ससुराल आने के बाद मेरी सास मेरा और अपने पोते का काफी
ख्याल रखती। पति भी मुझसे रात को जमकर करते और मैं भी उनका पूरा साथ देती। वो मेरे
लिए कुछ और शार्ट ड्रेस लाये थे। पर तब मैं काफी मोटी थी तो वो नहीं पहन सकती थी।
पति मुझसे अलग अलग पोजीशन में करते तो हम दोनों को ही काफी मजा आता था। पति एक
महीने के लिए भी मुश्किल से आते थे। उनके साथ टाइम का भी कुछ पता नहीं चलता था।
फिर उनके जाने का टाइम आ गया तो मुझे काफी दुःख हो रहा था पर क्या करती उन्हें
जाना तो था ही। फिर उनके जाने के बाद मैं और सास हार्दिक के साथ खेलती रहती सारा
दिन। मैं उदास उदास रहने लगी थी तो सास भी ये जान गई थी। फिर 3-4 महीने तो ऐसे ही
निकल गए।
मायके मैं तो रोज ही सेक्स करने को मिल जाता था पर यहाँ तो
उंगली से काम चलाना पड़ता था। फिर मैं सास से बोली के मैं कुछ दिनों के लिए मायके
चली जाऊँ। तो सास बोली के हाँ चली जाओ। फिर सास ने पापा को किसी से कहलवा दिया के
मुझे आकर ले जाये। तो कुछ दिन बाद पापा लेने के लिए आ गए।
पापा आए तो वो यहीं रूक गए एक रात के लिए। सास बोली के कल
सुबह चले जाना। तो पापा बोले के ठीक है। फिर पापा ससुर से बातें करने लगे। मैं और
सास अंदर काम करने लगी। जेठ जी भी उनके साथ बैठे थे। फिर पापा और ससुर को खाना
खिलाकर जेठ जी तो खेत में चले गए। मैं और मम्मी अंदर आँगन में सो गई और पापा और
ससुर बाहर चौकी पर सोए थे। मुझे रात को नींद नहीं आ रही थी तो मैं अपनी चूत सहलाने
लगी। मेरा सेक्स करने का काफी मन हो रहा था।
सास तो खर्राटे लेकर सो रही थी। फिर मैंने पापा से करने का
सोचा। फिर मैं खड़ी हुई और बाहर वाले रूम से होकर चौकी पर चली गई। फिर मैंने देखा
के पापा ने लूँगी खोल रखी हैं और अपना लंड सहला रहे हैं। ये देखकर मैं काफी खुश
हुई। फिर मैं पापा के पास उनकी चारपाई पर बैठ गई और उनका लंड पकड़ लिया। फिर पापा
भी बैठ गए और हम बातें करने लगे। मैंने पापा को करने के लिए कहा।
तो पापा बोले के कोई जाग गया तो। फिर मैंने पापा से बोला के
सब गहरी नींद में सोये हैं। ससुर तो नींद की गोली लेते थे तो वो तो जागने से रहे
और सास भी खर्राटे भरकर सो रही थी। फिर मैंने पापा से अंदर कमरे में चलने के लिए
कहा तो वो वैसे ही नंगे मेरे पीछे पीछे आ गए। फिर मैंने उस कमरे का गेट जो आँगन की
तरफ था वो बन्द कर दिया और अपने कपड़े खोलकर नंगी हो गई। पापा भी गर्म थे तो वो
मेरे बूब दबाने लगे और मैं भी उनका पूरा साथ देने लगी। वहाँ बेड था तो पापा ने
मुझे बेड पर लेटा दिया और मेरी चूत चूसने लगे। फिर मैं भी काफी गर्म हो गई थी। फिर
पापा मेरे ऊपर आये और मेरी चूत में डालकर करने लगे। तो मैं भी उनका अंदर तक लेने
लगी। फिर पापा ने मुझे घोड़ी बनाया और पीछे से डालकर करने लगे। फिर कुछ देर बाद वो
मेरी गाँड में ही झड़ गए और वो मेरे ऊपर ही सो गए और फिर हम थोड़ा आराम करने लगे।
फिर मैं उठकर पापा का फिर से चूसने लगी तो पापा फिर गर्म हो गए तो हमने एक बार और
किया। अंदर कमरे में गर्मी लग रही थी तो हमने बाहर जाने का सोचा।
