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दोस्त की बीवी को पटाकर चोदा

मैं अन्तर्वासना का एक लम्बे समय से पाठक रहा हूँ. लेखकों द्वारा साझा किए गए अनुभव पढ़कर मुझे बहुत अच्छा लगता है. उनकी कहानियां पढ़कर मैंने भी कई बार सोचा कि मैं भी अपने जीवन से जुड़ी ऐसी घटनाओं के बारे में लिखूँ.


तो दोस्तो, आज मैं पहली बार अपनी एक मस्त सेक्सी कहानी बताने जा रहा हूँ. अगर आप पाठकों को मेरी यह कहानी पसंद आयी, तो मैं आगे भी लिखूंगा.


मेरा नाम विक्की है और मैं फिलहाल दिल्ली का रहने वाला हूँ. मेरी यह कहानी मेरे सहकर्मी और उसकी बीवी की है. हुआ यूँ कि मेरा तबादला चंडीगढ़ से दिल्ली ताज़ा ताज़ा हुआ था. कंपनी ने मेरे लिए पन्द्रह दिन के होटल का बंदोबस्त कर दिया था. लेकिन मुझे इन पन्द्रह दिनों में अपने लिए मकान ढूंढ़ना था.


खैर, मैं पहले दिन ऑफिस गया और वहां अपनी टीम से मुलाकात की. मेरे मैनेजर ने मेरा परिचय संजय से करवाया. उन्होंने बताया कि संजय बहुत अच्छा इंसान है … और ये घर ढूंढने में तुम्हारी मदद कर देगा.

मैंने थोड़ी राहत की सांस ली कि चलो कोई तो साथ देगा.


संजय एक गोरा चिट्टा जवान था, उसकी लगभग चौबीस साल की उम्र रही होगी. वो उम्र में मुझसे कुछ ही बड़ा था.


संजय ने बताया कि वह ऑफिस के पास ही रहता है और उसी की बिल्डिंग में एक दो कमरों का फ्लैट खाली है, अगर मैं शाम को काम खत्म होने बाद चलूं, तो वह मुझे फ्लैट दिखाने का बंदोबस्त करवा सकता है.

मैंने हां कर दिया और काम में लग गया.


शाम लगभग सात बजे संजय ने मुझे याद दिलाया कि घर देखने जाना है.

मैंने मैनेजर से इज़ाज़त ले ली और संजय के साथ फ्लैट देखने चला गया.


फ्लैट देख कर मुझे पसंद आया और मैंने मकान मालिक को एडवांस देकर घर बुक कर लिया.

इसके बाद हम दोनों आने लगे, तो संजय ने मुझसे उसके घर चलकर चाय नाश्ता करने का आमंत्रण दिया.

चूंकि दिल्ली में मैं नया नया आया था, तो मुझे भी दोस्त चाहिए थे. मैंने हां कर दी.


उसका फ्लैट भी साथ वाला ही था. उसने बेल बजायी, तो उसकी बीवी ने दरवाज़ा खोला. वैसे तो सभी औरतें देखने में खूबसूरत होती हैं, लेकिन जैसा संजय गोरा चिट्टा था, उसकी बीवी भी वैसे ही गोरी थी. भाभी जी ने काले रंग का शार्ट स्लीव टॉप पहन रखा था और नीचे पजामा.


शायद उनको संजय के साथ किसी और के आने की उम्मीद नहीं थी. संजय ने दरवाज़े पर ही मेरा उनसे परिचय करवाया और उनका नाम हंसिका बताया.

हंसिका भाभी ने मुझसे अन्दर आने को बोला.


मैंने अन्दर जाकर देखा, तो भाभी ने अपना ड्राइंग रूम बहुत अच्छे से सजा रखा था. मैं सोफे पर बैठ गया. संजय और हंसिका अन्दर गए.


मुझे अन्दर से थोड़ी बहस की आवाज़ आती सुनाई दी. ये मुझे थोड़ा असहज लगा.

खैर थोड़ी देर में संजय पानी लेकर आया और बोला- आप आराम से बैठिये, इसे अपना ही घर समझें.


मेरे पानी पीते पीते हंसिका भाभी ने चाय और नमकीन पेश कर दिया था. मैंने मौके को संभालने के लिए कुछ बोलना चाहा, लेकिन इससे पहले ही हंसिका ने बोला कि अच्छा हुआ कि आपने पास वाला फ्लैट लिया है, कम से कम कोई बोलने वाला तो मिलेगा, नहीं तो दिल्ली में लोगों को यह भी नहीं पता होता कि पास में कौन रह रहा है.


मैंने हां में हां मिलाई और साथ में माफ़ी भी मांगी कि मेरी वजह से आप दोनों में बहस हो गयी.


इस बात पर हंसिका भाभी ने कहा- ऐसी कोई बात नहीं है, मैं इसलिए थोड़ी उदास हो गयी थी कि संजय ने अगर पहले बताया होता, तो मैं तैयार भी रहती और कुछ बना भी लेती.

मैं बोला- भाभीजी अब तो यहीं रहने आ रहा हूँ . … आपका जब मन करे, खिला देना. वैसे भी मैं खाने के मामले में थोड़ा बेशरम किस्म का इंसान हूँ.

इस बात पर सब हंसने लगे.


खैर चाय पीकर मैं होटल को रवाना हो गया. यह सोमवार का वाकिया था.


काम में दो तीन दिन कैसे निकल गए, पता ही नहीं चला. गुरुवार को संजय ने मुझसे पूछा कि क्या आप शुक्रवार को मेरे घर डिनर करना पसंद करेंगे?


मैं भी बाहर का खाना खा के बोर हो रहा था, मैंने हां कर दिया.

इस पर उसने पूछा- आप ड्रिंक करते हैं या नहीं?

मैं बोला- हां मैं करता तो हूँ, लेकिन भाभीजी बुरा ना मान जाएं.

संजय ने तुरंत बोला- हम दोनों शुरूआत से ही एक साथ ड्रिंक करते हैं और हम दोनों को कोई प्रॉब्लम नहीं होगी.

इस तरह हमारा डिनर का प्लान पक्का हो गया.


मैं शुक्रवार को संजय के साथ ही उनके घर गया. भाभीजी ने दरवाज़ा खोला. मैं हैरान हो गया, भाभीजी ने पूरा मेकअप कर रखा था और साथ में लहंगा चोली पहना हुआ था. बैगनी कलर का लहंगा उनके गोरे बदन पर बहुत ही ज्यादा अच्छा लग रहा था. लाल लिपस्टिक उनके होंठों को चार चाँद लगा रही थी. उनकी भूरी आंखों पर काजल तो शायद उनकी गहराइयां और बढ़ा रही थी.


मैं उनको अच्छे से देखने लगा, फिर मुझे खुद ही बुरा लगा कि मेरी मदद करने वाले इंसान की बीवी को मैं ऐसे देख रहा हूँ.

इतने में भाभी ने खुद ही पूछ लिया- दरवाज़े पर ही खड़ा रहेंगे या अन्दर भी आएंगे.


मैं झेंप सा गया और अन्दर आते हुए उनको रास्ते से ख़रीदा हुआ फूलों का गुलदस्ता देते हुए बोला- आप इतनी खूबसूरत लग रही हैं कि मैं हैरान हो गया.


उन्होंने हंसते हुए कहा- चलो किसी को तो मेरी खूबसूरती दिखी.

यह बोलते हुए थोड़ा शरारती तरीके से भाभी जी ने संजय की तरफ देखा.

संजय ने एक स्माइल दी और बोला- मैं तो हमेशा ही तुमको सुन्दर बोलता हूँ.


हम सब हंसते हुए सोफे पर बैठ गए और भाभीजी ने तुरंत ही स्नैक्स, आइस, गिलास और स्कॉच की बोतल ला कर रख दी.


हम तीनों ड्रिंक करते हुए गप्पें मारने लगे. इस बीच में उन दोनों के बारे में पता चला कि उनकी अरेंज्ड मैरिज है. घर वाले अमीर हैं और कुछ रिलेटिव्स कनाडा में भी सैटल्ड हैं. ये दोनों भी शायद कुछ सालों में वहीं शिफ्ट हो जाएंगे.


खैर हमने ड्रिंक करके डिनर किया और उसके बाद मैं होटल वापस चला आया.


अगले वीकेंड पर मैंने फ्लैट में शिफ्ट किया. भाभीजी ने पहले ही घर की सफाई करवा दी थी और खाने का बंदोबस्त भी करवा दिया था. उसके बाद से मेरा काम भी सही चलने लगा और साथ के साथ घर का खाना भी मिलने लगा. मैं उनके लिए अपने तरफ से सब्जी वगैरह लाकर दे देता था, ताकि उनको ऐसा न लगे कि मैं फ्री में खा रहा हूँ.


हर सप्ताहंत में हमारी ड्रिंक्स की पार्टी होती थी और साथ में हम कभी कहीं घूमने चले जाते, तो कभी मूवी देखने. इस तरह हमारी दोस्ती बढ़ने लगी.


मुझे दिल्ली आए हुए अब लगभग तीन महीने हो चुके थे और इस बीच मेरी, संजय और हंसिका भाभी की भी अच्छी दोस्ती हो चुकी थी.


अचानक से एक दिन रात में बालकनी में धूम्रपान करते हुए मुझे हंसिका की रोने की आवाज़ और साथ में उन दोनों की बातें सुनाई दीं. संजय उसे चुप करने की कोशिश कर रहा था, पर वो बोले जा रही थीं.


मुझे जो सुनाई दिया, उससे पता चल रहा था कि संजय की मम्मी हंसिका को बच्चा न होने पर बुरा-भला कह रही थीं. वह इसलिए कुछ नहीं बोल पा रही थी क्योंकि संजय में कोई कमी थी.


मैंने रात भर खूब सोचा कि मैं अपने नए दोस्तों की किस तरह मदद कर सकता हूँ. लेकिन ऐसे बात करने में मेरी हालत ख़राब हो रही थी.


मैं जब सुबह उनसे मिला, तो दोनों हमेशा की तरह हंसते हुए दिखे. मैं चुप हो गया और सोचा की ड्रिंक्स करते हुए पूछूंगा, तभी बात खुल कर हो पाएगी.

इसी तरह मैं वीकेंड का इंतज़ार करने लगा.


वीकेंड पर ड्रिंक्स के दो दो पैग लगाने के बाद बातों ही बातों में मैंने बोल दिया- भाभीजी मुझे आपका रोना अच्छा नहीं लगता.


वे दोनों मेरी बात पर हैरान हो गए कि मैंने कब उनको रोते हुए देखा या सुना. मैंने उनको पूरा वाकिया सुनाया कि कैसे ना चाहते हुए भी मुझे उनकी बात सुनाई दी. इस पर दोनों हैरान होकर एक दूसरे का चेहरा देखने लगे और थोड़ी देर में भाभीजी रुआंसी सी होकर बोलीं- प्लीज रहने दीजिये … ऐसी बातें न ही हों, तो बेहतर है.

वो ये सब कहते हुए कुछ सुबकने लगीं. संजय उनके पास जाकर उनको चुप करा रहा था.


मैं बोला- भाभीजी, प्लीज रोना बंद कर दीजिये. ऐसी दिक्कतें आम बात हैं और आजकल इनका इलाज़ भी है. आप दोनों ने मेरी इतनी मदद की और मैं आप दोनों को अच्छा दोस्त मानता हूँ, अगर मुझसे कुछ हो पाया, तो मैं जरूर मदद करना चाहूँगा.


इस पर भाभीजी ने बताया- संजय का वीर्य काउंट कम है और इस वजह से मुझको बच्चा नहीं हो रहा है. हम दोनों की शादी के बाद से ही संजय का इलाज़ भी चल रहा है, लेकिन घरवालों को यह बात पता नहीं है और वे बच्चे के लिए परेशान कर रहे हैं. इसी वजह से हम दोनों घरवालों से दूर रहने लगे हैं. जब तक मुझे बच्चा न हो जाए, मैं उनके करीब जाना भी नहीं चाहती हूँ.


मैंने उनके तेज बोली से समझ लिया कि भाभी काफी गुस्से में आती जा रही हैं. मैंने भी उन्हें चुप करवाया और बोला कि जब इलाज़ चल रहा है, तो बस समय की ही तो बात है; हो जाएगा बच्चा.


इस घटना को कुछ दो महीने हो गए थे और इस बीच हमारी दोस्ती और भी खुली हो गयी थी. अब हम सभी आपस में सेक्स रिलेटेड बातें भी करने लगे थे. उनको पता चला था कि मैं बचपन से ही सेक्स में बहुत ज्यादा इंटरेस्टेड रहा हूँ और बहुत सी औरतों और लड़कियों के साथ मेरे ताल्लुकात भी रहे हैं.


एक दिन ऐसे ही ड्रिंक्स करते हुए मैंने स्पर्म डोनर की बात छेड़ दी और बोला कि आईवीएफ से किसी और के वीर्य से बच्चा करवा लेना भी बड़ा ठीक रहता है.


उन्होंने बताया कि यह बात उन्हें डॉक्टर्स ने भी एडवाइस की है … लेकिन वे किसी अनजान से बच्चा नहीं चाहते हैं.

इसी दौरान दारु के नशे में और हंसी मजाक में मेरे मुँह से निकल गया कि अगर आप लोग इतने अच्छे दोस्त नहीं होते, तो मैं ही आपको बच्चा दे देता.


नशे की पिनक में मेरे मुँह से यह बात निकल तो गयी, लेकिन मुझे तुरंत अहसास हो गया कि मैंने कुछ ज्यादा बोल दिया. मैं बिना कुछ बोले उनके यहां से निकल गया.


अगला सप्ताह बहुत ही टेंशन में गुजरा. मैंने उनसे कोई बात नहीं की और उनसे पूरी तरह से बच कर निकल रहा था. ऑफिस में भी संजय को मैंने नजरअंदाज किया.


खैर शुक्रवार को भाभीजी का फ़ोन बार बार आता रहा और मुझे मजबूरन उठाना ही पड़ा.

उन्होंने पूछा- आप बात क्यों नहीं कर रहे हो?

मैंने बताया- उस दिन मुझसे गलती हो गयी थी. जिन लोगों ने मेरी मदद की है, उनके लिए मुझे ऐसा नहीं बोलना चाहिए था.

इस बात पर भाभी हंसती हुई बोली- एक ही शर्त पर माफ़ी मिलेगी, जब आप वापस से हम दोनों को पहले जैसा ट्रीट करोगे.

मैंने पल्ला झाड़ते हुए बोला- हां करूँगा.


इस पर भाभी जी ने मुझे शाम को घर आने पर मजबूर कर दिया.

शाम को जब मैंने उनके यहां पहुंचा, तो उन्होंने सारा बंदोबस्त पहले से ही कर लिया था और पहले से ही दो पैग लगा लिए थे.


हंसिका भाभी ने एक कशीदाकारी की हुयी लाल रंग साड़ी और साथ में लाल रंग की ही बैकलैस गहरे गले का ब्लाउज पहना हुआ था, जिससे उनके स्तन और दूध घाटी दोनों दिख रहे थे. उनका पल्लू बिल्कुल पतला सा तह होकर एकदम साइड को था. इससे उनका पूरा गोरा सीना और पीठ साफ़ दिखाई दे रहा था. भाभी ने कान में बड़े बड़े गोल रिंग वाले झुमके पहन रखे थे.


उन्होंने मेरा स्वागत किया और हंसते हुए मुझे भी पैग पकड़ा दिया.

धीरे धीरे वह बोलने लगीं कि उनको मेरी बात बुरी नहीं लगी.


थोड़ी देर बाद भाभी ने कहा- मुझको आपका आईडिया अच्छा लगा.

मैं हैरान होकर उनकी तरफ देखने लगा.

वे हंसकर बोलीं- किसी अनजान का बच्चा होने से अच्छा है कि किसी जान पहचान का हो.

इस बात पर संजय ने भी हां में हां मिलाते हुए हंसिका भाभी से सहमति जता दी.

मैं समझ रहा था कि वो दोनों आईवीएफ के जरिये मेरे वीर्य से बच्चा करवाना चाहते हैं.


हम तीनों ने चार चार पैग हलक से उतार लिए थे और अब नशा सवार होने लगा था.

तभी थोड़ी देर में मुझे शॉक लगा. जब भाभीजी ने मुझसे पूछा- बेडरूम में कब चलना है?


मैं हैरान होकर दोनों को देखने लगा, मेरी बोलती बंद थी और मैं शर्मा रहा था. क्योंकि मैंने कभी किसी के सामने उसकी बीवी से सेक्स के बारे में कभी सोचा भी नहीं था. लेकिन इस बातों से मेरे लंड में हलचल मच चुकी थी. मैं यह सोच रहा था कि मैं कैसे संजय के सामने हंसिका को चोद सकता हूँ.


