हैलो फ्रेंड्स, मैं काजल . मेरी उम्र 19 वर्ष,
हाइट 5.2 फ़ीट, रंग गोरा, भरा हुआ बदन है. यह बात आज से करीब 4 महीने की
है जब हमारी बिल्डिंग के बाजू वाली बिल्डिंग में एक किरायेदार रहने के लिए आये थे, उनका नाम पायल और हरमोल था! पायल नर्स थी और हरमोल इंजीनियर थे.
एक दिन जब मैं
मार्किट जाने के लिए घर से निकली तो घर के सामने ही मुझे सपना मिली, उन्होंने मुझ से कहा- सुनिये,
हम यहाँ नए आये हैं रहने
के लिए आप की बाजू वाली बिल्डिंग में ही सेंकेंड फ्लोर पर… क्या आप मुझे बता सकती है कि यहाँ मार्किट कहाँ है, मुझे घर के लिए कुछ समान खरीदना है.
तब मैंने उनसे
कहा- मैं भी मार्किट ही जा रही हूँ,
आप मेरे साथ ही चलिये!
हम दोनों मार्किट
के लिए निकल गई. रास्ते में हमारी एक दूसरे से काफी बात हुई मैंने उन्हें अपना नाम
रीना बताया, उन्होंने मुझे अपना नाम सपना बताया. और भी काफी
बात हुई हमारे बीच में जैसे वो कहाँ से आये हैं, यहाँ क्या करते हैं वगैरा
वगैरा!मार्किट से खरीदी करने के बाद जब हम घर लौटे तो सपना के पास बहुत सारा सामान
हो गया था तो मैंने उनसे कहा- चलिये सपना जी, मैं आपको आपके घर तक छोड़
देती हूं.
तो उन्होंने कहा-
एक शर्त पर?
मैंने पूछा- क्या
सपना जी?
Antarvasna Jija
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फुटवाई
तो उन्होंने कहा-
आप मुझे ये सपना जी… सपना जी…. मत बोलो, आप मुझे दीदी बोल सकती हो!
तो मैंने भी
उन्हें कहा- ठीक है, पर आप भी मुझे आप न कह कर मुझे रीना ही बोलिये!
उन्होंने कहा-
ठीक है रीना !
तब मैंने उनका
कुछ सामान लिया और उनके साथ उनके घर गई सामान रखने के बाद सपना दीदी ने कहा- बैठो
रीना , मैं चाय बनाती हूँ!
मैं बैठ गई, कुछ ही देर में सपना दीदी चाय बना कर ले आई, हम दोनों बैठ कर चाय पी
रहे थे. शाम के करीब 6 बज चुके थे कि तभी सपना दीदी के पति (हरमोल ) आ गये.
तब दीदी ने उनसे
मेरा परिचय करवाया और उनका नाम हरमोल बताया. मैंने भी अपना नाम रीना बताया.
हरमोल एक बहुत ही
हेंडसम बंदा था, उसे देख कर तो मैं उसे देखती ही रही, उसकी बॉडी भी काफी कसी हुई थी.
कुछ देर उन दोनों
से बातें करने के बाद मैंने सपना से कहा- मैं आपको तो दीदी बोलने लगी हूँ तो हरमोल
जी को अब मैं क्या बुलाऊँ?
तो सपना ने कहा-
मैं तुम्हारी दीदी हुई तो ये तुम्हारे जीजू हुए… तुम इन्हें जीजू कह कर
बुलाओ!
तो उतने में ही
हरमोल ने भी कहा- हाँ, तुम मुझे जीजू ही बोलो क्योंकि मेरी कोई साली
नहीं है तो आज से सपना तुम्हारी दीदी और तुम मेरी साली हुई!
थोड़ी बहुत और बात
करने के बाद में अपने घर गई.
अब उनको यहाँ आये
हुए एक महीना हो चुका था, इस एक महीने में हमारे सम्बन्ध उनसे काफी अच्छे
हो गए थे, अब तो रोज ही मेरे बात सपना दीदी से होती ही
रहती थी और उनके पति निलेश जीजू से भी बात होती थी. वो तो मुझ से बात करने का कोई
न कोई बहाना ही ढूंढते रहते थे. मुझे भी उनसे बात करना काफी अच्छा लगता था, मैं उन्हें काफी पसंद करने लगी थी.
