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साली को पीछे से चोदा शॉवर के निचे से saali ko pichhe se choda

साली को पीछे से चोदा शॉवर के निचे से saali ko pichhe se choda

सीमा ने पिछले साल से ही ब्रा पहनना चालू किया था. उसके बूब्स 28 इंच से भी छोटे थे. लेकिन गांड का उभार बढ़ आया था. मेरी वाइफ सुलोचना की छोटी बहन हे सीमा. उसकी एज इतनी हे की मासिक स्टार्ट हो गई हे और उसे सेक्स में अच्छा बुरा पता लग गया हे. वैसे मैं उसके प्रति आकर्षित नहीं होता. पर एक दिन दोपहर में मैं जब अपनी बीवी के साथ संभोग कर रहा था. तब मैं उसकी दो नीली आँखों को खिड़की के एक छेद से बारी बारी अन्दर झांकते हुए देखी.

मेरी ये कच्ची उम्र की साली अपनी बहन और जीजा यानी की मुझे चोदते हुए देख रही थी. मैंने देख के भी अनदेखा किया. ऊपर से उस दिन मैंने उसकी बहन को ऐसे चोदा की उसकी सिसकियाँ निकलती रहे. और उसे सेक्स का फुल मजा आये. सीमा ने एंड तक हम दोनों की चुदाई को देखी और फिर मेरा छुट गया तो वो वहाँ से खिसक ली.

पहले वो मेरे से बहुत मजाक मस्ती करती थी. लेकिन पिछले कुछ वक्त से वो उखड़ी सी रहती थी. मुझे देख के या तो डरती थी या शर्मा जाती थी. मैं भी समझता था की इस उम्र में शरीर में बहुत बदलाव होते हे. मैंने सीमा को गिफ्ट देना और उसकी दीदी घर पर ना हो तो सेड्युस करना चालू कर दिया था. वो हालांकि ज्यादा टाइम वो ऐसा नहीं होने देती थी की हम दोनों घर में अकेले हो.

अरे हां मैं बोलना भूल गया की वो अपनी पढ़ाई की वजह से हमारे साथ में रहती हे. उसके माँ बाप यानी की मेरे सास ससुर गाँव में हे. बहन जीजा इसी शहर में हे तो तू उन्के घर ही रह ले ऐसा उसे कहा गया था. और  मेरे ससुर जी मुझे हर महीने उसकी खर्ची देते थे.

फिर एक दिन मैं और सीमा घर पर अकेले थे. मेरी वाइफ अपने लिए शोपिंग करने के लिए गई थी. सीमा सोफे के ऊपर बैठी हुई थी टीवी देखने के लिए. मैं उसके पास में ही बैठ गया. उसने मुझे देखा और वो जाने लगी. लेकिन उसका हाथ पकड़ के मैंने उसे बिठा दिया वापस और कहा, कहाँ भागती हो?

वो बोली, जीजू कुछ काम याद आ गया.

मैंने कहा, फिर कर लेना.

वो बैठी. मैंने अपनी जांघो को उसकी जांघो से लगा दिया था. वो काँप सी रही थी. उसका ध्यान टीवी में नहीं था. ना ही मेरा! मेरा लंड पेंट में मोंस्टर बन रहा था. वो जोर जोर से साँसे ले रही थी. और फिर वो भाग खड़ी हुई वहाँ से. मेरा लंड धरा का धरा रह गया. मैंने सोचा की साली के अन्दर वासना की आग को पूरी तरह से भडकाना पड़ेगा. उसी शाम को मैं रेलवे स्टेशन पर गया. वहां पर बुक वाले से गरमा गरम कहानियो की बुक माँगा  उसने मुझे पोर्न फोटोस की और चुदाई की कहानियाओं की एक किताब मस्ताराम की दिखाई. शर्मीली भाभी नाम की किरदार कैसे अलग अलग लोगों के लंड लेती हे उसकी कहानियाँ थी उसके अन्दर. मैंने फट फट पेज बदले तो उसका और उसके जीजा का भी एक चेप्टर था. मैंने किताब खरीदी और फिर घर आ गया.

फीर मैंने जीजा साली के काण्ड के चेप्टर में सीमा, आई लव यु और सीमा इस वेरी सेक्सी वगेरह अपने पेन से लिखा. कहानियाँ पढ़ी तो वो सब की सब मसालेवाली थी और लंड खड़ा हो गया मेरा. मैं जानता था की सीमा इसे पढेगी तो उसकी चूत में भी आग लगेगी.

अब मुझे इन्तजार था बीवी के कही जाने का. और वो दिन पुरे महीने के बाद आया. बीवी को ऑफिस में से दो दिन के लिए जाना था. मैंने अपनी ऑफिस की मीटिंग का बहाना बताया और नहीं गया. बीवी के जाने के बाद मैंने शर्मीली भाभी की किताब निकाली और उसे सीमा के रूम में चुपके से रख आया. मोएँ ऑफिस से जल्दी आ गया वापस सीमा के कोलेज के आने से पहले ही. फिर मैं एक बरमूडा पहन के बैठा और अन्दर मैंने कुछ नहीं पहना था. सीमा आई और वो कमरे में गई. मैंने किताब ऐसी रखी थी की उसकी नजर फट से पड़े उसके ऊपर.

सीमा के कमरे की विंडो ससे छिप के देखा तो वो किताब के पन्ने फेरने लगी. शायद उसने थोडा बहुत पढ़ा भी. फिर शायद उसकी नजर सीमा आई लव यु वगेरह के ऊपर पड़ी. वो मन ही मन हंस रही थी. और उसने वो कहानी पूरी पढ़ी. शर्मीली भाभी का किरदार सविता भाभी से भी रोचक था इसलिए उसकी चूत गर्म हो गई. उसने एक बार अपनी चूत को सहलाया और फिर वो किताब को रख के नहाने के लिए चली गई.

वो नहा के आई तो मैं उसके पीछे बाथरूम में घुसा. जानबूझ के मैं तोवेल नहीं ले गया अपने साथ. मैंने सीमा की पेंटी देखी और उसे सूंघी. नाजुक चूत की खुसबू सूंघी और मेरे लंड में तूफ़ान आ गया. मैंने शावर ओन किया और नहाने लगा. फिर पांच मिनिट के बाद्द मैंने अपने लंड के ऊपर साबुन लगा के हलकी सी मुठ मार के लंड को एकदम कडक कर लिया.