मेरी यह बात शायद उन्हें समझ आ चुकी थी. संजय बोला- देखो, मेरी बीवी मुझे धोखा नहीं दे रही है, बस हमारे लिए एक बच्चा हो जाए, हम दोनों उसका बंदोबस्त कर रहे हैं. हां अगर तुम तैयार नहीं हो, तो अलग बात है.

मैंने बोला- ऐसी बात नहीं है.

इतने में भाभीजी बोलीं- क्या मैं अच्छी नहीं लगती?

मेरे मुँह से निकल गया कि भाभीजी आप तो बहुत अच्छी लगती हो, अगर मौका मिलता, तो शायद मैं आपसे शादी भी कर लेता.


मेरी इस बात पर दोनों हंसने लगे और भाभी ने मेरा हाथ पकड़ कर पूछा- फिर शर्मा क्यों रहे हो?

मैंने उन्हें बताया- कभी किसी और के सामने मैंने सेक्स नहीं किया.

संजय ने कहा- मुझे पता है कि ऐसा कुछ हो सकता है … इसलिए मैं हॉल में ही रुकने वाला हूँ और तुम दोनों बेडरूम में जा सकते हो.


इतने में हंसिका भाभी ने मेरा हाथ जोर से पकड़ा और खींचते हुए मुझे अपने बेडरूम ले गईं.


बेडरूम के अन्दर घुसते ही मैं फिर से हैरान हो गया, पूरा बिस्तर सुहागरात की तरह सजा हुआ था. बिस्तर पूरा फूलों से सजा हुआ था.


इतने में संजय पीछे से हंसते हुए बोला- बंदोबस्त ठीक है ना … या कुछ और चाहिए?

मैं भी अब तक थोड़ा कम्फ़र्टेबल हो गया था और बोला- नहीं नहीं बहुत है … लेकिन दरवाज़ा बंद करना पड़ेगा.

इस पर संजय बोला- मेरी बीवी है कोई रंडी नहीं … इसलिए आराम से करना … सिर्फ बच्चा चाहिए.

मैंने हंसते हुए दरवाज़ा बंद दिया.


भाभीजी ने मुझे बिस्तर पर बिठा दिया और बोलीं- पहले डांस देखना पसंद करोगे?


यहां मैं बता देना चाहता हूँ कि इससे पहले भी हम कई बार क्लब्स साथ में गए हैं … लेकिन हर बार संजय और हंसिका आपस में ही डांस करते थे.


मैंने हां कहा, तो भाभी जी ने वहीं पर रखे स्मार्ट टीवी पर सेक्सी गाने लगा दिए और मादक अदाओं में मेरे आस पास नाचने लगीं.


उनको नाचता देख कर मेरा लंड टाइट होता जा रहा था. इतने में भाभीजी नाचते हुए अपना पल्लू नीचे गिरा दिया और मेरे सामने झुक कर अपने स्तन दिखाने लगीं.


फिर धीरे धीरे उन्होंने अपनी पूरी साड़ी उतार दी और अब वह पेटीकोट और ब्लाउज में थीं. उनका ब्लाउज बस उनके निप्पलों को ढक पा रहा था और बाकी सब माल साफ़ दिख रहा था. उनके निप्पलों और ब्लाउज को देख कर पता चल रहा था उन्होंने अन्दर ब्रा नहीं पहनी थी.


फिर वह टेबल पर रखी व्हिस्की की बोतल से एक लार्ज पैग बना कर बिल्कुल मेरे पास आईं और कमर हिलाते हुए मुझे गिलास थमा दिया. फिर धीरे धीरे उन्होंने अपना पेटीकोट उतार दिया. अब वह केबल अपने ब्रा टाइप ब्लाउज और पैंटी में थीं.


भाभी जी की पैंटी और ब्लाउज भी मैचिंग के थे और पैंटी भी डिज़ाइनर थी.


इस नजारे को देख कर मेरे होश उड़ रहे थे. भाभी थोड़ा नाचते हुए मेरी गोद में आ गईं और अपनी गांड से मेरे लंड को दबाकर बैठ गयी. मैंने उनके होंठों से गिलास लगा दिया उन्होंने गिलास से एल लम्बा घूँट भरा और मेरे होंठों से अपने होंठों को लगते हुए मुझे शराब पिला दी. फिर वो अपनी गांड को मेरे लंड पर मस्ती से हिलाने लगीं.


ऐसे करते हुए उन्होंने मुझे इशारा किया कि पीछे से मेरा ब्लाउज खोल दो.

मैंने हाथ लगाया ही था कि भाभी पीछे मुड़ कर मादक अदा में इशारे से बोली- अपने दाँतों से ब्लाउज खोलो न यार.


मैंने गिलास एक तरफ रख दिया. मैं थोड़ी मेहनत के बाद उनके ब्लाउज के हुक्स खोल पाया. पर उन्होंने ब्लाउज पूरा हटाया नहीं, बल्कि वह मेरे सामने उठकर पहले तो मेरी तरफ पलट गईं. फिर धीरे से ऐसे ब्लाउज हटाया, जिससे उनके एक हाथ से उनके स्तन छुप जाए. फिर भाभी वापस मेरी गोद में आकर अपनी गांड घिसते हुए बिना हाथ लगाए पैंटी सरकाने लगीं और ऐसा करते करते उन्होंने पूरा ढक्कन उतार दिया.


थोड़ी देर वैसे ही घिसाई करने के बाद वह सामने को जाने लगीं, तो मैं उनकी मस्त नंगी गांड पहली बार देख रहा था. मेरी हालत ख़राब हो रही थी. भाभीजी ने पलट के थोड़ा डांस करने के बाद पहले अपने स्तन से हाथ हटाया.


वाह, क्या नज़ारा था … भाभीजी के निप्पल बिल्कुल हल्के भूरे रंग के थे.


मैं उठ कर हाथ लगाने ही जा रहा था कि भाभीजी ने इशारे से उठने से मना कर दिया. फिर थोड़ी देर बाद उन्होंने अपना हाथ हटा कर अपनी चुत के दर्शन करवाए. उन्होंने आज के लिए वहां की वैक्सिंग करवाई थी. साथ में उनके चुत के पास ही थोड़ी से ऊपर एक छोटा सा लाल रंग से बना हुआ गुलाब का टैटू था.


उफ्फ्फ … क्या मस्त नज़ारा था … वैसा बदन फिर मुझे अभी तक देखने को नहीं मिला.


भाभी मादक अदा में वापस मेरे पास आकर मेरी गोद में ऐसे बैठ गईं, जिससे उनकी जांघें मेरी जांघों के दोनों तरफ थीं और उनके स्तन सीधा मेरे चेहरे पर लग गए थे. वे अभी भी नाचते हुए अपने मम्मों से मेरे चेहरे को सहला रही थीं और कमर हिला हिला के मेरे लंड पर अपनी चुत घिस रही थीं.


उन्होंने एक हाथ से मेरे गर्दन को पकड़ रखा था और दूसरे से अपने बालों और मेरे चेहरे से खेल रही थीं.


उनकी इन हरकतों का असर यह हुआ कि मेरे लंड ने वीर्य छोड़ दिया था और पैंट के ऊपर भी भाभीजी की चुत से निकले पानी का निशान पड़ चुका था.


भाभी ने यह सब लगभग आधे घंटे तक किया था और वे भी पानी छोड़ चुकी थीं.


फिर भाभी अपने होंठों को अपने दांतों से दबाते हुए मेरी गोद से नीचे उतरीं और मेरे कपड़े उतारने लगीं. मुझे नंगा करके उन्होंने बिस्तर पर धकेल दिया और सीधा 69 पोजीशन में मेरे चेहरे पर बैठ गईं. उन्होंने शराब का गिलास अपनी चूत पर डाला और मुझसे अपनी चुत चटवाने लगीं. साथ ही बाकी बची शराब को मेरे मुरझाये लंड पर डाल कर उसको चूसने लगीं.


मैंने अपनी जीभ उनकी चुत में डालकर उनकी मस्त गुलाबी चुत का रस पिया. थोड़ी देर में वह अपनी पूरी चुत मेरे चेहरे पर ऊपर से नीचे तक करने लगीं और जोर से ढेर सारा पानी छोड़ दिया. अब तक मेरा लंड भी वापस से खड़ा हो चुका था.


कमरे में घुसने के बाद से हमारे बीच अभी तक कोई बात नहीं हुई थी, बस इशारों में ही सब कुछ चल रहा था.


उनके पानी छोड़ने के बाद मैंने उनको सीधा लिटाया और उनके ऊपर लेट गया और उनके होंठों को चूसने लगा. नीचे मैंने अपना लंड उनकी जांघों के बीच में सैट करके चुत से सटा दिया और ऊपर नीचे करने लगा.


मैंने उनको दोनों हाथों से जोर से पकड़ रखा था और उन्होंने भी मुझे अपने हाथों से जकड़ रखा था. मैंने धीरे धीरे उनके पूरे चेहरे को किस किया और फिर उनके कान को हल्का सा चबाया … वे उत्तेजना से सिहर उठीं.


धीरे धीरे मैं उनके गर्दन को चूमता हुआ नीचे को आया और उनके स्तन को चूसने लगा.

मेरी आदत है कि मैं स्तन को बहुत देर तक और मुँह के अन्दर तक लेकर चूसता हूँ. इससे भाभी के गोरे गोरे स्तन लाल हो गए.


मैं थोड़ा उठ कर अपने हाथों से उनके स्तन को दबा रहा था और उनकी तरफ देख रहा था.


उन्होंने मेरी तरफ देखा … तो मैंने इशारे से पूछा- अन्दर डालूं?

तो उन्होंने अपना सर हिलाते हुए हां कहा.


मैं उनकी गीली हो चुकी चुत में अपना लंड धीरे धीरे डाल रहा था और उनको देख रहा था. भाभीजी अंगड़ाई लेते हुए अपने मुँह को अपनी बांहों से दबा रही थीं. धीरे धीरे मैंने पूरा लंड उनकी चुत में डाल कर धक्का लगाना शुरू कर दिया. इस बीच में मैंने उनके स्तन और पेट पर कई बार चूस चूस कर निशान बना दिए. भाभी जी इसी बीच में थोड़ा उठ कर मुझे चूमने लगी थीं.


हम दोनों की इस घमासान चुदाई के बीच में भाभीजी ने मुझे धक्का मारते हुए साइड में किया और पलट कर घोड़ी बन गईं.


मैं समझ गया कि उन्हें पीछे चुत में लंड चाहिए. मैंने अपना लंड उनकी चुत में सैट करके जोर से धक्का मारा … इससे उनकी सिसकारियां निकल गईं.


इसी पोजीशन मैंने दस मिनट तक उनको जोर जोर से धक्के मारे. भाभीजी इस बीच में अपनी से इतना पानी छोड़ चुकी थीं कि हमारे नीचे का बिस्तर पूरा गीला हो चुका था.


थोड़ी देर तक मैंने भी जोर जोर से धक्के लगाए और उनकी चुत में झड़ गया. अभी तक कमरे में आये हुए तकरीबन डेढ़ घंटा हो चुका था. हम दोनों ही काफी थक चुके थे.


थोड़ी देर बाद मैंने भाभी जी की तरफ देखा, तो उनको मुस्कुराते हुए पाया.

मैंने इशारे में पूछा- क्या हुआ?

तो उन्होंने इशारे में ही बोला कि कुछ नहीं.


मैंने इतने देर के बाद पहले बार मुँह खोलकर बोला- भाभीजी, सच में मैं आपको कभी नहीं भूल पाऊंगा.

इस बात पर वह हंसने लगीं … और उन्होंने कहा- अभी तो शुरूआत है. आगे आगे देखो क्या होता है.

इस बात पर मैं भी हंसने लगा और अपने कपड़े पहन कर हॉल में पानी पीने आ गया जहां संजय ड्रिंक करता हुआ अपने मोबाइल पर बिजी था.


भाभी जी अन्दर नंगी ही लेटी थीं.


संजय ने मेरी तरफ देखा और पूछा- कैसी है हंसिका?

मैंने बोला कि किस्मत वाले हो … जो ऐसी बीवी मिली है.

संजय- मुझे लगता है कि एक बार में कुछ नहीं हो पाएगा.

मैंने हंस कर दिलासा दे दी कि कोई बात नहीं … जब भाभी चाहेंगी, देवर हाजिर हो जाएगा.


मैं संजय के पास बैठ गया और हम दोनों ने एक एक सिगरेट सुलगा ली.


इसकी आगे की कहानी मैं बाद में लिखूंगा … तब तक आप लोगों के विचारों का इंतज़ार रहेगा.

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पीजी में कामवाली आंटी के साथ सेक्स किया

हैलो फ्रेंड्स, मेरा नाम मनमीत सिंह है. मैं रोहतक हरियाणा से हूँ. अन्तर्वासना पर ये मेरी पहली कहानी है. कोई गलती हो जाए तो माफ़ कर देना.


यह कहानी आज से सात साल पहले की है, जब मैं दूसरे शहर में अपनी डॉक्टरी की पढ़ाई करने गया था. मैं वहां पर एक पीजी में कमरा किराए पर लेकर रहता था. उस बिल्डिंग में मेरे अलावा और भी कई लड़के रहते थे.


वहां पर एक आंटी काम करने के लिए आती थी, जिसका नाम सुनीता (बदला हुआ नाम) था. वो आंटी एकदम माल लगती थी. उसका फिगर साइज 38-30-36 का था, जो मैंने खुद नापा था. मुझे उसमें सबसे ज्यादा उसके मोटे मोटे चुचे बहुत पसंद थे. उसके मोटे मोटे चुचे देखते ही मेरा मन करने लगता था कि इन्हें दबा दबा कर चूसने में लग जाऊं.


जब वो आंटी सफाई करने आती थी, तो बस मन करता था कि इसको यहीं पर पटक कर चोद दूं. मगर डर लगा रहता था कि कहीं कुछ हो गया, तो सब इज्जत ख़ाक में मिल जाएगी.


जब वो आंटी सफाई करती थी, तो उसके चुचे आधे बाहर निकले रहते थे और मैं उन्हें घूरता रहता था. ये बात वो आंटी भी नोटिस करती थी.


एक दिन आंटी को काम पर आने में देर हो गई थी. उस दिन हमारे पीजी पर कोई नहीं था. क्योंकि ज्यादातर लड़के सर्विस करने वाले थे, तो वे सब चले गए थे. आंटी मेरे रूम में काम कर रही थी और मैं उसे घूर रहा था.


सफाई करने के बाद आंटी जाते हुए मुझसे बोली- ऐसे ही घूरते रहोगे या कभी कुछ करने का भी इरादा है?

इतना कह कर वो आंटी मुस्कुराते हुए और अपनी गांड मटकाते हुए कमरे से निकल गयी.


मेरा सर घूम गया. मुझे समझ आ गया कि आंटी चुदने को राजी है, बस मुझे ही हिम्मत करना बाकी था.


अगले दिन जब वो आंटी आई, तो वो रसोई की सफाई कर रही थी. मैंने उसे पीछे से पकड़ लिया और उसके चुचे दबाने लगा.


आंटी ने जोर ‘इस्स्स्स..’ की सिसकारी भरते हुए कहा- अभी मत करो.. कोई आ जाएगा.

मैंने कहा कि आंटी अभी कोई नहीं आएगा.. सब लोग काम पर निकल गए हैं.. यहाँ पर मैं अकेला ही हूँ.


इतना कह कर मैंने आंटी को अपनी तरफ घुमा लिया और उन्हें किस करने लगा. कुछ ही देर में आंटी भी गर्म हो चुकी थी, वो भी मेरे किस का जवाब मेरे होंठों को चूस कर देने लगी. मैंने उसका सूट ऊपर करके एक चुचे को ब्रा से बाहर निकाल लिया और चूसने लगा.


तभी बाहर से डोर बेल बजी, तो हम दोनों ने जल्दी जल्दी अपने कपड़े ठीक किए और आंटी दरवाज़ा खोलने चली गयी.


दरवाजा खुला, तो मैंने देखा कि हमारे पीजी वाले एक सीनियर भैया आए हुए थे. उस दिन तो सारा काम चौपट हो गया.


फिर मैंने भैया से शाम को बात की- भैया, यहाँ कल सुबह एक बजे तक किसी को नहीं आना चाहिए.

उन्होंने पूछा- क्या बात है?

मैंने कहा- हां कोई बात है.


भैया समझ गए कि इसको किसी गर्लफ्रेंड के साथ रोमांस करना होगा. मगर वो ये नहीं समझ पाए कि कामवाली आंटी को चोदने का चक्कर है. यदि उनको ये मालूम हो जाता, तो शायद वो भी आंटी को चोदने के लिए कहने लगते. अभी हालांकि मुझे खुद नहीं मालूम था कि आंटी का चक्कर किस किस से है. हो सकता था कि आंटी पहले ही भैया का लंड ले चुकी हों.


खैर.. पीजी के मेरे सीनियर भैया मेरी बात मान गए और उन्होंने सभी लड़कों को हिदायत दे दी कि कल नौ बजे से एक बजे तक पीजी किसी कारणवश बंद रहेगा. सभी लोग अपने पीजी से सम्बन्धित काम निबटा कर ही जाएं और एक बजे के बाद आने का तय करें.


