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मकान मालिक की अविवाहित बेटी की चुदाई

मेरे मकान मालिक वहीँ रहते थे। उनका दो मंजिल का घर था और उन्होंने मुझे ऊपर वाला कमरा किराये पर दे दिया। मेरा मकान मालिक बहुत ही अच्छा था। उसके घर में वो पति पत्नी और उनकी एक 19 साल की बेटी और 10 साल का बेटा रहते थे। मकान मालिक कोई सरकारी जॉब करते थे तो वो हमेशा दिन के समय घर से बाहर रहते थे।मैंने अपना सारा सामान सेट करके अपनी पहली दिन के क्लास के लिए निकल गया। जब मै वहन पहुंचा तो पहले से ही क्लास चल रही थी। मै बाहर ही बैठ गया। कुछ देर बाद बच्चे धीरे धीरे आने लगे। कुछ देर बाद अक लड़का आया, वो मेरे ही बगल में बैठ गया। कुछ देर बाद मेरी उससे दोस्ती हो गई।

मकान मालिक की अविवाहित बेटी की चुदाई

उसने अपना नाम सुनील बताया। उसके बोलने और ओके बात करने के स्टायल से लग रहा था कि वो पढने में तेज है। हम लोग वहां इंतजार ही कर रहे थे कि कुछ देर बाद एक लड़की आई और सुनील से बात करने लगी। वो दिखने में बहुत ही मस्त थी। बिल्कुल पटाका लग रही थी। उसको देखने के बाद मेरे मुह में तो पानी आ गया था। जब वो चली गयी तो मैंने सुनील से पूछा ये कौन थी??  तो उसने कहा – “यार ये मेरी क्लासमेट थी। बस उसके साथ में दोस्ती है। मैंने सुनील से कहा दोस्त या उससे बढकर ?? तो उसने कहा – “ऐसी कुछ बात नही है बस दोस्ती ही है

कुछ देर बाद हमारा क्लास शुरु ही गया। हमारे उस बैच में बहुत सी लड़कियां थी। अगर थोडा भी ध्यान भटक जाये तो तुम पढ़ नही सकते थे। उसमे में तो बहुत से लड़के केवल सिटीयाबाज़ी  करने आये थे। मै अपने दोस्त सुनील के साथ में ध्यान से पढ़ रहा था। हम दोनों का ध्यान केवल पढाई पर ही था। कोचिंग का पहला दिन काफी अच्छा था। जब क्लास छूटी तो मै और सुनील दोनो साथ में ही बात करते निकल रहे थे। जब बाहर निकले तो सुनील की दोस्त फिर से मिल गई। उसके उससे पूछा ये कौन है?? तो उसने कहा – “ये हिमांशु है मेरा नया दोस्त आज ही मिले है। 

उसकी दोस्त ने मुझसे हाथ मिलाया और अपना नाम ज्योति बताया। कुछ देर बाद वो चली गई। मै भी घर चला आया। वहां से आने के बाद मैंने थोडा सा खाना अपने बनाया और खाया। खाना खाने के बाद मै पढने के लिए बैठ गया। 3 घंटे पढने के बाद जब मै थोडा थक गया तो मैंने सोचा कुछ देर बाहर घूम लेता हूँ उसके बाद फिर पढता हूँ। मै घूमने के लिए छत पर चला गया। कुछ देर बाद जब मै वापस आया तो मैंने देखा ज्योति मकान मालिक से घर में चली गई। मै जान गया कि ये यहीं रहती है।   लेकिन उसे नही पता था। धीरे धीरे हमारी दोस्ती और भी ज्यादा हो गई। मेरे ग्रुप में मै सुनील और ज्योति 3 लोग रहते थे।

 

एक दिन मैंने सोचा इसको बता दूँ की मै वहीँ तुम्हारे घर में ही रहता हूँ लेकिन मैंने सोचा सामने आकर बताऊंगा। कोचिंग के बाद मै घर चला आया। ज्योति भी घर आ गयी, मैंने नमक मांगने के बहाने से उसके घर गया और दरवाज़ा खटखटाया तो मकान मालकिन ने कहा बेटी ज्योति देखना तो कौन आया है?? उसने जब दरवाज़ा खोला तो कहा तुम यहाँ क्या कर रहे हो। मैंने उससे कहा – “मै तो नमक मांगने आया था

ये तुम्हारा घर है क्या ?? मुझे तो पता ही नही था मै इतने दिनों से यहीं पर रह रहा हूँ। कुछ देर में उसकी मम्मी आ गई। मैंने उनसे नमस्ते कहा और कहा आंटी जी थोडा सा नमक मिल जायेगा। तो उन्होंने कहा – “क्यों नही बेटा अभी देती हूँ। उन्होंने कहा ज्योति तुम यहाँ क्या कर रही हो?? तो उसने कहा मम्मी ये मेरे दोस्त है मेरे साथ में पढता है। कुछ देर बात करने के बाद मै नमक लेकर वहां से चल आया। उसके बाद मेरी ज्योति से और भी तगड़ी दोस्ती हो गई। अब तो वो दिन में मेरे साथ में ही पढने के लिया आ जाया करती थी। ये चुदाई कहानी आप हॉट सेक्स कहानी डॉट कॉम पर पड़ रहे है।

मुझे अभी भी वो दिन याद है, रविवार का दिन था मै केवल कटिग वाली चड्डी पहने हुए पढ़ रहा था और ज्योति के बार में कुछ गन्दी बातें सोच रहा था, कि इतने में वो आ गई। मेरा लंड खड़ा था और वो सामने आ गई  मुझे तो शर्म आ गई मैंने जल्दी से एक कपडे से अपने लंड को ढक लिया। मैंने उससे कहा जरा थोड़ी देर के लिए अपना मुह उधर करो मै पेंट पहन लूँ। उसने मुह उधर कर लिया लेकिन वो हंस रही थी। मैंने जल्दी से पेंट पहन ली।  मैंने कहा अब देख सकती हो।  वो हस रही थी मैंने उससे कहा यार इसमें हंसने वाली कौन सी बात है। मै बैठ गया और वो भी मेरे ही बगल में बैठ गई। मेरा लंड उसके बारे में सोच कर खड़ा था, वो बहुत हॉट लग रही थी।

मेरा मन उसको चोदने को कर रहा था। मुझे थोडा डर लग रहा था कैसे कहूँ। कुछ देर बाद बातो ही बातो मैंने अपना उसके जांघ पर रख दिया। मेरा तो पूरा मूड था उसको चोदने का लेकिन अगर ज्योति तैयार हो जाती तो मज़ा आ जाता, मैंने सोचा। कुछ देर बाद मैंने अपने हाथो को उसकी पैरो पर से हटाने लगा , तो ज्योति ने बड़े जोश में मुझसे कहा अपना हाथ मत हटाओ मुझे अच्छा लग रहा है।  मै समझ गया कि ज्योतो भी आज मूड में है। मैंने अपने हाथ को ज्योति के जन्घो पर सहलने लगा। और मै उसको किस करने के लिए धीरे धीरे उसके होठो की तरफ बढ़ने लगा। वो भी मेरे होठो की तरफ बढ़ने लगी। और हम दोनों एक दुसरे के होठो के पास पहुँच गए और मैंने उसके होठो को चूमना शुरु कर दिया।

 

उसने भी मेरे होठो को अपने होठो से चूमती हुई मेरे होठो को अपने मुह में भर लिया और मेरे होठो को पीने लगी मैंने भी उसको अपने बांहों में भर लिया और कास के उसके होठो को पीने लगा। हम दोनों एक दुसरे से लिपटे हुए थे, और बड़े जोश से एक दूसरे के होठो को पी रहे थे। कुछ देर बाद मैंने उसको किस करना बंद कर दिया और मैंने उससे कहा यार जो पहले कहना चाहिए था वो बाद में कहने जा रहा हूँ। “I LOVE YOU SO…. MUCH BABY” उसने भी मुझे I LOVE YOU 2 बोल दिया। 

ज्योति का मन था की मै उसकी चुदाई भी करूँ लेकिन मैंने ऐसा कुछ नही कहा उससे। तो उसने खुद ही मुझे अपने बाँहों में भर कर मेरे लंड को सहलाते हुए मुझसे कहा – “तुम और कुछ नही करना चाहोगे। मै समझ गया उसका इशारा। मैंने उसको बेड पर लिटा दिया और अपने कमरे के दरवाज़े को बंद कर लिया। मैंने पहले तो ज्योति के बदन को कपड़ो के ऊपर से चूमते हुए उसके मम्मो को दबाया और फिर मैंने उसके सरे कपड़ो को एक एक करके निकल दिए। और मैने भी अपने कपड़ो को निकल दिया। अब ज्योति ब्रा और पैंटी में और मै अपनी कटिंग वाली चड्डी में।

मैंने ज्योति के मम्मो को मसलते हुए उसके ब्रा को निकल दिया और उसके गोर गोर और काफी मुलायम चूचियो को अपने दोनों हाथो से पकड कर मसलने लगा और साथ में ही उसकी दूध को भी पीने लगा। मै नुकीली बेहद कमसिन चूचियों को मुँह में भरके पीने लगा। ये चुदाई कहानी आप हॉट सेक्स कहानी डॉट कॉम पर पड़ रहे है। मुझे मज़ा आ रहा था मै उसके  नुकीली छातियों को दांत से काट रहा था और पी भी रहा  था, जिससे उसे दर्द भी हो रहा था, उतेज्जना भी हो रही थी और मजा भी  आ  रहा था।  जब मै उसके छातियो को मसलते हुए पी रहा था तो ज्योति आह आह्ह अहह उफ़ उफ़ उफ् आराम से मेरी नारियल जैसे चूचियो को चुसो आराम से   ओह ओह  करके सिसक रही थी। हम दोनों को मज़ा आ रहा था।

बहुत देर तक उसके चूचियो को पीने के बाद मैने धीरे धीरे मै उसकी चूत की तरफ आकर्षित होते हुए मै उसके कमर चूमते हुए उसके नाभि को पीने लगा और कुछ ही देर मै और ज्योति दोनों बहुत ही जोश में आ गए और वो अपने चूचियो को जल्दी जल्दी मसलने लगी और मै उसके कमर को पीते हुए अपने हाथो को उसकी चूत के ऊपर फेरने लगा। कुछ ही देर में मै जोश से पागल होने लगा। मेरे अंदर एक अजीब सी बैचैनी होने लगी। मैने जल्दी से ज्योति के पैंटी को धीरे से निकाल दिया, और मै अपने हाथो की उंगलियो से उसकी चूत को सहलाते हुए मैंने उसके टांगो को फैला दिया और अपने मुह को उसकी चूत में लगा कर उसकी चूत को पीने लगा। मैं अपने जीभ से उसकी चूत के दाने को बार बार चाट रहा था और ज्योति जोश से सिसक रही थी।

 

बहुत देर तक उसके चूत को पीने के बाद मैंने अपने लंड को बाहर निकाल, मेरे लंड को देख कर ज्योति का मन मेरे लंड को चूसने का था लेकिन मै इतने जोश में आया गया था की मै अपने आप को उसकी चुदाई करने से रोक नही पाया। मैंने अपने लंड को उसकी बुर पर जोर जोर से पटकते हुए धीरे से अपने लंड को उसकी चूत में डाल दिया। जब मेरा लंड उसकी चूत में गया तो ऐसा लग रहा था कि किसी ने मेरे लंड पर कोई गर्म चीज रख दी है। उसकी चूत बहुत गर्म थी। मै अपने लंड को उसकी चूत में धीरे धीरे डालने लगा। उसकी चूत की गर्मी मेरे लंड के अंदर जा रही थी। और धीरे धीरे मेरे चोदने की रफ़्तार बढ़ने लगी। मै तेजी से उसकी चूत को चोदने लगा।

मेरा लौडा ज्योति चूत के अंदर तक जा रहा था., ऐसा लग रहा था कि मेरा लंड किसी गड्डे में जा रहा है। लेकिन उसकी चूत के किनारे पर मेरे लंड की रगड़ से मुझे बहुत मज़ा आ रहा था और ज्योति तो जैसे जैसे मै तेजी से चोदता तो वो तेजी से ..आह उम् उम उम उम्म्म्म ओह ओह ओह ऊह्ह्ह्हह्ह्ह उह्ह्ह्ह हा हा हां  सी सी सी सीईईईईईईइ. उफ़ उफ़ उफ़ फफफफफ मम्मी मामी आह अहह ह्ह्होह उनहू उनहू उनहू उनहू  आराम से अह्ह्ह अहह ..अह हहह हहह .. प्लीसससससस प्लीससससससउ उ उ उ ऊऊऊ  ऊँ..ऊँ   माँ माँ ओह माँ करके चीख रही थी।

लगातार 50 तक चोदने के बाद जब उसकी चूत रमा हो गई तो उसको भी मज़ा आने लगा। और छोड़ो और तेजी तेजी से मज़ा आ रहा है और भी तेज अहह अहह हा  करके मुझे और तेज चोदने के लिए मजबूर कर रही थी। ये चुदाई कहानी आप हॉट सेक्स कहानी डॉट कॉम पर पड़ रहे है। मैंने और भी तेजी से उसकी चोदने शुरु कर दिया। जिससे उसकी चूत तो फटने लगी थी और वो जोर जोर से चीखने लगी। कुछ ही देर में मेरा माल निकलने वाला था। ,मैंने जल्दी से उसकी चूत से अपने लंड को बहर निकाल लिया और उसके दोनों पैरो के पंजो के बीच में अपने लंड को रख कर उसके पैरो के बीच  में पेलने लगा। कुछ ही देर में मेरे लंड से सफ़ेद वार्य निकलने लगा। उसके कुछ ही देर बाद मेरा लंड ढीला हो गया।

ज्योति को चोदने के बाद भी मैंने उसकी चूचियो को दबा कर खूब पिया और साथ में उसके चूत उंगली कर कर के उसकी चूत का पानी भी निकाल लिया।  उसकी चुदाई करने में मुझे बहुत मज़ा आया क्योकि बहुत दिनों बाद चूत के दर्शन हुए थे। उस दिन के बाद मै और ज्योति दोनों ने साथ में बहुत बार सेक्स किया। मै तो उसको इतनी बार चोद चूका था की मेरा तो अब उसको चोदने का मन भी नही करता था लेकिन उसके कहने पर उसको चोदना ही पड़ता था। कैसी लगी अविवाहित जवान लड़की की चुदाई , अच्छा लगी तो जरूर रेट करें और शेयर भी करे ,अगर कोई मेरी मकान मालिक के की बेटी चुदाई करना चाहते हैं. 

