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छोटी बहन को पापा से चुदवा दिया

पापा को हम भाई बहन की चुदाई का शक हो गया था. हमने पापा को भी इस वासना के खेल में शामिल करने का सोचा. हम भाई बहन ने मिलकर रिश्तों में चुदाई का यह खेल कैसे खेला?

छोटी बहन को पापा से चुदवा दिया

नमस्कार दोस्तो, आपने मेरी पिछली कहानी में पढ़ा कि कैसे मैंने और मेरी छोटी बहन पूर्वी ने चुदाई की. 2 दिनों तक पूर्वी (छोटी बहन) और मैं चुदाई के चक्कर में पूर्वी की चूत की कली खिलने से जो खून निकला उस चादर को हम बदलना भूल गये और माँ पापा शादी से लौट आये।

 

चादर देख माँ बोली- चादर पर ये क्या लगा है?

तो पूर्वी तो सहम गयी.

पर मैंने कह दिया- माँ, वो कल रात लाल रंग गिर गया ड्राइंग करते समय।

तो माँ तो मान गयी.

पर पापा हमें शक की निगाहों से देख रहे थे।

 

खैर पापा और माँ थकान की वजह से वहां से चले गये।

 

जाते ही पूर्वी बोल पड़ी- पापा को शक हो रहा है भैया!

मैंने कहा- हाँ, मुझे भी पता है।

पूर्वी- तो अब क्या करें भैया?

 

फिर मैंने उसे समझाया कि पूर्वी अगर यूं ही पापा को शक रहा तो हम चुदाई नहीं कर पाएंगे, इसका सिर्फ एक ही हल है।

पूर्वी- क्या?

अगर तू पापा को भी अपने इस जवान जिस्म का मजा चखा दे और अपनी चूत का उन्हें दीवाना बना दे तो काम बन जायेगामैंने कहा।

पूर्वी- भैया आप पागल हो, क्या कोई बेटी अपने बाप से चुदवाती है?

 

फिर मैंने उसे अन्तर्वासना और फ्री सेक्स कहानी साईट पर पर स्टोरी पढ़ने को कहा और कुछ बाप-बेटी पोर्न दिखाई।

तो वो बोली- रुको सोचने दो।

 

मैंने कहा- ठीक है, तू शाम तक बता.

 

तब तक मैं छोटा कैमरा ले आया और माँ पापा के कमरे में लगा दिया।

 

शाम को खाने के बाद माँ पापा सफर की थकन के कारण जल्दी ही सो गए.

और फिर मैं पूर्वी के पीछे रसोई में चला गया. वहां वो सिंक के पास खड़े होकर बर्तन साफ कर रही थी. उसने टॉप और लैगी पहना था और लैगी पीछे से अंदर तक उसकी गांड में घुस गयी थी जिससे मेरी बहन की गांड उभर के आ रही थी.

 

यह देखकर मेरा मन उसे चोदने को हुआ और मैंने उसे पीछे से जाकर कस के जकड़ लिया. वो भिंच गयी और कहा- मुझे काम करने दो!

पर मैंने अपना लण्ड उसकी गांड की गहराई तक घुसा दिया और पीछे से ही उसके दूध निचोड़ने लगा और पूछा- तो बहन तूने क्या सोचा है जो तुझे सुबह कहा था?

पूर्वी ने कहा- भैया आप सही थे, मुझे भी अब पापा का लण्ड चाहिए. उसे मैं चूस कर उसका रस पीना चाहती हूँ जैसे और बाकी लड़कियों को भी उनके पापा का लण्ड मिला है।

 

मैं समझ गया कि बाक़ी लड़कियां मतलब सुबह जो कहानी और पोर्न दी थी उसकी बात कर रही है।

 

मैंने कहा- हाँ मेरी छोटी बहन, मैं भाई होने के नाते तेरी सारी इच्छा पूरी करूँगा।

और मैंने उसकी लैगी और पैंटी घुटनों तक सरका दी और पीछे से ही उसकी चूत में लण्ड सेट किया और चुदाई करने लगा।

 

फिर थोड़ी देर बाद मैं झड़ने लगा तो पूर्वी से बताया.

तो वो बोली- नीचे मत गिराना!

और जल्दी से घूम कर नीचे झुक कर मेरी बहन ने लण्ड को मुंह में ले लिया. उसने नाजुक से कोमल होंठों से जैसे ही लण्ड पर सहलाया, मेरी तेज़ी से धार निकल पड़ी और उसने सारा पानी पी गयी।

 

मैंने पूर्वी से कहा- अब तू पापा को अपनी मटकती गांड दिखा और थोड़े ढीले ज्यादा गले के टॉप पहन के घूम घर में! पापा भी एक मर्द हैं, देखना उनके मन में भी बेटी के लिए वासना जरूर जागेगी।

 

कुछ दिन बाद, मैंने कैमरा निकाला. पूर्वी और मैंने हर रात की फुटेज देखी और जिसमे पापा ने एक बार भी माँ को नहीं चोदा, कई बार पापा ने कोशिश की पर माँ ने हाथ झटक दिया।

 

पूर्वी और मैं खुश हुए कि अब पापा को अब उनकी बेटी की चूत मिलेगी। फिर पूर्वी वहाँ से चली गयी और मैं दिन के समय की भी रिकॉर्ड हुई फुटेज देखने लगा.

 

तभी मेरी नज़र वीडियो में माँ पर पड़ी जो सिर्फ एक तौलिया लपेटकर बाथरूम से आ रही थी. दोस्तों ऐसा भरा पूरा बदन देखकर मेरा मन हिल गया.

 

मेरी माँ का फिगर 34 32 34 होगा मुझे पता नहीं, पर उनका रंग गोरा है बिल्कुल मेरी बहन के तरह या ये कहूँ कि मेरी माँ की चूत भी पूर्वी की तरह ही बिल्कुल गोरी होगी जिसमें चूतड़ों के बीच से गुलाबी रंग निखर रहा होगा।

 

मेरे मन में माँ के लिए वासना जाग उठी और सोचा घर में ही एक चूत और है और मैं फालतू में ही पूर्वी के लिए तरसता हूँ। मैं माँ को नँगी देखना चाहता था इसलिए मैंने इस बार बाथरूम में कैमरा लगा दिया।

 

फिर 2 दिन बाद मैंने कैमरे से फुटेज देखी. पर कैमरे में तो कुछ और ही रिकॉर्ड हुआ था मैंने तुरन्त पूर्वी को रिकॉर्डिंग दिखायी।

उसमें हम भाई बहन ने देखा कि पापा अपनी बेटी पूर्वी की उतारी हुई ब्रा और पैंटी को सूंघ रहे हैं और उससे अपना लण्ड रगड़ रहे हैं. फिर उन्होंने उसमें अपना सारा माल निकाल कर वहीं छोड़ दिया।

 

अच्छा तो ये मलाई पापा की थी.पूर्वी फुसफुसायी।

मैंने पूछा- मतलब?