फिर मैं और पापा नंगे ही बाहर चले गए और जाकर चारपाई पर सो
गए। मैं पापा से लिपट कर सोई थी। फिर पापा धीरे धीरे मेरी बॉडी सहलाने लगे फिर ऐसे
करते करते वो मेरे ऊपर आ गए और मेरी पूरी बॉडी चूमने लगे। पास में ही ससुर सोये थे
तो पापा थोड़े डर रहे थे पर मैंने पापा से कहा के वो नहीं जागेंगे आप खुलकर करो। तो
फिर पापा मेरी चूत चूसने लगे। फिर मैंने पापा को सुला लिया और मैं उनके ऊपर आ गई
और उनका लंड चूसने लगी। कूलर चल रहा था ससुर तो कूलर आगे सोये थे रजाई ओढ़कर। तब
रात को ठंड हो जाती थी काफी और मैं और पापा नंगे ही थे।
तो मुझे ठंड लगने लग गई थी तो मैंने पापा से कहा के मुझे
ठंड लग रही हैं तो पापा बोले के जाओ कूलर बंद कर दो। फिर मैं नंगी ही खड़ी हुई और
कूलर बंद करके आ गई। फिर वापिस पापा के पास आई तो पापा ने मुझे घोड़ी बना लिया और
आराम से करने लगे। सब तरफ सन्नाटा था सिर्फ हमारी ही आवाज सुनाई दे रही थी। हम कर
ही रहे थे इतने में जेठ जी आ गए खेत से। वो ट्रेक्टर ले के गए थे तो फिर वो आये तो
मैं और पापा घबरा गए। फिर हम जल्दी से रजाई ओढ़कर सो गए। मैं पापा से बिल्कुल चिपक कर
सो गई थी। अंदर भी नहीं जा सकती थी क्योंकि हम
चौकी पर सामने ही सोये थे। अंदर जाती तो उन्हें पता चल जाता।
फिर वो आये और अंदर कमरे में चले गए और वहीं सो गए। वो अंदर
कमरे में गए तो मैं घबरा गई क्योंकि मैंने कपड़े खोलकर ऐसे ही डाल दिये थे अंदर।
फिर वो अंदर सो गए तो कुछ देर बाद मैं अंदर गई तो देखा के वो सो गए थे। फिर मैंने
अपने कपड़े लिए और वापिस बाहर चौकी पर आ गई। फिर मैं कपड़े पहनने लगी तो पापा मुझे
देखकर अपना लंड सहलाये जा रहे थे और वो फिर से गर्म हो गए थे। फिर उन्होंने एक बार
करने को कहा तो मैं अपनी सलवार खोलने लगी। फिर पापा बोले के यहाँ नही यहाँ तो अब
तुम्हारा जेठ आ गया हैं वो जाग जाएगा।
फिर पापा खड़े हुए और अपनी लूँगी ली और हम चौकी से नीचे आ
गए। फिर कुछ दूर आने के बाद पापा ने नीचे अपनी लूँगी बिछाई और मुझे घोड़ी बनने को
कहा तो मैं बन गई और पापा पीछे से करने लगे। फिर पापा अंदर ही झड़ गए तो मैं फिर
वैसे सलवार हाथ में लेकर अंदर चली गई और पापा भी जाकर सो गए। फिर मैंने अंदर जाकर
अपनी गाँड और चूत धोइ और फिर जाकर सो गई।
फिर सुबह ही जाग आई।
उठी तो देखा के सास ने चाय बना रखी हैं तो मैंने चाय पी फिर
हार्दिक को दूध पिलाया और फिर घर के काम मे लग गई। फिर खाना बनाया मैं तैयार हुई
और फिर मैंने अपना सामान वगेरह पैक किया तो जो पति मेरे लिए ड्रेस, कुछ ब्रा पैंटी, और कुछ मैगज़ीन वगेरह लाये थे तो वो सब मैंने साथ में पैक कर
लिए। फिर हम खाना खाकर चल पड़े। रास्ते मे हम कल रात वाली ही बातें कर रहे थे तो
थोड़े गर्म हो गए। फिर मैंने पापा का लंड पकड़ लिया और सहलाने लगी। फिर पापा बोले के
नंगी हो जाओ घर पर नंगी ही जीप से उतरना। मैं आगे की सीट पर बैठी थी तो मैं सलवार
खोलने लगी। पापा बोले के यहाँ नहीं पीछे जाकर हो जाओ। फिर मैंने सलवार खोलकर तो पीछे
की सीट पर डाल दी और हार्दिक को आगे की ही सीट पर सुला दिया।