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एक दिन मैं अपनी
छत पर बैठी एक किताब पढ़ रही थी कि तभी मैंने देखी की हरमोल जीजू भी अपनी छत पर आए.
हमारे घर की छत और उनके बिल्डिंग की छत बिल्कुल अगल बगल में ही है. हरमोल जीजू ने
सिर्फ एक टॉवल ही लपेटा हुआ था और उनके एक हाथ में बाल्टी थी. जब मैं उनको देख रही
थी, तभी उन्होंने भी मुझे देखा तो मैंने उनसे पूछा- ये क्या
जीजू, आप इस हालत में यहाँ ऊपर छत पर क्या कर रहे हो?
तो उन्होंने कहा-
पता नहीं क्या हुआ है, बाथरूम में पानी ही नहीं आ रहा था और मुझे ऑफिस
जाने में लेट हो रहा था तो मैं यहाँ ऊपर छत पर नहाने के लिए आ गया!
इतना कह कर
उन्होंने अपना टॉवल निकाल दिया,
उन्होंने एक छोटी सी
चड्डी पहने हुई थी, यह देख कर मैंने उनसे कहाँ- जीजू, आप को शर्म नहीं आती इस तरह खुले में सिर्फ एक छोटी चड्डी पहन कर नहाते हुए?
तो हरमोल जीजू
कहने लगे- इसमें शर्माने वाली क्या बात है, यहाँ छत पर है ही कौन
मुझे देखने वाला जिससे मैं शरमाऊँ?
मैं तो तुम्हारा जीजा हूँ
और तुम मेरी साली… साली से किस बात की शर्म? साली तो आधी घरवाली होती है!
इतना कह कर जीजू
मुस्कुराने लगे और मैं भी कुछ न कह सकी तो मैं भी हल्का सा मुस्कुरा दी.
अब जीजू अपने बदन
पर साबुन लगाने लगे, वो कभी अपनी चड्डी के अंदर हाथ घुस कर लंड पर
साबुन लगाते तो अभी पीछे हाथ घुस कर गांड पर साबुन लगाते!
आह… मेरी नजर तो जैसे उन पर चिपक ही गई, कसा हुआ बदन, उभरी हुई मसल्स, ताकत और ऊर्जा से भरा हुआ शरीर जिस पर उन का
उभरा हुआ लंड चड्डी में से साफ दिखाई दे रहा था.
फिर जीजू अपने
बदन पर पानी डालने लगे, उन्हें ऐसा देख मैं भगवान से प्रार्थना करने
लगी कि काश एक बार जीजू के लंड के दर्शन हो जायें! तब मुझे क्या पता था कि मेरी ये
मन्नत पूरी हो जाएगी.
कुछ देर बाद वो
अपने शरीर की टॉवल से पौंछने लगे,
एक बार तो उन्होंने अपना
लंड चड्डी से बाहर निकाला और फिर जल्दी से उसे टॉवल से पौंछा और फिर अंदर कर लिया.
मेरे तो दिल ने
जैसे धड़कना ही बंद कर दिया हो, जीजू का सोलिड मोटा और लम्बा लंड तो मेरे दिल
को भा गया मेरी चूत फड़क उठी, बूब्स कसने लगे.
फिर उन्होंने
टॉवल लपेटा और चड्डी खोल कर दूसरी पहनने लगे. अब दोबारा भी मुझे उनका लंड दिख गया, जीजू का लंड देख कर तो मेरी चूत में जैसे आग लग गई.
उसके बाद अगले
दिन भी जब मैं छत पर थी तो जीजू फिर से नहाने के लिए आये, मैं फिर से उनके लंड के दर्शन करना चाहती थी लेकिन मम्मी ने मुझे नीचे बुला
लिया और मेरी जीजू के लंड के दर्शन करने की इच्छा अधूरी रह गई.
एक दिन मेरे घर
में कोई नहीं था और सपना दीदी अपने घर की चाबी मुझे दे कर ‘रीना , हरमोल जब घर आयें तो उन्हें ये चाबी दे देना, मुझे आज हॉस्पिटल से आने में देर हो जाएगी.’ यह कह कर वो हॉस्पिटल चली
गई.