पूर्वी- अरे भैया, मतलब मैंने देखा तो था अपनी पैंटी पर ये वीर्य! पर मुझे लगा कि ये आपने किया होगा इसलिए मैंने आपको नहीं बताया। पर भैया पापा का लण्ड देखो न तुमसे बड़ा है मुझे उसे चूसना है।

 

मुझे थोड़ी जलन हुई और मैंने कहा दिया- चल जा यहां से अपना काम कर! बड़ी आयी पापा का लण्ड लेनी वाली।

पूर्वी मुस्कुरायी और चली गयी।

 

और मैंने जो असली काम के लिए कैमरा लगाया था वो फुटेज देखने लगा।

 

मैंने देखा माँ नंगी होकर ही नहाती है पर माँ की चूत में थोड़े बाल थे जिसे वो साफ़ कर रही थी. मुझे उन्हें वीडियो में नंगी देखकर बस ऐसा मन किया कि अभी रसोई में जाऊ और उनकी साड़ी उठाकर घोड़ी बनाकर चुदाई कर दूँ.

 

पर मैं ऐसा नहीं कर सकता था इसलिए बाथरूम में गया और मैंने उनका वीडियो देखकर उनकी अभी वाली धोने के लिए उतारी पैंटी को सूंघने और चाटने लगा.

मुझे वो खुशबू बहुत मादक लग रही थी और पैंटी से थोड़ा थोड़ा उनकी चूत का पानी का भी स्वाद आ रहा था.

 

दोस्तो, अगर आपने ऐसा नहीं किया है तो बस एक बार करके देखो.

 

मैं मुठ मारकर बाथरूम से बाहर आया और दोपहर का खाना खाते हुए माँ के बोबे और गांड ही देख रहा था।

 

यह बात मैंने पूर्वी को नहीं बतायी कि माँ को मैं चोदना चाहता हूँ. न जाने वो क्या सोचे।

 

फिर खाना खाते हुए पापा ने कहा- कल मेरी छट्टी है, चलो घूमने चलते हैं।

पर माँ बोली- नहीं, कल मैं कविता(माँ की सहेली) के साथ बाहर जा रही हूँ, शाम तक ही लौटूंगी।

 

मुझे मौका अच्छा लगा और मैंने भी कह दिया- कल मेरी भी एक्स्ट्रा क्लास है तो घूमना नहीं हो पायेगा।

 

तभी पूर्वी समझ गयी और मेरी तरफ देखकर मुस्कुरायी। शायद पूर्वी समझ गयी की कल ही उसे पापा का लण्ड मिलेगा।

 

फिर मैंने रात में पूर्वी को समझा दिया की कल माँ तो रहेगी नहीं, तुझे ब्रा और पैंटी नहीं पहनना है बस ऊपर एक पतली सी समीज पहन ले और नीचे नेट वाली ओढ़नी लपेट ले।

ठीक है भैया!पूर्वी ने शर्माकर कहा।

 

दूसरे दिन 12 बजे

पापा हॉल में टीवी के सामने सोफे पर बैठे थे, उनका न्यूज़ देखने का समय यही था.

तभी मैंने पूर्वी को आवाज़ दी- पूर्वी, मैं जा रहा हूँ क्लास में! बाय!

और मैं चुपके से हाल वाली खिड़की पर चला गया।

 

तभी पूर्वी मुझे बाय बोलने हॉल में आयी और पापा ने उसकी तरफ देखा और देखते ही रह गये.

पापा ने अपनी नज़रें हटाई और टीवी ऑन किया.

 

पर मैंने टीवी पर बाप बेटी चुदाई हिंदी साउंड पर पोर्न लगा रखी थी जो फुल साउंड पर चलने लगी. उसमें आवाज आ रही थी- पापा मुझे चोदो और जोर जोर से चोदो, फाड़ डालो इस आपकी ही दी हुई अमानत को!

 

ऐसी आवाज़ पूरे कमरे में गूंजने लगी.

 

तभी पापा और पूर्वी दोनों टीवी बन्द करने झपटे. पर पूर्वी पापा के ऊपर गिर गयी जिससे उसकी ओढ़नी खुल गयी और पंखे की वजह से दूर उड़ गई।

 

पूर्वी पापा के ऊपर ऐसे ही नंगी पड़ी रही.

 

और अब तक पापा का 7 इंच लण्ड भी टनटना चुका था जो पैंट के अंदर से ही पूर्वी की चूत पर गड़ रहा था और इधर पोर्न टीवी पर आवाज़ के साथ चालू ही थी।

पापा ने पूर्वी से कहा- उठो।

पर पूर्वी ने पापा का लण्ड पकड़ते हुए बोला- ये गड़ रहा है।

 

पूर्वी के मुलायम हाथ पापा के लण्ड के ऊपर पापा को एकदम भारी उत्तेजना हुई.

पापा ने उसे उठाया और अपनी पैंट खोल कर कच्छा नीचे करते हुए कहा- तुम्हें बेटी ये चुभ रहा है. और इसे लण्ड कहते हैं।

पूर्वी ने आँखें बंद कर ली.

 

तभी पापा ने पूर्वी की समीज उतारकर उसे पूरी नंगी कर दिया और उसे हाथ पकड़कर सोफे बैठा दिया.

फिर पापा ने अपनी बेटी से कहा- देखो टीवी पर जो हो रहा है, इसे सेक्स कहते हैं।

पूर्वी ने कहा- मुझे सब पता है पापा।

 

तो पापा खुश हो गए और बोले- चलो तो फिर!

और पूर्वी की दोनों टांगें उठाकर फैलायी और अपना लण्ड चूत पर सेट किया और पूर्वी को चोदने लगे।

 

बड़े लण्ड की वजह से पूर्वी चिल्ला रही थी. तब भी पापा नहीं रुके और चोदते रहे. फिर थोड़ी देर बाद मेरी रांड बहन उछल उछल कर चुदवाने लगी और कहने लगी- पापा, मुझे आपका लण्ड चूसना है प्लीज।

पापा ने अपना लण्ड बेटी की चूत से निकाला और उसके मुंह में दे दिया।

 

पूर्वी बहुत मज़े से चूस रही थी, पूरा लण्ड मुंह में ले रही थी।

 

कुछ देर बाद पापा बोले- हट, मुझे झड़ना है.