फिर मैं चलती जीप में ही पीछे की सीट पर जाने लगी तो मेरी
गाँड पर से मेरा सूट हट गया तो पापा ने मेरी गाँड पर थपकी लगा दी और हँसने लगे।
फिर मैं भी हँसने लगी। फिर मैंने अपना सूट भी निकाल दिया और सूट और सलवार दोनों
समेटकर सूटकेस में डाल दिये। मैंने ब्रा ही पहनी थी तो वो भी मैंने खोल दी। फिर
मैं बिल्कुल नंगी होकर बैठी थी। पापा भी बार बार मुझे उनके आगे लगे शीशे में से
देख रहे थे। हम लगभग आधे रास्ते आ चुके थे।
फिर मैं बिल्कुल आराम से सीट पर पैर फैलाकर बैठ गई और चूत
सहलाने लगी। सड़क पर कम ही लोग आ जा रहे थे और वैसे भी चलती जीप में कौन देखता हैं
तो मैं बिल्कुल निश्चित होकर बैठी थी। फिर हम घर पहुँचने वाले हुए तो मैं आगे की
सीट पर आके बैठ गई। फिर हम घर पहुंच गए तो पापा ने मुझे गेट खोलने को बोला। मैं
नंगी बैठी थी फिर मैंने चारो तरफ देखा और फिर नीचे उतरकर छोटे गेट से अंदर चली गई
और फिर गेट खोल दिया। फिर पापा जीप लेकर अंदर आ गए तो मैंने जल्दी से गेट बंद कर
दिया।
जीप की आवाज सुनकर मम्मी दाई और रामू बाहर आ गए। फिर पापा
जीप से उतरे और हार्दिक को लेकर अंदर जाने लगे। मैं गेट बंद करके नंगी ही आ रही थी
तो मम्मी और दाई मुझे देखकर हँसने लगी और पूछा के कपड़े कहाँ गए। फिर इतने में मैं
उनके पास आ गई और फिर उन्हें सब बताया के कपड़े मैंने जीप में खोल दिये थे। फिर मैं
उनके गले लगी और फिर हम अंदर चले गए। फिर हमने खूब सारी बातें की। फिर मैंने
उन्हें कल रात पापा के साथ सेक्स किया उसके बारे में भी बताया। तो मम्मी बोली के
तुम्हारा जेठ को पता चल जाता तो क्या होता।
फिर मैं बोली के कुछ नहीं होता मैं उससे भी करवा लेती तो वो
किसीको नहीं बताता। तो ये सुनकर सब हँसने लगे। फिर मम्मी बोली के आगे से ध्यान
रखना। ये मजा तब तक ही जब तक किसी को ध्यान ना चले। मैंने कहा आगे से ध्यान
रखूँगी।
मम्मी तो इन 3-4 महीनों में काफी पतली हो गई थी। उनकी कमर
का साइज भी काफी कम हो चुका था। फिर मैंने उनसे पूछा के ये कम कैसे किया। तो मम्मी
बोली के घर के काम करने से और रामु की मालिश से। फिर मम्मी हँसने लगी। मैं मोटी थी
तो पति ने भी मुझे स्लिम होने का कहा था तो मैंने मम्मी से बोला तो मम्मी बोली के
मेरे साथ काम करवाया कर फिर अपने आप पतली हो जाओगी। फिर मैं बोली के ठीक है।
दोपहर का टाइम हो गया था तो मम्मी तो रामु के साथ चिपककर सो
गई और दाई भी बेड पर एक साइड में सोई थी। मैं चारपाई पर सोई थी और पापा बाहर के
कमरे में थे। मुझे नींद नही आ रही थी तो मैं पापा के पास बाहर के कमरे में चली गई।
पापा नंगे ही सोये थे तो मैं भी जाकर उनके ऊपर सो गई। फिर पापा ने हाथ मेरी गाँड
पर रख लिए और सहलाने लगे। फिर मैं भी पापा का लंड अपनी चूत से सहलाने लगी। फिर हम
गर्म हो गए तो पापा ने मुझे घोड़ी बनाया और करने लगे और फिर झड़ गए तो हम सो गए।
फिर शाम को मम्मी चाय बनाकर लाई और हमे उठाया। फिर हमने चाय पी और फिर अपने अपने काम लग गए। पापा खेत चले गए और हम तीनों घर के कामों में लग गई।
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