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मेरी और मम्मी की टट्टी

काका के घर पर सुबह हमे देरी से ही उठे। फिर उठकर हम सब ने चाय पी। हम सब रात को ऐसे ही नंगे आकर सो गए थे। काका की बीवी और बेटी भी नंगी ही थी। फिर पति ने काका से बोले के आपका घर गाँव में है तो यहाँ तो इतना कुछ नहीं हो पायेगा। आज आप अपनी बीवी और बेटी को हमारे घर ले आना। फिर वहाँ हम खुलकर मस्ती करेंगे। फिर काका बोला के आपने तो मेरे मन की बात कह दी। फिर हम वापिस घर जाने के लिए तैयार होने लगे। तो जाने से पहले पति ने काका की बीवी और बेटी को अपने पास बुलाया। फिर काका की बीवी से तो लंड चुसवाने लगे और उसकी बेटी के बूब दबाने लगे। फिर पति ने दोनों माँ बेटी को चारपाई पर घोड़ी बना लिया और उनकी गाँड सहलाने लगे। दोनों माँ बेटी की गाँड काफी फूली हुई थी। फिर पति ने काका की बेटी और बीवी की गाँड पर जोर जोर से थप्पड़ लगाए तो बेचारी दोनों माँ बेटी दर्द से सिस्कारियाँ लेने लगी। फिर पति ने दोनों की चूत और गाँड में अपना लंड डाला और थोड़ी थोड़ी देर किया।

फिर पति ने कपड़े पहन लिए। उधर काका मेरे साथ चिपका हुआ था और मेरी गाँड दबा रहा था। मैं भी बिल्कुल बेशर्म होकर काका का हाथ अपने बूब और गाँड पर रख रही थी। फिर काका बोला के मुझे तो कभी कभी यकीन ही नहीं होता हैं के मैं तुम्हे चोद चुका हूँ। फिर काका को अपनी बाहों में भरते हुए बोली के अब कैसे यकीन दिलाऊँ। फिर काका बोला के रोज अपनी चूट और गाँड चुदवाकर। फिर मैं और काका एक दूसरे को देखकर मुस्कुराने लगे। उधर पापा भी मम्मी के बूब चूस रहे थे। फिर हम सबने कपड़े पहन लिए तो हम सब अपने घर की तरफ चल पड़े। काका बाद में अपनी बीवी और बेटी के साथ आने वाला था तो हम चारों ही जा रहे थे।

 

तब दिन के 10 बज रहे थे जिस कारण सब लोग जाग रहे थे। कोई गली में खड़ा था तो कोई अपने घर की छत पर घूम रहा था। मैं और मम्मी आगे चल रही थी और पीछे पीछे पापा और पति आ रहे थे। फिर रास्ते में एक पीपल का पेड़ था। उसके नीचे 10-20 आदमी बैठे थे और वो ताश खेल रहे थे। फिर मैं मम्मी से बोली के मम्मी अगर इन सबके सामने यहीं पर हमें नंगी करके नचाये तो आपको कैसा लगेगा। तब मम्मी बोली के चुप कर रंडी और आगे चल। मम्मी के मुँह से ये सुनकर मैं हँसने लगी। फिर हम उनसे थोड़े दूर आ गए तो मैंने साड़ी के नीचे से मम्मी के बूब पर हाथ रखे तो मम्मी के निप्पल खड़े थे। फिर मुझे भी पता लग गया था के मम्मी मेरी बात से गर्म हो चुकी हैं।

 

फिर मैंने चलते चलते ही अपना हाथ मम्मी के पीछे ले जाकर नीचे बंधी साड़ी के अंदर डाल दिया और मम्मी की गाँड सहलाने लगी। फिर मम्मी कुछ नहीं बोली और चलती रही। पीछे पापा और पति आ रहे थे तो मेरा हाथ मम्मी की गाँड पर देखकर हँसने लगे। फिर हम गांव से बाहर आ गए तो पापा और पति भी हमारे साथ में चलने लगे। तब हमें दूर दूर तक कोई नहीं दिख रहा था तो मैंने और मम्मी ने अपनी साड़ी उतारकर पापा और पति को दे दी और हम नंगी ही चलने लगी। फिर मैंने मम्मी से भागने के लिए कहा तो मैं और मम्मी धीरे धीरे भागने लगी। हमारे पैरों में सैंडल पहने थे तो ठक ठक की आवाज आ रही थी। भागने के कारण मेरे और मम्मी के बूब और गाँड हिल रहे थे। फिर हम भागती हुई अपने बदन को भी देख रही थी। हम तब घर से थोड़ा ही नजदीक रहे थे तो पापा और पति भी नंगे हो गए थे और हमारे और अपने कपड़े हाथ मे लिए हमारे पास आ गए थे।

