हैल्लो दोस्तों,
में पायल मिश्रा में कानपुर से हूँ और आज में
आप सभी के सामने अपनी एक सच्ची अनोखी चुदाई की कहानी लेकर आई हूँ और यह मेरा पहला
सच्चा सेक्स अनुभव है, जिसमें मैंने
पहली बार अपने पापा से अपनी चुदाई के मज़े लिए, वैसे में पिछले कुछ सालों से सेक्सी कहानियाँ पढ़ती आ रही
हूँ और इसलिए ही मैंने बहुत मेहनत और हिम्मत करके अपनी भी यह कहानी आप लोगों तक
पहुँचाने के बारे में बहुत बार विचार किया और आज उसको आप तक पहुंचा भी दिया है और
में उम्मीद करती हूँ कि यह आप लोगों को जरुर पसंद आएगी.
दोस्तों वैसे यह
घटना करीब तीन महीने पुरानी है और में अपने घर पर अकेली रहती हूँ, क्योंकि मेरी मम्मी मेरे बड़े भाई के साथ
अमेरिका में रहती है, इसलिए घर पर पापा
और में ही रहती हूँ. पापा पूरा दिन उनके ऑफिस में रहते है और हर रात को वो बहुत
देरी से आते है, इसलिए में
ज्यादातर समय अपने घर पर अकेली रहती हूँ. मेरे भाई की शादी करीब एक साल पहले हो
चुकी है वो वहां पर अपनी बीवी और मेरी माँ के साथ रहता है और मेरी भाभी एक हाउस
वाईफ है.
दोस्तों यह उस
रात की बात है जब कानपुर में 24 घंटे से लाइट
नहीं आ रही थी और शायद वो अमावस्या की रात थी, वो बिल्कुल काली और बादलो से घिरी हुए जिसके बीच बीच में
बादल भी गरज रहे थे. दोस्तों वैसे तो मेरे पापा हर दिन शाम के करीब 6 बजे तक घर पर आ जाते है, लेकिन ना जाने क्यों उस रात के दस बज रहे थे और
मेरे पापा का कहीं भी कोई पता नहीं था, उनका मोबाइल भी बंद था और मेरी बहुत कोशिश के बाद भी उनका कुछ पता नहीं चल पा
रहा था. मैंने उसने ऑफिस में भी फोन किया तो कोई वहां पर भी फोन उठा नहीं रहा था.
में बहुत परेशान
थी और बादलों की उन जोरदार घड़घड़ाहट की वजह से मेरा मन बार बार कांप उठता और बाहर
बड़ी ग़ज़ब की बरसात हो रही थी और बार बार बदल ज़ोर ज़ोर से आवाज करके मुझे डरा रहे
थे और अब दस बजने को थे कि तभी अचनाक दरवाजे पर दस्तक हुई. फिर मैंने खिड़की खोलकर
देखा तो दरवाजे पर एक रिक्शे वाला खड़ा हुआ था और में उसको देखकर डर गयी और अब में
मन में भगवान को याद करने लगी और सोचने लगी कि यह कौन है?
फिर टॉर्च की
रोशनी में देखा तो बाहर मेरे पापा भी थे और एक रिक्शे वाला उन्हे अपने रिक्शे से
उतारने की कोशिश कर रहा था. फिर मैंने आगे बढ़कर दरवाजा खोला और उस रिक्शे से अपने
पापा को उतारा, वो बिल्कुल भीगे
हुए थे और बहुत नशे में थे. में उनको इस हालत में देखकर बड़ी हैरान थी, क्योंकि मेरे पापा को इससे पहले मैंने कभी भी
इस हालत में नहीं देखा था. फिर में पापा को अपने साथ लेकर अंदर आ गयी और मैंने
उनको अपने कमरे में बैठा दिया. उसके बाद मैंने एक एक करके उनके गीले कपड़े उतारने
शुरू किए शर्ट और बनियान को उतारकर मैंने उनके बदन को टावल से रगड़ रगड़कर सूखा दिया
और अचानक उनकी पेंट के चेन भी खोल दी, लेकिन वो इतने ज्यादा नशे में थे कि उनको पता ही नहीं चल रहा था कि में क्या
कर रही हूँ.
