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कमसिन भांजी की सील मामा ने तोड़ी - bhanji ki seal todi mama ne

कमसिन भांजी की सील मामा ने तोड़ी

अभी नई-नई जवानी जो चढ़ी है मुझ पर। मेरी उम्र अभी 20 साल है. मेरे जीवन में अभी कुछ महीने पहले एक खूबसूरत हादसा हुआ। दिसम्बर महीने की वो रात आज भी मुझे याद आती है तो मेरी फुदकन गिलहरी मस्ती में उछल पड़ती है। मेरे मामा के लड़के की शादी थी और मैं गांव में गई हुई थी शादी के मज़े लेने के लिए। आप यह मत कहना कि मैं अपने मुँह मिया मिटठू बन रही हू पर यह शत प्रतिशत सच है कि शादी में आई सभी लड़कियों में मैं सबसे ज्यादा खूबसूरत और देखने में सेक्सी थी।

 

मेरे उरोज हिमालय की पहाड़ियों का एहसास देते हैं, नितम्ब (गाण्ड) तो इतनी मस्त है कि जैसे दो मुलायम गद्दे जोड़ दिए हों। लोग मेरे चेहरे की तुलना दिव्या भारती नाम की एक पुरानी फिल्म हिरोइन से करते हैं। शादी की मस्ती जारी थी, नाच गाना हँसी-मज़ाक चल रहा था। मैं तीन दिन पहले ही आ गई थी इसलिए सबसे घुलमिल गई थी। मामा का लड़का रवि जिसकी शादी थी वो तो हर बात में मेरी सलाह ले रहा था। इसका एक कारण तो यह था कि मैं शहर से आई तो और कुछ हद तक मॉडर्न थी।

 

मेरी पसंद भी बेहद अच्छी है। पर शादी में एक शख्स ऐसा भी था जिसकी तरफ मेरा ध्यान नहीं था पर वो मुझे हर वक्त ताकता रहता था। अपनी आँखों से मेरी चढ़ती जवानी और मेरे उभार को निहार-निहार कर आपनी आँखों की प्यास बुझाता रहता था, या यूँ कहें कि प्यास बढ़ा रहा था। आखिर शादी हो गई और अब बारी थी सुहागरात की। शादी में मेरी दोस्ती शादी में आई एक लड़की रेशमा से हो गई थी। मैंने रेशमा से पूछा- यह सुहागरात में क्या होता है? तो उसने आपने आँखें नचाते हुए कहा,"मेरी जान राधा रानी ! सुहागरात मतलब सारी रात ढेर सारी मस्ती !" "मस्ती?" मैंने उत्सुकतावश पूछा। "हाँ मस्ती ! सुहागरात पर दूल्हा दुल्हन की सील तोड़ता है फिर दोनों के जिस्म एक दूसरे से मिल जाते हैं और फिर शुरू होती है मस्ती !"

 

रेशमा ने अपने शब्दों में मेरे सवाल का जवाब दिया। पर इस जवाब ने मेरे दिल में एक अजीब सी बेचैनी बढ़ा दी कि आखिर दूल्हा सील कैसे तोड़ता है ? मेरा दिल बेचैन हो गया। जैसे-जैसे रात नजदीक आ रही थी, मेरे दिल की धड़कन बढ़ती जा रही थी। फूल वाला आया और रवि का कमरा फूलों से सजा कर चला गया। तभी मेरी आँखों में फिल्मो का सुहागरात वाला सीन घूम गया। मेरा दिल अब करने लगा कि देखना चाहिए आखिर यह सुहागरात होती कैसी है? कैसे इसे मनाते हैं? मामा के घर के हर कोने से अब तक मैं वाकिफ हो चुकी थी। जो कमरा रवि को दिया गया था उसकी एक खिड़की बाहर खुलती थी पर उस खिड़की से सुहागरात देखना खतरे से खाली नहीं था, कोई भी आ सकता था।

 

मैं बेचैन सी कोई सुराख दूंढ रही थी जिसमें से सुहागरात देखी जा सके पर कोई रास्ता नहीं मिला। रात को करीब दस बजे दुल्हन को रवि के कमरे में छोड़ने रवि की भाभियाँ गई तो दिल की बेचैनी और बढ़ गई क्योंकि अभी तक कोई सुराख नहीं मिला था। एक बार तो दिल किया कि जाकर रवि के कमरे में छुप जाती हूँ पर यह भी मुमकिन नहीं था। आखिर दुल्हन को कमरे में भेज कर भाभियाँ हँसती हुई वापिस आ गई। आते ही बड़ी भाभी बोली,"रवि का बहुत मोटा है, आज तो दुल्हन की चूत का बाजा बज जायेगा।" तो छोटी बोली,"तुमने कब देखा?" बड़ी ने जवाब दिया,"अरी कितनी बार तो देख चुकी हूँ उसे पेशाब करते और एक बार तो वो करते भी देखा है !"

 

छोटी ने उत्सुकता से पूछा,"किसके साथ?" बड़ी हंस पड़ी और बोली,"वो है ना अपने नौकर शम्भू की बेटी माया ! उसी को चोद रहा था एक दिन पिछले जानवरों वाले कमरे में !" फिर तो उनके बीच लण्ड चूत की बातें शुरू हो गई जिसके कारण मेरी भी चूत पानी-पानी हो उठी। सब बातों में लगे हुए थे। मैंने मौका देखा कर सुराख ढूँढने का एक और प्रयास करने का सोचा और बाहर आकर कर खिड़की की तरफ चल पड़ी। बाहर कोई नहीं था। मैं खिड़की के पास पहुँची और मैंने खिड़की को खोलने की हल्की सी कोशिश की तो मेरे भाग्य ने मेरा साथ दिया और खिड़की खुल गई।

शायद रवि उसे बंद करना भूल गया था। अंदर का नज़ारा देखते ही मेरा दिमाग सन्न रह गया। रवि अपने कपड़े उतार रहा था और दुल्हन जिसका नाम रेनू था बिलकुल नंगी बेड पर अपनी आँखें बंद किये पड़ी थी। जब रवि ने आपने सारे कपड़े उतार दिए और बेड की तरफ बढ़ा तो मेरी नज़र उसके हथियार यानि लण्ड देवता पर पड़ी। इतना बड़ा और मोटा लंड मैं अपनी जिन्दगी में पहले बार देख रही थी। रवि का कम से कम 9 इंच लंबा तो जरुर होगा और मोटा भी बहुत था। वो काला नाग बिलकुल तन कर खड़ा था। सुहागरात शुरू हो चुकी थी। रवि अब रेनू के बराबर में लेटा हुआ था और रेनू के उरोजों को सहला रहा था। रेनू की चूचियाँ भी बड़ी-बड़ी थी और देखने में बहुत सुन्दर लग रही थी। रेनू का एक हाथ अब रवि के मोटे लण्ड को सहला रहा था। चूमा-चाटी के बाद रवि ने रेनू की टाँगें ऊपर की तो मुझे रेनू की चूत नज़र आई। रेनू की चूत पर एक भी बाल नहीं था। मेरा हाथ अपने आप मेरी चूत पर चला गया क्योंकि मेरी चूत पर तो बाल थे।

 

रवि ने रेनू की टाँगे अपने कंधों पर रखी और अपना मोटा लण्ड रेनू की चूत पर सटा दिया। मैं यह सब देखने में मस्त थी कि तभी मुझे मेरे कंधो पर किसी का हाथ महसूस हुआ जो मेरे कंधे सहला रहा था। मैं चौंक गई। मैंने मुड़ कर देखा तो अँधेरे में वो पहचान में नहीं आया। पर वो था कोई बलिष्ट शरीर का मालिक। उसके हाथ के स्पर्श में मर्दानगी स्पष्ट नज़र आ रही थी। मैंने उसका हाथ हटा कर वहाँ से भागने की कोशिश की तो उसने मुझे कमर से पकड़ लिया और मेरी एक चूची को पकड़ कर मसल दिया।

 

मैं दर्द के मारे कसमसाई पर डर के मारे मेरी आवाज नहीं निकल रही थी क्योंकि आवाज निकलने का मतलब था कि मेरी चोरी पकड़ी जाती। मैं पुरजोर उससे छूटने का प्रयास करती रही। पर जितना मैं छूटने का प्रयास करती उतना ही उसके हाथ मेरे शरीर के अंदरूनी अंगों की तरफ बढ़ते जा रहे थे।

 

अब तो उसके हाथ का स्पर्श मेरे शरीर में एक आग सी लगाता महसूस हो रहा था। ना जाने क्यों अब मुझे भी उसके हाथ का स्पर्श अच्छा लगने लगा था। मेरा प्रतिरोध पहले से बहुत कम हो गया था। अब उसके हाथ बहुत सहूलियत के साथ मेरे शरीर के अंगों को सहला रहे थे। अचानक उसने मुझे अपनी ओर घुमाया और अपने होंठ मेरे कोमल गुलाब की पंखुड़ियों जैसे होंठो पर रख दिए। उसकी बड़ी बड़ी मूछें थी। पर वो बहुत अछे तरीके से मेरे होंठों की चुसाई कर रहा था।

 

