मुझे 24 अक्टूबर को कुछ काम से पत्नी के साथ गाँव जाना हुआ
सुबह 8 बजे गाँव पहुंच गया,कपडे चेंज किया
और घर से बाहर आकर पुष्पा को देखने के लिए इधर-उधर नजरें दौड़ाने लगा पर पुष्पा
नहीं दिखी छत पर जाने से डर रहा था क्योकि पिछली बार पत्नी ने टोका था बार बार छत
में घूमने के कारण छत पर नहीं गया कुछ देर में भाभी ने आवाजा दिया तो
अंदर जाकर नास्ता किया और बाते करने लगा
और बात करते करते कब 10 बज गए पता ही नहीं चला 10 बजे बाहर आया और घर के
सामने कलमी आम/आँवला के बगीचे में घूमने लगा तो देखा की कोई लड़की आम की डाल सहारे
एक हाथ से पसीना पोछते हुए और एक हाँथ में हासिया लिए हुए खड़ी थी मैं पहले दूर से
नहीं पहचान पाया पर जब नजदीक गया तो पहचान गया
पुष्पा की लड़की खड़ी थी ये इतनी जल्दी बड़ी हो गई मैं तो उसे
देखता ही रह गया 15 साल की उमर में 18-19 की लग रही थी क्या बला की खूब सूरत है
एकदम से अंग्रेज की लड़की लग रही थी उसने स्कूल ड्रेस की सर्ट और सलवार पहन रखा था
स्कूल ड्रेस खूब टाइट लग रहा था , उसकी चूचियाँ
स्कूल ड्रेस में दब कर फैली हुई लग रही थी
स्कूल ड्रेस छोटा हो गया होगा इस लिए पहनने लगी होगी मैं
उसके पास गया तो ओ मुझे देखकर पहले तो सरमाई
पर बाद में हाँथ जोड़कर ''नमस्ते छोटे
ठाकुर साहब'' बोली तो मैंने
नमस्ते किया और बोला ''आप पुष्पा भाभी
की लड़की हो'' तो गर्दन हिलाया
तो नाम पूछा तो झिझकते हुए बोली ''पुष्पांजली''
तब मैंने पूछा ''कौन से क्लास में पढ़ती हो'' तो बोली 11 वी में'' तो फिर पूछा ''मम्मी कहा है'' तो बोली ''सायद नदी किनारे
वाले खेत में गई होगी कल बड़े ठाकुर कुछ काम बोल थे'' फिर मैंने बोला '' आप बहुत खूबसूरत हो मम्मी पर गई हो'' तो सरमा गई और दुसरी तरफ देखते हुए पाँव के अगुठे से जमीन को कुरेदने लगी तो
मैं समझ गया इसे अपनी तारीफ बहुत ही अच्छी लगी इतने में मोबाइल में किसी का फोन आया तो
बातें करने लगा जैसे मोबाइल बंद किया तो मोबाइल की तरफ ललचाई निगाहों से
देखीं और बोली ''कितने का है ये
मोबाइल'' तो मैंने बताया ''22000 का'' तो बोली ''ओ दइया इत्ता
महगा मोबाइल''
मैंने बोला ''क्यों विश्वास नहीं हुआ'' तो बोली ''आप झूठ थोड़ी बोलेगे'' और इतना कहकर मोबाइल की तरह ललचाई निगाह से देखने लगी तो
मैंने कहा ''लो देख लो''
तो झट से हाथ बढ़ा दिया तो मोबाइल उसके हाथ में
दे दिया तो पलट पलट कर मोबाइल देखने लगी
और बोली '' छोटे ठाकुर साहब ई
वाट्सअप और फेसबुक क होत है'' (पुष्पांजली गाँव की भाषा में बात कर रही थी मैं
भी उसे गाँव की भाषा में ही जबाब दे रहा
था) तब मैंने मोबाइल में फेसबुक और वाट्सअप चलाकर दिखाया और पूछा ''आपको कैसे पता फेसबुक और वाट्सअप के बारे में''
तो बोली ''स्कूल में लड़कियों के के मुह से सुना है और क्लास में सर भी