तो मेरी रंडी बहन ने कहा- मुझे पिलाओगे नहीं क्या पापा?

पापा मुस्कुरा दिये और कहा- ठीक है.

और अपनी बेटी पूर्वी के मुंह में सारा माल दे दिया और पूर्वी पूरा चाट चाट कर पी गयी।

 

शायद पूर्वी को मुठ पीने में मज़ा आने लगा है।

 

तभी उनके बीच दूसरा राउंड शुरू हुआ.

 

पापा अपनी बेटी पूर्वी को चोद ही रहे थे कि मैं वहां हाल में चला गया जहां बाप बेटी की चोदन क्रिया चल रही थी।

 

पापा मुझे देखकर चौंक गये और पूर्वी को भी अंदाज़ा नहीं था। पापा ने कहा- बेटा, तुम जल्दी आ गये?

यही सही मौका था मैंने पूछ ही लिया- आप अपनी बेटी को चोद रहे हैं? माँ को चोदने को नहीं मिलता क्या?

 

पापा ने कहा- बेटा, मैं तेरी माँ को बिना कंडोम के चोदना चाहता हूँ पर तेरी माँ कहती है कंडोम लगाओ. इसी अनबन के बीच में तेरी माँ को चोद नहीं पा रहा।

 

फिर पापा मुझे सॉरी सॉरी कहने लगे।

 

तभी पूर्वी आगे आयी और बनकर कहा- भैया अगर आप भी मुझे चोदना चाहते हो तो चोद लो. पर माँ को मत बताना।

 

फिर क्या था, मैंने पैंट उतारी और अपनी बहन की चुदाई ज़ोर ज़ोर से करने लगा. आखिर इतने देर से देखने के बाद मुझसे रहा नहीं जा रहा था।

 

मेरे और पूर्वी के झड़ने के बाद हमने रेस्ट लिया।

 

पर पापा कहाँ मानने वाले थे, वो पूर्वी के बदन का हर हिस्सा चूम रहे थे बोबे, चूत, गर्दन गांड कलाई पेट सब कुछ।

फिर मैंने पापा से कहा- हम साथ में चोदें?

पूर्वी डर गयी- नहीं बाबा!

वो नहीं नहीं करने लगी।

 

पर पापा ने समझाया कि बेटी बस थोड़ा सा दर्द होगा, फिर मज़े ही मज़े।

 

तो मैं लेट गया. मेरे ऊपर पूर्वी आ गयी. मैंने उसकी चूत में अपना लण्ड घुसेड़ दिया.

अब बारी पापा की थी, पापा ने तेल डाला पहले बेटी की गांड में फिर अपने लण्ड में लगाया।

 

मैंने पूर्वी के होंठों को अपने मुंह में भर लिया ताकि वो चिल्लाये न!

फिर पापा ने अपनी बेटी की गांड में धीरे धीरे लंड डालना शुरू किया।

पूर्वी छटपटाने लगी.

 

पर पापा ने अपना आधा लण्ड अंदर डाल दिया और हम थोड़ी देर रुक गए।

पूर्वी की आँखों में आँसू थे.

 

फिर जब हम नॉर्मल हुए तो पापा ने एक झटके और दिया और पूरा लण्ड अंदर कर दिया.

इस बार पूर्वी चीख पड़ी- मार डाला रे दोनों बाप बेटे ने मिल कर।

 

फिर कुछ देर बाद मेरी बहन नार्मल हुई और हमने खूब चुदाई की. पूर्वी बहुत थक गयी और वो कमरे में चली गयी और सो गई।

 

माँ आयी शाम को 6 बजे।

पूर्वी कहाँ है?” माँ ने पूछा।

उसकी तबीयत खराब है, खाना उसको कमरे में दे दूंगा आज मैं!पापा ने कहा।

 

रात को खाना खाने के बाद माँ सोने चली गयी।

 

मैं और पापा बाहर टहल रहे थे. तभी अचानक पापा बोल पड़े- मैं पूर्वी के रूम में जा रहा हूँ, तू तेरी माँ पर नज़र रख।

मैं बोला- मैं उन्हीं के साथ सो जाता हूं. अगर माँ उठी तो मैं तुरंत आपको काल कर दूंगा।

पापा बोले- ठीक है.

और चले गए.

 

पर मेरा प्लान तो कुछ और ही था दोस्तो!।

 

 

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मामा की बेटी की चुदाई उसी के घर में

पिछले 23 दिसम्बर को दीपू के जन्मदिवस पर मुझे जहां दीपक, रीना-रंजू और अनु दीदी की चौकड़ी के साथ रंगरेलियां मनाने का सुअवसर मिला था.

वहीं हम लोग सब न्यू ईयर पार्टी की प्लानिंग कर रहे थे लेकिन किसी निर्णय पर पहुंचने में कामयाब नहीं हुए तो सुबह हम सब लोग अपने घरों को लौट आए.

 

शाम को चुत की तलाश में मैं मामी से मिलने के लिए उनके घर पहुंच गया.

मामी मामा नजदीक के ही एक हाउसिंग सोसाइटी के फ्लैट में अपने दो बेटों और एक बेटी के साथ रहते थे.

 

मैं पहुंचा तो मामा के पूरे परिवार का सरप्राइज रिएक्शन दिखा.

मुझे बहुत अच्छा लगा.

 

सामान्य भाव से मामी मुझसे मम्मी पापा और भाई बहनों का हाल चाल समाचार पूछती रहीं.

 

फिर मैं अपने ममेरे बहन भाइयों के साथ कनेक्ट हो गया और हम सब गप्प लड़ाने लगे.

 

मामा जी को दोनों लड़के महंत (20) और सुमंत (19) पढ़ने में बहुत इंटेलिजेंस रहे और 22 साल की एक बेटी अर्चना, बहुत सुंदर और आकर्षक थी.

 

अर्चना की कुंवारी चुत की चुदाई करने का स्वर्ण अवसर मामी अपने घर में सौंप चुकी थीं. तब से मामी और अर्चना दोनों ने ही मुझे चुदाई के लिए कभी भी मना नहीं किया.

 

अर्चना के उजले जिस्म का कटाव यही कोई 32-30-34 का था और हाईट पूरे 170 सेंमी की थी.

