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सगी बहन को चोदा आसानी से

दोस्तो, अन्तर्वासना पर यह मेरी पहली चुदाई की कहानी है, हो सकता है कि मैं एक अच्छा लेखक नहीं हूँ पर मैं अपनी सच्ची कहानी सभी को बताना चाहूंगा कि अपनी ही बहन को कैसे पटाते हैं और इसमें कुछ गलत नहीं है अगर दोनों की रजामन्दी है तो!

सगी बहन को चोदा आसानी से

अब मैं देर न करते हुए अपनी कहानी पर आता हूँ, यह बात 2015 की हैं, मैं उस समय 20 साल का था और ग्रेजुएशन के दूसरे ईयर में था. मैं ज्यादा हॉट तो नहीं था परंतु अगर कोई लड़की मिल जाये तो मेरा लंड खड़ा हो जाता था.

मेरी बहन मीतू (बदला हुआ नाम) जो उस समय 18 वर्ष की थी और 12वीं कक्षा में पढ़ती थी, कच्ची कली, छोटे छोटे बूब्ज़, रंग गोरा, उसकी हाईट कोई 5 फीट 5 इंच की होगी, मैं घर कभी कभी जाता था क्योंकि मैं बाहर शहर में पढ़ता हूँ, घर में मम्मी और बहन रहती हैं और पापा बाहर जॉब करते हैं.

 

20 साल की उम्र में लड़कों को चूत चाहिये होती है, अगर कहीं भी ना मिले तो वो खुद के घर में देखते हैं!

मैं भी अपनी छोटी और जवान बहन को देखता था, वो इतनी भी छोटी नहीं थी कि कुछ समझे ना, जब मैं उसको मजाक मजाक में छूता था तो वो बहुत स्माइल देती था पर हम उस समय ज्यादा ध्यान नहीं देते हैं!

 

तब तक मैंने अपनी बहन के साथ ऐसा कुछ करने का कभी सोचा भी नहीं था पर जब से मैं अन्तर्वासना पर भाई बहन की चुदाई की कहानी पढ़ने लगा था, मेरे मन में भी कुछ कुछ होने लगा था और फिर मुझे लगने लगा कि अगर मीतू को पटा लूँ तो जिंदगी के मजे कई गुना हो जाएंगे!

 

अब मैं अपनी पढ़ाई से ज्यादा मीतू को पटाने के बारे में सोचने लगा, गूगल, यू ट्यूब हर जगह देखा कि बहन की कामुकता को कैसे जागृत किया जाए. बहुत दिनों के बाद समझ आया कि जब तक हिम्मत नहीं करूँगा तब तक तो हाथ से ही काम चलाना होगा.

अब एक महीने बाद रक्षाबंधन थी और मुझे घर जाना था. मैं समझ गया कि इस बार उसे क्या गिफ्ट देना हैं, उसी दिन से मैंने अपना काम शुरू किया और फोन पे ही कुछ अलग तरह की बातें शुरू की, जैसे तुमने अभी क्या पहना है, नहाने के बाद क्या पहनोगी, नहाने में इतना समय क्यों लगाया, आज साबुन लगाया था या नहीं!

ऎसी बातें से क्या होता है कि आपका मनोबल भी बढ़ता है और लड़की की वासना भी बढ़ने लगती है!

 

अब मैं रक्षाबंधन के एक दिन पहले ही घर चला गया था, मेरा प्लान तैयार था. पहुँचते ही मैंने अपना प्लान शुरू किया और मम्मी से मुलाकात की. फिर जब मम्मी दूसरे कमरे में गयी तो बहन को गले मिला, मैं कभी गले नहीं मिलता था पर उस दिन मिला और अपनी बाहों में उठा लिया. उस समय मेरा लंड उसकी चुत के पास था पर वो कुछ समझ नहीं पायी, उसे लगा कि ये भाई का प्यार है!

 

अब रात को मम्मी रसोई में खाना बना रही थी और मैं और मीतू एक दूसरे कमरे में बातें कर रहे थे. अचानक लाइट चली गयी और अंधेरा हो गया. मैं अपने मोबाइल को ढूंढने के बहाने से उसके बिस्तर पे ढूंढने लगा, फिर मैंने जान बूझ कर उस की जांघ पे हाथ रख दिया, वो डर गई और वहां से चली गयी.

 

फिर कुछ देर बाद मैं उसके बेड पर बैठ कर उस के साथ टीवी देखने लगा और उस की जांघ पे फिर से हाथ रख दिया. वो शर्मा गयी पर कुछ बोल नहीं पायी.

इससे मेरी थोड़ी हिम्मत बढ़ गयी, ऐसा मैंने फिर से एक दो बार और किया, पर इस बार वो वहाँ से भी चली गयी और अपने कमरे में जा कर पढ़ने लग गयी.

 

हमने खाना खाया और मैं मम्मी के साथ टीवी देखने लगे गया!

 

फिर मीतू ने कमरे से पुकारा- भाई मैथ्स पढ़ा दो.

मैं समझ गया कि मीतू के मन में भी कुछ तो है, मैंने 10 मिनट में पढ़ा दिया, फिर हम बातें करने लग गए, उस समय मम्मी दूसरे रूम में टीवी देख रही थी तो कोई प्रॉब्लम नहीं थी.

उसके पास बैठते ही मेरा लंड खड़ा हो गया. बात करते करते मीतू मेरी जांघ पे हाथ रखते हुए बोली- भाई पैर ऊपर कर लो!

इतना सुनते ही मेरा हाथ उस की जांघ पे चला गया और सहलाने लगा, उसे भी ऐसा करवाने में मजा आ रहा रहा था, परन्तु अचानक वो खड़ी हो गयी और पंखे की स्पीड बढ़ा कर मेरे पास में ही खड़ी हो गयी.

 

मैं भी उसके पीछे खड़ा हो गया, अब मेरा लंड उसकी गांड पे था और मैंने बड़ी हिम्मत करके उसके गर्दन पे एक किs किया पर वो कुछ ना बोली तो मैं भी शुरू हो गया.

फिर क्या था, मैं पागलों की तरह उसकी गर्दन पे किस कर रहा था और अपने हाथों से उस के बूब्स बड़े ही आराम से सहला रहा था. मुझे पता था कि कभी भी उसने ऐसा नहीं करवाया है तो बहुत समझदारी दिखा रहा था.

जब कोई 20 साल का लड़का पहली बार किस करेगा तो जरूर पागल हो जाएगा, क्यों दोस्तो?

 

इतनी देर में मम्मी की आवाज़ आ गयी- प्रदीप दूध ठंडा हो गया पी ले!

और मुझे गर्म माल को छोड़कर जाना पड़ा.

 

अब दूध पी कर मैं सीधा बाथरूम में गया और मीतू की पैंटी लेकर उसके नाम की मुठ मारने लगा और अपना पूरा माल उसकी पैंटी में छोड़ कर आ गया.

कुछ देर बाद मम्मी बोली- मैं मीतू के पास सो रही हूँ, तुम यही टीवी वाले कमरे में सो जाओ.

पर अब मुझे कहां नींद आने वाली थी, मेरे मन में तो मीतू के बूब्स घूम रहे थे.

 

अगले दिन रक्षाबंधन था, उसने राखी बांधी और सभी अपना अपना काम करने लग गए. मम्मी खेत में चली गयी, हमें पता था कि मम्मी शाम को देर से आएगी, फिर मैं मोबाइल पर कुछ करने लग गया और मीतू पढ़ने लग गयी.

फिर उसने बोला- भाई कुछ पढ़ा दो, समझ नहीं आ रहा!

 

वो कुर्सी पे बैठी थी, मैं पीछे से गया और उसको पढ़ाने लगा और मेरा चेहरा उस की गर्दन के पास था, बार बार उस की गरदन को भी चूम रहा था और अपना हाथ उसके जांघ पे रख कर सहला रहा था.

वो स्माइल दे रही थी और कुछ भी नहीं कह रही थी. फिर हमने मिल कर खूब पढ़ाई की.

 

मैं वहाँ पर अच्छा महसूस नहीं कर रहा था क्योंकि वहाँ बहुत गर्मी थी तो मैंने कहा- चलो अंदर कमरे में चलते हैं.

फिर मैंने उसको अपनी बांहों में उठा कर बेड पे लिटा दिया और उसके दोनों हाथों को पकड़ कर उसके होंठों पर किस करने लग गया. जब वो पूरी तरह गर्म हो गयी तो मैं अपना एक हाथ उसके बूब्स पे रख कर सहलाने लग गया.

