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बिहारी लड़की की मस्त चुदाई कहानी

मेरा नाम मन्नी है, मैं 23 साल का हूँ.. पूरे 6 फीट का हूँ। मैं पंजाब का रहने वाला हूँ। अभी मैं मेडिकल का स्टूडेंट हूँ और कसरत करने का दीवाना हूँ। किशोरावस्था से ही जिम में कसरत करने के कारण मेरा कद इतना बढ़ गया। मेरा लंड 18 की उम्र से ताकत बढ़ाने वाली दवाएं लेने के कारण मेरा लंड औसत से काफी बड़ा हो गया था। ये उस वक्त की बात है, मैं जब 19 साल का था।

हमारे खेतों में बिहार की एक लड़की काम कर थी और अब भी करती है। वो उस वक्त 23 साल की थी.. देखने में बहुत सुंदर है। उसका रंग गेहुआं है और नाम चांदनी है।

बिहारी लड़की की मस्त चुदाई कहानी

चांदनी 5.5 फिट की है। वो हमारे खेतों में ही अपने परिवार के साथ ही रहती है।

 

मेरे घर वाले ज्यादातर अमेरिका में रहते हैं, वो साल में एक बार ही आते हैं। इसलिए मेरे घर वालों ने चांदनी की माँ को मेरे कपड़े धोने और घर की साफ-सफाई के लिए रखा हुआ था और खाना मेरे दोस्त के घर से आता था।

 

चांदनी की 2 और बहनें हैं, वो अभी छोटी उम्र की हैं।

 

मेरे कसरती जिस्म के कारण गांव की हरेक लड़की मुझ पर मरती थी और चांदनी भी उनमें से एक थी।

 

अपनी बॉडी को अच्छा बनाए रखने के लिए मैं चुदाई वाली हरकतें.. जो जिस्म को कमजोर करने वाली होती है.. शादी तक कुछ नहीं करना चाहता था। बस कभी-कभी मुठ मार कर खुद को शांत कर लेता था क्योंकि मुझे मालूम था कि एक बार चूत का चस्का लग जाएगा.. तो चूत के बिना कुछ नहीं दिखाई देता।

 

हमारे खेत घर के सामने हैं।

 

जब चांदनी के माँ-बाप को एक शादी के लिए 20 दिन के लिए बिहार जाना था। वो चांदनी और उसकी बहनों को यहीं पर छोड़ कर जा रहे थे।

वो चांदनी को घर पर काम की देखरेख करने के लिए छोड़ गए।

 

मेरे मन में तब चांदनी के लिए कोई बुरी सोच नहीं थी। चांदनी के घर वालों को भी ये पता था कि मैं सीधा और अच्छा लड़का हूँ।

मैं उनकी लड़की के साथ कुछ नहीं करूँगा।

पर वो क्या यह बात जानते थे कि उनकी लड़की ही मेरा लंड लेना चाहती है।

 

मैं कभी-कभी पोर्न फिल्म भी देख लेता था।

मेडिकल का स्टूडेंट होने के कारण सब कुछ पता भी था।

 

एक शाम बहुत तेज तूफान आया.. जिसके कारण चांदनी के झोपड़े की छत उड़ गई। तब मैं अपने खेतों में एक चौबारे में कसरत में लगा हुआ था।

तभी चांदनी भागती हुई आई।

 

पहले तो वो मेरी बॉडी पर पसीना और बॉडी के कट्स देख कर चौंक गई, फिर सहमी हुई बोली- मन्नी मेरे झोपड़े की छत तूफान के कारण उड़ गई।

मैं- कोई बात नहीं.. तुम अपना सामान उठाकर मेरी कोठी में रख लो।

पंजाब में बड़े घर को कोठी कहते हैं।

 

मैंने उसे कोठी के बाहर वाले कमरे में सामान ले आने के लिए कहा और मैंने उसको अपनी बहनों के साथ वहीं सोने की अनुमति दे दी।

वो सब मान गई।

 

चांदनी- मन्नी.. मेरे घर का सामान भारी भी है.. मैं अकेले नहीं उठा सकती.. मेरी मदद कर दो।

मैंने कहा- चलो मैं मदद कर देता हूँ।

 

