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जेठानी से छिप - छिप कर जेठ से चुदवाया

मेरे घर के पास ही मेरे गाँव के पास का  एक  परिवार 20 साल से रहता है इस परिवार के बड़े भाई मेरे से बड़े है और छोटा भाई मेरे से दस साल छोटा होगा  छोटे भाई की पहली औरत मर गई तो 3 साल बाद दुसरी शादी किया और कुछ महीने बाद छोटे भाई ने मेरे घर से थोड़ी ही दूर मकान लेकर पत्नी के साथ पहली वाली पत्नी की लड़की के रहने लगे छोटे भाई की पत्नी, कविता मेरे से बहुत पर्दा करती उसका चेहरा कभी नहीं देखा पर ओ सुबह सुबह घर के सामने झाड़ू लगाती तब उसके मस्त गदराये वदन को जरूर देखने का मौका मिलता कभी कभी

 

शादी के चार साल हो जाने के बाद भी कविता को कोई औलाद नहीं हुई कविता के पति की फैक्ट्री से अचानक नौकरी छूट जाने के बाद ओ दूसरे शहर नौकरी करने चला गया अब कविता और उसकी सौतन की लड़की ही घर में रहते कविता का पति एक एक साल तक नहीं आता,, जब आता भी है तो एकात सप्ताह रहकर वापस चला जाता है सुबह सुबह जब मैं कालोनी में घूमने निकलता तो कई बार देखा की कविता किचेन में से मुझे चुपचाप देखती जैसे ही घर के सामने से निकलता तो छिप जाती ये कई बार देखा मैंने कविता को अब सभी बाजार के  काम खुद ही करने पड़ते जैसे सब्जी लाना या और कुछ भी लाना हो तो कभी कभी मेरी पत्नी से कह कर मगवा  लेती  

 

कुछ माह पहले मेरे परिवार के साथ कार में एक परिचित की शादी में शामिल हुई तब भी दूर दूर ही रहकर घुघट में खाना खाने लगी तो मेरी पत्नी ने बोला ''आप दूर हो जाओ तो कविता आराम से खा लगीँ तब मैं दूर चला गया और दूर से भीड़ में कविता को देखने लगा कविता बहुत ही खूबसूरत है, गोरी रंग की उम्र मुश्किल से 30 - 32 साल  देखकर मन ललचाने लगा चोदने को पर मैं 50 साल का हालांकि शरीर आज भी अच्छा मेंटेन है 50  की  उम्र नहीं लगती पर 20  साल छोटी महिला को फ़साना मुश्किल है जब सभी कार से वापस कालोनी में आ गए तो मजाक किया ''सभी किराया देकर उतरेंगे''  तब कविता मेरी लड़की से बोलती है ''दादा को बोल की मैं तो किराया लाइ नाँहि'' तब मैंने बेटी को बोला ''चाची को बोल बाद में दे देगी किराया'' तो उसके हसने की हाली सी आवाज आई और कविता अपने घर के सामने उतर  गई 

 

रविवार की बात है कविता मेरे घर आई और पत्नी को बोली ''दीदी गेहूं में कीड़े लग गए है इस लिए सुखाना है छत में मेरे से सीढिया चढ़ते थक जाती हूँ, दादा  से गेहू की बोरी छत में रखवा देगी क्यां'' तो पत्नी बोली ''जाओ कविता का काम कर दो '' कविता अपने घर चली गई मैं मन ही मन बहुत खुस हुआ और कुछ देर बाद उसके घर पहली बार गया और गेहूं की बोरियाँ छत पर रख दिया कविता मेरे जाने पर जरा सा भी पर्दा नहीं किया बल्कि जिश्म से चिपका हुआ गाउन पहने रही मेरे सामने जिससे उसके एक एक अंग की बनावट साफ़ साफ़ दिखाई दे रही थी जब वापस आने लगा तो बोली ''बैठिये न कॉफी  बनाती हु, पीकर जाइये'' तब मैं आगे के कमरे में राखी प्लास्टिक की कुर्सी पर बैठ गया

कविता कॉफी लाइ और रख दिया तब मैंने बोला ''आप भी लाओ न अपने लिए''  तब कविता कॉफी लाइ और सामने की कुर्सी में बैठकर  पीने लगी जब मैं चलने लगा तो कविता से बोला  ''आपका मोबाईल नंबर दीजिये भुझे'' तब कविता अपना सैमसंग  J7 मोबाईल लेकर मेरे हाथ में पकड़ा जबकि हमारे इधर जेठ को नहीं छूते  तब मैंने उसके मोबाईल में मेरा नंबर डॉयल कर दिया तो उसका भी नंबर मेरे पास आ गया आते आते मैंने बोला ''उस दिन का किराया अभी तक नहीं मिला '' तो बोली ''जब इच्छा हो ले लीजियेगा, दे दूँगी '' और हलके से किनारे के होठो को दातों तले दबाकर मुस्कुराई मैं भी मुस्कुरा कर वापस आ गया कविता का इस तरह से मुस्कुराना और मादक अदा काफी कुछ इसारा  कर रही है कविता पर उसके जेठ और जेठानी 

