मैं नींद में थी,
तभी मुझे महसूस हुआ कि मेरे पति ने मेरे दोनों
हाथों को पकड़ा हुआ है और अपने पैरों से मेरे पैरों को भी जकड़ रखा है. तभी मेरी
आँखें खुलीं और एक डर के चलते मेरे बदन में करंट सा दौड़ गया. जेठ जी बेड पर बैठे
हुए मेरे पूरे बदन पर हाथ फेर रहे थे और बड़बड़ा रहे रहे थे- नीतू रानी, तुम्हें जब पहली बार देखा था, तभी से तुम मुझे बहुत पसंद आ गई थीं. तुम्हें
चोदने का, चखने का मेरा हमेशा से एक
सपना रहा था. आज तेरा पति दूसरे शहर गया है.. इस मौके का मैं आज फायदा उठाऊंगा,
आज मैं तुम्हें जबरदस्त चोदूंगा और तुम्हें मुझे
सहन करना पड़ेगा.
मेरे सास ससुर के
जल्दी गुजर जाने के बाद मेरे जेठ ने अपनी पढ़ाई बीच में छोड़कर मिल में काम करने लगे
थे. उन्होंने बहुत मेहनत करके मेरे पति को पढ़ाया, मेरे पति की पढ़ाई के लिए जेठ जी ने शादी तक नहीं की. मेरे
पति उनकी बहुत इज्जत करते थे. अच्छी पढ़ाई की वजह से मेरे पति की अच्छी नौकरी लग
गयी. मेरे पति ने हम जहां रह रहे थे, वहीं के पास की बिल्डिंग में फ्लैट खरीद लिया था और हम वहां पर रहने लगे थे.
मेरे जेठ अभी भी उसी चॉल में ही रहते थे. मिल में काम करने की वजह से जेठ जी की
तीनों शिफ्ट में जॉब रहती थी, इसलिए जब भी उनको
समय मिलता, वह खाने के लिए यहीं
हमारे फ्लैट में आ जाते थे.
मेरे पति ने शादी
की पहली ही रात में मुझे उनके भाई के बारे में बता दिया था. उनको अपने बड़े भाई के
त्याग का अहसास था, हमारी जितनी भी
प्रगति हुई थी, जेठ जी के वजह से
ही हुई थी. वो हमेशा जेठ जी का ख्याल रखते थे और उनकी यही इच्छा थी कि मैं भी उनका
उतना ही ख्याल रखूँ.
मेरे मायके की
आर्थिक स्थिति भी अच्छी नहीं थी, इसलिए अच्छा
कमाने वाला पति मिलना, मैं अपना भाग्य
समझती थी. इन सभी वजहों से भी मैं उनकी इच्छा का अनादर नहीं करना चाहती थी.
शादी के कुछ दिन
तक तो सब ठीक था, जेठ जी हमारे घर
खाना खाने आते, मेरे पति से बात
करते और चले जाते, पर थोड़े ही दिनों
बाद उन्होंने अपना रंग दिखाना शुरू कर दिया.
मैं घर में साड़ी
ही पहनती थी, गाउन पहनना मेरे
पति को पसन्द नहीं था. घर के काम करते वक्त कभी कभी पल्लू अपनी जगह पर नहीं रहता
था, कभी पेट खुला पड़ जाता,
तो कभी ब्लाउज में से स्तन दिखने लगते थे. मेरे
जेठ जी की नजर मेरे पर ही रहती थी. उनको इस बात का इन्तजार रहता था कि कब मेरा
पल्लू सरके और मेरी जवानी का खजाना उन्हें देखने को मिले. पर अभी तक जेठ जी ने
मुझे गंदे इरादों से छुआ नहीं था, पर आगे चल छुएंगे
नहीं, इस बात की भी कोई गारंटी
नहीं थी. मैं मेरे पति को भी नहीं बोल सकती थी, कहीं उनको ऐसा ना लगे कि मैं उन दोनों के बीच में गलतफहमी
पैदा करने की कोशिश कर रही हूँ. उस स्थिति में तो मेरे पति मुझे घर से भी निकाल
सकते थे.