सभी ने कहा- ठीक है.


ऐसा हमारे पीजी में पहले भी कई बार हो चुका था. कभी कोई बिजली की फिटिंग के चलते या कोई और मरम्मत के काम के चलते ऐसा कर दिया जाता था.


तो उन्होंने मुझसे भी कहा- ठीक है … मैं भी कल बाहर जा रहा हूँ, यहां नहीं रहूँगा. तुम देख लेना कि सब ठीक रहे.

भैया ने ऐसा कह कर पूरे पीजी की जिम्मेदारी मुझे दे दी थी.

मैंने हामी भर दी और उनका धन्यवाद कहा.


फिर अगली सुबह नौ बजे तक सभी चले गए. साढ़े नौ बजे वो भैया भी चले गए.


दस बजे वो आंटी पीजी में आ गई. उसके अन्दर आते ही मैंने दरवाजा बंद कर दिया और उसको पकड़ लिया. वो मेरे इस खेल को समझ गई. मैंने उसे दीवार के साथ लगा दिया और उसके होंठ चूसने लगा. वो भी मेरे होंठों को चूसने लगी, मैं उसके चुचे दबाने लगा.

पांच मिनट के किस के बाद जब हम दोनों अलग हुए, तो आंटी बोली- कल के जैसे फिर कोई आ गया तो क्या होगा?

मैंने कहा- आंटी जी आज कोई नहीं आएगा. आज इधर सिर्फ आप और मैं ही रहेंगे. मैंने सब सैटिंग कर दी है.

आंटी ने मुस्कुराते हुए कहा- मुझे आंटी मत बोल. अब तो मैं सिर्फ तेरी सुनीता हूँ … और तेरी सुनीता बहुत प्यासी है.


इतना बोलकर आंटी ने मेरा हाथ पकड़ कर अपनी सलवार में डाल दिया. उनकी चुत बिलकुल गरम थी और गीली हो चुकी थी. उसने हाथ नीचे करके पैंट के ऊपर से ही मेरा लंड पकड़ लिया और मसलने लगी.


आंटी बार बार बोल रही थी- जल्दी कर लो, जो करना है. फिर मैंने उसके कपड़े उतारने शुरू कर दिए. कुछ ही पलों में बस उसके शरीर पर सिर्फ ब्रा और पेंटी ही रह गयी थी. आंटी ने भी मेरी पैंट और शर्ट उतार दी और कच्छे के अन्दर से लंड पकड़ लिया.


आंटी मेरे लंड को पकड़ कर बोली- ये तो बहुत बड़ा है. आज मुझे इससे चुदने में बहुत मजा आएगा.

इतना बोलकर आंटी ने मेरा कच्छे से लंड निकाल कर मुँह में लेकर चूसना शुरू कर कर दिया.


लंड चुसाई से मैं तो सातवें आसमान पर उड़ने लगा था. क्योंकि पहली बार कोई औरत मेरा लंड चूस रही थी. थोड़ी देर बाद मेरे लंड से उनके मुँह की गर्मी बर्दाश्त नहीं हुई और मैंने उसके मुँह में ही पानी छोड़ दिया.


मेरे वीर्य को आंटी ने बड़े मजे से पिया और दोबारा लंड चूसने लगी. फिर मैं उसको बेड पर ले गया. आंटी को लिटा कर मैं उसके चूचों पर टूट पड़ा.


आह्ह्ह … कितने मस्त चुचे थे उसके. बड़े मोटे मोटे और भरपूरे रसीले.


आंटी के पूरे शरीर पर किस करते हुए मैं उसकी पैंटी के ऊपर से ही उसकी चुत पर किस करने लगा.


चूत पर मेरे होंठों का स्पर्श पाते ही आंटी तो जैसे पागल ही हो गयी. इसके बाद मैंने आंटी की पैंटी भी उतार दी. मैं उसकी नंगी चुत पर किस करने लगा और चुत चाटने लगा. आंटी की चुत एकदम मस्त चिकनी थी और उसमें से रस निकल रहा था, जिसे मैं चाटता चला गया. मैं अपनी जीभ उसकी चुत के अन्दर देकर जीभ से चोदने लगा.


दस मिनट की चुसाई के बाद ही आंटी अकड़ने लगी और लम्बी सिसकारी ‘इस्स्स …’ करते हुए झड़ने लगी.


मैंने असली में किसी चूत को पहली बार झड़ते हुए देखा था.


थोड़ी देर बाद आंटी फिर मेरा लंड चूसने लगी, मेरा लंड अपने आकार में आ गया. मैं भी आंटी को किस करने लगा.


अब आंटी ने मेरा लंड पकड़ते हुए कहा- जल्दी से चोद दे मेरी जान … मुझे चुदे हुए बहुत साल हो गए. आज तू मेरी चुत फाड़ ही दे अपने इस मोटे लंड से … आह … मुझे चोद दे.


सहन तो मुझसे भी नहीं हो रहा था तो मैंने अपना लंड आंटी की चुत पर लगाया और धक्का दे मारा. मेरा लंड आंटी की चूत के अन्दर नहीं गया … फिसल गया.


इसके बाद आंटी ने मेरा लंड पकड़ कर अपनी चुत पर लगाया और बोली- अब डाल!

मैंने फिर से धक्का मारा, तो इस बार मेरा आधा लंड आंटी की चुत में उतर गया.


लड के अन्दर जाते ही आंटी के मुँह से एक जोरदार चीख निकली. मैं डर गया और रुक गया. मुझे लगा कि मैंने किसी गलत छेद में लंड पेल दिया है.

मगर आंटी बोली- रुक मत .. मैं सह लूंगी .. तू बस पूरा अन्दर डाल दे.

मैंने ये सुनते ही एक राहत की सांस ली और अगला एक और झटका मार कर पूरा लंड अन्दर डाल दिया.


लंड घुसेड़ कर मैं आंटी के चुचे पीने लगा. आंटी भी नीचे से गांड उठा उठा कर मेरा साथ देने लगी.

फिर तो बस चुदाई शुरू हो गयी और दस मिनट बाद आंटी चिल्लाने लगी- उम्म्ह… अहह… हय… याह… और जोर से … और जोर से कर … मजा आ रहा है … आह …


मैं भी लगातार आंटी को चोद रहा था और उसके चुचों को भींचते हुए मसल रहा था, चूस रहा था.

आंटी भी मेरा पूरा साथ दे रही थी.


उसके साथ पंद्रह मिनट की जोरदार चुदाई के बाद जब मैं झड़ने को हुआ तो मैंने पूछा- आंटी कहां निकालूं?

आंटी ने कहा- अन्दर ही छोड़ दे … मैं महसूस करना चाहती हूँ. तेरे लंड के पानी को अपनी चुत में लेना चाहती हूँ.


तो मैं तेज तेज झटके मारते हुए झड़ गया. तब तक आंटी भी झड़ गयी.


फिर मैं उसी तरह उसके ऊपर पड़ा रहा आंटी ने मेरे माथे पर चूमते हुए पूछा- मजा आया क्या मेरे जानू को?

मैंने कहा- बहुत मजा आया मेरी सुनीता जान.


मैं उनके एक चुचे को मुँह में भर कर चूसने लगा.

आंटी बोली- क्या अभी मन नहीं भरा मेरे जानू का?

मैंने कहा- हां अभी नहीं भरा.


मैं आंटी के ऊपर से हट कर साइड में लेट गया, तो आंटी उठ कर बाथरूम में चली गयी और चुत साफ़ करके वापस आकर लेट गयी.


उस दिन एक बजे तक हम दोनों ने तीन बार सेक्स किया, फिर वो अपने कपड़े पहन कर चली गई.


अब मौका लगते ही मैं और वो अपनी प्यास बुझाने लगे थे.


फिर कुछ दिनों बाद मुझे प्रक्टिकल्स के लिए दूसरे शहर भेज दिया गया, वहां पर भी एक शादीशुदा लड़की के साथ मैंने सेक्स किया. फिर तो उसके बाद मैंने कई चुत मारी हैं, लेकिन वो फिर कभी लिखूंगा.

पीजी में आंटी के साथ सेक्स कहानी कैसी लगी, मुझे जरूर बताना.

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सहेली ने अपने भाई से मुझे चुदवा दिया

हैलो, मेरा नाम नेहा है. मैं अपनी एक सेक्स कहानी आपको बताने जा रही हूँ. मुझे उम्मीद है कि आपको मेरी कहानी पसंद आएगी. मेरी चूत को मेरी सहेली के बड़े भाई ने चोदा था. वो मुझे आज भी चोदते हैं और वो मेरी चूत को चोद कर बहुत खुश भी हैं. मुझे भी एक मस्त लंड मिल गया है, जिससे मैं अपनी चूत को चुदवा कर अपनी चूत की खुजली को शांत रख पाती हूँ.


मैं अपनी सेक्स कहानी बताने से पहले आपको अपने बारे में बता दूँ. मैं दिखने में बहुत अच्छी लगती हूँ और शहर से हूँ तो मॉडर्न कपड़े पहनती हूँ, जिससे लोगों को मेरे जिस्म का आकार और भी अच्छे से दिखता है. मैं फिटनेस पर भी ध्यान देती हूँ. मुझे बहुत लड़कों के साथ बात करने में अच्छा लगता है. मैं अपनी कॉलोनी के सभी लड़कों से बात करती रहती हूँ. मुझे बहुत से लड़के लाइन देते हैं.


मेरी एक सहेली है, जिसको इन सब बातों के बारे में पता है कि कौन लड़का मुझे लाइन मारता है. हम दोनों लोग अपनी अपनी चुदाई की बातें एक दूसरे से शेयर भी करते हैं. हम दोनों बहुत अच्छी सहेली हैं. मैं अपनी इसी सहेली के बड़े भाई से चुदवाती हूँ, उनके साथ की चुदाई की कहानी आज मैं आपको बता रही हूँ. ये सेक्स कहानी अभी कुछ दिन पहले की ही है, इसलिए मैंने सोचा कि क्यों ना आपको अपनी इस सेक्स कहानी के बारे में बता दूँ.


मैं और मेरी सहेली हम दोनों एक दूसरे के घर आते जाते रहते हैं. मैंने कभी भी ये नहीं सोचा था कि मेरी सहेली के बड़े भैया मुझे चोदना चाहते हैं.


मैं जब भी अपनी सहेली के घर जाती थी, तो उसके बड़े भैया मुझसे बहुत बात करते थे. मैं भी उनसे बहुत बात करती थी. वो मुझे जब भी हवस भरी नजरों से देखते थे, तो मुझे बहुत अजीब लगता था. मेरे सहेली के बड़े भैया का नाम मोहन था और वो बहुत स्मार्ट भी थे. मुझे वो बहुत अच्छे लगते थे.. लेकिन मैं उनके बारे में कुछ गलत नहीं सोचती थी.


मेरी सहेली को ये बात पता नहीं थी कि मैं उसके बड़े भाई मोहन से बहुत बात करती हूँ. मोहन भैया ने ऐसे ही एक दिन बातों बातों में मुझसे मेरा फोन नम्बर ले लिया था. चूंकि मुझे वो अच्छे लगते थे, इसलिए मैंने उन्हें अपना मोबाइल नम्बर दे दिया था. अब हम दोनों की बातें फ़ोन पर भी होने लगी थीं. शुरुआत में हम दोनों फ़ोन पर नार्मल बात करते थे.


धीरे धीरे मुझे पता नहीं क्यों मोहन भैया से बात करने में अच्छा लगने लगा था. वो भी बहुत हंस हंस कर मुझसे बात करते थे.


चूंकि मैं बहुत सेक्सी लड़की हूँ और मॉडर्न कपड़े पहन कर रहती हूँ, उनके घर भी मैं हॉट ड्रेस पहन कर ही जाती थी. तो ये स्वाभाविक ही था कि मोहन भैया मेरी तरफ बड़ी हसरत भरी निगाहों से देखते थे. एक दो उन्होंने मुझसे मेरी ड्रेस को लेकर मेरी तारीफ़ भी की, जिससे मुझे लगा कि उनको मेरी इस तरह की ड्रेस से कोई दिक्कत नहीं है. उनकी इस तरह की तारीफों से मुझे अच्छा लगा और मैं उनसे खुल कर बात करने लगी थी.


अब तो कुछ यूं हो गया था कि मैं अपनी सहेली से तो थोड़ी ही देर बात करती थी, मोहन भैया से ही ज्यादा बात करना पसंद करने लगी थी. मेरी सहेली भी हम दोनों को लेकर कुछ गलत नहीं सोचती थी.


फिर कुछ ऐसा हुआ कि मोहन भैया दिन पर दिन मेरे मम्मों को घूरने लगे. मुझे अजीब लगता था, लेकिन मजा भी आता था. मैं अपनी आत्ममुग्धता में मस्त अपनी सहेली से मिलने जाती रही.


मैं और मेरी सहेली हम दोनों ही जॉब करने वाली लड़कियां हैं. मैं अपनी सहेली के साथ ही ऑफिस जाती थी. कभी कभी ऐसा हो जाता था कि मोहन भैया मुझे और अपनी बहन को अपनी कार से ऑफिस छोड़ देते थे.


मेरे तने हुए मम्मों के साथ साथ मेरी गांड भी बहुत सेक्सी है और काफी उठी और बड़ी है. मैं जब चलती थी, तो मोहन भैया मेरी ठुमकती गांड भी देखते थे. मैं जब उनकी तरफ देखती थी, तो वो दूसरी तरफ मुँह कर लेते थे. मुझे ये बात पता समझ आ चुकी थी कि मोहन भैया मुझे चोदना चाहते हैं. मुझे देख कर वो अपनी पैंट को खुजलाने लगते थे. मैं कई बार ये देखी थी कि वो मेरी चूचियों को देख कर अपने पैंट के ऊपर से अपने लंड को सहलाने लगते थे. 


ये सब देख कर मैंने भी उनको लिफ्ट देना शुरू कर दी थी. हम दोनों लोग की बातें बढ़ती गईं और इसी दौरान बातों ही बातों में हम एक दूसरे की जरूरत और इच्छाओं के बारे में भी जान गए थे. मोहन भैया शादी शुदा थे. उनकी पत्नी बहुत दिन से माइके गयी हुई थीं. इन दिनों मोहन भैया अकेले थे, तो वे हंसी मजाक करते हुए मुझे अपने साथ घूमने जाने के लिए बोलते थे. हालांकि मैं उनको मना कर देती थी.


इसी तरह से हम दोनों लोग का एक दूसरे से बात करना और उनका मेरी चूची को देखना चलता रहा.


एक दिन मैं अपनी सहेली के घर गयी, तो मेरी सहेली सो रही थी. मैं अपने घर आने लगी, तो उसके बड़े भाई मोहन ने मुझे पकड़ लिया और बोलने लगे कि मैं तुमको बहुत पसंद करता हूँ और मुझे तुम्हारे बूब्स बहुत पसंद आते हैं. मैं तुमको बहुत चाहता हूँ.


मैं उनको मना करने लगी, तो वो मोहन भैया ने मुझे अपनी बांहों में भर लिया और मुझे किस करने लगे. मैं उनको मना कर रही थी और उनसे दूर हुई जा रही थी, लेकिन वो मुझे जोर से अपनी बांहों में पकड़े हुए थे. मैं उनसे दूर नहीं जा पा रही थी. मैं उनका साथ नहीं दे रही थी, लेकिन वो मुझे किस कर रहे थे और मेरे होंठों को चूस रहे थे.


मेरी चूचियां उनकी छाती से लग कर दब रही थीं. तभी वो मुझे किस करते करते मेरी एक चूची को दबाने लगे. इससे अब मैं भी गरम होने लगी थी. मैं भी बाद में सिस्कारियां लेने लगी और मैंने उनसे छूटने का प्रयास करना बंद कर दिया.


मोहन भैया मुझे लगातार किस कर रहे थे, तो अब मैं भी उनका साथ देने लगी.


मेरी सहेली अन्दर अपने कमरे में सो रही थी, इसलिए हम दोनों बेफिक्री से एक दूसरे को किस कर रहे थे. मोहन भैया ने मुझे किस करते हुए मेरी पीठ पर अपने हाथ रख दिए और मेरी पीठ को सहलाते हुए चूमने लगे. वो बीच बीच में मेरी चूचियों को बड़ी सख्ती से दबा रहे थे.. इससे मेरी मादक कराह निकली जा रही थी. फिर वो अपनी जीभ से मेरी गर्दन को चाटने लगे, इससे मैं एकदम से गरम हो गयी थी और मादक आवाजें निकालने लगी थी.


उन्होंने मुझे गोद में उठाया और अपने बेडरूम में ले गए. आज उनके घर में मेरी सहेली और उनके बड़े भाई मोहन ही थे. घर के बाकी के सब लोग घर से बाहर गए थे.