मोबाइल में कुछ करते रहते है'' तब मैंने पूछा ''आपको भी ऐसा मोबाइल चाहिए'' तो बोली ''आप मुझे बार बार
आप नहीं कहिये मैं बहुत छोटी हूँ'' तब मैंने कहा ''तो क्या हुआ'' और फिर मोबाइल लेने की बात किया तो बोली ''मेरे नसीब में ऐसा मोबाइल कहाँ है'' तब मैंने कहा ''टीक है मैं दे दूंगा'' तो बोली '' मम्मी वाला
मोबाइल भी तो आपने दिया है'' तो मैं चौक गया
और पूछा ''आपको कैसे पता'' तो बोली ''आपके मैसेज आते है तो कभी कभी पढ़ लेती हूँ'' इतना सुनते ही मेरा माथा ठनका और पूछ लिया ''सभी मैसेज पढ़ती हो'' तो पुष्पांजली गर्दन नीचे किया और अपनी मुंडी हां में
हिलाया तब मैंने पूछा ''ये मैसेज अपने
पप्पा (मंगलू अहीर) को भी बताया कभी'' तो नहीं में गर्दन हिला दिया
अब मैं समझ गया की इसे मेरे और पुष्पा के बीच संबध के बारे
में पता है तब मैंने इधर उधर देखा और पुष्पांजली की चेहरे के नीचे हाथ लगाकर उठाया
और पूछा '' आपकी मम्मी जानती है की
तुम उनके मैसेज पढ़ती हो'' तो पुष्पांजलि ने
''न'' हिला दिया और अचानक बोली ''आप मम्मी से प्यार करते हैं छोटे ठाकुर'' तब मैंने कुछ
नहीं बोला और पुष्पांजलि की तरफ प्यार से देखा और आँख मारते हुए चलने लगा तो बोली ''छोटे ठाकुर ओ मोबाइल याद है न'' तब मैं मुस्कुराते हुए बोला ''हां याद है साम को लेकर नया मोबाइल दे दूंगा'' तो खुसी से चहक उठी और मैं वहाँ से नदी के
किनारे वाले खेतों की तरफ चल पड़ा और जब पहुंचा तो इधर उधर देखने लगा पुष्पा को पर
ओ नहीं दिखी तब मैं धान तुवर के खेतों में भी घुस कर भी देखा पर पुष्पा नहीं दिखी
तब मैं बहुत देर तक खेतो में घूमता रहा
फिर 12 बजे तक घर वापस आ गया, पाँव में कीचड़ लगा
गया तो उसे धोने के लिए पानी की टंकी से
सटे हुए वाथरूम के दरवाजे (जिसमे कोई दरवाजा नहीं लगा है) के पास गया तो देखा की
पुष्पांजली नहा रही है उसने सर्ट उतार कर बगल में लगी लोहे की राड में टांग दिया
है और नीचे की सलवार पहन कर नहा रही है पुष्पांजलि की गोरी गोरी चिकनी पीठ दिखाई
दे रही है और चेहरे में साबुन लगा लगा कर हाथो से घिस रही थी,चेहरा घिसते घिसते सामने की तरफ घुमी तो उसकी छोटी छोटी गदराई दूध से नहाईं
हुई सफ़ेद झक्क चूचियाँ दिखाई दी मैं मूर्ति बनकर देखने लगा जब उसने चेहरे से साबुन
धोने लगी तो मैं समझ गया ये मुझे देख लेगी तो धीरे से
पीछे खिसका लिया अपने आपको और बाहर खड़ा हो गया और कुछ
सेकण्ड बाद फिर से बाथरूम में घुसा तो ओ मुझे देखकर हड़बड़ा गई और जल्दी से अपना
सर्ट लेकर अपनी चूचियों को ढकने लगी तो मैं फिर से बाहर आ गया और बाहर से बोला ''आप नहा रही थी मुझे नहीं पता था सॉरी'' तो अंदर से खिलखिलाने की आवाज आई और बोली ''
कोई बात नहीं धोखा हो जाता है छोटे ठाकुर जी.'' और मैं बाहर के
नल में पाँव धोने लगा कुछ देर में पुष्पांजली निकली और मेरी तरफ देखकर हल्का सा