 

अब वो भी पूरी तरह खुल चुकी थी तो उसने मेरे लंड पे हाथ रख दिया, उस समय तो दोस्तो, क्या बताऊँमैं सातवें आसमान पे था.

फिर मैंने अपना एक हाथ उसकी टीशर्ट के अंदर डाल दिया और कुछ देर में मैंने उस के बूब्स को उस की टीशर्ट से आजाद कर दिया और बूब्स को चाटने लग गया. जब मैंने अपना हाथ उस की चूत पे रखा तो उसने मना कर दिया.

मैंने भी जबरदस्ती नहीं की कि जो काम प्यार से हो रहा हो तो जबरदस्ती क्यों!

 

कुछ घंटे बाद, वो रसोई में कुछ बना रही थी. मैं भी रसोई में चला गया और उस के पीछे खड़ा हो गया, मेरा लंड उस की गांड पे टच हो रहा था, मैं उस की गर्दन को चूम रहा था.

वो बोली- भाई देखो कुकर में से पानी निकल रहा है.

मैंने उस की गर्दन को दूसरी तरफ से टच करते हुए कहा- इधर से भी पी लूं पानी?

उसने हँसते हुए कहा- पी ले, सब तेरा ही तो है.

 

फिर मुझे क्या था, मैं तो लग गया और मेरे दोनों हाथ उसके चूचों पे थे और मैं धीरे धीरे सहला रहा था. फिर मैंने अपना एक हाथ उसकी टीशर्ट के अंदर देना चाह तो उसने हाथ पकड़ लिया और बोली- यहाँ नहीं!

और फिर हम दोनो रसोई से बाहर आ गए.

 

फिर मैं जल्दी से बाथरूम गया क्योंकि तब तक मेरा पजामा पूरा गंदा हो चुका था.

 

फिर मैंने बरमुडा पहना और बाहर आ गया, उसके बाद तो मैंने उसे पूरे दिन अपनी गोद में उठा उठा कर चूमा और बूब्ज दबाये और चूसे पर उसने चूत को टच नहीं करने दिया. मैं उस दिन में कई बार झड़ चुका था.

 

उसके अगले दिन मैं फिर से अपनी पढ़ाई करने बाहर चला गया पर अब मेरा मन नहीं लग रहा था क्योंकि मुझे अपनी और अपनी बहन की सील जो तोड़नी थी!

 

अब मैं घर जाने की जल्दी में लग गया और 15 दिन बाद फिर से घर चला गया, मीतू के लिए यह सरप्राइज था, वो मुझे देखते ही खुश हो गुई, फिर उस दिन तो हमें कुछ भी करने को समय नहीं मिला, पर अगले दिन जब भी समय मिलता मैं किस और बूब्स दबा देता था.

 

फिर मम्मी शाम 3 बजे दूसरे घर गयी जहाँ हम हमारी गाय रखते हैं, वहाँ से मम्मी पूरा काम करके ही आती हैं तो हमारे पास डेढ़ दो घंटे का समय था.

 

मम्मी जाते ही मैंने मीतू को बाहों में उठाकर उसी बेड पे लिटा दिया जहां पहले लिटाया था और हम शुरू हो गए, इस बार मैंने देर न करते हुए अपनी बहन को नंगी कर दिया और उस की चूत के दर्शन किये, उस की चुत पे छोटे छोटे गोरे बाल थे, ऐसा लग रहा था कि कभी किसी ने इसको छुआ भी न हो, बिल्कुल सील बंद.

 

और उसको नंगी करते ही मैं तो गंगा में डुबकी मारने कूद गया और उस के बूब्स को इस बार जोर जोर से दबा रहा था, हम दोनों होंठ एक हो चुके थे, मैंने अपना एक हाथ धीरे से उस की चुत तक ले गया और उसे बड़े ही प्यार से सहलाने लग गया और फिर थोड़ा सा थूक लगा कर मैंने एक उंगली अंदर डाल दी.

जब मुझे उस की चुत गीली महसूस हुई तो मैंने उसे चाटना शुरू किया और जोर जोर से अपनी जीभ से उसे चोदने लगा, वो जोर जोर से सिसकारियां भर रही थी और बोल रही थी- भाई आराम से!

 

कुछ देर में ही उस की चूत से पानी रिसने लगा तो मैंने अपना तोप तान कर उस की चूत पे रख दिया, तो वो बोली- भाई, आज नहींये फिर कभी करेंगे!

तो मैंने उसकी चूत का सारा पानी पी गया और फिर हमारी बात हुई कि हम चुदम चुदाई नहीं करेंगे पर जब भी मिलेंगे मजे खूब करेंगें!

 

सोमवार को मेरा कॉलेज था तो मुझे सुबह जल्दी निकलना पड़ा और सुबह मीतू को किस किया और आ गया, जैसे पति काम पे जाने से पहले पत्नी को करके जाता है!

 

इस बार मैं वापस आकर बहुत खुश भी था और दुःखी भी!

बताओ क्यों?

क्योंकि मेरा चुत देखने का प्लान तो कामयाब हो गया था पर मेरे लंड की सील तो अभी भी पैक थी!

 

दोस्तो, बहन के साथ सेक्स करना इतना भी आसान नहीं हैं, पकड़े जाने पर गांड भी टूटती है और इज़्ज़त की माँ बहन एक हो जाती है.

तो मुझे हर एक कदम बहुत सोच समझ कर रखना था, और इस बार चोदने का प्लान करने लगा! मैं कोई भी काम ऐसे ही नहीं करता, उस के बारे में सब कुछ पढ़ कर करता हूँ, तो मैं किताबें पढ़ने लगा कि लड़कियों को सेक्स के लिए कैसे राज़ी करते हैं.

तो मैं कहानी के बीच में आप सबसे यही कहना चाहूंगा कि अगर आप भी अपने भाई या बहन को चोदने की सोच रहे हैं तो सोच समझ कर करना या किसी अनुभवी व्यक्ति की सहायता से करें!

अब मैं वापिस अपनी कहानी पे आता हूँ कि मैंने क्या किया उसके बाद!

 

मैंने बहुत पढ़ने के बाद पाया कि लड़की की चुदने की वासना जगाना बहुत जरूरी होता है, अब मैं घर जाने की तैयारी में लग गया.

 

कुछ दिन बाद मम्मी ने मुझे फोन पर कहा- प्रदीप, मैं इस शुक्रवार को तेरे मामा के घर जा रही हूँ तो तू घर आ जा, मीतू अकेली कैसे रहेगी!

इतना सुनते ही मेरा तो लंड खड़ा हो गया और फिर मैं बाथरूम में जाकर मीतू के नाम की मुठ मारने लग गया!

 

अब मेरा प्लान शुरू होता है, सबसे पहले मैंने अपने मोबाइल का स्पेस खाली किया और बहुत सारी बहन भाई की पॉर्न वीडियो भर ली!

अब मैं घर गया और शाम को पहुँचा तब तक मम्मी भी जा चुकी थी, और मैं तो हो गया शुरू!

 

खाने खाते ही मैंने अपनी बहन को गोद में उठा लिया तो वो बोली- रुको, मैं सारे काम करके आती हूँ. फिर हमारे पास दो दिन है, आराम से करना!

जब वो आयी तब तक मैं अपने लैपटॉप में पोर्न चला चुका था.

वो चिल्लाने लगी- बंद करो इसे! बाद में चला लेना!

मैंने उसे शांत करते हुए कहा- पगली आ कर तो देख मैं तेरे लिये क्या लाया हूँ!

 

वो चली आयी और आकर मेरे गोद में बैठ गयी और मजे लेने लगी! जब तक एक पूरी वीडियो खत्म नहीं हुई तब तक मैंने बूब्स और किस के अलावा कुछ नहीं किया क्योंकि घोड़ी कभी भी लात मार सकती है.

उस ने उस वीडियो में पूरी चुदम चुदाई देखी.

 

दोस्तो, मैं आपको बता दूं कि साइंस कहती है कि जैसा आंखें देखती हैं, बस मन वैसा जरूर सोचता है तो मुझे पक्का विश्वास था कि मीतू अब चुदने के बारे में सोच रही थी.

तभी मैंने एक और वीडियो चला दी, और इस बार मैंने लैपटॉप को पास ही एक कुर्सी पे रख दिया और हम दोनों भाई बहन साथ साथ देखने लगे.

इस वीडियो में लड़की लड़के के कपड़े उतारती है तो मैंने कहा- जयसे ये कर रहे हैं ना, वैसा ही हम करेंगे, बहुत मजा आएगा.

 

फिर मीतू ने मेरे कपड़े उतारे और मुझे लिप किस करने लगी, फिर मैंने उसे बेड पे खड़ा किया और पूरे शरीर पे चूमना शुरू किया, जैसे गर्दन पे, नाभि, कान, पेट!