उनकी चेन खोलने
के बाद मैंने पेंट को नीचे उतार दिया तो मैंने देखा कि उनका अंडरवियर भी बिल्कुल
भीगा हुआ था, इसलिए मैंने उसको
भी उतार दिया, लेकिन उसके बाद
अंदर से जो सब मैंने देखा उसको देखते ही मेरे बदन में 880 वॉल्ट के करंट का झटका लगा और मेरे पूरे बदन में अजीब सी
सुरसुरी होने लगी. फिर जैसे ही में उनका बदन उसके बाद अब पैरों को साफ कर रही थी
तो मेरा हाथ गलती से उनके लंड पर चला जाता और वो लंड महोदय अब खड़े होने की तरफ
बढ़ने लगे और देखते ही देखते वो अपने पूरे शबाब पर आ गए और तनकर मेरे सामने खड़े हो
गए. अब में कभी पापा को देखती जो अभी भी उसी मदहोशी में थे और कभी उनके लंड को
देखती जो पूरी तरह से तैयार था और खंबे की तरह तनकर खड़ा था.
दोस्तों मैंने
पहले भी पापा की अलमारी को खोलकर कई सेक्स की किताबे पड़ी थी और अब मेरा मन ललचाने
लगा और सभी रिश्तों को भुलाकर मेरा मन हो रहा था कि में उनके लंड को चूस लूँ,
लेकिन वो मेरे बाप थे और में उनकी लड़की तो ऐसा
कर पाना संभव नहीं था इसलिए में अपने मन की इच्छाओ को मारने की कोशिश करने लगी,
लेकिन अंत में सेक्स जीत गया और में उनके लंड
को अपने मुहं में लेकर उसको धीरे धीरे अंदर बाहर करने लगी. उसके कुछ देर बाद धीरे
धीरे मेरी स्पीड बढ़ गई में ज़ोर ज़ोर से उनके लंड को अपने मुहं में अंदर बाहर करने
लगी और देखते ही देखती करीब दस मिनट के बाद मुझे ऐसा लगा कि जैसे मेरे मुहं में
मेरे पापा का वीर्य था जो करीब 50 ग्राम तो होगा
ही उसकी वजह से मेरा पूरा मुहं भर गया और में वीर्य को निगलने लगी. मुझे ऐसा करने
में बहुत ही मज़ा आ रहा था, क्योंकि मैंने
ज़िंदगी में पहली बार किसी के वीर्य को देखा और उसको महसूस करके अपने मुहं में
लिया था. उसका भद्दा अजीब सा स्वाद था, ना वो बहुत मीठा ना बहुत तीखा बिल्कुल बेस्वाद सा, लेकिन उसको निगलना ही मुझे अच्छा लगा तो इसलिए मैंने उसको
निगल लिया.
अब में पूरी तरह
से सफाई करके पापा को कपड़े पहनाने लगी और इस पूरी प्रतिक्रिया में मेरा क्या हाल
था? में आप लोगों को आगे बताती
हूँ. दोस्तों मेरे शरीर का एक एक अंग हिला जा रहा था और मेरे निप्पल बिल्कुल तनकर
खड़े थे और मेरी चूत का हाल भी बड़ा बुरा था, वो तप तपकर बह रही थी, लेकिन में क्या कर सकती थी पहले अपने बाप को ठीक कर लूँ
उसके बाद में अपनी सुध लूँगी, क्योंकि अब तो
पापा का लंड भी झड़कर पूरा ढीला पड़ गया था इसलिए मेरी चुदाई का तो सवाल ही नहीं था
और मुझे अपनी चुदाई अधूरी रहने का डर भी मन ही मन सता रहा था.
