दोपहर के 2:00 बजे थे तभी घर की डोर बेल बजी, मैंने अपनी पत्नी से कहा कि अक्षिता जाकर देखना
दरवाजे पर कौन है तो वह कहने लगी कि ठीक है रोहन मैं देखती हूं। उसने घर का दरवाजा
खोला जब उसने दरवाजा खोला तो मैंने देखा कि मेरा दोस्त रवि है रवि काफी दिनों बाद
मुझसे मिलने के लिए घर पर आया था। रवि और मैं एक साथ बैठे हुए थे रवि मुझे कहने
लगा कि रोहन तुम तो घर की तरफ आते ही नहीं हो। मैंने रवि से कहा नहीं रवि ऐसी बात
नहीं है मैं अपने काम में दरअसल बिजी था इस वजह से तुम्हारे घर की तरफ नहीं आ पाया
मैं एक दिन सोच रहा था कि तुमसे मिलने के लिए आऊं लेकिन उस दिन भी मैं कुछ ज्यादा
ही व्यस्त था इस वजह से तुम से मिल नहीं पाएगा।
रवि मुझे कहने
लगा कि मैंने सोचा कि आज तुमसे मिल ही लेता हूं मैंने रवि से कहा क्या तुम सिर्फ
मुझसे मिलने आए थे या अपने किसी और काम के सिलसिले में भी यहां आए थे तो रवि ने
मुझे बताया कि वह अपने किस परिचित के घर आया था वह हमारे घर के पास में ही रहते
हैं।
हम दोनों बात कर
रहे थे कि तभी मेरी पत्नी अक्षिता हम दोनों के लिए चाय ले आई। अक्षिता जब हम लोगों
को ले चाय लाई तो हम दोनों ने चाय पी और चाय पीते पीते हम लोगों ने बात की हम लोगो
को बात करते हुए काफी देर हो गई थी। मैंने रवि से पूछा कि तुम्हारा काम कैसा चल
रहा है रवि ने कहा मेरा काम अच्छा चल रहा है रवि और मैं एक दूसरे को पिछले 10 वर्षों से जानते हैं इन 10 वर्षों में रवि और मेरी दोस्ती काफी गहरी हो
गई है। मुझे आज भी वह दिन याद है जब मेरा एक्सीडेंट हुआ था और उसके बाद रवि मुझे
अस्पताल लेकर गया था उस वक्त मेरी शादी भी नहीं हुई थी और रवि ने उस वक्त मेरी
बहुत मदद की थी।
उस दिन रवि ने
हीं मुझे अस्पताल पहुंचाया था और उसने जब मुझे अस्पताल पहुंचाया तो मैं उस वक्त
काफी गंभीर रूप से घायल था। मैंन यह बात जब रवि को बताई तो रवि भी कहने लगा कि
रोहन अब इस बात को छोड़ो और तुम यह बताओ कि मैं कुछ दिनों के लिए शिमला जाने के
बारे में सोच रहा था क्या तुम और भाभी भी हमारे साथ चलोगे। मैंने रवि से कहा कि
रवि मैं देखता हूं मैं तुम्हें इस बारे में अभी तो नहीं बता सकता लेकिन तुम मुझे
दो दिन का समय दो, दो दिन बाद मैं
तुम्हें इस बारे में बताता हूं।
मैंने रवि को जब
यह बात कही तो वह कहने लगा ठीक है तुम दो दिनों बाद मुझे यह बात बताना और दो दिन
बाद मैंने रवि को कहा कि हम लोग भी शिमला चलने के लिए तैयार हैं। हम लोग शिमला
जाने के लिए तैयार थे मैंने यह बात जब अक्षिता को बताई तो अक्षिता बहुत ही खुश थी
और वह मुझे कहने लगी कि काफी दिनों बाद हम लोग कहीं घूमने के लिए जा रहे हैं। हम
लोगों को करीब 6 महीने हो गए थे 6 महीने पहले ही हम लोग जयपुर से होकर आए थे
लेकिन शिमला जाना हमारे लिए ज्यादा अच्छा था क्योंकि उस वक्त दिल्ली में काफी
ज्यादा गर्मी हो रही थी। हम लोग शिमला जाने के लिए अपना सामान पैक कर रहे थे,
अक्षिता और मैं सामान पैक कर रहे थे हमने