दोस्तो, ये सब करना बहुत जरूरी है, अगर आप कुंवारी चुत चोदने जा रहे हो तो!

 

मैं अब अपनी एक उंगली से उस की चुत को रगड़ रहा था. जितनी तेज मेरी उंगली चल रही थी, उतनी ही तेज उस की सिसकारियां निकल रही थी, और साथ ही मैं उस के चूतड़ों को भी चूम रहा था.

अब मैंने वीडियो के अनुसार मीतू को उठा कर अपनी गोद में बिठा लिया और बूब्स को चूसने लग गया. मेरी एक उंगली अभी भी उसकी चुत पर थी, अब मेरा लंड मुँह में लेना था पर उसने मना करते हुए बोली कि ये गन्दा है मैं मुँह में नहीं लूँगी.

मेरी बहन मेरे लंड को हाथ मे लेकर ऊपर नीचे करने लगी जैसे वीडियो में हो रहा था.

 

फिर मैंने बाजू में पड़ी पैन्ट से कंडोम निकाला और अपने लंड को पहना दिया और चुत को चाटने लगा.

कुछ ही देर में मैंने उसकी चुत गीली महसूस की तो मैंने अपना लंड चुत पे रख दिया तो उसने थोड़ा हिलने की कोशिश की पर एक बार कहते ही मान गयी.

 

बस फिर मैंने अपने हाथ बूब्स पे रखकर थोड़ा सा धक्का मारा तो मेरे लंड की टोपा उस की चुत में था और वो दर्द के मारे रोने लगे गयी, आंखों में आँसूमुँह से साफ पता लग रहा था कि बहुत डर रही है.

फिर मैंने कुछ देर बाद एक और धक्का मारा तो उस की चीख निकल गयी पर मेरा लौड़ा आधा उस की चुत में जा चुका था. वो चिल्ला रही थी और बोल रही थी- बस भाई, निकाल लो, बहुत तेज दर्द हो रहा है.

 

फिर कोई 2-3 मिनट बाद मैंने तीसरे झटके में अपना लंड पूरा अंदर डाल दिया था और अब उसकी सील टूट गयी और खून निकलने लग गया!

 

अब कुछ देर ऐसे ही लेटे रहे जब तक उसका दर्द कम नहीं हो गया, फिर कुछ देर में मैं अपने लंड को हिलाने लगा और ट्रेन की तरह अपनी स्पीड को बढ़ाने लगा अब तो उसको भी मजे आ रहे थे और सिसकारियां ले रही थी. अब मुझ में और बुलेट ट्रेन में कोई ज्यादा फर्क नहीं था, बहुत तेज चोदने लगा अपनी बहन की चूत को, पूरा बेड ऐसे हिल रहा था कि मानो बहुत तेज वाला भूकंप आया गया हो!

अब वो बेड भी डांसिंग बेड बन गया था. अब मैं झड़ने वाला था तो मैंने लंड भर निकाल कर पूरा माल उस के पेट और बूब्स पे डाल दिया और हम दोनों आराम से बेड पर लेट गए.

 

थोड़ी देर बाद फिर चूमा चाटी शुरू हो गई, इस बार उस को घोड़ी बनने को बोला तो वो बन गयी और फिर से चुदम चुदाई शुरू!

 

फिर हम एक साथ नहाने गए और एक दूसरे को नहलाया और फिर से बाथरूम सेक्स किया, बाथरूम में पूरी चुदाई तो नहीं की पर खूब मजे लिए हम भाई बहन ने एक दूसरे के नंगे जिस्म के!

दोस्तो, बाथरूम सेक्स तो उसके बाद मेरा पसन्दीदा सेक्स बन गया.

 

अब हम थक चुके थे तो बांहों में बांहें डाल कर नंगे ही सो गए!

अगले दिन हमने फिर से सेक्स किया और बहुत किया.

 

अब मैं हर महीने घर जाता हूँकारण आप सभी जानते ही हो! जैसा सुख बहन के साथ सेक्स करने में और नंगा साथ बांहों में बाहें डालकर सोने में आता हैं वैसा सुख कही भी नहीं आता!

 

मैंने ये सब भाई बहन की चुदाई की बात अपने एक बचपन के दोस्त से बता रखी हैं, अब वो मेरी सहायता लेकर अपनी बहन को पटाने के बहुत करीब है, जल्द ही हम दोनों मिल कर उस की बहन को चोदेंगे, उस की बहन 21 साल की है और बहुत सेक्सी है, मुझे तो उसके चुचे बहुत पसंद हैं! दावा करता हूँ जल्द ही उस को चोद कर कहानी लिखूंगा!

 

तो दोस्तो, मुझे लगता है कि किसी भी लड़की को पटाने से आसान अपनी बहन को पटाना है, जब मन करे, तब करो, बस थोड़ी सी हिम्मत चाहिए फिर मजा ही मजा है!

 

अब मैं प्रदीप यादव आप सभी से विदा कहता हूँ!

दोस्तो मेरी भाई बहन की चुदाई कहानी आपको कैसी लगी, मुझे मेल करके जरूर बताना. और वो लड़के या लड़कियाँ जिन को अपने भाई या बहन को पटाना हैं पर डरते हैं, वो भी मेल के जरिये मुझसे टिप्स ले सकते हैं. 

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भाई से चुदवाया बहाना बनाकर

भाई से चुदवाया बहाना बनाकर

दोस्तों, मेरा नाम शिखा है। में आज पहली बार इस साईट पर स्टोरी लिख रही हूँ और आज में बहुत हिम्मत करके अपने जीवन का सच लिखने जा रही हूँ। में शिखा 18 साल की हूँ और एकदम भरपूर हुस्न की मालकिन हूँ। मेरा रंग हल्का सांवला है। हमारे मोहल्ले के लड़के मुझे देखकर अपने लंड पर हाथ फेरने लगते है, मेरा फिगर 36-27-38 है। मैंने पहले अपने बॉयफ्रेंड के साथ सेक्स के खूब मज़े लिए है, लेकिन फिर वो पढाई करने के लिए बाहर चला गया और अब में यहाँ अकेली रह गयी हूँ। खेर ये तो मेरा परिचय था। मेरी फेमिली में हम 4 लोग है पापा, माँ, बड़ा भाई (पंकज) और में।

 

ये स्टोरी मेरी और मेरे भाई के बीच की है। में कॉलेज में Ist ईयर में पढ़ती हूँ और मेरा बड़ा भाई उम्र 21 साल है और वो IIIrd ईयर का स्टूडेंट है, वो दिखने में एकदम मस्त है और अच्छी बॉडी है। उसकी हाईट 5 फुट 6 इंच है। हम दोनों का कॉमन रूम है। हम आपस में बहुत लड़ाई करते रहते है और एक दूसरे को चिढाते रहते है माँ भी हमे डांटती रहती है।

 

फिर एक दिन में कॉलेज से लेट हो गयी और जब घर आई तो भाई पूछने लगा कि कहाँ गई थी? तो मैंने कहा कि फ्रेंड्स के साथ थी। फिर वो लड़ने लगा तो में भी चिल्ला पड़ी तो उसने मुझ पर हमला कर दिया और मुझको पकड़कर नीचे गिरा दिया। फिर मैंने भी उल्टा जवाब दिया और उसे गिरा दिया और उसके पेट के ऊपर बैठ गई, उस टाईम शायद उसका लंड खड़ा हो गया था और मेरी गांड की दरार में चुभने लगा था तो में समझ गयी थी, लेकिन मेरा हटने का मन नहीं कर रहा था और ये बात शायद भाई भी समझ गया था।

 

फिर उसने मुझे धक्का दिया तो में नीचे गिर गई और वो मेरे ऊपर आ गया, मेरे पैर खुले होने की वजह से उसका लंड मुझे सीधा चूत पर महसूस होने लगा, तो में झट से उसे धकेलकर वहाँ से जाने लगी। जब मैंने पीछे मुड़कर देखा तो भाई की पेंट में बहुत मोटा सा हिस्सा उभरा हुआ था, में सोच में पड़ गयी कि भाई का लंड कितना बड़ा होगा? उस दिन मैंने बाथरूम में जाकर अपनी पेंटी उतारी तो उसमें से ढेर सारा पानी निकाला, में सोच में पड़ गयी कि अपने सगे भाई को टच करते ही मुझे आज क्या हो गया है?