वो किसी पोर्न स्टार के जैसी, किसी भी सेक्सी मर्द के हवस की पूरी करने वाली माल लौंडिया थी.

 

उसके उठे हुए मम्मों को तो देखते ही उसे चोदने का मन करने लगा था. उस पर उसके चूचों पर टंके हुए भूरे दाने, किसी पहाड़ की चोटी की तरह खड़े अपने आपको फतह किए जाने का इंतजार कर रहे थे.

चूचों के नीचे पतली होती कमर पर तराशी हुई गहरी नाभि किसी की भी नियत खराब करती इठला रही थी.

 

उसकी झील सी गहरी काली आंखों में तैरते लाल डोरे वासना का आमंत्रण देते लग रहे थे. गोल गोल कटोरे जैसे भारी चूतड़ और चिकनी मोटी मोटी कदली जैसी जांघों को बीच पावरोटी की तरह फूली सुनहरे रोएंदार टाईट बुर किसी भी मर्द को घायल करने की माद्दा रखती थी.

 

कुल मिलाकर बीस साल की कचक जवान लड़की मेरे लंड की पुरानी आशिक रही थी.

 

इशारों ही इशारों इशारे में मामी की मूक सहमति लेकर मैं शाम होते ही अर्चना के साथ ऊपर छत पर आ गया.

नीचे दोनों लड़के पढ़ने में लीं हो गए.

और मामा मामीजी हाल में बैठे चाय की चुस्कियां ले रहे थे.

 

अंधेरा होते ही चुदने को बेकरार अर्चना ने छत पर एक गेस्ट रूम में जाते हुए आवाज लगा दी थी.

मैं गबरू जवान लड़का उसकी चुत बजाने के लिए उतावला सा उस कमरे में आ गया था.

 

कमरे में अन्दर जाकर मैंने कमरे को लॉक कर दिया और हम दोनों कामक्रीड़ा का भरपूर आनन्द लेने में लग गए थे.

 

ज़मीन पर एक बड़े गद्दे पर एक दूसरे को नंगा करके एक दूसरे के गुप्तांगों को छेड़ कर उत्तेजित करने लगे. मैंने अर्चना के सुर्ख गुलाबी होंठों को चूसने लगा और उसकी चौंतीस इंच की चूचियों को मसलने लगा.

फिर बारी बारी से दोनों चूचियों को चूसते हुए नीचे गहरी नाभि में जीभ डाल कर चूमने लगा.

 

जवां हुस्न की मल्लिका अर्चना मेरा भरपूर सहयोग कर मुझे मस्त मज़ा दे रही थी.

 

अब हम दोनों जल्द ही 69 की पोजीशन में आ गए और एक दूसरे के गुप्तांगों को चुम्बन करने और चाटने लगे.

गुलाब जैसे पंखुड़ियों वाली चुत का स्वाद नमकीन और कसैला सा लग रहा था.

 

अर्चना भी पहले से ज्यादा एक्सपर्ट हो गई थी और मेरे लंड को पकड़ मस्त चुसाई कर रही थी.

 

अब मैं देर ना करने की सोची और ब्रेड की तरह फुली रोएंदार मखमली चुत को चौड़ी करके जीभ से अन्दर चाटता रहा.

जवानी से चरमराई अर्चना चुदाई से इतना मगरूर हो गई थी कि पांच मिनट में ऐंठने हुए गांड उठाने लगी और झड़ गई.

 

अर्चना की चुत से बहुत सारा पानी निकलने लगा. उसके पानी से मेरा मुँह लिसलिसा सा हो गया था.

 

इधर मेरे 7 इंच लम्बे और 2 इंच मोटे लंड को अर्चना बहन ने चूस चूस कर गहरा लाल कर दिया था.

वो अब सिर्फ़ और सिर्फ़ चुदाई करवाने को व्याकुल हो रही थी.

 

मैंने नीचे पीठ के बल लेटकर अर्चना को दोनों टांगों को खोल ऊपर लहराने को कहा.

उसकी बुर को फैला कर मैं अपने लंड का टोपा सैट करके अन्दर धकेलने लगा.

 

एक बार मैंने उसकी नजरों से नजरें मिलाईं और अर्चना के मुँह से सांस खींचते खींचते लंड महाराज कसी बुर चीरते हुए आधे से अधिक समा गए.

 

इसी के साथ अर्चना बहन एकदम से चीख मार कर मुझसे छूटने के लिए छटपटाने लगी- अहह मेरीईई ईईई फट गई चुत भैनचोद साले कुत्ते हरामी रुक ज़ाआअ आह बाहर निकाल लो उम्म्ह अहह हय याह मम्मी.. बचाओ भैन के लंड ने फाड़ दीईई आह मेरीईई ईईई चुत कोई ऐसी बर्बरता से चोदता है आह बाहर निकाल इसेय माँ के लौड़े.

 

अर्चना लंड के दर्द से फूट फूट कर रोने लगी.

उसकी मदमस्त नंगी चुचियां सांसों के साथ ऊपर नीचे हो रही थीं. उनको मैं बारी बारी चूसने लगा.

 

धीरे धीरे मेरी ममेरी बहन सामान्य होने लगी और मेरी पकड़ से निकलने की बेकार कोशिश करने लगी.

 

मैं अपनी बहन को एक रफ्तार में चोदने लगा.

धीरे धीरे धक्के बढ़ाने पर गुंदाज़ जांघों और उसकी चौड़ी गांड से टकरा कर मस्त पट-फट के साथ चुदाई की फचा-फच, हच-फच की मधुर आवाज़ कमरे में गूंजने लगी.

 

बाईस साल की कमसिन बहन थोड़ी देर में सामान्य हो गई और कमर उछाल उछाल कर अपनी बुर में ज्यादा लंड की मांग करने लगी.

 

मुझे अपने लंड पर बहुत अधिक कसाव अनुभव हो रहा था. जैसे कुंवारी कन्या की बुर चोदने के असीम आनन्द की होती है.

मैं चुत की जड़ तक लंड पेलने लगा और बहन की दर्द और सिसकारियां से कमरा गूंज उठा.

 

मेरी बहन अर्चना की सांसें तेज हो गई थी. उसकी ऐसी हालत में ताबड़तोड़ चोदते हुए मैं बुर की धज्जियां उड़ाने लगा.

 

कचनार की कली अर्चना अपने आनन्द के उन्माद में दोनों हाथों में तकिया भींच रही थी और दोनों टांगें ऊपर हवा में लहराते हुए चुत में जड़ तक सात इंच लंबा लंड के हरेक चोट को हलक में घोंट रही थी.