अब वो मुझे खींच कर खिड़की की तरफ ले गया और मेरा मुँह खिड़की की तरफ करके पीछे से मेरी चूचियाँ मसलने लगा साथ साथ उसका एक हाथ मेरी जाँघों को भी सहला रहा था। मेरी चूत पानी छोड़ने लगी थी। पहली बार मेरा दिल कुछ ऐसा कर रहा था कि मैं कोई चीज़ अपनी प्यारी चूत में घुसेड़ लूँ। मेरी आँखे बंद हो गई थी कि तभी कमरे में उठी सीत्कार ने मेरी आँखे खोली तो देखा कि रवि का वो मोटा लण्ड अब रेनू की नाजुक और छोटी सी दिखने वाली चूत में जड़ तक घुसा हुआ था और अब रवि उसे आराम आराम से अंदर-बाहर कर रहा था और रेनू तकिये को मजबूती से अपने हाथों में पकड़े और अपने होंठ दबाये उसके लण्ड का अपनी चूत में स्वागत कर रही थी।

धीरे धीरे रवि के धक्के जोर पकड़ने लगे और रेनू और जोर जोर से सीत्कार करने लगी। बाहर उस आदमी का हाथ अब मेरी चूत तक पहुँच चुका था और उसकी एक अंगुली अब मेरी चूत के दाने को सहला रही थी जिस कारण मेरी चूत के अंदर एक ज्वार-भाटा सा उठने लगा था। उसने अपनी अंगुली मेरी चूत में अंदर करने की कोशिश भी की पर मेरी चूत अब तक बिलकुल कोरी थी क्योंकि अभी तक तो मैंने भी कभी अपनी चूत में अंगुली डालने की कोशिश तक नहीं की थी। उसकी अंगुली से मुझे दर्द सा हुआ तो मैंने उसका हाथ पकड़ लिया तो उसने भी अंगुली अंदर डालने का इरादा छोड़ दिया और वो ऐसे ही चूत के दाने को सहलाता रहा। अंदर की चुदाई देख कर और अंगुली की मस्ती ने अपना रंग दिखाया और मेरा बदन अब अकड़ने लगा। इससे पहले कि मैं कुछ समझती मेरी चूत में झनझनाहट सी हुई और फिर मेरी चूत से कुछ निकलता हुआ सा महसूस हुआ। मेरा हाथ नीचे गया तो मेरी चूत बिलकुल गीली थी और उसमें से अब भी पानी निकल रहा था।

 

मेरी चूत अपने जीवन का पहला परम-आनन्द महसूस कर चुकी थी। पर वो किसी लण्ड से नहीं बल्कि एक अजनबी की अंगुली से हुआ था। मेरा शरीर अब ढीला पड़ चुका था और मुझ से अब खड़ा भी नहीं हुआ जा रहा था।

तभी दरवाज़ा खुलने की आवाज आई और उसकी पकड़ थोड़ी ढीली हुई तो मैं एकदम उसकी पकड़ से आज़ाद हो कर जल्दी से अंदर की तरफ भागी। भागते हुए मेरी शॉल जो मैंने ठण्ड से बचने के लिये ओढ़ रखी थी, वो बाहर ही गिर गई। मैं जल्दी से जाकर अपनी रजाई में घुस गई। कमरे में सब सो चुके थे। तभी मुझे अपनी शॉल याद आई। पहले तो सोचा कि सुबह ले लूंगी पर फिर सोचा अगर मेरी शॉल किसी ने रवि के कमरे की खिड़की के नीचे देख ली तो भांडा फूटने का डर था।

 

मैं उठी और बाहर जाने के लिये दरवाज़ा खोला तो देखा वो अब भी रवि की खिड़की के पास खड़ा था। मैंने उस चेहरे को पहचानने की कोशिश की पर पहचान नहीं पा रही थी क्योंकि उसने कम्बल ओढ़ रखा था। वो अब रवि की खिड़की के थोड़ा और नजदीक आया तो कमरे से आती नाईट बल्ब की रोशनी में मुझे उसका चेहरा दिखाई दिया। मैं सन्न रह गई। ये तो मेरे मामा यानि रवि के पापा रोशन लाल थे। तो क्या वो मेरे मामा थे जो कुछ देर पहले मेरे जवान जिस्म के साथ खेल रहे थे। सोचते ही मेरे अंदर एक अजीब सा रोमांच भर गया।

 

मेरी शॉल लेने जाने की हिम्मत नहीं हो रही थी पर वो लेनी भी जरुरी था। डर भी लग रहा था कि कहीं वो दुबारा ना मुझे पकड़ कर मसल दे। फिर सोचा अगर मसल भी देंगे तो क्या हुआ, मज़ा भी तो आयेगा। मैं हिम्मत करके वहाँ गई और अपनी शाल उठा कर जैसे ही मुड़ी तो मामा ने मुझे हलके से पुकारा,"राधा !"

 

मेरी तो जैसे साँस ही रुक गई। मेरे कदम एकदम से रुक गए। मामा मेरे नजदीक आए और मेरे कंधे पकड़ कर मुझे अपनी तरफ घुमाया। मेरी कंपकंपी छूट गई। एक तो सर्दी और फिर डर दोनों मिल कर मुझे कंपकंपा रहे थे। मामा ने मेरे चेहरे को अपने बड़े बड़े हाथों में लिया और एक बार फिर मेरे होंठ चूम लिए।

 

फिर बोले,"राधा ! तू बहुत खूबसूरत हैं, तूने तो अपने मामा का दिल लूट लिया है मेरी रानी !"

 

"मुझे छोड़ दो मामा ! कोई आ जाएगा तो बहुत बदनामी होगी आपकी भी और मेरी भी !"

 

मामा ने मुझे एक बार और चूमा और फिर छोड़ दिया। मैं बिना कुछ बोले अपनी शॉल ले कर कमरे में भाग आई। उस सारी रात मैं सो नहीं पाई। मामा की अंगुली का एहसास मुझे बार बार अपनी चूत पर महसूस हो रहा तो और रोमांच भर में चूत पानी छोड़ देती थी। बार बार मन में आ रहा था कि अगर मामा भी वैसे ही अपना लण्ड मेरी चूत में घुसाते जैसे रवि ने रेनू की चूत में घुसाया हुआ था तो कैसा महसूस होता।

 

सुबह सुबह की खुमारी में जब मैं अपने बिस्तर से उठ कर बाहर आई तो सामने मामा जी कुछ लोगों के साथ बैठे थे। मुझे देखते ही उनके चेहरे पर एक मुस्कान सी तैर गई। तभी मेरी मम्मी भी आ गई और वो भी मामा के पास बैठ गई। माँ और मामा आपस में बात करने लगे और मम्मी ने मामा से जाने की इजाजत माँगी तो मामा ने मम्मी को कहा,"राधा को तो कुछ और दिन रहने दो।"

 

मम्मी ने मेरी ओर देखा शायद पूछना चाहती थी कि क्या मैं रुकना चाहती हूँ। अगर दिल की बात कहूँ तो मेरा वापिस जाने का मन नहीं था पर मुझे स्कूल भी तो जाना था। बस इसी लिए मैंने मम्मी को बोला,"नहीं मम्मी मुझे स्कूल भी तो जाना हैं, आगे जब छुट्टियाँ होंगी तो रहने आ जाउंगी।"

 

मामा ने एक भरपूर नज़र मुझे देखा। तभी मम्मी को किसी ने आवाज़ दी और मम्मी उठ कर चली गई। अब मामा के पास सिर्फ मैं रह गई। मैं भी उठकर जाने लगी तो मामा बोले,"राधा रानी, नाराज़ तो नहीं हो अपने मामा से ?"

 

मेरे से जवाब देते नहीं बन रहा था। पर मेरी गर्दन अपने आप ही ना में हिल गई और जुबान ने भी गर्दन का साथ दिया,"नहींनहीं तो मामा जी !" मैंने मामा जीशब्द पर थोड़ा ज्यादा जोर दिया था।

 

"तो रुक जाओ ना !" मामा ने थोड़ा मिन्नत सी करते हुए कहा।

 

"नहीं मामा, मुझे स्कूल भी जाना होता है और रुकने से पढाई का बहुत हर्ज होगा। मैं बाद में छुट्टियों में आ जाउंगी।"

 

"चल जैसी तेरी मर्ज़ी, पर अगर रूकती तो मुझे बहुत अच्छा लगता !"

 

अब हम दोनों रात की बात को लेकर बिलकुल निश्चिन्त थे। ना तो मामा ने और ना ही मैंने रात की बात का जिक्र किया था। पर हम दोनों की ही आँखें रात की मस्ती की खुमारी बाकी थी जो दिल की धड़कन बढ़ा रही थी।

खैर मम्मी और मैं शाम की गाड़ी से वापिस आ गए।

 

घर पहुँच कर मेरा बिल्कुल भी दिल नहीं लग रहा था। पर फिर जब स्कूल आना जाना शुरू हो गया तो सहेलियों के साथ पढ़ने घूमने और गप्पें मारने में मैं वो बात दिन में तो भूल जाती थी पर रात को अपने बिस्तर पर लेटते ही मुझे मामा की याद फिर से सताने लगती। कुछ दिन के बाद मामा का फोन आया। संयोग ही था कि उस समय मैं घर पर अकेली ही थी। मम्मी पड़ोस में गई हुई थी और पापा ऑफिस। मामा की आवाज़ सुनते ही मेरी चूत गीली हो गई। मामा पहले तो ठीक बात करते रहे पर जब उन्हें पता चला कि मैं घर पर अकेली हूँ तो मामा ने बात करने का टॉपिक बदल दिया।

 

"कैसी हो राधा रानी?" राधा बेटी से मामा सीधे राधा रानी पर आ गए।

 

"ठीक हूँ मामा जी।"

 

"मामा की याद आती है राधा रानी?"

 

"आती तो है ! क्यूँ ???"

 

"मुझे तो बहुत याद आती है तुम्हारी…. मेरी जान !"

 

"मामा, अपनी भांजी को जानकह रहे हो ! इरादे तो नेक हैं ना तुम्हारे ?"