मेरे घर में कोई
नहीं था और सपना दीदी भी बोल कर गई थी कि हरमोल जीजू आएंगे, तो मैंने अपनी ब्रा पेंटी उतार दी और एक बड़े गले का टॉप और छोटी सी निक्कर पहन
ली, टॉप के ऊपर से ही मेरे बूब्स का शेप साफ दिखाई दे रहा था
मैं अपनी जवानी जीजू को दिखाना चाहती थी इसलिए मैं ये सब कर रही थी.
मैंने अपनी ब्रा
पेंटी सोफे पर ही रख दी थी कि जब जीजू आये तो उनकी नजर मेरी ब्रा पेंटी पर पड़े!
शाम के करीब 3:30
बजे मेरे घर की बेल बजी, मैं समझ गई कि जीजू ही होंगे… मैंने जैसे ही घर का दरवाजा खोली तो सामने जीजू ही थे.
मैं उन्हें देख
कर खुश हो गई और उन्हें देखती रही. तभी जीजू ने कहा- रीना , मेरे घर की चाबी दे दो!
जीजू ने कहा-
इतनी रात को कौन आयेगा, मेरी डार्लिंग आ
जाओ न मेरी बाहों में!
मैंने कहा- रुको
जीजू, मैं पहले नीचे घर में देख
कर आती हूँ कि सब सो गए या नहीं.
मैं नीचे आई तो
देखा कि सब सो रहे थे, मम्मी पापा का
रूम ग्राउंड फ्लोर पर था, मेरा रूम फर्स्ट
फ्लोर पर और मेरी चुदाई होनी थी ऊपर छत पर तो मैं सब कुछ देख कर फिर छत पर गई और
छत के दरवाजे को बंद कर दिया.
मैंने मुड़ कर
जीजू की तरफ देखा तो जीजू सिर्फ अंडरवीयर में थे, वे अपने कपड़े उतार चुके थे, जीजू मेरी तरफ आये और उन्होंने मुझे खींच कर अपनी बांहों
में ले लिया.
जीजू को अपने
जिस्म से खेलते हुए पाकर मेरी साँस तेज हो गयी, जीजू ने अपने होंठ मेरे होंठ से चिपका दिए, हम एक दूसरे की जीभ को टटोल रहे थे।
फिर उन्होंने
मेरे हाथ ऊपर करके मेरी टीशर्ट निकाल दी. जीजू ने मेरे चूचे मेरी ब्रा के ऊपर से
ही दबाने शुरू कर दिए. मेरी पेंटी के अंदर उनका हाथ अब मेरी चूत तक पहुँच चुका था
जो गीली हो चुकी थी।
मैं मेरे एक हाथ
की उंगलियाँ उनके बालों में घुमा रही थी। मैं तो किसी और ही दुनिया में थी। मुझे
इतना भी होश नहीं था कि कोई छत पर आ भी सकता है।
जीजा ने मेरी
ब्रा उतार दी और मेरी गोरी सुडौल चूची उनके सामने थी, उनकी आँखें तो बस मेरी चूची को देखती ही रही. जीजू ने एक
हाथ मेरी एक चूची पर रखा और दूसरी चूची पर अपने गर्म होंठ रख दिए. मेरे मुख से आनन्द
भरी सिसकारी निकल गई.
मैं अपने होश
पूरी तरह खो चुकी थी।
वो सिर्फ़
अंडरवीयर में थे और उनके लंड का सख़्त होना मुझे महसूस हो रहा था. मैं सिर्फ़
पेंटी में उनके सामने खड़ी थी। उनकी आँखों की चमक बता रही थी कि उन्होंने इससे
अच्छा बदन कहीं नहीं देखा था।
अब वो मेरी पेंटी
को उतारने लगे, मैं उनका साथ दे
रही थी. उन्होंने मेरी पेंटी निकाल दी. एक जवान मर्द के सामने नंगी होने के ख्याल
से ही मैं सिहर गई थी। अब मुझसे बर्दाश्त नहीं हो रहा था
वो मेरे पूरे बदन
से खेल रहे थे जिस भी हिस्से में उनका मन करता अपने होंठों से चूमने चाटने लगते,
कभी मेरा चेहरा, गाल, कभी चूचियाँ,
कभी पेट, जांघें, चूतड़, कमर गर्दन, बगलें!