 

करीब दस मिनट की भयंकर चुदाई के बाद वो दहाड़ें मार कर झड़ने लगी.

उसने मुझे इतनी जोर से भींचा कि उसके हाथ में दबोचा हुआ तकिया की रुई फटकर बिखर गई थी.

मैं बिना रुके रफ्तार में चुदाई करता रहा.

 

अर्चना को ऐंठकर रज छोड़ते हुए उसके गर्म कामरस को महसूस करता रहा.

 

फिर कुछ पल बाद कड़क चुचियों और कसी चुत की मल्लिका अर्चना मुझे फिर से भरपूर सहयोग करने लगी.

 

थोड़ी देर बाद मैंने भी चरम सुख भोगते हुए बहन की चुत में अपना लावा छोड़ दिया और उसके ऊपर गिर गया.

 

परम आनन्द की अनुभूति से अर्चना आंखों को बंद कर महसूस करने लगी.

 

सांसें सामान्य होने पर हम दोनों ने एक दूसरे के होंठों को चूम कर कपड़े पहने और फ्रेश होने बाथरूम में घुस गए.

अर्चना दीवार पकड़ कर चल रही थी.

 

उसने चुत में अन्दर तक उंगली डाल कर पानी के प्रेशर से साफ किया. अर्चना की चूत की धारी फूल कर गोलाकार हो गई थी. चेहरे पर अजीब लाली लिए अर्चना किसी खजुराहो की मूर्ति की तरह कामदेवी लग रही थी.

 

ब्रो सिस सेक्स के बाद कपड़े ठीक करके दोनों मुस्कराते हुए बाहर निकल आए.

 

मैंने उसे अपनी बांहों में भर चूम लिया और वापस नीचे को लेकर गया जहां मामा मामीजी हाल में बैठे अब भी बातें कर रहे थे.

मुझे देख कर मामी ने मुझसे आँखों के इशारे से पूछा कि हो गयी अर्चना की चुदाई?

मैंने भी आँखों और होंठों से संतुष्टि का इशारा किया.

 

तभी दोनों ममेरे भाई न्यू ईयर पार्टी के लिए मामी से इजाजत मांगने आए.

तो चर्चा करते हुए मुझे मालूम़ हुआ कि तीनों भाई बहन को यहीं छोड़ कर अगले शनिवार को सगाई में शामिल होने के लिए मामी के गांव में, मामा-मामीजी दोनों ही जाने वाले थे.

 

उनसे इजाजत मिलने पर हम चारों पार्टी की तैयारियों पर मशगूल हो गए.

 

अर्चना के दोनों भाईयों को भी इस कामक्रीड़ा की दुनिया में पदार्पण करने के लिए एक प्लान के तहत फुफेरे भाई-बहनों और मौसेरी बहन को भी बुलाने के लिए अर्चना ने फ़ोन कर दिया.

 

उसके बाद अपने घर जाने के लिए मैं मामी से इजाजत लेने गया, तो मामी ने अगली दोपहर में मुझे आने के लिए आदेश दिया.

जहां अगले दिन घर में तैयार अकेले मामी को चोद कर मैंने मज़ा लिया. इस चुदाई का फिर कभी जिक्र करूंगा.

 

अगले शनिवार को नियत समय पर मामा मामीजी को विदा कर दिया.

 

एक दिन पहले ही खाने पीने और आतिशबाजी, लाईट्स की तैयारियों को शुरू कर दिया गया.

आज सुमंत और महंत को अपनी रिश्तों में चुदाई की दुनिया में शामिल करने लिए उम्र के हिसाब से अर्चना ने अनु दीदी को दायित्व दे दिया था.

 

इसलिए मामाजी के घर पहली बार अनु दीदी को लेकर मैं दोपहर को पहुंच गया.

 

सुमंत, महंत और अर्चना, पहली बार अनु से मिलकर बहुत खुश हो गए क्योंकि अनु दीदी बहुत मिलनसार और सेक्सी माल हैं.

 

थोड़ी ही देर में अनु दीदी ने अपने 34-32-36 के हुस्न जाल में दोनों भाइयों को दीवाना बना दिया.

अर्चना आंखों में आंखें डालकर विस्मय से दोनों भाइयों को देखती रही.

 

कभी वो दोनों अपनी बहन अर्चना की हर बात में मीन मेख निकालते थे, अभी गुलाम की तरह अनु दीदी के आदेश का अक्षरशः पालन करने लगे थे.

 

दोपहर को सबने एकसाथ लंच किया और थोड़ी देर के लिए सब लोग आराम करने लगे

 

मैं अर्चना को गोद में लेकर सोफे पर आराम करने लगा और अनु दीदी सुमंत महंत दोनों भाइयों को एक कमरे में लेकर समा गईं. जहां सेक्स गुरु की तरह उन दोनों को प्रशिक्षित कर रही थीं.

 

दोनों भाइयों में अनु दीदी के चौंतीस नाप से ठोस चुचों के ज्यादा करीब आने की जल्दी मची थी. उस पर भी अगर कोई लड़की खुद आमंत्रण दे रही हो, तो फिर किसी भी लड़के को कैसे फील गुड नहीं हो सकता था.

 

शाम होते होते अनु दीदी ने दोनों को अपने मदमस्त जवानी की वासनाओं में डुबो कर दोनों को नंगा कर दिया था और बारी बारी से दोनों भाइयों के लंड का पानी निचोड़ लिया था.

जिंदगी में पहली बार वो दोनों युवा लौंडे सेक्स का पहला अनुभव पाकर अनु दीदी के मुँह में बारी बारी से झड़ गए थे.

 

चलो अब बस अब रात में और मज़ा करेंगे.ये कह कर अनु दीदी ने दोनों को अपनी बांहों में भर चूम लिया.

 

महंत और सुमंत की सारी शर्म जाती रही.

 

फिर घर में सारे दिन दोनों भाई आते जाते बार बार अनु दीदी को सहलाने और स्पर्श करने की कोशिश कर रहे थे.

 

तभी अपनी मस्त दो बहनों रीना और रंजू के साथ दीपक भी हाज़िर हो गया.

 

न्यू ईयर पार्टी के मस्त माहौल को रीना दीदी, मस्त रंजू और अनु दीदी के साथ बाईस साल की अर्चना अपनी मस्त जवानी से शाम रंगीन कर रही थी.

मैं बीस साल का भगवानदास, सुमंत, महंत और 21 साल के दीपक के साथ न्यू ईयर पार्टी की पूरी तैयारी करके हम सब धीरे धीरे बीयर की चुस्कियां लेने लगे थे.