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ससुर बहू की चुदाई की कहानी – sasur bahu ki chudai

ससुर बहू की चुदाई की इस गंदी कहानी में पढ़ें कि कैसे ट्रेन के सफर में भीड़ के कारण मुझे अपनी बहू से सट कर खड़ा होना पड़ा तो मेरी कामवासना जाग उठी और  दोस्तो, मैं अन्तर्वासना की कहानियां पढ़ने का काफी समय से शौकीन हूं. मैंने अन्तर्वासना सेक्स स्टोरीज़ की बहुत सारी कहानियां पढ़ी हैं. मुझे इसकी सेक्सी कहानियां पढ़ कर बहुत मजा आता है.

ससुर बहू की चुदाई की कहानी – sasur bahu ki chudai

फिर मैंने अपने एक दोस्त को भी इसकी कहानियों के बारे में बताया. उसे भी गंदी कहानी पढ़ कर मजा आया. एक दिन ऐसे ही जब हम दोनों दोस्त साथ में बैठ कर ड्रिंक कर रहे थे तो उसने मुझसे अपने दिल की एक बात बताई. सेक्सी कहानियों पर बात चल रही थी. उसने एक बार ससुर बहू की चुदाई की गंदी कहानी पढ़ी थी. उस दिन नशे में उसने मुझसे अपने साथ घटित एक घटना का जिक्र किया.

मैं उसी की गंदी कहानी को अपने शब्दों में आप तक पहुंचा रहा हूं. इसलिए आप कहानी को पढ़ते समय इस बात का ध्यान रखें कि यह गंदी कहानी मेरी नहीं है बल्कि मेरे दोस्त की है और उसी की जुबानी मैं इस घटना को बयां कर रहा हूं. अब मैं अपने दोस्त की जगह ले लेता हूं और बिना किसी देरी के कहानी को शुरू कर रहा हूं. मेरे परिवार में मेरे दो बेटे हैं. बड़े वाले की शादी को आठ साल हो चुके हैं. बीच वाली एक लड़की है जिसकी शादी पांच साल पहले हो गई थी. सबसे छोटे वाला लड़का है जिसकी शादी को तीन साल हो चुके हैं लेकिन अब तक उसे सन्तान का सुख प्राप्त नहीं हो पाया है.

हमारा परिवार एक संयुक्त परिवार है और सब एक ही घर में रहते हैं. घर काफी बड़ा है और सबके लिए अलग-अलग कमरे हैं इसलिए बड़ा परिवार होते हुए भी किसी तरह की कोई परेशानी नहीं होती है. चूंकि मैं परिवार का मुखिया हूं इसलिए जब भी परिवार में कोई शादी-ब्याह का कार्यक्रम होता था या फिर किसी अनहोनी के कारण किसी की मृत्यु के पश्चात क्रियाकर्म पर जाने की बात होती थी तो मैं ही सब जगह पर जाता था. मैं सरकारी नौकरी से रिटायर्ड हूं. इसलिए आस-पड़ोस और गली मौहल्ले में मैंने काफी प्रतिष्ठा बना रखी थी. हमारे परिवार का सब लोग काफी आदर करते थे. अगर किसी को मेरी मदद की जरूरत होती थी तो मैं कभी मना भी नहीं करता था. इसलिए सब लोगों के साथ अच्छा मेल-जोल था.

यह घटना तब की है जब एक बार मेरी छोटी बहू को मायके से लाने के लिए जाना था. चूंकि मेरे दोनों बेटे नौकरी करते थे इसलिए उनको छुट्टी नहीं थी. मैं घर पर फ्री ही रहता था इसलिए बहू को लाने का काम मुझे सौंप दिया गया. मेरे परिवार के बारे में जान कर आपको मेरी उम्र का अंदाजा भी हो ही गया होगा. उस दिन जब मैं बहू के मायके के शहर में पहुंचा तो उसके घर वाले स्टेशन पर उसको छोड़ने के लिए आये हुए थे क्योंकि वापिसी की ट्रेन आधे घण्टे बाद की ही थी. सब कुछ पहले से तय था इसलिए ज्यादा बात-चीत करने का मौका नहीं मिला. बस दुआ-सलाम होने के बाद ट्रेन भी आ गई थी. वैसे तो उस स्टेशन पर भीड़ कम ही रहती थी लेकिन उस दिन पता नहीं संयोगवश कुछ ज्यादा ही भीड़ थी.

ट्रेन आकर रुक गई और हम सामान लेकर जल्दी से चढ़ने लगे क्योंकि ट्रेन को वहां पर केवल दो मिनट के लिए ही रुकना था. यही उस स्टेशन का निर्धारित समय था. जब मैं बहू के पीछे-पीछे चढ़ा तो मेरे पीछे बीस-पच्चीस सवारियां और चढ़ गईं. भगदड़ सी मची हुई थी जो हम दोनों को आगे की तरफ धकेल कर ले जाने का आमादा थी. उस भीड़ के धक्के से बचने के लिए हमने सामने वाले गेट की तरफ सरक लेना ही ठीक समझा.

हमारे कस्बे के स्टेशन पर प्लेटफॉर्म भी उसी तरफ आना था इसलिए हम सीधे ही सामने वाले दरवाजे के पास जाकर खड़े हो गये. बहू ने घर की मर्यादा को कायम रखते हुए मुझसे घूंघट किया हुआ था. छोटी बहू को मैं ऊषा कह कर ही पुकारता था. वो मेरी बेटी के समान ही थी. पीछे से चढ़ती हुई भीड़ के कारण हम दोनों ससुर बहू को संतुलन बनाना मुश्किल हो रहा था. ट्रेन का वो कोच एकदम से पैक हो गया. फिर जब ट्रेन चली तो धीरे-धीरे सब लोग अपने आप ही एडजस्ट हो गये. मैं बहू के पीछे ही खड़ा हुआ था लेकिन जब मेरा ध्यान भीड़ से हट कर मेरे शरीर पर गया तो मैंने पाया कि मेरा लंड बहू की गांड पर नीचे सट गया था. लंड की तरफ ध्यान जाते ही बहू की गांड का अहसास पाते ही मेरे लंड में तनाव आना शुरू हो गया. मैं थोड़ा शर्मिंदा भी हो रहा था क्योंकि मैंने अपनी बहू को कभी वासना की नजर से नहीं देखा था.

मगर उस वक्त के हालात ही ऐसे हो गये थे कि न चाहते हुए भी मन में वासना हिलोरे मारने लगी थी. मेरा लंड एकदम से तन कर बहू की गांड की दरार से चिपक ही गया. उत्तेजना के मारे मैंने भी बहू की गांड पर हल्का सा दबाव बना ही दिया. सोचा कि बहू को कुछ पता नहीं चलेगा क्योंकि उसके सामने भी दो जवान लड़के खड़े हुए थे. मेरी बहू की चूचियां उन लड़कों की छाती से सटी हुई थी. कुछ देर के बाद बहू को जब उन मुस्टंडों से परेशानी होने लगी तो उसने पीछे मुंह करके मेरे कान में फुसफुसा कर कहा- बापू जी, ये जो सामने खड़े हुए हैं, मुझे इनके पास खड़ा होना ठीक नहीं लग रहा है. आप जरा पीछे हो जाओ ताकि मैं आपकी तरफ मुंह करके खड़ी हो सकूं. मैं बहू के मन की दशा समझ गया.

मैंने अपने खड़े लंड को बहू की गांड से हटाया और पीछे धकेलते हुए उसको घूमने की जगह दे दी. बहू मेरी तरफ मुंह को करके घूम कर खड़ी हो गई. अब उसका घूंघट भी उतर गया था. वो अपने घूंघट को ठीक करने लगी तो मैंने कह दिया कि ऊषा ज्यादा परेशान होने की जरूरत नहीं है. अभी हालात ही ऐसे हैं कि इन सब रिवाजों का भार अपने कंधे से कुछ समय के लिए उतार दो. बहू ने मेरी आंखों में देखा और हल्की सी मुस्कान के साथ मेरे बदन से लग कर खड़ी हो गई. उसकी और मेरी लम्बाई में तीन-चार इंच का ही अंतर था इसलिए दोनों की सांसों का आदान-प्रदान एक दूसरे की नासिका के द्वारा होने लगा था. बहू के वक्षों के कटाव को देख कर मेरा लंड फिर से तनतना गया और मैंने बहाने से बहू की कमर पर हाथ रख दिया क्योंकि उत्तेजना जंगल की आग की तरह आगे बढ़ रही थी जिसको रोक पाना मेरे वश में नहीं था. मेरा लंड बार-बार बहू की चूत के आस-पास वाले एरिया पर छू रहा था. पता नहीं था कि वो मेरे बारे में क्या सोच रही होगी, बस मैं अपनी हवस को किसी तरह काबू करने की जुगत में लगा था.

फिर जब अगला स्टेशन आया तो अंदर से निकल रहे यात्री दरवाजे में आकर फंस गये जिससे कि मेरा बदन ऊषा के जिस्म से बिल्कुल चिपक ही गया. उसके चूचों को मेरी छाती एकदम भींचने लगी. इधर लंड का अकड़ कर बुरा हाल हो चला था. मैंने उत्तेजना वश बहू की गांड पर हाथ रख दिया तो उसने मेरे चेहरे पर देखा. शायद उसको मेरे मन के भावों का पता लग गया था. उसने फिर से नजर झुका ली. लेकिन अबकी बार वह नीचे मेरे लंड की तरफ झांकने की कोशिश कर रही थी. शायद उसको भी मेरे लंड की छुअन अपने जिस्म पर महसूस हो रही थी.

फिर मुझसे रहा न गया तो मैंने धीरे उसकी गांड को दबाना शुरू कर दिया. वो भी समझदार निकली. उसने धीरे से अपना हाथ नीचे कर लिया. मेरी पैंट की जेब के पास लाकर जैसे कुछ ढूंढने लगी. एक दो बार हाथ मारते हुए उसका हाथ मेरे लंड पर जा लगा. उसने मेरे तने हुए लंड पर हाथ रख लिया. अब ससुर और बहू का सुर एक हो चला था. मेरे हाथ उसकी गांड को सहलाने लगे और उसका हाथ मेरे लंड को सहलाने लगा. अब मैंने अपनी छवि को कलंकित होने से बचाने के लिए एक भावनात्मक चाल चली.

मैंने ऊषा के कान में कहा- बहू, माफ कर देना, हालात ही ऐसे हैं कि ये सब हो रहा है. तुम्हें बुरा तो नहीं लग रहा है? वो बोली- नहीं पिता जी, जो होता है अच्छे के लिए ही होता है. उसका जवाब सुन कर मेरे मन को तसल्ली हो गई कि अब बात हम दोनों के बीच में ही रहने वाली थी. फिर उसने मेरी पैंट की चेन को खोल कर हाथ अंदर डाल लिया. उसके नर्म कोमल हाथ मेरे लंड को पकड़ने और दबाने लगे. उसकी छाती के ऊपर नीचे होते उभार मेरी छाती पर रगड़ रहे थे.

मेरे हाथ उसकी गांड को भींचने लगे. मैं पास खड़े लोगों पर नजर भी बनाये हुए था कि कहीं कोई हमें यह रासलीला करते हुए देख न रहा हो. काफी देर से मेरी बहू ऊषा मेरे लंड को पकड़ कर सहला रही थी इसलिए मेरी उत्तेजना पूरे उफान पर थी. पैंट गीली होने का खतरा होने लगा था. इसलिए मैंने ऊषा के कान में कहा- बस बहू. इससे आगे मैं बर्दाश्त नहीं कर पाऊंगा. वो भी समझ गयी कि उम्रदराज लंड की लाज खतरे में है. उसने अपना हाथ बाहर निकाल लिया और फिर मेरे कान में धीरे फुसफुसाते हुए बोली- घर पहुंच कर रात को आपका इंतजार करूंगी.