मुस्कुराई और चली गई मैं भी उसी वाथरूम में नहाया और फिर खाना खा कर दोपहर में
बिस्तर में लेट गया और सो गया करीब 3 बजे पत्नी ने उठाया और बोली ''दीदी (मेरी भाभी) चित्रकूट जा रही है मैं भी
चली जाऊं क्या'' तो मैंने पूछा ''कौन कौन जा रहा है'' तो बोली ''जेठ जी,दीदी,और माँ'' मैं इतना सुनते
ही मन ही मन बहुत खुस हो गया सोचा आज रात में पुष्पा को अपने बेड पर चुदाई करूंगा
और पत्नी को हाँ कर दिया
करीब 4 बजे तक घर से सभी चले गए,क्योकि बाहर साथ में कोई नौकर होना चाहिए इस लिए दादा भाई
अपने साथ ''मांगलिया अहीर'' (पुष्पांजलि के पिता जी और पुष्पा के पति ) को
भी ले गए जैसे ही बोलेरो गेट से बाहर निकली मैं तुरंत ही छत पर गया और पुष्पा के
घर की तरफ देखने लगा तो पुष्पा दिखी तो इसारा किया तो पुष्पा ने मिस काल दिया तब मैंने फोन किया
तो पुष्पा पूछने लगी कब आये तो उसे बताया तो खुस हो गई मैंने उसे घर में बुलाया तो
बोली ''घर में नहीं आम के बगीचे
के पास तुवर में आ रही हूँ'' तब मैं जल्दी से घर से बाहर निकला और घर के
आदिवासी नौकर कल्लू कोल को बोला घर का
ध्यान रखना मैं आता हूँ और इतना कहकर जल्दी जल्दी खेत की मेड पर जाकर खड़ा हो गया
कुछ ही देर में पुष्पा भाभी हाथ में एक डिब्बा लिए पास आकर
तुवर के खेत में घुसी मैं भी धीरे से घुस गया और जाते ही पुष्पा को पकड़ कर सीने से
चिपका लिया और चूचियों को दबाते हुए दनादन किस करने लगा और होठों को किस करते हुए
जीभ को चूसने लगा कुछ ही देर में पुष्पा गरम पैड गई तो मैं उसे लेकर जमीन में बैठ
गया और उसे अपने जांघो में बैठा लिया और साड़ी को खिसकाने लगा तो बोली ''यहाँ मजा नहीं आएगा'' तब मैंने बोला ''फिर'' तो बोली रात में घर आ
जाना'' तो मैंने उसे बोला ''आज रात मेरे कमरे में आ जाओ कोई नहीं है घर में''
तो बोली ''टीक है'' और दोनों बहुत
देर तक खेत में ही बातें करते रहे , पुष्पा से उसकी बेटी को मोबाइल देने की बात किया तो पुष्पा
मना करने लगी और बोली '' बिंदु बिगड़ जाएगी
मोबाइल पाकर'' तो मैंने बोला ''नहीं मैं दूंगा'' तो कुछ नहीं
बोली कुछ देर बातें करने के बाद दोनों अलग अलग रास्ते से
बाहर आ गए और घर आकर जल्दी से कपड़ा पहना और भाई साहब की बुलट उठाया और गाँव से 11
किलो मीटर दूर की बाजार से 5000 रुपये में नया Micromax Canvas ले आया और पुष्पा को फोन करके उसकी लड़की बिंदु
(पुष्पांजलि) को बुलाया तो पुष्पा ने बिंदु को भेज दिया बिंदु के आने के पहले घर
का नौकर कल्लू कोल को काम के बहाने बाहर
भेज दिया बिंदु आई तो उसे अपने कमरे में बुलाया और उसे मोबाइल दिखाया और बोला ''ये तुम्हारे लिए'' मोबाइल देखते ही बिंदु खुसी से उछलने लगी तो उसकी छोटी छोटी
गदराई चूचियाँ भी कूदने लगी और बिंदु ने मेरे हाथ से मोबाइल ले लिए और बिस्तर के