फिर मैंने आवाज लगाईं, सीमा प्लीज़ तोवेल देना मुझे.

वो शायद बाल ही सुखा रही थी अपने. मेरी आवाज सुन के वो तोवेल ले के आई. उसने हलके से नोक किया दरवाजे को और बोली, जीजू.

मैंने दरवाजे को ऐसे खोला की वो मेरे नंगे बदन और लंड दोनों को देख सके. उसकी नजर मेरे लंड पर पड़ी और उसने मुहं फेर लिया और अपने हाथ को अन्दर कर के तोवेल देने लगी. मैंने हिम्मत कर के उसके हाथ को पकड़ा और वो मुझे देखने लगी. उसकी आँखों में बहुत कुछ था, शायद वासना भी!

मैंने और हिम्मत कर के उसे बाथरूम में खिंच लिया. वो बोली, जीजू मैं भीग जाउंगी. दोस्तों आप ये कहानी मस्ताराम डॉट नेट पे पढ़ रहे है।

मैंने कुछ नहीं बोला और उसे अपने बदन से लगा के उसके होंठो को चूसने लगा. वो छटपटाइ लेकिन मेरी गिरफ्त से निकलने नहीं दिया मैंने उसे. वो अपने बूब्स के भीगने को देख रही थी और मैं उसके होंठो को जोर जोर से चूसने लगा. एक मिनिट तक उसका आखरी संघर्ष चला. और फिर उसके हाथ मेरी कमर के ऊपर आ गए. वो मुझे अपनी तरफ खिंच रही थी.

मैंने उसे दिवार से लगा दिया और उसके होंठो को चूसते हुए उसके पतले गाउन के ऊपर से उसकी जवान चूचियां मसलने लगा. मेरा लंड एकदम खड़ा था और उसकी चूत के बहुत ऊपर था. मैं हाईट में उस से काफी लम्बा था इसलिए मेरा लंड उसकी छाती के निचे टच हो रहा था. सीमा की गांड पर हाथ दबा के मैंने उसके एस चिक्स को खोला और दोनों बम्स को प्यार से मसल दिए.

मेरे होंठो के ऊपर मेरी इस जवान साली की सिसकियों का अहसास हुआ. मैंने अपने होंठो को अब उसके लिप्स से हटा के उसकी छाती के ऊपर रखा. बूब्स के ऊपर के हिस्से को चूसते हुए मैंने उसकी कमर में हाथ को लगा दिए और वो भी अह्ह्ह्ह अह्ह्ह कर के चुदास का अहसास करवा रही थी. मैंने उसके हाथ में अपना लंड पकड़ा दिया. वो लंड को मुठ्ठी में ऐसे दबा रही थी जैसे किसी ने बड़े काम की चीज दे दी थी उसे.

फिर मैंने उसके गाउन को फाड़ ही दिया. उसने ब्रा नहीं पहनी थी. फिर मैंने उसके स्कर्ट को भी फाड़ा और अंदर की पेंटी को भी. फिर उसे दिवार पकड़ा के खड़ा कर दिया. हमारे ठीक ऊपर शावर था और उसके पानी के फ़ोर्स से मेरी आँखे बंद हो रही थी इसलिए मैंने उसे एकदम स्लो कर दिया. सीमा का मुहं दिवार की साइड कर के मैं निचे बैठा और उसकी जांघो के पिछले हिस्से के ऊपर अपने गर्म होंठो का अहसास दिया उसे. वो सिहर उठी और मैंने उसकी दोनों जांघो को हाथ में पकड़ के हिलाई. वो चुदास के मारे अह्ह्ह अह्ह्ह्ह करती रही.

मैंने अपने हाथो को और ऊपर किया और गांड के निचे के हिस्से को दबाया. वो मस्तिया गई. मैंने उसके एस चिक्स को खोला. उसकी गांड चिकनी थी और स्लाईट ब्राउन रंग का होल था उसका. मैंने साबुन हाथ में ले के उसकी गांड पर लगाया. शोवर का पानी उसे अपनेआप धोने लगा. सीमा थिरक उठी. उसकी ये पहली चुदाई थी शायद. 

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कुत्ते को मिला मेरी सील तोड़ने का मौका - kutte ko mila meri seal todne ka mauka

मेरे परिवार मे सिर्फ़ मम्मी, पापा, मेरे बड़े भैया और मैं हैं. हां, और हमारा अल्सेशन कुत्ता जोहनी. जब मैं 11 साल की थी हम एक छ्होटे से घर में रहते थे. एक किचन, बाथरूम और दो कमरे. भैया एक कमरे में सोते थे और मैं मम्मी पापा के साथ एक कमरे में.

कुत्ते को मिला मेरी सील तोड़ने का मौका - kutte ko mila meri seal todne ka mauka

घर छ्होटा होने के कारण मैने कई बार पापा और मम्मी को प्यार करते देखा था. पापा मेरी मम्मी के उपर चढ़ जाते थे और मम्मी अपनी लातें फैला देती थीं और फिर पापा अपना लंड उनके अंदर डाल देते थे. फिर पापा उपना लंड मम्मी की चूत में अंडर बाहर करते थे और कुछ देर बाद मम्मी सिसकारियाँ लेने लगती थी. मुझे लगता था के उन दोनो को खूब मज़ा आ रहा है.

 

उन दिनो में मुझे यह बातें अजीब नहीं लगी. मैं नादान थी और मुझ पे अभी जवानी का जोश नही पड़ा था. जब मैं 13 साल की हुई तो मेरा बदन बदलने लगा. मेरी छाती पे मेरे बूब्स आने लगे, मेरी चूत पर हल्के हल्के बॉल उगने लगे.

मैं जवान होने लगी. मैने आजमाया कि अपने बूब्स को सहलाने से मुझे अजीब सा मज़ा आता है. जब मैं अपनी चूत पर हाथ फेरती तो बहुत ही अछा लगता.

जब मैं मम्मी पापा को चुदाई करते देखती तो जी करता के मैं भी उनके साथ यह प्यार का खेल खेलूँ: पापा मेरे भी बूब्स को दबाएँ और अपना लंड मेरे अंडर डालें और में उनका लंड मुँह में लूँ और चूसू, जैसे मम्मी करती थी. फिर स्कूल में मेरी सहेलियों ने मुझे बताया के यह चुदाई का क्या मतलब है. मेरी सहेली कीर्ति ने तो अपने पड़ोसी लड़के के साथ ट्राइ भी किया था.