मुझे खुद पर शर्म भी आ रही थी और वो पल याद करके मज़ा भी आ रहा था। उस दिन मुझे बहुत खुजली हुई, लेकिन मैंने उस खुजली को अपनी चूत में उंगली से शांत कर लिया। फिर मैंने सोच लिया कि में भाई को गर्म करके देखूँगी अगर हो गया तो घर की बात घर में रहेगी और खुजली भी मिट जायेगी।

 

 

अब में भाई के सामने छोटे-छोटे कपड़े पहनने लगी और उसे अपने 36 साईज़ के बूब्स भी दिखाने लग गयी। वो भी मुझे गोर से देखता था, लेकिन ऐसे बर्ताव करता था जैसे उसने कुछ ना देखा हो। में अपनी मोटी गांड मटकाती थी और उसके सामने जानबूझ कर ऐसे चलती थी। एक दिन माँ पापा एक हफ्ते के लिए छुट्टी मनाने शिमला चले गये और हम दोनों परीक्षा की वजह से दिल्ली में ही रह गये। ये मेरे लिए एक गोल्डन चान्स था, मैंने इसके लिए एक प्लान बनाया और उसी के मुताबिक रात को छत से आते वक्त में सीढ़ियों से फिसल गयी और ज़ोर-ज़ोर से चिल्लाकर रोने लगी।

 

फिर पंकज दौड़ता हुआ आया और मुझे उठाकर पूछने लगा कि कही चोट तो नहीं लगी। तो मैंने बताया कि घुटने और कमर में मोच आ गई है, तो वो डॉक्टर के पास जाने के लिए कहने लगा, लेकिन मुझसे उठा नहीं गया तो मैंने कहा कि ऐसे ही ठीक हो जायेगा। फिर उसने मुझे दर्द की गोली दी और मुझे सुला दिया, लेकिन रात को 10 बजे मेरी आँख खुली तो मैंने भाई को बुलाया और उसे मालिश करने के लिए कहा तो उसने हाँ कर दिया और किचन में तेल लेने चला गया।

 

मैंने उस दिन सूट और खुली वाली सलवार पहन रखी थी। फिर मैंने कहा कि मेरे घुटने और कमर की मालिश कर दे तो वो आकर मेरे पास बैठ गया। फिर मैंने अपनी सलवार को घुटने के ऊपर तक उठा लिया और भाई मालिश करने लगा तो मुझे बहुत मज़ा आने लगा। फिर मैंने कहा भाई थोड़ा और ऊपर तक कर। फिर वो अपना हाथ मेरी जाँघ तक लाकर मालिश करने लगा, मैंने जब तिरछी नज़रो से देखा तो वो मेरी गांड को घूर रहा था और उसके पजामे में बहुत मोटा टेंट बना हुआ था। मेरी तो चूत टपकने लगी थी। फिर में ऊपर कमर करके लेट गयी और उसे कमर की मसाज करने के लिए कहा तो वो तुरंत बोल पड़ा कि उसके कपड़े गंदे हो जायेंगे।

 

तो मैंने कहा कि भाई पजामे को उतार दे और फिर मालिश कर। तो उसने सुनते ही अपना पजामा हटा दिया और मेरे पास आ गया। फिर मैंने अपना सूट और ब्रा स्ट्रिप्स तक हटा लिया और उसे इशारा किया। वो तो जैसे इस पल के लिए तड़प रहा था। फिर अपने हाथ में तेल लेकर मेरी कमर पर मलने लगा तो मेरे मुँह से आह्ह्ह निकल गई। तो उसने पूछा कि क्या हुआ? फिर मैंने कहा कि आराम मिल रहा है, भाई ऐसे ही कर। फिर वो अपना हाथ मेरी ब्रा तक लाने लगा और कहने लगा कि शिखा तेरी ये अटक रही है।

 

में : क्या भाई?

 

पंकज : ये बनियान।

 

में : इसे बनियान नहीं कहते है।

 

पंकज : तो क्या कहते है?

 

में : भाई इसे ब्रा कहते है।

 

पंकज : तो ये मालिश करने में अटक रही है।

 

फिर मैने उसे हटा दिया और उसे लगातार मालिश करने का इशारा किया। फिर वो मेरे कूल्हों को टच करने लग गया और ऊपर मेरे बूब्स पर उंगलियां लगाने लगा।

 

में : भाई थोड़ा बीच में कमर पर करो, आराम मिल रहा है।

 

पंकज : मुझसे ऐसे नहीं हो रहा, उसके लिए तेरी कमर के दोनों तरफ पैर रखने पड़ेंगे।

 

में : (कुछ सोचते हुए) तो रख लो।

 

फिर उसने अपने दोनों पैर मेरी कमर के दोनों तरफ रख लिए और मालिश करने लगा। आआहह बहुत आराम मिल रहा है भाई, ऐसे ही करो। फिर वो मेरे कूल्हों पर बैठ गया और उसका लंड मेरी मोटी गांड में अटकने लगा, में तो जैसे मर रही थी। मेरा मन कर रहा था कि वो अभी अपना लंड मेरी चूत में पेल दे और खूब चोदे, लेकिन ऐसा नहीं हो सकता था। वो अपना हाथ ऊपर से लेकर नीचे मेरी गांड तक लाता था और जब हाथ ऊपर जाता तो उसका लंड मेरी सलवार में से अंदर घुसा जा रहा था। उसने अपने लंड को शायद मेरी गांड के छेद पर सेट कर दिया था और हल्का-हल्का पुश करने लगा था।

 

फिर मैंने अपनी गांड को थोड़ा और ऊपर उठा लिया तो भाई का लंड मेरी सलवार के ऊपर से चूत को टच होने लगा और आआहह के साथ में झड़ गयी, मेरी चूत फड़कने लगी थी और पंकज के लंड को भी गीलेपन का एहसास होने लगा था। फिर मेरी आँखे थोड़ी देर के लिए बंद हो गयी और में सो गयी, फिर मुझे सोती देख भाई भी चला गया। फिर अगले दिन भाई मेरे लिए चाय लेकर आया और मुझे देखकर मुस्कुराने लगा। फिर वो चाय देकर कॉलेज चला गया और शाम को घर आया तो वो होटल से खाना लाया था, उसने मुझे उठाकर खाना खिलाया और पूछा कि अब दर्द कैसा है? तो मैंने कहा कि कल की मालिश से बहुत आराम मिला है।

 

पंकज : ठीक है, में आज भी मालिश कर दूँगा और सारा दर्द ठीक हो जायेगा।

 

में : ठीक है भाई।

 

फिर रात हुई और मैंने जानबूझ कर आज घुटनों तक की लम्बाई की स्कर्ट पहनी और ऊपर टॉप पहना और अंदर मैंने ब्रा और पेंटी नहीं पहने। फिर वो रात को 10:30 बजे रूम में आया, तो मैंने दर्द का नाटक किया और उसे मालिश करने के लिए कहा तो वो तुरंत कटोरी में तेल ले आया। दोस्तों ये कहानी आप चोदन डॉट कॉम पर पड़ रहे है।

 

आज उसने शॉर्ट और ऊपर बनियान पहन रखी थी, उसका लंड आज अलग ही शेप में दिख रहा था, शायद उसने भी आज अन्दर अंडरवियर नहीं पहना था। फिर वो मेरे घुटने की मालिश करने लगा और में पेट के बल लेट गई और फिर वो मेरी स्कर्ट को धीरे-धीरे ऊपर करने लगा और मालिश करने लगा। में फिर से तड़पने लगी। अब मेरी मोटी गांड का ऊभार दिखना शुरू हो गया था। फिर मैंने जब उसकी तरफ देखा तो वो मेरी गांड को ललचाई नज़रो से देख रहा था। फिर मैंने अपनी आँखे बंद कर ली और हल्के-हल्के से कराहने लगी, अब उसकी उंगलियां मेरे कूल्हों की लाईन को छूने लगी थी। उसे पता चल गया था कि मैंने पेंटी नहीं पहनी है। अब फिर मैंने उसे अपनी कमर की मालिश करने को कहा तो उसने मेरा टॉप ऊपर कर दिया, वो भी मेरी गर्दन तक और अब टॉप सिर्फ़ मेरे बूब्स में अटका हुआ था। फिर भाई पूरी कमर पर हाथ फेरने लगा और नीचे मेरी स्कर्ट को भी नीचे सरकाकर गांड को छूने लगा, अचानक से लाईट चली गयी और पूरे कमरे में अंधेरा हो गया।

 

पंकज : मोमबत्ती जला दूँ क्या?