आजकल दो तीन दिन
से मेरे पति ऑफिस के काम से दूसरे शहर गए थे, तब से मैं डर डर कर ही रह रही थी. पर जिस बात का मुझे डर था,
वही अभी मेरे साथ हो रहा था.
जेठ जी कह रहे
थे- आज मैं तुम्हें जबरदस्त चोदूंगा और तुम्हें सब सहन करना पड़ेगा.
ये कहकर मेरे जेठ
मेरे कपड़ों की तरफ बढ़े, उन्होंने मेरा
पल्लू मेरे सीने से पहले ही अलग कर दिया था. अब वो मेरे गोरे सपाट पेट पर हाथ घुमा
रहे थे. मेरे हाथ पैर बंधे होने के कारण न तो मैं विरोध कर सकती थी और ना ही मैं
चिल्ला सकती थी. बस आँखों से उनसे मुझे छोड़ देने की विनती कर रही थी.
कुछ देर के बाद
मेरे जेठ ने अपना हाथ मेरे सीने पर रखा, कुछ देर मेरे ब्लाउज के ऊपर से मेरे मम्मे मसलने के बाद उन्होंने मेरे ब्लाउज
के हुक खोलना शुरू कर दिए. दो तीन हुक खोलने के बाद उन्होंने ब्लाउज के हुक खोल कर
सामने से उसे मेरे स्तनों के ऊपर से हटा दिया और मेरी ब्रा ऊपर कर दी. मेरे गोरे
गोरे गोल गोल स्तन उनके सामने नंगे हो गए, पूरा खजाना उनके सामने खुल ही गया था. मेरे दोनों स्तनों को अच्छे से चूसने
दबाने के बाद उनका हाथ फिर से मेरे पेट पर बंधी साड़ी पर गया.
मेरे पति दूसरे
शहर गए थे, तो दो तीन दिन से मेरी भी
चुदाई नहीं हुई थी और उनकी कामुक हरक़तों की वजह से मेरी कामवासना भी जागृत होने
लगी थी.
जेठ जी ने मेरी
साड़ी खींच खींच कर मेरी बदन से अलग की, फिर पेटीकोट का नाड़ा ढीला करके पेटीकोट भी सरकाकर नीचे कर दिया. अब मेरा
एकमात्र वस्त्र मेरी पैंटी मेरी इज्जत ढके हुए थी. जेठ जी उठकर ड्रेसिंग टेबल के
पास गए, वहां से एक कैंची उठाकर
ले आए. फिर मेरे पास बैठकर मेरा पेटीकोट और मेरी पैंटी दोनों को काट कर मेरी शरीर
से अलग कर दिए.
थोड़ी देर मेरे
नंगे बदन को आंखें फाड़ कर देखने के बाद मेरे जेठ मेरे पैरों की ओर बढ़े, उन्होंने मेरे पैरों की उंगलियों को अपने मुँह
में लेकर के चूसना शुरू कर दिया. अब तो मेरी चुत में गुदगुदी होने लगी. जेठ जी
धीरे धीरे ऊपर सरकते हुए मेरे पैरों को सहलाने और चूमने लगे. इसके बाद वे मेरी
जांघों तक पहुंच कर मेरी जांघों को चूमने सहलाने लगे. मेरे पूरे शरीर में कामुक
लहरें दौड़ रही थीं, पर मुँह में कपड़ा
होने के कारण मेरे मुँह से सिसकारियां नहीं निकल पा रही थीं.
अब उन्होंने अपने
हाथ मेरे त्रिकोणीय क्षेत्र पे ले जाते हुए, मेरी चुत को छेड़ना शुरू कर दिया. उनकी उंगलियों के उस
खुरदरे स्पर्श से मेरी चुत पानी छोड़ने लगी. जेठ जी अपनी एक उंगली मेरी चुत में
डालकर अन्दर बाहर करने लगे, साथ में मेरी चुत
के दाने को भी उंगलियों से छेड़ने लगे. जेठ जी अपनी उंगली को गोलाकार घुमाते हुए
मेरी चुत के अन्दर बाहर करने लगे.