उसने बताया के लड़के के लंड को हाथ मे लेके सहलाने से वो बढ़ हो जाता है और वो लोहे जैसे सख़्त अकड़ जाता है और उसको फिर मुँह में लेके चूसने में बहुत मज़ा आता है. उसने अपने फ्रेंड का लंड अपनी चूत पे भी उपर नीचे रगड़ता था.

उसको बहुत अछा लगा था. उसने बताया के लंड चूसने के बाद वो झार जाता है और उसमे से खूब सारा मलाई जैसा पानी निकलता है जिसको पीने में बहुत मज़ा है.

उसने बताया के वो अब अपने फ्रेंड का लंड अंदर भी लेना चाहती है. सिर्फ़ मौका मिलने की बात है. यह बातें सुनते मेरे अंदर अक्सर एक अजीब सी गरमाइश उठती थी और मेरा दिल करता था के मैं भी यह बातें आज़माऊ. तब तक मैं 13 साल की हो गयी थी.

एक दिन मैं स्कूल से आकर होमवर्क करने को बैठी. मम्मी, पापा दोनो ऑफीस गये हुए थे और मैं घर में अकेली थी. गर्मी थी इस लिए मैने सिर्फ़ टी-शर्ट और शॉर्ट्स पहने थे.

हमारा कुत्ता जोहनी कमरे में आकर मेरे पास बैठा था. मेरा मन होमवर्क पर नहीं था. मेरे सर में तो सेक्स के ख्याल आ रहे थे जैसे कीर्ति ने सुनाए थे. मैं बेड पे पीछे लेट गयी और अपने बूब्स को, जो अब साइज़ 34 के हो गये थे, अपने हाथों के साथ मसल्ने लगी.

फिर मैने अपनी टी-शर्ट उतार दी ताके मेरे हाथ अच्छी तरह सब जगह पहुँच सकें. फिर मैने एक हाथ शॉर्ट्स के अंदर डाला और में अपनी चूत को सहलाने लगी. मेरी चूत हल्की सी गीली होने लगी और मेरी उंगलियाँ आसानी से मेरी चूत पे घूमने लगी. दोस्तों आप ये कहानी मस्तराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है l

मेरा एक हाथ मेरे बूब्स पे और दूसरा हाथ चूत पे घूम रहा था. फिर अचानक मुझे महसूस हुआ के जोहनी की गरम गरम गीली ज़बान मेरी जाँघो को चाट रही है. मैने जोहनी को पीछे धकेला और गुस्से से बोली नो जोहनी, बॅड बॉय”. मगर सच बताउ तो वो जोहनी का चाटना मुझे बहुत अछा लगा था. कुछ देर बाद जोहनी फिर आकर मेरी जाँघो को चाटने लगा.

मैं कुछ नहीं बोली और उसको चाटने दिया. आहिस्ता आहिस्ता वो उपर की तरफ, मेरी चूत के पास चाटने लगा.

उसकी ज़बान बहुत गरम थी और उसका मुलायम फर मेरी चॅम्डी पर रगड़ रहा था. मुझे बहुत अछा लग रहा था. मेरी चूत भी खूब गीली हो चुकी थी और मेरे अंदर खूब गरमाइश चढ़ चुकी थी. मैने अपनी शॉर्ट्स नीचे खिस्काई और उतार दी. अब मैं बेड पर नंगी पड़ी थी.

मैने जोहनी का सर अपने हाथ में लिया और उसको उपर अपनी चूत की तरफ खींचा. वो चाटने लगा. में तो बहाल होने लगी.  मैने अपनी टाँगें फैलाईं और जोहनी को अपनी चूत का पूरा प्रवेश दिया. अब उसकी ज़बान मेरे दाने पर भी घिस रही थी और कभी कभी मेरी कुँवारी चूत में भी प्रवेश करती थी.

मैं बेड के किनारे तक खिसक गयी ताके जोहनी की ज़बान सब जगह तक पहुँच सके. उसकी लंबी, गरम और खर खरी ज़बान मेरी गांद से उपर मेरे दाने तक चाट रही थी. मेरी टांगे काँपने लगी. मैं अपने चूतर उपेर करके जोहनी से और जोश से चटवाने लगी. 

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मेरे सगे भैया ने मुझे भाभी समझ चौदा - sage bhai ne mujhe bhabhi samajh kar chouda

हेल्लो दोस्तों, मैं पूजा, आज मैं आपको अपनी स्टोरी सूना रही हूँ। मैं उम्मीद करती हूँ कि यह कहानी सभी लोगों को जरुर पसंद आएगी।

मेरे सगे भैया ने मुझे भाभी समझ चौदा - sage bhai ne mujhe bhabhi samaj kar chouda

मेरे अमर भैया की नई नई शादी हुई थी। दोस्तों मेरी भाभी बहुत खूबसूरत औरत थी। जिस दिन भैया की सुहागरात होनी थी उस दिन वो भाभी के हुस्न पर पूरी तरह से पागल थे। उन्होंने सारी रात भाभी की चूत मारी थी। धीरे धीरे मेरे भैया भाभी के पीछे पूरी तरह से पागल हो गये है और सारा दिन कमरे में ही घुसे रहते है और भाभी की मस्त मस्त चूत चोदा करते थे।

जैसे ही रात हो जाती थी मैं चुपके से बड़े भैया के दरवाजे पर चली जाती थी और लॉक वाले छेद से मैं सारी चुदाई देख लिया करती थी। धीरे धीरे मुझे भैया भाभी की चुदाई देखने का नशा सा हो गया। रोज रात में मैं भैया के कमरे के दरवाजे पर खड़ी हो जाती और अंदर का सारा चुदाई वाला सीन देख लिया करती थी।

दोस्तों धीरे धीरे मेरा भी चुदने का और मोटा लंड खाने का दिल करने लगा। पर मेरे पास कोई बॉयफ्रेंड नही था। इसलिए मैं अपनी वासना और काम की हवस को शांत करने के लिए खुद ही अपनी चूत में अपनी ऊँगली, मूली और बैगन डाल लिया करती थी और चूत को फेट लिया करती थी। पर मुझे वो असली वाला मजा नही मिल रहा था। मुझे असली लंड खाने का बड़ा दिल कर रहा था। मैं भाभी की तरह चुदना चाहती थी। और भरपूर मजा लेना चाहती थी।

