घर में खुशी का
माहौल था घर में ऐसा प्रतीत हो रहा था जैसे कि कोई त्यौहार हो रहा हो सब लोग बड़े
ही खुश थे मेरे पापा तो सबसे ज्यादा खुश थे। सब लोग मेरे छोटे भाई महेश की शादी को
लेकर खुश थे महेश की शादी कुछ समय पहले ही हुई थी लेकिन किसी कारणवश उसकी शादी टूट
गई और महेश भी काफी तनाव में रहने लगा था। महेश के तनाव का कारण यही था कि उसके
ससुराल पक्ष ने उस पर दहेज का आरोप लगा दिया था और हम लोगों को काफी समय तक यह
इल्जाम अपने सर पर झेलना पड़ा लेकिन जब सब कुछ ठीक हो गया तो उसके बाद महेश ने
दूसरी शादी करने का फैसला कर लिया। मेरे पिताजी की काफी इज्जत है इसलिए महेश की
दूसरी शादी संजना के साथ होने वाली थी संजना स्कूल में टीचर हैं।
महेश भी इस शादी
से बहुत खुश था हमारे घर में हमारे सारे रिश्तेदार आए हुए थे घर में खुशी का माहौल
था। पापा के चेहरे पर मुस्कान थी क्योकीं कहीं ना कहीं इस बात की संतुष्ट भी थी की
महेश के साथ जो पहले हुआ उसे हम लोग भूल चुके हैं। महेश अपनी शादी से बहुत खुश था
और वह जब दूल्हा बनकर संजना के घर पर गया तो सब लोग बहुत ज्यादा खुश थे सब कुछ
बड़े ही धूमधाम से हुआ। महेश की शादी में बैंड बाजा और हमारी बारात थी संजना के
पिताजी ने शादी में कोई भी कमी नहीं की थी उन्होंने अपनी तरफ से सारा कुछ बंदोबस्त
बड़े ही अच्छे से किया हुआ था। शादी का आयोजन उन्होंने एक बड़े से बैंक्विट हॉल
में किया था और जब शादी हो गई तो संजना अब हमारे घर की बहू बन चुकी थी। मेरी पत्नी
की संजना बड़ी इज्जत करती है संजना दिखने में बहुत सुंदर है और उसके बाद संजना और
मेरी पत्नी की बहुत अच्छी बनने लगी थी। संजना अब हमारे घर आ चुकी थी तो सब कुछ
पहले जैसा ही सामान्य होने लगा था महेश के जीवन में भी अब खुशियां लौट आई थी। महेश
ने जितनी तकलीफे और जितना कष्ट झेला था वह सब अब सामान्य होने लगा था वह अपने
स्कूल भी समय पर जाया करता और स्कूल से शाम के वक्त लौटा करता महेश और संजना एक ही
प्रोफेशन में थे तो दोनों की बहुत अच्छी बनती थी।
मेरा बिजनेस भी
अच्छा चल रहा था और एक दिन मुझे महेश कहने लगा भैया मैं सोच रहा था कि आप संजना के
छोटे भाई को अपने साथ काम पर रख लीजिये वह भी आपके साथ कुछ काम सीख जाता तो वह भी
अपने बलबूते कुछ कर पाता। मैंने महेश से कहा हां क्यों नहीं तुम उसे मुझसे कल
मिलने के लिए कह देना वह मुझसे मिलने के लिए मेरे दफ्तर में आ जाएगा अगले दिन संजना का छोटा भाई रोहन ऑफिस में आ
गया रोहन के कॉलेज की पढ़ाई अभी कुछ समय पहले ही पूरी हुई थी वह भी कोई बिजनेस
शुरू करना चाहता था इसलिए महेश ने मुझसे उसकी बात की। रोहन बड़ा ही अच्छा और
मेहनती लड़का था जब मैं पहली बार उससे मिला तो मुझे लगा कि वह जरूर अपने जीवन में
अच्छा कर लेगा क्योंकि उसकी बातों ने मुझे बहुत प्रभावित किया था उसकी कम उम्र में
ही मैंने उसे पहचान लिया था कि वह एक अच्छा बिजनेसमैन बन जाएगा। मुझे अपना बिजनेस
करते हुए करीब 15 वर्ष हो चुके थे और इन 15 वर्षों में मैंने अपने जीवन में बहुत
से उतार चढ़ाव देखे लेकिन उसके बावजूद भी मैंने कभी हार नहीं मानी और फिर सब कुछ
मैं अपने जीवन में बड़े अच्छे से करता रहा। मेरा बिजनेस करने के तरीके से मेरे
जितने भी दोस्त है वह सब कहते है कि तुम जरूर आगे बढ़ आओगे और हुआ भी ऐसा ही।
मैंने इतने साल में काफी तरक्की की और मैंने वह सब कुछ हासिल कर लिया जिसको लोगों
को हासिल करने में कई वर्ष लग जाते हैं। 15 साल पहले की कुछ यादें जब मेरे जेहन