अब पापा को पजामा
पहनाकर ऊपर शर्ट पहनाकर में किचन में चली गयी और जल्दी से कुछ खाकर पापा के पास आ
गई और फिर में उनकी देखभाल के लिए उनके पास ही बैठ गई. फिर करीब दो घंटे हो गये
होगे उसके बाद मेरी आँख लग गयी और में पापा पर ही बेहोश होकर पड़ गयी. फिर जब मुझे
होश आया तो पापा को भी होश आ चुका था और वो कुछ होश में आ रहे थे, लेकिन दोस्तों अब इस हादसे के बाद मेरी हालत
बहुत खराब थी, मैंने पापा को
जगाया और उनसे पूछा कि आपके क्या हाल है? वो धीरे से बोले कि ठीक है इतना सुनते ही में पलटी और अपने रूम की तरफ जाने
लगी. तो पापा ने मुझसे कहा कि आज तुम भी इधर ही सो जाओ.
अब में यह बात
सुनते ही पापा के पास लेट गयी और मैंने पापा का एक हाथ अपने सर के नीचे रख लिया.
फिर थोड़ी ही देर बाद मैंने देखा कि पापा का एक हाथ मेरे बूब्स को सहला रहा था और
वो धीरे धीरे मसल रहे थे. में चुपचाप पड़ी आनंदित हो रही थी और चाह रही थी कि क्यों
ना में पापा से आज चुद जाऊँ, क्योंकि पापा के
मम्मी को चोदने के बाद शायद ही किसी औरत से सम्बंध रहे हो और उनके मसलने में मुझे
भी अब बहुत आनंद आने लगा और में पापा की तरफ़ मुहं कर लेट गयी. फिर पापा ने मेरे
मुहं पर एक जोरदार किस किया और मेरी मेक्सी के ऊपर के बटन खोल दिए और सहलाने लगे.
में धीरे धीरे
मोन कर रही थी और मेरे मुहं से आवाज़े आने लगी उहह्ह्ह्ह पापा अहहह्ह्ह पापा धीरे
से करो ना और अब पापा ने धीरे धीरे मेरे पूरे बदन को किस करना शुरू किया. मेरी
हालत और भी ज्यादा खराब होने लगी और में अब मन ही मन सोचने लगी कि इतनी प्यास
लगाकर मेरे पापा बुझाएगें कैसे, क्योंकि में उनका
लंड तो पहले ही खाली कर चुकी हूँ, लेकिन मेरे पापा
बहुत चतुराई से मेरे बदन को चूम चाट रहे थे और वो धीरे धीरे मेरी चूत के पास
पहुँचते जा आ रहे थे.
अब उन्होंने मेरी
चूत के पास जाकर चूमना शुरू किया तो मेरे आनंद की कोई सीमा ही नहीं थी. में मन में
सोच रही थी कि पूरी ज़िंदगी ही इस तरह बीत जाए, पापा चूमते रहे और में उनसे अपना काम करवाती रहूं. फिर तभी
मेरा हाथ अचानक पापा के लंड पर गया तो मैंने देखा कि धीरे धीरे अब वो एक बार फिर
से तैयार हो रहा है और पापा ने मेरे ऊपर आते हुए मेरी पूरी मेक्सी को खोल दिया और
उन्होंने मुझे बिल्कुल नंगा करके मेरी चूत को फैलाने लगे. उनका लंड मेरी बिना चुदी
चूत में घुसने की कोशिश करने लगा और धीरे से एक एक इंच अंदर जाने लगा.
दोस्तों में कोई 16 साल की तो थी नहीं जो मुझे लंड को अपनी चूत के
अंदर लेने में बहुत तकलीफ़ होती और वैसे भी मैंने बरसो इस दिन का इंतज़ार किया था.