एक शाम भाभी मार्केट गयी हुई थी। मैं उनके कमरे में थी और अपनी एक साड़ी ढूढ़ रही थी। मेरी भाभी मेरी साड़ी में फाल लगा रही थी इसलिए मैं वही साड़ी लेने आई थी। इत्तेफाक से मैंने भी उस दिन शौक शौंक में साड़ी पहन रखी थी। तभी लाईट चली गयी। उसी समय भैया आ गये और मुझे कमर से पकड़ लिया और प्यार करने लगे। मेरे भैया सोच रहे थे की मैं उनकी बीबी हूँ। वो मुझे किस करने लगे।

जानआओ जल्दी से चूत दे दो। आज बजार में एक बड़ी सुंदर लड़की को देख लिया। बस उसे देखते ही मेरा मूड खराब हो गया। मेरा लौड़ा खडा हो गया है अब मुझे बस तुम्हारी रसीली चूत मारनी है!!मेरे भैया बोले। उधर मेरा भी लंड खाने का मन कर रहा था इसलिए मैंने कोई आवाज नही निकाली। वरना अमर भैया मुझे पहचान जाते और मुझे नही चोदते। उन्होंने मुझे पकड़ लिया और धीरे धीरे मेरी साड़ी निकालने लगे। लाईट चली गयी थी इसलिए कमरे में अँधेरा था। भैया मुझे भाभी समझ रहे थे। कुछ देर में उन्होंने मेरी साड़ी निकाल दी और फिर मेरी ब्रा और पेंटी भी निकाल दी। मैं बिलकुल चुप थी और कोई आवाज नही कर रही थी। फिर मेरे भैया ने मुझे बिस्तर पर सीधा लिटा दिया और मेरे रसीले होठ चूसने लगे। मैं पिछले कई महीने से भैया को भाभी का गेम बजाते हुए देख रही थी इसलिए मैं भी उनका मोटा लंड खाने के लिए तडप रही थी।

दोस्तों मेरे अमर भैया बहुत ही स्मार्ट और खूबसूरत थे। वो मर्दाना जिस्म के मालिक थे और उसकी मस्त बॉडी बनी हुई थी। उनका लंड तो ९लम्बा था और बहुत मोटा और रसीला लौड़ा था मेरे भाई का। कमरे में अँधेरा था और वो मुझे भाभी समझ कर मेरे सेक्सी होठ पी रहे थे। मैं भी उनका पूरा साथ दे रही थी। फिर अमर भैया मेरे उपर आ गये और मेरे दूध को अपने हाथ से दबाने लगे। मैं “……मम्मीमम्मी…..सी सी सी सी.. हा हा हा …..ऊऊऊ ….ऊँ. .ऊँऊँउनहूँ उनहूँ..की आवाज निकाल रही थी। अमर भैया मेरे खूबसूरत मम्मो को जोर जोर से अपने हाथो से दबा रहे थे और फुल मजा ले रहे थे। मेरे मम्मे बहुत ही खूबसूरत थे। बिलकुल सफ़ेद सफ़ेद और गोरे रंग के थे। अमर भैया जान ही नही पाए की वो अपनी बीबी को नहीं बल्कि अपनी बहन के दूध को दबा रहे है। मुझे भी खूब मजा मिल रहा था। फिर अमर भैया मुंह लगाकर मेरे नशीले दूध को पीने लगे और मजा मारने लगे। मैं आप लोगो को बता नही सकती हूँ की मुझे कितना मजा मिल रहा था। आज पहली बार मैं किसी मर्द को अपने मस्त मस्त दूध पिला रही थी। मैं भी जवानी के मजे लूट रही थी। अमर भैया मुझे भाभी समझ के मेरी नर्म नर्म कोमल छातियों को चूस रहे थे। उनको बहुत अच्छा लग रहा था।

वो मेरी एक छाती को १० मिनट तक चूसते फिर दूसरी छाती को मुंह में भर लेते है पीने लग जाते। आधे घंटे तक यही खेल चलता रहा। अधेरे में मेरा हाथ उनके लंड से टकरा गया तो मैं जान गयी की उनका लंड पूरी तरह से खड़ा हो चुका है और मुझे चोदने के लिए बिलकुल तैयार हो गया है। मेरे सगे भैया ने मेरी दोनों नर्म मुलायम छातियों को बहुत देर तक चूसा।

जान….मेरे लौड़े को अपने हाथ से फेटो!!अमर भैया बोले और मेरे हाथ में उन्होंने अपना ९का मोटा और रसीला लंड पकड़ा दिया। आज पहली बार मैंने किसी असली लौड़े को हाथ में लिया था। इससे पहले तो मैं बस मूली, गाजर, बैगन को ही हाथ में लेती थी पर आज मुझे अमर भैया का असली लंड हाथ में लेने का मौक़ा मिला था। मैं जल्दी जल्दी उसके लौड़े को फेटने लगी। अमर भैया …..आआआआअह्हह्हह…. करने लगे। फिर मैं जल्दी जल्दी अमर भैया का लंड फेट रही थी। मेरा उनका लंड चूसने का बड़ा मन कर रहा था क्यूंकि मेरी भाभी रोज रात में मेरे भैया का लंड चूसती थी। इसलिए आज मेरा भी भैया का लंड चूसने का बड़ा मन कर रहा था। मैंने भैया को बिस्तर पर लिटा दिया और उनके उपर लेट गयी और उनका लंड चूसने लगी।

उनको बहुत अच्छा लग रहा था। मेरे ताजे गुलाबी होठ उनके लंड पर जल्दी जल्दी उपर नीचे हो रहे थे। अमर भैया के हाथ मेरी बड़ी बड़ी ३६की छातियों पर चले आये थे और वो मेरे बूब्स को हल्का हल्का दबा रहे थे। मैं उनके लौड़े को मुंह में लेकर चूस रही थी। और हाथ से जल्दी जल्दी फेट भी रही थी। कुछ देर बाद तो मुझे बहुत जादा मजा मिलने लगा और मैं जल्दी जल्दी अमर भैया का लंड चूसने लगी और हाथ से फेटने लगी। उनको सेक्स और चुदाई का भरपूर नशा चढ़ गया था। वो हाथ ने मेरी निपल्स को घुमा रहे थे और ऊँगली से ऐठ रहे थे। ऐसा करने से मुझे सेक्स का नशा चढ़ रहा था। फिर मैं बिलकुल से पागल हो गयी और अमर भैया के लौड़े को मैं लील जाना चाहती थी।