जब मेरे पति और सासूजी सो चुके होंगे तो मिस कॉल का इशारा दे दूंगी. आप भी मौका देख कर आ जाना. मैंने कहा- ये जगह बात करने के लिए सही नहीं है. अभी सफर का मजा लो. वो चुपचाप खड़ी हो गई. कुछ देर के बाद मैंने फिर से उसकी गांड पर हाथ रख दिये और वो दोबारा से मेरे लंड का नाप-तोल लेने लगी. इस तरह मस्ती करते हुए कब स्टेशन आ गया हमें पता भी नहीं चला. स्टेशन से नीचे उतर कर टैक्सी की. मैंने बहू को व्हाट्स एप पर मैसेज करना शुरू किया क्योंकि आमने-सामने टैक्सी वाले के साथ होते हुए इस तरह की बात करना ठीक नहीं था.

अब ससुर बहू की चुदाई की सेटिंग करनी थी तो मैंने चैट में लिखा- तुम सोते समय सबके लिए दूध लेकर आना. मैं तुम्हें गोली दे दूंगा. सबके दूध में गोली डाल देना. दूध को अच्छी तरह हिला कर ले आना. लेकिन हमारे गिलास को अलग रखना. जब सब दूध पी लेंगे तो आधे घंटे के अंदर ही कुंभकर्ण की नींद सो जायेंगे. बहू मेरी बात समझ गयी. घर पहुंच कर रात को उसने ऐसा ही किया. सबको दूध पिला कर आ गयी. फिर सबको हिला कर देखा उसने. कोई भी नहीं हिल रहा था. सब के सब गहरी नींद में सो चुके थे. उसने गेस्ट रूम को पहले से ही तैयार कर लिया था.

एक सिंदूर की डिब्बी भी रख दी थी. वो मेरे लंड के साथ अपनी चूत की सुहागरात मनाना चाहती थी. ट्रेन में भी उसने कहा था कि ससुर जी काश आप मेरी सुहागरात में मेरे साथ होते. आज उसका यह सपना पूरा करने जा रही थी वो. सारी तैयारी होने के बाद मुझसे आकर बोली- पापा, सब तैयार है. आप भी आ जाओ. मैंने कहा- हां बेटी, मैं बस नहा कर आता हूं. मैं नहा कर नंगा ही गेस्ट रूम में चला गया. वहां जाकर देखा कि उसने वाइन तैयार कर रखी थी. मैंने उससे कहा- ये सब बाद में कर लेना, पहले एक राउंड चुदाई का कर लेते हैं. वो बोली- पिताजी, आपसे ज्यादा उतावली तो मैं हो रही हूं. इसे पीकर आपको मस्ती चढ़ जायेगी. फिर आप मुझे भी वैसे ही रुलाना जैसे सासूजी को रुलाते हो. मैंने हैरानी से पूछा- तुमने कब देखा बहू?

 

बोली- जब आप ड्रिंक लेते हैं और सासूजी को रुलाते हैं तो मैं दरवाजे के छेद से देख लेती हूं. पिछले तीन साल से आपका ये आठ इंची हथियार अपनी चूत में लेना चाह रही थी. आज जाकर मेरी प्रार्थना पूरी हुई है.मैं ऊषा के चेहरे की तरफ हैरानी से देख रहा था. मुझे नहीं पता था कि वो मेरा लंड लेने के लिए इतनी बेचैन है और इतने लंबे समय से इसके लिए तड़प रही है.

मैंने कहा- तो तुमने कभी मुझसे कहा क्यों नहीं?वो बोली- कैसे कहती पिताजी, बहू जो हूं. लेकिन मैंने कई बार आपको सिग्नल देने की कोशिश की लेकिन आप मेरे इशारों को समझ ही नहीं पाये. झाड़ू लगाते हुए अपनी गांड को आपके सामने उठा कर रखती थी. पोछा लगाते हुए अपने कबूतर भी आपको दिखाये. लेकिन आपने कभी ध्यान नहीं दिया.

मैंने कहा- ठीक है, अब एक राउंड कर लो बहू उसके बाद जैसा तुम कहोगी वैसा ही करेंगे.वो बोली- लेकिन पिताजी, ये ससुर बहू की चुदाई का वीडियो जो आप बनाने जा रहे हो इसको संभाल कर रख लेना. अगर किसी के हाथ लग गया तो घर में भूचाल आ जायेगा. उसने मेरे हाथ में मोबाइल फोन की तरफ देख कर कहा.मैं बोला- तुम चिंता न करो. ये सुरक्षित रहेगा.

वो बोली- पिताजी, पहले घूंघट और सिंदूर की रस्म तो कर लो.मैंने जल्दी से उसके चेहरे से घूंघट हटाया और उसकी मांग में सिंदूर भर दिया. फिर उसका लहंगा उठा दिया.एकदम से उठते हुए वो दारू और गिलास लेकर आ गयी और कहने लगी- पिताजी, एक बार दो पैग लगा लो.

मैंने कहा- मैं अकेले नहीं पी सकता. मुझे किसी का साथ चाहिए.वो दौड़कर किचन से एक गिलास और ले आई.मैंने पैग बना दिया. वो सूंघने लगी तो मैंने कहा- बहू, इसे एक ही घूंट में खत्म करना होता है.

उसने पैग मुंह से लगाया और पेट तक पहुंचा कर मुंह बिगाड़ कर बोली- पिताजी, कैसे पी लेते हो इतनी कड़वी चीज?मैंने कहा- ये सब बातें बाद में करेंगे, आज मैं तुम्हें बीस-पच्चीस आसनों में चोदूंगा. घर में घूम घूम कर चुदाई करेंगे. चार घंटे में तुम्हारी चूत का चबूतरा न बना दूं तो कहना. गोली का असर चार घंटे ही रहेगा.

फिर वो मेरे सामने नंगी हो गई. मेरा लौड़ा तो पहले से ही तना हुआ था. मैंने बहू को बेड पर पटका और उसके चूचों को दबाते हुए उसके होंठों के रस को पीने लगा. वो नीचे से अपनी चूत को मेरे लंड की तरफ धकेलने लगी. बेचारी लंड लेने के लिए बहुत तड़प रही थी.

उसकी तड़प देख कर मैंने बिना देरी किये अपना लौड़ा उसकी चूत में घुसा दिया. वो मुझसे लिपट गई और मेरे बदन को बांहों में भरते हुए यहां-वहां चूमने लगी. उसकी टांगों को मोड़ कर मैंने उसकी चूत की पोजीशन बनाई और उसकी टांगों के बीच में आकर बहू की चूत की चुदाई शुरू कर दी.

दो मिनट में ही ऊषा की आंखें बंद होने लगीं. उसका बदन अकड़ने लगा. फिर दो मिनट के बाद वो झटके देते हुए झड़ गई. उसकी चूत ने पानी छोड़ दिया.इस तरह ससुर बहू की चुदाई का पहला दौर समाप्त हुआ.

फिर हम उठ कर बाथरूम में चले गये. अंदर जाकर एक दूसरे के जिस्मों को चूमने लगे. पांच मिनट में मेरा लौड़ा फिर से तन गया. मैंने उसको नीचे फर्श बैठा लिया और अपना लंड चुसवाने लगा. उसके होंठों में लंड मुश्किल से समा रहा था. किसी तरह उसने तीन-चार मिनट का समय काटा. फिर मैंने उसे दीवार से लगा दिया और शावर चालू कर दिया. मेरी बहू के नंगे बदन से बहता पानी चूत से होकर नीचे गिरने लगा. मैंने अपनी बहू की चूत में जीभ दे दी और मेरी बहू मेरे सिर को अपनी गर्म चूत में दबाने लगी. उसने टांग मेरे कंधे पर रख ली और अब पूरी जीभ उसकी चूत में अंदर तक घुसने लगी. मुझे तो चूत चाटने की पुरानी लत थी.

पांच-सात मिनट तक चाटने के बाद उसको ऐसी गर्म किया कि उसने मेरे मुंह में अपना फेंक दिया. फिर मैं उसके बदन को पोंछ कर हॉल में ले आया. सोफे पर लेटा कर उसकी एक टांग ऊपर रख दी. खुद उसके बीच में आ गया. मोटा लंड उसकी चूत में पेला और गपा-गप चुदाई चालू कर दी. उसके चूचे इधर-उधर डोलने लगे. मैंने उसके झूलते चूचों को कस कर पकड़ा और उसके ऊपर लेट कर उनको काटते हुए उसकी चूत को फाड़ने लगा.

दस मिनट तक ऐसे ही उसकी चूत को खोला. फिर उसको उठा कर सीढ़ियों पर ले गया. खुद नीचे बैठ गया और उसे अपनी जांघों के बीचे में बैठा लिया. वो भी खुशी-खुशी मेरा लंड अपनी चूत में लेकर उस पर उछलने लगी. अबकी बार पांच मिनट के बाद दोनों साथ में झड़े. फिर कुछ देर तक आराम किया. फिर घर में बाकी जो भी जगह दिखी मैंने उसकी चूत को खूब बजाया. किचन में, बैठक में, स्टोर रूम में जहां भी मन किया उसकी चूत का कुआं खोद डाला. वो बेचारी थक कर चूर हो गई. जब ससुर बहु की चुदाई खत्म हुई तो उससे चला नहीं जा रहा था.

मैं खुद ही उसको अपने छोटे बेटे के कमरे में छोड़ कर आया. वापस आकर मैंने दो पैग फिर लगाये और अपने कपड़े पहन कर सो गया. कई दिनों तक तो मैंने बहू की चुदाई के वीडियो को देख कर लंड हिलाया. फिर जब उसकी चूत में फिर आग लगी तो उसने खुद ही बाकी घर वालों को नींद की गोली खिला कर फिर से चूत चुदवाने का प्रोग्राम बना लिया. इस तरह अब उसकी चूत की प्यास बुझने लगी और मुझे भी एक टाइट चूत का मजा मिलने लगा. चार महीने के बाद वो प्रेग्नेंट हो गई और अब डिलीवरी के लिए अस्पताल गई हुई है. मैं उसके वापस आने का इंतजार कर रहा हूं. आपको ससुर बहू की चुदाई की गंदी कहानी के बारे में कुछ प्रतिक्रिया देनी हो तो मुझे मेल करें. 

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झोपड़ी में बहन की चुदाई – jhopdi me behan ki chudai

हैल्लो दोस्तों आज में आप सभी की सेवा में मेरी एक सच्ची घटना को लेकर प्रस्तुत हुआ हूँ और इसको शुरू करने से पहले में अपनी परिचय आप सभी को दे देता हूँ। दोस्तों में अभी कुछ सालों से अपनी एक सरकारी नौकरी की वजह से मुंबई में रह रहा हूँ और वैसे में राजस्थान के बीकानेर का रहने वाला हूँ मेरा बचपन यहीं पर बीता और जब में 10th की पढ़ाई कर रहा था तभी एक सड़क हादसे में मेरी मम्मी पापा की म्रत्यु हो गई और उसके बाद मुझे मेरे परिवार के लोगों ने एक बोर्डिंग स्कूल में डाल दिया।

झोपड़ी में बहन की चुदाई – jhopdi me behan ki chudai

मैंने अपनी पूरी पढ़ाई वहीं की और मेरे घर पर मेरी जमीन की देखरेख की जिम्मेदारी मेरे मौसाजी और मौसी को दे दी गई और में अपनी पढ़ाई करता रहा। दोस्तों मेरी एक बहन भी है, वो मुझसे दो साल छोटी है और वो गाँव में ही रहती है। दोस्तों में आज अपने गाँव करीब पांच साल के बाद जा रहा था, मेरी अभी कुछ दिनों पहले नई नई नौकरी लगी थी और इस खुशी की बात की वजह से में सभी के लिए कुछ ना कुछ उपहार लेकर चला था। फिर ऑटो से उतरकर में अपने घर पहुँचा और सबसे पहले मुझे मेरी मौसी मिली, लेकिन चेहरे से देखने पर वो मुझे बहुत ही शांत लगी और मुझे ऐसा लगा कि जैसे मेरे आने की उन्हे कोई खुशी नहीं हुई हो और अब वो मुझसे पूछने लगी।

 

मौसी : क्यों बेटा कैसा है? और फिर वो मुझसे इधर उधर की बातें करने लगी थी।

 

दोस्तों अब मेरी नजरे इधर उधर अपनी बहन को खोज रही थी, मैंने अब अपनी मौसी से पूछ लिया चेतना कहाँ है? वो मुझे कहीं नजर नहीं आ रही है। अब मौसी ने एक आवाज़ लगाई और कुछ देर बाद पर्दे के पीछे से एक लड़की प्रकट हुई और उसको देखकर मेरी ऑंखें फटी की फटी रह गई। फिर मैंने उसको कहा कि अरे तू तो अब इतनी बड़ी हो गयी है और वो मुझसे भैया कहते हुई मेरे गले से लग गयी। दोस्तों में उसके इस तरह से गले लगने की वजह से बड़ा चकित था। उसके बड़े और भारी बूब्स मेरी छाती से दब रहे थे।