मैं पागल हुई जा
रही थी… उफ क्या एहसास था. मैं बस
उन की छाती में समा जाना चाह रही थी।
वो धीरे धीरे
नीचे जाने लगे। अभी बारिश भी थोड़ी तेज होने लगी थी, मैंने जीजू से कहा- जीजू, बारिश तेज हो गई है, अब क्या करें?
तो उन्होंने कहा-
मेरी जान, बारिश में ही तो चुदाई का
असली मजा है, तुम तो बस अपनी
चूत की चुदाई के मजे लो और मुझे चोदने दो.
मुझे भी खूब मजा
आ रहा था, बारिश में चूत चुदवाने का
ये एक अलग ही मजा था.
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अब जीजू ने मुझे
वहीं लिटा दिया. जैसे जैसे वो मुझे चूमते हुए पेट और नाभि और चूत तक आये, मेरी हल्की सी चीख निकल गयी। मैं अपने होश में
नहीं थी, बस अब मुझे उनका गर्म और
टाइट लंड अपनी चूत में चाहिए था। अरे उस वक्त तो उनका लंड क्या, किसी का भी लंड होता तो मैं चुद लेती.
अब जीजू मेरी चूत
को चाट रहे थे, मैं बस पागल हो
रही थी। थोड़ी देर चूत चाटने के बाद वो उठे और अपनी अंडरवीयर उतार दी और मेरे
होंठों पर अपने लंड को टिका दिया, जीजू का लंड था
तो इसके लिए मेरा मुँह अपने आप ही खुल गया। मैं जीजू का लंड चूस रही थी और जीजू की
सिसकारी निकल रही थी। मैं पागलों की तरह जीजू के लंड को चूसने लगी इतना बड़ा और
मोटा लंड चूसने में बहुत मजा आ रहा था, आज मुझे पता नहीं क्या हो रहा था।
मैं उनके टट्टों
को चाटने लगी, वो भी पागल से हो
रहे थे. अब वो उठे और मुझे नीचे लेटा कर मेरे ऊपर आ गये और मेरी चूत पर अपना लंड
टिकाकर रगड़ना शुरू कर दिया।
मैं भी कामुकता
के आवेश में हो रही थी, मैंने उनके चूतड़
पकड़ कर अपनी तरफ खींच लिए तो उनका लंड मेरी गीली चूत में समा गया और जीजू झटके
मारने लगे. मैं उनके चूतड़ अपनी तरफ खींचे जा रही थी, वो ज़ोर ज़ोर से मुझे चोद रहे थे, मैं तो सातवें आसमान में थी।
आज तक उन्होंने
मुझ जैसा माल नहीं चोदा होगा इसलिए वो ज़ोर से झटके मार रहे थे, मेरी चूत की गर्मी से उनसे रहा नहीं गया,
वो अपने चूतड़ हिला हिला कर मुझे चोदे जा रहे
थे और फिर उनके लंड से पिचकारी निकली और मेरी चूत की दीवारों को अपने लंड की
निशानी से भिगोने लगे में भी झड़ चुकी थी। वो मुझ पर निढाल हो कर गिर पड़े; फिर वो साइड में आँख बंद कर लेट गए
हम दोनों छत पर
बारिश में ऐसे ही लेटे हुए थे, दोनों बुरी तरह
थक चुके थे; कुछ देर हम दोनों
ऐसे लेटे रहे, फिर मैं उठी और
अपने कपड़े उठा कर नीचे जाने लगी तो जीजू ने मेरा हाथ पकड़ लिया और बोले- इतनी भी
क्या जल्दी है जाने की मेरी जान? अभी यो चुदाई
शुरू हुई है, आज तो पूरी रात
चुदाई चलेगी!
मैंने कहा- जीजू
अब मुझे जाने दो, मैं थक चुकी हूं
और ठंड भी लग रही है.
तो उन्होंने कहा-
तुम्हारी ठंड का इलाज तो में अभी कर देता हूं.
इतना कह कर
उन्होंने मुझे फिर से अपनी बाहों में लेकर यहाँ वहाँ चूमने लगे और कहा- क्यों मेरी
जान, कुछ ठंड कम हुई?
मैंने अपना सिर
हाँ में हिला दिया.