 

में : नहीं रहने दो भाई, वैसे भी मालिश ही तो करनी है तो ऐसे ही कर दो।

 

अब वो मेरी कमर के दोनों तरफ पैर रखकर बैठ गया और पूरी कमर को अपने हाथों से मालिश करने लगा। वो आज मेरे कूल्हों के थोड़ा नीचे बैठ गया और धीरे-धीरे ऊपर होने लगा, उसका लंड अब मेरी स्कर्ट के ऊपर से सीधा मेरी चूत को खटखटाने लगा। फिर मैंने अपने कूल्हों को थोड़ा ऊपर की तरफ उछाल दिया और मज़े लेने लगी, भाई के बार-बार ऊपर नीचे होने से मेरी स्कर्ट ऊपर होने लगी और मेरी पूरी गांड नंगी हो गयी। अब तो मुझसे सहन करना मुश्किल हो रहा था और शायद भाई से भी सहन करना मुश्किल हो गया था, फिर उसके मुँह से भी एक हल्की सी आहह निकली।

 

फिर मैंने महसूस किया कि अब वो सिर्फ़ एक हाथ से मेरी गांड और चूचीयों को छू रहा है। में सोच में पड़ गयी की इसका दूसरा हाथ कहा है, अचानक ही मुझे कुछ गर्म हार्ड और मोटा सा अपनी गांड पर महसूस हुआ मेरे तो तोते उड़ गये थे। मुझे समझने में देर नहीं लगी कि पंकज का दूसरा हाथ कहाँ था और मेरी गांड पर क्या टच हो रहा है? फिर उसने अपना लंड शायद बाहर निकाल लिया था, मेरी तो कंपकपी छूट गई थी, लेकिन बहुत ज्यादा आनंद भी आ रहा था। अंधेरे में कुछ दिख तो नहीं रहा था, लेकिन टच होने से ये पता चल रहा था कि उसका लंड बहुत ताकतवर और लंबा मोटा है। खेर में ऐसे ही लेटी रही और उसका लंड अब मेरी गांड के छेद को टच कर रहा था और ऐसा लग रहा था जैसे अभी अंदर घुस के मेरी गांड ही फाड़ देगा।

 

फिर मैंने अपनी गांड को थोड़ा ऊपर किया तो उसका लंड चूत के छेद पर टच होने लगा और हम दोनों के अंग आपस में मिल गये। आआआअहह वो क्या अहसास था? जैसे ही उसका लंड मेरी चूत पर टच हुआ, उसने वही सेट कर दिया और अब सिर्फ़ उसका ऊपर का हिस्सा उड़ रहा था और नीचे का एक जगह ही था।

 

फिर मैंने कहा कि भाई थोड़ा ऊपर कंधो तक मालिश करो तो अब जब वो अपने हाथों को ऊपर तक लाया तो उसके लंड का प्रेशर मेरी चूत पर बढ़ने लगा और हल्का सा पुश होने लगा, जैसे ही उसने दोबारा ऊपर की तरफ हाथ किए तो उसका लंड फिर आगे की तरफ हुआ और तभी मैंने भी अपनी गांड को नीचे की तरफ धक्का दिया। आहमम्म मुझे हल्की-हल्की मौन आने लगी थी, उसका मोटा सुपड़ा आधा मेरे अंदर जा चुका था। अब हम दोनों ही ऐसे बर्ताव कर रहे थे जैसे किसी को कुछ नहीं पता हो। तीसरी बार फिर ऐसा ही हुआ और मुझसे रुका नहीं गया और इस बार थोड़ा ज़ोर से गांड को उसके लंड पर पटक दिया और एकदम से उसका लंड चिकनाई की वजह से 3 इंच अन्दर चला गया।

 

अब भी हम दोनों हल्की-हल्की मौन कर रहे थे ऐसे ही धीरे-धीरे उसका 7 इंच का पूरा लंड मेरी चूत में समा गया। फिर मैंने अपनी गांड को हवा में उठा लिया और फिर वो अब धीरे-धीरे अन्दर बाहर करने लग गया। आआहह ऊऊओ माआआअ म्‍म्म्ममममम आआअहह ओ ह्म्‍म्म्मम म्‍म्मह। फिर मेरे मुँह से आवाज़े आने लगी तो भाई समझ गया कि मुझे मज़ा आने लग़ा है। अब उसने धक्को की स्पीड तेज़ कर दी और मेरी गांड पर ठप ठप ठप की आवाज़ आने लगी और अंधेरे में रूम में गूंजने लगी।

 

में अब तेज़-तेज़ मौन करने लगी थी, आअहअहह एम्म्म ऊओ और तेज़्ज़्ज़्ज़ यययई यआआ। फिर मैंने अपने हाथ पीछे ले जाकर भाई के कूल्हों पर रख दिए और अपनी तरफ पुश करने लगी म्‍म्म्ममम। वो भी ताबडतोड़ धक्के लगाने लगा म्‍म्म्मआआहह और फिर हम दोनों ने पानी छोड़ दिया, इतना मज़ा मुझे आज तक नहीं आया। अब हम रोजाना सेक्स करके मजे लेते है ।।

 

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प्यारी मामी की चुदाई मेरे लंड से बार बार लगातार

मुझे चुदाई करने में बड़ा मज़ा आता है. चूत और मेरा रिश्ता मानो जन्मों जन्मों का है, जब भी, जहाँ भी मिलती है, चुदाई हो ही जाती है. दोस्तो, अन्तर्वासना में यह मेरी फर्स्ट स्टोरी है, आशा करता हूँ कि आपको मेरी यह कामुक कहानी पसंद आएगी.

प्यारी मामी की चुदाई मेरे लंड से बार बार लगातार

ये बात तब की है जब मैं 18 साल का था और मेरी पूजा मामी मेरे घर दिल्ली में रहने आई थी, साथ में मामा जी और उनके 2 छोटे छोटे बच्चे भी आए थे.

मेरी मामी दिखने में बहुत खूबसूरत है, उसकी फिगर 38 34 36 है यानि चुचे ही सबसे बड़े हैं, देखते ही मन करता है कि बस कस के दबा दूँ.

मेरी मामी पंजाब से है और मस्त माल है.

 

मेरे मामा ने दूसरी शादी की थी, पहली मामी तो उनकी किसी बात से तंग आकर उन्हें छोड़ के चली गई थी, तब मैं बच्चा था और मुझे नहीं पता था कि वो उन्हें क्यूँ छोड़ कर गई थी. जब तक पूजा मामी ने मुझे सच नहीं बताया था, आपको यह बात कहानी में पता चलेगी.

 

दोस्तो, कहानी आगे बढ़ाते हैं.

गर्मी की छुट्टियां थी, पूजा मामी और उनकी फेमिली मेरे घर आई हुई थी, रात हुई, सबने रात को खाना खाया और बातें करने लग गये.

 

मेरे घर में दो कमरे हैं तो एक कमरे में सब बात कर रहे थे और दूसरे कमरे में मैं टीवी देख रहा था और मुझे देर रात तक टीवी देखने की आदत थी. जैसे ही रात के 12 बजते थे तो टीवी पर केबल वाला ब्लू फिल्म भी दिखाता था, तो उस रात भी मैं ब्लू फिल्म देखने का वेट कर रहा था.

 

मेरे मामा और मेरे पापा विस्की एंजाय कर रहे थे, मेरे मामा को रोज शराब चाहिए और मेरे पापा को भी, ये लोग पीने के मामले में बहुत आगे हैं, उस रात उन्होंने कम से कम एक बोतल ख़त्म कर दी थी.

तभी सब लोगों की बातें ख़त्म हो गई और सबको सोना था तो मेरी मम्मी पापा और भाई तो उसी रूम में सोने चले गये, मामी, मामा जी और उनके बच्चे मेरे रूम में आ गये, एक्सट्रा बेड भी लगा दिया था.

 

मुझसे मामी ने पूछा- नीरज, तू कब तक सोएगा?

मैंने कहा- अभी तो मैं टीवी देखूँगा. मामी आपको अगर नींद आ रही है तो आप लोग सो सकते हैं.

मामी ने बोला- ठीक है, हम सो जाते हैं. तो मामा जी और दोनों बच्चे एक बेड पे सो गये और मामी जी दूसरे बेड पे बिल्कुल मेरे सामने सो गई.

 

मेरा सारा ध्यान टीवी देखने में था, मामा जी तो शराब के नशे में थे और बेड पे लेटते ही सो गये और बच्चे भी बहुत थके हुए थे तो वो भी सो गये थे.

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थोड़ी देर बाद टीवी पे किस्सिंग सीन आया और मेरा लंड खड़ा होने लग गया. मैंने सोचा कि मूठ मार लूँ जाकर

लेकिन तभी मैंने देखा कि मामी जी की शर्ट तभी हवा से ऊपर उठ गई और उनकी गांड दिखने लगी. मेरा मूड बिगड़ने लगा और मामी के बड़े बड़े बूब्स भी बाहर की तरफ झाँक रहे थे.