में आती है तो मुझे लगता है कि सब कुछ कितना जल्दी हो गया मेरी शादी को भी 10 वर्ष
हो चुके हैं और मेरी 8 वर्ष की बड़ी लड़की है जिससे कि मैं बहुत प्यार करता हूं।
मेरी पत्नी बहुत
अच्छी है सब कुछ मेरे जीवन में बहुत अच्छे से चल रहा था रोहन ने भी मेरी कंपनी
ज्वाइन कर ली थी और वह बड़े ही मेहनत के साथ काम कर रहा था मैं बहुत खुश था कि चलो
रोहन अपने बलबूते अब कुछ कर ही लेगा। रोहन को काम करते हुए करीब एक वर्ष होने आया
था इस एक वर्ष में रोहन ने बहुत मेहनत की और उसने भी अपना काम शुरू कर लिया था।
महेश और संजना की जिंदगी में भी खुशियां आने वाली थी और कुछ ही समय बाद संजना ने
एक लड़के को जन्म दिया। संजना ने अपने स्कूल से कुछ समय के लिए छुट्टी ले ली थी
मेरी पत्नी भी संजना कि बहुत देखभाल करती थी हम दोनों भाइयों के बीच में बहुत ही
प्रेम संबंध था सब कुछ बड़े ही अच्छे से चल रहा था। महेश अपने पापा बनने की खुशी
में अपने दोस्तों को घर पर एक पार्टी देना चाहता था तो उसने मुझसे पूछा मैंने महेश
से कहा देखो महेश हमें किसी होटल में पार्टी रखनी चाहिए। महेश मेरी बात से पूरी
तरीके से सहमत था और मैंने अपने दोस्त को फोन कर के कहा कि हमें एक छोटी सी पार्टी
अरेंज करवानी है तो वह कहने लगा ठीक है तुम मुझसे मिलने आ जाओ। मैं उससे मिलने के
लिए चला गया और मैंने सारी व्यवस्थाएं बड़े ही अच्छे से करवा दी जब पार्टी हो रही
थी तो उस वक्त सब लोग बहुत खुश थे और मैंने भी अपने कुछ पुराने दोस्तों को बुला
लिया था। मैं और महेश्वर एक दूसरे से बात कर रहे थे तो मेरे पिताजी हमसे कहने लगे
बेटा मुझे घर छोड़ दो। पिताजी को यह सब अच्छा नहीं लगता था वह ज्यादा शोर-शराबे
में रहना पसंद नहीं करते थे इसलिए मैंने पिता जी से कहा मैं आपको घर छोड़ देता
हूं।
मैं पिताजी को घर
छोड़ने के लिए चला गया और जब मैं वापस लौटा दो लगभग लोग जा चुके थे क्योंकि देर भी
काफी हो चुकी थी और बड़े ही अच्छे से हम लोगों ने पार्टी दी। उसके बाद हम लोग भी
रात के वक्त घर लौट आए जब हम लोग घर लौट आए तो महेश मुझसे कहने लगा भैया पार्टी तो
बड़े ही अच्छे से हो गई और सब लोग बड़े खुश थे और बड़ी तारीफ कर रहे थे। मैं और
महेश आपस में बैठकर बात कर रहे थे तब मेरी पत्नी मुझे कहने लगी क्या आप लोगों को
सोना नहीं है टाइम भी काफी हो चुका है अब आप लोग सो जाइए। महेश कहने लगा हां भैया
अब सो जाते हैं समय भी काफी हो चुका है जब महेश ने यह बात कही तो मैंने महेश से
कहा चलो ठीक है सो जाते हैं और हम लोग सोने के लिए चले गए। अगले ही सुबह जब नींद
खुली तो मैंने घड़ी की तरफ देखा उस वक्त 8:00 बज रहे थे मैंने सोचा थोड़ी देर और
सो जाता हूं क्योंकि मेरी नींद पूरी नहीं हुई थी इसलिए मैं कुछ देर और सो गया। जब
मैं उठा तो उस वक्त 11:00 बज चुके थे और मुझे एक जरूरी मीटिंग के लिए जाना था मैं
जल्दी से तैयार हुआ और अपने ऑफिस के लिए निकल पड़ा। मैं जब अपने ऑफिस पहुंचा तो
मैंने देखा जिन के साथ मेरी मीटिंग होनी थी वह मेरा इंतजार कर रहे थे। मैंने
उन्हें कहा सर सॉरी आने में लेट हो गई वह कहने लगे कोई बात नहीं हम लोग करीब एक
घंटे तक साथ में बैठे रहे। उसके बाद वह जा चुके थे मैं भी शाम के वक्त घर लौट आया
था मैं जब शाम को घर लौट आया तो मैंने देखा महेश की एक वर्ष की बेटी बहुत जोर से
रो रही थी। मैं जब कमरे में गया तो वहां पर संजना भी नहीं थी और घर पर उस दिन कोई
भी नहीं था। मैंने अपनी पत्नी को फोन किया और कहा तुम कहां हो?