मैंने उसके झोपड़े की नई छत लगवाने का वादा भी किया।

उसने मुझे मुस्कुराते हुए मुझे थैंक्यूकहा।

 

मैं उसकी मदद करने के लिए चला गया। वहाँ पहुँच कर मैं नीचे से भारी सामान उठाकर कोठी के बाहर वाले कमरे में ले गया। चांदनी भी हल्का सामान लेकर आ गई.. उसकी बहनें भी मदद कर रही थीं। जब मैं सामान छोड़ कर पीछे हटा.. तो चांदनी के साथ टकरा गया और चांदनी सहम कर हट गई।

 

मैंने पूछा- क्या हुआ?

वो बोली- कुछ नहीं.. बस जरा ऐसे ही झटका सा आ गया था।

 

मैं पहली बार उसके साथ टच हुआ था शायद इसलिए वो सहम गई थी।

मेरे मन में उसके बारे में अब तक कोई गलत विचार नहीं था।

 

फिर मैं उससे ठंडा पानी मेरे बाथरूम में भर कर रखने के लिए कह कर फिर से कसरत करने चला गया।

मैं बाद में आकर नहाया और खाना आदि खाकर अपने कुत्तों को रोटी खिलाकर बाहर घुमाने ले गया।

 

जब मैं रात को 9 बजे वापिस आया तो चांदनी के कमरे में से अजीब सी आवाज आ रही थी। जब मैंने खिड़की में से देखा तो हैरान रह गया।

चांदनी बिस्तर पर नंगी पड़ी थी और अपनी चूत को उंगली से संतुष्ट कर रही थी।

उसकी बहनें गर्मी के कारण बाहर कमरे के बाहर तख्त पर सो रही थीं।

 

मैंने पहली बार किसी लड़की को असली में नंगी देखा था और चांदनी मेरा नाम लेकर उंगली को चूत में अन्दर-बाहर कर रही थी।

मैं अपने आप पर कंट्रोल रखने के लिए वहाँ से जाने लगा तो मेरा पैर अंधेरे में अपने एक कुत्ते से टकराया।

 

मेरा कुत्ता जोर से रोने लग गया और चांदनी की बहनें उठ गईं.. चांदनी भी जल्दी से कपड़े पहन कर बाहर आ गई और बात को संभालते हुए मैं वहाँ से चला गया।

 

उस रात को मैं बड़ी मुश्किल से सो पाया। मैं मुठ भी नहीं मार सका क्योंकि दवा लेने के कारण माल जल्दी बाहर नहीं आ रहा था।

फिर मैं किसी तरह सो गया।

 

दो-तीन दिन मैं रात को उसे देखता रहा पर एक रात मैं पकड़ा गया।

उस रात चांदनी जिस कमरे में रह रही थी उस छोटी लाइट बन्द थी।

 

मैं अंधेरा देख कर वापस आने लगा और जाते समय मैं बड़बड़ा रहा था- साला आज चांदनी की चूत नहीं दिखाई दी।

 

उस रात चांदनी बाहर सो रही थी और उसने यह सुन लिया, वो उठकर बोली- तुमको शर्म नहीं आती?

उसे तो मौका मिल गया.. मैं घबरा गया।

 

वो मुझे धमकी देने लगी- मैं अपने माँ और बाबा को बताएगी।

 

मैं वहाँ से भाग कर कमरे की ओर चल दिया.. पर वो मेरे पीछे आ गई।

मैं डरा हुआ था।

 

वो अन्दर आकर बोली- मुझे पता है कि तुम क्या कर रहे थे.. मैं अपने माता-पिता को सब कुछ बता दूँगी।

 

मैंने कहा- इस तरह की कोई बात नहीं है।

पर वो मानने को तैयार नहीं थी।

 

मैंने उससे कहा- तुम कुछ मत कहना.. मैं सब कुछ करूँगा जो तुम कहोगी।

वो अन्दर ही अन्दर खुश हो रही थी कि मैं आज उसके जाल में फंस गया।

 

चाँदनी बोली- मैं अपने माता-पिता को नहीं बताऊँगी.. अगर तुम सब कुछ करने के लिए तैयार हो।

