हाय फ्रेंड्स, कैसे
हो आप सब! उम्मीद करता हूँ कि आप सब ठीक ही होंगे.मेरा नाम नवीन है, उम्र 22 साल है. मैं गुजरात का रहने
वाला हूँ. सूरत में हमारा खुद का अपना मकान है. मेरे घर में हम 5 लोग रहते हैं. मेरे
पापा-मम्मी, मेरी
बड़ी बहन सोनी, मेरा
छोटा भाई अखिलेश और मैं. पापा एक डायमंड कंपनी में जॉब करते हैं और मम्मी घर पे
रहती हैं.
यह
घटना जब घटी थी, तब
मेरी उम्र 19 साल
थी यानि आज से 3 साल
पहले की घटना है. यह घटना मेरे और मेरी बड़ी बहन सोनी के बीच में घटी थी. उस टाइम
सोनी की उम्र 21 साल
थी. उस टाइम मैं बीसीए की पढ़ाई कर रहा था, मेरा
पहला साल था. मेरी बहन सोनी बीएससी के लास्ट ईयर में थी. छोटा भाई 9 वीं क्लास में पढ़ रहा था.
हम एक मिड्ल क्लास फैमिली से बिलॉंग करते हैं, सो
लड़कियों को ज़्यादा बाहर घूमने या किसी से ज़्यादा बात करनी की छूट नहीं मिलती
है. इसलिए मेरी बहन सोनी सुबह सीधे कॉलेज जाती थी और कॉलेज से सीधा घर आती थी.
अब
मैं आपको सोनी का परिचय दे देता हूँ. उसकी हाइट 5 फुट 4 इंच है. रंग गोरा है और
फिगर भी लाजवाब है. फिगर का नाप कितना है, वो
तो मैंने कभी टेप लेकर मापा नहीं है, पर
ले देकर कहा जाए तो वो बहुत खूबसूरत है.
जैसा
कि मैंने पहले बताया कि मैं एक मिडल क्लास फैमिली से बिलॉंग करता हूँ, इसलिए सोनी को जीन्स टॉप या
स्कर्ट पहनने की छूट नहीं थी. इसलिए वो हमेशा सिंपल ड्रेस में रहती थी.
दोस्तो, मुझे लगता है कि मेरी
स्टोरी थोड़ी लंबी हो रही है, पर
जब तक मैं आपको कहानी के पात्र से पूरी तरह परिचय नहीं कराऊंगा, तब तक मज़ा नहीं आएगा.
इसलिए आप सभी थोड़ा सब्र रख कर इस स्टोरी को पढ़ते जाइए बहुत मज़ा आएगा.
हां
तो दोस्तो.. सोनी को घर से वेस्टर्न कपड़े पहनने की छूट नहीं थी. यहां तक कि वो
हमारे सामने भी कभी आती तो दुपट्टा लेकर ही आती. मेरी मम्मी बहुत सख्त हैं इसलिए
उसे ये सब करना ही पड़ता था.
अब
जानते हैं कि कैसे मेरे ओर सोनी के बीच ये प्यार का बंधन बढ़ा. मैं बहुत शांत
स्वभाव का लड़का हूँ, इसलिए
सोसाइटी में मेरे दोस्त ज़्यादा नहीं हैं. मैं हमेशा कॉलेज से आकर ज़्यादा से
ज़्यादा टाइम घर में ही रहता हूँ, जब
कोई काम पड़े, तभी
बाहर जाता हूँ वरना घर पर ही रह कर पढ़ाई करना या टीवी देखना ही मुझे पसंद है.
जैसा
कि मैंने बताया उस टाइम सोनी अपने बीएससी लास्ट ईयर में थी, वो भी अपनी पढ़ाई पे खूब
ध्यान देती थी. उसे और आगे तक पढ़ना था, पर
घर पे उसकी शादी की बातें शुरू हो गई थीं. शुरू से ही सोनी मुझे बहुत अच्छी लगती
थी, लेकिन धीरे धीरे ना जाने कब
मेरे अन्दर उसके लिए सेक्स की सारी फीलिंग्स आ गईं, मुझे खुद मालूम नहीं पड़ा.
मैं हमेशा उसके जिस्म को याद करके गरम हो जाता था और ना चाहते हुए भी उसको चोदने
का विचार मुझे हमेशा से आता रहता था. ना जाने कितनी बार मैंने उसके नाम की मुठ भी
मारी थी. मैंने बहुत कोशिश की कि उसके लिए ऐसा न सोचूँ, पर वो थी कि मेरे दिमाग़ से
उतरती ही नहीं थी.