चूंकि उनके घर में भी सब लोग जॉब करते हैं. जब कभी मैं और मेरी सहेली जॉब पर नहीं जाते थे, तो एक दूसरे के घर आकर एक दूसरे से बात करने आ जाते थे. आज ऐसा ही दिन था, मैं और मेरी सहले हम दोनों ही ऑफिस नहीं गए थे, इसलिए मैं अपनी सहेली के घर आई हुई थी. लेकिन वो सो रही थी और मैं उसके बड़े भाई मोहन के साथ उनके बेडरूम में चली गयी थी.


मोहन भैया ने मुझे किस करते हुए मेरे सलवार सूट को निकाल दिया. मैं उनके सामने ब्रा और पैंटी में रह गई थी. मेरी ब्रा में से मेरे आधे से ज्यादा मम्मे दिखाई दे रहे थे. मेरी पैंटी मॉडर्न पैंटी थी, जिससे मेरी गांड तो पूरी बाहर ही दिखाई दे रही थी.


मोहन भैया ने मुझे बिस्तर पर गिरा दिया और मेरे ऊपर चढ़ गए. वे मुझे किस कर रहे थे और उनका लंड मुझे नीचे अपनी चूत पर महसूस हो रहा था. उनका लंड भी खड़ा हो गया था.


मोहन भैया ने किस करते हुए ही मेरी ब्रा निकाल दी और मेरी एक चूची को अपने मुँह में ले लिया. मेरी दूसरी चूची को वे अपने दोनों हाथ में लेकर दबाने लगे. मैं चुदासी होने लगी. हम दोनों लोग एक दूसरे का अच्छे से साथ दे रहे थे. कोई पांच मिनट में मोहन भैया ने मेरी दोनों चूचियों को बारी बारी से खूब चूसा और मसला. मैं एकदम से चुदाई हो गई थी और मेरी चूत पानी से भीग गई थी.


मेरी चूचियों को दबाने और चूसने के बाद उन्होंने मेरी पैंटी को निकाल दिया. मैं उनके सामने नंगी हो गयी और मुझे नंगा देख कर मोहन भैया ने भी अपना अंडरवियर निकाल दिया.


हम दोनों लोग एक दूसरे के सामने नंगे थे. वो बिस्तर के नीचे आ गए और डॉगी बन कर मेरी चूची को चूसने लगे चूत को चाटने लगे. मैं अपनी मस्ती में थी और उनसे अपनी चूत चटवा रही थी. मोहन भैया के लगातार जीभ के चलने से मेरी चूत से पानी भी निकल रहा था.


कुछ देर तक मोहन भैया मेरी चूत को चाटने के बाद अपना लंड मेरी चूत में रगड़ने लगे.. जिससे मेरी चूत का पानी उनके लंड पर लग रहा था और मेरी चूत के पानी से उनका लंड भीग गया था.


अभी तक मोहन भैया का लंड बाहर से ही मेरी चूत की फांकों से खेल रहा था. मुझे लंड के सुपारे से बड़ी चुदास चढ़ रही थी. मैं मोहन भैया का लंड अपनी चूत में लेने को मचल रही थी. हम दोनों लोग एक दूसरे को किस भी करते जा रहे थे. वो मेरे होंठों को खूब चूसने के बाद और मेरी चूचियों को बड़ी मस्ती से दबाने के बाद मेरी चूत में अपना लंड डालने लगे.


मैंने भी मोहन भैया के लंड के लिए अपनी चूत पूरी खोल रखी थी. चूत लिसलिसी भी हुई पड़ी थी. इसलिए मोहन भैया ने जरा सा ही धक्का दिया और उनका लंड मेरी चूत में अन्दर तक घुसता चला गया. मोहन भैया के लंड के घुसते ही मेरी सिसकारी निकल गई और मैं उनके मोटे लंड से एकदम से कराह उठी. वो कुछ ही देर में अपना पूरा लंड मेरी चूत में जड़ तक पेल कर मेरी चूत को चोदने लगे.


मैं और मेरी सहेली के बड़े भैया मोहन मेरे साथ जबरदस्त सेक्स करने लगे. वो अपना एक हाथ मेरी चूची पर रखे थे और मेरी चूत में अपना लंड डाल कर मेरी चूत में धक्के मार रहे थे. साथ ही मोहन भैया अपने एक हाथ से मेरी चूची को दबा रहे थे.


हम दोनों लोग मस्ती से चुदाई कर रहे थे और साथ में बीच बीच में एक दूसरे को किस भी कर रहे थे. मैंने अपनी टांगें हवा में उठा दी थीं और उनके पूरे लंड को अपने अन्दर ले रही थी. मोहन भैया मेरी चूत में पूरी ताकत से धक्के मार रहे थे और मैं बिस्तर पर चित्त हो कर उनसे मजे लेते हुए चुदवा रही थी. कुछ ही देर में हम दोनों को पसीना आने लगा था, लेकिन चुदाई के आगे हम दोनों को गर्मी लग ही नहीं रही थी.


वो मेरी चूत को चोदते चोदते रुक जाते थे और मुझे किस करने लगते थे और मेरे होंठों को चूसने लगते थे. इस दौरान उनका लंड मेरी चूत की जड़ में अपनी फुंफकार मारता था, जिससे मेरी चूत के अन्दर एक मस्त हलचल सी मचती थी. ये हलचल उनकी जीभ के मेरे मुँह में होने से और भी ज्यादा बढ़ रही थी. अब तक की चुदाई में ऐसा दो बार हो चुका था और मैं उन दोनों बार ऐसा महसूस कर चुकी थी कि मोहन भैया के लंड के मेरी चूत में थम जाने से मैं पानी पानी हो गई थी. मेरी चूत एकदम से पानी छोड़ देती थी, जिससे चूत में गजब का चिकनापन हो जाता था.उसके बाद वो मेरी चूत को बड़ी मस्त तरीके से चोदने लगते थे.


हम दोनों की इस सेक्सी चुदाई से बिस्तर ख़राब हो गया था. मुझे डर लगने लगा था कि कहीं मेरी सहेली ना जग जाए क्योंकि वो सो रही थी. अगर वो जग जाती और मुझे अपने बड़े भाई के साथ सेक्स करते हुए देख लेती, तो हम दोनों की दोस्ती खत्म हो सकती थी.


मोहन भैया मेरे साथ सेक्स करते करते रुक गए और वे बगल की टेबल पर रखे जग से पानी पीने लगे. मोहन भैया ने जग मेरी तरफ बढ़ाया, तो मैं भी पानी पीने लगी थी. मोहन भैया ने कुछ पानी मेरी चूचियों पर गिरा दिया, मुझे इस वक्त पसीने से भीगी मेरी चूचियों पर ठंडे पानी की धार बड़ी ही मस्त लगी. मैंने भी अपने मुँह में पानी भरा और मोहन भैया की छाती पर पिचकारी मार दी. उनको भी बड़ा मस्त लगा. फिर मोहन भैया ने पूरा जग ही मेरे ऊपर उढ़ेल दिया. मुझे मस्ती छा गई थी.


फिर हम दोनों पानी पीकर और भी मस्ती से सेक्स करने लगे थे. वो मेरे होंठों को चूसते हुए बड़े जोश से मेरी चूत में अपना लंड डाल कर मेरी चूत को चोद रहे थे.


कोई बीस मिनट तक चुदाई करने के बाद हम दोनों झड़ने लगे. अपनी चरम सीमा पर आकर हम दोनों बहुत जोर जोर से पूरे जोश में सेक्स कर रहे थे. एक जोरदार सम्भोग के बाद हम दोनों झड़ गए. झड़ने के बाद हम दोनों एक दूसरे के ऊपर कुछ देर के लिए सो गए.


कुछ देर के बाद मैंने उठा कर अपने आपको फ्रेश किया और अपने कपड़े पहन कर घर आने लगी.


मोहन भैया ने मुझे रोक लिया और मुझे अपनी बांहों में लेकर मेरी चूची को दबाया, किस किया और मेरी गांड को दबाया.


हम दोनों ने जल्दी ही फिर से मिलने का वादा किया. उसके बाद मैं अपने घर आ गयी.


आज भी हम दोनों मौका पाते ही सेक्स कर लेते हैं. जिस दिन मोहन भैया को मेरी चूत चोदने के लिए मिलती है, तो वो बहुत खुश हो जाते हैं. एक बार मोहन भैया ने मुझे बताया था कि मेरी चूत चोदने के दो दिन तक वे अपनी बीवी को नहीं चोदते हैं.


मेरी और सहेली के भाई के साथ चुदाई की इस चुदाई की कहानी आप सबको कैसी लगी, मुझे मेल करके अपनी राय बताएं.

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स्कूल में क्लासमेट के साथ चूत लंड का मिलन

मैं मोहित सिंह फिर से हाजिर हूँ आपके समक्ष अपनी नई कहानी लेकर

सबसे पहले मैं अन्तरवासना के सभी पाठकों को धन्यवाद करना चाहता हूँ जो कि मेरे कहानी

जूनियर लड़की गांड चुदाई

को इतना पसंद किया और मुझे प्यार भरा रिस्पांस दिया।


यह कहानी तब की है जब मैं बारहवीं कक्षा में था, मैं पढ़ने में बहुत स्मार्ट था और दिखने में भी, तो जाहिर है कि साथ कि लड़कियाँ मुझमें इंट्रेस्ट लेगी… और हुआ भी कुछ ऐसा ही।

कई लड़कियों ने ट्राई भी किया लेकिन मेरे ऊपर तो पढ़ाई का भुत सवार था तो मैं किसी को भाव नहीं देता था। लेकिन मेरी बचपन से ही एक बुरी आदत है कि मैं बहुत जल्दी किसी पर भी विश्वास कर लेता हूँ और अपनी तरफ से हर सम्भव उसकी मदद के लिए तैयार रहता हूँ।


बस क्या था, इसी मजबूरी का फायदा उठा लिया मेरे पड़ोस में रहने वाली एक युवा लड़की ने। हुआ यूं कि मेरी पड़ोसन जिसका नाम किरण है, मेरे ही क्लास में पढ़ती थी और हम लोगों में अच्छी खासी अन्डरस्टेन्डिग भी थी। साथ में स्कूल जाना, साथ में लन्च और साथ में ही वापस आना और तो और घर पर एक ही साथ पढ़ते थे क्योंकि उसके घर पर अकेले कमरे की कोई व्यवस्था नहीं थी तो वो भी मेरे ही घर आकर पढ़ती थी। उस समय तक हम लोगों के बीच कोई गलत भावना नहीं थी।


किरण उस समय गणित में कमजोर थी जैसा कि सभी लड़कियों के साथ होता है वो गणित के नाम से डर जाती थी तो मैंने बोला कि परेशान होने कि कोई जरूरत नहीं है मैं हूँ ना!

और मैं उसकी हर सम्भव मदद करता था और वो भी बहुत मेहनत करती थी।


उसकी एक सहेली थी जिसका नाम ऊषा था वो बहुत बडी चुदक्कड़ थी, उसने कई बार मेरे ऊपर डोरे डालने की कोशिश की लेकिन मैं कोई रिस्पांस नहीं देता था.

तो मेरे दोस्त, जिसका नाम अशोक है, बोला- यार, ये तुम पर इतनी मरती है और तुम हो कि कोई रिस्पांस ही नहीं देते?

मैं बोला- यार ये सब मुझे नहीं करना, मुझे पढ़ाई करनी है.

तो वो बोला- ठीक है, तो फिर मेरी सेटिंग करा दो!


मैंने उससे अपना पीछा छुड़ाने के लिये उससे बात करा दी लेकिन वो उससे चुदने को तैयार नहीं थी।

मैं बाद में उसकी चुदाई की कहानी बताऊंगा।


अब हम लोगों का फाइनल एक्जाम हो गया था और रिजल्ट का इन्तजार था, अभी एक्जाम के बाद छुट्टियाँ चल रही थी और हम लोग छुट्टियों का मजा ले रहे थे।


एक दिन हम लोग लुकाछिपी खेल रहे थे और ढूँढने की बारी किरण की थी तो वो एक जगह खड़ी होकर सोच रही थी कि कौन कहाँ छिपा है तब मुझे उसको पीछे से छूना था। छूने के बाद फिर से ढूँढने की बारी उसकी हो जाती तो मैं छूने के लिए बाहर निकला और धीरे धीरे उसके पास गया. तब तक अचानक से वो सामने घूम गयी और मेरा हाथ उसके दोनों गोल-गोल, मुलायम मम्मों पर चला गया जिससे मुझे थोड़ी शर्म आई लेकिन पता नहीं मुझे कुछ अजीब सा होने लगा और मेरा लंड खड़ा होने लगा और मैं झेंप गया और सर नीचे करके उससे कहा- यार सॉरी, मैंने ये जानबूझ कर नहीं किया. अगर तुम्हें बुरा लगा हो तो उसके लिए सॉरी।


जाने अन्जाने में ही सही लेकिन अच्छा शायद उसको भी लगा था तो उसने कहा- सॉरी तो मुझे बोलना चाहिए मेरे वजह से ही ऐसा हुआ, मैं अचानक जो घूम गयी और इस तरह की छोटी छोटी बातें तो होती रहती हैं।

तब जाकर मैं नार्मल हुआ।


उसके दो दिन बाद ही हम लोगों का रिजल्ट आने वाला था और हम लोग रिजल्ट को लेकर बहुत उत्साहित थे लेकिन किरण गणित को लेकर बहुत दुखी थी तो मैंने कहा- यार, परेशान मत हो, रिजल्ट अच्छा आयेगा।


और वो दिन आ ही गया और मैं हमेशा की तरह अच्छे नम्बरों से पास हुआ और पापा ने बधाई दी और उधर किरण भी गणित में अच्छे नम्बर लाकर बहुत खुश थी और इतना खुश थी कि मुझसे बताने आई और आकर मेरे गले लग गई और मेरा धन्यवाद करने लगी.


तो मैंने कहा- ये सब तुम्हारी मेहनत का फल है.

लेकिन वो मुझसे बिलकुल चिपकी हुई थी जिसके कारण मेरा लंड फिर खड़ा होने लगा और अब मैं भी उसको चाहने लगा था और मन ही मन चोदने का भी सोच लिया था।


उस दिन किरण मुझसे बात कर रही थी तो उसकी आँखों में अलग तरह की चमक दिख रही थी। कुछ देर बात करने के बाद जब वो जाने लगी तो मुझसे दूर होते होते मेरे गाल पर किस कर लिया और बोली- ये रही तुम्हारी फीस।

तो मैंने कहा- कि इससे काम चलने वाला नहीं है!

वो बोली- फिर क्या चाहिए?

मैंने कहा- तुम्हें तो बहुत अच्छे से पता है.


तो वो झेंप गयी लेकिन मन ही मन वो भी यही चाहती थी तो एक तरह से वो खुश भी बहुत थी.


हम लोगों ने शाम को गाँव के पीछे वाले बगीचे में मिलने का प्लान किया जो कि मेरे दोस्त अशोक का ही था। वहां रखवाली करने के लिए उन्होंने एक रूम बना रखा था तो मैंने अशोक को सारी बात बताई तो हंसकर बोला- यार, वो दोस्त ही क्या जो दोस्त के काम ना आये!

और वो बोला- ठीक है, शाम को मिलते हैं।


मैं चला आया लेकिन मेरे मन में बहुत बेचैनी हो रही थी कि कैसे मिलूंगा और पहले मैं कहाँ से शुरू करूँगा क्योंकि ये मेरा पहली बार था।


मैं बातों बातों में अपने और किरण के बारे में तो बताना ही भूल गया, खैर कोई बात नहीं, अब बता देता हूँ. जिन्होंने मेरी कहानी जूनियर लड़के की गांड चुदाई पढ़ी होगी उनको तो मेरे बारे में पता ही होगा और जिन्होंने नहीं पढ़ी उनको बताना चाहूँगा कि मैं मोहित सिंह बिहार के गोपालगंज का रहने वाला हूँ और मैं 24 साल का जवान, दिखने में स्मार्ट, हाइट 5’8″ और लन्ड का साइज 6.5″ है। और अभी मैं गुजरात के एक मल्टीनेशनल कम्पनी में मैकेनिकल इंजीनियर हूँ और किरण उस समय भी माल लगती थी, अभी अभी जवानी में दस्तक जो दी थी। उस समय मुझे साइज का तो कुछ पता नहीं था लेकिन सच कहूँ तो वो इतनी खूबसूरत थी कि उसको देख कर किसी का भी लन्ड खड़ा हो जाये और हुआ भी कुछ ऐसा ही था, स्कूल के कई लड़कों ने उसको प्रपोज किया था लेकिन उसने किसी को घास नहीं डाली थी। वो दिखने में गोरी, चिकनी और माल लगती थी।


मैं शाम को थोड़ा जल्दी ही बगीचे में चला गया, जहाँ अशोक पहले से ही मौजूद था। हम लोग मिलकर प्लानिंग करने लगे कि कैसे शुरू करना है और आगे क्या क्या करना है।


तब तक किरण अपनी सहेली ऊषा के साथ आती दिखाई दी तो मैंने अशोक से बोला- बेटा, तुम भी आज मजे ले ही लेना, छोड़ना मत!