मैं थोड़ी देर यों ही देखता रहा कि क्या किया जाए.

 

फिर थोड़ी सी हिम्मत की और मेरे पैर को मामी की गांड की तरफ लेकर गया और हल्का सा टच किया, पूजा मामी को कुछ पता नहीं चला.

मेरा मन और आगे कुछ करने को हुआ, मैंने अपने पैर को थोड़ा सा और आगे किया और उसकी गांड को अपने पैर से ऊपर से ही सहलाने लग गया.

 

मेरी गांड भी फट रही थी कि कहीं अगर वो जाग गई और किसी को कुछ बोल दिया तो मेरा क्या होगा.

लेकिन दोस्तो, डर के आगे ही तो जीत होती है.

मेरी हिम्मत थोड़ी और बढ़ी, मुझसे रहा नहीं जा रहा था, मेरा लंड खड़ा हो चुका था और अब तो आर या पार ही होगा या तो चूत मिलेगी या नहीं मिलेगी.

 

मैंने सोचा कि अगर कुछ बोलेगी तो सॉरी बोल कर मना लूँगा.

मैं उठा और मामी की गांड की तरफ आगे बढ़ा और अपने हाथ से उसकी गांड सहलाने लगा. उसने कुछ नहीं कहा, मेरी हिम्मत और बढ़ गयी, मैंने सोचा कि लगता है कि ये भी कुछ तो चाहती है.

 

मैंने झट से टीवी बंद किया और कमरे में अंधेरा कर दिया लेकिन बाहर से हल्की सी रोशनी मामी के बूब्स पे जो पड़ रही थी उससे ऐसा लग रहा था जैसे चाँदनी रात में ताजमहल हो. मैंने धीरे धीरे पूजा मामी के बूब्स पर हाथ रखा और दबाने लगा, मुझे तो बहुत मजा आ रहा था और शायद मामी को भीतभी उसने अभी तक कुछ नहीं कहा.

 

मेरी हिम्मत तो अब बहुत बढ़ चुकी थी और मेरा लंड भी नीचे जंगली सांप की तरह उछल रहा था. पूजा मामी के चुचे दबा कर मानो स्वर्ग की प्राप्ति हो रही थी लेकिन मेरे लंड को खुशी तब तक नहीं मिलेगी जब तक मामी की चूत के दर्शन ना हो जाएँ!

 

मैं धीरे से मामी के पास गया और उन्हें जगाया, मैंने कहा- मामी जी, कब तक नींद में मज़े लोगी, उठ जाओगी तो और भी मज़े करेंगे.

लेकिन उसने कोई प्रतिक्रिया नहीं की, मैं समझ गया कि ये एड़ा बन के पेड़ा खाना चाहती है.

 

फिर तो मानो मुझे ग्रीन सिग्नल मिल गया और मैंने सीधा मेरा हाथ उसकी चूत पे रख दिया और ऊपर ऊपर से सहलाने लग गया. मामी को भी मज़ा आने लग गया और वो उम्म्म्मअहहअहहउम्म्म्मममकी आवाज़ करने लगी.

मैंने मामी जी के कान में बोला- मामी जी, चलो बाथरूम में चलते हैं, वहाँ पर मज़े करेंगे.

 

मामी ने मना कर दिया, कहती- आज नहीं, कोई आ ज़ाएगा तो प्राब्लम हो जाएगी, तुम्हें जो करना है, यहीं पे करो लेकिन चूत में लंड नहीं डालना, मैं प्रेग्नेंट हूँ.

मैंने कहा- ठीक है!

 

मैं फिर मामी के चुचे दबा दबा कर उसकी चूत में उंगली करने लगा.

मैंने मामी को पूछा- आपको सकिंग आती है क्या?

 

उसने कहा- वो क्या होता है?

मैंने कहा- मेरे लंड को मुंह में लेकर आगे पीछे करने को सकिंग कहते हैं.

उसने मेरा लंड हाथ में पकड़ा और बोली- नीरज, तेरा लंड तो तेरे मामा से भी बहुत बड़ा है और मोटा भी है.

मैंने कहा- मामी जी, ये सिर्फ़ आपको देख कर कुछ ज्यादा ही मचल रहा है, अब इसको अपने मुख में लो और इसे शांत कर दो!

पूजा मामी ने मेरे लंड को अपने मुख में लिया और चूसने लगी. साली ने पहली बार में ही पूरा का पूरा लंड मुंह के अंदर ले लिया.

 

दोस्तोक्या मजा दे देकर चूस रही थी लंडमुझे तो बहुत मजा आ रहा था.

थोड़ी देर लंड चूसने के बाद मामी बोली- यार, अब तो मुझसे भी नहीं रहा जा रहा है!

मैं बोला- तो जानू, चलो बाथरूम मेंवहीं जाकर तेरी चूत का भूत उतार देता हूँ.

उसने कहा- ठीक है!

 

तो सबसे पहले मामी गई बाथरूम में, फिर मैंने अपने घर का चक्कर लगाया और देखा कि सब सो रहे हैं या कोई जाग भी रहा है.

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दोस्तो, लग रहा था कि ऊपर वाला मेरे ही साथ था उस दिन!

सब को सोया देख मैं भी बाथरूम में चला गया और जाते ही पूजा मामी को अपनी बाहों में भर लिया और उसके लिप्स को चूसने लगा. वो भी मेरा साथ दे रही थी.

 

थोड़ी देर तक उसके लिप्स को चूसा, फिर उसके चूचों को दबाया, उसने अपनी कमीज को ऊपर किया और उसके दोनों चूचों को आज़ाद कर दिया.

क्या बात है मामी जीआपके चुचे तो बहुत बड़े हैंइनको तो आज मैं खा जाऊँगा!

मामी जी बोली- तो बेटा, रोका किसने है? खा जा ना!

 

फिर तो मैंने मामी की चुची पर हमला कर दिया और दबा दबा के चूसने लगा, मामी की सिसकारियाँ निकलने लगी- अहहाउम्म्हअहहहययाहउम्म्म्मओह ओहऔर चूस और चूस उम्म्म्मआह आह!

 

मैंने कहा- मामी जी, अब आपकी चूत में लंड डालना है!

मामी ने अपनी चूत मेरे सामने खोल दी- ले राजा, कर दे इस चूत की चुदाई!

मैंने लंड को मामी की चूत पे लगाया और एक ही झटके से मेरा आधा लंड उसकी चूत के अंदर चला गया.

 

मामी की आवाज़ निकली आह…’ और फिर एक और झटका मारा तो पूरा का पूरा मेरा लंड मामी की चूत में चला गया. फिर सिलसिला शुरू हुआ चुदाई कामैं उसकी चुदाई करने लगा, कितनी प्यारी चूत है मामी आपकी!

मामी ने बोला- अबे चुदाई कर रहा है या पूजा कर रहा है? आह आहउम्म्मउफ़फ्फ़फक फक

 

मैं मामी की चूत की चुदाई में मस्त था, 10 मिनट तक उसकी चुदाई के बाद मामी झड़ने लगी, मामी बोली- नीरज तू तो बहुत मस्त चुदाई करता हैऔर चोद! चोद मुझे नीरज! आहहअहहाअहहअहहउम्म्म्मउफफ्फ़आहह

पूरा बाथरूम उसकी सिसकारियों से गूँज रहा था.

 

10 मिनट की चुदाई के बाद मेरा भी झड़ने वाला था, मैं मामी से बोला- मामी, मैं झड़ने वाला हूँ.

मामी बोली- तो अंदर ही झाड़ दे!

मैं और ज़ोर ज़ोर से चुदाई करने लगा और थोड़ी देर बाद उसकी चूत में ही झड़ गया. फिर हम दोनों बाहर आए और सोने चले गये.

 

फिर तो दोस्तो, मेरी मामी के साथ चुदाई का सिलसिला चलता रहा, मैं जब भी उनके घर पंजाब में जाता तो वहाँ भी चुदाई करता!

आपको मेरी पूजा मामी की चुदाई की कहानी कैसी लगी, मुझे ज़रूर बतायें! मैं आपके मेल्स का इंतज़ार करूँगा.