उसको
लेकर मैं चाह कर भी कुछ नहीं कर सकता था क्योंकि मैंने जैसा पहले ही आपको बताया कि
मेरी मम्मी बहुत सख्त थीं और मम्मी और भाई हमेशा हम दोनों के आजू बाजू होते थे. सो
कुछ करना तो दूर, मैं
उसके साथ कुछ करने के बारे में सोच भी नहीं सकता था.
मम्मी
के नियम कड़क होने की वजह से सोनी घर में भी हम भाइयों से ज़्यादा बातें नहीं करती
थी, बस कोई काम हो तो ठीक. वरना
पूरे दिन अपने काम में लगी रहती थी.
अब
ऐसे में मेरे लिए कुछ भी सोच पाना बहुत मुश्किल हो चुका था. मैं ऐसा क्या करूँ
मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा था.
अब
तक उसके जिस्म के लिए मैं इतना पागल हो चुका था कि मेरा एक एक दिन बड़ी मुश्किल से
कट रहा था. कॉलेज में जब किसी कपल को साथ घूमते देखता था, तब तो मेरे जिस्म में एक आग
जैसी लग जाती थी.
रात
को भी सोनी ओर मम्मी एक रूम में सोते थे. मैं और मेरा भाई एक कमरे में और पापा हॉल
में सोते थे. इसलिए रात में भी कुछ करने की सोच पाना मुश्किल था.
खैर
दिन इसी तरह से बीते जा रहे थे और मैं था, जो
कुछ नहीं कर पा रहा था. पर शायद किसी ने सच ही कहा है ऊपर वाला जब देता है तो
छप्पर फाड़ के देता है.
एक
दिन मैं यूं ही बैठ कर टीवी देख रहा था, मेरा
छोटा भाई दूसरे रूम में बैठ कर वीडियो गेम खेल रहा था. इस वक्त मेरी मम्मी और सोनी
किचन में काम कर रही थीं. टाइम रात के यही कोई 8 बजे होंगे.
टीवी
देखते-देखते मुझे प्यास लगी और मैंने सोनी को आवाज़ लगा कर पानी माँगा. सोनी काम
कर रही थी तो उसने कहा कि हां बस ला रही हूँ थोड़ी देर में.
पर
मैं न जाने क्यों उतने में गुस्सा हो गया और ज़ोर से चिल्ला कर बोला कि जल्दी से
पानी दे.
इसलिए
वो जल्दी जल्दी पानी लेकर आई. मैं उसे देख कर शॉक रह गया क्योंकि उस टाइम उसके ऊपर
उसका दुपट्टा नहीं था. वो मुझे पानी देकर तुरंत किचन में भाग गई. पर मम्मी ने ये
देख लिया था कि दुपट्टा के बिना मेरे सामने चली गई थी, इसलिए मम्मी उस पर आग-बबूला
होने लगीं और गुस्से में उसे बहुत कुछ सुना दिया.
ये
सब देख कर मुझे भी अफ़सोस हुआ. पर मैं कर भी क्या सकता था. मुझे ज़्यादा खराब तो
तब लगा, जब
मैंने सोनी की आँखों में आँसू देखे.
खैर..
उस दिन रात को खाने के बाद मैंने सोनी को सॉरी कहा, पर सोनी ने कोई जवाब नहीं
दिया और नजरें झुका कर वो अपने रूम में सोने चली गई.
उस
दिन पूरी रात मुझे नींद नहीं आई और सोनी का वो मासूम चेहरा मेरी नज़रों के सामने
घूमता रहा.
अगली
सुबह जब हम तीनों भाई बहन कॉलेज जाने के लिए उठे, तो सोनी मुझे ब्रश करती हुई
बाल्कनी में दिखी. मैंने सोचा कल इसे मेरी वजह से डांट पड़ी है तो क्यों ना आज इसे
बाहर कुछ अच्छा सा खिला कर खुश कर दिया जाए. यही सोच कर मैं उसके करीब गया और धीरे
से उससे बोला- सोनी, मैं
जानता हूँ कि तुमने कल के लिए मुझे अभी तक माफ़ नहीं किया है, इसलिए आज दोपहर को 2 बजे मैं तुम्हें तुम्हारे
कॉलेज के बाहर मिलूँगा, फिर
हम लंच करने किसी अच्छे से होटल में जाएँगे.