और वो भी खुश हो गया, बोला- ठीक है ट्राई करता हूँ।


तब तक वो दोनों लड़कियां हमारे पास आ गई और आते ही ऊषा ने मुझे धमकाते हुए बोली- मेरी सहेली को कोई परेशानी नहीं होनी चाहिये, नहीं तो मैं तुम्हें छोडूँगी नहीं…

तो मैंने भी बोल दिया- ठीक है!

और हम लोग उस रूम में चले गए।


जब वो मेरे साथ कमरे में आई तो बहुत ही कमाल लग रही थी।

मैंने उससे कहा- आज तो तुम मस्त माल लग रही हो।

वो हंसने लगी.


कुछ देर मेरे से बात करने के बाद उसने मेरे से कहा- यार, जो करना है जल्दी करो, बात तो बाद में भी कर सकते हैं।

उसकी बातों से लग रहा था जैसे वो भी चुदने के लिए बेताब हो रही है।


जब उसने मेरे से ये बात कही तो मैं उसको पकड़ कर दीवार के किनारे ले गया और किरण को दीवार से चिपका दिया और फिर अपने दोनों हाथ को उसकी कमर पर रख कर उसके चिकने और गोरे गाल को चूमते हुए मैंने अपने होंठ उसके होंठों पर रख दिये और उसके होंठों को चूमने लगा।

वो भी मेरे होंठ को चूमते हुए मुझसे लिपटने लगी और उसकी दोनों चूचियां मेरे सीने से दबने लगी जिससे मेरे अंदर जिस्म की आग जल उठी और मेरा लंड धीरे धीरे खड़ा होने लगा।


मैं किरण के होंठों को चूमते हुए बहुत ज्यादा ही उतावला होने लगा और मैं उसके पतले और रसीले होंठ अपने मुँह में में लेकर चूमते हुए मैं उसकी चूची भी मसलने लगा और कुछ देर बाद तो मैंने अपने हाथ को उसकी कुर्ती में डाल दिया और उसकी चिकनी और मुलायम चूची को दबाते हुए मैं उसके होंठों को चूम रहा था। उसके होंठ चूमने में बहुत मज़ा आ था।

कु

छ देर बाद मैंने उसको गोदी में उठा लिया और उसको बेड पर ले गया। मैंने पहले उसकी कुर्ती को निकाल दिया और उसके सफ़ेद रंग के ब्रा को छूते हुए मैंने उसकी चूची को ब्रा के ऊपर से ही दबाना शुरू कर दिया और किरण की चूचियों को दबाते हुए चूमने लगा।


कुछ देर उसकी चूची को चूमने से उसका बदन गर्म हो गया और वो चुदने के लिए और भी बेताब होने लगी और मेरे से चिपकती जा रही थी। कुछ देर बाद मैंने उसकी ब्रा को भी निकाल दिया.

जैसे ही मैंने उसके बूब्स देखे तो मेरी आँखें उन्हें देखती ही रह गई। क्या बूब्स थे उसके… एकदम गोरे और एकदम टाइट और उन पर ब्राउन कलर के निप्पल क्या लग रहे थे।


मैंने उसके एक निप्पल को मुंह में लिया और चूसने लगा और पागलों की तरह काटने लगा. वो जोर जोर से आआह्ह्ह अहह की आवाजें निकलने लगी और मुझे धीरे धीरे निप्पल चूसने को कहा. लेकिन मैं कहाँ मानने वाला था, वो भी गर्म हो गई थी और मेरी जींस के ऊपर से ही मेरे लंड को सहलाने लगी।


मेरा लंड भी पूरी तरह खड़ा हो गया था फिर मैं उठा और अपने कपड़े भी उतार दिए और सिर्फ अंडरवियर पे आ गया और फिर उसके निप्पल चूसने लगा और काटने लगा.


फिर मैंने उसकी पेंटी भी उतार दी और उसे पूरी नंगी कर दिया और जैसे ही उसकी चूत देखी तो देखता ही रह गया… उसने आज ही शेव करी थी एक भी बाल नहीं था, एकदम गुलाबी मुलायम चूत थी उसकी!

वो हंसने लगी और उसने कहा कि वो भी मेरे साथ सेक्स करना चाहती थी इसलिए आज ही चूत शेव करी है। इसके लिए ऊषा ने कहा था कि तुम्हारी पहली बार है तो इम्प्रेशन तो डालना पड़ेगा ना! तो मैंने शेव कर लिया।


जैसे जैसे मैं उसकी चुदाई के लिए बेताब हो रहा था वो भी पूरे जोश में मेरे से चुदने के लिए बेताब होकर जोर जोर से आहें भर रही थी। अब किरण भी बहुत गर्म हो चुकी थी, उसने मेरी अंडरवियर भी निकाल कर फेंक दी और मेरे लंड को बाहर निकाला.

मेरा मोटा लंड देख कर उसकी गांड फट गयी क्यूंकि इससे पहले उसने लंड के दर्शन नहीं किये थे। फिर मैंने अपना लंड उसे अपने मुँह में लेने को कहा. पहले तो उसने मना किया पर मेरे बहुत कहने पर वो मान गयी और उसने मेरा पूरा लंड अपने मुँह में ले लिया और मजे से चूसने लगी।


मुझे भी बहुत मजा आ रहा था, आज मेरा वो सपना पूरा हो रहा था जो मैं बहुत दिनों से देख रहा था। मैं उसके मुँह को बराबर अपना लंड डाल के चोद रहा था और वो भी मेरा लंड चूसते हुए मजे लिए जा रही थी।


मैंने थोड़ी देर तक उसको अपना लंड चूसाया फिर मेरा मन उसे चोदने का हुआ, मैंने अपना लंड उसके मुँह से बाहर निकाला, उसको बेड पर लिटा दिया और थोड़ी देर तक अपने होंठों को उसके होंठों में डाल कर चूसा, फिर अपने लंड को उसकी चूत पर रखा और अपने लंड को उसकी चूत पर सहलाने लगा तो वो तड़पने लगी और कहने लगी- जानू, प्लीज अब मत तड़पाओ, डाल दो अंदर, फाड़ दो मेरी चूत को!


देर ना करते हुए मैंने भी अपने लंड को उसकी चूत के अंदर घुसाने के लिए जोर लगाया लेकिन चूत टाइट होने के कारण लंड चूत में जा ही नहीं रहा था। मैंने उसकी दोनों टांगों को अपने हाथ में पकड़ कर फैला दिया फिर मैंने अपने लंड पर थोडा सा थूक लगाया और फिर लंड उसकी चूत पर रखा और एक जोरदार झटका मारा जिससे मेरे लंड का टोपा उसकी चूत में घुस गया और वो बहुत ज़ोर से चीखने लगी और लंड बाहर निकालने के लिए कहने लगी और ज़ोर ज़ोर से रोने लगी।


मैंने नीचे देखा तो उसकी चूत से खून निकल रहा था पर मैं कहाँ रुकने वाला था, मैंने उसके लबों को अपने लबों से जकड़ लिया फिर एक और जोरदार झटका मारा जिससे मेरा लंड उसकी चूत फाड़ के उसके अन्दर समां गया.

वो तड़पने लगी और मेरे लंड पे भी उसकी चूत का खून लग चुका था।


खून देख कर वो और डर गयी और रोने लगी.

मैंने उसे समझाया- तुमने ये पहली बार किया है, तभी ऐसा हुआ है।

मैंने उसे समझाया कि उसकी सील टूट चुकी है।


उसकी चीख निकल रही थी पर मैंने उसे अपने लबों से लॉक कर रखा था तो वो कुछ कर भी नहीं सकती थी. मैं धीरे धीरे चूत में लंड को आगे पीछे कर रहा था तो थोड़ी देर बाद वो नॉर्मल होने लगी और आह्ह आःह्ह आआह्ह आआह्ह्ह की आवाज निकालने लगी तो मैं लन्ड को कुछ तेजी से अंदर-बाहर करना शुरू किया.


अब उसे भी मज़ा आ रहा था, वो बड़बड़ा रही थी- जानू और तेज़… और तेज़… उम्म्ह… अहह… हय… याह… आःह और तेज़ चोदो!

और वो भी मेरा साथ देने लगी और अपनी गांड उठा के चुदवाने लगी।


कुछ देर धीमी गति से चुदाई से किरण को तो मज़ा आ रहा था लेकिन मुझे मेरे को ज्यादा मज़ा नहीं आ रहा था। फिर मैंने उसकी चिकनी कमर को पकड़ा और अपनी चुदाई करने की रफ्तार बढ़ाने लगा और जोर जोर से अपने लंड को उसके चूत के अंदर तक डाल डाल कर निकाल रहा था। जिससे कुछ ही देर में मेरे को तो मज़ा आने लगा, लेकिन जैसे जैसे मैं जोर जोर से चुदाई करने लगा था उसकी चूत में ज्यादा रगड़ की वजह से वो चीखने लगी। लेकिन मेरा मोटा लंड जोर जोर से उसकी चूत में जा रहा था और उसकी चूत से ‘पट पट पट…’ की आवाज़ आने लगी थी जिससे वो भी तड़पते हुए ‘आ आह आह हूँ हु हूँ उफ़ उफ़ हाईई… अहह उहह्ह… ऊँ… ऊँ करके फिर से चीखने लगी थी।


काफी देर तक उसकी चुदाई करने के बाद मैंने अपने लंड को उसकी चूत से बाहर निकाल लिया और उसको किस करते हुए मैं उसकी चूचियों को दबने लगा और फिर कुछ देर बाद मैंने फिर से अपने लंड को उसकी चूत में लगाया और फिर से उसकी चुदाई करने लगा। जैसे जैसे मेरा मोटा लंड उसकी चूत में जा रहा था उसकी चूत पूरी तरह से फ़ैल रही थी और वो जोर जोर से चीख रही थी।


बहुत देर तक लगातार चुदाई करने के बाद जब मेरा वीर्य निकलने वाला था तो मैंने अपनी स्पीड बढ़ा दी और कुछ ही झटकों के बाद मैं झड़ गया और हम दोनों थोड़ी देर एक दूसरे के साथ लेटे रहे।


दोस्तो, मेरे में इतनी ताकत नहीं थी कि मैं उसके ऊपर से उठ पाऊँ तो सोचो उसकी क्या हालत होगी।


थोड़ी देर बाद ऊषा आई और मुझे उठाया तब जाकर कहीं मैं नार्मल हुआ।

और वो लगी बोलने- देखो मेरी सहेली का क्या हाल कर दिया है, मैं तुम्हें छोड़ूँगी नहीं!

तो मैंने कहा- देखो, जलन की बू आ रही है, मैं तुम्हें भी देख लूँगा।

और वो हंसकर बोली- ठीक है, वो तो समय बतायेगा।

और वो दोनों चली गयी।


और मैं वहीं अशोक के साथ लेट गया.

अशोक ने बोला- यार, तुम तो निपट लिए लेकिन मुझे तो कुछ मिला ही नहीं.

तो मैंने कहा- क्यों? इतना अच्छा मौका खो दिया?

अशोक बोला- यार, मैंने बहुत ट्राई किया, उसे बहुत मनाया लेकिन वो राजी नहीं हुई।

तो मैंने अशोक से बोला- यार तू टेन्शन मत ले, बहुत जल्दी मजा कराऊँगा.


और कुछ ही दिनों बाद हम दोनों ने ऊषा की जबर्दस्त चुदाई की. वो मैं अगली कहानी में बताऊंगा कि कैसे हम दोनों ने उसकी चुत चोदी।


दोस्तो, इस तरह से मैंने अपनी जिन्दगी की पहली चुदाई स्कूूल की लड़की के साथ के या

आपको मेरी सेक्स स्टोरी कैसी लगी मुझको अवश्य बताइयेगा।

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पड़ोस वाली आंटी और उसकी ननद की चुदाई

मैं अन्तर्वासना सेक्स स्टोरीज का एक नियमित पाठक हूँ और मुझे देसी चुदाई की कहानियां बहुत अच्छा लगता है. मैं दिल्ली में रहता हूँ और मेरी उम्र 19 साल है.


यह घटना मेरे पड़ोस में रहने वाली एक आंटी और मेरे बीच की चुदाई की है. शुरूआत मैं मुझे उनको देखना भी पसंद नहीं था, पर जब से लंड ने अंगड़ाई लेना शुरू की, लड़कियों भाभियों और आंटियों के उठे हुए मम्मे और गांड ने मुझे आकर्षित करना शुरू कर दिया. तभी से मुझे आंटी कयामत दिखने लगीं,


उनका मदमस्त फिगर मेरी समझ में आने लगा. आंटी का लड़का मेरे छोटे भाई का दोस्त था, जिसको पढ़ाने के लिए आंटी ने मुझसे कहा और इसी के चलते मेरा उनके घर आना जाना शुरू हो गया.


धीरे धीरे आंटी और मैं आपस में खुलते चले गए. वयस्कों जैसे हंसी मजाक होने लगा और अंगों को छेड़ने की मस्ती भी शुरू हो गई.


कभी कभी मैं आंटी के पीछे भी हाथ रख देता था. उनके सामने अपना लंड खुजा लेता था. धीरे धीरे सेक्स की बात भी होनी शुरू हो गई. मैं मौका देख कर उनके मम्मों में हाथ डाल देता था या फिर कभी गांड पर हाथ फेर देता था.


फिर एक मौका ऐसा आया, जब मैंने आंटी को झूठ बोल दिया कि मेरी 4 गर्ल फ्रेंड्स हैं जो कि मेरे साथ सेक्स करती हैं.

वो मेरी बात को सच मान गईं.

फिर मुझको पता चला कि उनकी शादी के इतने साल हो गए हैं और उनके पति उनके साथ कभी कभार ही सम्भोग किया है. पिछले काफी समय से तो उन्होंने चुदाई की ही नहीं!

मैं बोला- ये तो बड़ा गम्भीर मामला है आंटी.

उन्होंने बोला- हाँ मैं तो सारी कोशिश करती थी, उनका लंड जब घुसता था.. तो अच्छा लगता था मगर क्या करूँ वो अब चुदाई का मजा ही नहीं लेना चाहते हैं.

मैंने उनको लंड और चुदाई की बात बोलते सुना तो मैं समझ गया कि आंटी की चुत चुदाई के लिए फड़क रही है.


मैं आंटी से बोला- मैं आपकी बिस्तर में कुछ हेल्प करूँ?

वो हंस पड़ीं और मेरी बात को टाल गई.


फिर मुझे पता लगा कि आंटी का कोई बॉयफ्रेंड है, उससे आंटी फोन पर बात करती हैं. शायद आंटी उस से चुदती होंगी या चुदवाना चाहती होंगी, इस लिए मुझे कुछ कम भाव दे रही थी.


लेकिन इसके बाद से मुझे आंटी को चोदने की और इच्छा होने लगी. अब जब भी मैं उनके घर जाता, उनके बेटे को कह देता था कि मेरे भाई के साथ खेलने जा ताकि हम दोनों को एकांत मिले और मुझे मौक़ा मिले.


वो जब चला जाता तो मैं कपड़ों के ऊपर से ही उनकी गांड पर लंड फेर देता था. वे भी कुछ नहीं कहती थीं. ये सब मुझको बड़ा अच्छा लगता था.


फिर मेरी मम्मी ने सुबह सुबह 10 बजे से 1.30 दोपहर तक के बाहर जाना शुरू किया. इस दौरान आंटी हमारे घर जानबूझ कर आ जाती थीं, कभी फोन करने का बहाना लेकर आती तो कभी यूं ही मुझसे बात करने की कह कर आ जाती थीं.

यह घटना तब की है जब मोबाइल फोन नए नए आये थे और आम आदमी की पहुँच से बाहर थे. लैंड लाइन फोन भी हर घर में नहीं होते थे.


एक बार जब वो आईं, तो मम्मी बाहर गई थीं. उनको मेरे घर के फोन से अपने फोन की कम्प्लेंट करनी थी. मैंने जान बूझ कर दूसरा खराब वाला फोन लगा दिया था.

फिर उन्होंने बोला- मुझ से नहीं लग रहा, तुम मिला के दो.

फोन मिलाने के बहाने से मैं उनसे चिपट गया.

उन्होंने बोला कि ये इधर अच्छा नहीं लग रहा है, तेरी मम्मी आ सकती हैं.. तू मेरे घर आ जा.

मैंने बोला- कुछ नहीं होगा आंटी थोड़ा करते हैं न!


मगर फिर वो मुझे अपने घर आने की कह कर मेरे घर से चली गईं.


कुछ देर बाद मैं उनके घर गया तो उसके घर पर कोई नहीं था और वो चादर सही कर रही थीं. इस वक्त आंटी डॉगी स्टाइल में थीं, मैं पीछे से उनकी गांड से लग गया. उन्होंने बोला- जल्दी कर ले, कोई मेहमान आने वाला है.