ठीक है।

बोली- मैं 5 मिनट में आती हूँ।

 

वो अपनी बहनों के पास गई और बहाना बनाकर आई- मन्नी आज बीमार है.. उसको रात को किसी चीज की जरूरत हो सकती है.. तो मैं उसकी मदद के लिए कोठी में ही सो जाऊँगी।

 

सब कुछ ठीक करके वो कोठी में अन्दर आई और दरवाजे को अन्दर से बन्द कर दिया।

 

वो रसोई घर से दूध का गिलास लेकर आई थी और उसके पास एक पुड़िया थी। जिसमें कुछ पाउडर था। उसने पाउडर को दूध में मिलाकर पीने को कहा।

 

मैंने मना किया तो बोली- मैं अपने माता-पिता को सब कुछ बता दूँगी।

 

मैं डर कर पी गया।

 

चाँदनी- आज तुम नहीं बचोगे।

मैं बोला- यह दूध में क्या था?

चांदनी हँसते हुए बोली- अभी पता चल जाएगा।

मैंने गुस्से से पूछा- बता मुझे.. ये क्या था?

 

चांदनी- मेरे राजा डर मत.. यह तेरी आग को जगाएगा और तेरे लंड को ताकत देगा।

मैं- यह तुमने क्या किया..

यह कह कर मैं मदहोश हो कर बिस्तर पर गिर गया।

 

चांदनी- मेरे राजा लगता है.. देसी दवाई का असर चालू हो गया।

 

मेरे शरीर में हलचल नहीं हो रही थी.. क्योंकि मैंने कभी यह दवाई नहीं ली थी।

 

फिर चांदनी ने मेरा लोवर उतार दिया। वो मेरे लंड को सहलाने लगी, पर अभी लंड अपनी जवानी पर नहीं था, अभी दवाई काम कर रही थी।

 

फिर उसने अपनी साड़ी उतार दी और अपनी पैन्टी उतार कर अपनी चुदासी चूत मेरे मुँह के पास ले आई और बोली- मैं इसे डेढ़ साल से तुम्हारे लिए तैयार कर रही थी.. आज मौका मिला है।

 

मैं गुमसुम सा उसे देख रहा था।

चांदनी की चूत पर एक भी बाल नहीं था।

 

फिर वो बोली- इस चूत के लिए सारे गाँव के लड़के मर रहे हैं.. पर ये मैंने तेरे लिए सील बन्द करके रखी है। मेरी एक सहेली कहती है कि मेरे मालिक मेरी हर रोज लेते हैं और मजा भी देते हैं और मुझे कह रही थी कि तेरा मालिक तो अभी इतना जवान है.. क्या वो तुमको चोदता नहीं है। आज के बाद मैं उस साली का मुँह बन्द कर दूँगी।

 

वो अपनी चूत को मेरे होंठों पर रगड़ने लगी।

मैंने अपना मुँह नहीं खोला तो वो फिर से मुझे धमका कर चूत को जीभ से चाटने को कहा।

मुझे मजबूर होकर उसकी चिकनी चूत को चाटना पड़ा।

 

कुछ मिनट बाद वो झड़ गई और उसने अपना सारा रस मेरे मुँह पर झाड़ दिया।

 

अब तक मेरे लंड में भी हलचल चालू हो गई थी, शायद दवा का असर शुरू हो गया था, मेरा लौड़ा अपने भीमकाय आकार में आ रहा था।

 

चांदनी- अहह.. मेरा छोटा राजा जाग गया।

फिर वो लौड़े को हाथ में लेकर मुठ मारने लगी।

 

दो मिनट बाद ही वो मेरे कड़क लौड़े को अपने मुँह में लेकर चूसने लगी.. पर अभी मैं मदहोश सा ही पड़ा था।

 

फिर वो मेरे ऊपर आई.. अपनी चूत को लंड के टोपे सी घिसने लगी, फिर सिसकी लेने लगी आहहह..