पास खड़े खड़े देखने लगी फिर बोली ''इसे कैसे चलाएंगे'' तो मैंने कहा '' इसमें सिम लगानी होगी और इंटरनेट पैक डालना होगा'' तो बोली ''तो करिये न,मुझे चलाना है
इसे'' तब मैंने मेरे
पास से आइडिया की सिम निकाली और मोबाइल
में लगाकर मेरे मोबाइल से मेरे बैंक अकॉउंट की एप्लीकेसन से पुष्पांजलि वाली सिम
में नेट बैलेंस डाल दिया और कुछ ही देर में इंटरनेट चला कर बता दिया तो पुष्पांजली
खुस होकर मेरे पास बिस्तर में बैठ गई और मोबाइल
फीचर समझने लगी मैंने उसकी कई फोटो लिया मोबाइल से और उसकी खूबसूरती की खूब
तारीफ किया तो ओ खूब खुस हो गई तो मैंने उसके कंधे में हाथ रख दिया और उसका
रियेक्सन देखने लगा तो ओ मेरी तरफ देखि और मुस्कुराई तब मैंने उसके गाल में किस कर
लिया तब फिर से मेरी तरफ देखी और मुस्कुराकर रह गई तब मैंने धीरे से उसके कमर के
नीचे से हाथ डाला और धीरे से चूची को दबा दिया तो मेरी तरफ देखकर मुस्कुराई और
बोली ''मम्मी आ जाएगी'' और मोबाइल के और फीचर पूछने लगी
मैं उसे फीचर समझाने लगा और उसकी फोटो खीचकर उसका फेसबुक और
वाट्सअप अकॉउंट भी बना दिया और चालाना भी सिखा दिया पुष्पांजलि दिमाग से काफी तेज
है बहुत जल्दी सीख लेती है कुछ देर बाद पुष्पा ने मिसकाल दिया तो मैंने फोन लगाया
तो बोली ''बिंदु अभी तक नहीं आई''
तो मैंने बोला ''ओ मोबाइल चलाना सीख
रही है'' तो पुष्पा बोली ''उसे भेजिए,साम हो रही है पढ़ाई करना है'' तब मैंने पुष्पा को बोला ''तुम भी आ जाओ न'' तो बोली '' नहीं अभी नहीं''
फिर पुष्पा ने बिन्दु से बात किया तब बिंदु
अनमने से होकर उठकर जाने लगी तो मैंने उसे मोबाइल का डिब्बा दिया और बोला ''इसे छिपा कर ले जाओ'' तो बिंदु बोली ''कैसे छिपाऊं'' तब मैंने
उसे स्टील की बाल्टी दिया और बोला ''इसमें मोबाइल को रख लो'' तब बिंदु ने उसमे मोबाइल रखकर जाने लगी तो मैंने उसे पकड़ कर
फिर से किस करते हुए चूची को दबा दिया तो मुस्कुराई और चली गई मैं समझ गया बिंदु
फस चुकी है पर इस कुँवारी कली का रस कैसे पीया जाए घर के बाहर घूमते हुए यही प्लान
बना रहा था की करीब 5 मिनट बाद पुष्पा भाभी दनदनाते हुए बनावटी गुस्सा लिए गेट
खोलकर आई और दिखावटी गुस्सा दिखाते हुए बोली ''क्या जरुरत थी इतना मह्गा मोबाइल दिलाने की'' तो मैंने कुछ नहीं बोला और घर के अंदर जाने का इसारा किया तो पुष्पा चुपचाप घर के
आँगन में घुस गई तो मैं भी गया और पुष्पा को पकड़ कर दोनों हाथो से उठा लिया और
अपने कमरे में आलीशान बेड पर लिटा दिया और ऊपर चढ़ते हुए झुककर चूमते हुए बोला ''पहली बार गुस्से में देखा,बहुत सुन्दर लगती हो'' तब मुझे अपने ऊपर से उठाने के लिए धक्का दिया व् बोली ''उठिए भी कल्लू आ जाएगा'' तब मैंने उसे
बताया की ''कल्लू को उस गाँव भेज
दिया है'' तब मैं पुष्पा को किस
करते हुए बातें करने
पुष्पा ऐसे ही लगती है पहले से ज्यादा मोटी व् खूबसूरत हो
गई