 

मामा थोड़ा झेंप गया।

 

"अरी नहीं…. बस उस रात को याद कर कर के दिल में दर्द सा होने लगता है राधा रानी !"

 

"मामा तुम भी ना !"

 

"क्या तुम भी ना?"

 

"मैं नहीं बोलती आप से। आप बहुत बेशर्म हैं।"

 

"अच्छा ऐसा मैंने क्या किया ?"

 

मैंने बात का टॉपिक फिर से बदलते हुए पूछा,"शहर कब आओगे मामा ?"

 

"जब मेरी राधा रानी बुलाएगी तो चले आयेंगे।"

 

"तो आ जाओ, तुम्हें पूरा शहर घुमा कर लाऊंगी।"

 

"चल ठीक है, मैं एक दो दिन में आने का कार्यक्रम बनाता हूँ, पर तू अपना वादा मत भूलना, पूरा शहर घुमाना पड़ेगा।"

 

"ठीक है ….ये लो मम्मी आ गई मम्मी से बात करो।"

 

मम्मी आ गई थी तो मैंने फोन मम्मी को दिया और बाथरूम में चली गई।

 

 

बाथरूम में जाने का एक कारण तो ये था कि मामा से बात करते करते मेरी पेंटी पूरी गीली हो गई थी और चूत भी चुनमुनाने लगी थी। मैं बाथरूम में गई और चूत को सहलाने लगी और तब तक सहलाती रही जब तक उसने पानी नहीं छोड़ दिया। अब तो मुझे मामा के आने का इंतज़ार सा हो गया।

 

मामा चार दिन के बाद आये। आने से पहले उन्होंने पापा को फोन कर दिया था पर मुझे इस बात का पता नहीं था। मेरे लिए तो यह एक सरप्राइज से कम नहीं था। जैसे ही मैं स्कूल से वापिस आई तो घर में घुसते ही सामने मामा बैठे थे। मैं अवाक सी उन्हें देखती रही। तभी मामा ने आगे आकर मुझे गले से लगा लिया और इसी दौरान मेरे कूल्हे को भी स्कर्ट के ऊपर से ही दबा दिया। "मामा पहले बताना तो चाहिए था ना !" मैंने ऊपरी मन से नाराज़ होने का नाटक सा किया।

 

"बस अपनी बेटी से मिलने का दिल किया और और दौड़ते हुए आ गए मिलने के लिए !" मामा ने मुझे आपनी बाहों में अच्छे से जकड़ते हुए कहा।

 

मम्मी मामा का और मेरा प्यार देख कर हँस रही थी। उसे अंदर की खिचड़ी का पता थोड़े ही था। मैंने महसूस किया की मामा के स्पर्श मात्र से मेरी चूत गीली हो गई थी। मैं भाग कर बाथरूम में गई और चूत को सहला दिया।

 

कपड़े बदल कर मैं फिर से मामा के पास आकर बैठ गई। तभी मम्मी को बुलाने पड़ोस की एक औरत आई और मम्मी उससे बात करने के लिए बाहर चली गई। मैं भी उठकर जाने लगी तो मामा ने मेरी बाहँ पकड़ कर अपनी और खींचा तो मैं सीधे मामा की गोद में जाकर गिरी। मुझे अपनी गाण्ड के नीचे कुछ चुभता हुआ सा महसूस हुआ तो मेरा दिमाग एक दम से ठनका कि कहीं यह वही तो नहीं ?? मोटा सा, लंबा सा, रवि के जैसा। सोचते ही मैं फिर से झनझना गई। वो मुझे बहुत कठोर महसूस हो रहा था। मामा ने मेरा मुँह पकड़ा और मेरे नाजुक होंठों पर अपने होंठ रख दिए और मस्त हो चूसने लगे।

 

"मामा तुम्हारी मूछें बहुत गुदगुदी करती हैं।"

 

मेरी बात सुन कर मामा हँस पड़े। मैं अपने को छुड़वाते हुए मामा से अलग हुई तो मामा के पायजामे में तम्बू बना हुआ था। उस तम्बू से उस के अंदर छुपे काले नाग का एहसास मुझे हो गया था। इसे महसूस करके मेरा मन थोड़ा डर भी गया था कि अगर मामा इसे मेरी चूत में घुसाने लगा तो मेरी तो फट ही जायेगी। जिस चूत में अंगुली भी नहीं जाती उसमे इतना मोटा लण्ड कैसे जाएगा भला ???

 

मैं इसी उधेड़बुन में थी कि मामा खड़े होकर मेरे पीछे आ गया और पीछे से मेरी चूचियों को पकड़ कर सहलाने लगे। मामा का लण्ड अब मुझे अपने कूल्हों पर महसूस होने लगा था। तभी मम्मी आ गई और मामा मुझ से दूर होकर सोफे पर बैठ गए। अभी दोपहर के तीन बजे थे, मौसम बहुत सुहाना हो रहा था, मामा बोले "राधा बेटा ! तुम तो कह रही थी कि जब मैं शहर आऊंगा तो तुम मुझे शहर घुमाओगी, अब क्या हुआ ??"

 

मैं मामा के शहर घूमने का मतलब अच्छे से समझ रही थी। मैंने भी हँसते हुए बोला,"आप पापा के साथ घूम आना।"

 

"पर बेटा वादा तो तुमने किया था !"

 

"ठीक है, माँ से पूछ लो अगर वो बोलेगी तो घुमा लाऊंगी।"

मम्मी जो वहीं बैठी थी बोली,"अरी बेटी, घुमा लाओ ! इसमें पूछने वाली क्या बात है? तुम्हारे मामा हैं !"

 

बस फिर देर किस बात की थी। मैं झट से तैयार हो गई। मैंने टॉप स्कर्ट और ठण्ड से बचने के लिए जैकेट पहन लिया। मैंने मामा को अपनी एक्टिवा पर बैठाया और निकल पड़े घूमने।

 

शहर में इधर-उधर घूमते-घूमते मैं मामा को मॉल दिखाने ले गई। वहाँ मूवी भी लगी हुई थी। मामा का मन पसंद एक्टर अभिषेक बच्चन है और वहाँ उसकी फिल्म रावण" लगी हुई थी। मैं मूवी देख चुकी थी और मुझे पता था कि बिल्कुल डिब्बा फिल्म है पर मामा बोले कि उन्हें वही फिल्म देखनी है। सो हम टिकेट लेकर अंदर चले गए। हॉल में एक दो लोग ही बैठे थे बाकि सारा हॉल बिल्कुल खाली था। हम दोनों कोने की एक सीट पर बैठ गए। मुझे मालूम था कि अब क्या होने वाला है।

 

मैंने मम्मी को फ़ोन करके बोल दिया कि मैं मामा के साथ सहारा मॉल में मूवी देख रही हूँ। मम्मी को बताने के बाद मैं निश्चिन्त हो गई। फिल्म शुरू होते ही मामा का हाथ मेरे बदन पर घुमने लगा। आज मैंने ब्रा जानबूझ कर नहीं पहनी थी। जब मामा का हाथ मेरे टॉप पर गया तो मेरी चूचियाँ एकदम से तन गई, चुचूक कड़े हो गए, आँखें बंद हो गई। तभी मामा ने मेरा हाथ पकड़ा और अपनी तरफ खींचा। मुझे कुछ अंदाजा नहीं था कि एकदम से मुझे कुछ गर्म-गर्म सा महसूस हुआ। आँख खोल कर देखा तो वो मामा का मूसल था- आठ इंच लंबा और करीब तीन इंच मोटा लण्ड लोहे की तरह सख्त, सर तान कर खड़ा हुआ। उसे देखते ही मेरी चूत चुनमुना गई। मैंने मामा का लण्ड हाथ में पकड़ लिया और धीरे धीरे सहलाने लगी। मामा का हाथ भी मेरी पेंटी के अंदर घुस कर मेरी चूत का दाना सहला रहा था। मुझे इस बात का एहसास था कि मैं कहाँ हूँ तभी मैंने अपनी आहें अंदर ही दबा ली अगर कहीं और होती तो सीत्कार निकल ही जाती । आसपास कोई नहीं था।

 

मामा बोले "राधा कभी चुदवाया है किसी से?"

 

चुदवाया शब्द सुनते ही दिल धक-धक करने लगा, मुँह से आवाज नहीं निकल रही थी, बस मैंने ना में गर्दन हिला दी। "यानि अभी तक कोरी हो?"

 

"हाँ !"

 

"लण्ड का मज़ा लोगी ?"

 

अब मैं क्या कहती कि नहीं लूँगी। अगर लण्ड का मज़ा नहीं लेना होता तो क्या मैं ऐसे उसका लण्ड सहला रही होती और उसे अपनी चूत सहलाने दे रही होती। ये गांव के लोग भी ना बहुत भोले होते है पर इनका लण्ड सच में कमाल होता है।

 

"यहाँ पर नहीं, घर पर चलते हैं ना !"

 

"पर घर पर तो सभी होंगे ?"

 

"आप चिंता ना करें, रात को जब सब सो जायेंगे तो मैं आपके कमरे में आ जाउंगी !"

 

"सच?"