तो मैंने बोला कि बस आज मुझे एक बूंद टपका लेने दो.


फिर उन्होंने कुछ नहीं कहा.


कपड़ों को ऊपर से करके ही मैं उनके साथ सेक्स कर रहा था. कुछ देर चुत चोदने के कल्पना में मेरी बूंदें टपक गई.


उन्होंने बोला- हो गया तेरा काम? अब खुश हो गया?

मैं कुछ नहीं बोला और चला आया.


फिर वो एक बार फोन करने आईं. मैंने उनको गर्म करते हुए बोला कि आप कैजुअल पजामा में अच्छी लगती हो.

वो ब्लैक कलर का पजामा पहन कर आई थीं. उन्होंने मुझे आँख मार कर कुछ करने का इशारा करते हुए फोन उठा लिया.


मैंने आंटी के पजामा के अन्दर हाथ डाल कर उनकी गांड पर हाथ लगाया और चूतड़ों को सहलाने लगा. आंटी ने अपने पैर और खोल दिए तो मैंने आंटी की चूत में उंगली फेर दी.


शायद वो अपने ब्वॉयफ्रेंड से बात कर रही थीं. उन्होंने चुत में उंगली पाकर भी कुछ नहीं बोला. लेकिन मेरी हरकतों से उन्हें कुछ होने लगा.


जब मैंने उंगली चूत के अन्दर घुसेड़ी और उंगली से आंटी की चुत को चोदा तो चुत ने पानी छोड़ दिया. फिर मैंने उंगली बाहर निकाल कर उनके सामने ही चाट लिया.

वो बोलीं- तुमने अपनी उंगली क्यों चाट ली?

मैंने बोला- कोई बात नहीं, आई लव यू आंटी.


वो मुस्कुरा दीं तो मैं उनको चूमने लगा. आंटी ने मुझे अपनी बांहों में ले लिया. कुछ देर बाद मैंने उनके कपड़े उतारे और ब्रा का हुक खोल दिया. मैंने उनको गोद में लेकर बेड पर पटक दिया मगर मेरी किस्मत ने साथ नहीं दिया, उनका छोटा बेटा आ गया, वो बाहर से दरवाजे खड़का रहा था. हम दोनों ने कपड़े पहन लिए, उन्होंने मुझसे सॉरी बोला.

मैंने उनके होंठ चूम लिए.


फिर कुछ दिन बाद मेरे पेरेंट्स को 5 दिन के लिए आउट ऑफ़ स्टेशन जा पड़ा. मैं उनके साथ नहीं गया था. तो मॉम मेरी देखभाल के लिए आंटी को बोल गई थीं कि ख्याल रखना.

मैं उनके घर नहीं जा सकता था क्योंकि उनकी विवाहिता ननद आई हुई थीं.


पता नहीं आंटी को क्या हुआ… आंटी ने एक रात को खुद से फोन करके कहा कि मैं उनके घर आ जाऊं. मैं घर गया तो उन्होंने ब्लैक कलर का गाउन पहना था. आंटी ने मुझे अपने कमरे में आने को कहा, मैं चला गया.

आंटी कमरे में आईं, मैंने दरवाजा बंद किया. बस हम दोनों लग गए. मैंने उनके कपड़े उतारे और हम दोनों नंगे हो गए थे.


मैंने पहले उनके मम्मों को चूसा, फिर उनको लंड चुसवाया. पूरे रूम में लंड के रस की महक फ़ैल गई. उनकी चूत में से टप टप करके रस निकल रहा था. मैंने उनकी चुत में अपना मुँह लगा दिया और चुत रस को चाटने लगा.


मैंने फिर चुत में लंड घुसाया, वो चीख पड़ीं और मुझ को कस के पकड़ लिया.

आंटी बोलीं- आज तुम सब कर दो..


मैंने आंटी की चुत में पूरा लंड घुसाना शुरू किया. चुत गीली हो गई थी और फच्च फच्च की आवाज आ रही थी. हम चुदाई करते हुए एक दूसरे को किस करने में लगे हुए थे.


आंटी की चुत चुदाई के बाद फिर मैंने जब गांड चोदने के लिए उनको घुमाया तो पता चला कि उसकी ननद खिड़की से हम दोनों को देख रही है और अपने मम्मों को दबा रही है.

एक बार तो मैं डर गया लेकिन फिर जब देखा कि खुद चुदासी हो रही है तो मैंने उसको भी अन्दर बुला लिया. वो अंदर आ गई, आंटी उसे देख कर हड़बड़ा गई. लेकिन जब देखा कि उनकी ननद भी चुदने को आतुर हो रही है तो आंटी ने पहले तो अपनी गांड को बुरी तरह से चुदवाया फिर हमने मिल कर आंटी की ननद की चुत का भी चोदन कर दिया.


मैंने आंटी की ननद की चुत चाटी, वो चिल्ला रही थी, फिर खूब जम के सेक्स किया और माल उसकी चुत में ही छोड़ दिया. आंटी को लगा कि वो कहीं प्रेग्नेंट ना हो जाए. उन्होंने ननद को सलाह दी कि तू अपने पति के साथ बिना कंडोम के सेक्स कर लेना ताकि उसको कोई शक न हो.


फिर अगली बार जब आंटी की ननद का बच्चा हुआ और वो अपने बच्चे को लेकर आंटी के घर आई तो मैंने उसका दूध पिया और उसे खूब चोदा.

ये सब दो साल से अब तक चल रहा है. इसके बाद आंटी ने अपनी बहन को भी मुझसे चुदवाया. उनके यहाँ एक नौकरानी आती थी, उसके साथ भी सेक्स करवाया और इसी तरह हम सेक्स करते रहे.


अब भी आंटी और मैं खूब मजा करते हैं. मेरी पड़ोस की आंटी और उसकी ननद की चुदाई  सेक्स कहानी कैसी लगी

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नौकरानी की जवान गुलाबी चूत से रस निकाला

में विजय आज आपको बताने जा रहा हूँ की कैसे मैंने अपनी नौकरानी को चोदा। यह काम आप भी कर सकते हैं बस आपको लड़की की चूत में खुजली जगाना आना चाहिए.


मेरे घर में उलूल-जुलूल नौकरानियों के बाद एक दिन बहुत ही सुन्दर नौकरानी काम करने के लिए आई. वह बहुत ही खूबसूरत थी. सुन्दर होने के साथ-साथ वह सेक्सी भी लग रही थी. उसकी हाइट मीडियम थी, बदन सुडौल था. उसका फीगर 33-26-34 का रहा होगा. वह शादीशुदा भी थी.


उस नौकरानी को देखकर मुझे उसके पति से मन ही मन जलन होना शुरू हो गई थी. उसका पति मुझे बहुत ही किस्मत वाला लग रहा था कि जिसके पास ऐसी सेक्सी बीवी है. मुझे पूरा यकीन था कि वह साला इस सेक्सी नौकरानी को खूब चोदता होगा. उसके बूब्स ऐसे थे कि देखते ही मन करता था बस यहीं पर दबा दो इनको.


वह अपनी चूचियों को साड़ी से कितना भी ढकने की कोशिश करती लेकिन उसके बूब्स कहीं न कहीं से बाहर आकर दिखाई देने लगते थे. वह बहुत कोशिश करने के बाद भी अपनी चूचियों के ऊपर की दरार को छिपा नहीं पाती थी. जब मैंने उसकी दरार को तिरछी नजर से देखा तो पता चला कि उसने तो अंदर ब्रा भी नहीं पहनी थी.


शायद हो सकता था कि उसको लगता हो कि ब्रा पर बेकार ही पैसे क्यों खर्च किए जाएं. जब वह ठुमकती हुई चलती थी तो उसके चूतड़ हिलते थे और हिलते हुए ऐसे लगते थे जैसे कह रहे हों कि मुझे पकड़ो और दबा दो. अपनी पतली सी साटिन की साड़ी को जब वह चूत के पास से पकड़ कर संभालती हुई चलती थी तो मन करता था कि काश मैं भी इसकी चूत को छू सकूँ. काश मैं इसके मम्मों को दबा सकूँ. काश मैं इसकी चूचियों को चूस सकूँ. साथ ही साथ मेरा बहुत दिल करता था कि मैं इसकी चूत को चूसते हुए जन्नत का मजा ले सकूँ. इसकी चूत में अपना लंड डालकर उसको चोद सकूँ. मेरा लंड भी मानता ही नहीं था.


उसकी चूत में घुसने के लिए मेरा लंड बेकरार रहता था. मगर मैं सोचता था कि मेरा ये सपना पूरा हो तो हो कैसे? वह साली तो मेरी तरफ देखती भी नहीं थी. वह बस अपने काम से ही मतलब रखती थी. काम करने के बाद ठुमकती हुई वापस चली जाती थी. मैंने भी कभी उसको अहसास नहीं होने दिया कि मेरी नज़र उसकी चूत पर है और मैं उसको चोदने के लिए इतना बेताब रहता हूँ. मगर मुझे किसी न किसी तरह उसकी चूत को चोदना ही था. मैंने सोच लिया था कि इसको किसी न किसी तरह गर्म करके ही यह सब संभव हो सकता है.


मगर यह सब मुझे धीरे-धीरे करना होगा. अगर ये नाराज हो गई तो मेरा सारा भांडा फूट जाएगा. कुछ दिन के बाद मैंने उसके साथ बहाने से बातें करना शुरू कर दिया. उसका नाम था आरती. मैंने एक दिन उसको चाय बनाने के लिए कह दिया. जब उसने अपने नर्म हाथों से मुझे चाय पकड़ाई तो मेरा लंड तो जैसे उछल ही गया. मैंने चाय पीते हुए उससे कहा- आरती तुम तो चाय बहुत अच्छी बना लेती हो.

उसने कहा- हां, बाऊजी, चाय तो मैं बना ही लेती हूँ.


उसके बाद मैंने आरती से हर रोज ही चाय बनवाना शुरू कर दिया. फिर एक दिन जब मैं ऑफिस जा रहा था तो मैंने आरती को अपनी शर्ट प्रेस करने के लिए दे दी.

मैंने कहा- तुम तो प्रेस भी अच्छी कर लेती हो.


इस तरह से जब मेरी बीवी मेरे आस-पास नहीं होती थी तो मैं आरती से बातें करना शुरू कर देता था.

मैंने पूछा- आरती, तुम्हारा पति क्या करता है?

वह बोली- एक मिल में काम करता है मेरा आदमी.

मैंने कहा- कितने घंटे की नौकरी होती है उसकी?

उसने कहा- 10-12 घंटे तो लग ही जाते हैं और कई बार तो रात को भी ड्यूटी लगा देते हैं.

मैंने कहा- तुम्हारे बच्चे कितने हैं?

उसने शर्माते हुए जवाब दिया- अभी तो मेरे पास एक लड़की ही है 2 साल की.


मैंने पूछा- तो क्या तुम उसको घर में अकेली ही छोड़कर आ जाती हो?

उसने कहा- नहीं, मेरी एक बूढ़ी सास है. वह उसकी देखभाल कर लेती है.

मैंने पूछा- तुम कितने घरों में काम करती हो?

उसने कहा- साहब, बस एक आपके घर में काम करती हूँ और एक नीचे वाले घर में काम करने जाती हूँ. मैंने फिर पूछा- तो क्या तुम दोनों का गुजारा हो जाता है?

उसने कहा- साहब हो तो जाता है लेकिन बड़ी मुश्किल से ही काम चल पाता है. मेरा आदमी शराब में बहुत सारे पैसे बर्बाद कर देता है.

अब मेरे काम की बात यहाँ से शुरू हो गई थी.

मैंने आरती से कहा- ठीक है, कोई बात नहीं. अगर तुम चाहो तो मैं तुम्हारी मदद कर सकता हूँ.


आरती ने मुझे अजीब सी नजरों से देखा.

उसने कहा- क्या मतलब है आपका?

मैंने कहा- अरे, मेरा मतलब है कि तुम अपने आदमी को मेरे पास ले आओ, मैं उसको समझा दूंगा.

उसने कहा- ठीक है साहब. कहते हुए उसने एक लम्बी और गहरी सांस ली.

इस तरह हम दोनों के बीच ये बातों का सिलसिला काफी दिनों तक चलता रहा और धीरे-धीरे बातों के सहारे मैंने आरती के मन में से उसकी झिझक को कम करने की कोशिश की.


एक दिन मैंने शरारत भरे लहजे में कहा- तुम्हारा आदमी तो पागल ही होगा. इतनी सुंदर बीवी होते हुए भी वह शराब पीता है.

दोस्तो, औरतें काफी समझदार होती हैं. आरती भी मेरा इशारा शायद समझ गई थी लेकिन उसने अपनी नाराजगी का मुझे जरा सा भी अहसास नहीं होने दिया. मुझे भी थोड़ा हिन्ट मिल गया था कि यह भी तैयार हो जाएगी. अगर मुझे मौका मिले इसे दबोचने का तो यह शायद चुदवा भी लेगी.


वो कहते हैं न कि भगवान के घर देर है मगर अंधेर नहीं है. एक दिन मेरे पास भी मौका आ ही गया. रविवार का दिन था. मेरी बीवी एक दिन पहले ही मायके चली गई थी. वह हमारे दोनों बच्चों को भी साथ में लेकर गई थी. मेरे बीवी ने कहा था कि अगर आरती आए तो घर का काम ठीक से करवा लेना. सुबह से ही मेरे मन लड्डू फूटने लगे थे और मेरा लंड फुदकने लगा था. मैं बार-बार आरती के बारे में ही सोच रहा था.


कुछ देर के बाद आरती घर में आ गई. उसने दरवाजा बंद कर दिया और अपने काम पर लग गई. इतने दिनों की बात-चीत के बाद हम दोनों अब आपस में काफी खुल भी गए थे. आरती को मेरे ऊपर भरोसा भी हो गया था. इसलिए शायद उसने मेरे बिना कहे ही दरवाजा बंद कर दिया था. मैंने सोचा कि अगर आज मैंने पहल नहीं की तो यह फिर कभी हाथ नहीं आएगी. बात मेरे हाथ से निकल जाएगी. फिर मैंने सोचा कि पहल मैं करूं कैसे? फिर दिल में ख्याल आया कि पैसे की बात ही कर लेता हूँ.

मैंने कहा- आरती, अगर तुम्हें पैसों की जरूरत हो तो मुझे बता देना. जरा सा भी झिझकना नहीं.

आरती ने कहा- साहब, क्या आप मेरी पगार काटने वाले हैं?

मैंने कहा- अरे नहीं पगली, अगर तुझे अगर कुछ फालतू पैसों की जरूरत हो तो मुझे बता देना. मैं तुम्हारी मदद करने के लिए तैयार हूँ. मैं इस बारे में अपनी पत्नी को भी कुछ नहीं बताऊंगा. लेकिन एक वादा तुमको भी करना होगा कि तुम भी इस बारे में मेरे बीवी से कुछ नहीं कहोगी.

इतना कहकर मैं आरती के जवाब का इंतजार करने लगा.

आरती ने कहा- मैं क्यों बताने लगी आपकी बीवी को?


उसके मुंह से यह जवाब सुनकर मैं खुश हो गया. मेरा तीर एकदम सही निशाने पर जाकर लगा था.

मैंने कहा- तुम खुश हो जाओ अब.

वह बोली- हां साहब, इससे मुझे काफी आराम हो जाएगा.

मैंने कहा- आरती, मैंने तुम्हें खुशी दे दी. क्या तुम नहीं चाहती कि मैं भी खुश हो जाऊं? मगर उसके लिए तुमको अपना मुंह बंद रखना होगा.

कहते हुए मैंने आरती के हाथ में पांच सौ रुपये का नोट थमा दिया.


आरती ने पूछा- क्या करना होगा मुझे साहब?

मैंने कहा- पहले तुम अपनी आंखें बंद कर लो. अगर तुमने आंखें खोल दीं तो तुम शर्त हार जाओगी.

मेरे कहने पर आरती ने आंखें बंद कर लीं और मेरे सामने ही खड़ी रही. मैंने देखा कि आरती के गाल लाल हो रहे थे और उसके होंठ कांपने लगे थे.

मैंने फिर कहा- जब तक मैं ना कहूँ तब तुम्हें अपनी आंखें नहीं खोलनी हैं.

वह बोली- ठीक है साहब.


आरती शरमा रही थी और वहीं पर चुपचाप खड़ी हुई थी. उसने अपने दोनों हाथों को अपनी जवान चूत के सामने लाकर बांध रखा था. जैसे उसको छिपाने की कोशिश कर रही हो.

पहले मैंने आरती के माथे पर हल्का सा चुम्बन किया. अभी तक मैंने उसको अपने हाथों से नहीं छुआ था. वह चुपचाप आंखें बंद करके खड़ी हुई थी. फिर मैंने उसकी पलकों पर हल्के से चुम्बन किया. उसकी आंखें अभी भी बंद ही थीं. फिर मैंने आहिस्ता से उसकी आंखों को चूमने के बाद उसके गालों को भी धीरे से चूम लिया. इतनी ही देर में मेरा लंड तन गया था और मेरे कपड़ों के अंदर लोहे की तरह सख्त होकर खड़ा हो गया था.