जेठ जी भी मेरा
नंगा बदन देख कर गर्म हो गए थे, वह बेड पर खड़े हो
गए और अब उन्होंने अपनी लुंगी खोल दी. मुझे चोदने के इरादे से आये हुए मेरे जेठ जी
ने अन्दर अंडरगारमेंट्स भी नहीं पहने हुए थे. उनका लंड पूरा तनकर खड़ा था और जेठ जी
बेशर्मों की तरह उसे हाथ में लेकर के हिला रहे थे.
जेठ- देख नीतू
रानी, देख मेरा लंड … है ना तेरे पति से बड़ा? तुझे बहुत पसंद आएगा ये!
मैं आंखें बड़ी
करके उनके लंड को देख रही थी, सच में उनका लंड
मेरे पति से बड़ा और लंबा था. सच बोलूं तो उनका रसीला लंड देख कर मेरे मुँह में और
मेरी चुत में पानी आने लगा था. इतना बड़ा लंड जेठ जी मेरी चुत के अन्दर डालकर मुझे
जम कर चोदेंगे, इसी बात से ही
मैं खुश हो रही थी, पर मैं ऊपर ऊपर
से डर और नाराजगी जाहिर कर रही थी.
जेठ जी मेरी
जांघों के ऊपर मुझे चोदने की पोजीशन में बैठ गए. वे अपने एक हाथ से मेरी चुत को
चौड़ी करके उसमें अपना लौड़ा धीरे धीरे पेलने लगे. जैसे जैसे उनका लंड मेरी मुनिया
में घुस रहा था, वैसे ही मेरी चुत
खुलने लगी थी. उनका बड़ा लंड मेरी चुत के दीवारों से रगड़ खा रहा था. मेरे पूरे शरीर
पर रोंगटे खड़े हो रहे थे.
धीरे धीरे करके
जेठ जी ने अपना पूरा लंड मेरी चुत में पेल दिया और अब वे चूत में हल्के हल्के
धक्के लगाने लगे. लंड ने चूत की चिकनाई से अपनी जगह बना ली तो मेरे जेठ जी ने धीरे
धीरे अपनी स्पीड बढ़ा दी. उनके हर धक्के के साथ मेरे स्तन उछल कूद कर रहे थे. जेठ
जी उन्हें बारी बारी चूस कर अपनी कमर से एक लय में धक्के दे रहे थे.
कुछ ही देर बाद
मेरी वासना के ज्वालामुखी फट पड़ा और मैं ज़ोरों से छूट पड़ी. मेरी पानी का जोर इतना
था कि उसकी वजह से उनका लंड चुत से सटक कर बाहर आ गया. जेठ जी ने फिर से अपने लंड
को मेरी चुत के अन्दर डाल दिया और जोश से धक्के देने लगे. मेरी चुत की गर्मी में
उनका टिक पाना भी मुश्किल लग रहा था. फिर एक जोर के धक्के के साथ उन्होंने अपना
लंड जड़ तक अन्दर डाल दिया और झड़ने लगे.
तेज गर्म वीर्य
की पिचकारियां मेरी चुत के अन्दर गिरने लगीं. मेरी चुत भी उस गर्मी को सहन नहीं कर
सकी और फिर एक बार फूट फूट कर झड़ने लगी.
चुदाई के बाद
थकान हो जाने की वजह से जेठ जी मेरे शरीर पर ही पड़े रहे. कुछ ही देर में उनका लंड
सिकुड़ने की वजह से बनी हुई जगह से हम दोनों का कामरस बहकर नीचे चादर गीली कर रहा
था.
कुछ देर बाद जेठ
जी मेरे बदन पर से उठे. हम दोनों के कामरस में सना हुआ रोशनी में चमक रहा था. जेठ
जी ने अपना कामरस से सना हुआ लंड मेरी फटी हुई पैंटी से साफ किया. अब वे मुझसे
बोले- नीतू रानी, आज मेरी बहुत
दिनों की इच्छा पूरी हो गई. माफ करना, तुम्हें थोड़ी तकलीफ दी, पर दूसरा कोई
चारा नहीं था.
जेठ जी ने अपने
कपड़े पहने, फिर मुझे देख कर
मुस्कुराकर जाने लगे.