 

"हुं "

 

"चलो ठीक है !" कहते हुए मामा ने मुझे एक बार फिर चूम लिया ।

 

तय कार्यक्रम के मुताबिक़ मैं रात को 11 बजे उनके कमरे में पहुँच गई। कमरे में पहुँचते ही मामा ने दरवाज़ा बंद किया और मुझे गोद में उठा कर बिस्तर पर लिटा दिया। मामा ने अपने कपड़े उतारने शुरू कर दिए। मैं बेड पर लेटी हुई मामा को देख रही थी। जब मामा ने अपना कुरता उतारा तो मामा की बालों से भरी मर्दाना छाती देख कर ही मस्त हो उठी। मेरे दिल में अब गुदगुदी होने लगी थी यह सोच कर कि कुछ देर के बाद मेरी चूत भी लण्ड का मज़ा लेने वाली है। मामा ने अपने सारे कपड़े उतार दिए, अब सिर्फ एक कच्छा ही मामा के शरीर पर रह गया था।

 

मामा मेरे पास आये और एक एक करके मेरे कपड़े उतारने लगे। और मात्र एक मिनट में ही मैं मामा के सामने सिर्फ पेंटी में पड़ी थी। और मामा मेरे चुचूक पकड़ कर मसल रहे थे और अपने होंठों में दबा-दबा कर चूस रहे थे। मामा की इस हरकत से मेरे बदन में आग सी लगती जा रही थी। मामा ने अब मेरी पेंटी भी उतार दी और मेरी रेशमी बालों से भरी चूत पर हाथ फेरने लगे और फिर अचानक अपने होंठ मेरी चूत पर रख दिए।

 

मैं एक दम से चिंहुक उठी। होंठों की गर्मी और चूत की गर्मी का मिलन इतना अच्छा था कि उसका वर्णन शब्दों में बताना मेरे बस में नहीं है। "आह्हह्ह" मेरी सीत्कारें अब खुल कर निकल रही थी और मैं मस्ती में मामा का सर अपनी चूत पर अपनी जाँघों के बीच दबा रही थी, मन कर रहा था कि मामा अपना पूरा सर मेरी चूत में घुसेड़ दें।

 

"खा जा बहन के लौड़े मेरी चूत को….. अह्ह्ह मामा……." ना जाने कैसे मेरे मुँह से अपने आप गाली निकल गई।

मामा तो मेरी कुंवारी चूत को चाटने में मस्त था। वो अपनी खुरदरी जीभ मेरी चूत में अंदर तक घुसाने की कोशिश कर रहा था। जीभ का खुरदरा एहसास हाय कैसे बयान करूँ, मैं तो जन्नत में थी उस समय।

 

कुछ देर बाद मामा ने दशा बदली और अब उसका मोटा मूसल अब मेरे मुँह के सामने था। मैंने देखा तो नहीं था पर सुना था कि कुछ लडकियां और औरतें लंड को मुँह में लेकर चूसती भी हैं। बस मैंने भी अपना मुँह खोला और मामा का वो काला भुजंग मैंने अपने नाजुक होंठों में दबा लिया। मामा का लण्ड मेरे मुँह के लिए भी मोटा था पता नहीं चूत में कैसे जाएगा।

 

अभी मैं यह सोच ही रही थी कि मामा अब सीधे हुए और मेरी टाँगें पकड़ कर मेरी जांघे चौड़ी की। मामा ने अपना मस्त कलंदर मेरी मुनिया से भिड़ा दिया। एक बार तो ऐसा लगा जैसे कोई गर्म लोहे की राड भिड़ा दी हो। मेरी अब सीत्कारें निकल रही थी और मामा मेरी कुंवारी चूत में अपना लण्ड घुसाने के लिए मरा जा रहे थे और मैं भी आने वाले दर्द से अनजान मामा के लण्ड का इंतज़ार कर रही थी कि कब घुसेगा यह मूसल मेरी चूत में ?? 

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सौतेले भाइयो ने खूब जमकर चोदा

सौतेले भाइयो ने खूब जमकर चोदा

मेरे दो सौतेले भाइयो ने खूब जमकर चोदा ये कहानी मेरी सौतेली बहन

की है, उसी के शब्दों में मेरा नाम शांती है, मैं चेन्नई मे रहती हू,

अभी मैं 24 साल की हू, कुछ साल पहले जब मै जवान थी, मेरी दोनो चुचियाँ

बहूत बड़ा बड़ा तो नही पर हा अच्छा हो गया था

उभार साफ़ साफ़ दिखता था आप उसको एक हाथ मे पकड़

सकते थे, मेरा पेट भी सपाट था

दो सौतेले भाई ने मुझे रात भर रेप किया

चूतड़ की उभर भी अच्छी

थी, मेरा बूर काफ़ी टाइट था शायद मेरा चूत

और गांड का छेद बराबर थी था, दोनो का छेद इतना

छोटा था की मैं उसमे उंगली तक

नही डाल सकती है, गाल मेरे

गुलाबी और होठ पिंक पिंक हो रहे थे,

मेरी मा का देहांत होने के बाद मेरे पिताजी

ने दूसरी शादी कर ली,

मेरी सौतेली मा को भी दो बेटा था

जो साथ आया था वो दोनो मुझसे भी 2 से 3 साल का

बड़ा था, उसकी नज़र मेरे चूत और गांड पे

रहती थी, उसकी

बहसी निगाहें मुझे हमेशा घूरते रहती

थी, दोस्तों आप ये कहानी मस्तराम डॉट

नेट पर पढ़ रहे है। । पर मैं इन्न सब को इग्नोर करते रहती

थी, मैं कभी उसे महसूस ही

नही होने दी की

उसकी बहसी निगाहों को मैं महसूस कर

रही हू.एक दिन की बार है, मेरे

सौतेली मा के फादर एक्सपायर हो गया तो

मम्मी पापा और मेरा छोटा सौतेला भाई

रवि तीनो वाहा चले गये घर मे मैं और मेरा बड़ा सौतेला

भाई विजय घर पे था.

रात को विजय ने मेरे लिए समोसा और कोल्ड ड्रिंक्स लाया, मैं

बहूत खुश हुई की चलो आज मेरा भाई मेरे उपर

तरस खा रहा है वरना इश्स घर मे मुझे दुतकार के अलावा मुझे कैसे लड़कियों को पटायें

मिला ही क्या था, उसने कहा खा ले मेरी

प्यारी बहन आज मैं तेरे लिए लाया हू,मैं समोसा खा

के कोल्ड्रींक्स पी ली, पर

मुझे स्वाद कुछ अच्छा नही लगा था.

मैने विजय से पूछा भैया इसका स्वाद अलग है इतना कहते

कहते मेरी आँखे बंद होने लगी और

बेड पे लेट गयी, मैने कहा भैया मुझे

ठीक नही लग रहा है, तो विजय ने बोला

शांती अब तुम 8 घंटे तक उठ नही

सकती है, ना तो हिल डुल सकेगी ना तो

तुम चिल्ला सकेगी, क्यों की मैने तुम्हारे

कोल्ड्रींक्स मे एक दवाई मिला दिया है.

तो मैने पूछा भाई तुमने ऐसा क्यों किया तो वो बोला मैने तुम्हे चोदना

चाहता हू , बहूत दिन से तुम्हारी जिस्म को देख

कर मैं मूठ मार रहा था.इतना कहते ही विजय मेरे

बदन के कपड़े को खोलने लगा, दोस्तों आप ये

कहानी मस्तराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है।

मैने फिर कहा भैया भगवान के लिए ऐसा मत करो

प्लीज़ तो बोला कुतिया साली तुम कुछ

नही बोलेगी आज मैं अपना लॅंड तेरे चूत

मे घुसौंगा, और वो मेरे सारे कपड़े उतार दिए मैं कुछ

भी नही कर पाई. उसके बाद भाई ने मेरे

बूब को मूह मे लेके चूसने लगा, और अपने हाथों से दबाने लगा,

वो फिर मेरे गुलाबी होत को चूमने लगा और कह रहा

था, क्या चीज़ है शांती, आज तो तेरे बूर

को मैं फाड़ दूँगा , आज मैं अपना खवैिश पूरा करूँगा, और भाई ने

मेरे पेंटी खोल दिया.

भाई ने मेरे दोनो टांगो के बीच मे बैठ के मेरे चूत को

जीभ से चाटने लगा, और उंगली घुसने को

कोशिश करने लगा, मुझे दर्द भी हो रहा था पर मैं

कुछ भी नही कर पा रही

थी.

फिर वो मेरे गांड मे अपना उंगली घुसा दिया और ज़ोर

ज़ोर से अंदर बाहर करने लगा, फिर वो मेरे होत को चूमा चूत को

दबाया और फिर अपना लॅंड को निकाला मैं डर गई उसके लॅंड को

देखकर क्यों की उसका लॅंड बड़ा मोटा कला और लंबा

था, उसकने अपने लॅंड मे थूक लगाया और मेरे

नन्ही से चूत की छेद पे रखा और ज़ोर

से धक्का दे दिया.

लॅंड मेरे चूत के अंदर जा ही नही रहा

था, फिर उसने रसोई से सरसो का तेल ला के लॅंड मे लगाया और कैसे लड़कियों को पटायें

फिर से वो ट्राइ किया मेरे कंधे को पकड़ लिया और लॅंड चूत के

छेद पे रखके फिर ज़ोर से धक्का दिया, अब भाई का मोटा लॅंड

मेरे चूत को फड़ते हुए अंदर चला गया, मेरे आँख से आँसू

निकल गये, मैं तड़पने लगी, पर वो रुकने का नाम

नही ले रहा था.

फिर मुझे वो रात के 10 बजे तक दो बार चोद चुका था, मेरे

बिस्तर पे उसका वीर्य और मेरे चूत का खून लगा

हुआ था, मैने विस्तार पे नंगी पड़ी

थी। तभी किसी के दरवाजा

खटखटाने की आवाज़ आई जब विजय ने दरवाज़ा

खोला तो देखा रवि वापस आ गया था, वो तुरंत ही

अंदर आ गया और कमरे मे दाखिल होते ही, वो

विजय से पूछा भैया ये सब क्या है, शांती को तुमने

क्या किया वो नंगी है, कुछ बोल भी

नही पा रही है, मैं सब बात को सुन

रही थी, तभी विजय ने बोला

आज मेरे सपना पूरा हो गया है .