 

मुझे अब कुछ अलग सा लग रहा था मानो मैं स्वर्ग में हूँ।

कुछ ही पलों बाद बहुत अच्छा लगने लगा था।

 

वो लंड को चूत के अन्दर लेने की कोशिश कर रही थी.. पर सील बन्द चूत के कारण वो नाकाम रही।

 

अब तक मैं होश में आ गया था.. मैं भी वासना का भूखा था।

जब वो फिर से कोशिश करने लगी.. तो मैंने उसे नीचे धकेल दिया और खुद उसके ऊपर चढ़ गया।

 

वो खुश हो कर बोली- आह्ह.. राजा बजा दे मेरी चूत का बाजा।

मैंने कहा- मैं अब तुमको बताता हूँ.. तुमने सोए हुए शेर को जगा दिया है.. अब तू और तेरी चूत किसी भी तरह नहीं बचेगी।

चांदनी- मन्नी राजा.. मैं भी यही चाहती हूँ। अब लगता है कि दवाई पूरे असर में है।

 

मैंने उसकी चूत में लंड डालने की कोशिश की.. पर वो बार-बार दर्द के कारण लंड का टोपा बाहर निकालने को कहती।

 

मैं- अब क्या हुआ.. पहले तो लंड.. लंड..कर रही थी।

 

बातों-बातों में मैंने पूरा लंड उसकी चूत में जोर लगाकर डाल दिया।

 

वो दर्द से चीखने लगी।

मेरा कमरा कोठी के पीछे के हिस्से में था और कोठी खेतों में होने के कारण किसी को कुछ नहीं पता चल सकता था।

मैंने अपना लंड कुछ देर अन्दर रखने का फैसला किया।

 

चांदनी ने दर्द से तड़फते हुए कहा- मुझे माफ कर दो.. गलती हो गई।

मैं- अब कुछ नहीं हो सकता.. जानवर उठ गया है.. और इसे सुलाएगी भी तू ही।

 

उसका दर्द का मारे बुरा हाल था।

 

मेरा कद और वजन अधिक होने के कारण वो हिल भी नहीं पा रही थी। मैं उसकी बुर में मोटा लंड डाल कर उसके ऊपर लेटा था।

 

वो माफ कर दो..कह रही थी।

 

मैं कुछ मिनट बिल्कुल भी नहीं हिला, उसे शांत करने लगा।

 

वो अधमरी सी हो गई थी, मैंने 5 मिनट बाद लंड को धीरे से बाहर को निकाला।

जब मैंने लंड निकाला उसकी चूत से खून बाहर आ रहा था। अब उसे अच्छा लगा रहा था। जब उसने खून देखा तो डर गई और बकने लगी।

 

चांदनी- साले चूतिए.. गान्डू.. ये क्या किया तूने.. खून निकाल दिया।

मैं- जानेमन चूत चुदाने से पहले अपनी सहेली से पता तो कर लेती कि पहली बार खून आता ही है.. मैं मेडिकल का स्टूडेंट हूँ.. मुझे पता है। बड़ी आई चुदवाने वाली.. साली मेरी।

 

चांदनी ने भी अब हँसते हुए कहा- तुम भी ना छुपे रुस्तम निकले।

मैं- ये तो कुछ भी नहीं, मैंने तो कामसूत्र वाली किताब पढ़ी हुई है। तू देखती चल अब कैसे तेरी चुदाई करूँगा।

चांदनी ने फिर हँसते हुए कहा- चल-चल पहले अब कुछ कर तो..

 

मैं फिर से उसकी चूत में जोर-जोर से धक्के लगाने में लग गया, चांदनी आहह..ह ईई..ई..की आवाज निकल रही थी।

सारे कमरे में चुदाई की आवाज गूंज रही थी।

 

देर तक चूत की कुटाई हुई, फिर हम दोनों एक साथ झड़ गए, मैंने सारा गरम रस उसकी चूत में ही निकाल दिया।

 

माल निकलने के बाद मैं निढाल हो कर उसके ऊपर ही ढेर हो गया। वो मेरे शरीर के मुकाबले एक खिलौने वाली गुड़िया जैसी मेरी नीचे दबी हुई थी।

वो भले मुझसे उम्र में 4 साल बड़ी थी।

 

मैं थोड़ी देर बाद उसके नीचे उतर गया।

 

चांदनी भी हरकत में आकर अपना चेहरा दूसरी तरफ करके सो गई।

 