इसलिए मैं जल्दी जल्दी उनके लंड को चूस रही थी। भैया का सुपाड़ा तो बहुत खूबसूरत था और काफी नुकीला था। दोस्तों मैंने आधे घंटे तक अमर भैया का लंड चूसा। आज मैं किसी देसी रंडी की तरह पेश आ रही थी। फिर अमर भैया ने मुझे बिस्तर पर लिटा दिया और मेरे दोनों पैरों को उसने अपने कंधे पर रख दिया। फिर उन्होंने मेरी चूत के दरवाजे पर अपना लंड रखा और जोर से धक्का मारा। उनका ९का रसीला लौड़ा मेरी चूत में उतर गया और अमर भैया दनादन मुझे चोदने लगे। इससे पहले मैं अपनी बुर को बैगन और गाजर से चोद लिया करती थी। पर उसमे वो मजा नही आता था जो आज मैं उठा रही थी। मेरे सगे अमर भैया मुझे गच्चक गचाक चोद रहे थे। मैं आआआअह्हह्हह……ईईईईईईई….ओह्ह्ह्हह्ह….अई..अई..अई…..अई..मम्मी….” बोल बोलकर चिल्ला रही थी। भैया मुझे भाभी समझ के पेल रहे है। मुझे बहुत जादा यौन उतेज्जना महसूस हो रही थी। मैं अपने अमर भैया को सीने से चिपका लिया था और मजे से चुदवा रही थी।

मैं किसी तरह का नाम नही ले रही थी वरना अमर भैया जान जाते की मैं उनकी बीबी नही बल्कि सगी बहन हूँ। वो चुदाई के नशे में बार बार मेरे गोरे चिकने गालों पर काट लेते थे और मुझे दनादन चोद रहे थे। मैं पूरी तरह से उनके कब्जे में थी और उन्होंने मुझे दोनों हाथों से कसकर पकड़ रखा था। अमर भैया का लंड इतना मोटा था की जब वो अंदर मेरी चूत में जाता था जो मैं आगे की तरफ खिसक जाती थी। वो जल्दी जल्दी मुझे चोदकर मेरी बुर फाड़ रहे थे। मैं अँधेरे में मजे से अपने सगे भैया से चुदवा रही थी और जन्नत का मजा ले रही थी। आज मेरी चूत चुद गयी थी और आज पहली बार मैंने असली लंड खा लिया था। कुछ देर बाद बड़े भैया को और जादा जोश चढ़ गया और वो मेरे दूध पीते पीते मुझे बजाने लगे। मुझे बहुत मजा मिल रहा था।

एक तो वो मेरे नर्म स्तनों को पी और चूस रहे थे और उधर मेरी चूत में जल्दी जल्दी लंड सरका रहे थे। मैं उ उ उ उ उ।।।।।।अअअअअ आआआआ।।। सी सी सी सी।।।। ऊँ।।ऊँ।।।ऊँ।।। बोल बोलकर चुदवा रही थी। कुछ देर बाद अमर भैया का माल छूट गया और उन्होंने मेरे भोसड़े में ही अपना माल गिरा दिया। मैंने उनको सीने से लगा लिया और उनके होठ चूसने लगी। दोस्तों १० मिनट बाद अमर भैया का लंड फिर से खड़ा हो गया था। वो मेरी चूत पर आ गये और मेरी चूत पीने लगा। वो मुंह लगाकर मेरी हसीन बुर को चाट और चूस रहे थे। मेरे चूत के दाने को वो बार बार अपनी जीभ से चाटते थे और छेड़ते थे। मुझे चूत में सनसनी लग रही थी। फिर अमर भैया मेरी चूत के होठो को जीभ से चाटने लगे। मैं पागल हो रही थी।

मैं चुदाई के नशे में उनके सिर को बालों को अपने हाथ से नोच लिया। अमर भैया बहुत ही एक्सपर्ट आदमी थे। उनको मालुम था की एक खूबसूरत लड़की की खूबसूरत चूत को किस तरह से अच्छे से चाटा जाता है। वो जल्दी जल्दी मेरी चूत पर अपनी जीभ हिलाने लगे। मैं बेकाबू हुई जा रही थी। मेरी चूत में आग लग गयी थी। जैसे मेरी चूत जल रही हो। फिर अमर भैया ने अपनी ३ उँगलियाँ मेरी चूत में डाल दी। मैंने अपनी गांड हवा में उपर उठा दी। क्यूंकि मुझे बड़ा अजीब लग रहा था। अमर भैया आज बड़े कायदे से मेरी चूत का शिकार कर रहे थे।

वो मेरी चूत को अपनी ३ उँगलियों से चोद रहे थे। मैं “……मम्मीमम्मी…..सी सी सी सी.. हा हा हा …..ऊऊऊ ….ऊँ. .ऊँऊँउनहूँ उनहूँ..बोल बोलकर चिल्ला रही थी। मुझे लग रहा था की मैं मरजाउंगी। अमर भैया की ३ लम्बी उँगलियाँ जल्दी जल्दी मेरी बुर को चोद रही थी। फच्च फच्च की पनीली आवाज मेरे गुलाबी भोसड़े से आ रही थी। मेरी तो दोस्तों जान ही निकल रही थी। मैं बार बार अपने पेट और कमर को उपर उठा देती थी। क्यूंकि मुझे बहुत तेज यौन उतेज्जना महसूस हो रही थी।

अमर भैया ने ४० मिनट मेरी चूत को अपनी ऊँगली से चोदा और भरपूर मजा लिया। इसी बीच मेरे सब्र का बाँध आखिर टूट गया और मेरी चूत का पानी झर्र झर्र निकलने लगा। शायद अमर भैया मेरी चूत का पानी पीना चाहते होंगे। वो अभी भी नही रुक रहे थे और मेरी चूत में से पानी निकाल रहे थे और मुंह में लेकर पी रहे थे। मेरी चूत में खलबली मच गयी थी। मेरा तो बुरा हाल था। फिर अमर भैया ने मेरी दोनों टांगो को खोल दिया और अपना लंड मेरी चूत में डाल दिया और मुझे ह्पाहप चोदने लगे। ये मेरा दूसरा राउंड था। अमर भैया इस बार मेरे सेक्सी पतले पेट को सहला रहे थे और मेरी चूत को बजा रहे थे। वो मेरे उपर लेते हुए थे और मेरी चूत बजा रहे थे। मैं उनकी गिरफ्त में थी।

