दोस्तो, मेरा नाम रविराम है, यह बात सन 2008 की है, मैंने एक कमरा लिया था किराए पर क्योंकि मैं नया था। वहाँ
मैं एक बहुराष्ट्रीय कंपनी में इंजिनीयर था। मैंने कमरा दूसरी मंज़िल पर लिया ताकि
मुझे कोई डिस्टर्ब ना कर सके। रोज़ सवेरे मैं ऑफ़िस निकल जाता था और शाम को देर से
आता था।
मेरे मकान मलिक
की बीवी करीब 40 साल की थी और एक लड़की थी जो करीब बीस साल की थी, नाम था भावना।
दिखने में दोनों
माँ और बेटी ग़ज़ब की थी। मकान मालकिन की फ़ीगर 38D-28-40 के लगभग होगा। उसका भरा हुआ बदन देख कर मेरे लण्ड में
आग सी लग जाती थी। बिल्कुल चिकनी औरत थी वो ! मकान मालिक सरकारी नौकरी में था और
शाम को देर से आता था। देखने में वह अधेड़ उम्र का लगता था जैसे बिल्कुल झड़ गया
हो।
क्योंकि मेरी
नौकरी ऐसी थी कि मुझे सवेरे जाना पड़ता था और शाम को आता था इसलिए मैं उन लोगों से
ज़्यादा बात नहीं करता था, कभी कभार ही हेलो
होती थी। गुजराती थे इसलिए घर में शराब और सामिष खाना और लाना मना था। इसलिए मैं
भी इन बातों पर बहुत ध्यान रखता था, कभी अगर बीयर पीने का मन होता था तो बाहर से ही पीकर आता था।
धीरे धीरे मकान
मालकिन से कभी कभार मुलाकात हो जाती थी। उसकी बेटी क्योंकि कॉलेज में पढ़ती थी
इसलिए शाम को घर पर वो अकेली हो होती थी। एक शाम को मैं थोड़ा जल्दी आ गया घर पर
और नीचे ही मकान मालकिन ने मुझे चाय पर निमंत्रण दिया। मैंने पहले तो ना कर दी
लेकिन फिर उसके आग्रह करने पर मैं चाय के लिए हाँ कर दी। मैं अपने कमरे में गया और
अपने कपड़े बदल कर आ गया। मैंने एक टी-शर्ट और बरमुडा पहन रखा था। मकान मालिकन ने
मेरे घण्टी बजाने पर दरवाज़ा खोला तो मैं उसको देख कर दंग रह गया। उसने एक बहुत ही
पतला सा गाऊन पहन रखा था जिसमें से उसकी पेंटी साफ साफ दिखाई दे रही थी।
मैंने उसे कहा-
भाभी जी ! आज तो बहुत गर्मी है ! और पंखा चला दिया। मकान मालकिन ने कहा- हाँ,
आज गर्मी तो बहुत है इसलिए मैंने भी यह नया
गाऊन पहन ही लिया !
और कहानिया बीवी की सहेली बानी मेरी सेक्स पार्टनर
मैंने कहा- रवि ,
यह गाऊन तो बहुत ही अच्छा है !
यह बात सुन कर वो
खुश हो गई और बोली- रवि , अब मैं चाय बनाती
हूँ आपके लिए !
और इतना बोलकर वो
रसोई में चली गई। मैंने उसे रसोई में जाते देखा तो दंग रह गया। क्या मस्त औरत थी ,
उसने गाउन के नीचे कोई ब्रा भी नहीं पहन रखी
थी। मैंने सोचा शायद गर्मी ज़यादा है इसलिए पतला सा गाऊन पहना होगा।
पर अपने लण्ड का
क्या करता? वो तो लोहे से भी ज़्यादा
सख़्त हो गया था। मैंने सोचा कि आज कुछ बात आगे बढ़ा ली जाए। खैर भाभी जी चाय लेकर
आ गई और हम दोनों ने बातें शुरू कर दी। भाभी जी ने पूछा- रवि , आपने अभी तक शादी क्यों नहीं की ?