मेरी नजर उसकी गांड पर गई। मेरा मन कर रहा था कि उसकी गांड भी फाड़ डालूँ.. चूत का नजारा और ही होता है।

 

मैंने लंड खड़ा करके चांदनी को मुँह और छाती के बल लिटा कर उसके ऊपर आ गया। वो कुछ भी प्रतिवाद नहीं कर रही थी।

मैंने चांदनी की दोनों बाजू से पकड़ कर उसकी लातें थोड़ी फैला दीं और उसे पीछे को खींच लिया। अब मैंने लंड का निशाना साध कर चूत में डाल कर उसे घोड़ी सा बना लिया.. पूरा लवड़ा अन्दर पेल दिया और मेरे चौके-छक्के लगने लगे।

 

वो नींद से उठ गई थी और मुझे गाली दे रही थी हरामी अब तो तू पक्का चोदू हो गया.. आआहह..ह ईई..

उसकी मादक आवाजें निकल रही थीं।

 

मैं- अब तो तुमने चूत का चस्का डाल दिया.. अब तू हर वक्त और रोज चुदेगी।

चांदनी- बस कर.. हब्सी जानवर.. पता है मुझे.. साले अभी तो सोने दे।

 

मैं उसे अनसुना करके छक्के लगाता रहा। कुछ ही देर में उसको भी मजा आने लगा था और वो भी पूरा साथ दे रही थी।

उसकी मादक ध्वनियाँ आआहह.. ईईई..मुझे बहुत मधुर लग रही थीं।

 

इस बार मैं कुछ देर तक उसकी चूत चोदता रहा, फिर मैं उसकी चूत में ही झड़ गया।

मैंने उसको सुबह 4:30 तक पेला, फिर मैं थक कर सो गया।

 

दूसरे दिन मैं सुबह 10 बजे उठा तो देखा कि चांदनी नहीं थी। मैंने सोचा कि वो घर का काम कर रही होगी। पर जब मैंने चादर की ओर देखा और चांदनी को जोर से आवाज लगाई।

 

जब वो आ रही थी तो मैंने देखा कि उसे चलने में तकलीफ हो रही थी।

वो आई और मुस्कुरा कर बोली- बोलो मेरे राजा क्या हुआ?

 

मैंने हँसते हुए कहा- जानू.. तेरी हालत देखकर तुझे कुछ कहने का मन नहीं कर रहा। तूने चूत मरवा तो ली.. सील भी खुलवा ली.. अब यह खून वाली चादर और मेरा लंड तो धो दो।

चांदनी हँसती हुई बोली- तो खुद से धो लो.. किसने मना किया है।

मैं अभी बताता हूँ तुझे साली..

 

मैं चांदनी के पीछे कोठी में पीछे भागने लगा। फिर उसे पकड़ कर दीवार से लगा कर लंबा चुम्मा किया और उसे चादर धोने के लिए कहा।

 

इसके बाद मैं नित्य क्रिया से फारिग होकर कसरत करने चला गया।

 

बाकी कहानी अगली बार लिखूंगा कि मैंने कैसे चांदनी के साथ खेत में रात गुजारी और उसे उसकी शादी के पहले तक कैसे चोदा।

 

मैंने ऑपरेशन के बाद अपनी बॉडीवाशकरवा ली थी। जिससे मेरी बॉडी से सारा स्टेरायड बाहर निकल गया था। अब मेरे लंड में बहुत ताकत आ गई थी। मैंने लंड बड़ा करने के लिए एक देसी दवाई भी ली थी। जिससे मेरा लंड अफ्रीकन स्टाइल का हो गया है।

 

मैंने एक ऐसी दवा लेना भी चालू कर दिया था जिससे मेरे जिस्म ने फूलना शुरू कर दिया था। इसके कारण मेरे शरीर में फुलावट आ रही थी।

 

अब तो चांदनी मेरे सामने छोटी होती जा रही थी। वो नंबर वन pornstar के जैसी छोटी लग रही थी।

 

एक दिन मैंने अपने खेत में कोठी की छत पर सोने का प्लान बनाया।

मुझे उस दिन खेत में काम था.. रात को खेत में पानी लगाना था।

 