उनका पेट मेरे छरहरे पेट से लड़ रहा था जिससे चटर चटर की आवाज हो रही थी। एक बार फिर से अमर भैया विराट कोहली की तरह मेरी चूत की पिच पर अपने लौड़े से बैटिंग कर रहे थे। मैं एक बार फिर से चुद रही थी। और अपने सगे भाई का लंड खा रही थी। आज तो अमर भैया ने मेरी रसीली और चिकनी बुर फाड़कर रख दी थी। मैं “…….उई. .उई..उई…….माँ….ओह्ह्ह्ह माँ……अहह्ह्ह्हह…” की आवाज निकाल रही थी।

 

अमर भैया का लंड बड़ी आराम से सट सट मेरी गुलाबी चूत में सरक रहा था। मैं मजे से चुद रही थी। मैंने जोश में आकर अपने नाख़ून अमर भैया की पीठ में गड़ा दिया था। हम दोनों भाई बहन गरमा चुदाई का मजा ले रहे थे। अमर भैया बार बार मेरी चिकनी जांघो को सहला रहे थे। मैं उनके सामने पूरी तरह से नंगी लेटी हुई थी। वो मेरे पुरे जिस्म को अपने हाथ से सहला रहे थे। मैं बहुत गजब का चिकना माल थी। आज मेरे सगे भाई ही मेरे साथ सम्भोग कर रहे थे। मेरी चिकनी और सेक्सी योनी में उनका लंड घुसा हुआ था और मुझे जल्दी जल्दी चोद रहा था। 


मैं तो जैसे सातवे आसमान की सैर कर रही थी। अमर भैया तो एक भी सेकेंड के लिए रुकने का नाम नहीं ले रहे थे। मुझे जल्दी जल्दी वो चोद रहे थे। ऐसा लग रहा था की वो कोई कद्दू काट रहे है। कुछ देर बाद उनका बदन अकड़ने लगा और उन्होंने अपना पानी मेरी चूत में ही छोड़ दिया। उसके बाद मैं बड़ी देर तक उनका लंड चूसती रही। जब मैं चुदवाकर चली आई तो लाईट आ गयी। कुछ देर में मेरी भाभी बाजार से आ गयी। मेरे भैया अपने कमरे में पूरी तरह से नंगे होकर लेटे थे। जब अमर भैया ने भाभी को देखा तो बिलकुल चौंक गये।

तुम कहाँ गयी थी????” अमर भैया से हैरान होकर पूछा

मैंने तो ३ घंटे से बजार गयी थी कुछ समान खरीदना था!!भाभी बोली

 उसके बाद भैया जान गये की उन्होंने गलती से मुझे अपनी बीवी समझ कर चोद लिया है। पर ये बात उन्होंने भाभी को नही बतायी। आज भी मुझे अपने अमर भैया की ठुकाई बार बार याद आती है। 

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जेठ जी ने चोदा मेरी मज़बूरी का फ़ायदा उठाया - jeth ne meri majburi ka fayada

जेठ जी ने चोदा मेरी मज़बूरी का फ़ायदा - jeth ne meri majburi ka fayada

दोस्तों, मेरा नाम साक्षी है, मै अमृतसर की रहने वाली हूँ। मेरी कहानी बहुत दर्द भरी और मज़ेदार है। मै आज अपनी कहानी नॉन वेज स्टोरी डॉट कॉम पर आप के सामने प्रस्तुत करती हूँ। मेरी कहानी जानने से पहले मै थोडा अपने बारे में बता दूँ। मै अभी 26 साल की हूँ। 5 साल पहले मेरी शादी जालंधर में हो गई। मेरे पति का नाम अभिषेक है। वो अभी 25 साल के होंगे। उनके घर में मेरी सास, ससुर, एक ननद और मेरी जेठानी और उनके पति रहते थे।

शादी के पहले मै बहुत हॉट और सेक्सी थी। मेरे बड़े बड़े और काले काले बाल, गोरे गोरे और लाल गाल, बड़ी बड़ी आंखे और मेरे सुडोल और सख्त जिस्म तो बहुत हो मस्त थी। चुचियाँ तो कमाल के थे ऐसा लगता था देखने पर की जैसे कोई मैदे के आटे को सान कर उसपे काले और हलके भूरे रंग की जामुन रख दिया हो।

मेरी चूची बहुत ही गोरी और रुई की तरह मुलायम और साथ साथ सख्त और टाइट भी थी। मेरी चूत तो किसी जलते हुए कोयले से काम नही थी, मेरी कमसिन चूत बहुत रसीली बिल्कुल रसीले आम की तरह और बिल्कुल चिपकी हुई ऐसे लग रहा था की अभी इसका सील भी नही टूटा होगा, लेकिन मैंने बहुत बार अपनी चूत को अपने चाचा के लडको से मरवा चुकी थी।

मेरी शादी के बाद मेरे पति ने लगातार मेरी चुदाई करके मेरी चूत को फैला दिया और एक ही साल बाद मेरे एक लड़का भी हो गया। लड़का होने के बाद हमारा खर्चा बढनें लगा और मेरे पति कुछ काम नही करते थे, वो दिन भर घर पर रहते और जब भी मन करता मेरी चूत को बजाते।

मैंने एक दिन अपने पति से कहा – ”जानू तुम कुछ काम करो अब हमे पैसे की जरूरत है और कब तक हम किसी के सामने अपना हाथ फैलाएगें’’

मेरे पति ने मुझसे कहा – ‘’हाँ मै जल्दी ही कुछ काम ढूंड लूँगा’’। थोडा दिन बीता अभिषेक ने एक काम करना शुरू किया लेकिन पैसे बहुत कम मिलता था। कुछ दिन उन्होंने वहां वो काम किया।

धीरे धीरे मेरे बेटा भी बड़ा हो रहा था, उसके पढ़ी का भी खर्चा बढ़ने वाला था। अभी तक तो मेरे ससुर जी हमारा खर्चा देते है लेकिन कब तक वो हमारा खर्चा उठाएंगे।

मेरे जेठ जी की नजर बहुत बुरी थी, वो औरतो को केवल चुदाई का सामान समझते थे, उन्होंने अपनी जिंदगी में इतनी औरतो को चोदा था की क्या बताऊँ। मेरे जेठ की नजर मेरे ऊपर भी थी लेकिन अभिषेक हमेसा घर पर ही रहता था इसलिए उनको मौका नही मिल पता था मुझ पे डोरे डालने को। अगर बात करे जेठ जी की तो दिखने में स्मार्ट और साथ ही साथ उनके पास पैसे की भी कमी नही थी। उनका काम बहुत तेजी से चल रहा था और खूब पैसे भी आ रहें थे।