मैं चिल्लाई-
वहीं रुक जाइये जेठ जी … मैं भी यह बात
मैं आपके सामने कबूल करना चाहती हूं कि आपके इस जबरदस्त सेक्स में मुझे अलग ही मजा
मिला. मेरे पति भी मुझे अच्छा चोदते हैं, पर आज जैसा मजा मुझे पहली बार मिला है. कल भी मेरे पति घर से बाहर रहेंगे,
आप कल रात का खाना खाने घर आ जाना. कल मैं खुद
अपनी मर्जी से आप को साथ दूँगी.
मेरी बातें सुनकर
उनकी खुशी का ठिकाना नहीं रहा, वह दौड़ कर मेरे
पास आए और मुझे किस कर लिया. जेठ जी बोले- नीतू तुम्हारी बातें सुनकर मैं खुशी से
पागल ना हो जाऊं. आज रात मेरी ड्यूटी है, नहीं तो तुम्हारी और एक बार चुदाई करता, पर कोई बात नहीं कल रात मैं छुट्टी ले लूंगा. कल पूरी रात
तुम्हारी जम कर चुदाई करूँगा.
यह कहकर जेठ जी
मुझे किस करके और मेरे मम्मे सहला कर चले गए. मैं भी चुदाई के नशे में सो गई.
दूसरे दिन मैं
देर से उठी. पूरे दिन मैं खुश थी, आज रात मेरा जेठ
मेरी मर्जी से मुझे उनके बड़े लंड से जम कर चोदेगा, इसी ख्याल से ही पूरे दिन मेरी चुत गीली होती रही.
घर के कामों में
दिन गुजर गया और रात हो गयी, मैं बेड पर बैठे
जेठ जी का इंतजार कर रही थी. उतने में जेठ जी आये और मेरे पास बैठ गए- नीतू,
कल रात के लिए मुझे माफ़ कर दो.
मैं- जेठ जी,
मैंने आपको तो कब का माफ कर दिया है, अब मुझे आपके मूसल लंड से मेरी चुत की कुटाई
करवानी है, जल्दी से आ जाओ, अब मुझे मत तरसाओ.
जेठ- नीतू अभी
नहीं, आज मैं तुम्हें अच्छे से
और बड़े ही प्यार से चोदना चाहता हूं.. जिसमें हम दोनों को मजा आए.
उन्होंने पहले
मेरे बालों पर हाथ फेरे, फिर मेरे सिर को
अपने हाथों में पकड़ते हुए मेरे होंठों पर किस करने लगे. धीरे धीरे होंठों को चूमते
हुए उन्होंने अपनी जीभ मेरे मुँह के अन्दर डाल दी. मैंने भी अपनी जीभ को हरकत में
लाते हुए उनकी जीभ से खेलने लगी. हम दोनों पूरे जोश में एक दूसरे के जीभ और होंठों
को चूस रहे थे. उन्होंने मेरे पल्लू को मेरे सीने पर से हटाया और मेरे ब्लाउज के
हुक्स खोलने लगे. मेरा ब्लाउज हाथों से पूरा उतारकर उन्होंने मेरी ब्रा भी उतार
दी.
जेठ जी बड़े ही
उतावले हो गए थे, मुझसे फोरप्ले
करने की बजाए, वह मुझे जल्द से
जल्द नंगी करने पर तुले थे. मैं भी उनका पूरा साथ दे रही थी. जेठ जी को शायद मेरे
गोल गोल गोरे स्तन बहुत पसंद आ गए थे, वह बारी बारी मेरे स्तनों को चूस रहे थे और सहला रहे थे. उनके मर्दाना हाथों
से हो रही मेरे स्तनों की मालिश की वजह से मेरी चुत पूरी गीली हो गई थी.
मैं सिसकारियां
लेते हुए बोली- आहहह … जेठजी बहुत अच्छे
और जोर से मसलो, बहुत अच्छा लग
रहा है!
अब वो और भी जोश
में मेरे स्तनों को मसलने और चूसने लगे. इससे मेरी चुत में खलबली मची हुई थी,
मैं अपनी जांघों को एक दूसरे पर रगड़ रही थी.