 

फिर मैंने भी उसको अपनी बाहों में भर लिया और मैंने अपनी मौसी से कहा कि चेतना को मैंने जब पिछली बार देखा था तब वो छोटी सी बच्ची जैसी थी। अब मौसी मुझसे कहने लगी कि देखा कितनी बड़ी हो गयी है यह पूरी औरत हो गयी है, लेकिन अक्ल इसमे ढेले भर की भी नहीं है। फिर मैंने उनको कहा कि मौसी आप ऐसे क्यों बोल रही हो यह अभी भी बच्ची ही है, लेकिन चेतना मेरे आने से बहुत खुश थी और वो मेरा सामान लेकर मेरे कमरे में चली आई। अब वो मेरे साथ बैठकर बातें करनी लगी और मैंने देखा कि उसके खुशी की वजह से आँखों से आंसू तक भी निकल रहे थे।

 

फिर मैंने उसको कहा कि चेतना तुम कितनी बड़ी हो गयी हो? और वो बोली कि हाँ भैया आप भी ना कितने अच्छे लगने लगे हो। दोस्तों सचमुच चेतना जवान होने के साथ ही बहुत सुंदर हो चुकी थी और उसके बूब्स गांड तो बहुत ही कमाल की हो गयी थी और उसकी सुंदरता को में किसी भी शब्दों में लिखकर नहीं बता सकता। फिर मैंने उसको पूछा कि मौसी को क्या हो गया है? तभी चेतना उदास होकर कहने लगी कि बाद में बताउंगी। अब मैंने उसको पूछा क्या बताएगी बोला ना? वो कहने लगी कि में रात को बताउंगी यह बहुत लम्बी कहानी है।

 

फिर मैंने उसको ढेर सारे उपहार दिए जिनको देखकर वो बहुत खुश थी और वैसे उसको लहंगा चुन्नी बहुत पसंद आया और उसी के साथ ब्रा पेंटी भी थी और उन्हें देखकर वो शरमा गयी और मुझसे पूछने लगी भैया यह। अब मैंने उसको कहा क्यों क्या हुआ? वैसे भी यह गाँव में कहाँ मिलते होंगे और वैसे भी यह लहंगा के साथ फ्री मिले है इसलिए अब में इनको कहीं फेंक कर तो नहीं आ सकता था इसलिए ले आया। दोस्तों मेरे मुहं से वो पूरी बात सुनकर उसका वो गोरा मुहँ एकदम लाल हो गया और फिर वो मुझसे कहने लगी हाँ चलो ठीक है भैया आपको मेरे लिए यह इतना सुंदर उपहार लाने के लिए धन्यवाद।

 

फिर हम सभी ने खाना खाया रात को मेरे मौसा जी भी आ गये, वो उस समय दारू पिए हुई थे और मुझे उनका भी व्यहवार कुछ अच्छा नहीं लगा। दोस्तों उनके चेहरे को देखकर मुझे ऐसा लगा जैसे कि उन्हें मेरा आना अच्छा नहीं लगा। फिर रात को चेतना मेरे कमरे में आ गई और फिर उसने रोते हुए मुझे बताया कि मौसी मौसाजी की नज़र हमारी जमीन पर है और उसने मुझे बताया कि एक दिन वो दोनों आपस में बात कर रहे थे कि अगर सुशील जब पढ़कर वापस आएगा और वो अपनी जमीन के लिए कुछ कहेगा तो हम उसको मार देंगे और साली इस लोंडिया को फार्म पर रखेल बनाकर रखूँगा

 

फिर उसने मुझे बताया कि मौसाजी की मेरे ऊपर गलत नजर है, वो अक्सर मुझे अपने पास बुलाकर मेरे बदन पर इधर उधर अपने हाथ फेरते है और मौसी भी इस खेल में उनके साथ शामिल है और आपको तो पता है कि मौसी बांझ है, एक बार वो मुझसे कह रही थी कि तू मौसा से मुझे एक बच्चा दे दे में तुझे रानी बनाकर रखूँगी। अब भैया आप ही मुझे बताओ में क्या करूं में अब इस नर्क में एक पल भी नहीं रहूंगी। फिर मैंने उसको कहा कि हाँ चेतना अब इस नर्क में तो में भी तुझे एक भी पल नहीं रहने दूँगा, लेकिन पहले इन लालची लोगो को सबक तो सिखाना पड़ेगा।

 

दोस्तों उस समय मेरा गुस्से से बड़ा बुरा हाल था, मैंने शांत रहकर कुछ विचार अपने मन में बनाया और अब अपनी मौसी मौसाजी को भागने का सारा सब मन में सोचकर में तैयार हो गया कि कैसे अब मुझे क्या करना है? फिर अगले दिन मैंने ऑफिस में फोन करके अपनी कुछ दिनों की छुट्टियाँ बढ़ा ली और अगले दिन में और चेतना शहर चले गये। वहाँ पर मेरे एक दोस्त का भाई पुलिसकर्मी है। फिर मैंने उसको अपनी सारी कहानी बताई और उसको कहा कि मेरे मौसाजी मौसी से हम दोनों को जान से मारना चाहते है, हमें उनसे ख़तरा है। फिर हमने वहीं पर एक वकील को बुलाया और हमारे सारे जमीन के पेपर तैयार करवाए और फिर एक एजेंट को बुलाकर हमारी जमीन की कीमत उससे मालूम करवाई और फिर उसको कहा कि कोई हमारी जमीन खरीदने वाला वो देखे।

 

दोस्तों वो सब कुछ इतना जल्दी हुआ कि पता ही नहीं चला और वो सारा काम खत्म होते होते रात हो गयी। हमारा गाँव करीब 100 किलोमीटर की दूरी पर था और हम दोनों उस समय मोटरसाइकिल पर थे। फिर हमने सारे पेपर और हमारे लिए कुछ खाने का सामान एक बेग में रख लिया और मैंने चुपके से एक विस्की की बोलत भी ले ली। फिर हम जैसे ही निकले वैसे ही बारिश शुरू हो गयी और वो बारिश धीरे धीरे तेज हो गयी दूरी बहुत ज्यादा थी और वो रास्ता भी सही नहीं था, हम दोनों बारिश की वजह से पूरे भीग चुके थे।

 

अब चेतना ने मुझे ज़ोर से पकड़ लिया था, इसलिए उसके कठोरे बूब्स मेरी पीठ से टकरा रहे थे और मेरा बड़ा बुरा हाल था। फिर कुछ देर बाद रास्ते में मैंने सड़क के किनारे अपनी गाड़ी को रोक दिया और अब मैंने चेतना से कहा कि वो अब अपने पैर दोनों तरफ करके बैठ जाए, जिसकी वजह से गाड़ी का संतुलन ठीक रहेगा। अब मेरी नजर उस पर पड़ी, उसकी वो सफेद रंग की सलवार कमीज पानी की वजह से एकदम जालीदार हो गयी थी और वो उसके बदन से चिपक चुकी थी और उसके बड़े आकार एकदम गोलमटोल बूब्स मेरी आँखों के सामने जैसे पूरे खुले हुए थे और वो सब देखकर मेरा बड़ा बुरा हाल हो रहा था।

 

अब वो द्रश्य देखकर मेरा लंड खड़ा हो चुका था, चेतना ने मुझे ज़ोर से कसकर पकड़ लिया, जिसकी वजह से उसके दोनों बूब्स मेरी कमर से दब रहे थे और मुझे ऐसा महसूस हो रहा था कि जैसे उसके बूब्स मेरे शरीर को उर्जा दे रहे थे। फिर मैंने मन ही मन विचार बना लिया कि में भी उसको गरम करूंगा और उसके बाद आगे का काम होगा, क्योंकि दोस्तों सहमती से ही संभोग करने में असली मज़ा आता है और आप अंदाज भी नहीं लगा सकते कि में उस समय कितने मज़े में था। अब मेरा लंड अपने पूरे ताव पर था।

 

फिर उसी समय अचानक से चेतना का हाथ मेरे लंड पर चला गया, जिसकी वजह से मेरा तो बड़ा बुरा हाल था, लेकिन वो भी ताड़ गयी कि उसके भैया बहुत जोश में है। फिर कुछ देर बाद बारिश पहले से भी ज्यादा तेज होने लगी थी और चेतना के लंड छूने की वजह से मेरे लंड में और जवानी आ गयी थी, उस समय में तो जैसे स्वर्ग में था। तभी सड़क पर बाढ़ का पानी आ गया, जिसकी वजह से हमारी गाड़ी पूरे पानी में चली गयी और वो बंद भी हो गई, क्योंकि अब गाड़ी के इंजन में भी पानी चला गया था। दोस्तों उस समय मेरी तो गांड फट गयी, क्योंकि एक तो बहुत सुनसान सड़क, तेज बारिश और साथ में इतनी सुंदर लड़की और वो पानी कमर तक आ चुका था।

 

फिर मैंने किसी तरह अपने उस बेग को सम्भाला और सारा सामान लेकर मोबाइल फोन और पेपर सब उसमे डाल दिए, उसके बाद मैंने अपनी गाड़ी को थोड़ी ऊंचाई पर ले जाकर खड़ा किया और अब में हमारे लिए कोई मदद देखने लगा। दोस्तों मैंने देखा कि दूर दूर तक गहरा अंधेरा था और चेतना तो पानी से गीली होने की वजह से ठंड के मारे काँपने लगी थी, इसलिए वो मुझसे चिपक गयी। फिर वो मुझसे पूछने लगी भैया अब क्या होगा? मैंने उसको दिलासा देकर कहा कि तुम चिंता मत कर में हूँ ना, हम कुछ ना कुछ जुगाड़ करते है और तभी मेरी नज़र पास की एक छोटी सी झोपड़ी पर पड़ी।

 

अब उसको देखकर मेरी आँखों में खुशी सी छा गयी और वो थोड़ी ऊँची पहाड़ी पर थी, इसलिए उस में पानी का भी डर नहीं था। अब मैंने चेतना का हाथ पकड़ा और उसको झोपड़ी में ले गया, मैंने उसके अंदर जाकर देखा कि झोपड़ी में एक छोटी सी खटिया पड़ी थी और फिर मैंने तुरंत ही आस पास से कुछ लकड़ियाँ और कागज उठाकर एक जगह रखे और लाइटर की मदद से में आग लगाने की कोशिश करने लगा। फिर उस आग में मैंने थोड़ी सी विस्की डाली जिसकी वजह से आग भड़क गयी, जिसकी वजह से झोपड़ी में थोड़ी सी गरमी आ गई, क्योंकि अब तक चेतना ठंड से बुरी तरह काँप रही थी। अब मैंने उसको कहा कि उसके कपड़े गीले हो गये है वो उन्हे उतार दे और मैंने भी अपनी शर्ट और जींस को उतार दिया और फिर मैंने देखा कि चेतना अब वैसे ही खड़ी थी।

 

अब मैंने दोबारा से उसको कहा कि भाई तुम यह गीले कपड़े उतार दो नहीं तो तुम्हे सर्दी की वजह से निमोनिया हो जाएगा, लेकिन वो शरमा रही थी। अब वो मुझसे कहने लगी कि नहीं भैया मुझे शरम आ रही है में आपके सामने अपने कपड़े नहीं उतार सकती, उसी समय मैंने उसको समझाते हुए बड़े प्यार से कहा कि जिंदा रहोगी तभी शरमाओगी ना? तुम इस हालत में तो सुबह तक मर ही जाओगी। दोस्तों ये कहानी आप कामुकता डॉट कॉम पर पड़ रहे है।

 

फिर मुझे झोपड़ी में एक बोरी दिखी, मैंने उसको कहा कि तुम यह कपड़े उतार दो और यह बोरी लपेट लो शरमाओ मत और वैसे भी हमने बचपन में एक दूसरे को बहुत बार नंगा देखा है और में तुम्हारा भाई हूँ कोई गैर नहीं अभी सवाल हमारी ज़िंदगी और मौत का है। अब उसने मुझसे कहा कि आप अपना मुहँ दूसरी तरफ फेर लो, मैंने कहा कि हाँ ठीक है, उसने मेरे मुहं फेरते ही अपने कपड़े उतार दिए और उस बोरी को लपेट लिया। दोस्तों आप सभी अंदाज़ लगा सकते है कि उस एक बोरी से चेतना का कितना शरीर ढक सकता था?