बच्चों का भी सामान पैक कर दिया था अगले दिन हम लोग सुबह बस से ही शिमला के लिए
निकल गए, रवि और उसका पूरा परिवार
भी साथ था। हम लोग जब शिमला पहुंचे तो वहां पर रवि ने पहले से ही होटल में रहने का
बंदोबस्त किया हुआ था तो शिमला पहुंचते ही हम लोग होटल में चले गए जहां पर रवि ने
हमारे रुकने की व्यवस्था की हुई थी।
हम लोग जब वहां
पर गए तो कुछ देर तक तो हम लोगों ने आराम किया और फिर शाम के वक्त हम लोग टहलने के
लिए निकल पड़े। हम लोग पैदल पैदल ही घूम रहे थे मैं और रवि बात करते-करते काफी आगे
आ गए थे जब हम लोगों ने पीछे मुड़कर देखा तो अक्षिता और बच्चे नहीं थे और ना ही
रवि की पत्नी हमारे पीछे थी मैंने अक्षिता को फोन किया तो अक्षिता कहने लगी कि हम
लोग अभी आ रहे हैं। वह लोग कुछ सामान लेने लगे थे, हम लोग वहीं रुक गए वहीं सामने पर एक सीट थी हम लोग वहां पर
जाकर बैठ गए वहां से काफी सुंदर नजारा दिख रहा था। हम लोग काफी देर तक वहां बैठे
रहे रवि और मैं आपस में बात कर रहे थे तभी मैंने देखा कि अक्षिता और रवि की पत्नी
नंदिता आ रहे है उनके साथ बच्चे भी थे। जब अक्षिता और नंदिता आए तो मैंने उनसे कहा
तुम लोग कहां रह गए थे तो वह कहने लगे कि हम लोग कुछ सामान खरीद रहे थे।
उन्होंने काफी
सारा सामान खरीद लिया था, हम लोग काफी देर
तक बाहर घूमते रहे और उसके बाद हम लोग वापस होटल लौटे। जब हम लोग वापस आए तो मौसम
काफी ज्यादा सुहावना हो गया था ऐसा लग रहा था जैसे बस बारिश शुरू होने ही वाली है
और थोड़ी ही देर बाद बारिश शुरू हो गयी बारिश काफी तेज हो रही थी जिससे कि मौसम
बहुत ज्यादा ठंडा हो गया था। अक्षिता और मैं साथ में बैठे हुए थे बच्चे हमसे बात
कर रहे थे और थोड़ी देर बाद बच्चे सो गए थे। मौसम काफी ज्यादा सुहाना हो चुका था
इसलिए कहीं ना कहीं में भी अक्षिता के साथ चूत चुदाई का खेल खेलना चाहता था। हम
दोनों बिस्तर के अंदर लेटे हुए थे हमने कंबल ओढ़ लिया था कंबल के अंदर अब
धीरे-धीरे गर्मी बढ़ती जा रही थी। मैंने अपने हाथों को अक्षिता के स्तनों पर लगा
दिया तो वह मुझे कहने लगी रोहन क्या आज आप मूड में हैं? मैंने उससे कहा अक्षिता तुम यही समझ लो मेरा आज बहुत ज्यादा
मन है मैंने अब उसके स्तनों को बाहर निकाल कर उनका रसपान करने लगा। उसके स्तनो को
रसपान करने में मुझे मजा आ रहा था और जिस प्रकार से मैं उसके स्तनों को चूस रहा था
उससे मैं बहुत ही ज्यादा खुश था जब मैं उसकी चूत के अंदर अपनी उंगलियों से सहलने
लगा तो वह अपने पैरों को खोलने लगी।
अब वह बिल्कुल भी
अपने आपको नहीं रोक पा रही थी मैं भी इतना ज्यादा गरम हो गया था कि मैंने अपने लंड
को बाहर निकाल लिया। जब मैंने अपने मोटे लंड को बाहर निकाला तो उसने मुझे कहा आपका
लंड आज बहुत ज्यादा मोटा दिखाई दे रहा है। मैंने उसे कहा तुम इसे जल्दी से अपने
मुंह के अंदर ले लो और उसने जब अपने मुंह के अंदर उसे लेना शुरू किया तो मुझे बहुत