धीरे धीरे जेठजी
नीचे की ओर बढ़े, मेरी नाभि पर किस
करते हुए अपनी जीभ को नाभि पर गोल गोल घुमाने लगे. जेठ जी ने अपना एक हाथ नीचे ले
जाते हुए मेरी साड़ी खोल दी, फिर पेटीकोट की
गांठ खोलते हुए साड़ी और पेटीकोट एक साथ ही नीचे सरका दिया.
जेठ- नीतू,
तुम भी बहुत गर्म हो गयी हो, अपनी पैंटी का हाल तो देखो.
मैंने अपना हाथ
मेरी पैंटी के ऊपर रखा, तो वह पूरी गीली
हो गई थी, जैसे कि मैंने पेशाब कर
दी हो. मैंने जेठ जी की तरफ देखा, तो वह मेरी उस
अवस्था पर मुस्कुरा रहे थे, मुझे बहुत शर्म
महसूस हो रही थी.
जेठ- गीली पैंटी
की वजह से तुम्हारी चुत को सर्दी हो जाएगी.
मैं- जेठ जी,
उसे पहले ही सर्दी हो गयी है, उसी वजह से वह बह रही है, इससे पहले की सर्दी और बढ़े, आप मेरी पैंटी उतार दो.
मैंने उन्हें
अपनी पैंटी उतारने के लिए आमंत्रित किया. उनको भी यही चाहिए था, उन्होंने एक ही झटके में मेरी पैंटी उतार दी.
हल्के भूरे बालों में छिपी मेरी गुलाबी चुत उनके सामने आ गयी. मेरी मुनिया को देख
कर वो पागल हो गए. वैसे तो उन्होंने कल रात को उसकी चुदाई की थी, पर वो आज उसे अच्छे से देख पा रहे थे.
जेठ जी ने मेरी
चुत को सहलाना शुरू कर दिया. मुझे भी उनका मेरी चुत पर हक जताना बहुत अच्छा लगा.
इतने दिन मैं उनका तिरस्कार कर रही थी, इतने दिन मैं उनके बड़े मूसल का फायदा नहीं उठा सकी, इसलिए मैं खुद को कोस रही थी.
जेठ- नीतू मुझे
तुम्हारी मुनिया को चाटना है, उसके बाद ही मैं
तुम्हें चोदूंगा.
मैं- जेठ जी,
आज से मैं आपकी भोग्या पत्नी हूँ, आपको जो करना है, वो करो और वैसे मुझे भी आपका लॉलीपॉप अच्छे से देखना है और
चूसना है.
जेठ जी ने अपनी
अपनी लुंगी उतारी, कल की तरह आज भी
उन्होंने अन्दर कुछ नहीं पहना था. किसी गुस्सैल नाग की तरह उनका लंड फन निकाले डोल
रहा था. जेठ जी नीचे लेट गए और उन्होंने मुझे उनके मुँह पर बैठने को बोला. मैं
उनके पैरों की तरफ मुँह करके उनके मुँह पर बैठ गयी और उनके सीने पर लेट गई.
उन्होंने मेरी चुत के होंठों को अपनी उंगलियों से अलग किया और मेरी चुत में जीभ
घुसा दी. जेठ जी मेरी चुत के हर कोने को चूस रहे थे. मेरी चुत अब और भी ज्यादा
पानी छोड़ने लगी थी.
जेठ- नीतू,
तुम्हारी चुत सच में बहुत स्वादिष्ट है,
बहुत मीठा पानी है तेरी चुत का.
उन्होंने एक
उंगली मेरी चुत में डाल दी. उंगली से मेरी चूत को कुरेदते हुए जेठ जी बोले- नीतू
रानी, तेरी चूत बहुत टाइट भी
है. क्या तुम्हारा पति तुम्हें चोदता नहीं है?
मैं- जेठ जी,
जाने दो ना उसे, वो नहीं चोदता तो क्या हुआ. आप तो हो ना, आज से मेरा दूसरा पति मुझे रोज चोदेगा.