उसके बाद मैंने आरती की ठुड्डी पर किस कर दिया.


अबकी बार आरती ने अपनी आंखें खोलने की कोशिश की लेकिन मैंने उसको पहले ही बोल दिया कि अगर उसने आंखें खोलीं तो वह शर्त हार जाएगी और इसलिए अभी अपनी आंखों को बंद ही रखे. उसने झट से आंखें बंद कर लीं.


अब मैं भी समझ गया था कि उसको तैयार करने में मुझे ज्यादा मेहनत नहीं करनी पड़ेगी. अब मुझे बस उसको तैयार करना था, उसकी चूत की चुदाई का मजा लेना था. अबकी बार मैंने उसके कांपते हुए होंठों पर एक किस कर दिया.

मैंने अभी भी उसको अपने हाथों से टच नहीं किया था. उसके बाद आरती ने फिर आंखें खोलीं और मैंने अपने हाथों से ही उसकी पलकों को बंद कर दिया.

अब मैं थोड़ा और आगे बढ़ा, मैंने उसके हाथों को अपने हाथों में लेकर अपनी कमर के दोनों तरफ रखवा दिया. फिर मैंने आरती को अपनी बांहों में लपेट लिया और उसके होंठों पर अपने होंठ रखकर उसको चूसने लगा. उसके होंठ नहीं बल्कि शराब के प्याले थे. उसके दोनों हाथ मेरी पीठ पर फिरने लगे थे. इधर मैं उसके गुलाबी होंठों को चूसकर उनका रस पीने में लगा हुआ था. बहुत मजा आ रहा था. मेरी तमन्ना पूरी हो रही थी.


तभी मुझे महसूस हुआ कि उसकी चूचियां मेरे सीने पर दबाव बना रही हैं. उसकी चूचियां तनकर टाइट हो चुकी थीं. फिर मैंने उसकी साड़ी के पल्लू को नीचे गिरा दिया और आरती को अपनी तरफ खींचते हुए उसके होंठों को जोर से चूसना शुरू कर दिया. उसकी चूचियां तो जैसे मलाई थी. अब मेरा लंड बहुत जोर से फुदकने लगा था. फिर मैंने आरती के चूतड़ों अपनी तरफ खींच कर अपने हाथों से दबाना शुरू कर दिया. मेरा लंड उसके बदन से सट गया. मैं आरती के शरीर पर अपने लंड को महसूस करवाना चाहता था.


दोस्तो, शादीशुदा लड़की को चोदना बहुत आसान होता है. इसका एक कारण यह है कि उन्हें सब कुछ पहले से ही पता होता है. इस तरह की लड़कियाँ घबराती नहीं हैं.

आरती ने नीचे से ब्रा नहीं पहनी थी. उसके ब्लाउज के बटन पीछे की तरफ थे. मैंने अपने हाथ को पीछे की तरफ ले जाकर उसके ब्लाउज के बटन को टटोला और फिर आराम से उनको खोलना शुरू कर दिया. मैंने अपने दोनों हाथों का इस्तेमाल करते हुए उसके ब्लाउज के बटनों को खोलकर उसके ब्लाउज को उतार फेंका. उसकी चूचियां तो पहले से ही तनी हुई थीं इसलिए खोलते ही उछल कर मेरे हाथों में आ गईं.


उसकी चूचियां वैसे तो कड़क थीं लेकिन मलाई की तरह मुलायम भी थी. फिर मैंने उसकी साड़ी को उतारना शुरू कर दिया. मैंने हल्के से उसकी साड़ी को खींचते हुए आरती को अपने बेड की तरफ ले जाना शुरू कर दिया. जब मैं उसको लेकर बेड के पास पहुंच गया तो मैंने उसको वहां पर आराम के साथ लिटा दिया.


मैंने कहा- आरती, अब तुम आंखें खोल सकती हो.

आरती ने कहा- आप बहुत ही रसीले हो साहब. यह कहकर आरती ने फिर से आंखें बंद कर लीं.

मैंने भी झट से अपने कपड़े उतारने शुरू कर दिये. जल्दी ही मैं भी नंगा हो गया.


मेरा लंड उछल-उछल कर दर्द करने लगा था. मैंने उसके पेटीकोट को जल्दी से खोला तो देखा कि उसकी चूत बिल्कुल नंगी थी. उसने नीचे कच्छी भी नहीं पहनी हुई थी.

मैंने कहा- आरती, तुम्हारी चूत तो बिल्कुल नंगी है. क्या तुम कच्छी नहीं पहनती हो?

उसने मेरी इस बात का जवाब दिये बिना ही कहा- साहब, बहुत रौशनी आ रही है. पर्दे बंद कर दो ना.

मैंने उठकर पर्दों को खींच दिया और रूम में थोड़ा अंधेरा हो गया. उसके बाद मैं तुरंत वापस आकर आरती के ऊपर लेट गया.


मैंने आरती के होंठों कस कर चूम लिया और उसकी चूचियों को दबाने लगा. फिर मैंने उसकी चूत पर अपना हाथ फिराया. उसकी चूत पर घुंघराले से बाल थे. मुझे उसकी चूत के बाल बहुत अच्छे लग रहे थे. फिर मैंने उसकी चूची को मुंह में ले लिया और उसको पीने लगा. बहुत ही अच्छा लग रहा था मुझे.

उसके बाद मैंने अपनी एक उंगली को उसकी चूत की दरार पर लगा दिया. फिर उसकी बुर में घुसा दिया. उसकी चूत में मेरी उंगली ऐसे घुस गयी जैसे मक्खन में छुरी घुस जाती है. उसकी चूत बहुत गर्म और गीली हो चुकी थी. उसके मुंह से सिसकारियाँ निकलना शुरू हो गई थीं. उसकी सिसकारियाँ मुझे और भी मस्ती से भर रही थी.

मैंने कहा- आरती रानी, अब क्या करना है?

वह बोली- साहब, अब और मत तड़पाइये. अब बस कर दीजिए.

मैंने कहा- नहीं, ऐसे नहीं. जान कहकर बुलाओ.


उसने मुझे अपने करीब खींचते हुए कहा- साहब कर दीजिए, अब मत तड़पाओ.

मैंने कहा- नहीं, ऐसे नहीं.

वह बोली- साहब डाल दो न.

मैंने कहा- क्या डाल दूँ? मैंने शरारत करते हुए पूछा.

मुझे उसके मुंह यह सब सुनना बहुत मजा दे रहा था. वह बार-बार डालने की बात कह रही थी लेकिन मैं उसके मुंह से पूरी बात सुनना चाहता था.

वह बोली- यह लंड मेरे अंदर डाल दो ना साहब … उसने मेरे होंठों से अपने होंठ चिपका दिये. मैंने भी उसकी चूचियों को दबाते हुए उसके होंठों को चूसना शुरू कर दिया.

मैंने कहा- हाँ, मेरी रानी, अब यह लंड तुम्हारी चूत में अंदर जाएगा. कहो तो चोद दूँ तुमको?

वह बोली- हाँ साहब, मुझे चोद दीजिए.


आरती काफी गर्म हो चुकी थी. अब मैंने उसकी चूत के ऊपर अपने लंड को रख दिया. एक झटका दिया और लंड को उसकी चूत के अंदर घुसा दिया. उसके बाद मैंने अपने हाथों से उसकी चूचियों को दबाना शुरू कर दिया. कभी उसके होंठों को, तो कभी उसके गालों को चूमते हुए उसको चोदना शुरू कर दिया. मैं आरती को चोदने में मशगूल हो गया.


मेरा मन कर रहा था कि उसको चोदता ही रहूँ. वह भी मेरे लंड से उछल-उछल कर चुदवा रही थी.

उसने कहा- साहब, आप तो बड़ी ही मस्त चुदाई कर रहे हैं. आह्ह् … आप बस मुझे चोदते ही रहिए. मुझे बहुत मजा आ रहा है. ओह्ह …


धीरे-धीरे आरती के हाथ मेरी पीठ पर कसने लगे थे. उसने अपनी टांगें मेरे चूतड़ों पर लपेट दी थीं. साथ ही साथ वह नीचे से अपनी गांड को भी उछाल रही थी. वह चुदवा रही थी और मैं मजे से उसको चोद रहा था.

मैंने कहा- आरती रानी, तुम्हारी यह चूत तो मेरे लंड से चुदने के लिए ही बनी है. बहुत ही मस्त चूत है तुम्हारी. बहुत मजा दे रही है. बता ना, कैसी लग रही है मेरी चुदाई. मेरे लंड को लेकर कितना मजा आ रहा है मेरी रानी?

वह बोली- आप बस चोदते रहिए. बहुत मजा आ रहा है. आह्ह् … ओह्ह .. उफ्फ … उम्म …


इस तरह से हम दोनों बातें करते हुए बहुत देर तक चुदाई का मजा लेते रहे. उसके बाद अचानक ही हम दोनों एक साथ झड़ गए. लेकिन मेरा मन तो अभी भी नहीं भरा था. 20 मिनट के बाद मैंने अपना लंड फिर से उसके मुंह में डाल दिया और उसको चुसवाने लगा. अब हम दोनों 69 की पोजीशन में आ गए थे. जब वह लंड चूस रही थी तो मैं उसकी चूत को अपनी जीभ से चोद रहा था. वैसे दूसरी औरत को चोदने का मजा ही कुछ और होता है यारो.

बल्कि दूसरी बार तो उसको चोदने में और भी ज्यादा मजा आया मुझे. इतना मजा आया कि मैं बता ही नहीं सकता. इस बार लंड ने भी मेरा बहुत देर तक साथ दिया. मेरे लंड को झड़ने में बहुत समय लगा. मैं उसको भरपूर मजा देता रहा.

फिर जब हम थक गए तो वह अपने कपड़े पहनने लगी.


मैंने कहा- आरती रानी, अब तुम चुदवाती रहना मुझसे.

वह बोली- आपने तो बहुत मस्त चुदाई की है साहब. मैं तो अब आपके ही लंड से चुदवाती रहूंगी. चाहे आप मुझे पैसे भी मत देना लेकिन अपने लंड से ही मेरी चूत को चोदना.


उसके बाद मैंने उसकी चूचियों को हल्के से दबा दिया और उसके हाथों को सहलाने लगा.

फिर मैंने आरती को अपने पास बेड पर लेटा लिया और बहुत देर तक उसके होंठों को चूसता रहा.


अब जब भी मौका मिलता है मेरी नौकरानी अपनी चूत चुदवाने के लिए तैयार हो जाती है.

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भाभी की वासना को देवर ने मोटे लंड से चोद कर शांत किया

सभी दोस्तों को मेरा नमस्कार! मैं आयुष, ग्वालियर मध्यप्रदेश में रहता हूँ. अन्तर्वासना पर ये मेरी पहली कहानी है, होने वाली गलतियों के लिए माफ़ करें।


सभी भाभियों और कुंवारी लड़कियों को मेरा खड़े लंड से नमस्कार. मेरी 32 साल का हूँ और मेरी बीवी की उम्र 30 साल है. मेरा लंड साढ़े छह इंच लम्बा है. मैं जबरदस्त चुदाई करता हूँ. इस कहानी में आपको मेरे पहले सेक्स कहानी बड़ी भाभी के साथ चुदाई की पढ़ने को मिलेगी, इसलिए आप अपने लंड को थाम कर तैयार रहिए. लड़कियां भी अपनी चूत में उंगली या खीरा वगैरह डाल कर मजा ले सकती हैं.


मैंने अपनी बड़ी भाभी को अठारह साल की उम्र में चोदा था, तब से अभी तक बहुत औरतों को चोद चुका हूँ. उन सभी चुदाइयों की कहानी मैं बाद में लिखूंगा.


मैंने बारहवीं तक की पढ़ाई गांव में रहकर की है. वहां पर मेरे ताऊ के चार लड़के और उनकी दो बहुएं रहती हैं. ये कहानी उनकी बड़ी बहू की है, जिनको मैंने चोदा था. हम सब जॉइंट फैमिली में रहते हैं.


यह बात तब की है, जब मैं पूरा जवान हो गया था और स्कूल में पढ़ता था. मेरी बड़ी भाभी थोड़ी सांवली हैं, लेकिन छोटी भाभी बहुत गोरी हैं. बड़ी भाभी भले ही सांवली हैं, लेकिन वो बहुत सेक्सी हैं. उनका फिगर 34-28-36 का रहा होगा. वो इतनी अधिक चुदक्कड़ हैं कि अगर किसी दिन वो ना चुदें, तो उनको चैन नहीं आता था. मैं अक्सर उनकी चुदाई की सिसकारियां उनके रूम से सुनता था. तब मेरा मन उनकी चुदाई देखने का बहुत करता था. आख़िर भगवान ने एक दिन मेरी सुन ली और मुझे उनकी चुदाई देखने का मौका मिल गया.


उस दिन इंडिया का मैच आ रहा था. मैं उनके रूम में टीवी देख रहा था. लेकिन भाभी को चुदास लगी थी. वो मुझसे बार बार पूछ रही थीं- कब तक देखोगे, टीवी बंद कर दो.

कुछ देर बाद जब मैच ख़त्म हो गया, तो मैं वहां से आ गया. उनके रूम के बाहर ही आंगन में मेरा बिस्तर लगा था, तो मैं वहीं लेट गया.


मेरे लेटते ही भाभी ने भैया को अन्दर ले लिया और गेट लगा लिया. थोड़ी देर बाद उनकी चूड़ियों और पायलों की झनकार मुझे सुनाई देने लगी. मैं समझ गया ज़रूर भाभी अन्दर चुद रही होंगी. मेरी नींद उड़ गई और मेरा लंड खड़ा हो गया. मैं उनकी चुदाई देखने के लिए उनके गेट पर खड़ा हो गया.


मैं गेट की झिरी में से झाँक कर देखा, तो आआआअ हह ओह हाय क्या नज़ारा था अन्दर का … भाभी ज़मीन पर दोनों पैर हवा में उठाए हुए खोल कर चित लेटी थीं और भैया उनके ऊपर चढ़े थे. भैया का लंड भाभी की चूत में था. भाभी की दोनों टांगें हवा में लहरा रहीं थीं. भाभी के दोनों पैर ठीक दरवाजे के सामने थे, जिससे उनकी चूत में लंड साफ़ साफ आता जाता हुआ दिख रहा था. जिंदगी में पहली बार किसी को ऐसे चुदते हुए देखा था, तो दिल जोर जोर से धड़क रहा था. लंड में जोश ही जोश भरा हुआ था.


ऊओह क्या बताऊं दोस्तो … क्या रंगीन नज़ारा था. उस अनुभव को शब्दों में कह पाना मुश्किल था. जैसे ही भैया जोर से कमर से शॉट मारते, लंड घप से भाभी की चूत में घुस जाता और भाभी के मुँह से जोरदार आह निकलती और पायल की आवाज़ आती. उस समय भाभी के चेहरे पर दर्द और मज़े की अलग ही झलक दिखती. हर झटके पर उनका मुँह खुला का खुला रह जाता.


भाभी ‘उम्म्ह… अहह… हय… याह…’ ऐसे चीख रही थीं. उधर भाभी चुद रही थीं, इधर मेरी हालत खराब हो रही थी. जब तक भाभी की चुदाई चली, तब तक मेरा दो बार पानी निकल चुका था. जब भैया का पानी भाभी की चूत में निकल गया, तो भाभी शांत पड़ी रह गईं और भैया उनके ऊपर से हट गए.


भाभी ऐसे ही टांगें फैलाए लेटी थीं. मुझे उनकी चूत साफ़ साफ दिख रही थी. उनकी चूत से भैया का पानी बह रहा था और भाभी की सांसें फूल रही थीं. दिल कर रहा था कि मैं उनके ऊपर चढ़ जाऊं. लेकिन फिर मैंने देखा भाभी उठी ही नहीं, यूं ही चूत पसारे लेटी ही रहीं.


फिर कुछ देर बाद भैया ने उनको हाथ पकड़ कर उठाया, तो मैं समझ गया कि भाभी की चूत कुछ ज्यादा ही चुद गई थी, जिससे भाभी चल नहीं पा रही थीं. फिर दोनों बाहर आने के लिए कपड़े पहन कर खड़े हो गए.


मैं जल्दी से अपने बिस्तर पर आकर लेट गया और आंखें बंद कर लीं, जिससे उनको लगे मैं सो रहा हूँ.


ये गर्मी का समय था, इसलिए सब लोग बाहर ही सोते थे. भाभी की चारपाई मेरे बगल में ही बिछी थी. उसके बाद भैया नीचे ज़मीन पर सो गए. हम सब आंगन में ही सोते थे.


चुदी हुई भाभी मेरे बगल में आकर सो गईं, लेकिन मेरी आंखों से नींद कोसों दूर थी.