 

अब मुझे उसकी बड़े आकार के बूब्स साफ नजर आ रहे थे और नीचे से वो बोरी केवल उसकी कमर तक थी। अब आप लोग भी अंदाज लगा सकते है कि अगर वो उस बोरी को नीचे खींचती है तो उसके बूब्स नंगे हो जाते है नहीं तो मुझे उसकी चूत नंगी नजर आने लगे, इसलिए वो बड़ी ही असमंजस की स्थिति थी और ठीक ऐसा ही हाल कुछ मेरा था। दोस्तों अब मेरे बदन पर भी केवल एक छोटा सा टावल था और उसमे मेरा लंड पूरा खड़ा साफ नजर आ रहा था और आप लोग समझ सकते है कि उस समय मेरी क्या हालत होगी? चलो फिर मैंने किसी तरह उस स्थिति का सामना किया।

 

अब चेतना उस ठंड की वजह से छींकने लगी थी और मैंने विस्की को एक गिलास में डाला और उसमे बारिश का पानी मिलाया और वो गिलास मैंने चेतना को दे दिया उसको कहा कि तुम इसको पी लो इसकी वजह से तुम्हारी ठंड दूर हो जाएगी। अब वो मुझसे कहने लगी कि नहीं भैया में शराब नहीं पियूंगी, उसी समय मैंने उसको प्यार से समझाया और कहा कि यह शराब नहीं है दवाई है और इस समय हम दोनों इसकी बड़ी सख़्त ज़रूरत है। फिर यह बात उसको कहकर मैंने वो गिलास उसके मुहं से लगा दिया और इसके बाद मैंने दो पेग उसको और पिलाए और दो तीन मैंने भी पिए।

 

दोस्तों उसकी वजह से अब चेतना को अच्छा ख़ासा नशा हो गया था वो नशे में झुमने लगी थी और अब वो मुझसे बोली कि भैया मुझे भूख लगी है। अब मैंने वहीं इधर उधर देखा कि आलू पड़े हुए थे, मैंने वही आलू आग में डाल दिए और उन्हें भूनकर हम दोनों ने खा लिए। फिर वो मुझसे बोली कि भैया मज़ा आ गया और हम दोनों को अच्छा ख़ासा नशा हो गया था और फिर में एक गाना गुन गुनाने लगा था, रूप तेरा मस्ताना प्यार मेरा दीवाना भूल कोई ना हमसे हो जाए। दोस्तों उस गाने को सुनकर वो शरमा गयी, लेकिन वो पूरे शबाब में थी और उस पर शराब का नशा भी था और हम दोनों उस समय पूरे दिन की भागादोड़ी की वजह से बेहद थके हुए थे।

 

अब हमे नींद भी आने लगी थी, लेकिन बाहर बारिश और तूफान अब भी बंद होने का नाम नहीं ले रहा था और एक तूफान और भी था जो हम दोनों के शरीर के अंदर चल रहा था, हमारे सारे शरीर की नसों में एक तनाव था और मेरा लंड कब से 90% पर खड़ा था। अब चेतना मुझसे बोली कि भैया मुझे अब नींद आ रही है, मैंने उसको कहा कि हाँ ठीक है और मैंने दो बोरी निकाली चेतना को खटिया पर लेटा दिया और उसको सोने के लिए कहा और वो अपनी दोनों आँखों को बंद करके लेट गई। अब वो लेट गयी, में उसके सिरहाने बैठकर प्यार से उसका सर सहलाने लगा था और फिर मैंने उसको चूम लिया।

 

फिर उसने कुछ देर बाद अपनी आंखे खोली और मुझसे कहा क्या आप नहीं सोएंगे? मैंने कहा कि नहीं में अभी सो जाऊंगा पहले तू सो जा हो सका तो आज में रात को जागकर ही बिता दूंगा। अब वो मुझसे कहने लगी नहीं आप प्लीज लेट जाओ नहीं तो आपकी तबीयत खराब हो जाएगी और आपसे सुबह उठकर गाड़ी भी नहीं चलेगी और वो इतना कहकर खटिया पर थोड़ा सा सरक गयी और कहने लगी कि देखो नीचे कितना गीला है आप भी यहाँ पर लेट जाओ वैसे भी केवल एक रात की बात है। अब में चेतना के पास में लेट गया खटिया, वैसे आप जानते हो कि एक खटिया में जगह कितनी होती है आप अच्छे से समझ सकते है।

 

अब हम दोनों का शरीर एक दूसरे से रगड़ रहा था उस झोपड़ी में बहुत ठंड हो रही थी और लेटने की वजह से चेतना के शरीर से वो बोरी हट गयी और मेरा टावल भी खुल गया था और जिसकी वजह से हम दोनों के शरीर नंगे हो गये थे। अब उसका गोरा नंगा शरीर मेरे शरीर से टकरा रहा था और मेरी समझ में बिल्कुल भी नहीं आ रहा था कि में क्या करूँ? और अब चेतना भी कसमसा रही थी, क्योंकि मेरा लंड अब उसकी गांड के आसपास घूम रहा था और उसके मुलायम गदराए हुए कूल्हों पर मेरे लंड से हुई गुदगुदी से वो इठला रही थी, लेकिन में अब अपने आपको किसी तरह से कंट्रोल किए हुए था, लेकिन मेरा मन बहुत दहाड़े मार रहा था।

 

फिर मुझे मेरे लंड पर कुछ गीला गीला सा लगने लगा था और मैंने हाथ लगाकर देखा तो वो खून था जिसकी वजह से में एकदम से डर गया। अब मैंने चेतना से पूछा यह क्या हो गया यह खून कहाँ से आ गया? वो शरमाते हुई कहने लगी कि कुछ नहीं भैया इन दिनों मेरे पीरियड चल रहे यह उसका खून है और वो शायद आपको लग गया होगा। फिर मेरा माथा ठनका और यह बिल्कुल निश्चित हो गया कि आज में इसकी चूत नहीं मार सकता, क्योंकि इस हालत में चुदाई करने से लंड को नुकसान होता है और बच्चा ठहरने के भी ज्यादा मौके खतरा बहुत होता है।

 

दोस्तों में दोनों काम नहीं चाहता था और मेरा मन इधर उधर हो रहा था, लेकिन इस मौके को भविष्य में चुदाई की भूमिका के लिए काम में भी ले सकता था। फिर मैंने धीरे से अपनी बाहें निकाली और चेतना ने अपना सर उस पर रख दिया और वो सीधे होकर लेट गयी, उसी समय मैंने उसके गाल पर एक बार चूम लिया, जिसकी वजह से वो थोड़ी सी शरमा गई। अब मैंने उसको अपनी बाहों में लेकर उसे अपने शरीर से सटा लिया और अब हम दोनों के बीच बस सूत भर कपड़ा भी नहीं था। मेरा तना हुआ लंड साँप की तरह उसकी चूत के आसपास ठोकर मार रहा था और चेतना को मेरे लंड का अच्छा ख़ासा अहसास हो रहा था।

 

अब चेतना कसमसा रही थी मुझसे नहीं रहा गया और मैंने हिम्मत करके धीरे से उसके बूब्स पर हाथ फेर दिया, जिसकी वजह से उसके मुहँ से ज़ोर से आहह्ह्ह की आवाज निकल गई। अब वो मुझसे कहने लगी कि भैया आप यह क्या कर रहे हो? और वो सिहर गयी थी, में उसके गालों को चूमने लगा था और फिर तो में जमकर उसके बूब्स को मसलने लगा था। फिर वो मुझसे कहने लगी कि भैया प्लीज छोड़ दो, यह अच्छी बात नहीं है और उस समय चेतना पर शराब और शबाब का असर था और मेरे पर भी वो नशा था हम दोनों नशे में काम कर रहे थे।

 

अब मैंने आव देखा ना ताव और उसके बूब्स पर अपना मुहँ रख दिया और में उन्हें चूसने लगा, जिसकी वजह से अब चेतना का बड़ा बुरा हाल था, जिसकी वजह से उसकी सासें तेज तेज चलने लगी और वो मुझसे कहने लगी थी भैया प्लीज में मर जाउंगी, यह क्या कर रहे हो हे भगवान। अब भी मैंने उसके बूब्स को नहीं छोड़ा मेरे इतना सब करने की वजह से चेतना के बूब्स की घुंडी खड़ी हो गई थी जो यह मुझे बता रही थी कि उसको भी बड़ा मज़ा आ रहा है। दोस्तों में तो अब आनंद के सागर में गोते लगा रहा था और अब चेतना ने भी जोश में आकर मुझे अपनी बाहों में भर लिया था और अब मेरा लंड तो जैसे लोहे का हो गया था।

 

एक बार मेरा मन हुआ कि में चेतना की उसी अवस्था में ही चुदाई कर दूँ और फिर मैंने उसको कहा कि जान मेरा बहुत मन कर रहा है प्लीज कुछ करो ना। अब वो मुझसे कहने लगी कि में क्या करूँ? यह सब कुछ अब तुम कर ही निर्भर है। अब मैंने उसको कहा कि चेतना प्लीज आज तू मुझे चुदाई करने दे में यह तेरा अहसन ज़िंदगी भर नहीं भूलूंगा। फिर वो मुझसे कहने लगी कि भैया आप मेरी इस अवस्था में कैसे यह सब मेरे साथ कर सकते है? और अब आपने मेरे साथ इतना सब कुछ कुछ कर ही लिया, पता नहीं भगवान को क्या मंजूर है?

 

अब तो लगता है आप ही मेरे मालिक बनोगे, लेकिन भैया अपने इस रिश्ते का आगे चलकर अंजाम क्या होगा? अब मैंने उसको कहा कि तू सवाल बहुत करती है तुझे मेरे पर भरोसा है ना, में हूँ ना में सब सम्भाल लूँगा। दोस्तों जैसे में उसको हमेशा बचपन में समझाता था और वो मान जाती थी, लेकिन वो समझने को बिल्कुल तैयार नहीं थी। अब वो मुझसे कहने लगी नहीं भैया, आज नहीं, इस समय यह सब करने से मुझे बहुत खून निकलेगा और आपका यह प्यारा लंड जो अब मेरा है वो भी इसकी वजह से परेशानी में पड़ सकता है। फिर मुझसे इतना कहकर उसने मेरा लंड अपने हाथ में ले लिया और वो उसको चूमने प्यार करने लगी थी, जिसकी वजह से मेरा तो बड़ा बुरा हाल था।

 

दोस्तों उस समय मुझे कितना मज़ा आ रहा था। में किसी भी शब्दों में लिखकर नहीं बता सकता। फिर मेरे कुछ कहे बिना ही मेरी प्यारी बहाना ने मेरा लंड चूमने के बाद ही अपने मुहं में डाल लिया और वो उसको चूसने लगी थी। उसके यह सब करने की वजह से सचमुच मुझे बहुत मस्त मज़ा आ रहा था। दोस्तों हम दोनों सारी रात मस्ती करते रहे और कुछ देर के बाद में झड़ गया और फिर हम दोनों वैसे ही उसी हालत में एक दूसरे से चिपककर पूरी रात सोए रहे और में जब भी रात को मेरी नींद खुलती चेतना के दोनों बूब्स को बारी बारी से किसी छोटे बच्चे की तरह चूसता रहा और पूरी रात अपनी बहन के गरम गोरे जिस्म के मज़े लेता रहा. 

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चचेरी बहन की गुप्त चुत चुदाई

मेरे चाचा चाची और मेरी एक चचेरी बहन सूरत रहते हैं. बचपन से ही मेरी बहन मनीषी हमारे पास अमदाबाद रहने आती रहती है. उसकी उमर अभी 22 साल की है.. वो अभी पढ़ाई कर रही है. वो देखने में बड़ी मस्त लगती है. उसका फिगर 34-30-36 है.

चचेरी बहन की गुप्त चुत चुदाई

यह दो साल पहले की बात है जब किसी रिश्तेदार के घर शादी में जाने के लिए मेरे चाचा और उसकी पूरी फॅमिली हमारे घर सूरत से अमदाबाद आई थी. तब मेरी उमर 22 साल और मेरी चचेरी बहन मनीषी की उमर 20 साल थी. वो शादी हमारे घर से 25 किलोमीटर दूर रिश्तेदार के वहाँ थी. उस वक्त मेरे एग्जाम चल रहे थे, इसलिए मैं तो शादी में जाने वाला था ही नहीं!

उस रात करीब सात बजे मेरी पूरी फॅमिली और चाचा चाची और मनीषी शादी में जाने के लिए तैयार हो गये लेकिन अचानक से मनीषी की तबीयत खराब हुई और उसे दवा देकर सुला दिया गया. चाचा और चाची और मम्मी पापा ने मुझे कहा कि अब मनीषी का ख्याल मुझे ही रखना पड़ेगा जब तक वे लोग शादी से वापिस ना आ जाएँ!

यह कह कर वो सब शादी में चले गये और वे अगले दिन दोपहर को ही आने वाले थे.

 

रात के करीब 10 बजे थे, मनीषी भी मेरे कमरे में सोई हुई थी क्योंकि उसकी तबीयत खराब थी.

मैं तो बुक्स लेकर बैठा पढ़ाई ही कर रहा था कि अचानक खिड़की से ज़्यादा हवा की वजह से मनीषी का ऊपर का टॉप उड़ कर उसके बड़े बूब्स के ऊपर आ गया, उसकी लाल रंग की ब्रा मुझे दिख गई.

 

उसके बाद मेरा पढ़ाई में ध्यान नहीं रहा और अपनी बहन के बड़े बूब्स देख कर मेरा लंड खड़ा हो गया. मैं अपने लंड को सहलाने लगा. लेकिन सहलाने से मन को सुकून नहीं मिला और मन में शैतानी जन्म लेने लगी.