लगा तब पुष्पा बोली ''आप बिगाड़ दोगे बिंदु को'' तब मैंने कहा ''एक मोबाइल देने से नहीं बिगड़ जाएगी'' तब कुछ नहीं बोली प्यार से देखने लगी
तब मैंने चूचियों को दबाते हुए किस करने
लगा ,पुष्पा भी बार बार मेरे
गालों को किस करने लगी मैंने ब्लाउज के नीचे हाँथ डालकर चूचियों को सहलाने लगा , चूचियों की निप्पल टाइट पड़ गई तब मैंने पुष्पा को अभी चोदने
का मन बना लिया और साडी को जांघो के ऊपर खिसकाया और चिकनी चिकनी गोरी गोरी जांघो
को सहलाने लगा और फिर धीरे से चूत के ऊपर हाथ घुमाया तो लगा की चूत में छोटे छोटे
बाल है तब साडी को कमर तक उठा लिया और चूत की तरफ देखा तो पुष्पा बोली ''रहने दीजिये अभी मजा नहीं आयेगा ,रात में कर लेना'' मैं तो मन बना लिया था और पीछे हटने मूड मे नहीं था
इस लिए पुष्पा के मना करने के बाद भी नहीं माना और और झुककर
चूत को चाटने लगा पुष्पा कुछ ही मिनट में गर्म पड़ गई तब मैंने अपनी चढ्ढी उतारने लगा इतने में घर का दरबाजा
खुलने की आबाज आई तो पुष्पा जल्दी से उठकर बिस्तर के कोने पर खड़ी हो गई और मैं
बाहर निकला और बैठक में जाकर देखा तो कल्लू वापस जा रहा था,समझ गया कल्लू आ गया और वापस आया और पुष्पा को बताया तो ओ
बोली ''अब कैसे जाऊँगी, कही कल्लू देख न ले'' तो मैंने कहा ''रुको मैं कल्लू को किसी बहाने बगीचे में भेजता हूँ'' इतना कहकर मोबाइल लेकर बाहर आया और कल्लू को एक नीबू तोड़ने
के लिए भेज दिया जब कल्लू चला गया तो
पुष्पा को इसारा किया तो ओ चली गई और मैं भी मेनगेट के बाहर आकर पुष्पा के घर के
सामने से निकली हुई रोड से घूमने लगा तो पुष्पा की मिस काल आई तो फोन किया तो बोली
'' नया मोबाइल आपके कमरे में
भूल आई हूँ बिंदु को भेज रही हूँ'' तो मैं जल्दी
जल्दी घर आया और पुष्पांजली का इन्तजार करने लगा करीब 3 मिनट बाद पुष्पांजली आई तो
उसे कमरे बुला लिया जैसे ही कमरे में घुसी तो गोद में उठा लिया और चूमने लगा
तो बिंदु मेरे कंधे में अपनी बाहों को डालकर सीने से चिपक
गई तो उसे चूमते हुए बिस्तर पर लिटा दिया और उसके ऊपर चढ़कर चूमने लगा सर्ट की 2
बटन खोल कर उसकी छोटी छोटी चूचियों को सहलाने लगा पुष्पांजली बहुत जल्दी गर्म पड़
गई उसकी चूचियों की निप्पल बहुत जल्दी टाइट पड़ गई और बहकने लगी तो मैंने उसके
सलवार का नाड़ा खोलने लगा तो हाथ पकड़ लिया और बोली ''रहने दीजिये नहीं तो कुछ गलत करुँगी तो मम्मी मारेगी ''
तब मैंने उसे बड़े प्यार से समझाया और बोला ''ये गलत नहीं है बल्कि शरीर की जरुरत है''
तब भी पुष्पांजली ने नाड़ा नहीं खोलने दिया और उठकर बैठ गई तब मैंने
कहा ''कल नदी किनारे वाले तुवर
के खेत में मिलोगी'' तो बोली ''देखती हूँ, कोई बहाना बनाकर आऊँगी'' और फिर मोबाइल हाथ में लिया और चली गई
तो बैठका में आकर टीवी ओन किया और देखने लगा करीब 9 बजे कल्लू
को बुलाकर उसे खाना दिया कल्लू खाना लेकर कटहल के पेड़ के नीचे खाना खाने लगा मैं