कुछ दिन बाद मेरे ससुर की मौत हो गई, ससुर के मौत के बाद हमारा खर्चा किसी तरह से पूरा होता था। अभिषेक बहुत मेहनत भी करता तब भी हमारा खर्चा किसी तरह से चलता। कुछ दिन बाद बाद मेरे जेठ ने बटवारा कर दिया।

अब तो हमारा और भी बुरा हाल हो गया। अभिषेक और ज्यादा पैसे कमाने ले लिये अपने एक दोस्त के साथ दिल्ली चले आये। अब मै और मेरा बेटा हम दोनों ही घर रहते थे, मेरे पति दिल्ली से पैसे भेजते थे, और खुद भी कभी चले आते थे।

जब वो आते थे तो हम दोनों मिलके खूब चुदाई करते जितने दिन रहते, हम एक एक दिन पांच छः बार काम कर लेते थे। लेकिन उनके जाने के बाद मेरी चूत में सुखा पड़ जाता था। कोई मुझे चोदने वाला नही रहता था। 

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विधवा कामवाली को लोड़ा दिखाकर चोदा- vidhva kamwali ki chudai

विधवा कामवाली को लोड़ा दिखाकर चोदा- vidhva kamwali ki chudai

मेरी उम्र अभी 18 साल हे लेकिन लंड कुछ ज्यादा ही खड़ा होता हे मेरा. रोज रात को पोर्न देख के लंड हिलाना मेरी आदत हे. कितनी बार भी पोर्न देख के अपने लंड को हिला लूँ लेकिन मेरी प्यास बूझती ही नहीं हे. इसलिए मैंने सोचा की पोर्न देखना और लंड हिलाना बंद कर देता हु. लेकिन ऐसा हुआ नहीं. पोर्न की अर्ज होती रही और मैं देख के लंड को हिलाता रहा. मेरी आँखों में हवस ही होती थी किसी भी औरत के लिए. मैं औरतो के पास होता तो होर्नी ही होता था.

मैं अपनी माँ को देख के भी लंड के अंदर अकड महसूस करता था. लेकिन मैं जानता था की वो कभी काम नहीं करेगा! लेकिन भगवान ने आखिर मेरी सुन ही ली. हुआ यु की हमारी कामवाली ने अपना काम छोड़ दिया. और मम्मी ने एक नयी कामवाली रख ली. वो गोरी थी. बॉडी भी सही थी. उम्र करीब 35 की होगी, नुकीले बूब्स, सेक्सी लिप्स थे उसके. और वो एक मस्त मिल्फ़ थी. वैसे कामवालियां काम में इतनी बीजी रहती हे की वो कभी मोटी होती ही नहीं हे.

अक्सर कामवालियां अपने बदन का ध्यान नहीं रखती हे और दिखने में गन्दी होती हे. लेकिन हमारी नयी कामवाली ऐसी नहीं थी. वो साफ़ सुथरी थी और कम ही बोलती थी. अगर मैं किसी को कहूँ की वो मेरी माँ की बहन हे तो भी अनजान आदमी मान ले वैसी थी वो.

वो मोर्निंग में आती थी. फिर दोपहर तक काम करती थी. वो हमारे घर में कपडे धोने का, बर्तन मांजने का और घर मर झाड़ू पोछा करने का काम देखती थी. मम्मी अगर उसे जरा भी एक्स्ट्रा काम करवाए तो उसके एक्स्ट्रा पैसे दे दिया करती थी. जब उसका पहला दिन था तभी से मेरी नजर उसके ऊपर थी.

उसका भरा गदराया हुआ बड़ा, उसके मोड़, उसके होंठो, उसकी मचलती और मटकती हुई गांड, उसका क्लीवेज सब कुछ मुझे चुदासी बना रही थी. और उन दिनों में मैं मुठ भी कम ही मारता था इसलिए एक्साइटमेंट कुछ ज्यादा ही रहता था. जब भी उसे देखता था तो मेरी चड्डी के अंदर प्रीकम की बूंद निकल जाती थी. मुझे उसकी गांड देखने में मजा आता था. अक्सर मैं अपने लंड को जानबूझ के उसकी गांड से लड़ा देता था. और तब चड्डी के फेब्रिक के घिसने से लंड का पानी छुट सा जाता था. ऐसे ही चलता रहा कुछ दिन और फिर उसे चोदने की लालसा सर पर चढ़ी थी.

मुझे अक्सर रातों में कामवाली की चुदाई के स्वप्नदोष होते थे. मैं सच में उसकी चूत का अहसास कर लेना चाहता था. उसके बुर के मसल अपने लंड के ऊपर प्रेशर बनाए ऐसी मेरी चाह थी. और एक औरत जब झडती हे तो मर्द को क्या फिलिंग होती हे वो मैं जानना चाहता था. मैं उसके बड़े देसी बूब्स को अपने चहरे के ऊपर घिसना चाहता था और उसके निपल्स से दूध पीना चाहता था. मुझे ऐसे भी होता था की मैं उसकी चूत को चाट के उसकी बुर के ज्यूस को चख लूँ. और ये सब सोच के मेरे लंड में जो हलचल होती थी उसे कंट्रोल करना बड़ा मुश्किल था!

और फिर करीब एक महीने के बाद में वो दिन आ गया! हमारे रिश्तेदार के वहां पर शादी थी. और मेरे पेरेंट्स शादी अटेंड करने के लिए वो दो दिन के लिए वहां चले गए. वो लोग मोर्निंग में जल्दी ही निकल गए. और मैं दरवाजे को लोक कर के वापस सो गया. करीब 2 घंटे के बाद मुझे दरवाजे के ऊपर नोक सुनाई दी. और मैं समझ गया की मेरी चूत आ गई!

मैंने जा के दरवाजा खोला, वो वही खड़ी हुई मेरे बरमुडे के अन्दर बने हुए त्रिकोण को देख रही थी. वैसे भी साला लंड सुबह सुबह खड़ा होता हे और आज तो चोदने का प्लान था अपना! मेरालोडा पुरे 7 इंच का हे और वो किसी भी औरत को खुश करने के लिए काफी हे. मेरी कामवाली वैसे विधवा भी और वो भी शायद अपनी चूत में लंड लेने के लिए बेताब ही थी.