सोनी
ने ये सुन कर कुछ जबाव नहीं दिया और वहां से चली गई.
मैं
सोच में था कि मेरी बहन 2 बजे
आएगी भी या नहीं?
खैर..
मैं तैयार होकर जब घर से निकल कर जूते पहन रहा था तभी सोनी मेरे पास आई और उसने
मुझसे धीरे से कहा- नवीन, अगर
मम्मी को पता लग गया कि हम कॉलेज बंक करके बाहर घूमने गए थे, तो हमारी खैर नहीं.
मैंने
कहा- तुम टेंशन मत लो, हम
कौन सा रोज रोज क्लास बंक कर रहे हैं. बस एक दिन की ही तो बात है, कुछ पता नहीं चलेगा. मैं 2 बजे तुम्हारे कॉलेज के गेट
पर आऊँगा, तुम
तैयार रहना!
इतना
कह कर मैंने उसे बाय कहा और वहां से निकल पड़ा.
दोस्तो, यही वो पल था, जहां से पहली बार मेरे और
मेरी बहन सोनी के रिश्ते ने कुछ अलग रास्ते को पकड़ लिया था.
मैं
कॉलेज में जाकर बेसब्री से 2 बजने
का इंतज़ार कर रहा था. जैसे ही 2 बजे
में फटाफट बाइक ले कर भागा और सोनी के कॉलेज के गेट के आगे जाकर खड़ा हो गया.
थोड़ी देर इंतज़ार करने के बाद मुझे लगा कि शायद सोनी नहीं आने वाली है.
मैं
निराश मन से बाइक स्टार्ट करके जाने की सोच ही रहा था कि उतने में सोनी अपनी एक
फ्रेंड के साथ आई. उसकी फ्रेंड भी दिखने में एकदम मस्त थी, पर पता नहीं क्यों उस दिन
मुझे अपनी बहन के अलावा दूसरी कोई लड़की अच्छी ही नहीं लग रही थी.
पता
नहीं सोनी सच मैं ज़्यादा अच्छी लग रही थी या फिर मेरे सर पे उसका भूत चढ़ा हुआ था.
मेरी
बहन ने अपनी फ्रेंड से मेरा परिचय करवाया और फिर मैं और सोनी बाइक पर बैठ कर होटल
की तरफ निकल गए. आज सोनी ने रेड कलर की ड्रेस पहनी हुई थी और सच पूछो तो मेरा दिल
इतने ज़ोर से धड़क रहा था कि मैं बयान नहीं कर सकता. उसके परफ्यूम की खुशबू मुझे
पागल बना रही थी.
जैसे
तैसे मैंने अपने आपको कंट्रोल किया और हम होटल पहुँच गए. वहां जा कर हमने खाना
ऑर्डर किया और खाते खाते बातें करने लगे.
उस
दिन मेरी बहन थोड़ा खुल कर बातें कर रही थी. ऐसा लग रहा था जैसे कोई परिंदा पिंजरे
से आज़ाद हो गया हो. मुझे ये देख कर बहुत ही अच्छा लग रहा था.
मैंने
कहा- सोनी, तुम
इस तरह से खुल के बातें करती हो, तो
कितनी प्यारी लगती हो. फिर घर पर इस तरह से डरी डरी और चुपचाप क्यों रहती हो?
दो
मिनट नीचे देखने के बाद उसने कहा- नवीन मैं भी खुल कर रहना चाहती हूँ, पर मम्मी के नियम और सोसाइटी
में लोगों की सोच की वजह से मुझे दब कर रहना पड़ता है.
फिर
दूसरे ही पल उसने टॉपिक चेंज कर दिया और हम यहां वहां की बातें करने लगे. लंच खत्म
होने के बाद मैंने उसे उसके कॉलेज ड्रॉप किया और खुद अपने कॉलेज जाने के लिए निकला, तभी उसने मुझे पीछे से
आवाज़ लगाई.
मैं
रुका, तो
वो मेरे पास आई और मुझे थैंक्स बोल कर कहा कि नवीन प्लीज़ ये बात घर पर किसी को मत
बताना वरना तुम तो जानते हो ना.. मम्मी का नेचर..!
मैंने
उसका हाथ अपने हाथ में पकड़ के बोला- तुम टेंशन मत लो, मैं किसी से कुछ नहीं
कहूँगा प्रॉमिस.
अब
वो थोड़ा खुश हुई और बाय बोल कर चली गई. मुझे भी उस दिन बहुत अच्छा लगा.