भी घर का मेंन दरवाजा लगाया और टीवी देखते हुए खाना खाया और
टीवी वाले बैठक रूम में ही सोफे पर लेट गया कब नींद लग गई पता ही नहीं चला करीब 11
बजे रात में पुष्पा की बार बार मिस काल आई
तो नींद खुली तो पुष्पा को फोन किया तो बोली ''गेट का ताला खोलिए मैं आती हूँ'' तब मैंने बोला ''पीछे के दरबाजे से आना'' इतना कहकर मेन
गेट का ताला खोला और वापस आकर बिगोरा 100 व् बिगोरा फ़ोर्स की एक-एक टेबलेट खा लिया
करीब 20 मिनट बाद पुष्पा घर के पीछे वाले दरवाजे को धीरे से ठोका तो मैं समझ गया
और दरबाजा खोला और पुष्पा के घुसते ही पकड़ कर उठा लिया और आँगन में ही घुमाने लगा
और किस करने लगा तो धीरे से बोली ''अब उतारिये भी
नहीं तो गिर जाउंगी'' तब मैंने कहा ''मैं भले ही गिर जाऊं पर तुम्हे नहीं गिराऊंगा''
तो हँसते हुए बोली ''आप इतना प्यार करते है मुझे'' तब मैंने कहा ''आजमा लो मेरी जान,मैं तो तुमसे
शादी भी करने को तैयार हूँ'' तो पुष्पा बोली ''छोटी मालकिन मुझे ज़िंदा नहीं रहने देंगी''
और इतना कहकर गोद से नीचे आ गई और दोनों बैडरूम
में आ गए और बिस्तर में लेट गए
पुष्पा के आते ही पूरा आँगन महकने लगा , पुष्पा ने इतना ज्यादा स्प्रे किया था की पूरा
बैडरूम खुसबू से भर गया मैंने पूछा ''इतना ज्यादा सेंट लगाई हो कि पूरा कमरा महकने लगा'' तो बोली ''एक साल बाद अपने
प्रीतम से मिल रही हूँ'' इतना कहकर मेरे
से लिपट गई और मुझे चूमने लगी तब मैंने पूछा ''मंगलू दादा का क्या हाल चाल है'' तो अनमनी होकर बोली ''अभी मूड खराब मत करिये'' जबकि मेरा प्लान
था कुछ देर बाते करू तब तक गोलियों का
भरपूर असर हो जाएगा तब चुदाई मजा आएगा तब
मैंने विषय को बदल दिया और पुष्पा से उसके बेटे जो हम दोनों के मिलन से पैदा हुआ ''अभिजीत'' का हाल चाल पूछा तो पुष्पा चहक चहक कर उसके बारे में बताने
लगी बहुत देर तक बात किया अभिजीत के बारे में फिर मैंने पुष्पांजलि बाते किया , पुष्पांजलि को 10 वी में 85% नंबर आये ये बताया तो मैंने
पुष्पा को बोला ''कालेज की पढ़ाई के
लिए मेरे साथ शहर भेज सकती हो'' तो बोली ''छोटी मालकिन को एतराज नहीं होगा तो
भेज दूंगी'' मैं मन ही मन खुस
हो गया की पुष्पांजलि को खूब चोदूंगा जब साथ रहने लगेगी बातें करते करते रात के 12
बज गए, मेरे लण्ड में तूफ़ान उठने
लगा तो पुष्पा को चूमने लगा और एक हाथ से पुष्पा के ब्लाउज का हुक खोलने लगा पर
सबसे नीचे का हुक नहीं खुला तो पुष्पा ने
खुद ही हुक खोल दिया तो मैंने ब्रा का हुक
खोलते हुए ब्रा और ब्लाउज को जिस्म से अलग कर दिया तो पुष्पा के मस्त मस्त जोबन
बाहर निकल पड़े पुष्पा की चुचिया अच्छी खासी टाइट लग रही थी धीरे से चूची को सहलाया
और बोला ''क्या बात है
एकदम से मस्त टाइट है'' तो बोली ''आपके सिवा कोई