 

थोड़ी देर बाद मैंने हिम्मत करके उसके बूब्स के ऊपर का टॉप ज़्यादा ऊपर किया. उसके मोटे मोटे बूब्स लाल ब्रा में मस्त दिख रहे थे. वो अभी सो रही थी और मैंने हिम्मत करके उसके पज़ामे का नाड़ा खोल दिया और उसके बूब्स ब्रा से बाहर कर दिए.

मैं पहली बार किसी लड़की के बूब्स सहला रहा था.

 

फिर मैंने उसकी पेंटी में हाथ भी डाला. वो अभी भी सो रही थी. अब मैंने उसकी पेंटी और पज़ामा निकाल कर उसे नंगी कर लिया. वो अभी भी सो रही थीमैंने पहली बार किसी लड़की की चूत को देखा था.

 

अब मैं अपने लंड पर तेल लगा कर उसे अपनी बहन की चूत में धीरे से डालने लगा. मैंने सोचा था कि वो जाग जाएगीलेकिन वो भी शायद सोने का नाटक कर रही थी. अब मैंने मेरा पूरा लंड उसकी चूत में डाल दिया मुझे दर्द का अहसास हुआ मगर बहन की चुदाई के जोश में मैं आगे पीछे करने लगा. उस वक्त वो भी इस तरह से अरेंज हो गई कि मैं आसानी से उसकी चूत में लंड डाल सकूं!

शायद वो पहले से चुदाई हुई थी, कुछ देर बाद मैं झड़ गया. मैं अंदर ही झड़ गया था. मैंने अपना लंड बहन की चूत से निकाला तो देखा कि उस पर थोड़ा खून लगा हुआ था और लंड छिला हुआ आ दिखा रहा था, दर्द का अहसास तो मुझे था हीतो यह मेरे ही लंड का खून था.

 

काफी रात हो चुकी थी तो मैं वहीं सो गया.

सुबह को 4 बजे मैं तो सो रहा था लेकिन वो जाग गई और मेरा लंड सहलाने लगी.

 

तभी मैं अचानक जाग गया. मैंने उसकी आँखों में आँखें डाल कर देखा तो वो शरमा गई.

मैंने कहा- क्या कर रही हो?

वो बोली- क्या सिर्फ़ तुम ही कर सकते हो? मैं नहीं?

और मेरा पूरा 7 इंच का लंड मुंह में ले लिया. कुछ देर चूसने के बात उसने मुझे पूरा नंगा कर दिया और वो खुद भी पूरी नंगी हो गई, मेरे लंड के ऊपर बैठ गई.

अब मुझे सही मज़ा आ रहा थाऔर शायद उसे भीअब वो चुदवाते हुए झुकती थी तो मुझे चूमती थी, मैं उसके बूब्स भी दबा रहा था.

 

कुछ देर ऐसे ही किया और उसके बाद फिर मेरे लंड से उतर कर लंड चूसने लगी.

अब मेरी बारी थी, मैंने उसे बिस्तर पर लिटाया और मैं उसके ऊपर आकर उसके होंठों को चूमने लगा और मेरे लंड को फिर से डाल दिया उसकी चूत मेंमेरा लंड मेरी बहन की चूत में खूब मजे से आ जा रहा था.

थोड़ी देर बाद उसे ज्यादा मजा आने लगा और मुझे भीमेरा पानी उसकी चूत में छूट गया.

मुझे इस बात की चिता थी कि उसे बच्चा ना ठहर जाए लेकिन उसे इस बात की कोई चिंता नहीं लग रही थी. मैंने उसे पूछा तो बोली- सुबह उठ के अनवॉंटेड 72 की गोली ला देना!

 

तब से लेकर आज तक इन 2 सालों में मैंने उसे कई बार चोदाकभी मैं सूरत चला जाता तो कभी वो अमदाबाद आ जाती.

उसने मुझे चुदाई के खूब गुर सिखाये हैं.आपको मेरी ये सच्ची और गन्दी कहानी कैसी लगी? ज़रूर मेल कीजिए मुझे! 

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भाई ने चोदा जब मैं सो रही थी

हैल्लो फ्रेंड्स, आपको मैं आज एक कहानी कहने जा रही हु, जिसमे रिश्तों की मर्यादा तार तार हो गया है पर क्या करे, भला आग हो तो मोम को पिघल ही जाना होता है, मैं मोम की तरह पिघल गयी, जब मेरे छोटे भाई का लैंड मेरे चूतड़ में सट रहा था, मैं कुछ भी नहीं कर पाई, मैं चुदना नहीं चाहती थी पर मैं मजबूर थी, मुझे मेरी हवस ने चुदने के लिए राजी कर लिया, खैर जो हो गया सो गया मैं चाहती हु की पे सब लोग मेरी कहानी पढ़े, मुझे भी अपनी कहानी लिखने के लिए के साथी ने ही किया क्यों की यहाँ पे लोग सब अपनी कहानी पोस्ट करते है, मैं भी उनमे से जुड़ रही हु, ये मेरी पहली कहानी है,

भाई ने चोदा जब मैं सो रही थी

मेरी उम्र २२ साल की है, ये कहानी पिछली सर्दियों की है, मेरे घर में पापा मम्मी और मेरा एक छोटा भाई है. जतिन, जतिन देखने में खूबसूरत है, वो कॉलेज में पढता है 18 साल का नौजवान है और मैं भी काम नहीं हु, क्यों की मेरी चूची को देखकर कोई भी डोल जाता है और जब वो मेरे चूतड़ को निखरता है तो बिना मुठ मारे वो शांत नहीं हो सकता. मैं हमेशा डिज़ाइनर ब्रा और पैंटी पहनती हु, वो की ३४ साइज का होता है, मेरे कई बॉय फ्रेंड है पर आज तक बॉयफ्रेंड से चुदी नहीं हो, सील तो भाई ने ही तोडा है,

 

एक दिन हम दोनों भाई बहन टी वी पे मूवी देख रहे थे, सेट मैक्स पे, पापा मोम दोनों सोने चले गए थे, दोनों एक ही बेड पे बैठ के टी वी देख रहे थे, वो बेड मेरा ही था, भाई का बेड बगल बाला था, दोनों कब सो गए पता ही नहीं चला, रात को पता नहीं मुझे क्या हो गया था, मैं अपने भाई का लंड निकाल के सहला रही थी, उस समय मैं नींद में थी, पर जब नींद खुला तो मेरे पसीने पसीने हो गए मैं सोची की हे गॉड क्या हो गया है

मैंने तो अपने भाई के लंड को ही सहला रही थी, अगर वो जगा होगा तो क्या सोचेगा? मैं हैरान थी, मैं चुपचाप घूमकर सो गयी, पर मैंने महसूस किया की मेरा भाई नहीं सो रहा था क्यों की उसकी साँसे और थूक घोटने की आवाज़ साफ़ साफ़ आ रही थी जिससे पता चलता था की वो नहीं सोया, मैं और भी शर्म से पानी पानी हो गयी.

करीब पंद्रह मिनट के बाद भाई मेरे तरफ घूम गया और मेरे गांड के बीच में अपना लंड लगा दिया जब वो शुरू में लगाया था तब ज्यादा पता नहीं चल रहा था पर थोड़े ही देर में उसका लंड मोटा और लंबा हो गया उसका लंड मेरे गांड के बीचो बीच में था, पर वो ना हिल रहा था ना मैं हिल रही थी, फिर भाई ने एक दो बार ऊपर नीच किया कपडे के ऊपर से ही, तो मैं बैचेन हो गयी, क्यों की आज तक मुझे किसी लंड का स्पर्श नहीं हुआ था

धीरे धीरे मैं कामुक होने लगी, मैंने अपने गांड को भाई के तरफ दबाब दिया, और सोने का नाथक करने लगी, भाई ने अपने एक टांग मेरे ऊपर चढ़ा दी और अपने लंड को निकाल कर मेरे दोनों जांघ के बीच में घुसा दिया

फिर उसने हाथ आगे करके मेरे टी शर्ट के निचे से जाके मेरे बूब को ब्रा के ऊपर से ही दबाने लगा, मैं चुप चाप थी, फिर वो पीछे से ब्रा का हुक खोल दिया और मेरे बड़े बड़े चुचिओं को अपने हाथ में लेके दबाने लगा, उसकी साँसे तेज चल रही थी, मैं तब तक सोने का नाटक कर रही थी मेरा तो बूर पानी पानी हो रहा था, मुझे लग रहा था की मैं ही उसके ऊपर चढ़ जाओ और उसका मोटा लंड को अपने बूर में घुसा लू, फिर वो मेरा निचे का ट्रैक सूट और पैंटी को निचे खिसका दिया और गांड के छेद को और कभी बूर के छेद को सहलाने लगा, बूर से बार बार मैं पानी छोड़ रही थी, उसको भी समझ आ गया था की मैं सोयी नहीं जग गयी हु, पर क्या करे वो भी, आग और मोम का सवाल है.

फिर उसने पीछे से मेरे बूर के ऊपर लंड को रखा और एक बार कोशिश किया डालने की पर गया नहीं, बूर मेरा टाइट था, आज तक मैं चुदी नहीं थी किसी से, मुझे दर्द हो रहा था, चुदने का भी मन था इसलिए मैं भी उसके लंड के लिए जगह बना रही थी, वो फिर से तरय किया पर पूरा लंड अंदर नहीं गया करीब चार इंच लंड गया अंदर मुझे काफी दर्द होने लगी, मैंने महसूस किया की बूर का सील टूट चुका था, क्यों की वह पे खून की तरह लग रहा था, भाई ने फिर से एक धक्का लगाया और पूरा लंड बूर में चला गया, फिर वो धक्के पे धक्का लगा रहा था मैंने भी गांड को सटाये जा रही थी और चुदवा रही थी, फिर वो मेरे ऊपर चढ़ गया और और दोनों टांगो को फैलाकर मुझे छोड़ने लगा

मैं भी उसको अपनी बाँहों में भर ली और किश करने लगी और वो चोदे जा रहा था धक्के पे धक्का, जब वो धक्का लगाता था मैं करीब ६ इंच ऊपर पहुंच जाती फिर निचे आती, उसने मेरे चूच में हाथो से कभी मुह में लेके चूसे जा रहा था, मैंने भी उसको अपनी बाहो में जकड़े चुदवाये जा रही थी, करीब २० मिनट बाद वो झड़ गया मैं तो तीन बार झड़ चुकी थी, फिर दोनों एक दूसरे को पकड़ के सो गए, मैं पहली चुदाई का मज़ा पाने भाई से लिया, अब तो मैं रोज चुदती हु उससे इस महीने तो मेरा मासिक धर्म भी नहीं हुआ लगता है मैं प्रेग्ननेट हो गयी हु, पता नहीं आगे क्या होता है पर चुदाई रोज हो रही है मेरी, आपको कहानी कैसी लगी प्लीज निचे फेसबुक पे शेयर. 

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माँ को घर में ही पटक पटक के चोदा - Maa ko ghar me patak ke choda

माँ को घर में ही पटक पटक के चोदा - Maa ko ghar me patak ke choda

मैं कई दिनों से रात में रोज अपनी माँ को चुदते हुए देख रहा था। मैं २० साल का जवान मर्द हो गया था और मेरी ३६ साल की बड़ी खूबसूरत औरत थी। उसका जिस्म भरा हुआ था और फिगर 38 32 38 का था। मेरी माँ को सेक्स करना और चुदवाना बहुत पसंद था। मेरे पापा की जब कैंसर से मौत हो गयी थी तो माँ ने पास के शराबी को अपना दोस्त बना लिया था। वो रोज रात में मेरे घर आता है, शराब पीता था, खाना खाता था और मेरी माँ की चूत कसके मारता था।

रोज माँ के कमरे से उ उ उ उ उ……अअअअअ आआआआसी सी सी सी….. ऊँऊँऊँ….” की आवाजे आती थी। मुझे ये चुदाई वाली बाते बहुत देर में मालुम हुई। कई बार मेरी माँ का आशिक उसे गाल पर चांटे मार मारकर उसकी चूत मारता था, कभी दीवाल के सहारे खड़ा करके पीछे से माँ की चूत में लंड डालकर चोदता था। कभी तो वो माँ को गोद में बिठाकर चोदता था। धीरे धीरे ये बात सारे मोहल्ले में फ़ैल गयी थी और मेरी बदनामी होने लगी थी।

तेरी माँ के तो ऐश है। तेरे बाप के ना होने के बाद भी खूब रात में चुदती है और मोटा लंड खाती है!!मेरे दोस्त मुझसे कहने लगी। मुझे बहुत शर्म आती थी। मैंने माँ से कहा की ऐसा कोई काम ना करे जिससे समाज में बदनामी हो, पर माँ ने मेरी एक बात नही सुनी। रात में १० बजे तो पडोस वाला आदमी मेरे घर आ जाता था। शराब पीने के बाद वो माँ को बाहों में भरकर चुम्मा लेने लगा जाता था। फिर उसके होठ पीने लगा जाता था। फिर धीरे धीरे मेरी माँ की साड़ी उतार देता था। ब्लाउस और पेटीकोट खोलकर माँ के दोनों पैर खोलकर अपना १२का लौड़ा माँ की चूत में डाल देता था और फिर चुदाई शुरू कर देता था। वो माँ को नंगा करके २ घंटे नॉन स्टॉप चोदता था फिर माँ उनकी चूत में गिरा देता था। फिर माँ से घंटो अपना लंड चुसाया करता था।