 

सारी लाईट्स और मोमबत्तियों की झिलमिलाती रोशनी पूरे हॉल में जगमगा रही थी.

 

तभी चारों परियां अधनंगी हालत में अपनी जवानी का जलवा बिखेरती हुई आ पहुंची.

 

उफ़ बला की खूबसूरती हॉल में जगमगा रही थी. जवां हुस्न की खुशबू कमरे में हवा को नशीली बना रही थी.

 

रंगीन पारदर्शी गाउन में चारों के अंत:वस्त्र दिखाई दे रहे थे.

रीना के गोल गोल चूतड़ों के बीच गहरी फंसी चौंतीस इंच नाप की जालीदार लाल पैंटी में सिर्फ़ सामने एक पान बनाया हुआ था और ब्रा में कैद चुचों के सिर्फ़ चूचुकों को ढका गया था इस जालीदार ब्रा पैंटी के सैट ने उसके पूरे नंगे जिस्म पर चार चांद लगा दिए थे.

 

उधर अर्चना के ऊपर सिर्फ ब्रा और पैंटी के ऊपर पतली कमर में नेट की मिडी गजब कहानी बयां कर रही थी.

 

मखमली कोटी के नीचे लक्स की बनियान और शॉर्ट्स में अनु दीदी के चौंत्तीस के चूचे और छत्तीस इंच नाप के चूतड़ साउथ इंडियन फिल्मों की लड़कियों की तरह गजब क़यामत ढा रहे थे.

उसमें से सामने से फूली हुई चुत की दरार साफ़ झलक रही थी.

 

छोटे मगर ठोस चूंचे वाली रंजू अपनी उठी हुई गांड में पैंटी के ऊपर नेट की लांग कुर्ती भर पहनी हुई थी, बिना ब्रा के उसकी नंगी नोकदार चूचियां आंखों को चुभ रही थीं.

वो चारों इठलातीं बलखातीं म्यूजिक सिस्टम पर कमर नचातीं किसी अप्सराओं के जैसी लग रही थीं.

 

सुमंत और महंत ने कभी लड़कियों के हुस्न का इस तरह दीदार नहीं किया था.

वो दोनों तो काटो तो खून नहीं वाली स्थिति में बैठे हुए थे.

जबकि घर में जवान बहन अर्चना भी थी.

 

आज उसी अर्चना के साथ रीना, रंजू और अनु दीदी को दोनों भाई आंखें फाड़कर देख रहे थे.

 

दीपक ने अनु के साथ मिलकर खाने की चीजों को सजाया और सबको बीयर पकड़ा दी थीं.

 

चार मस्त लड़कियों के साथ चार जंवा लड़कों की पार्टी शुरू हो गई. स्नेक्स और नट्स केक के साथ थोड़ी बीयर सबने मिलकर पी, फिर म्यूजिक सिस्टम पर डांस करने लगे.

 

दीपक ने बातों ही बातों में रीना और रंजूमुनि को नौसिखिए सुमंत महंत के साथ जोड़े बना दिए.

 

मस्ती करने के लिए मैं भी अर्चना के साथ जोड़ी बना कर नाचने लगा. फिर दीपक और अनु दीदी का जोड़ा बन गया.

 

ऊँची आवाज़ में ऑडियो बज रहा था.

 

मस्ती में घंटों नाचने के बाद अब नशा की खुमारी सभी के ऊपर चढ़ने लगी थी.

सुमंत महंत के साथ अर्चना की हिचक शर्म सब जाती रही थी.

 

सबने मिलकर वोडका के साथ हल्का डिनर भी किया.

 

रात बढ़ने के साथ साथ तन पर कपड़े भी कम होते गए.

सभी लड़के और लड़कियों को ब्रा और पैंटी में कर दिया गया. शराब पर शवाब हावी हो रहा था.

 

सुमंत के साथ रंजू चिपक कर बैठ गई थी और वो रंजू की नंगी चूचियों से खिलवाड़ कर रहा था.

महंत को रीना ने दबोच लिया था और वो उसे अपने हुस्न का जलवा दिखा रही थी.

 

दीपक के साथ अनु दीदी मस्त जवानी का मज़ा ले रहे थे.

 

देखते ही देखते रात के बारह बज गए. बाहर पटाखे फूटने शुरू हो गए और सबने मिलकर अधनंगे बदन से न्यू ईयर का वेलकम किया.

 

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अंधेरे में कजिन सिस्टर की चूत का मजा लिया

ये सेक्स भाई बहन कहानी मेरी और मेरी एक कजिन सिस्टर की है. वो मेरी मामा की बेटी है और उसका नाम प्रीति है. प्रीति की उम्र बाइस साल है और वो अभी एम एस सी कर रही है. मेरी ममेरी बहन की फिगर 30-28-32 की एकदम फिट है. वो रंग से गोरी और एकदम रसीली जवानी का संगम है.

 

वैसे हम दोनों आपस में एक दूसरे के साथ इतने अधिक खुले हुए हैं कि हम दोनों मामा के घर में ही 2 बार पूरा खुल कर सेक्स भी कर चुके हैं. अभी पिछले महीने ही प्रीति हमारे घर कुछ दिनों के लिए आई थी. उसके आने से मुझे बहुत ही ख़ुशी हुई.

 

मैंने सोचा बहुत दिनों के बाद प्रीति की गर्म जवानी चखने को मिलेगी. उसे आए दो दिन हो गए थे, लेकिन तब तक मुझे मौका ही नहीं मिल रहा था. मैं उसे चोदने के लिए तड़प रहा था.

 

ये बात वो भी जानती थी. पर वो भी साली मेरे मजे ले रही थी. दिन भर वो मम्मी के साथ रहती थी और रात को भी मम्मी के ही रूम में सोती थी. मैं मेरे रूम में पापा के साथ सोता था.

 

तीसरे दिन मैंने प्रीति से कहा- चलो प्रीति, आज तुमको बाहर घुमाने ले चलता हूँ.

 

वो भी कहीं न कहीं मुझसे मिलना तो चाह ही रही थी, तो वो भी झट से राजी हो गई.

मेरी मम्मी ने भी हमें जाने के लिए हां कर दिया.

तो हम दोनों भाई बहन बाइक लेकर घर से निकल गए.

 

कुछ दूर जाकर एक गार्डन में मैंने उसे बिठाया और उसे चूम कर कहा- यार क्यों तड़पा रही हो? बताओ तो तुम क्या चाहती हो?