अब मैंने और जीजू
ने 69 पोजीशन बनाई, वो मेरी चूत को
चाट रहे थे और मैं उनके लंड को चूस रही थी. बाप रे वो लंड इतना मोटा था कि मुश्किल
से मेरे मुख में फिट हो रहा था. मेरे दोनों गाल फूल जाते थे जब मैं उस लंड को मुँह
में लेती थी.
और फिर जीजू ने
मेरी चाट चाट के सच में खा ली. वो अपने दांतों से भी मेरी चूत को खुजा रहे थे और
चूत के दाने को उनके बीच में दबा रहे थे. मैं तो जैसे पागल हो रही थी इस मस्त
सेक्सी अदाओं की वजह से और मेरे मुख से जोर जोर की सिसकारियाँ निकल रही थी.
जीजू ने अब मेरी
चूत में अपनी एक उंगली डाली और उसे आगे पीछे करने लगे, फिर वो बोले- अब तो मैं रुक नहीं सकता हूँ मेरी जान!
इतना कह कर वो
मेरे ऊपर आ गए और एक हाथ से पकड़ के अपने लंड को मेरी चूत में घुसा दिया. उन्होंने
मुझे किस किया क्यूंकि उन्हें भी पता था कि मैं उनके बड़े लौड़े को बिना दर्द के
नहीं ले सकती हूँ.
उन्होंने मुझे
किस करते हुए पहले तो लंड को ऊपर ऊपर से ही घिसा, जब चूत एकदम गीली हो गई तो उन्होंने धक्का दे दिया और मेरी
गीली चूत के अन्दर उनका लंड आराम से फिसल गया.
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मैं कराह उठी
लेकिन अब लंड अन्दर हो गया था इसलिए मुझे भी सुकून सा हुआ था. जीजू के लंड के
धक्के अब मेरी चूत में लगने लगे थे और मैं अपनी कमर को हिला हिला के उनका लेने लगी
थी.
और फिर तो बाकी
सब वही था जो हर चुदाई में होता है, कभी सीधे सीधे तो कभी उलट पुलट के मुझे भी चोदा गया.
चुदाई के बाद हम
इतने थक चुके थे कि वहीं सो गए.
सुबह करीब 5 बजे
मेरी नींद खुली तो मैंने जीजू को भी जगाया और उन्हें जाने के लिए बोली.
वो चले गए और मैं
नीचे अपने रूम में आ गई.
मैंने उनसे कहा- अरे जीजू, आप बाहर क्यों खड़े हो, अन्दर आइये, काफी थके हुए लग रहे हो आप… अन्दर आइये, मैं आपको चाय पिलाती हूँ.
तो उन्होंने भी कहा- हाँ रीना , तुम मुझे चाय पिला दो, चाय पी कर थोड़ा मैं रिलेक्स हो जाऊंगा.
जीजू अंदर आये मैंने उन्हें बैठने के लिए कहा
और चाय बनाने के लिए किचन में चली गई.
चाय लेकर जब मैं बाहर आई तो मेरी ब्रा जीजू
के हाथ में थी, मुझे देख कर जीजू ने कहा- रीना , यह तुम्हारी ब्रा है, तुमने इसे यहाँ क्यों रख छोड़ा?
मैंने थोड़ा झुक कर जीजू को चाय दी तो मेरे
बूब्स जीजू को साफ साफ दिखने लगे और जीजू की भी नजर जैसे मेरे बूब्स पर ही आकर रुक
गई हो.
चाय देने के बाद मैं जीजू के सामने ही बैठ
गई.
जीजू ने कहा- रीना , लगता है तुमने आज ब्रा नहीं पहनी?
मैं थोड़ी सी मुस्कुराई और बोली- ब्रा क्या
जीजू, मैंने आज पेंटी भी नहीं पहनी, घर में अकेली थी तो मैंने आज ब्रा पेंटी उतार
दी!
और मैं हंसने लगी जीजू भी मेरी बात बार थोड़ा
सा हंस दिए!
कुछ देर बाद मैंने नोटिस किया कि निलेश जीजू
मुझे बहुत घूरते रहे थे। वो मुझसे बातें भी अब थोड़ी अलग करने लगे थे. मेरे बूब्स
देख कर शायद उन्हें भी अब कुछ कुछ होने लगा था, वो अब सेक्सी बात भी करने लगे थे, मैं भी पूरे मजे ले रही थी, मैं तो चाहती ही थी उन्हें अपने जवानी
दिखाना!