अच्छा लग रहा था और उसे बहुत आनंद भी आने लगा था वह अपने गले के अंदर तक उसे लेकर
अच्छे से चूसने लगी और उसने मेरी गर्मी को पूरी तरीके से बढ़ा दिया था। उसकी गर्मी
बढ़ने लगी थी और मैं भी जल्द से जल्द उसकी चूत मारना चाहता था अक्षिता की चूतड़ों
को जब मैंने अपनी तरफ किया और उसकी चूत पर मैंने अपने लंड को सटाकर धीरे धीरे अंदर
की तरफ करना शुरू किया तो वह मुझे कहने लगी मुझे बहुत अच्छा लग रहा है।
अब मैंने उसकी
योनि के अंदर अपने लंड को डाल दिया था मेरा लंड उसकी योनि के अंदर जा चुका था अब
वह बड़ी तेज आवाज मे सिसकिया लेने लगी थी वह इतनी तेज आवाज मे सिसकिया ले रही थी
कि मुझसे रहा नहीं जा रहा था। मैंने उससे कहा मुझे बहुत ही ज्यादा अच्छा लग रहा है
और वह बहुत ज्यादा खुश हो चुकी थी। अब मैंने उसकी चूतड़ों पर बड़ी तेजी से प्रहार
करना शुरू किया जब मैं ऐसा कर रहा था तो मुझे बहुत ही अच्छा लग रहा था और उसे भी
बहुत मजा आ रहा था। मैंने उसकी चूतड़ों पर बड़ी तेजी से प्रहार किया जब मैंने उसे
कहा कि मुझे अब तुम्हें अपने नीचे लेट चोदना है तो वह कहने लगी आपको जैसा अच्छा
लगता है आप कर लो।
उसने जब यह कहा
तो मैंने अपने लंड को उसकी चूत से बाहर निकाला अब मैंने उसके पैरों को खोल लिया
था। जब मैंने उसके पैरों को खोलो तो मैंने अब धीरे-धीरे उसकी चूत में लंड को
प्रवेश करवाया और जैसे ही मेरा मोटा लंड उसकी चूत के अंदर घुसा तो वह बहुत जोर से
चिल्लाई और कहने लगी आपने मेरी चूत फाड़ दी है।
अब मैं उसकी चूत
के मजे अच्छे से लेना चाहता था मैंने उसकी चूत के अंदर बाहर अपने लंड को बड़ी तेजी
से करना शुरू कर दिया था जिससे कि उसकी उत्तेजना में बढ़ोत्तरी हो रही थी और उसकी
सिसकियां भी अधिक होने लगी थी। मुझे महसूस होने लगा था कि वह बहुत ही ज्यादा गर्म
होने लगी है मैंने उसके पैरों को अपने कंधों पर रख लिया लेकिन अभी भी हम दोनों
कंबल के अंदर थे जिससे हम दोनों काफी ज्यादा पसीना पसीना होने लगे थे और मुझे लगने
लगा था कि शायद में ज्यादा देर तक उसकी चूत की गर्मी नहीं झेल पाऊंगा और ऐसा ही
हुआ जब मेरा वीर्य बाहर की तरफ को गिरने वाला था तो अक्षिता ने मुझे कहा कि तुम
अपने वीर्य को मेरी चूत के अंदर गिरा दो।
मैंने अपने वीर्य की पिचकारी उसकी चूत के अंदर गिरा दी उसकी सारी इच्छा को बुझा दिया वह बहुत ही ज्यादा खुश हो गई थी। वह मुझे कहने लगी आज तो मुझे मजा ही आ गया और जिस प्रकार से तुमने मेरे साथ संभोग किया है उससे मैं बहुत ही ज्यादा खुश हूं। काफी देर तक ऐसा ही चलता रहा हम दोनों भी बहुत खुश हो चुके थे उसके बाद हम दोनों एक दूसरे की बाहों में लेट गए। उस ठंड में जिस प्रकार से हमने संभोग का मजा लिया वह मेरे लिए हमेशा ही यादगार पल बनकर रहा और जिस प्रकार से मैंने उसके साथ चूत चुदाई की वह मुझे हमेशा याद रहेगी। अब हम लोग वापस लौट चुके थे लेकिन शिमला से हम लोग कुछ अच्छी यादें लेकर वापस लौटे थे।
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