वह कहने लगी मैं
तो अभी अपनी सहेली के घर पर आई हूं मुझे आने में थोड़ा देर हो जाएगी मैंने अपनी
पत्नी से कहा ठीक है मैं अभी फोन रखता हूं। मैंने उस छोटे से बच्चे को अपनी गोद
में उठा लिया मुझे बड़ा अच्छा लग रहा था वह मेरी तरह बड़े ध्यान से देख रहा था तभी
संजना भी आ गई। मैंने संजना से कहां छोटू बहुत ज्यादा रो रहा था इसलिए मैंने सोचा
तुम्हे बताऊ लेकिन तुम मुझे दिखी ही नहीं। संजना कहने लगी मैं बाथरूम में थी। उसने
मुझे कहा लाइए आप मुझे छोटू को पकड़ा दीजिए मैंने संजना को छोटू को पकड़ा है तो
संजना के स्तन मेरे हाथों से टकराए। मैंने अपने आपको रोकने की कोशिश की लेकिन
संजना भी मेरी तरफ प्यासी नजरों से देख रही थी मुझे कुछ समझ नहीं आया और आखिरकार मैने
संजना को अपने कमरे में आने के लिए कहा। संजना कमरे में आ गई ना जाने संजना को भी
ऐसा क्या हुआ कि हम दोनों एक दूसरे के साथ शारीरिक संबंध बनाने के लिए तैयार हो
गए। मैंने अपनी सारी मर्यादाओं को ताक पर रखते हुए उसके होठों को चूसना शुरू किया
तो उसे भी बहुत अच्छा लगने लगा वह मेरी बाहों में आने लगी। मैंने संजना से पूछा
क्या तुमने छोटू को सुला दिया है?
वह कहने लगा हां
मैंने उसे सुला दिया है मैंने संजना के बदन से उसके कपड़ों को उतार दिया जब मैंने
उसकी पैंटी ब्रा को उतारना शुरू किया तो वह भी पूरी तरीके से मचलने लगी थी। मैंने
उसकी योनि के अंदर लंड को प्रवेश करवा दिया जैसे ही संजना की योनि के अंदर मैने
अपने लंड को घुसाया तो वह चिल्ला रही थी और मैं भी बहुत तेजी से धक्के मारता। कुछ
देर तक तो मैं उसे नीचे लेटा कर तेजी से धक्के मारता रहा लेकिन जैसे ही मैंने
संजना को घोड़ी बनाकर उसे चोदना शुरू किया तो वह भी अपनी चूतडो को मुझसे टकराने
लगी।
जिस प्रकार से वह अपनी चूतडो को मुझसे मिलाती उससे मेरा वीर्य मेरे अंडकोषो से बाहर की तरफ को निकालने लगा था। मेरा लंड संजना की योनि के अंदर तक जा रहा था उसे भी बड़ा मजा आ रहा था काफी देर तक ऐसा करने के बाद मेरा वीर्य बाहर निकलने वाला था। मैंने संजना की चूतडो के ऊपर अपने वीर्य को गिरा दिया। संजय ने भी मेरे वीर्य को अपनी चूतडो से साफ किया और उसके बाद वह अपने कमरे में चुपचाप चली गई। हम लोगों ने किसी को भी नहीं बताया और ना ही हम लोगों के अंतरंग संबंधों के बारे में किसी को कुछ बताना चाहते हैं।
0 Comments:
एक टिप्पणी भेजें