बातों ही बातों में जीजू ने मुझ से कहा- रीना
, क्या तुम्हें शादी नहीं करनी? सुहागरात नहीं मनानी?
मैंने उन्हें हँसते हुए कहा- मुझे शादी ही
नहीं करनी जीजू!
तभी उन्होंने कहा- तो क्या सिर्फ़ सुहागरात
मनाओगी?
तो मैं हँसने लगी.
तभी जीजू ने मेरा हाथ कस कर पकड़ लिया और कहा-
मेरे साथ मनाओगी?
मैंने कहा- क्या जीजू? आप भी..
कहकर अपना उनसे पीछा छुड़वाना चाहा… पर वो स्ट्रॉंग थे।
तभी उन्होंने मुझे और भी कसकर पकड़ा और कहा-
मैं तो सिर्फ़ तुम्हारे साथ ही मनाऊंगा।
मैं अपने आपको उनके हाथ से छुड़वा कर अपने
रूम की तरफ जाकर उनकी तरफ देखा, उनकी आँखों में मेरे लिए आग थी, जीजू भी उठ कर मेरी तरफ आये और फिर से उन्होंने मुझे कस कर पकड़ लिया और मेरे
गले को चूमने लगे।
मैं जोर से धक्का दे रही थी। मैंने उनकी
आँखों में देखा, वो आउट ऑफ कंट्रोल थे, उन पर जिस्म की भूख सवार थी और उन्होंने मुझे किस कर दिया, फिर मैं भी उन्हें रिटर्न में किस करने लगी।
अब वो मेरे बूब्स मसलने लगे और तभी उन्होंने
मेरा टॉप ऊपर किया और निप्पल को चूसा और काटा। मैं हल्की हल्की आहें उम्म्ह… अहह… हय… याह… भरने लगी और फिर मैंने उनसे कहा- यह ग़लत है।
तभी उन्होंने ‘सिशह्ह…’ कह कर मुझे शांत किया, उन्होंने मेरा टॉप उतार दी।
मैंने अपनी आँखें बंद कर दी, अब वो मेरे बूब्स दबाने लगे और किस करने लगे।
फिर उन्होंने मुझे गोद में उठा लिया और फिर
से मेरे सेक्सी होठों पर चुम्मा लेने लगे।
वो मुझे बेडरूम में ले गये और बिस्तर पर लिटा
दिया और कहने लगे- साली जी, आज मैं आपको रगड़ कर चोदने वाला हूँ। आपको जीजा के साथ सेक्स में बहुत मजा
मिलेगा!
मैंने कहाँ-
जीजू, जब से आप को छत पर नंगा नहाते हुए देखा, मैं आपकी दीवानी हो गई हूं, आज तो मैं आपसे चुदवाना चाहती थी। पर जीजू मुझे ऐसे चोदना कि दर्द ना हो!
जीजू ने कहा-
साली जी, दर्द तो तुमको जरूर होगा पर बाद में मजा भी बहुत आएगा.
तभी घर की डोर बेल बजी, मैं घबरा गई और जीजू भी घबरा गए, वो जल्दी से मेरे रूम से बाहर जा कर सोफे पर
बैठ गए और मैंने जल्दी से अपनी ब्रा और टॉप पहनी और पेंटी को रूम में फेंक दी और
जाकर दरवाजा खोली तो सामने मम्मी थी.
वो अन्दर आई और उन्होंने हरमोल जीजू को देख
तो कहा- अरे हरमोल , तुम यहाँ?
तो जीजू ने कहा- हाँ आंटी, मैं अपने घर की चाबी लेने आया था और रीना ने मुझे चाय के लिए बोली तो मैं चाय
पीने रुक गया!
फिर उन्होंने कहा- अच्छा तो अब मैं चलता हूं!