विजय बोला आज मैने इसकी चूत फाड़

दी, तो रवि बोला आपने ऐसा क्यों किया, मैं

शांती को चोदने वाला था, मैने पहले इसका चूत फाड़ना

चाहता था, तभी तो मैने बहाना बना के वापस आ

गया. विजय बोला की चल कोई बात नही

तुम गांड ही मार लो, मैने तो चूत का भोसड़ा बना दिया,

तो रवि बोला चल ठीक है मैं गांड की

सील पहले तोड़ता हू, और फिर भाई ने मेरे गांड मारा

फिर चूत को, रात भर वो दोनो मुझे बीच मे

सुलाया.आप ये कहानी मस्तराम डॉट नेट पर पढ़

रहे है।

दोनो तरफ से बारी बारी से चोदते

रहा. कैसे लड़कियों को पटायें

फिर क्या था मैं सुबह जब उठी तो बोली

की मैं ये सारा बात पापा को बता दूँगी तो रवि

और विजय ने अपना मोबाइल निकाला और वीडियो

दिखाया उन् दोनो ने मेरी ब्लू फिल्म बना

ली थी और बोला की अगर

तुमने अपना मुह खोला तो मैं सबको दिखा दूँगा.

सगी बहन से शादी और सुहागरात

बहन को खेत में चोदा

छोटी बहन की सील तोड़ी

  

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ओह्ह भैया जल्दी चोदो मुझे

ओह्ह भैया जल्दी चोदो मुझे

मेरी माँ रजनी और मौसी मीता दोनों एक ही गली में रहती हैं, मेरे

भाई का नाम अमोल और मेरा नाम नव्या है,

मौसी की लड़की का नाम हिना और लड़के का

नाम अमित है, मेरा और अमित का और हिना

और अमोल का विवाह हो चुका है, अमित स्टेट

बैंक में काम करता है और अमोल बैंक आफ बरोडा

में आफिसर है, दोनों की उमर कोई 25 साल के

करीब है और मैं और हिना देल्ही में एक पब्लिक

स्कूल में टीचर्स हैं और हमारी उमर 23 और 22

साल है, शादी से पहले तो मैं अमित को भैया

कहती थी और हिना अमोल को भैया कहती थी

लेकिन हमारी शादी के बाद सब कुछ बदल गया।

मैं तो अमित के लण्ड की दीवानी हो चुकी हूँ।

मुझे अमित बहुत पसंद है बस वो जरा अधिक ही

जेंटलमैन बनता है और मेरी हर इच्छा पूरी करने की

कोशिश करता है। अमित का लण्ड 6 इंच का है

लेकिन बहुत ही कड़ा रहता है। अमित का कद 6

फीट है और वो दिखने में बहुत ही हैंडसम है और मैं

एक साँवली औरत हूँ, मेरी चूची काफी बड़ी है

और मेरा पति मेरे निपल्स को बहुत प्यार से

चूमता है। मेरा कद 5’6” है और मेरे चूतड़ बहुत

आकर्षक हैं, ये मुझे मेरा पति बताता है।

मेरा पति अक्सर मेरे चूतड़ों को किस करता है और

ऐसा करने से वो काफी उत्तेजित हो जाता है,

कई बार अमित ने मेरी गाण्ड मारने की इच्छा

जाहिर की है लेकिन मैंने उसको इजाजत नहीं दी

है। मुझे अपने पति का लण्ड चूत में ही बहुत मजे

देता है तो गाण्ड मरवाने का क्या फायदा?

मेरे भैया अमोल भी हिना को बहुत प्यार करते हैं

और उनकी आपस में बहुत पटती है, हिना भी बहुत

सेक्सी है बस उसका शरीर मुझसे अधिक भरा हुआ

है। उसका गदराया हुआ बदन देखकर कई बार मेरे

पति की नजर भी अपनी बहन की चूची और

गाण्ड पर चली जाती है, जिसका दोष मैं अपने

पति को नहीं देती।

अगर हिना के जिश्म का मजा मेरे भैया की

किश्मत में लिखा है तो कोई क्या कर सकता है।

एक दिन अमोल और हिना हमारे घर आए हुए थे

और अमोल और अमित शराब पी रहे थे। हिना

उनको खाने के लिए स्नैक्स देने गयी तो अमित

का हाथ हिना के गुदाज चूतड़ों को छू गया तो

मैंने देखा की उसका लण्ड एकदम से तन गया।

हिना को जब इसका एहसास हुआ तो वो शर्मा

गयी। उस रात जब मेरा पति मुझे चोद रहा था

तो बार-बार मुझे गाण्ड मरवाने के लिए कह रहा

था। मैंने जब मना कर दिया तो वो मेरे चूतड़ों

को चूमने लगा और मेरी गाण्ड में जुबान घुसाकर

अंदर-बाहर करने लगा। मुझे पता चल गया था की

मेरे पति के मन से अभी अपनी बहन के चूतड़ों के

स्पर्श का एहसास गया नहीं था।

अमित मुझे पसंद करता था और कभी-कभी मेरी

36सी की चूचियों को मौका देखकर दबा देता

था। एक दिन जब वो सनडे को मेरे घर आया तो

अमोल मौसी के घर के लिए रवाना हो चुका

था। मैंने अमित को बताया की भैया तो उनके

घर उनसे मिलने गये हैं।

उसने मुझे बाहों में भर लिया और कहने लगा- मैं

तो तुमसे ही मिलने आया हूँ, अमोल से नहीं, अब

मैं तुझे दूर से देखकर और तड़पना नहीं चाहता, तुझसे

प्यार करता हूँ और शादी करना चाहता हूँ,

बोलो मंजूर है तुझे?”

मैं मुश्कुराकर बोली- अमित भैया, यह सब तो

ठीक है लेकिन माँ को क्या बोलूँगी मैं, की मैं

अमित भैया से शादी करना चाहती हूँ…”

अमित अपनी जिद दिखाते हुए बोला- तुझे

बार-बार मुझे भैया कहना क्यों अच्छा लगता है?

मैं तेरा मौसेरा भाई हूँ कोई असली नहीं, और

शादी की बात मैं खुद मौसी से कर लूँगा, तुम बस

यही कह देना की तुझे ये शादी मंजूर है, ओके…”

उसी दिन शाम को माँ और मौसी ने जब यह

सुना तो वो हमारी शादी के लिए मान गयीं।

तभी अमोल भैया और हिना बाहर से आए तो

माँ ने पूछ लिया- क्यों बेटे अमोल, अगर तुम

चाहो तो तेरी और हिना की भी शादी करा

दी जाए? अमित और नव्या तो कर ही रहे हैं,

तुम एक दूजे के साले भी बन जाओगे और जीज़्जा

भीघर की बात घर में रह जाएगी। हम किसी

बाहर के आदमी पर इतना विश्वास भी नहीं कर

सकते…”

हिना शर्मा गयी और अमोल मुश्कुरा पड़ा। मुझे

तो पहले ही पता था की वो दोनों भी एक दूसरे

को प्यार करते हैं। इस तरह हम लोगों की

शादियां एक ही दिन हो गयीं। मुझे अपनी

खुशकिश्मती पर विश्वास नहीं हो पा रहा था।

मैंने और अमित ने सुहगरात बड़े मजे से मनाई और

चुदाई का खूब आनंद लिया। हिना भी अगले

दिन काफी खुश नजर आ रही थी।

जब मैंने हिना को रात के बारे में पूछा तो वो

शरमाते हुए बोली- तेरा भाई तो एकदम से

जानवर है, ही इस आ बीस्ट, योउ नोदेखो मेरा

क्या हाल कर दिया है? मैं तो ठीक से चल भी

नहीं पा रही हूँ, अमोल ने मेरी चूत की बुरी

हालत बना दी है। उसका लण्ड क्या कोई आम

लण्ड है, कम से कम 8 इंच का होगा और मैं बेचारी

कमसिन लड़की, तेरे भैया को तो कोई मस्त रंडी

औरत चाहिए जो उसकी वहशत को झेल सकती

हो। मुझे तो उसने सारी रात सोने नहीं दिया।

मेरी चूत सारी रात पानी बहाती रही और

चुदती रही। यह देखो मेरी चूची का क्या हाल

हुआ है?

फिर हिना ने मुझे अपने गाउन के नीचे से अपनी

चूचियां दिखाते हुए कहा- देखो, तेरे भैया ने कैसे

काट खाया है मुझे, साला दाँत ऐसे मारता है जैसे

चोदना नहीं खाना चाहता हो मुझे, लण्ड तो

इतनी जोर से पेलता है अमोल की सारा शरीर

हिल जाता है। मेरी चूत भी सूजी पड़ी है, मुझे कम

से कम दो दिन का आराम चाहिए तेरे भैया की

चुदाई से। तू सुना अमित की चुदाई कैसी है?”

मैंने हिना को सब बता दिया की अमित बहुत

प्यार से चुदाई करता है और चूमता है। मुझे बहुत

मजा आता है।

हिना हँस पड़ी और बोली- चलो तुझे तो मेरा

भाई खुश कर देता है। काशमुझे भी कोई ऐसा

ही मर्द मिलता जो आराम से प्यार से मेरी

चुदाई करता? अमित का लण्ड कितना बड़ा है?