हाथ नहीं लगाता और आपने एक साल पहले हाथ लगाया था इस लिए टाइट है'' तो मैंने हँसते हुए बोला ''क्यों मंगलू दादा नहीं लगाते हाथ'' तो निरास होकर बोली ''उनको ये सब करने का मन नहीं पड़ता'' तब मैंने पुष्पा से पूछा ''महीना कब आया था'' तो बोली ''बस एक दो दिन में
वाला है, मुँह मत लगाइये'' तब मैंने कहा ''ठीक है'' और फिर पुष्पा का
पेटीकोट के नाड़ा खोल दिया और साड़ी को उतार दियाअब पुष्पा एकदम सेनंगी मेरे सामने
बेड पर पडी है,
मैं पुष्पा को उलटा करके पेट की तरफ लिटा दिया और जिस्म को
चूमने लगा कभी चिकने चिकने चूतड़ तो कभी चिकनी चिकनी जांघो को चूमता सहलाता ,
पुष्पा भी गर्म पड़ने लगी और हाँथ को मेरी तरफ
बढ़ाया और लण्ड को टटोलने लगी और लोवर के ऊपर से ही लण्ड को पकड़ कर दबाने लगी और
कुछ मिनट बाद लोवर को खीच कर अलग कर दिया और मेरी मजबूत कड़क जाँघो को सहलाने लगी,
मेरी जांघो में बाल बहुत है और पुष्पा को मेरी
जांघो के बालो से खेलना बहुत अच्छा लगता है पुष्पा कभी लण्ड को दबाती तो कभी जांघो
को सहलाती तो कभी हलके से बालो को खींचती मैं पुष्पा के कान के नीचे गर्दन चूमते
हुए चाटने लगा ,पुष्पा के
शरीर से ज़रा सा भी पसीने की इस्माइल नहीं
आ रही थी और न ही पसीने की नमकीन वाली फीलिंग थी, धीरे धीरे पूरी गर्दन को चाटते चाटते उठा और आँवले के तेल
की बाटल लिया और पुष्पा के वदन को मालिस करने की सोचा तो पुष्पा ने मना कर दिया और
बोली ''अभी नहीं, अब मत
तड़पाओ मेरे राजा'' और इतना कहकर उठी
और मुझे लिटा दिया और चढ्ढी उतार कर मेरे
लण्ड को खिलाने लगी , कभी लण्ड को
चूमती तो कभी
जीभ से चाटती जब पुष्पा लण्ड से खेल रही थी तब मैं पुष्पा
की चूचियों से खेलता इस तरह 3 मिनट तक खेल खेल में पुष्पा गरम पड़ गई और मेरे ऊपर
चढ़ गई और झुक कर मेरे गालो को चूमने लगी पुष्पा की चूत को कई महीने से लण्ड का
ठोकर नहीं मिला इस लिए पुष्पा ज्यादा उतावली हो रही थी मैंने कंडोम दिया और बोला
इसे चढ़ा दो तो बोली ''रहने दीजिये
महीना होने वाली हूँ'' तब मैंने कहा ''नहीं लगा लो,कहीं रुक जाएगा तो अबॉर्शन करवाना होगा''
तो पुष्पा राजी हो गई और लण्ड का सुपाड़ा पीछे खिसकाने लगी
तो मैंने रोक दिया तब सुपाड़ा को नंगा किये बिना कड़क लण्ड पर कंडोम चढ़ा दिया और
अपनी दोनों जांघो को को घुटने से मोड़ते हुए मेरी कमर के बगल में रख कर, बड़े आराम से लण्ड को चूत में फँसा लिया और मेरे
ऊपर लेट गई और हलके हलके अपने चूतड़ों को आगे पीछे करने लगी जैसे जैसे चूतडो को आगे
पीछे करती वैसे वैसे पुष्पा को मजा आने लगा तो दोनों घुटनो के बल खड़ी हो गई और
लण्ड पर कूदने लगी कमरे में लण्ड और चूत की लड़ाई की आवाज गूँजने लगी करीब 4 मिनट
तक लण्ड पर कूदने के बाद पुष्पा थकने
कोई सुन न ले इस लिए झुककर बिंदु की जीभ को होठों को चूसने
लगा तो बिंदु भी मेरे जीभ को चूसने लगी