मैंने अपना खड़ा लंड उसको दिखा के अपनी पहली चाल चल दी थी. और उसके चहरे को देखा तो समझ गया की वो भी खुश थी लंड का उभार देख के. मैं उसके बर्तन मांजने के और कपडे धोने की वेट करने लगा. और फिर मैंने उसे मेरे लिए नाश्ता बनाने को कहा. जब वो किचन में गई तो मैं भी उसके पीछे चला गया. मेरा लंड मेरे शॉर्ट्स में खड़ा हुआ था. उसके चहरे के एक्सप्रेसन को देख के मेरी हिम्मत खुली हुई थी. मैं उसके बदन के सेक्सी कर्व और उसकी बिग गांड को देख रहा था. मैंने बिना कुछ सोचे अपने शोर्ट को निचे सरका दिया और उसके पास में खड़ा हो गया.

उसको भी पता ही था की मैं वहां पर हूँ. मैंने धीरे से अपने लंड को उसकी गांड की फांक पर घिसना चालू कर दिया. धीरे धीरे से मैं उसकी गांड की सॉफ्टनेस अपने लंड को फिल करवा रहा था. मैं उसके इतने करीब था की उसके माथे में से मुझे चिक शेम्पू की सुगंध भी आ रही थी. मैं एकदम क्रेजी था. मैं लंड को घिस रहा था लेकिन वो कुछ भी रिएक्ट नहीं कर रही थी. वो जोर जोर से साँसे ले रहा था और मैंने उसकी कमीज को ऊपर कर दिया और उसके पजामे के ऊपर से मैं लंड को टच करवाने लगा.

उसने अंदर एक पतली सी पेंटी पहनी हुई थी. मैं उसके ऊपर लंड घिसने का मजा ले रहा था. फिर मैंने अपनी कमर को हिलाई और उसके पजामे को चोदने लगा. बहुत ही मस्त फिलिंग थी वो और मेरा लंड प्रीकम उसके पजामे के ऊपर निकालने लगा.

उसने अपने हाथ मेरी कमर के ऊपर रखा और अपनी तरफ खिंच लिया. मैंने अपने हाथ उसकी कमर के ऊपर से उसके बूब्स के ऊपर रख दिए. मैंने उन्हें जोर जोर से दबा रहा था. उसके बूब्स ब्रा में से जैसे चिभने लगे थे. मैंने उसकी कमीज में हाथ डाल के उसकी ब्रा के हुक को खोल दिया और फिर उन्हें जोर जोर से हिलाने लगा. वो जोर से मोअन कर रही थी और उसकी साँसे भी तेज हो चुकी थी.

वो बोली, अह्ह्ह बेटे दबा उन्हें, घिस अपने लौड़े को मेरी गांड के ऊपर, तेरा लंड जब से देखा हे मेरी तो चूत पागल हो चुकी हे.

मैंने कहा, आंटी आप को देख के मैं भी पागल ही हुआ था, आप बहुत सुंदर हो!

मैंने उसके पजामे के ऊपर अपना माल निकालना नहीं चाहता था इसलिए मैंने उसके पजामे की नोट को खोला और उसे निचे कर दिया. उसकी पिंक पेंटी उसकी गांड के ऊपर मस्त लग रही थी. मुझे लगा की मैं जन्नत में हूँ. मैंने उसे झुकने के लिए कहा और वो मान गई. मैंने उसकी पेंटी को साइड में कर दिया और अपने लंड को उसकी गांड की फांक के ऊपर घिसने लगा.

वो बोली, अह्ह्ह डाल दो अंदर, इतनी तो गीली हुई हे, जल्दी कर दो उसको अंदर.

मैंने अपने लंड को अन्दर कर दिया. लंड जैसे कोई गरम गुफा में घुस रहा था. मैं हम्प कर के उसे चोदने लगा. वो फिलिंग बड़ी ही सेक्सी और अलग थी. वो 2 मिनिट के धक्को ही मेरे लंड के ऊपर झड़ गई और उसके ज्यूस मुझे लंड के ऊपर फिल होने लगे. मैं तो सातवें आसमान के उपर था जैसे!

मेरे टट्टे उसकी जांघो से टकरा के बड़ा ही सेक्सी साउंड बना रहे थे. और मैं उसके बूब्स मसल के उसे पेल रहा था. वो बोली, और जोर से बेटा अह्ह्ह्ह अह्ह्ह्ह ओह्ह्ह उईई अह्ह्ह्ह और जोर से!

जब भी मेरा लंड उसकी चूत में पूरा घुसता था तो मैं भी जैसे कराह उठता था. कुछ देर ऐसे ही मस्त झटको के बाद मैं उसकी चूत के अन्दर ही झड़ गया. वो भी जोर जोर से मोअन कर रही थी और मैं भी. मेरे पाँव में कम्पन आ रहा था उत्तेजना की वजह से. मैं थक सा गया था. मैंने अपने माथे को कामवाली की पीठ के ऊपर रख दिया. ये मेरी पहली चुदाई थी जो बड़ी हो मजेदार रही थी.

मैंने अपने लंड को धीरे से बहार खिंचा. उसकी चूत में से कुछ वीर्य की बुँदे बहार आ निकली. कुछ वीर्य उसकी जांघो के ऊपर भी बह निकला था. शायद बहुत सब वीर्य मैंने उसकी चूत में छोड़ा था जो बहार आ रहा था.

कामवाली ने कहा, बेटा तू सच में बड़ा चोदु हे. तेरा लंड भी कितना गरम हे.

उसने मुझे ये भी बताया की ऐसी चुदाई और ओर्गास्म उसने अपनी लाइफ में कभी भी फिल नहीं किया था. उसने अपनी चूत के ऊपर उंगलिया घिसी और मेरे वीर्य की फिल्म सी बनाई और मेरे सामने देख के बड़े सेक्सी ढंग से उसे चाट लिया. और फिर उसने कहा, तेरे मम्मी पापा दो दिन नहीं हे और तुझे दोनों दिन मुझे ऐसे ही चोदना हे!

मैं भी उसके लिए एकदम रेडी ही था. मैं नाहा के मेडिकल गया और आंटी के लिए गर्भपात की गोली और अपने लिए वायेग्रा ले आया. मैंने कामवाली को कहा आप फटाक से घर का काम निपटा लो फिर हम सेक्स की फिल्म देख के चोदेंगे. वो काम कर रही थी तो मैंने उसके साथ बैठ के देखने के एक लॉन्ग मल्लू पोर्न मूवी डाऊनलोड कर ली.

  

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