उस दिन मौसम भी बहुत अच्छा था सुहानी हवा चल रही थी। कोठी की छत पर एक कमरा है। हमारे खेत घर के साथ है। मैंने मौसम देख कर सोचा अगर रात को दिक्कत हुई तो कोठी की छत पर जो कमरा है.. वहाँ जाकर सो जाऊँगा।

 

कोठी से लगा हुआ मोटर के लिए रूम है जो कि एक छोटा सा कमरा है जहाँ खेत में काम करने का सामान रखा हुआ होता है।

 

वैसे तो मेरे खेतों में 8 कमरे है.. मगर इस कोठी में दो कमरे नीचे थे और एक ऊपर। यह स्थान स्पेशल पार्टियों के लिए बनाया गया है। इसके पीछे एक पूल नुमा टैंक बना था.. जिसमें से खेतों को पानी जाता है।

 

वैसे तो आम तौर पर ये छोटा होता है.. पर ये वाला काफी बड़ा था जो कि गहराई में 3.5 फीट है। ये स्पेशल पूल पार्टी में मस्ती के लिए काम में भी आता है।

मैं एक अमीर बाप का बेटा हूँ.. तो मेरे लिए यह सब तो चलता ही है।

 

मैं उस दिन चांदनी को बताना भूल गया कि मैं खेत में सोने जा रहा हूँ। मैं उसे यह कह कर गया था कि मैं काम से जा रहा हूँ.. देर हो सकती है।

मुझे उसे चोदे हुए एक हफ्ता हो गया था, मूड भी चूत मारने का था।

 

अब तो जब भी मुठ मारने की सोचता तो चांदनी की चूत और उसकी हिदायत याद आ जाती कि अब कभी मुठ मत मारना.. मुझे याद कर लेना.. मैं तेरा सारा माल चूत और मुँह में ले लिया करूँगी।

उस दिन चांदनी का जन्मदिन था। मैंने उसको नया स्मार्ट फोन लेके दिया था, वो बहुत खुश थी।

 

मैं काम करने के बाद खाना खाकर सोने की सोच रहा था।

 

मैं खाना बाहर से ले आया था। तब सिर्फ 8:00 ही बजे थे। मेरे घर पर कुत्ते खुले रहते थे। मैं सोच रहा था.. आज फ्री हुआ था। अगर चांदनी को बता देता तो उसे इधर आने को कह देता।

 

मैंने छत पर जाकर घर की ओर देखा.. घर में चांदनी के कमरे की लाईट भी बन्द थी। मैंने सोचा कि उसे फ़ोन कर लूँ पर फिर मेरे मन ने कहा कि छोड़ो रहने दो.. सो गई होगी।

 

अब मैं भी सोने की कोशिश कर रहा था। इस वक्त 9:00 बज रहे थे। मुझे पायल की आवाज सुनाई दे रही थी। मैंने जब छत से नीचे देखा तो समझ आया कि कोई लड़की आ रही थी। उस दिन बादल होने के कारण मुझे उसका चेहरा नजर नहीं आ रहा था। पर यह तो पक्का था कि वो एक लड़की है।

 

उसके पास एक फोन था.. जिसमें भोजपुरी गाने बज रहे थे।

वो लड़की पूल के पास आई, जब उसने वहाँ जाकर लाईट जलाई तो मुझे उसका चेहरा दिखा।

वो चांदनी ही थी।

 

मैं तो खुश हो गया, वो वहाँ इस वक्त नहाने आई थी।

 

उसने कपड़े उतार दिए और पूल में मोटर से आ रहे ठन्डे पानी के नीचे नहाने के लिए बैठ गई।

 

जब धीरे से मैं नीचे उतरा.. तो वो पानी में एक तरफ को बैठी थी और अपने मोबाइल में ब्लू-फिल्म देख रही थी। साथ ही वो अपनी चूत में उंगली करते हुए बोल रही थी मैं आज दिन भर से कितने चुदाई के नए तरीके सीख रही हूँ और ये गांडू मन्नी पता नहीं कहाँ है।

 

मैंने आज की रात हसीन बनाने के लिए एक योजना बनाई।

 