अब मेरे दोनों पैर खुले हुए थे और मेरे पापा मेरी चूत के होंठो को खोलकर लंड को
अंदर डालने की कोशिश में लगे थे और वो धीरे धीरे उसमे सफल भी हो रहे थे, क्योंकि पापा का लंड धीरे धीरे अंदर जा रहा था
और में आनंद की प्रक्रिया में हिस्सा ले रही थी, वैसे मुझे थोड़ा सा दर्द जरुर हुआ, लेकिन उसको बर्दाश्त तो मुझे ही करना था और में वही कर रही
थी और पापा मेरे बूब्स को मसल रहे थे और लंड को मेरी चूत के अंदर डालने की कोशिश
में लगे थे.
अब में मन ही मन
धन्यवाद पापा कह रही थी, लेकिन पापा ने जब
पूरा लंड अंदर डालकर धक्के मारने शुरू किए तो मुझे हल्का सा दर्द का अहसास होने
लगा और वो दर्द भी बढ़ने लगा उसकी वजह से में हल्के हल्के चीख रही थी
ओह्ह्ह्हह्ह्ह्ह उफ्फ्फफ्फ्फ़ पापा प्लीज़ धीरे धीरे करो ना, लेकिन पापा पर एक अलग ही जोश चड़ा था और वो धीरे धीरे अपने
धक्कों की स्पीड को बढ़ाए जा रहे थे, जिसकी वजह से मेरा बड़ा बुरा हाल था, लेकिन एक अलग सा मज़ा भी आ रहा था जिसको किसी भी शब्दो में नहीं लिखा जा सकता.
अब वो मेरी चूत के रास्ते मेरे शरीर के अंदर घुसने की कोशिश कर रहे थे और अब मुझे
ऐसा लग रहा था कि जैसे हम दो शरीर एक जान है.
फिर में इतने में
झड़ चुकी थी, लेकिन वो लगातार
धक्के देकर मुझे चोदे ही जा रहे थे. फिर आख़िर एक बार झड़ने के बाद मुझे एक बार फिर
से आनंद आने लगा और में चाह रही थी यह अनुभूति सुबह तक होती रहे और उसके बाद में
एक बार फिर से उतेज़ित हुई और कुछ देर बाद दोबारा से झड़ गई और इतने में पापा भी झड़
गये. मुझे ऐसा लगा कि जैसे किसी ने शीशा गरम करके मेरी चूत में डाल दिया हो और वो
सबसे अच्छा अहसास था जिसको में किसी भी शब्दों में नहीं लिख सकती. फिर एक दूसरे के
शरीर पर हम दोनों पड़े रहे और सो गये.
फिर दूसरे दिन
सुबह जब में सोकर उठी तो देखा करीब 8 बजे थे और काम वाली बाई भी अब आने वाली थी, इसलिए तुरंत उठकर मैंने चाय बनाई और पापा को जागने चली गयी,
पापा जो मेरे ही रूम में सो रहे थे वो बिल्कुल
नंगे पड़े हुए थे और उनका लंड खड़ा था और पेट में टेंट बना था. मुझे उसकी शरारत को
देखकर हँसी आ गयी कि रात भर इसी ने उपद्रव मचाया था और अब भी यह सिपाही की तरह
तनकर खड़ा है, वो सब देखकर मुझे
अपनी चूत में एक बार फिर से सुरसुरी सी होने लगी, लेकिन वो मेरी काम वाली बाई शांतबाई के आने का टाइम था,
इसलिए पापा को उठाकर और चाय पिलाकर में जैसे ही
मुड़ी तो पापा ने मेरा हाथ पकड़ लिया और वो अपने लंड की तरफ इशारा करके बोले इसे भी
तो देखो, यह क्या कह रहा है?