  

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बीवी को चोदने की जगह दीदी को चोद डाला - biwi ko chodne ki jagah didi ko chod dala

मेरी उम्र 23 वर्ष हो रही है। मेरे परिवार में मात्र तीन लोग रहते हैं, मैं, मेरी माँ और मेरी पत्नी ! और हाँ एक और सदस्य आज ही आया जो हमारे ही बीच का है पर आज से ठीक दो साल पहले ही उसकी शादी हो चुकी है, जो अपने ससुराल में रहती है, वह है मेरी दीदी ! जिसके पति तीन दिन पहले अरब देश जा चुके हैं, जिसके चलते वह हमारे यहाँ रहने आ गई है।

बीवी को चोदने की जगह दीदी को चोद डाला - biwi ko chodne ki jagah didi ko chod dala

पर आते ही मेरे कमरे और मेरी बीवी पर पहला अधिकार जमा लिया। सबकी दुलारी होने से कोई कुछ नहीं मना करता और किसी काम को करने से नहीं रोकता है। माँ की दुलारी तथा मेरी भी बड़ी दीदी होकर भी साथ साथ पले बढ़े हैं क्योंकि मुझसे मात्र दो साल ही बड़ी है।

हम लोग उनकी सेवा में लगे हुए थे और देखते देखते शाम, फिर रात भी हो गई, परन्तु दीदी मेरे कमरे में जमी रही। अंत में मुझे दूसरे कमरे में यह सोच कर सोना पड़ा कि शायद आज ही आई है तो सो गई, कल से दूसरे कमरे में सोयेंगी। दूसरे कमरे में आकर मैंने सोने की कोशिश की मगर नींद नहीं आई तो टी.वी. चला लिया। शनिवार होने से चैनल बदलते हुए मेरा हाथ रैन टी.वी. पर रुक गया जहाँ गर्म फिल्म आ रही थी।

अब तो मेरी नींद भी जाती रही, एक तो बीवी से डेढ़ साल में पहली बार रात में अलग सोना, उस पर से रैन टी.वी. का कहर ! मुठ मारते पूरी रात काटनी पड़ी पर मन टी.वी. बिना देखे मान ही नहीं रहा था। किसी तरह मुठ मारते रात काट ली और सुबह काफी देर तक सोता रहा। जब उठा तब मेरी बीवी नाश्ता बना रही थी।

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मुझे देख कर मुस्कुराते हुए बोली- लगता है कि काफी निश्चिंत होकर रात में सोये हैं जनाब ! मेरा नाराजगी भरा चेहरा देख कर और कुछ न बोल कर चाय का प्याला मेरी तरफ बढ़ा दिया। मैं भी कुछ कहे बिना चुपचाप से चाय पीने लगा। दिन भर सभी अपने अपने काम में लग गए, मैं भी अपने ब्रोकिंग एजेंसी को देखने चला।

दिन भर तो काम में लगा रहा, शाम को घर आने पर चाय और नाश्ता देकर बीवी फिर दीदी के पास जाकर बैठ गई जो मेरे ही सामने के कुर्सी पर बैठी नाश्ता ले रही थी। अब मैंने थोड़ा ध्यान दीदी की तरफ दिया, सोचने लगा- क्या दीदी आज भी मेरे ही कमरे में सोयेंगी? और बातों बातों में पता लगा कि वे आज भी नहीं जान छोड़ने वाली !

फिर वही कहानी पिछली रात वाली ! मुझे आज फिर अकेले दूसरे कमरे में सोना था ! पर आज मुझे दीदी पर बहुत गुस्सा आ रहा था और बकबकाते हुएमैं बाहर आ गया। पिछली पूरी रात खराब कर के रख दी थी ! रात होते ही मेरा मुठ मारना शुरु हो गया और आज न जाने कैसे रात कट गई, पता नहीं कब नींद लग गई ! सुबह जगा तो पूरे सात बज रहे थे।

मैंने सोच रखा था चाहे कुछ भी हो आज रात आरती को (मेरी बीवी) नहीं छोड़ना है, या तो मेरे कमरे में या रसोई में, कहीं भी चुदाई होगी तो होगी ! जैसे ही दीदी ने नहाने के लिए स्नान घर में प्रवेश किया, मैं मौका देख कर रसोई में घुस गया और पीछे से आरती को पकड़ उसके बोबे मसलते हुए चूतड़ों की फांकों में अपने फनफनाये लंड का दबाब डालते हुए गालों को जोर से चूमलिया तो आरती बोली- कोई देख लेगा ! क्या करते हो?

दो रातों में ही अकडू महराज पायजा मे से बाहर हो रहे हैं, अगर दो रातें और बिता ली तो पायजा मे से निकल किसी बिल में ही घुस जायेंगे तो ढूंढना मुश्किल हो जायेगा ! मैंने कहा- देखो आरती, अब मुझसे बर्दाश्त नहीं हो रहा ! आज रात कुछ करो यार ! यह दीदी अपने तो अकेली रहने की सजा कट रही हैं, साथ में हमें भी मार रही हैं ! या तो तुम मेरे कमरे में आ जाना या रात को यहीं रसोई में ही चुदाई करेंगे !

आरती भी थोड़ी उत्तेजित हो चुकी थी, वह बोली- नहीं, रसोई में ठीक नहीं होगा ! मैं तुम्हारे कमरे में भी नहीं आ सकती क्योंकि दीदी सोचेगी कि दो रात में जवानी काबू में ना रही जो मराने चली गई। मैं बोला- तो मैं मुठ मार कर सोता रहूँ? “नहीं जी !

मैंने ऐसा कब कहा? अगर यह समस्या सदा के लिए टालनी है तो हम अपने कमरे में ही करेंगे। अगर दीदी जाग गई तो शरमा कर कल से नहीं सोयेंगी और ना जगी तो रोज ऐसे ही चलेगा !आरती का जबाब सुन कर मैंने कहा- पर इसमें तो दीदी के जागने का ज्यादा चांस है, जागने पर क्या सोचेंगी? आरती ने कहा- मैं तो चाहती हूँ कि रात को दीदी जग जाये जिससे कल से यह समस्या ख़त्म हो जाये ! समझे बुद्धू ?

मैं समझने की कोशिश करता हुआ काम बनता देख ज्यादा ना पूछा पर जानना चाहा- पर रात में मैं तुझे पहचानूँगा कैसे? वह बोली- मैं बेड के इसी किनारे सोऊंगी और दरवाजा खुला रखूंगी ! तुम धीरे से आ जाना बस ! मैं कुछ और पूछता, इससे पहले दीदी नहाकर निकलने जा रही थी।

तो मैं धीरे से निकल चला और रात के इंतजार में जल्दी से तैयार हो कर अपने काम पर चल दिया। और आज तो तिसरी रात होने के कारण उसमें और खूबसूरती आ गई है। अब मुझे केवल रात का इन्तजार था। आखिर शाम हुई, फिर रात हुई और सबने खाना खाकर अपने अपने बिछावन को पकड़ लिया पर दीदी मेरे ही कमरे में डेरा जमाये हुए थी।

इन्तजार करते करते लगभग रात के ग्यारह बज चुके थे। सम्पूर्ण अंधेरा था क्योंकि बिजली भी नहीं थी, मकान में एकदम सन्नाटा छाया था, माँ के कमरे से खर्राटों की आवाज आ रही थी। सुनने में ऐसा लगा कि वह गहरी नींद में होगी। मैंने निश्चिन्त होने के लिये पांच मिनट का इन्तजार किया।

अब लगभग अपने कमरे के पास पहुँच मैंने अपना दायां हाथ इस प्रकार से दरवाजे के तरफ़ बढ़ाया कि कोई हलचल न होने पाये। और कमरे के अन्दर अपने बेड केपास आकर देखने की कोशिश करने लगा पर कुछ साफ न दिखने से अन्दाजा लगाया कि आरती ने कहा था कि वह बेड के इसी तरफ़ सोयेगी।

आज पहली बार मुझे अपने ही घर में अपने कमरे में चोरों की तरह घुसना पड़ रहा था। धड़कते दिल से मैं बिछावन के पास पहुँचा और मध्यम रौशनी के सहारे इस तरफ़ की आकृति को छुआ। मेरा हाथ उसके चूतड़ पर लगा। फिर कुछ देर रुक कर मैंने अपना हाथ आगे पेट की ओर बढ़ाते हुए आहिस्ता से उसके उन्नत-शिखरों की ओर खिसका दिया। मेरे हाथ का पंजा उसके स्तनों के पास पहुँच कर पूरे पंजे से उसके बोबे दबाने लगा।

अब मैंने उसके खुले गले के ब्लाऊज़ के गले के अंदर हाथ डाला तो मेरा पहला स्पर्श उसकी सिल्की ब्रा का हुआ, पर इससे तो मुझे सन्तुष्टि नहीं हुई। फिर मैंने आहिस्ता से अपना हाथ उसके स्तनों के बीच की घाटी में प्रविष्ट करा दिया और आहिस्ता आहिस्ता उसके दोनों स्तनों पर अपने हाथ घुमाने लगा। मैं उसकी दूध की दोनों डोडियों से खेलने लगा।