 

करीब दस बजे के बाद जब दूकान आया और सटर  ही उठा रहा था की एक फोन आया तो बात किया तो पता चला की फोन कविता का है मैंने कविता से कुछ देर बाद बात करने को कहकर फोन काट दिया फिर पूजा पाठ करके फोन किया तो कविता  बोली ''आप नंबर तो ले गए पर आपने फोन किया ही नहीं, मैं आपके फोन  का इन्तजार करती ऱही'' इस तरह कविता बहुत देर तक मेरे से अपनी नाराजगी ब्यक्त करती रहे बड़े अधिकार के साथ  और करीब 15  मिनट तक बातें किया, बातो में सबसे अधिक जेठ जेठानी की बुराई और फिर आदमी को गाली  मैंने पूछा सिब्बू  को गाली क्यों दे रही हो तो बोली ''ओ मुझे बिलकुल भी नहीं चाहते, जब आते है तो भौजाई के पास ही चिपक कर बैठे रहते है,   हस हस कर बाते करते है पर मेरे से ठीक से बोलते तक नहीं''  कविता ने पहली बार में ही इतनी बात किया विश्वास नहीं हो रहा था

 

कुछ देर बाद वाट्सअप खोला तो देखा की कविता ने बहुत सारी फोटो वीडिओ भेजा है मैंने भी रिप्लाई किया अब यह रोज का काम हो गया मैं जैसे ही घर से आता तो कविता फोन करके बहुत देर तक बाते करती वाट्सअप में ढेर सारे मैसेज भेजती दरसल कविता अकेलेपन से बोर होती है और उसके जेठ-जेठानी का इतना सख्त पहरा रहता है की कोई पर पुरुष की छाया भी उसके ऊपर नहीं पड़ने पाती सायद इस कारण अपनी बोरियत दूर करने के लिए समय पास करने के लिए फोन करती कविता अपनी कई फोटो भेजा मुझे जो उसने शादी के पहले लिए थे टॉप जीबस की भी कई फोटो भेजा दिन में कई बार अलग अलग फेस स्टाइल में अपनी सेल्फी भेजती  इस तरह कविता खूब घुल मिल गई मेरे से 

 

एक दिन मैंने जानबूझकर वाट्सअप में एक सेक्सी वीडिओ क्लिप भेज दिया और उसके देखने के बाद में बोल दिया ''गलती से चली ग़ई'' तो रिप्लाई करती है ''आपकी ये गलती अच्छी लगी, ऐसे ही गलती करते रहें '' और आँख मारने वाला सिम्बॉल भेज दिया इसके बाद मैं हर रोज कोई न कोई सेक्सी क्लिप भेज देता एक दिन फोन करके बोली ''क्यों जलाते है ऐसी  वीडिओ भेजकर'' तो मैंने कोई रिप्लाई नहीं किया तो उस दिन, दिनभर  वाट्सअप में कुछ नहीं भेजा न ही फोन पर बात किया तो रात मैं 11 बजे वाट्सअप किया

 

सुबह 5 बजे अँधेरे में रोड में मॉर्निंक वाक्  के बहाने उस जगह मिलना '' जगह का पता लिख दिया पर कविता आई नहीं तो सुबह 10:45  बजे फोन किया तो बोली ''अरे ओ कुत्ती भी घूमती है सुबह सुबह, देख लिया दोनों को साथ तो आफत आ जाएगीं'' मैं समझ गया जेठानी को कुत्ती कह रही है तब मैंने बोला ''वीडिओ काल करूँ क्या'' तो बोली ''आधे घंटे से करिये, अभी नहाने जा रही हूँ'' तब मैंने करीब 11:10 पर वीडिओ काल किया  (कविता की सौतेली लड़की पास के दूसरे शहर में कालेज चली जाती है सुबह 7 बजे तो साम को 6 बजे तक आती है) तो कविता में रिसीव किया तो देखा की 