तो मैंने पापा को कहा कि काम वाली बाई आने ही
वाली है, आप अपने कपड़े पहन लो,
लेकिन पापा की ज़िद थी कि इसको एक बार तुम चुप
जरुर करा जाओ. तभी मैंने तेज़ी से उनका लंड अपने मुहं में लिया और फिर में जल्दी
जल्दी ऊपर नीचे करने लगी. अभी हम किसी मुकाम पर पहुंचे भी नहीं थे कि बाहर घंटी
बजी और तुरंत मैंने अपने कपड़े ठीक किए और बाहर की तरफ भागी और बाहर जाकर मैंने
देखा तो वो काम वाली बाई का लड़का खड़ा था, वो मुझसे कह रहा था कि आज मम्मी की तबीयत खराब है इसलिए वो
आज काम करने नहीं आ पाएगी.
दोस्तों उसके
मुहं से यह बात सुनकर में मन ही मन बहुत खुश हो गई और में भागकर दोबारा पापा के
पास चली गई, लेकिन तब तक वो
चिराग बुझ चुका था और पापा अपने कपड़े पहनकर बाथरूम में घुस चुके थे और बाथरूम के
अंदर से आवाज़ आ रही थी कि पायल मेरा टावल देना तो प्लीज़, मैंने टावल लेकर बाथरूम के बाहर खड़े होकर आवाज़ लगाकर उनसे
कहा कि आज काम वाली बाई नहीं आई है, इसलिए टावल बाहर पड़ा है और में किचन में खाना बनाने जा रही हूँ. तभी वो बोले
कि नहीं तुम टावल को अंदर ही दे जाओ, मैंने उनसे कहा कि दरवाजा खोलो और तभी उन्होंने दरवाजा खोल दिया. मैंने देखा
कि पापा अपने अंडरवियर में खड़े थे और मेरा अधूरा छोड़ा गया काम वो पूरा कर रहे थे,
यानी कि वो मुठ मार रहे थे. फिर मैंने उनसे कहा
पापा यह क्या कर रहे हो? तो वो बोले कि
कोई काम अधूरा नहीं छोड़ा जाता इसलिए में इसे पूरा कर रहा हूँ.
अब मैंने तुरंत
नीचे बैठकर लंड को उनके हाथ से छीनते हुए अपने मुहं में ले लिया और अंदर बाहर करने
लगी और जैसे ही में यह काम स्पीड से कर रही थी तो मुझे ऐसा लग रहा था कि जैसे उनका
लंड मोटा होता जा रहा है और अब वो मेरे मुहं में समा नहीं पा रहा, लेकिन फिर लंड मेरे मुहं में फिट हो गया और कुछ
देर बाद एक ज़ोर से पिचकारी छोड़ते हुए उन्होंने अपना गरम गरम वीर्य मेरे मुहं में
भर दिया और मैंने अपने मुहं में लेकर पापा की तरफ देखा तो वो मुस्कुराकर बोले
तुम्हारा तो नाश्ता पूरा हो गया.
फिर में उसे
गटककर हंसकर बोली हाँ पापा अभी यह नाश्ता है और फिर दोपहर को लंड से अपनी चूत की
चुदाई करवाकर दिन का खाना लूँगी और फिर देर रात को गांड मरवाकर रात का खाना. आज की
सभी डिश तो एक से बढ़कर एक रहेगी, लेकिन समय अलग
अलग रहेगा. दोस्तों पापा को ऑफिस जाना था, इसलिए में कुछ देर बाद पीछे हट गयी और पापा नहाकर तैयार होने लगे. फिर मैंने
कहा कि पापा लंच पर आएँगे या मैंने भूखी रहूंगी? तो पापा ने मेरी तरफ देखा और वो हंसकर बोले अरे में ऑफिस
कहाँ जा रहा हूँ, में तो बाहर
सिर्फ़ हवा खाने जा रहा हूँ, हाज़री लगाकर में
तुरंत लौट आऊंगा और फिर कुछ देर बाद पापा दफ़्तर चले गये. में सोचने लगी जो कुछ
हुआ क्या ठीक हुआ?