६ महीने तक यही सिलसिला चला। मेरी माँ अब एक रंडी राड़ आवारा औरत की तरह बर्ताव करने लगी थी। उसकी शर्म ह्या मर चुकी थी। माँ ने उस पड़ोस वाले मर्द से चुदने के लिए सारे व्यावहार खत्म कर दिए थे। क्यूंकि पास पड़ोस वाली औरतों ने माँ से सब बोलचाल बंद कर दी थी। जब ६ महीने तक माँ उसका लौड़ा खाती रही और कसके चुदवाती रही तो एक दिन मुझे गुस्सा आ गया। रात में जैसे ही वो मेरा माँ का आशिक आया मैंने एक डंडे से उसे मारना शुरू कर दिया और उसका सिर फट गया। वो अपनी जान बचा कर किसी तरह से भागा। पर मुझे अपनी माँ को भी सबक सिखाना जरूरी था। मैंने डंडे से माँ को खूब मारा। फिर चांटे मार मारकर अपनी माँ के गाल फुला दिए। तभी मारपीट के दौरान मेरी माँ का ब्लाउस फट गया और उनके गोरे गोरे मम्मे मुझे दिख गये। माँ कभी भी ब्रा नही पहनती थी सिर्फ ब्लाउस पहनती थी।

अब मेरा अपनी सगी माँ को चोदने का बड़ा मन कर रहा था। मैंने उनका हाथ पकड़कर उनको कमरे में ले गया। मैं बहुत गुस्सा था। क्यूंकि मेरी माँ की वजह से मेरी पुरे मोहल्ले में बहुत बदनामी हुई थी। मैंने अपने सारे कपड़े निकाल दिए। मैं नंगा हो गया था। फिर मैंने माँ के साड़ी, ब्लाउस और पेटीकोट का हाथ से खीचकर फाड़ दिया और उसे पूरी तरह से नंगा कर दिया।

छिनाल! तुझे लंड खाना बहुत पसंद है ना। आज मैंने तुजे खूब लंड खिलाऊंगा!!मैंने कहा और उसे ५ ६ चांटे मैंने फिर से उसके गाल पर मार दिए। फिर मैंने ८ १० लाते उसे मार पी। मैं गुस्से से जल और उबल रहा था। मेरी माँ की वजह से लोग आज हमारे पूरे खानदान पर कलंक लगाने लग गये थे। इसलिए मैं बहुत जादा क्रोधित था। अब माँ अब मेरे सामने नंगी हो गयी थी। वो बहुत खूबसूरत और गोरी माँ थी। अगर मेरी माँ इस तरह रात में नंगी होकर सड़क पर चली जाती तो उसका गैंगरेप हो गया होता। सब लोग उसे कसके चोद लेते।

मैंने अपनी माँ की बाल से पकड़ लिया और उसके गाल पर किस करने लगा। वो मुझसे डर रही थी। काँप रही थी क्यूंकि मैंने उसे आधे घंटे से पीट रहा था। फिर मैंने माँ को बिस्तर पर धकेल दिया। वो लड़खड़ाकर बिस्तर पर गिर पड़ी। मैंने भी उसके पास चला गया था। मैंने उसे २ चांटे और मार दिए। उसके बावजूद भी वो अपनी गलती नही मार रही थी। फिर मैंने अपनी सगी अल्टर और चुदकक्ड के रसीले होठ चूसना शुरू कर दिया। मेरी माँ का जिस्म भरा हुआ था। वो चोदने लायक मस्त माल लग रही थी। माँ की चूचियां 38” की बहुत ही खूबसूरत थी।

क्या सफ़ेद सफ़ेद संगमरमर जैसे मम्मे थे। कोई मुर्दा भी अगर माँ को देख लेता तो उसका लंड खड़ा हो जाता और वो माँ को चोद लेता। दोस्तों मेरी माँ इतनी मस्त आइटम थी। आज मैं माँ को कसके चोदने वाला था क्यूंकि वो बहुत हरमपन दिखा रही थी। उसे रात में चाहे खाना ना मिले पर लंड जरुर मिल जाए वो इस तरह से छिनाल और रंडी बन गयी थी। ये सब गुस्सा दिलाने वाली बाते मुझे बार बार याद आ रही थी और मेरा खून का पारा बढ़ जाता था।

मैं बड़ी देर तक माँ के रसीले और गुलाबी होठो को चूसता रहा। फिर मैंने उस रंडी के दूध पीने लगा। 38” के दूध कितने बड़े बड़े होते है आप लोगो को तो पता ही होगा। मैं हाथ से माँ के मम्मो को दबा रहा था। वो “….उंह उंह उंह हूँ.. हूँहूँ..हमममम अहह्ह्ह्हह..अईअईअई…..” बोल बोलकर चिल्ला रही थी। मैंने अपने हाथो से उसकी रसीली चूचियों को मींज रहा था। वो कसकसा रही थी और तडप रही थी। फिर मैं उसकी काली काली निपल्स को अपने ऊँगली से पकड़कर घुमाने लगा। वो अपनी गांड उठाने लगी।

रंडी आज मैं तुजे इतना चोदूंगा की तेरी सारी चुदास आज खत्म हो जाएगा। दुबारा तू बाहरी मर्द से लौड़ा नही मांगेगी!!मैने कहा। उसके बाद मैं जोर जोर से अपनी सगी चुदक्कड़ माँ के दूध को खूब कस कसके दबा रहा था। वो उसकी रंडी की जान निकाले दे रहा था क्यूंकि वो बहुत बड़ी अल्टर थी और सेक्स और चुदाई करना उसकी कमजोरी थी। मैं माँ पर लेट गया और उसके रसीले होठ फिर से चूसने लगा। वो मुझसे डरी हुई थी और काँप रही थी।

फिर मैं उसकी चूचियों को मुंह में लेकर पीने लगा। और जोर जोर से दांत उसने गड़ाने लगा। वो आऊ…..आऊ….हमममम अहह्ह्ह्हहसी सी सी सी..हा हा हा..बोल बोलकर चीख रही थी। मैं उसकी चूचियों को मुंह से काट रहा था। वो तडप रही थी और सिसकियाँ ले रही थी। फिर २ ३ चांटे मैंने फिर से उसके गाल पर जड़ दिए। और फिर से उसके मैं दूध पीने लगा। फिर मैंने रात में १ घंटे तक उसकी चूचियां को मजे लेकर पिया। कुछ देर में मेरी माँ चुदने को तैयार हो गयी थी।

उसकी चूचियों का आकार अब और जादा बढ़ गया था। उसकी रसीली चूचियां अब और भी जादा टाईट और कड़ी लग रही थी। मैंने अपनी माँ की दोनों टाँगे खोल दी और उसकी रसीली चूत चाटने लगा। ना जाने कितने मर्दों ने मेरी माँ को चोदा था। कितने मोटे मोटे लंड उसकी चूत से खाए थे। आज मैं उसी चूत को जीभ लगाकर चाट रहा था। मैं किसी चूत के प्यासे कुत्ते की तरह अपनी माँ की गुलाबी चूत को पी रहा था। उसकी बुर बहुत गुलाबी और लाल लाल थी। मैं १५ मिनट तक अपनी माँ की चूत की पीया और भरपूर मजा लिया। उसके बाद मैंने अपना मोटा था १०का लौड़ा हाथ में ले लिया और जल्दी जल्दी फेटने लगा। दोस्तों कुछ देर में मेरा लंड खूब टाईट हो गया। फिर मैं अपने लौड़े से माँ के चेहरे को मारने लगा। मैं कस कसके उसे गाल पर लंड से मार रहा था जैसे स्कूल में छोटे बच्चों की पिटाई डंडे से की जाती है। ऐसा ही लग रहा था।

मैं काफी देर तक अपने १०के लौड़े से माँ के चेहरे को पीटा और मारा। फिर मैंने उसके मुंह में लंड खोस दिया।

ले राड़ आज जी भरकर चूस ले!!मैंने कहा और जबरन अपना लौड़ा माँ के मुंह में डाल दिया। आज वो अल्टर बहुत सीधी बन रही थी। पर धीरे धीरे वो मेरा लंड चूसने लगी। आज मैं अपनी चुदासी माँ को चोदने जा रहा था। जिससे वो कभी भविष्य में किसी आस पास के मर्द से ना चुदवाए और जब उसे लौड़े की तलब लगे तो सिर्फ मुझसे ही चुदवाए। मैंने माँ के बाल वहशी अंदाज में पकड़ लिए और जल्दी जल्दी उसका मुंह चोदने लगा। मेरा लंड ३ इंच मोटा था। जैसे ही मैं इसे माँ के मुंह में घुसेड़ता था माँ को साँस आना बंद हो जाती थी। वो तड़पने लग जाती थी। मुझे अच्छा लग रहा था। जी तो कर रहा था की उसका गला दबाकर उसे जान से मार दूँ वरना वो जिन्दा रहेगी तो फिर से पड़ोस के मर्दों को बुलाकर चुदवा लेगी। पर मैं अपनी हसीन माँ को कसके चोदना भी चाहता था। इसलिए मैंने उसे नही मारा। और बड़ी बदतमीजी से उसके बाल पकड़कर मैं जल्दी जल्दी उसका मुंह अपने लौड़े से चोदने लगा।

मेरी माँ बड़ी चालू आइटम थी। बार बार कह रही थी की वो दुबारा ऐसा काण्ड नही करेगी पर कुछ ही दिन में वो फिर से किसी न किसी मर्द को बुलवाकर चुदवा लेती थी। मैंने अपनी सेक्सी चुदक्कड़ माँ के सिर को पकड़ लिया और बहुत जल्दी जल्दी अपने लौड़े पर धकेलने लगा। अपने आप उसका मुंह जल्दी जल्दी चुदने लगा।

बेटा!! मुझे छोड़ दो, मैं दुबारा ऐसा काम नही करूंगी। अब मैं किसी मर्द को रात में घर पर नही बुलाऊंगी और ना ही चुदवाउंगी!!वो बार बार कह रही थी। पर ये सब उसका एक नाटक था। हर बार वो कुछ ही दिन में बदल जाती थी और किसी न किसी मर्द को घर में बुला लेती थी और अपनी चूत चुदवा लेती थी। पर मैंने उसकी कोई बात नही सुनी और बार बार मैंने उसके मुंह में अपना सांप जैसा लंड डाल देता था और अपनी सगी अल्टर माँ से चुसवा रहा था। बड़ी देर तक ये चलता रहा। फिर मैंने जल्दी से उसके गोरे गोरे पैर खोल दिए और अपना लंड मैंने उसकी चूत के छेद पर लगा दिया और अंदर डाल दिया और जल्दी जल्दी उसे चोदने लगा। आज मैं अपनी माँ की चूत को बेदर्दी से पेल रहा था। जिस चूत से मेरा जन्म हुआ था मैं उसी बुर को आज फाड़ रहा था। मेरी माँ को सेक्स का नशा एक बार फिर से चढ़ गया था। वो जल्दी जल्दी मुझसे चुदाने लगी और आई…..आई….आईअहह्ह्ह्हह…..सी सी सी सी….हा हा हा…” की आवाजे वो निकाल रही थी।

मैं जल्दी जल्दी उसे बजाने लगा। मेरी माँ आज अपने बेटे से ही चुद रही थी। आज उसे जरुर मजा आ रहा होगा। मैं हचक हचक के गहरे धक्के उसकी चूत में मार रहा था। मेरी छिनाल अल्टर माँ मजे लेकर चुद रही थी। मैंने उसके होठ को फिर से चूसने लगा। फिर मैं उसकी चूचियों को दबाने लगा और जल्दी जल्दी अपनी आवारा सगी माँ की चूत में अपने लौड़े से साईकिल चलाने लगा। लगा की मैं किसी खेत को जोत रहा था। कुछ देर बाद मेरी माँ जल्दी जल्दी अपनी सेक्सी पतली कमर उछाल रही थी। उसका चेहरा बता रहा था की उसे बहुत मजा मिल रहा था। वो बार बार अपने मुंह से गर्म हवा निकाल रही थी। मेरी कमर गोल गोल नाच रही थी और माँ की चूत मार रही थी। मैं अब भी उसकी चूची की निपल्स को अंगूठे से घुमा रहा था। माँ “……अईअई….अई……अई….इसस्स्स्स्स्स्स्स्…….उहह्ह्ह्ह…..ओह्ह्ह्हह्ह….” की सेक्सी आवाजे निकाल रही थी।

ले आज मेरा लंड जी भरकर खा ले!!मैंने अपनी लंड की प्यासी माँ से कहा और उसे जल्दी जल्दी लेने लगा। कुछ देर में मेरी माँ बिलकुल मस्त हो गयी थी। उसकी गर्म गर्म आवाजे, सिस्कारियां मुझे और जादा उतेज्जित कर रही थी। मेरी माँ चुदवाते हुए बहुत ही सुंदर सेक्सी माल लग रही थी। उसका जिस्म तो अब और जादा गोरा और सफ़ेद लग रहा था। मैं जल्दी जल्दी माँ की चूत में साइकिल चला रहा था। उसका जिस्म मेरे लौड़े की गमक पर हिल रहा था और झूम रहा था। मैं बिना रुके नॉन स्टॉप अपनी अल्टर माँ को चोद रहा था। उसकी चूत से जैसे पॉपकॉर्न चट चट की आवाज के साथ फूट रहे थे। उसकी दोनों ३८की विशालकाय चूचियां भी जल्दी जल्दी हिल रही थी। दोस्तों मेरे लंड की गोलियां तो सेक्स की उतेज्जना में बहुत बड़ी बड़ी हो गयी थी।