वो छूटते ही बोली- चुदना.

मैंने कहा- तो फिर पास क्यों नहीं आ रही थी घर में? चल अभी किसी होटल में चलते हैं. वहां मैं तेरी चूत का छेद ढीला करता हूँ.

 

उसने होटल में जाने से मना कर दिया और बोली- नहीं होटल में नहीं वहां बहुत खतरे वाली बात है. हम अपने घर पर ही करेंगे तुम बस थोड़ा सब्र रखो.

 

मैंने कहा- एक तरीका है.

वो बोली- क्या?

मैंने कहा- मैं कुछ एंटी एलर्जी की दवा ले लेता हूँ, तुम शाम को मम्मी पापा को खिला देना.

वो बोली- उससे क्या होगा.

मैंने कहा- उनको नींद आ जाएगी.

 

वो कुछ नहीं बोली, तो मैंने दवा ले ली. और हम दोनों घर आ गए.

 

उस दिन किस्मत ने मेरा साथ दे दिया. डिनर करने के बाद प्रीति ने मम्मी पापा को दूध दिया, तो उसमें दवा मिला दी.

 

इसका असर एक घंटे से पहले होने वाला नहीं था. हम सब बैठ कर बातें करने लगे.

 

इसके बाद जब हम सोने जा ही रहे थे, तो अचानक से लाइट चली गयी.

 

उस रात गर्मी बहुत ज्यादा हो रही थी तो मेरे पापा बोले- आज गर्मी बहुत है, हम सब हॉल में ही सोएंगे.

 

यह सुनकर में बहुत ही खुश हुआ. प्रीति भी मेरा खिला हुआ चेहरा देख के हंसने लगी.

 

पापा ने हाल में बिछौने डाल दिए. एक साइड में पापा सो गए, उनके बगल में मम्मी सो गईं.

मम्मी के साइड में प्रीति और उसके साइड में मैं लेट गया.

 

जब पापा ने लाइट ऑफ कर दी तो एकदम घुप्प अंधेरा हो गया. अंधेरा इतना ज्यादा था कि अपने बाजू वाले को देखना भी मुश्किल था. मैं सबके सोने की राह देख रहा था.

 

एक घंटे बाद जब सब सो गए, तो मैंने हल्के से प्रीति को हिलाया. वो भी सो रही थी. पर मेरे हिलाने से वो जग गयी. मैंने धीरे से उसे मम्मी से थोड़ा दूर खिसकाया.

 

वो मेरे कान में धीरे से फुसफुसाई- क्या कर रहे हो राहुल?

मैं- तुम जबसे आयी हो, मैं तभी से तुम्हारे लिए तड़प रहा हूँ. तुम भी मेरे मजे ले रही हो. पर आज मौका मिला है, ये मौका मैं नहीं छोडूंगा.

 

प्रीति- यार, मुझे डर लग रहा है. बुआ और फूफाजी साइड में ही सोये हैं. अगर उनको भनक ज़रा भी लग गयी तो हम दोनों काम से जाएंगे.

मैं- कुछ नहीं होगा डार्लिंग, हम बिलकुल आवाज नहीं करेंगे. तुम डरो मत मैं सब सम्भाल लूंगा. उन्होंने दवा खाई हुई है. उनकी नींद टूटने की कोई उम्मीद नहीं है.

 

वो मेरी बात सुनकर कुछ आश्वस्त हो गई. फिर हम दोनों मम्मी पापा से अलग हो कर दूर को लेट गए.

 

प्रीति तो बोली- चलो, बाहर छत पर चले चलते हैं.

मैंने- मगर उधर पड़ोस के लोगों की नजर पड़ने का खतरा था.

 

मैंने उसे मना करते हुए मम्मी के कमरे में चलने का कहा. वो इसके लिए मान गयी और हम दोनों उठ कर मम्मी के कमरे में आ गए.

 

अब मैंने प्रीति के होंठों पर अपने होंठ रख दिए और बरसों से भूखे शेर की तरह उसे चूमने लगा.

 

मैं अपनी बहन को जोर जोर से किस कर रहा था. प्रीति भी अपनी तरफ से उसका पूरा जवाब दे रही थी.

 

कभी मैं अपनी जीभ प्रीति के मुँह में डालता, तो कभी प्रीति अपनी जीभ मेरे मुँह में डालती. हम दोनों की जोरदार किसिंग से प्रीति के होंठ लाल हो गए थे.

 

इधर मेरे हाथ अब प्रीति के मम्मों पर चलने लगे थे. मैं उसके मम्मों को जोर जोर से दबाने लगा. प्रीति को इतने जोर से दबाने से दर्द होने लगा था, पर उसके होंठ मेरे मुँह में होने की वजह से वो आवाज नहीं कर पा रही थी.

 

उसने हाथों से छटपटाहट जताते हुए मुझे रोक दिया. मैं समझ गया. अब मैंने अपना रास्ता बदल दिया. मैंने तो पहले से ही अपने कपड़े निकाल दिए थे. अब मैंने प्रीति की सलवार का नाड़ा खोल दिया और सलवार उतारने लगा.

 

प्रीति ने मुझे रोक दिया.

 

प्रीति- राहुल, बुआ कभी भी उठ कर इधर आ सकती हैं, इसे पूरा मत उतारो. जो कुछ करना है, ऐसे ही कर लो.

 

तब मैंने उसकी सलवार घुटनों तक नीचे कर दी और उसके साथ साथ पैंटी भी नीचे कर दी. अब मैं अपनी बहन प्रीति की चूत पर हाथ फेरने लगा.

 

प्रीति भी मेरे लंड के लिए तड़पने लगी. वो मुझे जोर जोर से किस करने लगी. अपने हाथों से मेरी पीठ सहलाने लगी.

 

मैंने अब उसे किस करना छोड़ दिया और चूत की ओर खिसकने लगा. मैं जानता था चुत चाटने पर प्रीति ज्यादा ही गर्म हो जाती है. एक बार वो गर्म हुई फिर वो कण्ट्रोल नहीं कर पाएगी.

 

चूत चटाई के दौरान उसकी आवाज निकलेगी. इसलिए मैंने अपनी चड्डी प्रीति के मुँह में डाल दी. उसका मुँह बंद करने के बाद अब मैंने धीरे से अपनी जीभ प्रीति की चूत पर रख दी.

 

अपनी चूत पर मेरी जीभ का स्पर्श का अहसास होते ही प्रीति सिहर गयी. उसकी बॉडी में करंट सा दौड़ने लगा. वासना से अभीभूत हाकर उसने अपनी मुट्ठी में चादर भींच ली.