उधर जेठ जी का
नाग मेरे सामने फन निकाल कर डोल रहा था, मैंने झट से उसे पकड़ा और उसे मुँह में डाल लिया. मैं जेठ जी के लंड को लॉलीपॉप
की तरह चूसने लगी. उनके प्रीकम का स्वाद बहुत मीठा था. मेरे पति चुसाई के मामले
में बहुत शर्मीले हैं. ना वो मेरी चुत चूसते हैं और ना ही मुझे अपना लंड चूसने
देते हैं. पर इस मामले में मेरे जेठ जी बहुत ही उत्सुक दिखे.
मैं भी बड़े जोश
में जेठ जी के लंड को चूसने लगी. बहुत देर तक हमारा यह चुसाई का खेल चल रहा था.
उनकी चुत चुसाई से मेरी कामवासना भड़क रही थी और वह सिर्फ चुसाई से शांत नहीं होने
वाली थी. मुझे अब उनका मूसल मेरी मुनिया में चाहिए था.
मैंने जेठ जी के
लंड को अपने मुँह से बाहर निकाला और उनसे बोली- बस बहुत हो गयी चुसाई … जेठ जी, अब सहन नहीं होता … अब डाल भी दो आप अपना लंड मेरी चुत में.
उनको भी वही
चाहिए था, उन्होंने मुझे पलट कर
नीचे लिटाया और मेरी जांघों के बीच में आ गए. उन्होंने मेरी टांगें ऊपर उठाईं और
मेरी चुत पर अपना लंड घिसने लगे.
मैं चुदासी सी
बोल उठी- जेठ जी … यार अब मत तड़पाओ,
मेरी चुत कब से आप के लंड के लिए तरस रही है.
मैं बोल ही रही
थी कि जेठ जी ने एक ही झटके में अपना पूरा लंड मेरी चुत में पेल दिया. मेरी चुत
पूरी चिपचिपी होने के कारण उनके लंड को कोई विरोध नहीं हुआ. मेरे मुँह से एकदम से
आह निकल गई- आह मर गई!
जेठ जी ने हंसते
हुए धीरे धीरे धक्के देने शुरू कर दिए. वे मेरी चुत में गोल गोल लंड घुमाते हुए
मेरी चुत में धक्के देने लगे. उनके हर वार से मैं पूरी तरह से हिल जाती. उनके हर
धक्के के साथ कामुक लहरें चुत से होकर पूरे बदन में फैल जाती थीं. ऐसी चुदाई हो
रही थी, जिससे लग रहा था कि ये
ऐसे ही चलती रहे, कभी खत्म ही ना
हो.
मैं भी नीचे से
कमर हिलाते हुए उनके हर धक्के का उत्तर देने लगी. जेठ जी लगातार मुझे चोदे जा रहे
थे. इसी दौरान मैं एक बार झड़ भी चुकी थी, पर मुझे पूरी संतुष्टि नहीं मिली थी. फिर आखिरकर वह पल आ ही गया, मैं और जेठ जी एक साथ ही झड़ गए. हम दोनों ने एक
दूसरे की बांहों में कुछ देर आराम किया. उस रात हम दोनों ने न जाने कितने प्रकार
से कामसुख लिया.
एक बार मैंने जेठ
जी के ऊपर बैठ कर उन्हें जम कर चोदा, तो जेठ जी ने भी खड़े खड़े मुझे दीवार से सटाकर चोद डाला. उस वक्त मैंने अपनी
टांगों से जेठ जी की कमर पकड़ी हुई थी. भले ही पहले जेठ जी ने मेरे साथ थोड़ी
जबरदस्ती की हो, पर उनकी चुदाई
मुझे इतनी पसंद आ गयी कि पति के आने तक मैं उनके नीचे ही लेटी रही.
हालांकि मैं अपने
पति को भी पूरा खुश रखती हूँ, पर जब भी मुझे
मौका मिलता, मैं जेठ जी को
बुला कर उनसे चुत की शांति करवा लेती. आखिरकार मेरे पति ने ही तो मुझे कहा था कि
जेठ जी का ख्याल रखना है.
मेरी मदमस्त चुदाई की कहानी आपको कैसी लगी, प्लीज़ मुझे मेल करके जरूर बता दें. मेरा मेल आईडी है
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