मैंने कहा- भाभी
जी, पहले मैं ज़िंदगी में कुछ
बन जाऊं फिर शादी करूँगा। फिलहाल तो मैं अपने करियर पर ध्यान दे रहा हूँ।
भाभी जी बोली- यह
पैसे कमाने के चक्कर में कहीं तुम्हारी उमर ना ढल जाय! फिर कोई लड़की भी नहीं
मिलेगी।
मैंने बोला- भाभी
जी, यह तो मेरी किस्मत है,
अगर कोई लड़की नहीं मिलती तो कोई बात नहीं !
भाभी जी बोली- नहीं रवि, अभी तुम्हारी उमर
ज़्यादा नहीं है और फिर शरीर की ज़रूरत का भी तो तुम्हें ही ख्याल रखना है ! यह
सुनकर मैं बहुत खुश हुआ और बोला- भाभी जी, शरीर की ज़रूरत का तो मैं खुद ही कोशिश करता हूँ पूरी करने के लिए !
भाभी जी बोली-
देखो, यह जो तुम बात कर रहे हो,
उससे तुम्हारा शरीर कमज़ोर हो जाएगा और फिर
शादी के बाद कुछ नहीं कर सकोगे। भाभी जी की बात सुनकर मैं चौंक गया और मैंने सोचा
कि लोहा गरम है, लगता है कि आज
काम बन ही जाएगा। मैंने बोला- भाभी जी, फिर आप ही बताइए कि मैं क्या करूँ ? फिलहाल तो मैं अपने हाथ से ही काम चला लेता हूँ।
भाभी जी बोली-
क्यों तुम्हारी कोई गर्लफ्रेंड नहीं है क्या रवि ? उससे कुछ करते हो?
और कहानिया बहन की चुदाई औरत बना कर
मैंने बोला- भाभी
जी, इतना समय नहीं है कि कोई
गर्लफ्रेंड बनाई जाय और फिर मैं फिलहाल अपने करियर की तरफ़ ध्यान दे रहा हूँ।
भाभी जी बोली-
चलो कोई बात नहीं रवि ,, तुम कभी कभार
अपने दिल की बात तो मुझसे कर लिया करो। इससे तुम्हारा मन भी हल्का हो जाएगा और
तुम्हारा ध्यान भी बंट जाएगा।
फिर मैंने पूछा-
भाभी जी और सुनाएं ! भैया तो बहुत ही काम करते हैं ! दिन रात सिर्फ़ पैसे कमाने की
कोशिश करते रहते हैं, वो तो आपका बहुत
ही ख्याल रखते हैं।
यह सुनकर भाभी जी
बोली- अब क्या बताऊं रवि , तुमको ! जब से
भावना हुई है, वो तो कुछ करते
ही नहीं है। बस मैं भी तुम्हारी तरह ही हूँ, सब कुछ होते हुए भी कुछ नहीं है मेरे पास, बस अधूरी सी बनकर रह गई हूँ। इन पैसो का क्या
करूँगी जब मेरा कोई ख्याल ही नहीं रखता।
मैंने हिम्मत कर
के बोला- भाभी जी, हम लोग ऐसा क्यों
नहीं करते कि एक दूसरे का ध्यान रखें, मेरा मतलब हम लोग दोस्त भी तो बन सकते हैं ना?
भाभी जी बोली-
अच्छा, अब दोस्त भी बोलते हो और
भाभी भी कहते हो? सबसे पहले तुम
मुझे ममता कह कर बुलाओ ! इतनी औपचारिकता में पड़ने की ज़रूरत नहीं है।मैंने कहा-
अच्छा ममता , चलो अब से हम
दोस्त हो गये हैं। यह कह कर मैंने ममता का हाथ पकड़ लिया और उसे प्यार से दबा
दिया। ममता मेरी इस हरकत से गरम सी हो रही थी।
मैंने कहा- ममता , तुम बहुत सुंदर हो और मैं तो तुम्हारी वजह से ही इस घर में रहता हूँ, नहीं तो मैं अपने ऑफ़िस के पास भी रह सकता था। इतने दिनों से बस अपने दिल की बात दिल में रख कर घूम रहा था। बहुत दिल करता था कि आपसे आ कर दोस्ती की बात करूँ लेकिन कभी हिम्मत ही नहीं होती थी। मेरी नज़र में ममता तुम बहुत ही खूबसूरत और सेक्सी औरत हो और मैं हमेशा तुम्हारे पति को बहुत ही खुशनसीब समझता हूँ जिसे तुम्हारे जैसे औरत मिली है।
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