अमोल का तो कम से कम 8 इंच का होगा, मेरा

तो हाल बुरा कर दिया है…”

मैंने हिना को बताया की अमित का तो केवल

6” का है।

तो वो बोली- मुझे तुमसे जलन होने लगी है,

काशमेरे पति का लण्ड भी 6” का होता और

मुझे तकलीफ ना होती चुदाने में…”

मैंने हँसते हुए मजाक किया- तो फिर ठीक है, हम

अपने पति बदल लेते हैं, तुम अपने भाई से चुदाई

करवा लो और मैं अपने भाई से चुदवा लेती हूँ,

क्यों क्या ख्याल है?”

और हम दोनों ही शरारत से हँस पड़ी, लेकिन इस

विचार ने मेरे मन में जगह कर ली। क्या भैया का

लण्ड बहुत बड़ा है? क्या वो बहुत जबरदस्त चुदाई

करने में विश्वास रखते हैं? मेरे मन में जबरदस्त चुदाई

की इच्छा पैदा होने लगी औे मैं अमोल भैया से

चुदवाने का प्लान बनाना शुरू कर दी। इस

विचार से ही मेरी चूत से पानी गिरने लगा और

मैं फिर से चुदासी होने लगी।

उस दिन शाम को हमने सिमला हनीमून पर जाने

का प्रोग्राम बनाया था। हम दोनों जोड़ियां

हवाई जहाज से चंडीगढ़ और फिर सिमला पहुँची।

अमोल भैया ने हमारी बुकिंग होटेल में, जो की

शहर से बाहर था, पहले ही करवा ली थी। हमने

एक बहुत बड़ा कमरा बुक करवा लिया था

जिसको दो कमरों में बदला जा सकता था,

क्योंकी उसके बीच में एक दरवाजा था। जब तक

हम कमरे में पहुँचे तो हमारे पति बहुत मस्ती में आ

चुके थे और जाते ही उन्होंने हम औरतों को दबोच

लिया और हमको दरवाजा बंद करने का मौका

भी नहीं दिया और हमारे कपड़े उतारने शुरू कर

दिये। अमोल भैया के उतावलेपन को देखकर मुझे

भी गर्मी आ गयी और मैंने अमित का लण्ड अपने

हाथ में लेकर मूठ मारनी शुरू कर दी।

अमित का लण्ड तन गया और मैंने उसके लण्ड को

मुँह में लेकर चूसना शुरू कर दिया, अमित का

सुपाड़ा मेरे मुँह में फूलने लगा और उसने मेरे मुँह को

चोदना शुरू कर दिया। मेरे पति ने मेरी जांघों

को फैलाया और मेरी चूत को चूमने लगा। मेरी

चूत में पानी भरने लगा और मेरा पति मेरी चूत

का रस पीने लगा। मैंने भी उसका लण्ड मुँह में

लेकर मजा लेना शुरू कर दिया। उसके सुपाड़े से रस

की बूँद टपक रही थी और मेरी जुबान पर उसका

नमकीन स्वाद बहुत ही अच्छा लग रहा था।

उधर हिना और अमोल की चुदाई की आवाज़ें आने

लगी, हिना फुसफुसा रही थी- अमोल मेरे यार,

धीरे से, तेरा लण्ड इतना बड़ा और मोटा है की

मुझे अपनी तंग चूत में लेने में बहुत मुश्किल हो रही

है। प्लीजआराम से पेल ना, तुझ से तो भैया का

लण्ड अच्छा है जो की 6 इंच का है और तेरी बहन

नव्या को कोई परेशानी नहीं होती, भैया से

चुदवाने में। अब जल्दी से पेल दो ना, मेरी चूत

कसमसा रही है लण्ड के लिए। प्लीजमुझे आराम

से चोदो जैसे भैया तेरी बहन को चोदते हैं। काश

मुझे भी भैया जैसा 6 इंच का लण्ड आराम से

चुदाई की जन्नत दिखा पाता?”

हम हिना की आवाज सुनकर चौंक पड़े।

कुछ ही देर में मेरी चूत ने पानी छोड़ दिया और

अमित के लण्ड को मैंने चूस-चूसकर खलास कर

दिया।

दूसरे कमरे से हिना की आवाज तेज हो रही थी-

अमोल, बहनचोद धीरे से चोदमुझे कोई रंडी

समझ रखा है, मैं तेरी बहन हूँ और अब पत्नी बनी

हुई हूँप्यार से चोद मुझे, जैसे मेरा भाई तेरी बहन

की चुदाई करता है। मेरी चूत की भोसड़ी बन

गयी है तेरे लण्ड से। अमोल मैं झड़ने को हूँ, मेरी चूत

तेरे मूसल लण्ड पर झड़ रही है, ओह भैया मैं झड़ी…”

मैं और अमित यह सब सुनकर दरवाजे पर जा पहुँचे

और देखा की अमोल भैया ने हिना को घोड़ी

बनाया हुआ था और पीछे से उसकी चुदाई झुक कर

कर रहे थे। भैया का लण्ड काफी मोटा था और

हिना की चूत के रस से भीगा हुआ था और उसकी

गाण्ड से होता हुआ हिना की चूत को कुत्ते की

तरह चोद रहा था। अमोल अपनी पत्नी के चूतड़ों

पर जोर-जोर से हाथ मार रहे थे और उसके कंधों पर

दाँत गड़ा रहे थे। हिना की पीठ और कंधों पर

भैया के दातों के निशान पड़े हुए थे।

हिना कसमसा रही थी, तड़प रही थी, लेकिन

भैया बेदर्दी से चुदाई कर रहे थे। अमोल और हिना

की मजे के कारण आँखें बंद थीं। भैया के चूतड़ आगे

पीछे हो रहे थे जब अमोल के लण्ड ने पिचकारी

छोड़ दी। कुछ देर में दोनों थक कर लेट गये।

अमित और मैं वहीं सोफे पर बैठकर आराम करने

लगे, शाम को 6:00 बजे भैया और हिना उठ गये

और हमको देखकर हैरान हो गये और अपने नंगे

जिश्म को ढकने की कोशिश करने लगे।

मैंने कहा- हिना, हमसे क्या शरमाना? तुम मेरी

भाभी बन चुकी हो और मैं तेरी भाभी बन चुकी

हूँ। हम हनीमून पर इसलिए लाई गयी हैं कि हमारे

पति हमारी चूत की सारी ऐंठन निकाल दें,

हमारी चूत को जितनी भी लण्ड की भूख है

हमारे पति उसको एक बार अच्छी तरह से मिटा

देंगे। आज हमारे हनीमून की शुरुआत है तो कोई

खास तरीके से सेलीब्रेट करना चाहिए। अमित,

क्या तेरी बहन ने कभी शराब पी है? मैंने एक बार

पी थी, क्यों ना हम सभी दो-दो घूँट पीकर

अपने हनीमून को आगे बढ़ाएं, इससे हमारी शरम

और झिझक खतम हो जाएगी, क्यों भैया?”

अमोल ने मेरी हाँ में हाँ मिला दी।

हम सभी ने कपड़े पहन लिए और अमित और

अमोल शराब लेने चले गये। मैं और हिना नहाने

चली गयी और जब हम बाथरूम से बाहर निकलीं

तो हमने पारदर्शी गाउन पहन लिए। हिना के

जिश्म पर भैया के काटने की निशान मुझे

उत्तेजित कर रहे थे। मुझे तमन्ना थी की कोई मुझे

जानवरों की तरह जबरदस्त प्यार करे और बेरहमी

से चोद डाले। लेकिन मेरा पति तो बहुत कोमल

किस्म का इंसान था, असल में मुझे अमोल भैया

जैसा पति चाहिए था। मैंने एक बार हिना के

जिश्म के उन भागों को चूमना शुरू कर दिया

जहां-जहां पर भैया ने काटा था।

हिना भी उत्तेजना से कराहने लगी।

मैंने स्कीम बनानी शुरू कर दी की कैसे अपने भैया

के लण्ड का स्वाद लिया जाए। मैंने हिना से

कहा- मेरी प्यारी हिना, मुझे तुम पर बहुत प्यार

आ रहा है। काशमैं कुछ कर सकती, जिससे तेरी

चुदाई अमित जैसे कोमल आदमी से हो सकती

और अमोल जैसा जानवर तुझे तंग ना कर पाता,

काशतेरी मुश्किल मैं आसान कर सकती? तेरा

सारा दर्द मैं ले लेती और सारी खुशी तुझे दे

सकती…”

हिना मेरे प्यार को देखकर मुश्कुरा पड़ी और मेरे

होंठों पर किस करने लगी। हम दोनों किस कर

रही थी जब हमारे पति वापिस आ गए।

अमोल ने अपनी पत्नी को बाहों में लेना चाहा

लेकिन मैंने भैया को रोक दिया- भैया, पहले तो

तुम दोनों नहाकर आओ, और फिर प्यार करना।

दूसरा हिना का क्या हाल बना दिया है तुमने?

कोई औरत को ऐसे प्यार किया जाता है? अगर

प्यार करना है तो वैसे करो जैसे अमित मेरे साथ

करता है। बेचारी हिना की बुरी हालत कर दी है

तुमने। अगर मेरी हालत अमित ऐसी कर देता तो

तुझे कैसा लगता?”