मैं माँ की चूत को गहराई तक लेकर चोद रहा था। उसे किसी बाजारू रंडी की तरह जल्दी जल्दी मैं पेल रहा था। वो “..अहहह्ह्ह्हह स्सीईईईइ….अअअअअ….आहा हा हा हाकी आवाज निकाल रही थी। बड़ी देर मैंने अपनी माँ की चूत का बाजा बजाया और फिर उसकी बुर में ही मैंने पानी छोड़ दिया। मेरी माँ अब हांफ रही थी। वो कुछ देर आराम करना चाहती थी। पर आज मैं बहुत गुस्सा था। आज मैंने उसे एक सबक देना चाहता था की बाहर के मर्दों को वो घर में ना बुलाए। इसलिए तुरंत मैंने अपनी माँ को घोड़ी बना दिया और पीछे से उसकी गांड चाटने लगा। वो डर रही थी।

कुछ देर में मैंने उसकी गांड में अपनी २ ऊँगली खोस दी और जल्दी जल्दी ऊँगली घुमाने लगा। मेरी चुदक्कड़ माँ को बहुत दर्द हो रहा था। पर मैं नही रुका और जल्दी जल्दी उसकी गांड में ऊँगली करना रहा। फिर मैंने अपना 8” लंड डालकर २ घंटे उसकी गांड चोदी। मेरी माँ रोने लगी पर मैं नही रुका। मैं उसकी गांड में लंड डालकर २ घंटे तक बजाता रहा। उसके बाद मैंने अपना माल गिरा दिया। दोस्तों अब मेरी माँ सुधर गयी है। जब भी उसे सेक्स की तलब लगती है मुझे मुझसे बुलाकर चुदा लेती है पर घर के बाहर शरीफ औरत की तरह पेस आती है। 

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बड़ी बहन की चूत की खुजली मिटाई

बड़ी बहन की चूत की खुजली मिटाई

दोस्तो आज में अपनी एक सच्ची कहानी आप लोगो को बताने जा रहा हूँ. जब में 20 साल का था. मेरे परिवार में सिर्फ चार लोग थे मै मेरी बड़ी बहन ओर मम्मी पापा. बड़ी बहन जो मुझ से 5 साल बड़ी थी. एक साल पहले उस की शादी हो गई.

शादी के 5 महीने बाद दीदी की अपने पति से अनबन हो गई इस लिए वो रूठ कर वापस हमारे घर आ गयी. मेरी दीदी दिखने में बहुत ही खूबसूरत थी. उसका बदन 34-30-36 था. जो भी उसे देख लेता था वो उसे एक बार पलट कर ज़रूर देखता था. उसका रंग एकदम सफेद था ओर उसकी हाइट 5.4 फिट थी. वो बिल्कुल मेडम जैसी दिखती थी. उसका कोमल बदन शादी के बाद ओर निखर गया था. उनकी मदमस्त जवानी देख कर ना जाने कितने लंड मुठ मारा करते थे.एक दिन उन्होंने मम्मी को बताया की वो 5 महीने की गर्भवती है. उनकी गर्भवती होने की बात सुनकर मम्मी पापा बहुत परेशान रहने लगे. ओर दीदी भी हमेशा खामोश रहने लगी.

में उनको चुप देख कर उनके साथ अच्छा व्यहवार करता था. करीब पाँच महीने बाद दीदी ने एक प्यारी सी बेटी को जन्म दिया. हम लोग इस बात से बहुत खुश थे. करीब दो महीने बाद चार बजे दरवाजे की घंटी बजी उस दिन घर मे मम्मी ओर दीदी दोनों ही अकेले थे. पापा ऑफीस गये थे ओर में भी घर पर नही था. दीदी ने दरवाजा खोला तो देखा सामने जीजाजी खड़े थे. जीजाजी बहुत गुस्से मे थे. वो अपने कुछ दोस्तो के साथ आए थे ओर ज़बरदस्ती बेबी को दीदी से ले कर जाने लगे दीदी ने काफ़ी शोर किया लेकिन वो ज़बरदस्ती बेबी को अपने साथ ले कर अपनी कार मे बैठ कर चले गये.मम्मी ने पापा को फ़ोन कर दिया.

एक घंटे बाद पापा आ गये. हम लोगो ने जीजा जी से बात करने की कोशिश की लेकिन वो हम लोगो का फोने नही उठा रहे थे. मम्मी पापा दीदी के ससुराल बेंगलोर जाने का प्रोग्राम बनाने लगे. में भी उन लोगो के साथ जाना चाह रहा था. लेकिन मम्मी पापा ने मुझे मना कर दिया. और मम्मी पापा दीदी के ससुराल चले गये. हमारे घर में तीन कमरे है. एक मम्मी पापा का दूसरा मेरा ओर एक मेरी दीदी का था|

शाम को जब टीवी देख रही थी तो पता चला की हमारे शहर मे दंगे शुरु हो गये हैं. हम ओर भी परेशन होने लगे. दीदी बोली राजू मेरे रूम मे आ जाओ इधर ही सो जाना. मैने कहा ठीक है ओर में दीदी के कमरे में ही सोने आ गया. हम पहले ही परेशन थे उपर से दंगो की बाते सुन कर ओर टेंशन हो गयी.रात के करीब बारह बजे होंगे की दीदी की उहह उफ़फ्फ़ की आवाज़ सुन कर मेरी आँख खुल गयी. लाइट पहले से ही चालू थी. मैने करवट बदल कर देखा तो दीदी के चेहरा से साफ ज़ाहिर हो रहा था की दीदी किसी तकलीफ़ में है. मैने पूछा दीदी क्या बात है?

दीदी बोली बस तुम सो जाओ कोई बात नही. मेरी आँख खुल चुकी थी. मैने ज़िद की तो दीदी ने मुझ से एक पेपर ओर एक पेन लाने को कहा. में जल्दी से ले आया दीदी ने इंग्लीश मे कुछ लिखा जो मे नही पड़ सका. दीदी मुझसे बोली मार्केट जाओ ओर मेडिकल स्टोर से ये ले आओ. मैने कहा ठीक है ओर मैं चला गया. जब मैं मार्केट के लिए निकला तो देखा दंगे के कारण मार्केट बंद हो चुका था. ओर वहाँ पर सभी तरफ पुलिस ही पुलिस थी. उन्होने मुझे घर वापस भेज दिया. घर पहुच कर मैने सारी बात दीदी को बताई तो वो बोली कोई बात नही. सब ठीक हो जाएगा अब तुम सो जाओ.रात के करीब चार बजे दीदी ने मुझे जगाया ओर बोली राजू मेरी मदद करो.

मेरी बात ध्यान से सुनो. मेरी बेबी को तुम्हारे जीजा जी ले गये हैं. वो मेरा दूध पीती थी. लेकिन उसके ना रहने से मेरे दूध ज़्यादा हो गया है. उसने अपने एक बूब्स की तरफ इशारा किया. मुझे कुछ समझ मे नही आ रहा था. दीदी बोली अगर मेडिकल स्टोर से वो मिल्क सकर मिल जाता तो मैं तुमसे यह सब नही कहती. मेरे मन में बहुत सारे लड्डू फुट रहे थे. दिल मे घंटिया बज रही थी. लेकिन में मासूम बना रहा ओर बोला जैसे बच्चे दूध पीते हैं वैसे क्या? दीदी बोली हाँ वैसे ही. मैं पागल हो रहा था मैने मन ही मन अपने जीजा जी को धन्यावाद किया जिसे में थोड़ी देर पहले तक गालियाँ दे रहा था.

दीदी बेड पर जैसे अपने बच्चे को दूध पिलाती है. उसी पोज़िशन मे बैठ गयी. दीदी एक काली साडी पहने हुए थी जिसमे वो बहुत ही सेक्सी दिख रही थी. मैं उसके सामने बैठ गया फिर दीदी ने अपनी साडी को अपने ब्लाउज से नीचे गिराया. मेरी पैंट भी अब टाइट हो चुकी थी. मैं क्या बताऊ दोस्तो में तो जैसे कोई सपना देख रहा था. मैने आज अपनी दीदी को चोदने का पूरा मूड बना लिया था.दीदी का ब्लाउज सामने से गीला था. जिससे उसके निप्पल को मैं साफ महसूस कर पा रहा था. साड़ी अलग करने के बाद दीदी ने अपने ब्लाउज को उतारा. दोस्तो आप तो समझ ही रहे होंगे की मेरी नज़रे कहाँ पर ठहरी थी. ये तो मुझे आपको बताने की ज़रूरत नही होंगी.

उसके बाद दीदी ने अपनी ब्रा को पीछे से खोल दिया दोस्तो मैं ठंडी साँसे लेता हुआ पागल हुआ जा रहा था. ओर उसके बूब्स को अपने हाथो से दबाने के लिए मचल रहा था. दीदी ने अपनी ब्रा खोल कर मुझे लेट जाने का इशारा किया. मैं तो जैसे इस इशारे का ही इंतजार कर रहा था.समय ना खराब करते हुए में जल्दी से लेट गया. दीदी ने अपने ब्रा को अपने दूध से हटाया ओर मैने उनके बड़े बड़े बूब्स के दर्शन किये. में अपने आप को बड़ा खुशकिस्मत समझ रहा था. ओर अपने प्यारे जीजा जी ओर भगवान को धन्यवाद कह कर रहा था. उनके बूब्स बहुत बड़े बड़े थे ओर बहुत ही अच्छे सुडोल आकार मे थे. गोरे गोरे बूब्स देख कर मेरे तो होश ही उड़ गये थे.बड़ी बहन की चूत की खुजली मिटाई

मैने दीदी की गोद मे अपना सिर रख दिया. दीदी ने अपनी ब्रा थोड़ी उपर की ओर एक बड़ा बूब्स निकाला ओर मुझे पीने को कहा जब मैने अपने होंठ बूब्स के पास किए तो मुझे दूध की स्मेल आई ओर जब निप्पल को अपने होंठो से छुआ तो बहुत ही मज़ा ही आ गया. जब मैने चूसना शुरू किया तो मुझे एक अजीब सा अहसास हुआ. मुझे दूध बड़ा ही स्वादिष्ट लग रहा था. मेरी सगी बहन मुझे दूध पिला रही थी. मैने तेज़ी से दूध पीना शुरू कर दिया. करीब 6 या 7 मिनिट बाद जब मैने एक बूब्स खाली कर लिया तो दीदी ने अपना दूसरा बूब्स भी मेरे होंठो के सामने कर दिया.

अब तक दीदी ने अपनी ब्रा को पूरी तरह से उतार दिया था. ओर वो ऊपर से बिल्कुल नंगी हो गयी थी. मेरा लंड एकदम टाइट हो गया था ओर अंडरवेर से बाहर आने लगा था. मेरे दिल की धडकन तेज़ हो गयी ओर मुझे पसीना आने लगा. दीदी के नरम नरम दूसरे बूब्स को अब मैने अपने मुहं मे भर लिया था. मैं उसके बूब्स को बड़े प्यार से सहलाता भी जा रहा था जिसके कारण दीदी भी कामुक हो रही थी. उसने भी अपने हाथ अब मेरी शर्ट के अंदर डाल दिए थे ओर अपने हाथो को उपर नीचे कर रही थी. अब हम दोनो एकदम पुरे खुल चुके थे. भाई बहिन वाली कोई फीलिंग अब हमारे अंदर नही थी. मैं भी बड़े मज़े से उसके बूब्स को सहला रहा था. उसकी निप्पल को किस करता तो वो ठंडी ठंडी साँसे भर रही थी. उसे ये सब बहुत अछा लग रहा था.

अब मेरा एक हाथ उसके बूब्स पर था ओर उसने भी मुझे बहुत अच्छे से पकड़ रखा था. मेरी आह निकल गयी. दीदी ने आँखें खोल दी ओर मुझसे पूछा क्या हुआ. पसीना क्यों आ गया?मैने कहा की दीदी गर्मी की वजह से मुझे पसीना आ गया था. और फिर दीदी ने अपनी साड़ी उपर की ओर बोला की राजू तुम थक गये होना. लेकिन एक बात याद रखना तुमने मेरी मदद की और मे तुम्हारी बहन हूँ. ओर तुम मेरे प्यारे छोटे भाई हो ये बात किसी को ना बताना प्लीज़. मैने दीदी को कहा की में आपकी मदद कर के खुश हूँ ये मेरा फ़र्ज़ है. सुबह उठ कर हम लोगो ने साथ में बैठकर नाश्ता किया फिर दीदी नहाने चली गयी में अभी भी रात के ख़यालो में ही खोया हुआ था 

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