कविता के बालों से पानी टपक रहा है और चहरे पर भी पानी की बुँदे टपक रही है मतलब नहा कर जस्ट बाहर आई है  जैसे गुलाब  के पंखुड़ियों पर पानी की बुँदे तैरती है ऐसे ही कविता के चहरे पर पानी की बड़े तैर रही थी बात करते करते मोबाईल हिला तो गोरी गोरी बाहे दिखने लगी तब मैंने कविता को बोला ''थोड़ा नीचे करों न मोबाइल'' तो बोली ''धत्त गंदे'' और मोबाइल को ऐसा कर दिया की सिर्फ चेहरा ही दिखाई दे रहा था तब मैंने फिर से बोला ''प्लीज़ नीचे करों न, देखु तो सही कैसी लगती हो'' तो मना कर दिया तब मैंने फिर से बोला ''प्लीज़ तुम्हारे पाँव पडूँ, कैमरा नीचे करो न प्लीज़''  कई बार प्लीज़ किया तो मोबाईल को थोड़ा सा नीचे किया तो टॉवेल लपेटे हुए गदराया हुआ गोरा वदन दिखाई दिया चूचियों के मस्त उभार दिखाई दिया तो बोला ''थोड़ा और नीचे करो न'' तो बोली ''बस ज्यादा लालच बुरी बलाय'' और मुस्कुरा कर फोन काट दिया

 

तो मैंने तुरंत फोन किया तो रिसीव करके बोली ''रुकिए न कपडे तो पहन लूँ'' और वापस काट दिया फोन करीब 15  मिनट बाद वापस वीडिओ काल किया और बेड के सहारेमोबाईल रख दिया और मोबाईल की तरफ देखकर कंघी करने लगी  उस समय एक पतली सी गाउन पहन रखी थी, गाउन के नीचे न तो ब्रा थी, न ही पेटीकोट   मस्त मस्त चूचियाँ हलके हलके  झलक रही थी, गोरी गोरी जाँघे झिलमिल कपडे में थोड़ा थोड़ा दिखाई दे रही थी मैं आराम से देख रहा था कविता अपना जिस्म दिखाएं जा रही थी , मेरा लण्ड खड़ा हो गया लगता था पेंट  की जीप खुल जाएगी कविता प्यूरी तरह से चुदाने को तैयार है पर मौका कैसे मिले यही सोच रहा था 

इस तरह मई 2018 आ गया , एक दिन पत्नी बोली ''मुझे पापा को देखने जाना है चली जाऊं'' तो मैंने बोला ''चली जाओ पर खाने की दिक्क्त होगी तो होटल में खा लूंगा'' तो कुछ नहीं बोली अगले दिन उनका रिजर्वेसन करवा दिया अगले दिन जाने के पहले पत्नी बोली ''कविता को बोल  दिया है ओ खाना बना दिया करेगी एक चाबी उसे दे जाउंगी आप दोहपर में आकर खा लिया करना , साम का भी खाना बना दिया करेगी'' मैं मन ही मन खुस हो गया और अगले दिन शाम को  ट्रेन में  बैठा दिया और लौटकर कविता से बात किया तो बोली ''मेरी जेठानी कुत्ती बोल रही है चाबी मेरे घर दे जाना, खाना बनाकर वापस कर जाना तो , उसे सक हैं , बहुत कमीनी है छिनाल'' तब मैंने उससे बोला ''कोई बात नहीं तुम तो बनाकर चली जाना मैं आकर खा लिया करूंगा, पर तुम मिल नहीं पाओगी'' तो बोली ''यही तो मैं भी सोच रही हूँ'' तब मैंने कहा ''चिंता मत करो कोई रास्ता निकालता हूँ''  

 

अगले दिन कविता से बोला ''मैं सीढ़ी के ऊपर मेरी वाली चाबी रख जाया करूंगा तुम अपनी वाली चाबी जेठानी को दे देना और मेरे आने के समय मैं फोन कर दूंगा तब तुम चुपके से आ जाना, दोहर में इस समय की धुप और गर्मी में कालोनी के सभी जन घर के अंदर रहते है कोई देखेगा भी नहिँ'' तो कविता बोली ''ठीक है ऐसा कर लेंगे ''शाम को कविता ने फोन किया और बोली ''जब दूकान जाने लगना तो मिस कल करना में बाहर आ जाउंगी के घर से तो चाबी दे जाना, सीढ़ी से कहि कोई चाबी उठा न ले '' 

अगले दिन दूकान जाते समय कविता को मिसकॉल किया तो घर से बाहर आ गई तो चाबी फेक कर चला गया कविता चाबी उठाकर घर के अंदर चली गई  दोपहर में जब घर आने के पहले कविता से पूछा की  ''कहाँ  हो'' तो बोली ''अभी अपने घर पर हूँ'' तो मैं  बोला ''मैं आधे घंटे से आ रहा हँ'' तो बोली ''ठीक है आ जाइये '' 

जब दोपहर में चिचिलाती धुप में पहुंचा तो कालोनी में सन्नाटा था घर का दरवाजा खुला था मतलब कविता घर आ गई थी जैसे ही अंदर घुसा तो बीच के कमरे में कविता खड़ी मिली जाते ही कविता को पकड़ लिया और चूमने लगा, उसके स्तनों को सहलाने लगा तो बोली '' पहले खाना तो खा लो '' कविता मेरी बीबी की गाउन पहन रखा था 

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