शाम
को जब हम घर पर डिनर कर रहे थे, तब
मेरी बहन मेरे सामने वाली चेयर पर बैठी थी. यूं ही खाना खाते खाते हमारी नजरें एक
दूसरे से टकरा गईं और हमने एक दूसरे को स्माइल पास कर दी.
अब
मुझे लगने लगा था कि शायद मैं जो अपनी बहन से चाहता हूँ, वो मुझे जल्दी ही मिलने
वाला है. सुबह जो हम होटल में गए थे एक साथ खाने, वो सोच सोच कर तो मैं और भी
ज़्यादा खुश हो रहा था.
अब
हम इसी तरह से हर 3-4 दिन
पर बाहर मिलने लगे और टाइम स्पेंड करने लगे. घर पर ये बात किसी को पता नहीं थी कि
हम इस तरह से बाहर मिलते हैं.
शुरू
शुरू में तो सोनी जरा डरती थी कि इस तरह कॉलेज में लेक्चर बंक करके मेरे साथ घूमने
में खतरा है, पर
धीरे-धीरे उसका भी डर निकल गया और हम भाई बहन इसी तरह से मिलने लगे.
सोनी
दिन पे दिन मुझे खूबसूरत लगने लगी थी. मैं तो जैसे भूल ही गया था कि वो मेरी
गर्लफ्रेंड नहीं, मेरी
बहन है. इस तरह से सोनी भी पहली बार किसी लड़के के साथ इतना घूमने फिरने लगी थी.
अब
तो हमारे बीच मज़ाक मस्ती भी खूब होती थी. कभी वो मुझे मस्ती में मार देती तो कभी
मैं मस्ती में उसके जिस्म में हाथ फिरा लेता था. अब मेरे लिए वक़्त आ गया था कि
मैं कुछ आगे बढूँ.. पर मैं किसी भी प्रकार का रिस्क नहीं लेना चाहता था. मेरा मन
था कि भले ये दो महीने लेट पटे, पर
जब पटे तब मुझे खुश कर दे.
एक
दिन यूं ही हमारी सन्डे की छुट्टी थी तो पापा ने कहा- जाओ बेटा, तुम तीनों घूम आओ, उधर मेला लगा है थोड़ा
एंजाय भी कर लोगे.
मैं
तो बहुत खुश हुआ, पर
मम्मी ने कहा कि रात के 10 बजे
से पहले घर पे आ जाना वरना खैर नहीं और हां, सोनी
का ध्यान रखना.
मैं
तो खुश हो गया और हम तीनों भाई बहन रेडी हो गए.
मेरी
बहन ने उस दिन ग्रीन कलर का ड्रेस पहना था. उसकी ड्रेस उसकी बॉडी से थोड़ी सी फिट
थी और उस फिटिंग ड्रेस में वो क़यामत लग रही थी. उसकी चुचियां और गांड का शेप देख
कर तो मन कर रहा था कि बस उस पर अपना हाथ फिराता ही रहूँ.
खैर
जाने के लिए मैंने बाइक निकाली और बाइक पर मेरे पीछे मेरा भाई आकर बैठ गया. मेरा
तो खून एक जगह रुक गया. क्योंकि मैं सोनी को एक्सपेक्ट कर रहा था. पर मैं कुछ बोल
भी नहीं सकता था वरना उसे शक़ हो जाता.
तभी
खुद सोनी ने भाई से कहा- मुझे बीच में बैठने दे क्योंकि मैं लड़की हूँ, पीछे बैठने में मुझे डर
लगता है कि कहीं गिर ना जाऊं.
मेरा
भाई पीछे सरक गया. अब बाइक पर सबसे आगे में था, मेरे पीछे सोनी और उसके
पीछे मेरा छोटा भाई.
एक
बाइक पर तीन लोग होने की वजह से सोनी मुझसे एकदम चिपक कर बैठी थी जिससे कि मेरा
लंड तो तुरंत खड़ा हो गया. उसकी गरम साँसें मेरे गले पे मुझे महसूस हो रही थीं जो
मुझे पागल बना रही थीं. उसकी सेव के जैसी टाइट चुचियां मेरी पीठ पर दब रही थीं.
मैं तो बस जैसे कि स्वर्ग में पहुँच गया था.
इसी
तरह हम मेले में पहुँचे, वहां
काफ़ी भीड़ थी और तरह तरह के झूले लगे हुए थे. सोनी तो जैसे ख़ुशी से पागल हो उठी
थी. हम अन्दर गए और यहां वहां घूमने लगे. भीड़ ज़्यादा होने की वजह से सोनी ने
मेरा हाथ पकड़ रखा था.