 

फिर हम घर के अंदर आ गए और अपने कपड़े वगैरह चारपाई पर डाल दिये। तब दाई खाना वगेरह बना रही थी और रामु भी वहीं बैठा था। फिर पति ने मुझे दो चौड़े बर्तन लाने के लिए कहा। मैंने पूछा किसलिए तो पति बोले के खेत मे चलकर बताऊंगा। फिर मैं वो बर्तन ले आई। फिर हम खेत मे आ गए। फिर पति ने मम्मी को नीचे बैठने के लिए कहा और उनके नीचे एक बर्तन रख दिया। बर्तन मम्मी की गाँड के नीचे था। फिर दूसरा बर्तन मम्मी की चूत के आगे कर दिया और फिर मम्मी से लैट्रिन करने को कहा। फिर मम्मी की गाँड से काफी सारा लैट्रिन उस बर्तन में आ गया और पेशाब भी बर्तन में आ गया। फिर पति ने मम्मी को खड़ा किया और मम्मी की गाँड और चूत चाटने लगे। फिर पति ने मम्मी को वहीं नीचे घास पर लेटा दिया। फिर पति ने मम्मी की लैट्रिन में थोड़ा पेशाब मिलाया और फिर वो हाथ से मिलाकर मम्मी के बदन पर लगाने लगे।

 

देखते ही देखते पति ने मम्मी के पूरे बदन पर लैट्रिन से लैप कर कर दिया। मैं और पापा पास खड़े खड़े ये सब देख रहे थे और साथ में एक दूसरे को सहला रहे थे। फिर पति मम्मी के बदन को ऊपर से लेकर नीचे तक चूमने लगे। जिस कारण मम्मी भी काफी गर्म हो गई थी। पति मम्मी की लैट्रिन को भी अपने मुँह से चाट रहे थे। मम्मी का बदन काफी गोरा था और ऊपर से पीली पीली लैट्रिन लगी थी। जिस कारण मम्मी काफी सेक्सी लग रही थी। उन्हें देखकर पापा भी मेरी लैट्रिन को अपने हाथों में लेकर मेरे बदन पर लगाने लगे और फिर चाटने लगे। हम पर पूरी वासना चढ़ी हुई थी। पर मजा भी बहुत आ रहा था। फिर पति और पापा ने हमसे लिप किस किया तो हमने अपने अपने लैट्रिन का स्वाद चखा।

 

फिर पति ने लैट्रिन बैठा और फिर मम्मी से बोले के वो लैट्रिन उनके लंड पर लगाकर लंड चूसे। फिर मम्मी ने वैसा ही किया काफी सारा लैट्रिन लेकर पति के लंड पर लगाया और फिर पति का लंड चूसने लगी। जिस कारण मम्मी का पूरा मुँह पति के लैट्रिन से भर चुका था। फिर मैंने भी वैसा ही किया। कुछ देर बाद पति और पापा झड़ने लगे तो उनके पानी के साथ साथ उनका कुछ लैट्रिन भी हमारे अंदर चला गया। फिर पापा और पति ने हमारी चूत चूसी और फिर हमारा पानी भी पिया। फिर हम सब अपने आपको साफ करने के लिए पानी वाले ट्यूबवेल के पास गए।

 

फिर पापा ने ट्यूबवेल चलाया। फिर मैं और मम्मी एक दूसरे को साफ करने लगी और साथ में मुँह में भी पानी भरकर साफ करने लगी। पति और पापा भी अपने आपको साफ करने लगे। साफ करने के बाद हमें ऐसा बिल्कुल नहीं लग रहा था के हमने एक दूसरे की लैट्रिन खाई हैं। फिर हम घर आने लगे तो मम्मी ने रास्ते में पति से पूछा के आप मर्दों को हमारी लैट्रिन खाना क्यों पसंद हैं। फिर पति बोले के जो औरत दिखने में सुंदर हो उसके शरीर से निकली सब चीज सुंदर ही होती हैं। ये सुनकर मम्मी हँसने लगी। फिर पापा बोले के बिल्कुल सही कहा। फिर पति बोले के अब से तो सुबह शाम मैं आपकी लैट्रिन ही खाया करूँगा। फिर मम्मी भी हँसकर बोली के मैं भी अपने जमाई राजा को अपनी खूब टट्टी खिलाऊंगी। फिर हम सब हंसते हुए घर पहुंच गए।

