब पी कर मुझे एक नया रोल अदा करना है. मैने उसके अंडकोष कस के पकड़ लिए और उनको
खींच लिया,” हां बेह्न्चोद,
तेरी दीदी एक रंडी ही तो है जो तुझसे से चुदवा
रही है….चोद मुझे हरामज़ादे करण…अपनी बेहन को नंगा तो कर चुके अब चोद भी लो,
देख क्या रहे हो…..
छ्होटी बेहन को
चोद चुके हो अब बड़ी को भी भोग लो साले बेह्न्चोद” मुझे ना जाने क्या हुआ कि मैं इस तरह गालियाँ बकने लगी. करण
पर भी नशा चढ़ चुका था. उससने मेरे गालों पर एक थप्पड़ मारा और बोला,” साली चोदुन्गा तुझे भी तेरी बेहन की तरह ही.
तुम अब झुक जा और मेरे सामने घोड़ी बन जा. चोदते वक्त मैं तेरी गांद देखना चाहता
हूँ. देखना कैसे मेरा लंड तेरी चूत को भोसड़ा बनाता है. दीदी, तुमको पीछे से चुदवाना अच्छा लगता है?”
“बहनचोद, साले तेरी बेहन पहली बार चुदवा रही है और वो भी
तुझ से. मुझे अच्छा ही लगे गा चाहे आगे से पेल या पीच्छे से. अपनी बेहन को चाहे
घोड़ी बना या कुत्ति, मेरे भाई,
पर जल्दी से चोद डाल. मिटा डाल अपनी बेहन की
चूत की आग” मैं बोल उठी और करण ने
जान लिया के मैं अब लंड की भूखी हूँ. मुझे घोड़ी बना कर वो मेरे पीच्छे चला गया और
मेरी गांद को चाटने लगा,” भाई, अब ये क्या करने लगे हो? बहनचोद मेरी चूत में लंड पेल ये कुत्ते की तरह मेरी गांद
बाद में चाट लेना.
इस लंड को पेलो
मेरे भाई अपनी बेहन की चूत में…प्लीज़” करण उठा और अपने लंड के सूपदे को मेरे चूतड़ की
दरार से होते हुए मेरी चूत के मुहाने पर टीका दिया. उस बेह्न्चोद का लंड आग के
शोले की तरह जल रहा था. फिर उसने कस कर मेरी कमर को जकड़ा और अपना लंड थेल दिया
मेरी बुर के अंदर.” उईईईईए….मेरी माआआअ……आआआअ…आगगज्गग” मैं दर्द से बिलख उठी. मुझे क्या पता था कि लंड
के घुसने से इतना दर्द होगा. खैर शराब के नशे के कारण पीड़ा जल्द ही ख़तम हो गयी
और उतेज्ना की वजह से मुझे मज़ा आने लगा.
रिश्तो में चुदाई
करण एक चुड़क्कड़
खिलाड़ी था. उससने धीरे धीरे चुदाई की शुरुआत की, लेकिन जल्द ही स्पीड पकड़ ली. मेरी चोटी को उसने एस्से पकड़
रखा था जैसे क़िस्सी घोड़ी की लगाम हो और और मुझे तेज़ी से हांकने लगा.” वाह मेरी घोड़ी, बहुत मस्त चूत है तेरी, चुदवा मज़े से मेरी बहना. तेरे भाई का लंड आज तेरे पेट के
अंदर की तलाशी ले रहा है. कैसे महसूस हो रहा है
मेरी रंडी बहन को
चुदवाते हुए, सुधा? मैने ही तेरी बेहन नामिता की सील भी तोड़ी थी
और आज तेरी भी तोड़ रहा हूँ रानी,” उतेना के कारण
मुझे दर्द तो कम हो रहा था लेकिन मेरी जांघों से कुच्छ गीला सा बह रहा था जो कि
मुझे बाद में पता चला कि मेरी सील टूटने पर मेरा खून बह निकला था. करण का लंड जैसे
कि मेरी चूत में जा कर फैल गया हो किओं की अब वो मेरी चूत को पूरी तरह से भर रहा
था. उसके हाथ मेरे चूतड़ पर ज़ोर ज़ोर से चपत मारने लगे और मैं उतेज्ना से पागल हो
रही थी.
“चोद मुझे मेरे
भाई, ज़ोर ज़ोर से चोद अपनी
रंडी को….तेरा लंड मेरी बच्चेदानी
को टक्कर मार रहा है….करण चोद मुझे
मदेर्चोद…..यू मुझे अपनी बेहन बोल या
रखैल पर अपना लंड पेलते रहो मेरी चूत में……मेरी चूत आज तृप्त हो रही है….कितने बरसों से
प्यासी है लंड की…..शाबाश मेरे भाई….चोद अपनी बेहन को…..मैं अब झड़ने को हूँ…करण तेज़ी से चोद मुझे मेरी चूत का पानी निकल रहा है….और तेज़…..और तेज़…चोदो भाई…मैं झडियी…चोदो भाई….मैं……”
मेरी चूत से रस बहता रहा और करण अपने लंड से मेरी चूत पर प्रहार करता रहा. फ़चा फ़च चुदाई की आवाज़ आ रही थी और अचानक ही करण का जिस्म भी अकड़ गया.उसस्की साँस तेज़ हो गयी और उसस्के लंड ने गरम रस मेरी चूत में छ्चोड़ दिया. उसस्का लंड रस मेरी चूत से बाहर गिरने लगा और मेरी जांघों से हो कर बिस्तर पर ढेर लग गया. चुदाई से थक कर मैं 2 घंटे सोती रही, नंगी ही अपने करण की बाहों में.
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