कह कर जीजू चले गए मैं भी अपने कमरे में आ गई
और अपनी फूटी किस्मत पर अफसोस करने लगी कि इतना अच्छा चुदाई का मौका हाथ से निकल
गया.तो हरमोल जीजू से चुदने के बाद जब मैं घर आई तो बार बार आज की चुदाई के नजारे
मेरी आँखों के सामने आ रहे थे, जीजू द्वारा की गई चुदाई को मैं भूल नहीं पा रही थी उस चुदाई के बाद एक दो बार
ओर जीजू ने मेरी चुदाई की पर अब बार बार जीजू ऑफिस से छुट्टी नहीं ले सकते थे इस
लिए अब मेरी चूत की पूरी चुदाई नहीं हो पा रही थी. मुझे अपनी चूत चुदवाने की तलब
सी लगी रहती थी लेकिन कोई लंड मेरी चूत को मिल नहीं रहा था.
फिर एक दिन रात के करीब 12:30 बजे जीजू का मुझे फ़ोन आया, मुझे थोड़ा अजीब लगा कि जीजू इतनी रात में
मुझे फ़ोन क्यों कर रहे हैं. जब मैंने फ़ोन उठाया तो जीजू ने कहा- रीना , क्या कर रही हो? क्या तुम अपने घर की छत पर आ सकती हो?
मैंने उनसे पूछा- क्यों जीजू, क्या हुआ? आप मुझे इतनी रात में छत पर बुला रहे हो, सब ठीक तो है ना?
उन्होंने कहा- रीना , सब ठीक है, तुम छत पर आओ तुम्हारी बहुत याद आ रही है. सपना की आज नाईट शिफ्ट है तो वो हॉस्पिटल
चली गई है मुझे तुम्हें देखना है, तुम छत पर आओ.
मैंने कहा- ठीक है जीजू, मैं बस अभी आती हूँ.
मैं चुदाई के लिए बेचैन थी लेकिन छत पर चुदाई
की कोई संभावना ही नहीं थी फिर भी मैं चली गई ऊपर छत पर… मैं जैसे ही छत पर गई और छत का दरवाजा खोला तो जीजू मेरे सामने मेरी घर की छत
पर ही खड़े थे और हल्की हल्की बारिश के छीटे पड़ रहे थे.
मैंने उन्हें देख कर कहा- जीजू, आप यहाँ मेरे घर की छत पर कैसे आये?
तो उन्होंने बताया कि उन्होंने मेरे घर की
बिल्डिंग ओर उनके घर की बिल्डिंग के बीच में लकड़ी के दो फट्टों को लगा दिया है
जिससे एक ब्रिज बन गया.
क्योंकि इन दोनों बिल्डिंग के बीच में
मुश्किल से 3′ की ही जगह थी जिस पर लकड़ी के ये फट्टे लगाने से एक ब्रिज बन गया था.
फिर जीजू ने कहा- देखो न रीना , मौसम कितना सुहाना हो रहा है, बारिश के भी हल्के हल्के छींटे आ रहे हैं
क्या इस मौसम में तुम्हारा चुदाई करने का मन नहीं कर रहा?
मैंने कहा- जीजू, कर तो बहुत रहा है पर करेंगे कहाँ?
तो जीजू ने कहा- यहीं छत पर मैं तेरी चूत
चोदूंगा… रीना आ जाओ न मेरी बाँहों में!
कह कर जीजू ने मुझे अपनी बाँहों में ले लिया
और मुझे चूमने लगे.
मैंने अपने आप को उनकी बाहों से छुटवा कर
कहा- क्या पागल हो गए हो जीजू आप? इस तरह खुले में चुदाई करोगे मेरी? कोई देख लेगा तो? मुझे डर लग रहा है.
उन्होंने कहा- रीना , रात का 1 बज रहा है और बारिश भी आ रही है, इस टाइम कौन अपने घर के बाहर छत पर आयेगा.
यहाँ तो बस तुम और मैं ही हैं और आस पास भी तुम देख लो, दूर दूर तक कोई नहीं दिखेगा.
मैंने अपनी नजरें घुमा कर देखा तो सब तरफ
शांति थी, कोई भी दिख नहीं रहा था.
जीजू ने फिर से मुझे अपनी बाँहों में ले लिया
और फिर चूमने लगे. मैंने फिर से उन्हें अपने से अलग किया तो उन्होंने कहा- क्या
हुआ मेरी साली जी? चुदवाने का मन नहीं है क्या?
मैंने कहा- जीजू, चुदवाने का तो मन बहुत है पर मुझे डर लग रहा है इस तरह छत पर खुले में और नीचे घर में भी सब हैं, कोई आ गया तो?
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