 

घर पहुंचकर हम सब फिर से नहाए। फिर नहाकर पापा और पति आँगन में ही बैठ गए। हमें जोरो की भूख लगी थी तो पहले हम पापा और पति को खाना खिलाने लगे। मैं और मम्मी पापा और पति के लिए थाली लेकर गई। फिर थाली देखकर पति बोले के इसमें आपकी टट्टी तो नहीं हैं। फिर मम्मी बोली के आज ऐसे ही खा लो कल से मैं थोड़ी टट्टी अंदर रखूँगी और आपको खिला दूँगी। लेकिन पति नहीं माने। फिर पति ने मम्मी से कहा के थोड़ी बहुत तो अभी भी पड़ी होगी जोर लगाकर निकाल लीजिए। फिर मम्मी पीछे मुड़ी और अपनी गाँड निकाल कर चारपाई के पास ही झुककर खड़ी हो गई और फिर जोर लगाने लगी। फिर पापा ने भी मुझे मम्मी की तरह ही खड़ा करवा लिया। पापा और पति ने हमारी गाँड के नीचे अपनी अपनी थाली रख दी थी और हम माँ बेटी अपनी टट्टी निकालने की कोशिश करने लगी। टट्टी तो नहीं निकली पर हमारा पेशाब निकलकर आँगन में गिरने लगा। जोर लगा लगाकर मेरी और मम्मी का मुँह लाल हो गया था पर हमारी टट्टी नहीं निकली।

 

ये सब देखकर दाई हमारे पास आ गई। फिर मम्मी ने दाई को सब बात बताई जो खेत में हुई। फिर दाई बोली के अब हमारी टट्टी भी नहीं छोड़ोगे क्या। फिर पति बोले के नहीं। फिर हम सब हँसने लगे। फिर दाई बोली के वो आज सुबह हगने नहीं गई थी। फिर पति बोले के तो आप आ जाओ। फिर मैं और मम्मी सीधी खड़ी हो गई और फिर अपनी गाँड चौड़ी करके हमारे जैसे खड़ी हो गई। फिर पति ने मुझसे बर्तन मंगवाया। वो बर्तन पति ने दाई की गाँड के नीचे रख दिया। फिर दाई जोर लगाने लगी और पति और पापा दाई की गाँड पर हाथ फेरने लगे। फिर दाई की गाँड से टट्टी निकलने लगी और साथ में दाई की चूत से पेशाब की धार भी निकलने लगी। दाई की यहाँ आकर खुराक अच्छी हो गई थी तो दाई की टट्टी भी काफी निकली थी। दाई की टट्टी से पूरा बर्तन भर गया था। फिर दाई ने टट्टी कर ली तो पति ने दाई की गाँड चाट कर साफ कर दी। फिर दाई हमारे साथ आकर सीधी खड़ी हो गई।

 

फिर हम तीनों उन्हें दाई की टट्टी खाते हुए देखने लगी। दाई की लैट्रिन सुखी थी तो पापा और पति ने टट्टी का एक एक टुकड़ा हाथ में लिया और फिर उसमें से थोड़ा थोड़ा खाया। दाई ये देखकर बोली के मर्द इस हद तक भी जा सकते हैं ये मैं पहली बार देख रही हूँ। फिर पति और पापा ने खाना खाया और फिर वो बाहर वाले कमरे में चले गए। फिर मैंने, मम्मी, दाई और रामु ने एक साथ खाना खाया। खाना खाकर फिर हम तीनों भी उनके पास चली गई। फिर पति और पापा ने पहले तो हम तीनों की गाँड चूसी और फिर दोपहर हो चुकी थी तो पति मम्मी की गाँड में और पापा मेरी गाँड में मुँह डालकर सो गए। दाई रामु के साथ सो गई। मैं और मम्मी पाद भी मरती तो वो दोनों हमारा पाद भी सूँघकर कहते के बहुत अच्छी खुशबू हैं। ये देखकर मैं और मम्मी जोर जोर से हँसने लग जाती।

 

फिर शाम को क्या हुआ और हम सबने साथ मिलकर नंगी मस्ती कैसे की वो अगले भाग में बताऊंगी.....

  

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