अमोल भैया हँसते हुए बोले- मेरी बहना, शादी

के बाद प्यार इसी तरह किया जाता है जैसे मैंने

किया है। अगर हिना को मजा नहीं आया तो

इसमें मेरा कोई दोष नहीं है, क्यों अमित? मैं तो

इसी तरह प्यार करना जानता हूँ…”

तभी वो दोनों नहाने चले गये और बाहर आकर

अमित ने पेग बनाए और हम सभी पीने लगे। शराब

ने हम पर असर करना शुरू कर दिया। एक बार

अमित ने हिना को गलती से अपने आगोश में

गिरा लिया क्योंकी उसने समझा की वो औरत

मैं हूँ। हम दोनों ने सफेद गाउन पहने हुए थे तो

गलती होना स्वाभाविक था।

मैंने अपने पति को मजाक से झिड़क दिया- बहन

और पत्नी में फरक तो देख लिया करो…”

तो वो हँसते हुए कहने लगा- तुम दोनों में मुझे

कोई फरक ही नहीं दिखता तो मैं क्या करूँ? मुझे

तो तुम दोनों ही सेक्सी लग रही हो…”

मैं- तो भैया कहीं थोड़ी देर में मुझे ही अपने

बिस्तर में मत ले जाना क्योंकी तुझे अपनी बहन

और बीवी एक ही जैसी लग रही है…”

अमोल भी हँसता हुआ बोला- तो क्या है? अगर

ऐसा हुआ तो, मुझे नव्या मिल जाएगी और इस

तरह हमारा हनीमून भी डबल हो जाएगा, क्यों

अमित? हिना और नव्या को भी हनीमून में

दो-दो मर्दों का स्वाद मिल जाएगा और हम

दोनों को दो-दो पत्नियां मिल जाएंगी। मैं तो

इस विचार से ही उत्तेजित हो रहा हूँ की क्यों

ना पत्नियों की अदला-बदली भी कर ली जाए

और वो भी जब अदला-बदली में चोदने के लिए

हमको अपनी बहन मिलेगी। मैं तो हमेशा से ही

नव्या को चोदने का सपना देखता आया

हूँअमोल ने फिर अमित से पूछा- क्यों

अमित तेरा क्या खयाल है, हिना को चोदने के

बारे में?”

अमित के दिमाग पर शराब का नशा चढ़ा हुआ

था और उसने नशे में अपनी बहन को गले से लगाकर

उसकी चूची मसल डाली। मुझे अपनी स्कीम

कामयाब होती नजर आ रही थी, शराब का दौर

चलता रहा और हम बहकते चले गये,। कुछ ही देर में मैं

अमोल की गोद में और हिना अपने भाई की गोद

में मचल रही थी। अब हमारे दोहरे हनीमून की

शुरूवात हो रही थी। मुझे शादी के बाद अदला-

बदली की सोच पर उत्तेजना बहुत होने लगी थी।

मैंने हिना को बाहर जाने के लिए कहा और

उसको अपने भाई के साथ खुलकर चुदाई का मजा

लेने के लिए प्रेरित किया।

जब हम वापिस रूम में आई तो मैंने अमित और

अमोल दोनों से कहा- हम अदला-बदली के लिए

एक शर्त पर सहमत होंगी, की यह अदला-बदली

सिर्फ़ एक बार के लिए नहीं होगी। यह हमारे

बीच परमानेंट अदला-बदली का सिस्टम होगा।

हम चारों जब भी किसी से भी चुदायी का

आनंद लेना चाहें तो ले सकती हैं, इसका मतलब है

की हम दो पति और दो पत्नियां हैं, जो आपस में

जिसके साथ चुदाई करना चाहें किसी को बी

आपत्ति ना होगी। हम सभी एक दूसरे के चुदाई के

पार्टनर्स बने रहेंगे। मैं अमोल भैया और अमित

की पत्नी हूँ और हिना भी अमित और अमोल

की पत्नी होगी। इस बात को हम किसी बाहर

के आदमी को नहीं बताएंगे, क्यों मंजूर है सभी

को?”

सभी ने मुश्कुराकर हामी भर दी। मैंने भी अमोल

भैया के लण्ड को हाथ में लेकर मसल दिया और

साथ बैठी हिना की चूची पर अपने होंठ सटा

दिए। अमित भी नशे में आकर अपनी बहन को

सेक्सी नजर से देखने लगा और उसके होंठों को

किस करने लगा। मैंने शराब का ग्लास खाली

किया और नये पेग बना दिए। चारों पर नशा

हावी हो रहा था, हम बेशरमी से एक दूसरे से

लिपटने लगे, किस करने लगे, एक दूसरे को नंगा करने

लगे,। तीसरा जाम पीने के बाद हम चारों के

जिश्म पर एक भी कपड़ा नहीं था।

मैंने अपने पति को छेड़ते हुए कहा- क्यों पतिदेव

जी अपनी पत्नी को दूसरे मर्द के सामने पेश करते

हुए कोई परेशानी तो नहीं हो रही है? मेरा भाई

तो मेरे साथ मजे लेने को तड़प रहा है, और मैं भी

अपने भैया के लण्ड की तारीफ तेरी बहन से सुनकर

तड़प रही हूँ। आज की रात तुम भी बहनचोद बन

जाओगे। अमित, आज हम चारों में कोई फरक ना

रहेगा और हमारा हनीमून यादगार बन जाएगा…”

हिना ने अमित को पलंग की तरफ खींच लिया

और अमोल ने मुझे अपनी गोद में ले लिया। हमारा

चुदाई का दौर शुरू हो चुका था। अमोल ने कमरे

की बत्ती बुझा डाली और मुझे अपनी बाहों में

लेकर पलंग पर पटक दिया। मैंने उसके लण्ड को

मुठियाना शुरू कर दिया।

तो अमोल बेशरमी से बोला- नव्या, मेरी बहना

अब तुम अपने भाई से चुदाने को तैय्ययर हो जाओ,

हिना तो मेरे लण्ड को देखकर ही डर गयी थी। मैं

अपनी बहन को अपना बना लेना चाहता हूँ। आज

मैं अपनी सगी बहन के साथ सुहगरात मनाना

चाहता हूँ। मेरी बहना मुझे बहनचोद बना लो, मुझे

अपनी चूत समर्पित कर दो, देखो तुम्हारे भैया

का लण्ड कैसे फनकार रहा तेरी चूत में घुसने के

लिए। मुझे तेरा हुश्न दीवाना बन रहा है। अपने

भैया के लण्ड को मुँह में ले लो और मुझे अपनी

चूची का अमृत पीने दो, अपनी चूत के रस का

स्वाद चखने दो, मुझे अपनी चूत में जुबान घुसाकर

चाथ लेने दो मेरी बहना, मैं दीवाना हुआ जा

रहा हूँ…”

फिर अमोल ने मेरे चूतड़ों को कसकर जकड़ लिया

और मेरी चूत की फांकों को खोलकर अपनी

जुबान मेरी चूत में घुसेड़ डाली। उधर हिना भी

अपनी पीठ के बल लेटी हुई थी और अमित

उसकी नाभि को चूम रहा था और चूची को

मसल रहा था। अमित का लण्ड उसकी बहन के

मुँह के पास था और हिना उसके लण्ड को चाट

रही थी। कमरे में वासना का माहौल बना हुआ

था।

हिना बार-बार अपने भैया को पुकार रही थी।

अमित जीभ से लपलप अपनी बहन की चूत को

चाट रहा था, हिना की टाँगें चौड़ी हुई थी और

दोनों भाई बहन मस्ती में डूब चुके थे। हिना कह

रही थी- भैया, बहुत मजा आ रहा है, खूब चूसो

मेरी चूत को, साली मस्ती में चूर है तेरी बहन की

चूत। तुम देख सकते हो की कैसे तेरी पत्नी अपने

भाई को बहनचोद बना रही है। तुम भी अपनी

बहन को चोदकर बहनचोद बन जाओ। मेरे राजा

भैया, आज से तुम मेरे भैया भी हो और पतिदेव भी,

मुझे अपने मस्त लाड से प्यार से चोदकर अपनी

पत्नी का दर्जा दे दो। मेरे भैय्या, मेरी चूत तेरे

लण्ड की राह देख रही है…”

अमोल का लण्ड असल में एक हलब्बी लण्ड था,

पूरा 8 इंच का मस्त लण्ड, उसपर मोटा गुलाबी

सुपाड़ा। मेरे मुँह में एक लोलीपोप महसूस हो रहा

था और मेरा भाई अपना लण्ड मेरे मुँह में ठूंस रहा

था जैसे की किसी चूत को चोद रहा हो। मैंने

भाई के अंडकोष अपने हाथ में लेकर मसल दिए

जिससे भाई के मुँह से वासनात्मक सिसकारी

निकल गयी, चूमा चाटी की आवाज़ें कमरे में गूँज

रही थीं। अमोल ने अचानक अपनी जुबान मेरी

गाण्ड के छेद में डाल दी।

और मैं चिहुँक उठी- ओह्हबहनचोद भैया, मेरी

गाण्ड में क्या कर रहे हो? अपनी बहन की चूत से

दिल नहीं भरा क्या जो उसकी नाजुक गाण्ड से

छेड़-छाड़ कर रहे हो। ओह्हभैया, तेरी इस अदा

से भी मुझे बहुत मजा आ रहा है, मेरी गाण्ड को

चोद, अपनी जुबान से मेरे भाई…”

अमोल पूरे जोश में आ चुका था- नव्या, मेरी

रंडी बहन, बहुत चुदासी है तू, अपने भाई के लण्ड

की तड़प तेरे अंदर बहुत देर से है, तू भी माँ की तरह

किसी छोटे लण्ड से संतुष्ट नहीं हो सकती।

हमारी माँ भी चुदक्कड़ है, तेरी तरह, मैं सपने में तुझे

और माँ को चोदता आ रहा हूँ, एक दिन मैं वो

सपना सच करके दिखा दूँगा। मेरी बहना, मैं एक

ही बिस्तर में अपनी बहन और माँ को चोदूँगा…”