 

उसकी टांगें फ़ैल गई थीं और मैंने भी अपनी जीभ ज्यादा से ज्यादा अन्दर डालकर उसकी चुत को मस्ती से चाटने लगा. उसकी चुत के दाने दाने को अपने दांतों से काटने लगा. कभी कभी जीभ निकालकर अपनी उंगली छेद में डाल देता. फिर वापस चूत चाटने लगता.

 

इससे कुछ ही पलों में प्रीति ज्यादा ही गर्म हो गयी थी. वो तड़पने लगी. अचानक ही वो अपनी बॉडी टाइट करके कांपने लगी. उसे परम आनन्द मिल रहा था और उसने अपना पानी छोड़ दिया.

 

उसकी चुत से निकला सारा का सारा पानी मैंने बिना वेस्ट किए पी लिया.

 

मैंने अपनी जीभ से बहन की पूरी चूत को चाट चाट कर एकदम साफ़ कर दिया.

 

प्रीति की सांसें तेज़ हो गयी थीं. वो हांफ रही थी. मैं उसके मुँह से चड्डी हटा कर उसे फिर से किस करने लगा और उसके मम्मों को दबाने लगा.

 

अब मैंने प्रीति के टॉप को ऊपर करके उसकी ब्रा साइड में कर दी और उसके मम्मों को मुँह में लेकर निप्पलों को चूसने लगा कभी कभी काट भी लेता.

 

प्रीति ने अपने होंठ दांतों में दबाए रखे थे ताकि तेज आवाज बाहर न निकले.

 

अब प्रीति फिर हरकत में आने लगी. वो मुझे अपनी बांहों में खींचे जा रही थी. मैंने उसका एक दूध चूसना शुरू कर दिया.

 

वो भी मस्ती से मुझे अपने दूध चुसाने लगी. इस समय वो मुझे अपनी गोद में लिटा कर किसी बच्चे के जैसे दूध पिला रही थी. वो खुद अपने मम्मे के निप्पल को अपनी दो उंगलियों में दबा कर मुझे दूध पिला रही थी.

 

मैं भी उसका एक दूध चूस रहा था और दूसरा मसल रहा था.

 

अब प्रीति फिर से गर्म हो गयी थी- राहुल प्लीज अब अन्दर डाल दो मुझसे अब सहन नहीं हो रहा.

 

मैंने प्रीति को सीधा लेटा दिया और उसके ऊपर आ गया. मैंने अपनी चड्डी को प्रीति के मुँह में वापस डाल दी और अपना लंड उसकी चूत पर सैट करके धक्का मारने लगा. पर लंड फिसल रहा था, उसे चूत का छेद मिल ही नहीं रहा था.

 

प्रीति को मेरी दिक्कत समझ आ गयी. उसने लंड अपने हाथों से अपनी चूत के छेद पर रख दिया. अब मुझको छेद का सिग्नल मिल गया था.

 

मैंने प्रीति के हाथ पकड़ लिए और एक जोर का झटका दे मारा. मेरा आधा लंड चुत में घुस गया. प्रीति के शरीर में दर्द की लहर करंट दौड़ने लगी. उसकी आंखों से आंसू आने लगे. पर उसके मुँह में चड्डी घुसी थी और उसके हाथों को मैंने पकड़ रखा था तो वो कुछ कर ही नहीं रही पा रही थी.

 

मैंने फिर से एक जोर का झटका मारा तो इसके साथ ही पूरा लंड अन्दर चला गया.

प्रीति बस उम्म्म महह मां आमर गई मैं …’ इतना ही कह पायी.

 

उसको कितना दर्द हो रहा था, ये उसके आंसू से ही पता चल रहा था. मैंने अपनी ममेरी बहन की कसी चूत को चोदना चालू रखा. फिर धीरे धीरे वो नार्मल हो गयी तो उसे भी चुदाई का मजा आने लगा.

 

मैं लंड को पूरा बाहर निकालता और तेज झटके के साथ पूरा का पूरा लंड अन्दर डाल देता. अब मैंने प्रीति के मुँह में फंसी चड्डी भी निकाल दी थी. हम दोनों की जोरदार चुदाई चल रही थी.

 

प्रीति- राहुल, इतने तेज झटके मत मारो प्लीज, दर्द होता है, बस अन्दर बाहर करते रहो.

राहुल- हां बेबी, अब तुझे दर्द नहीं होगा.

 

मैं जोर जोर से उसे चोदने लगा.

 

प्रीति- आह आहहह ओह राहुल बहुत दिनों के बाद ये सुख मिला है, आह जोर से करो रुको मत उम्म मम्म ओह आहहह अह साले कितना अन्दर तक पेल रहा है. बहुत मजा दे रहा है भी टू अपनी बहन को चोद कर!

राहुल- हां मेरी जान आज तुझे चोद चोद कर पूरा खुश कर दूंगा.

 

मेरा पूरा लंड प्रीति की गर्म और गीली चूत में जा रहा था. उसकी चूत की धज्जियां उड़ रही थीं. मैं उसे जोर जोर से चोदे जा रहा था.

 

प्रीति- राहुल आह आं हाँ और जोर जोर से करो अह मेरा निकलने वाला है.

मैं- यस बेबी, मैं भी बस आने वाला हूँ जल्दी बोलो रस कहां डाल दूँ?

 

प्रीति- मेरी चूत में ही डालो जान, बहुत दिनों से मिला नहीं है ये. मेरी चुत को भी तुम्हारे रस के प्रतीक्षा है अन्दर ही सिंचाई कर दो.

 

मैं फुल स्पीड से उसे चोदने लगा था. अचानक से मेरे लंड से गर्म पानी का फव्वारा छूट गया. मेरे पानी का गर्म अहसास अपनी चुत में पाते ही प्रीति की चूत ने भी पानी छोड़ दिया. हमारा पानी एक होकर प्रीति के जांघों से बहने लगा. जब मेरा लंड छोटा होकर बाहर आ गया, तब मैं उसके ऊपर से साइड में हो गया. प्रीति भी उठने लगी.

 

मैं- कहां जा रही हो जान?

प्रीति- चूत साफ़ करके आती हूँ.

मैं- रहने दो न अन्दर ही कल टेबलेट लाकर दे दूंगा.

 

प्रीति ने फिर वैसे ही अपनी पैंटी पहन ली. लोअर ठीक से पहना और हम दोनों वापस हॉल में आकर सो गए.

 

 

 

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