दोनों टांगों को मेरी कमर पर रख लिया और अपने चूतड़ों को
उठाने लगी जैसे लण्ड को ज्यादा से ज्यादा गहराई तक अंदर लेना चाहती हो,बिंदु लगातार अपने चूतड़ों को उठा उठा कर पूरी
गहराई तक लण्ड लेती रही मैं मस्त मस्त झटके देता रहा बिंदु मेरे होठ,जीभ को चूसती मैंने उसके होठ जीभ को चूसता और
झटके पर झटके देने लगा बिंदु अपनी दोनों जांघो को मेरे कमर में कसकर रख लिया और
दोनों हाथो को पीठ में रखकर कसकर इतनी जोर से पकड़ लिया लिया की लण्ड को आगे पीछे
करना मुस्किल हो रहा था, मैं अंतिम स्टेज
में पहुंच गया था की अचानक बिंदु की पकड़ ढीली पड़ गई मैं समझ गया बिंदु स्खलित हो
चुकी है मैंने भी जल्दी जल्दी झटके मारे और और पूरी ताकत लण्ड को पेलते हुए वीर्य
बहा दिया और हाँफते हुए बिंदु के ऊपर निढाल होकर लेट गयातो बिंदु बोली ''अरे अब उठिए भी मेरी जान लेंगे क्या'' तब मैं बिंदु के ऊपर से उठ गया तो बिंदु जल्दी
से उठकर घुटने मोड़कर
बैठ गई और मेरी चढ़दी उठाकर
अपनी चूत को साफ़ किया और बेसर्म की तरह
हँसते हुए बोली ''लो पहन लो''
और जल्दी से उठी और अपनी लाल रंग की पेंटी पहन
कर खड़ी हो गई और जल्दी जल्दी अपने स्कुल की ड्रेस पहनी तब तक मैंने भी कपड़ा पहल
लिया और बिंदु को अपनी तरफ खीचकर फिर चूचियों को दबाया और किस किया तो बोली ''अभी मन नहीं भरा''
तब मैंने कहा ''तुमसे तो जीवन भर मन नहीं भरेगा'' तो कुछ नहीं बोली तब मैंने गोदड़ी से हटाया और गोदड़ी को समेटने लगा तो बोली ''मुझे 5000 रुपये दो'' तब मैंने कहा ''पगली इतने रूपये लेकर जेब में नहीं घूमता हूँ'' तो बोली ''मैं नहीं जानती
हूँ मुझे तो चाहिए'' इतना कहकर मेरे
लिपट गई और चूमने लगी तब मैंने पर्स से 1000-1000 की 3 नोट दिया तो बोली ''
2 नोट और दो'' तो मैंने कहा ''पर्स को नंगी मत करो कुछ तो बचा रहने दो'' तो हँसते हुए बोली ''आपने भी तो मुझे नंगा किया, कुछ छोड़ा क्या'' और इतना कहकर पर्स हाथ से ले लिया और 1000-1000 की 3 नोट और निकाल लिया और
पर्स को हाथ में पकड़ाया और जोर से चूमते हुए बोली
''अभी भी 4 नोट है हजार के'' तब मैंने बिंदु से पूछा ''क्या करेगी इतने रूपये को'' तो बोली ''मुझे इन हरी हरी
नोटों से बहुत प्यार है'' और फिर जाने लगी
तो मैंने पूछा ''अब कब मिलोगी''
तो बोली ''जब भी मिलना हो बता देना पर हर बार मुझे 5000 चाहिए''
तब मैं मन ही मन सोचा की ये तो पक्की रंडी
निकलेगी और इतना कहकर जाने लगी तो मैंने उसे रोका
से लिपटकर चूचियों को दबाया और किस किया तो बोली '' बहुत माजा आया'' और एक आँख को दबाया और अरहर के खेत से बाहर चली गई मैंने भी गोदड़ी को समेटा और
रूम में रखा और दूसरे रास्ते से घर चला आया, रस्ते भर सोचता रहा की ये बहुत महगी चुदाई है फिर भी
कुँवारी चूत चोदने का पहला मौका है बीबी तो चुदी-चुदाई मिली थी
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