अमित भी अमोल की बात सुनकर बहुत उत्तेजित

होने लगा और हिना को जोर-जोर से चूमने

लगा।

हिना उत्तेजना में बोल रही थी- भैया, आज

अपनी बहन के साथ सुहगरात मना लो, मुझे अपने

बच्चे की माँ बना दो। जिस तरह तुम्हारी पत्नी

अपने भैया से चुदाने को तैय्यार है, उसी तरह मुझे

चोद लो मेरे भैया, मुझे अपना लण्ड दे दो मेरे

भैयाअमित, तुम अपनी माँ, मीता को नहीं

चोदना चाहोगे क्या? जैसे अमोल चाहता है।

मीता भी काफी सेक्सी है, ना जाने माँ और

मौसी बिना लण्ड के किस तरह गुजारा करती

होंगी? उनको भी तो चुदाई करवानी ही पड़ती

होगी, बिना लण्ड के औरत रह नहीं सकती। अगर

तुम दोनों चाहो तो एक नहीं चार चार औरतों

को चोद सकते हो। और फिर माँ और मौसी को

भी लण्ड के लिए बाहर नहीं जाना पड़ेगा। तुम

दोनों घर में ही हम सभी को चुदाई का सुख दे

सकते हो…”

अमित पर माँ और मौसी की चुदाई की बातों

का अजीब असर पड़ रहा था। उसने अपनी बहन

को लिटा दिया और उसकी जांघों को उठाकर

अपने कंधों पर रखा और अपने लण्ड का सुपाड़ा

उसकी चूत पर रख दिया। हिना तड़प उठीउसके

भाई का लण्ड उसकी चूत पर दस्तक देने लगा।

और हिना कराह उठी और अमित को लण्ड पेलने

के लिए मिन्नत करने लगी- ओह्हभैया, अब

नहीं रहा जाता, पेल दो अपना लण्ड मेरी चूत में,

मेरी चूत की आग बुझा दो, मुझे अपने लण्ड से

संतुष्ट कर दो, मेरी चूत की गहराई में अपना लण्ड

डाल दो, बहुत प्यासी है मेरी चूत अपने भाई के

लण्ड के लिए, अपने लण्ड के पानी को अपनी

बहन की चूत में गिरा दो मेरे भैया…”

अमित ने अपना लण्ड बिना कुछ बोले पेल

दिया। एक ही झटके में लण्ड चूत में समा गया।

हिना नीचे से अपनी गाण्ड उचकाने लगी और

अमित अपने चूतड़ आगे पीछे करके अपनी बहन को

चोदने लगा।

मैंने भी अमोल को चुदाई करने को कहा तो वो

बोला- नव्या, पहले अपनी पत्नी को तेरे पति

से चुदते हुए तो देख लेने दो, तभी तो मैं तुझे मस्ती

से चोदूँगा, मैं पत्नी और बहन में कोई फरक नहीं

करूँगा। मैं तुझे भी उसी तरह बेरेहमी से चोदूँगा,

तेरी मस्त चूची को चुसूंगा…” इसके साथ ही भैया

ने मेरी चूची को अपने मुँह में लेकर जोर से चूस

लिया और अपने दाँत मेरे निपल्स पर रखकर काट

लिया मैं दर्द से तिलमिला उठी- ओह्ह

बहनचोद, काट क्यों रहे हो? मेरी चूची है कोई

खाने की चीज नहीं है। मुझे दर्द होती है जब तुम

अपने दाँत से काटते हो मेरे निपल्स को, प्यार से

करो जो कुछ करना है…”

अमोल ने मुझे चूमते हुए अपने होंठ मेरी चूत की तरफ

बढ़ाना शुरू कर दिया। वो मेरे पेट को, नाभि

को चूमता हुआ, चाटता हुआ मेरी चूत पर अपने

होंठ लगाने लगा, मेरी चूत के होंठों को अपने मुँह

में लेकर चूमने लगा, मेरी चूत के होंटों को हल्के-

हल्के काटने लगा। मेरी चूत पर दाँत लगाने से दर्द

भी होने लगा लेकिन मजा इतना आ आ रहा था

की मुझे दर्द का एहसास ही नहीं हुआ। भैया मेरे

चूतड़ से खेल रहा था, मसल रहा था, मेरी गाण्ड

को छेड़ रहा था।

मैंने अपनी गाण्ड उठाना शुरू कर दिया और भाई

का लण्ड जोर से पकड़ लिया और उसके लण्ड को

अपनी चूत की तरफ खींचना शुरू कर दिया। भैया

के लण्ड की सुगंध मुझे बहुत भा रही थी, मेरी चूत

से रस की बारिश होने लगी। भैया के लण्ड से

प्री कम निकालने लगा।

मैं लण्ड के लिए तड़पने लगी- भैया, अब मुझे भी

चोद दो जिस तरह तेरी पत्नी को उसका भाई

चोद रहा है। मेरे भैया मुझे भी उसी तरह से

चोदना जिस तरह से हिना को चोदा था, तुमने

सुहगरात को। आज अपनी बहन के साथ सुहगरात

मानाओ मेरे राजा। तेरी नव्या तेरे सामने चूत

फैलाए पड़ी है, अपना मूसल लण्ड डाल दो मेरी

प्यासी चूत में, मुझे रौंद डालो एक रंडी की तरह,

मेरी चूत की खुजली मिटा दो मेरे भैया। अमित

का 6 इंच का लण्ड मेरी चूत की खुजली ठीक से

नहीं मिटा सका। मेरे पति का लण्ड उसकी बहन

के लिए और मेरे भैया का लण्ड मेरे लिए बना है।

मेरे राजा, अब अपनी बहन का उद्घाटन कर दो मेरे

भाई…”

मैंने ऐसा कहा तो भैया जोश में आ गये। अमोल ने

मुझे मेरी चूत के आस-पास की जगह पर काठ

लिया था और उसके काटने के निशान मेरी चूची

और मेरी चूत पर पड़ गये थे, लेकिन मुझे मजा इतना

आ रहा था की मैंने दाँत के निशान की कोई

परवाह नहीं की और ना ही दर्द की परवाह की।

भैया ने अपना लण्ड मेरी चूत पर रगड़ा और मेरी

चूत को पूरी तरह से खोल दिया- आह मेरी

बहना अब देख अपने भाई के लण्ड का कमाल, मेरे

लण्ड को कब से अपनी बहन की चूत की तलाश

थी। देखना कैसे तारे दिखाता है मेरा लण्ड मेरी

बहन को। मेरी बहना अपनी जांघों को मेरी कमर

पर बाँध लो, मुझे अपनी चूत में समाने दो। आज

अपनी सगी बहन की चुदाई करने जा रहा है मेरा

खुशकिश्मत लौड़ा, जरा संभाल कर, मेरी रानी

बहना, ये लो…” और भैया ने अपना लण्ड मेरी चूत

में पेल दिया।

उनका लण्ड मेरी चूत को चीरता हुआ जड़ तक

चला गया, मेरी टाँगें भैया की कमर पर और मेरी

एंड़ियां भैया के चूतड़ों पर थी और भैया जोर-

जोर से धक्के मारने लगे। मेरे भैया का लण्ड मुझे

फ्रॉंटियर मेल की तरह चोदने लगा।

मैंने कहा- ओह्हभैया, तेरे लण्ड के सामने

अमित का लण्ड बहुत छोटा और पतला है, मुझे

तेरे जैसा ही लण्ड चाहिए। भैया मैं तेरी छिनाल

बहन हूँ, अपनी छिनाल को अच्छी तरह से चोद

डालो, और जोर से पेलो मेरे राजा, मेरी चूत की

धन्य कर दो, मुझे चोदकर माँ बना दो, मुझे पेलो

मेरे भाई…”

और भाई ने मुझे ताबड़तोड़ चोदना शुरू कर दिया।

भैया का लण्ड मुझे जन्नत का आनंद दे रहा था, मैं

अपनी चूत भैया के लण्ड पर जोर-जोर से उचका

रही थी और भैया के टट्टे मेरी गाण्ड से टकराने

लगे।

भैया तड़प के बोले- आह मेरी रानी, तेरी चूत

कितनी टाइट है, मैं तेरी गाण्ड को भी चोदना

चाहता हूँ। मेरी रानी बहना मेरा लण्ड पानी

छोड़ने को है, मेरा रस मेरी बहना की चूत में

गिरने को है, मेरी रानी बहना उधर देख हिना

और अमित भी झड़ने वाले हैं, देख कैसे मेरी पत्नी

की चूत छूटने वाली है? कैसे मेरी बीवी चुदा रही

है तेरे पति से? ओह्हमेरी बहन, मैं झड़ा…” भैया ने

कहा।

हमारे शरीर पसीने से भीग चुके थे। मेरी चूत से रस

की गंगा-जमुना बह रही थी और उधर अमित और

हिना भी चुदाई के अंतिम शिखर पर पहुँचे हुए थे।

उन दोनों ने भी खलास होने के बाद आँखें बंद कर

लीं और हम चारों मस्ती की नींद सारी रात

सोते रहे।

उस दिन डबल सुहगरात के बाद हम कभी भी

किसी को भी चोद रहे हैं और किसी को भी

कोई एतराज नहीं होता बल्कि खुशी होती है।

हम जल्दी ही माँ और मौसी को भी अपनी

चुदाई ग्रूप में शामिल करने की प्लान बना रहे हैं।

सगी बहन से शादी और सुहागरात

बहन को खेत में चोदा

छोटी बहन की सील तोड़ी

  

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