मेरा मन कहता नहीं और कभी कहता कि चलो सब ठीक है. फिर कुछ देर
बाद पापा आ गये और वो मुझे लेकर बेडरूम में चले गये और उन्होंने मेरा गाउन खोल
दिया और मेरे बूब्स को दबाने लगे. मुझे बड़ा आनंद आ रहा था और मेरी चूत में एक अजीब
सी खलबली मची हुए थी, वो मेरे पूरे बदन
को चूम रहे थे कि तभी अचानक से वो बोले क्यों पायल तुम्हारे बूब्स तो तुम्हारी माँ
से बहुत बड़े है, क्या तुम कोई
दवाई काम में लेती हो या फिर अपने हाथ से खींचती या किसी के हाथ से खिंचवाती हो?
तो मैंने कहा कि नहीं पापा यह सब कुछ
प्राक्रतिक है कोई दवाई नहीं, किसी तरह की कोई
खिंचाई नहीं. फिर पापा ने मुझे बेड पर लेटा दिया और वो मेरी चूत की फांके खोलकर
बहुत ध्यान से देखने लगे और हल्के हल्के चूत में अपनी ऊँगली को अंदर बड़ा रहे थे.
मेरी हालत इतनी
खराब थी कि मुझे कुछ देर बाद ही झड़ने का अहसास होने लगा और मेरी चूत से निकले रस
की वजह से मेरे बाप के हाथ गीले हो गये, वो अपने हाथ चाटने लगे तो मैंने उनसे कहा कि पापा अगर चाटना ही है तो मेरी
प्यारी चूत को चाटो. मेरे मुहं से यह बात सुनकर वो तुरंत नीचे झुककर मेरी चूत पर
अपनी जीभ को फेरने लगे और चाटने लगे. फिर में उनका लंड अपने हाथ में लेकर चूमने
लगी और हम दोनों 69 की पोजीशन में आ
गए और कुछ देर बाद उनका भी वीर्य निकल गया, वो मेरे मुहं में जा रहा था और कुछ देर बाद पापा मेरे ऊपर
सवारी कर रहे थे और उनका लंड देवता मेरी चूत रानी के अंदर प्रवेश कर गया और उसके
बाद से शुरू हुई धक्कों की दास्तान, क्योंकि दोनों का पानी अंदर मिल रहा था और इसलिए मेरी चूत से फट फट और फ़च फ़च
की आवाज़े आने लगी थी.
मुझे भी अजीब सी ख़ुशी मिल रही थी इसलिए में हल्की आवाज से चीख रही थी और मोन भी कर रही थी उहह्ह्ह अहह्ह्ह्हह ऑचचछ्ह्ह्हह्ह माँ मर गई, लेकिन मुझे मज़ा बहुत आ रहा था. दोस्तों पापा खुद भी जोरदार धक्के देकर मुझे लगातार चोदे जा रहे थे उनका लंड बिल्कुल पिस्टन की तरह मेरी चूत में चल रहा था और अंदर बाहर हो रहा था और फिर देखते ही देखते वो झड़ गये और उन्होंने अपना वीर्य अंदर ही डाल दिया, जिसकी वजह से मेरी चूत में ऐसा लगा जैसे किसी ने गरमा गरम लोहा डाल दिया हो मेरी चूत में अब आनंद की कोई सीमा नहीं थी इसलिए में बहुत मस्त थी और अपने पापा से अपनी चुदाई करवा रही थी. तो उसके बाद हम दोनों बहुत ज्यादा थककर एक दूसरे से चिपककर लेटे रहे, लेकिन मेरी चुदाई का यह दौर ऐसे ही चलता रहा और मैंने अपने पापा के लंड से अपने हर एक छेद को उनके वीर्य से पूरा भर दिया बहुत मज़े किए.
Koi bhabhi hai kya
जवाब देंहटाएंYes
जवाब देंहटाएंGroup chudai krogi
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