जब रात के डेढ़ बजे, तो सब लोग गहरी नींद में थे. भाभी भी सो रही थीं. मैंने सोचा भाभी तो चुद कर थक गई हैं, इसलिए मैंने धीरे से भाभी के ऊपर हाथ फेरना चालू किया. जब कुछ हरकत नहीं हुई … तो मेरी हिम्मत और बढ़ गई. मैंने धीरे धीरे भाभी की साड़ी उनके पैरों से ऊपर खिसकाना चालू की. जब पूरी टांगें नंगी हो गईं, तो मेरे हाथ कांप रहे थे. ये सब मेरी लाइफ में पहली बार हो रहा था. जब उनकी चूत मेरे सामने आई.


ओह हाय क्या बताऊं … क्या नज़ारा था कितनी मुलायम रबड़ी सी चूत भाभी बिल्कुल खुली पड़ी थी. उनकी चूत पर हल्के बाल भी थे. मैंने भाभी की चूत पर हाथ फेरना चालू किया और फिर धीरे से एक उंगली उनकी चूत में सरका दी. बड़ी ही रसीली और चिकनी चूत थी. बड़े आराम से सुप्प से मेरी उंगली उनकी चूत में चली गई.


फिर जब मेरी हिम्मत और बढ़ी, तो मैंने भाभी की चुत में अपनी दो उंगलियां अन्दर कर दीं और उनको अन्दर बाहर करने लगा. मैं बहुत देर तक बड़ी भाभी की चूत में दोनों उंगलियां चलाता रहा और अपना लंड हिलाता रहा. मुझे बहुत मज़ा आ रहा था. भाभी के पैर धीरे धीरे खुलते जा रहे थे, उनकी चूत रस से भीग चुकी थी. मेरी दोनों उंगलियां सटासट अन्दर बाहर हो रही थीं.


लेकिन तभी अचानक से भाभी उठ कर बैठ गईं. मेरी तो हालत खराब हो गयी और मैं जल्दी से अपने बिस्तर में लेट गया. मैं धड़कते दिल से चुपचाप सो गया. सुबह भाभी बहुत गुस्से में थीं. मैं उठ कर सीधा घर से बाहर निकल गया और अपने चाचा के घर चला गया. मैंने खाना भी वहीं खाया, वहीं बना रहा.


मैं चार दिन तक घर ही नहीं आया. मेरी डर के मारे भाभी के सामने आने की हिम्मत नहीं हो रही थी.


जब कुछ समय बीता, तो कुछ सामान्य हुआ. उस दिन मैं जब चाची के यहां नहा रहा था, तो भाभी छत पर आईं.

भाभी मुझसे बोलीं- क्यों … घर क्यों नहीं आ रहे हो?

तो मैंने कुछ नहीं कहा.

भाभी फिर से बोलीं- घर आओ तुमसे बात करनी है.


मैं डरते हुए घर गया. जब भाभी के पास गया तो भाभी बोलीं- इतना क्यों डर रहे हो, मैंने तुमसे कुछ कहा क्या?

तो मुझे थोड़ी राहत की सांस मिली.


फिर मैं घर रहने लगा. लेकिन भाभी को चोदने की तड़प अब और बढ़ गई थी.


आख़िर वो दिन भी आ गया, जब भाभी की चूत से मेरे लंड का मिलन हुआ.


वो एक तूफ़ानी रात थी. मैं उस दिन भाभी के रूम में उनके बेड पे लेटा हुआ टीवी देख रहा था. फिर अचानक मेरी आंख लग गई और टीवी देखते हुए मुझे नींद आ गई. सच में दोस्तो, ये कोई बहाना नहीं था, आज मुझे हक़ीकत में नींद आ गई थी. मेरी किस्मत थी कि मैं भैया के बेड पर ही सो गया. भाभी बगल में चारपाई पर लेट गईं, जिससे भैया बाहर जाकर और लोगों के साथ सो गए. मेरी किस्मत देखो उस दिन भाभी के साथ में उनके ही रूम में सो रहा था. रात को जब बादल गरजे और आंधी सी आई, तो मेरी आंख खुल गई.


मैंने देखा, तो आंधी की वजह से लाइट चली गई थी. रूम में अंधेरा हो गया था. बस बिज़ली की चमक ही अन्दर आ रही थी, जिससे कभी कभी थोड़ी रोशनी हो जाती थी.


मैंने देखा भाभी और मैं एक ही रूम में और अंधेरा भी था. मेरा मन डोल गया. मैंने सोचा आज तो भाभी को चोद ही दूँगा. अगर आज नहीं चोद पाया, तो कभी नहीं चोद सकूंगा.


मैंने धीरे से भाभी के ऊपर हाथ रखा पहले उनके होंठों पर, फिर मम्मों पर हाथ फेरा. फिर मम्मों को खूब मसला. जब भाभी कुछ नहीं बोलीं, तो मैं उनकी चूत को सहलाने लगा. जब वो चूत सहलाने पर भी शांत रहीं, तो मैंने उनकी साड़ी ऊपर कर दी और उनकी चूत को नंगा करके उसमें एक उंगली डाल दी.


उनकी चूत भट्टी सी गर्म थी. मैंने दो उंगलियां डाल दीं. अब भाभी ने भी अपने दोनों पैर खोल दिए और उनकी चूत रस से सराबोर हो गयी.

मैं बहुत देर उनको रगड़ता रहा, कभी चुची … तो कभी चूत.


आख़िर भाभी को बोलना ही पड़ा और वो बोल उठीं- तुम शांत नहीं लेट सकते, रात भर से परेशान कर दिया, ना सो रहे हो ना सोने दे रहे हो. आज तेरे कारण न तेरे भैया ने कुछ किया … 


बस भाभी ने इतना ही बोला था कि मैं उठ कर उनकी चारपाई पर पहुँच गया और उनके ऊपर चढ़ गया.

मैं बोला- अब बर्दाश्त नहीं हो रहा, एक बार चुदवा ही लो.

तो भाभी हँस कर बोलीं- हट पागल …


उनके ये शब्द मुझको और तड़पा गए. मैंने उनको जोर से दबोच लिया और उनके होंठ अपने होंठों में लेकर कसके चूसने लगा.


फिर भाभी ने मुझे धक्का दिया और बोलीं- छोड़ो मुझे कोई आ जाएगा, तुम्हारे भैया आ जाएंगे.

मैंने कहा- कोई नहीं आएगा भाभी … बस एक बार जल्दी से चुदवा लो.

भाभी मान गईं और बोलीं- ठीक है, चलो पलंग पर चलो.


मैं खुशी खुशी पलंग पर पहुँच गया और भाभी अपनी चारपाई पर उठ कर बैठ गईं. उन्होंने एक बार बाहर देखा कोई है तो नहीं, फिर मेरे पास पलंग पर आ गईं. जैसे ही वो मेरे बगल में लेटीं, मैं उन पर भूखे भेड़िए की तरह टूट पड़ा.


वो बोलीं- करना ही है, तो आराम से करो.

मैंने कहा- ठीक है.


फिर मैं उनको चूमने लगा, भाभी के दूध मसलने लगा और उनकी साड़ी ऊपर उठा के उनके दोनों पैर खोल दिए. मैं उनकी चूत में लंड डालने लगा. उनकी चूत इतनी गीली थी कि लंड फिसल रहा था.

मैं तो पहली बार कर रहा था. इसलिए अपना लंड भाभी की चूत में डाल ही नहीं पा रहा था.


तभी भाभी हँसते हुए बोलीं- रूको मेरे अनाड़ी देवर … मैं डालती हूँ.

उन्होंने मेरा लंड पकड़ कर अपनी चूत के छेद पर रख दिया.

जैसे ही मैंने धक्का दिया तो मेरा लंड सट से चूत के अन्दर सरक गया और चूत से फ़च की आवाज़ आई. भाभी का पूरा शरीर कांप गया और मेरा भी.


लंड अन्दर जाते ही भाभी के मुँह से एक जोरदार सिसकारी निकली- हायए ओह मर गई … बहुत कड़क लंड है तुम्हारा देवर जी … उम्म्ह… अहह… हय… याह…


क्या बताऊं दोस्तो, भाभी की चूत अन्दर से इतनी गर्म थी कि मुझे लगा जैसे मेरा लंड जल जाएगा. मुझे बहुत मस्त लग रहा था. ऐसा लग रहा था, जैसे कोई मेरे लंड की सिकाई कर रहा है. भाभी की चूत भी अन्दर से बहुत फुदक रही थी. उनकी चूत का छेद बार बार खुल और बंद हो रहा था. उनकी चूत बार बार मेरे लंड पर कस जाती थी, जैसे चूत लंड को निचोड़ रही हो.


भाभी के मुँह से जोरदार सिसकारी निकल रही थी- सी सी आहह आहह हाय ओह.

फिर भाभी ने अपने दोनों पैर फैला कर अपने पैर मेरे पैरों में फंसा लिए, कैंची सी डाल दी, जिससे मेरा लंड भाभी की चूत की गहराइयों में फंस सा गया.


भाभी ने टाईट होकर अपनी चुचियां मेरे सीने में गड़ा दीं और मुझे कसके जकड़ लिया. मेरी पीठ पर नाख़ून गड़ा दिए. उनके कुछ नाख़ून मेरी पीठ में गड़ गए. लेकिन इतने जोश के मारे मुझे भी कुछ नहीं दिख रहा था.


मैंने भाभी को हाहाकारी धक्के लगाते हुए चोदना चालू किया. मैं शॉट पर शॉट मारे जा रहा था. मेरे हर झटके से पलंग हिलता और भाभी की चीख निकल जाती. मैं बस भाभी को चोदने में मस्त था.


इधर मैं भाभी की चूत चोद रहा था, उधर जोर जोर से बिजली चमक रही थी और बादल गरज रहे थे. बिल्कुल फिल्म जैसा सीन हो रहा था. उधर आसमान से बिजली चमकती और इधर भाभी की चूत से झटका लगता. उनके मुँह से मस्त आह निकलती.

क्या यादगार चुदाई थी … आज मुझे असली स्वर्ग का मज़ा मिल गया था.


भाभी नीचे से अपनी गांड को हिचकोले ले ले कर मुझसे चुदवा रही थीं और मैं जोर जोर से उनकी गर्म चूत को चोद रहा था.


मैंने लगभग आधे घंटे तक भाभी को चोदा. मेरा उनके ऊपर से हटने का मन नहीं हो रहा था. फिर मैंने भाभी की चूत में ही अपना पानी निकाल दिया और कस के भाभी से चिपक गया. अभी मेरा पानी निकल ही पाया था कि मुझे एक झटका सा लगा.


कमरे का दरवाजा खुला और अचानक से भैया रूम में आ गए … शायद बाहर पानी बरसने लगा था और इधर भाभी की चूत में भी बरसात हो चुकी थी. भाभी एकदम से उठ कर अपनी चारपाई पर पहुँच गईं.

अंधेरे की वजह से भैया हम दोनों को नहीं देख पाए. लेकिन हम दोनों जवानी के मज़े लूट चुके थे.


उस दिन के बाद जब भी मौका मिलता था, मैं भाभी को चोदने लगा. भाभी भी मुझसे चुदने लगीं. भाभी को मेरा कड़क और देर तक चलने वाला लंड पसंद आ गया था.


सच कहूँ तो आज भी मैं भाभी को चोदता हूँ. उसके बाद मैंने अपनी छोटी भाभी को भी चोदा, उसकी कहानी अगली बार बताऊंगा.

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हरामी टीचर ने मेरी मम्मी को चोदा

Teacher and My Mother Sex Story. जो कहानी मैं लिख रही हूँ एक सच्ची कहानी है। मैं 23 साल एक खूबसूरत लड़की हूँ। मेरी यह कहानी एक वाहियात माँ और उसके हरामी आशिक़ द्वारा एक सीधी-साधी लड़की को वासना की आग में झोंकने की कहानी है।


मेरे पापा एक बैंक में काम करते हैं और मेरे पापा की मेरी मम्मी के साथ पटती नहीं है, वे हमेशा देर से घर आते हैं और खाना खा कर सो जाते हैं, मेरी तरफ़ उनका ज़रा भी ध्यान नहीं है।


यह कोई 5 साल पहले की घटना है, तब में 18 साल की थी। मैं बारहवीं में पढ़ रही थी। मैं मैथस में कुछ कमजोर थी तो मम्मी ने मुझे पढ़़ाने के लिए एक मैथ टीचर रखा था, जिस की उम्र क़रीब 28 साल की होगी। वो टीचर देखने में अच्छा था।


पहले ही दिन मम्मी ने उन्हें और मुझे अपने कमरे में बुलाया और हिदायतें देना शुरू कर दी। मम्मी ने मुझ से टीचर के लिए चाय बनाने को कहा और मैं चली गई जब में चाय लेकर आई तब मैंने देखा की मम्मी के कपड़े अस्त व्यस्त थे और टीचर के शर्ट पर मम्मी के लंबे बाल थे। मम्मी का पाऊडर भी उन पर लगा हुआ था।

मैं समझ गई थी कि वे दोनों प्यार कर रहे थे।

मुझे देख कर वे दोनों पहले की तरह ही बैठ गये जैसे कि कुछ हुआ ही ना हो।


टीचर हर रोज शाम के 5 बजे आया करते थे और मुझे पढ़़ाने और समझाने के बहाने इधर उधर हाथ फ़िराया करते थे। मुझे ये सब अच्छा नहीं लगता था। मगर मैं किससे अपनी बात कहती।


एक दिन टीचर ने मुझे कुछ याद करने को कहा था और मैंने नहीं किया था। बस उन्होंने मेरी गोल चूचियों की चुटकी ली और बोले- तुम कुछ भी पढ़़ती नहीं हो, मैं तेरी मम्मी से बात करूँगा।

इतना कह कर वे रसोई में चले गये जहाँ मम्मी खाना बना रही थी।

उनके आते ही मम्मी ने पूछा- तुम्हारा काम हो गया?

टीचर ने कहा- हाथ ही रखने नहीं देती, चूत क्या देगी। मेरा तो लंड बड़ा हो गया है, उसे शांत करना पड़ेगा।

मम्मी ने कहा- मैं हूँ ना!


इतना कह कर उन्होंने टीचर की पैंट का ज़ीप खोल कर टीचर के लंड को मुँह में लेकर चूसने लगी। टीचर का लंड बहुत बड़ा था जिसे देख कर मेरी चूत में चींटियाँ रेंगने लगी। मैं वो दृश्य देख ना सकी और अपने रूम में आ गई।

यह दृश्य मेरे मन में कई दिनों तक छाया रहा और मैं रात भर टीचर का लंड याद कर कर के मैं सो नहीं पाती थी।


कभी अपनी चूचियों को सहलाती तो कभी चूत को… मेरे बुर से पानी झरने लगता था। मैं यह सोचती थी कि लंड को चूसना शायद अच्छा लगता होगा और यदि मैं किसी का लंड चूसती हूँ तो वो मेरी भी बुर चाटे। ये ओरल सेक्स की बातें सोच कर मेरी चूत में खलबली मच जाती थी। मैं भी टीचर का लंड चूसने बेताब हो गई।


एक दिन टीचर बोले- आओ मैं तुम्हें मैथ का ये फारमूला सिखा दूँ!


मैं टीचर के पास बैठ गई और वे बहाने से मेरी चूचियों सहलाते रहे। मुझे यह अच्छा लग रहा था और मैंने अनजाने में अपनी टाँगें फैला दीं। बस उन्होंने अपना हाथ वहाँ रखा और धीरे से मेरे बटन खोलने लगे।


मैंने कहा- मम्मी आ जाएगी, अभी कुछ मत करो!

उसने कहा- चल मेरी जान, तेरी मम्मी भी मुझ से डलवाती है, आ भी जाए तो भी कोई फ़रक नहीं पड़ेगा।

टीचर ने मुझे पूरी नंगी कर दिया और मेरी चूचियों और बुर को चाटने लगे और अपना लंड मेरे मुँह में दे दिया।


इतना बड़ा लण्ड पाकर मैं ख़ुश हो गई और मज़े से चूसने लगी।


तभी मेरी मम्मी आ गई और ग़ुस्से से लाल होकर बोली- ये तुम दोनों क्या कर रहे हो। ज़रा मुझे भी बताओ?

टीचर ने कहा- मैं तुम्हारी बेटी को तैयार कर रहा हूँ। इसकी चूत बहुत मीठी है इसे तुम भी चाटो।

मेरी मम्मी ने अपना मुँह मेरी चूत पर रख दिया और चाटने लगी। मम्मी का मेरी चूत चाटना मुझे बहुत अच्छा लग रहा था। 

उधर टीचर ने अपना पूरा लंड मेरी मम्मी की चूत में घुसा दिया और फिर उसने मुझे जी भर के चाटना शुरू किया। मम्मी के साथ चुदाई का यह खेल मुझे नर्वस कर रहा था। मगर मन में यह बात भी थी कि मेरी अपनी मम्मी ने मुझे सेक्स की सारी चीज़ें सिखाईं।

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