मैंने नीचे जाकर बल्ब की तार निकाल दी। उस समय तेज हवा चल रही थी।

 

चांदनी पानी से बाहर आई और गाली देती हुई स्विच बोर्ड की ओर आई।

 

उसने मोबाइल की फ़्लैश लाईट जला ली थी।

 

मैं कोठी की दूसरी ओर से गया और चांदनी के सारे कपड़े उठा लाया।

 

वो फिर से तार लगाकर पूल की तरफ आ गई।

उसे लगा कि हवा से तार निकल गई होगी।

 

मैं चांदनी को सजने-संवरने के लिए पैसे बहुत देता था, अब वो बिहार की कामवाली नहीं लगती थी। उसने अपने कपड़ों का ख्याल नहीं किया था।

 

मैंने फिर से तार निकाल दी, वह फिर से तार दोबारा लगाने आई।

 

बोल रही थी- साली हवा की माँ की चूत फट गई लगती है.. साली तार हिला रही है।

 

उसकी नंगी जवानी को देख कर मेरा लंड खड़ा हो गया था और अब तो देसी दवाई से पहले से और मोटा और लंबा हो गया था।

चांदनी को कुछ पता नहीं चलने वाला था क्योंकि उसे चोदे हुए एक हफ्ते से ऊपर समय हो गया था।

 

एक हफ्ते में मेरे लंड में देसी दवा के कारण बहुत फर्क आ गया था।

 

जब चांदनी इस बार पूल के पास आई.. तो मैंने उसे अंधेरे में पीछे से दबोच कर उसकी आँखों पर एक कपड़ा बांध दिया, उसके हाथ उसकी ब्रा के साथ बांध दिए, उसका मुँह उसकी पैंटी से बन्द कर दिया फिर उसके मोबाईल और उसके कपड़े व उसे उठा कर कोठी के ऊपर बने कमरे में ले गया।

मैंने कमरे की बत्ती जलाकर उसे बिस्तर पर लिटा दिया।

 

चांदनी की मुँह से डर के मार सिसकीनिकल रही थी। मुझे हँसी आ रही थी। मैंने अपने मुँह पर एक कपड़ा बांध लिया ताकि मेरी आवाज बदल जाए।

 

फिर मैंने उसकी टांगों को चौड़ा करके बिस्तर की दोनों तरफ उसकी साड़ी फाड़ कर बांध दिया।

 

अब मैंने उसके मुँह से पैंटी निकाली।

 

वो कहती रही छोड़ दो.. तुम कौन हो?’

 

मैंने उसकी बात का जवाब नहीं दिया और अपना मूसल ब्रांड लौड़ा उसकी चूत के मुँह पर टिकाया और एक ही झटके में आधा घुसेड़ दिया।

 

मुझे मालूम था कि उसकी चीख निकलेगी इसलिए मैंने अपना हाथ उसके मुँह पर ढक्कन की तरह चिपका दिया था, उसकी आँखों से आंसू निकलने लगे और वो छटपटाने लगी।

 

मैंने अपना मूसल कुछ पलों के लिए अन्दर ही रख कर उसके चूचों को जीभ से सहलाना शुरू कर दिया।

शायद मेरी इस आदत को वो पहचान गई थी और मेरे जिस्म को वो कई बार अपने ऊपर चढ़वा चुकी थी, सो उसे महसूस होने लगा था कि मैं मन्नी हूँ.. तब भी उसे मोटा लौड़ा इस बात को पक्का नहीं होने दे रहा था कि उसकी चूत में किसका लण्ड है।

 

थोड़ी देर की कसमकस के बाद उसकी चूत ने पानी छोड़ दिया और मेरे लौड़े ने उसकी चूत का बजा बजाना शुरू कर दिया था।

 

तभी मेरे मुँह से निकला- मेरी रन्नो.. लौड़ा पसंद आया।

और वो खिलखिला पड़ी- हाय मेरे चोदू मन्नी.. भोसड़ी के तूने तो मुझे डरा ही दिया था। बस फिर क्या था धकापेल चुदाई हुई। उस रात में हम दोनों ने तीन बार चूत-लण्ड की लड़ाई लड़ी। 

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