इसी
तरह घूमते घूमते हम एक झूले की तरफ गए. मैंने सोनी से पूछा- सोनी, चलो झूले पे चलते हैं.
वो
कुछ बोले, उससे
पहले मेरे भाई ने कहा- हां हां चलो, मुझे
तो झूला झूलना है.
मैंने
तीन टिकट लीं और हम झूले की तरफ बढे.
अब
जैसा कि मैंने आपको बताया कि वहां भीड़ ज़्यादा थी, इसलिए झूले पर बैठने के लिए
हमें लाइन में खड़े होना पड़ा. लाइन में सबसे आगे मेरा छोटा भाई खड़ा था, उसके पीछे सोनी और सोनी के
पीछे में था. भीड़ ज़्यादा होने की वजह से हम चिपक चिपक कर खड़े थे, मुझे तो सोनी के जिस्म की
गर्मी मदहोश कर रही थी. मेरा एक हाथ हल्का सा उसकी गांड पे टच हो रहा था. इसे सोनी
ने कुछ माइंड नहीं किया… पर
मुझसे कंट्रोल करना अब मुश्किल हो गया था. मैंने ज़ोर से अपने हाथ से अपनी बहन
की गांड को पकड़ के मसल दिया.
उसने
झट से मेरी और देखा और बोली- ये क्या कर रहे हो तुम?
मैं
कुछ बोलता, उससे
पहले ही हमारा नंबर आ गया और हम दोनों एक साथ एक झूले पे बैठ गए. मेरा छोटा भाई
किसी और के साथ बैठ गया था. जब झूला चालू हुआ तो सोनी ने मुझसे कहा- नवीन, तुझे शर्म नहीं आई अपनी
बड़ी बहन के साथ ऐसा करते हुए? मैं
तो तुझे अपने भाई के साथ साथ अपना एक बहुत अच्छा दोस्त समझने लगी थी, पर तूने तो सब पे पानी फेर
दिया.
मैं
अपनी इस हरकत पर शर्मिंदा था और बुत बन कर उसकी बातें सुन रहा था.
उसने
आगे जारी रखते हुए कहा- अगर ये बात घर में पता चल जाए ना, तो मम्मी पापा तुझे मार मार
के घर से निकाल देंगे. हालांकि मैं ऐसा कुछ नहीं करूँगी, पर तेरी सज़ा ये है कि आज
के बाद मुझसे कभी बात करने की कोशिश भी मत करना आई हेट यू.. भाई के नाम पर धब्बा
है तू.
मैं
भी थोड़ा भावुक हो गया था और मैंने उससे सॉरी कहा, पर उसने मेरी कोई बात नहीं
सुनी.
तब
तक झूला रुक गया और हम उतर कर बाहर आ गए. पीछे से मेरा छोटा भाई भी आया और बोला-
चलो भैया, उस
दूसरे वाले झूले पर चलते हैं.
इतने
में सोनी ने गुस्से से मेरी तरफ देखा और बोली- मुझे कहीं नहीं जाना, मुझे चक्कर आ रहे हैं, घर चलो.
मेरे
छोटे भाई ने उसकी आँखों में आँसू देख कर कहा- दीदी, आप रो क्यों रही हो?
वो
कुछ बोलती उससे पहले मैंने बोल दिया कि दीदी को चक्कर आ रहा है इसकी वजह से.
हम
वहां से घर आ गए. हर आकर भी सोनी मुझसे बात नहीं कर रही थी. मैंने भी ज़्यादा
फोर्स करना सही नहीं समझा क्योंकि मुझे डर था कि कहीं घर पे ये बात किसी को मालूम
ना पड़ जाए.
उसके
बाद मेरी बहन सोनी ने मुझसे जैसे नाता ही तोड़ दिया हो, बातें करना तो दूर उसने
मेरी तरफ देखना भी बंद कर दिया था. इसलिए मैं बहुत अकेला पड़ गया था.
एक
दिन रात में दस बजे मैं कमरे में बैठा था, मेरा
छोटा भाई सो गया था. मुझे सोनी की याद आ रही थी और मैं रो रहा था. तभी अचानक किसी
ने रूम का दरवाजा खटखटाया. मैंने अपने आपको थोड़ा ठीक किया और दरवाजा खोला तो
सामने सोनी हाथ में पानी की बोतल ले कर खड़ी थी. उसने रूम में आकर पानी की बॉटल
रखी और जाने लगी कि तभी उसकी नज़र मेरे पे पड़ी. उसे शायद मालूम पड़ गया था कि मैं
रो रहा हूँ.