अब मेरे दिमाग ने काम करना बिल्कुल बंद कर दिया। मैं बिल्कुल कामातुर हो चुका था, मैं यह भूल चुका था कियदि दीदी ने जागकर देख लिया तो पता नहीं क्या सोचने लगेगी ! अब मैं आरती के स्तनों के साथ उसकी चूत को भी मसलना चाहता था।

मैंने आहिस्ता से उसका साया खोल कर उसकी मखमली पैंटी पर हाथ रख दिया और कोई प्रतिक्रिया न देखकर फिर अंदर चूत को सहलाने के लिये हाथ बढ़ाया तो मेरा हाथ उसके दाने से टकराया। बिल्कुल छोटी मखमली झांटों को सहलाने का लुत्फ उठाने लगा। अब लगा मेरे दोनों हाथों में जन्नत है, मेरा बायां हाथ तो उसके वक्षों से खेल रहा था और दायां हाथ उसके वस्ति-क्षेत्र का भ्रमण कर रहा था।

अब मुझे यह तो सुनिश्चित हो चुका था कि वह नींद में नहीं है तो मैं हौले से उसके भग्नासा के दाने को सहालाकर उत्तेजित करने की कोशिश करने लगा। पर वह भी आँखें मींचकर पड़ी हुई थी। मैंने सोचा कि अब यह गर्म है तो समय भी तो तेजी खिसका जा रहा है, इसके लिये दूसरा उपाय करना होगा। इधर उसके सिर के तरफ़ मैंने लण्ड का रुख करके उसके मुँह के ऊपर रखा था तो मेरा लण्ड मुँह खोलकर चूसने लगी।

अब मैंने अपनी लुन्गी खोलकर कमर से हटाते हुए उसके मुँह से पूरा सटा दिया, उसमें से चिपचिपाहट भी निकल रही थी जो उसके होंठों को गीलाकर रही थी। अब दोबारा मैंने अपने दोनों हाथों को व्यस्त रखते हुए उसकी चूत में अपनी उंगली प्रविष्ट कराई तो देखा वहाँ गीला-गीला सा था, मतलब वह गर्म हो चुकी थी।

स्तन मर्दन के साथ जैसे ही मैंने उंगली चूत में अंदर-बाहर करनी शुरु की तो आरती छटपटाने लगी और उसने अपनी नींद का नाटक छोड़ा और मेरी तरफ करवट बदलकर मेरे चूतड़ों पर हाथ फिराने के बाद उसे लण्ड अपने मुँह में तेजी से चूसना शुरु कर लिया। मैं तो अपने होशोहवास खो चुका था, वह भी पागलों की तरह लण्ड मुँह में अंदर-बाहर कर रही थी। उधर मैं भी उसे अपने दोनों हाथों से बराबर उसे उत्तेजित कर रहा था।

मैंने कमरे में अपने बगल की तरफ देखा, दीदी आराम से सोई हुई थी और सम्पूर्ण अंधेरा था, तो कोई डर नहीं थाकि देख लेंगी। हम दोनों किसी भी किस्म की आवाज नहीं निकाल रहे थे क्योंकि दीदी जाग सकती थी। अब आरती की लगातार मेहनत के कारण दस मिनट में ही मेरा लण्ड स्खलित होने की कगार पर पहुँच गया, तो मैंने उसे हाथ के इशारे से समझाने की कोशिश की पर उसने इस पर ध्यान नहीं दिया।

तो मैं भी क्या करता, मैंने भी वीर्य का फव्वारा उसके मुँह में छोड़ दिया। उसने भी हिम्मत दिखाते हुए पूरा का पूरा गटक लिया। अब मैं तो खाली हो गया किन्तु उसकी उत्तेजना शांत नहीं हुई थी, वह मेरे निर्जीव पड़े लण्ड को खड़ा करने की कोशिश करने लगी। मात्र पाँच मिनट में ही हम दोनों सफल हो गये।

मेरा लण्ड फिर कड़क होकर फुंफकारने लगा। फिर एक दूसरे के शरीर को चूमने-सहलाने लगे। अब हम दोनों पागलॉ की तरह लिपट गये और एक दूसरे के शरीर को टटोल कर आनंद लेने लग गये। अब मैंने उसकी चोली खोल दी और पैंटी भी उतार दी, उसके तन व मेरे बीच में कोई नहीं था। मैं अब बेड पर बैठ गया, वह मेरी गोद में दोनों टांगों को बीच में लेकर अपने टाँगों को मोड़ कर इस प्रकार बैठी कि उसकी चूत मेरे लण्ड को स्पर्श करने लगी।

वह मेरे सीने को हाथ से सहला रही थी, नीचे चुदाई चालू थी, वह भी हिलकर अपने शरीर को ऊपर नीचे होकर पूर्ण सहयोग कर रही थी। फिर मैं बारी बारी से उसके दोनों स्तनों पर अपनी जीभ फिराने लगा। उसके बाद मैंने उसकी गर्दन की दोनों तरफ कामुकता बढ़ाने वाली नस के साथ उसके कान की लोम व आँखों की भोहों पर भी अपनी जीभ फिराई। वह मदमस्त होकर पागल हो उठी।

दोनों की सांसें एक दूसरे में विलीन हो रही थी। यदि हम किसी एकान्त कमरे में होते तो पागलपन में न जाने कितनी आवाजें निकालते। पर जगह और समय का ध्यान रखते हुए बिल्कुल खामोश रहने की कोशिश करते रहे। अब इस मदहोश करने वाली अनवरत चुदाई को लगभग आधा घण्टा हो चुका था।

अब एक ही आसन में चोदते हुए थकान होने लगी थी। तभी आरती ने मुझसे गति बढ़ाने का इशारा दिया और कुछ ही क्षण में हांफते हुए वह चरमसीमा पर पहुँच गई। फिर वह पस्त होकर ढीली पड़ कर लेट गई। मैं तो अभी तक भरा बैठा था, मैंने कुछ समय रुककर इशारा किया कि अब मैं भी पिचकारी छोड़ना चाहता हूँ तोउसने इशारे से कहा- रुको ! वह खड़ी हुई और बेड पर हाथ रख और सिर झुकाकर खड़ी हो गई।

मैंने भी पीछे से उसकी चूत में लण्ड पेल दिया और अपने दोनों हाथों से उसके उन्नत स्तनों को मसलते हुए उसे चोदने लगा। फिर जन्नत की यात्रा शुरु हुई। फिर मदमस्त होकर वह भी आगे पीछे होकर मुझे सहयोग देने लगी। हम दोनों ने अपनी गति और बढ़ा दी और लगभग दस मिनट बाद मेरी पिचकारी छुट गई, हम दोनों पस्त हो गये।

वह कुछ समय रुक कर सफाई करने बाथरुम मे जाकर वापिस अपनी बिछावन पर आ गई। भगवान कालाख-लाख शुक्र था कि दीदी अब तक सोई हुई थी और उनको इस चुदाई के बारे में शक भी नहीं हुआ।

अब मैं अपने कमरे मे आकर आराम से सो गया आज सुबह मेरा मन काफ़ी खुश था मैंने रसोई में बीवी को जब अकेले देखा तब उसके पास जाकर पीछे से बाहों मे भर चूमना शुरु कर दिया। आरती मुझे मनाने के लिये मेरे बालों मे उंगली फिराते बोली- सॉरी जी ! मैं रात में सो गई पर आप भी नहीं आए?

मेरे कान में इतना पड़ना था कि मेरे दिमाग ने काम करना बन्द कर दिया। तो क्या मेरे साथ रात में दीदी थी, अब मैं समझ गया ! यह घटना मेरे मन-मस्तिष्क पर एक चलचित्र की तरह स्पष्ट चल रही थी। हालांकि मैं भ्रम में रह गया लेकिन जब जान ही गया तो दोनों की तुलना करने लगा तो पाया कि वाकई में आरती से ज्यादा मजा तो दीदी को चोदने में आया !

अब वह अलग कमरे में भी सो कर मुझसे हर दो दिन बाद चुदती है, नैहर (मेरे घर) अब अकसर आती है मेरे साथ चुदाई के लिये और फिर उसके पास मैं भी अक्सर जाने लगा हूँ। वह आज भी मेरी बहुत अच्छी दोस्त है। आरती आज तक न जान पाई और ना मैंने उसे बताया। वह भी एक अद्वितीय अनुभव था।

  

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