उसने
जाते जाते मुझे इनडायरेक्ट्ली बस इतना कहा कि कुछ ग़लतियों की कोई माफी नहीं होती.
वो
इतना कह कर वहां से चली गई.
अगले
दिन मैंने ठान लिया था कि आज चाहे जो भी हो, मैं
उससे माफी लेकर ही रहूँगा.
सुबह
कॉलेज की ओर निकलते टाइम मैंने उससे कहा कि सोनी मैं आज 2 बजे तुझे कॉलेज से लेने
आऊंगा, अगर
तू नहीं आई तो सबके सामने से आकर तुझे ले जाऊंगा.. फिर मुझे मत बोलना.
इतना
कह कर मैं चला गया. जब 2 बजे
मैं उसके कॉलेज के गेट के पास पहुँचा, तो
वो वहां पर पहले से ही खड़ी थी.
मेरे
जाते ही उसने अपना मुँह घुमा लिया.
मैंने
कहा- चल बैठ बाइक पे.
तो
उसने कहा- नहीं, जो
बोलना है इधर ही बोल.
मैंने
कहा- चुपचाप बैठ जा, वरना
यहीं बवाल करने लगूंगा, आज
मेरा दिमाग़ बहुत खराब हो गया है.
उसने
दो मिनट कुछ सोचा और बाइक पे बैठ गई. मैं उसे बैठा कर सीधा एक गार्डन में ले गया.
गार्डन
में पहुँच कर उसने गुस्से से मुझे एक जोरदार तमाचा मारा और बोली- तू समझता क्या है
अपने आपको? पहले
खुद ग़लती करता है फिर मुझे धमकी देता है?
मैं-
ऐसा नहीं है, पर
तू कम से कम एक बार मेरी बात तो सुन ले, फिर
चाहे जो करना होगा कर लेना!
सोनी-
नहीं सुननी मुझे तेरी कोई बात.. और अगर अब आइन्दा मेरे पीछे आया तो ये बात घर पे
भी बता दूँगी.
मैं-
पहले मेरी बात सुन ले फिर जिसे बताना है बता देना.
सोनी-
मुझे कुछ नहीं सुनना.. हट मेरा रास्ता छोड़.
मैं-
मतलब तू मुझे माफ़ नहीं करने वाली है? ठीक
है तो अगर तू आज यहां से मुझे माफ़ किए बिना चली गई तो मैं तेरी कसम खा के बोलता
हूँ कि आज मैं अपनी जान दे दूँगा.
सोनी
रोते हुए बोली- ठीक है बोल?
मैं-
सोनी, देख
अगर तुझे मैं ग़लत लगता हूँ तो ऐसा ही सही, पर
मेरी एक बात सुन ले, मैं
तुझसे बहुत प्यार करने लगा हूँ और तेरे बिना मुझे कहीं अच्छा नहीं लगता. मैं जानता
हूँ कि तू मेरी बहन है, पर
ना चाहते हुए भी मैं तुझे नहीं भूल सकता. तू चाहे तो मेरी जान ले ले, पर मैं तेरे बिना नहीं रह
सकता.. आई लव यू!
सोनी-
नवीन तू पागल हो गया है क्या..! तुझे पता भी है कि तू क्या बोल रहा है? ऐसा नहीं हो सकता ऐसा सोचना
भी पाप है. मुझे तो तुझे अपना भाई कहने में शरम आती है.
मैं-
तो ठीक है, आज
के बाद मैं भी तुझे अपनी शक्ल नहीं दिखाऊंगा. आज मैं पक्का अपने आपको कुछ कर लूँगा.
इतना
बोल मैंने गुस्से में बाइक चालू की और फुल स्पीड में जाने लगा. सोनी घबरा गई और
उसने मुझे पीछे से आवाज़ भी दी, पर
मैं नहीं रुका और फुल स्पीड से जाने लगा कि तभी रास्ते में एक कुत्ता आ गया और उसे
बचाने के चक्कर में मैं बाइक लेकर जोरदार तरीके से फिसल गया.
जब आँख खुली तो अपने आपको घर में बेड पे पाया. सामने मम्मी खड़ी थीं, वे ज़ोर ज़ोर से रो रही थीं.
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